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Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi व्याकरण भाषा, व्याकरण एवं लिपि
भाषा – समाज में रहने के कारण मनुष्य को आपस में विचार-विनिमय करने अर्थात् अपने मन के भावों और विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है। इस माध्यम को ही ‘भाषा’ कहा जाता है। आदिम अवस्थ में मानव भाषा के अभाव में केवल संकेतों से ही आपस में विचारों का आदान-प्रदान करता होगा। धीरे-धीरे मानव विकास के साथ ही भाषा का विकास हुआ। इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि मानव विकास का इतिहास भाषा के विकास को निरूपित कर देता है। अपने हृदयगत भावों को वाणी रूप में सार्थक मौखिक अभिव्यक्ति के लिए मनुष्य जिस साधन का उपयोग करता है उसे ही सामान्यत: भाषा कहते हैं।
‘भाषा’ शब्द की व्युत्पत्ति –‘भाषा’ शब्द संस्कृत की ‘भाष्’ धातु से बना है। ‘भाष्’ धातु का अर्थ है = (भाष व्यक्तायां वाचि) “व्यक्त वाणी’।
परिभाषा – व्यक्त वाणी के रूप में जिसकी अभिव्यक्ति की जाती है, उसे ‘भाषा’ कहते हैं।
वास्तव में हम इस अनुभव के अभ्यस्त हो गये हैं कि वक्ता और श्रोता वर्णमयी या ध्वन्यात्मक भाषा द्वारा विचार-विनिमय करते हैं, एक दूसरे के अभिप्राय को समझते हैं। अत: हम भावाभिव्यक्ति के सभी साधनों को सामान्य रूप से ‘भाषा’ कह देते हैं। इस दृष्टि से इंगित मुद्रा, मुख विकार आदि को भी भाषा कहते हैं। जैसे पशु-पक्षियों आदि की बोली, इंगित (इशारों से बात करना) या संकेत चिह्न या सांकेतिक भाषा आदि के द्वारा भले ही भावों की अभिव्यक्ति की जा सकती है, परंतु उनके लिए ‘भाषा’ शब्द का प्रयोग औपचारिक रूप से ही किया जाता है। लेकिन मूलरूप से मानवीय व्यक्त वाणी को ही ‘भाषा’ कहते हैं।
इस प्रकार भाषा के दो रूप हो गए –
- मौखिक
- लिखित
(1) मौखिक भाषा – साधारणतया बोलचाल की भाषा को मौखिक भाषा कहते हैं। जैसे-नेताजी के भाषण सुनकर जनता उत्साह से भर उठी। यहाँ नेताजी का भाषण मौखिक भाषा का उदाहरण है।
(2) लिखित भाषा – जेब उच्चरित ध्वनि संकेतों को निश्चित चिहनों या ध्वनि संकेतों द्वारा लिखकर अंकित किया जाता है, उसे लिखित भाषा कहते हैं। जैसे-परीक्षार्थी उत्तरपुस्तिका पर प्रश्न हल कर रहे हैं। इसके लिए वे भाषा के निश्चित चिह्नों का प्रयोग कर रहे हैं। अत: यह लिखित भाषा है।
मौखिक व लिखित भाषा में अंतर –
- मौखिक रूप से बोलने पर वाक्य छोटे-छोटे होते हैं, जबकि लिखित रूप में बड़े होते हैं, जैसे ‘कादंबरी’ ग्रंथ में एक-एक पृष्ठ के वाक्य हैं।
- मौखिक भाषा स्वाभाविक होती है, जबकि लिखित भाषा कृत्रिम होती है।
- मौखिक भाषा पर स्थानीय बोलियों का प्रभाव रहता है, जबकि लिखित रूप में नहीं होता, क्योंकि लेखक सतर्क होकर लिखता है।
- मौखिक भाषा परिवर्तनशील होती है, जबकि लिखित भाषा स्थिर होती है।
- मौखिक भाषा में सदैव ताजगी रहती है, जबकि लिखित भाषा रूढ़ और प्राचीनता से युक्त रहती है।
भाषा के विविध रूप – अनेक व्यक्तियों के संपर्क में रहने के कारण भाषा के अनेक रूप हो जाते हैं, जिन पर हम यहाँ विचार करेंगे –
(1) मूल भाषा – आज विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं के मूल में भी एक ही भाषा रही होगी चाहे अभी हमें उसका ज्ञान नहीं है, किंतु भाषा के पारिवारिक वर्गीकरण में लगभग दस भाषाओं को मान्यता दी जाती है। आधुनिक भारतीय आर्य-भाषाओं की मूल भाषा भारोपीय परिवार’ है।
