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RBSE Class 12 Hindi विविध प्रकार के लेखन

May 4, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 12 Hindi संवाद सेतु विविध प्रकार के लेखन is part of RBSE Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi संवाद सेतु विविध प्रकार के लेखन.

Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi विविध प्रकार के लेखन

RBSE Class 12 Hindi विविध प्रकार के लेखन पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
समाचार और फीचर में क्या प्रमुख अंतर है?
उत्तर:
समाचार और फीचर में प्रमुख अंतर प्रस्तुतीकरण की शैली और विषयवस्तु की मात्रा का होता है। समाचार लेखन की सर्वाधिक प्रचलित शैली उल्टा पिरामिड शैली है जिसमें विषयवस्तु को महत्व के घटते क्रम में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि फीचर लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं है हालांकि प्राय: फीचर लेखन कथात्मक शैली में किया जाता है जो कि समाचार-लेखन की शैली के विपरीत प्रकार की शैली है। समाचार लेखन में लेखक को पूरे विषय को तथ्यानुरूप ही प्रस्तुत करना होता है। उसके स्वयं के विचारों के लिए इसमें कोई स्थान नहीं होता जबकि फीचर-लेखन में लेखक स्वतंत्र रूप से अपने विचारों को समाहित कर सकता है। समाचार लेखन में संक्षिप्तता का पूर्ण ध्यान रखा जाता है परंतु फीचर लेखन में विषयवस्तु को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है।

प्रश्न 2.
फीचर को मुख्यतः कितनी श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है ?
उत्तर:
फीचर को मुख्यत: चौदह श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है

(क) समाचार फीचर : समाचार पर आधारित फीचर को समाचार फीचर कहा जाता है। जहाँ उल्टा पिरामिड शैली में लिखा गया समाचार किसी विषय अथवा घटना को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है, वहीं फीचर उस समाचार को विस्तार से प्रस्तुत करता है। समाचार में लेखक के व्यक्तिगत विचारों का कोई स्थान नहीं होता परंतु फीचर में लेखक अपने विचारों को समाचार की पृष्ठभूमि के साथ जोड़कर व्यक्त कर सकता है।

(ख) मानवीय रुचिपरक फीचर : किसी समुदाय या समाज विशेष की रुचियों पर आधारित फीचर मानवीय रुचिपरकं फीचर कहलाता है।

(ग) व्याख्यात्मक फीचर : सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थितियों की तथा विविध समस्याओं की भावनात्मक दृष्टि से विवेचना व्याख्यात्मक फीचर में की जाती है।

(घ) ऐतिहासिक फीचर : इतिहास को कथात्मक एवं रुचिपरक तरीके से प्रस्तुत करना ऐतिहासिक फीचर कहलाता है।

(ङ) विज्ञान फीचर : विज्ञान की उपलब्धियों, खगोलीय घटनाओं, खोजों, संचार क्रांति से संबंधित विषयों पर लिखा गया फीचर विज्ञान फीचर कहलाता है।

(च) खेलकूद फीचर : खेल संबंधी जानकारी को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना खेलकूद फीचर का विषय है।

(छ) पर्वोत्सवी फीचर : समाज में मनाये जाने वाले उत्सव एवं पर्यों पर आधारित फीचर पर्वोत्सवी फीचर की श्रेणी में आते हैं।

(ज) विशेष घटनाओं पर आधारित फीचर : युद्ध, बाढ़ आदि आकस्मिक घटनाओं आदि पर आधारित फीचर।

(झ) व्यक्तिपरक फीचर : किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर लिखा गया फीचर।

(अ) खोजपरक फीचर : विशेष रूप से छानबीन पर आधारित फीचर खोजपरक फीचर कहलाते हैं।

(ट) मनोरंजनात्मक फीचर : मनोरंजन के कार्यक्रमों पर आधारित फीचर।

(ठ) जनरुचि के विषयों पर आधारित फीचर : स्थानीय समस्याओं या सामाजिक विषयों पर आधारित फीचर।

(ङ) फोटो फीचर : एक विषय परे विविध आयामों के साथ ली गई तस्वीरों का प्रयोग कर फीचर का लेखन फोटो कहलाता है।

(ग) इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के फीचर : इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों, यथा-रेडियो, टेलीविजन आदि के लिए तैयार किये जाने वाले फीचर इस श्रेणी के फीचर होते हैं।

प्रश्न 3.
फोटो फीचर क्या है?
उत्तर:
फीचर की विभिन्न श्रेणियों में से एक लोकप्रिय श्रेणी है-फोटो फीचर। इस प्रकार के फीचर में किसी विषय विशेष पर उसके विभिन्न आयामों से संबंधित अनेक तस्वीरों का संकलन किया जाता है तथा इन तस्वीरों का प्रयोग कर इनके आधार पर संपूर्ण घटना का वर्णन किया जाता है। तस्वीरों के प्रयोग से फीचर प्रभावी, आकर्षक व सहज संप्रेषणीय बन जाता है।

प्रश्न 4.
व्यक्तिपरक फीचर से क्या आशय है?
उत्तर:
व्यक्तिपरक फीचर से आशय है-किसी व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व, कृतित्व या सामयिक उपलब्धि पर लिखा गया फीचर। इस प्रकार का फीचर पूर्णत: किसी व्यक्ति विशेष के जीवन पर केंद्रित होता है। व्यक्ति के जीवन की किसी घटना या उपलब्धि जो अन्य लोगों के लिए अनुकरणीय व उपादेय बन सकती है, को आधार बनाकर इस प्रकार के फीचर रचे जाते हैं।

प्रश्न 5.
प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के विकास ने फीचर को किस प्रकार से प्रभावित किया है?
उत्तर:
प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के विकास ने फीचर लेखन को प्रभावी एवं आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इस टेक्नोलॉजी के विकास के साथ आज फीचर में विभिन्न प्रकार की तस्वीरें, ग्राफिक्स आदि को जोड़ना बहुत आसान हो गया है। तस्वीरों और ग्राफिक्स के प्रयोग से फीचर न केवल आकर्षक बनता है बल्कि वह सहज व बोधगम्य भी बन जाता है। मुद्रण के भिन्न-भिन्न प्रारूप, रंगों का आकर्षक प्रयोग, विभिन्न प्रकार के आकर्षक फांट आदि ने फीचर ही नहीं अन्य माध्यमों के प्रस्तुतीकरण में भी क्रांति ला दी है।

प्रश्न 6.
फीचर लेखन के लिए किन बातों का ध्यान रखा जाता है?
उत्तर:
फीचर लेखन एक महत्त्वपूर्ण कौशल है जिसके लिए लेखक को न केवल विषयवस्तु का गहन ज्ञान होना चाहिए अपितु अच्छी लेखन शैली का भी अभ्यास होना चाहिए। एक अच्छा फीचर आकर्षक, तथ्यात्मक और मनोरंजक होता है। आदर्श फीचर लेखन में निम्नांकित बिंदुओं का ध्यान रखा जाता है –

  1. जिस विषय या घटना पर फीचर तैयार किया जाना है उससे संबंधित व्यापक एवं प्रमाणित तथ्यों का संग्रह किया जाता है।
  2. तथ्यों के संग्रह के साथ ही फीचर के एक उपयुक्त उद्देश्य का निर्धारण किया जाता है।
  3. उद्देश्य निर्धारण एवं तथ्य संग्रह के उपरांत फीचर लेखन का कार्य किया जाता है। फीचर सरस और सहज ग्राह्य भाषा तथा आत्मपरक शैली में लिखा जाता है।
  4. फीचर के लिए ऐसे शीर्षक का चयन किया जाता है, जो पाठक में जिज्ञासा उत्पन्न कर दे और पाठक उसे पढ़ने के लिए। लालायित हो जाये।
  5. फीचर का आमुख प्रभावी व आकर्षक रखा जाता है।
  6. फीचर में प्रभावी संप्रेषणीयता के गुण का समावेश करने के लिए उसमें उचित रूप में तस्वीरों व ग्राफिक्स का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 7.
डिजिटल फोटोग्राफी ने पत्रकारिता में तस्वीरों के महत्व को किस तरह प्रभावित किया है?
उत्तर:
डिजिटल फोटोग्राफी एक ऐसी तकनीक है जिसने फोटोग्राफी की विधा में आमूल-चूल परिवर्तन ला दिया है। इस तकनीक के प्रयोग से फोटो को इच्छानुसार व आवश्यकतानुसार संपादित किया जाना संभव हुआ है। भौतिक वातावरण आदि की सीमाओं के प्रभाव को समाप्त प्राय कर दिया गया है। इस तकनीक ने पत्रकारिता में भी तस्वीरों के महत्व में अतिशय वृद्धि की है। स्थान एवं गुणवत्ता की दृष्टि से तस्वीरों को संपादित किया जाना संभव होने के कारण पत्रकारिता जनित लेखन में आवश्यकतानुसार इनका उपयोग सहज हुआ है।

प्रश्न 8.
लेख व फीचर की शैली में क्या अंतर है?
उत्तर:
लेख व फीचर की शैली में मुख्य अंतर निम्नानुसार हैं –

  1. लेख गहन अध्ययन पर आधारित प्रामाणिक लेखन है जबकि फीचर पाठकों की रुचि के अनुरूप किसी घटना या विषय की तथ्यपूर्ण रोचक प्रस्तुति है।
  2. लेख दिमाग को प्रभावित करता है तो फीचर दिल को।
  3. लेख एक गंभीर और उच्चस्तरीय गद्य रचना है जबकि फीचर एक गद्यगीत
  4. लेख किसी घटना या विषय के सभी आयामों को स्पर्श करता है जबकि फीचर कुछ आयामों को।
  5. लेख किसी समस्या विशेष के किसी पहलू का सूक्ष्म और गहन विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जबकि फीचर समस्या को सामान्य रूप में स्तुत करता है।
  6. लेख में तथ्यों को वस्तुनिष्ठ पूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया जाता है जबकि फीचर में लेखक को अपना दृष्टिकोण व्यक्त करने की छूट होती है।

प्रश्न 9.
लेख और फीचर का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
लेख और फीचर दोनों ही किसी विषय विशेष को विस्तार से पाठक के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं परंतु दोनों का उद्देश्य व शैली कतिपय भिन्न है। लेख चिंतन प्रधान गम्भीर रचना होती है। अत: लेख का उद्देश्य ही मस्तिष्क को चिंतन के लिए उद्वेलित करना होता है। यह विचारों के उद्भव और विश्लेषण का आधार होता है। फीचर एक आत्मीय लेखन है जो हृदय को स्पर्श कर भावों के उद्भव और अनुभूति का आधार बनता है। सारांशत: लेख का उद्देश्य चिंतन को प्रेरित करनी व फीचर का उद्देश्य अनुभूति को प्रेरित करना है।

प्रश्न 10.
रेडियो फीचर क्या है?
उत्तर:
रेडियो फीचर श्रोताओं को खबरों से आगे की जानकारी प्रदान करने के लिए प्रस्तुत किया गया फीचर होता है। इस फीचर को श्रोत केवल सुन सकते हैं इसलिए इसमें संगीत और ध्वनि का अतिरिक्त प्रभाव सम्मिलित किया जाना अपेक्षित होता है। रेडियो रीचर पढ़े-लिखे वर्ग के साथ-साथ अनपढ़ वर्ग के लिए सहज ही ग्राह्य होता है। अन्य श्रेणियों के फीचर की तरह ही रेडियो रूपक (फीचर) में भी कल्पनाशीलता, तथ्ये, घटना अथवा विषय का विवरण, विवेचन, लोगों के विचार, प्रतिक्रियाएँ और रोचकता होती है।

प्रश्न 11.
रेडियो फीचर की क्या विशेषता है?
उत्तर:
रेडियो फीचर में फीचर के मूलभूत तत्व विद्यमाने होते हैं। जनसंचार का श्रव्य माध्यम होने के कारण व सुदूर क्षेत्र तक पहुँच रखने के कारण रेडियो का दायरा व्यापक होता है। लिपि-ज्ञान न रखने वाला वर्ग भी आसानी से इसके द्वारा प्रसारित संदेशों को ग्रहण करने में सक्षम होता है। इसलिए रेडियो फीचर में कल्पनाशीलता, तथ्य, घटना अथवा विषय को विवरण, विवेचन, लोगों के विचार, टिकिगााएँ और रोचकता के साथ-साथ संगीत एवं ध्वनि का भी अतिरिक्त प्रभाव होता है।

प्रश्न 12.
टेलीविजन फीचर अधिक प्रभावशाली क्यों होते हैं?
उत्तर:
टेलीविजन एक श्रव्य-दृश्य माध्यम है जिसमें प्रसारित कार्यक्रमों को न केवल सुना जा सकता है बल्कि देखा भी जा सकता है। टेलीविजन फीचर में शब्द भी होते हैं और चित्र भी। संगीत भी होता है और ध्वनियाँ भी। यह फीचर सजीव रूप में प्रस्तुत होता है। यही सजीवता, गति और दृश्यात्मकता इसे अधिक प्रभावशाली बनाती है। दर्शक अपने आपको विषयवस्तु से बँधा हुआ महसूस करता है। वह फीचर की वास्तविक अनुभूति को अनुभव कर सकता है जो अन्य माध्यमों से प्रस्तुत फीचर में सम्भव नहीं हो पाती।

RBSE Class 12 Hindi विविध प्रकार के लेखन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
फीचर क्या है?
उत्तर:
रोचक विषय का मनोरम एवं विस्तृत प्रस्तुतीकरण ही फीचर है। फीचर का लक्ष्य मनोरंजन करना, सूचना देना और जानकारी को जनोपयोगी ढंग से प्रस्तुत करना होता है। किसी विषय विशेष से संबंधित जानकारी को आत्मनिष्ठ शैली में प्रस्तुत करने से जनसामान्य को वह जानकारी अपने स्वयं के जीवन से प्रगाढ़ रूप से जुड़ी हुई प्रतीत होती है। लेखक के स्वयं के विचार एवं प्रतिक्रिया पाठक को अपने लिए उपयोगी महसूस होते हैं। लेख व समाचार से भिन्न श्रेणी का यह लेखन पाठक की कल्पनाशक्त व मन:स्थिति को प्रभावित करता है।

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के फीचर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
रेडियो व टेलीविजन के लिए लिखे जाने वाले फीचर को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का फीचर कहते हैं। रेडियो व टेलीविजन समाचारों में अब फीचर का प्रयोग खूब होता है। रेडियो रूपक तो पहले से ही लोकप्रिय थे पर अब टेलिविजन समाचार चैनल भी फीचर का उपयोग कर रहे हैं। डिस्कवरी तथा नेशनल जियोग्राफिक्स जैसे चैनलों के फीचर तो किसी भी दर्शक को मन्त्रमुग्ध कर लेते हैं।

प्रश्न 3.
श्रव्य दृश्य माध्यमों के लिए फीचर लेखन से क्या तात्पर्य है? समझाइये।
उत्तर:
रेडियो फीचर और टेलीविजन फीचर यों तो मुद्रित माध्यम के फीचर की भांति ही होते हैं पर रेडियो फीचर और टेलीविजन फीचर दोनों ही भिन्न प्रकार से लिखे जाते हैं। रेडियो फीचर तो वह फीचर है जो रेडियो के श्रोताओं को समाचारों से भी आगे की जानकारी प्रदान करने हेतु प्रस्तुत किया जाता है। रेडियो फीचर को श्रोता न तो देख सकते हैं और न पढ़ सकते हैं। परन्तु रेडियो फीचर की यह सबसे बड़ी विशेषता होती है कि शब्दों को न पढ़ सकने वाले श्रोतागण भी इसका आनंद उठाते हैं। दूसरी ओर टेलीविजन फीचर की यह विशेषता होती है कि इसमें शब्द के साथ चित्र भी होते हैं। सजीवता, गति तथा दृश्यात्मकता के कारण टेलीविजन फीचर अपने में विशिष्ट ही होती है। टेलीविजन फीचर दर्शक को इसलिए भी प्रभावित एवं मन्त्रमुग्ध करके रखता है कि दर्शक देखकर, सुनकर और महसूस करके इसका आनंद ले सकता है।

प्रश्न 4.
संपादकीय क्या है?
उत्तर:
संपादकीय किसी भी समाचार-पत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग होता है। यह किसी ज्वलंत मुद्दे या घटना पर समाचार पत्र के दृष्टिकोण व विचार को व्यक्त करता है। संपादकीय संक्षेप में तथ्यों और विचारों की ऐसी तर्कसंगत और सुरुचिपूर्ण प्रस्तुति है जिसका उद्देश्य मनोरंजन, विचारों को प्रभावित करना या किसी समाचार का ऐसा भाष्य प्रस्तुत करना है जिससे सामान्य पाठक उसका महत्व समझ सके।

प्रश्न 5.
संपादकीय के बिना समाचार-पत्र का प्रकाशन अधूरा है। कैसे ?
उत्तर:
संपादकीय संपादक को पाठक के साथ जोड़ने की महत्वपूर्ण कड़ी है। गंभीर व चिंतन योग्य घटनाओं तथा मुद्दों को पाठक के समक्ष तार्किक ढंग से प्रस्तुत कर उसे सोचने के लिए प्रेरित करना संपादकीय का प्रमुख उद्देश्य होता है। संपादकीय के अभाव में समाचार-पत्र मात्र सूचनाओं का संवाहक मात्र बनकर रह जाता है। इसलिए कहा जा सकता है कि संपादकीय के बिना समाचार-पत्र का प्रकाशन अधूरा है।

प्रश्न 6.
संपादकीय लेखन की क्या विशेषताएँ होनी चाहिए?
उत्तर:
संपादकीय लेखन संपादक के व्यक्तित्व के विचारों का परिचायक होता है। अत: प्रत्येक संपादक की लेखन शैली अन्य से भिन्न होती है फिर भी सामान्य रूप से संपादकीय में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए।

(अ) संपादकीय को यथासंभव वस्तुनिष्ठ, निर्भीक, दूरदर्शी व मार्गदर्शक होना चाहिए।
(ब) यह संबंधित मुद्दे या घटना पर विचारों को उद्वेलित करने वाला होने के साथ-साथ सुझावपरक हो।
(स) संपादकीय द्वारा व्यक्त की गई आलोचना केवल संपादक के व्यक्तिगत विचार न होकर तार्किक व निष्पक्षता से युक्त होनी चाहिए।
(द) यह एक बौद्धिक लेखन है। अत: विषयवस्तु को सुसंगत एवं समग्र रूप से व्यक्त किया जाना चाहिएप्रश्न

प्रश्न 7.
संपादकीय लेखन का कार्य किन रूपों में किया जाता है?
उत्तर:
संपादकीय लेखन का कार्य दो रूपों में किया जाता है-एक जो संपादक कहना चाहता है और दूसरा वह उसे कैसे और किस रूप में कहना चाहता है। अत: सर्वप्रथम संपादक को विषयवस्तु का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए। उसकी विषय पर गहरी पकड़ होनी चाहिए तथा उसमें विषय के पक्ष-विपक्ष में तर्क करने की क्षमता होनी चाहिए। सम्पादकीय में प्रस्तुतीकरण का अत्यधिक महत्त्व होता है। प्रस्तुतीकरण की पहली शर्त है-संप्रेषणीयता। संप्रेषणीयता के साथ-साथ दूसरी महत्त्वपूर्ण तत्व है जनभावनाओं का ध्यान रखना। अत: प्रस्तुतीकरण ऐसा हो कि विषयवस्तु को सामान्य पाठक भी समझ जाए और किसी की भावनाएँ भी आहत न हों।

प्रश्न 8.
सूचनात्मक व बहस के रूप में लिखे जाने वाले संपादकीय की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
संपादकीय लेखन को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है–सूचनात्मक वे बहस के रूप में। सूचनात्मक संपादकीय समस्या के वर्णन व विश्लेषण को प्रस्तुत करता है। सामान्यत: भूकम्प, बाढ़, गर्मी, अकाल आदि समस्याओं को पाठक के समक्ष प्रस्तुत कर जनसामान्य को इनके प्रति सचेत करना व राहत कार्य हेतु प्रेरित करना इस प्रकार के संपादकीय लेखन को उद्देश्य होता है। बहस के रूप में लिखे जाने वाले संपादकीय किसी मुद्दे के पक्ष-विपक्ष में अपना विचार रखते हैं। इस प्रकार के संपादकीय का लक्ष्य पाठकों के बीच एक वैचारिक बहस को जन्म देना होता है।

प्रश्न 9.
संपादकीय लेखने की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संपादकीय लेखन की प्रक्रिया को निम्नलिखित चरणों में बाँटा जा सकता है –

  1. विषय का चयन : ज्वलंत व सामयिक विषय को संपादकीय लेखन के लिए चुना जाता है। विषय प्रादेशिक, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व को हो सकता है।
  2. विषयानुरूप सामग्री का संकलन : विषय निर्धारण के उपरांत सामग्री का संकलन किया जाता है। संपादक दिन-प्रतिदिन कै. घटनाओं पर पैनी नज़र रखते हुए विभिन्न संदर्भ-सामग्री के माध्यम से विषयवस्तु का संकलन करता है।
  3. विषय प्रवेश एवं विस्तार : संपादकीय के विषय प्रवेश में समस्या की ओर ध्यानाकर्षण किया जाता है तदुपरांत तार्किक ढंग से विचारों एवं तर्क को प्रस्तुत करते हुए विषयवस्तु का विस्तार किया जाता है।
  4. विषय का निष्कर्ष : संपादकीय के अंतिम भाग में संपादक विषय, घटना यो मुद्दे पर अपनी राय अथवा विचार रखता है। यह राय अथवा विचार पाठक के मस्तिष्क को उद्वेलित करने वाला होता है।
  5. शीर्षक : संपूर्ण लेखन के बाद संपादक अपने लेख के शीर्षक का निर्धारण करता है। शीर्षक निश्चित ही किसी भी लेख के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। अत: संपादकीय का शीर्षक पाठक को प्रभावित करने वाला व विषय की समग्रता को अपने आप में समाहित करने वाला होना चाहिए।

प्रश्न 10.
‘संपादक के नाम पत्र’ स्तंभ में प्रकाशन योग्य सामग्री के चयन में किन तथ्यों को ध्यान में रखा जाना चाहिए?
उत्तर:
संपादक के नाम पत्र स्तंभ में प्रकाशन योग्य सामग्री के चयन के दौरान सामग्री की उपादेयता, प्रासंगिकता और सामयिकता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। सामग्री से संपादक का सहमत या असहमत होना महत्वपूर्ण न होकर उसकी उपादेयता महत्वपूर्ण होती है। आलोचनात्मक पत्रों में यह देखना आवश्यक है कि आलोचना विषयपरक व तर्कसंगत हो न कि व्यक्तिगत आक्षेप। पत्र के औचित्य का मूल्यांकन करने के बाद ही पत्र को प्रकाशित किया जाना चाहिए।

We hope the RBSE Solutions for Class 12 Hindi संवाद सेतु विविध प्रकार के लेखन will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi संवाद सेतु विविध प्रकार के लेखन, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

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