(2) विभाषा – प्रांतीय यो उपप्रांतीय आधार पर वर्गीकृत होने पर भाषाओं को ‘विभाषा’ कहा जाता है। इन भाषाओं में शासन का कार्य संचालन भी होता है, जैसे-पंजाबी, गुजराती, मराठी आदि।
(3) बोली – प्रांतीय स्तर के शासन कार्य के लिए प्रयुक्त न होने वाली मंडलीय स्तर पर स्वीकृत तथा जिसमें साहित्यिक रचनाएँ भी होती हैं, उन भाषाओं को ‘बोली’ कहा जाता है, जैसे-मगही, भोजपुरी, मालवी, ढूँढ़ाड़ी आदि।
(4) उपबोली – प्रत्येक व्यक्ति की भाषा में दूसरे व्यक्ति की भाषा से अंतर होता है। व्यक्तिगत बोली ही सामूहिक रूप में प्रयुक्त होने पर उप-बोली बनती है। उससे बोली और विभाषा की सृष्टि होती है। | भाषा की इकाइयाँ-भाषा की निम्न इकाइयाँ हैं
- ध्वनि – हमारे मुँह से निकलने वाली प्रत्येक स्वतंत्र आवाज ‘ ध्वनि’ कहलाती है। भाषा के मौखिक रूप में केवल ध्वनियों का ही प्रयोग होता है।
- वर्ण – वर्ण ध्वनि के रूप में ही वक्ता के मुख से उच्चरित होता है। यह भाषा की सबसे छोटी इकाई है, जिसके और टुकड़े नहीं हो सकते। जैसे. क्, च, ट् आदि।
- शब्द – वर्गों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। जैसे -क + म + ल = कमल।
- पद – वाक्य में प्रयुक्त शब्द के व्यावहारिक रूप अथवा विभक्ति-युक्त शब्द को ‘पद’ कहते हैं। जैसे- राम ने रावण को बाण से मारी। इस वाक्य में ‘राम ने’, “रावण को’, ‘बाण से’ और ‘मारा’ पद है।
- वाक्य – शब्दों के मेल से अब एक पूर्ण विचार प्रकट होता है, तो वह शब्द समूह ‘वाक्य’ कहलाता है। जैसे-वह पुस्तक पढ़ रहा है।
RBSE Class 12 Hindi भाषा, व्याकरण एवं लिपि – व्याकरण
भाषा एक व्यवस्था है। भाषा के विभिन्न अंगों, वर्ण, शब्द, पद, वाक्य आदि में निश्चित और नियमबद्ध संबंध होते हैं। आशय यह है कि किसी वर्ण का उच्चारण-स्थान, उसकी प्रकृति, शब्द-भंडार, उत्पत्ति, संधि, पदों का निर्माण, वाक्य, निर्माण, वाक्य-विश्लेषण आदि का अध्ययन व्याकरण के अंतर्गत होना है। भाषा को शुद्ध रूप में बनाए रखने के लिए तथा उसका मानक रूप निर्धारित करने के लिए नियमों की आवश्यकता रहती है। इन्हीं नियमों को योजनाबद्ध रूप में लिखे जाने पर उसे व्याकरण की संज्ञा दी गई है।
परिभाषा – ‘व्याकरण’ का शाब्दिक अर्थ है-विश्लेषण करना। आशय यह है कि व्याकरण भाषा का विश्लेषण कर रचना को स्पष्ट करता है। व्याकरण की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है
“व्याकरण वह शास्त्र है, जो हमें किसी भाषा के शुद्ध रूप को लिखने तथा बोलने के नियमों का ज्ञान कराता है।”
वस्तुत : व्याकरण से नियमों में स्थिरता आती है। नियमों की स्थिरता से भाषा में एक प्रकार की मानकता स्थापित होती है। यही मानकता भाषा को परिनिष्ठित रूप प्रदान करती है। अत: व्याकरण ही ऐसा शास्त्र है जो भाषा को सर्वमान्य, शिष्ट-सम्मत एवं स्थायी रूप प्रदान करता है।
व्याकरण के अंग – भाषा की मूल ध्वनियों के लिखित चिह्नों को वर्ण कहते हैं। वर्षों के मेल से शब्द और पद बनते हैं। इनसे वाक्य का निर्माण होता है इस प्रकार व्याकरण के चार अंग हैं –
- वर्ण विचार
- शब्द विचार
- पद विचार
- वाक्य विचार
1. वर्ण विचार-इसके अंतर्गत वर्षों से संबंधित उनके आकार, उच्चारण, वर्गीकरण तथा उनके मेल से शब्द-निर्माण प्रक्रिया को उल्लेख किया जाता है।
2. शब्द-विचार-इसमें शब्द के भेद, उत्पत्ति, व्युत्पत्ति वे रचना आदि के साथ शब्द के प्रकारों का उल्लेख होता है।
3. पद विचार-इसमें शब्द से पद निर्माण प्रक्रिया, पद के विविध रूपों का वर्णन होता है।
4. वाक्य विचार-इसके अंतर्गत वाक्य से संबंधित उसके भेद, अन्वय, विश्लेषण, संश्लेषण, रचना-अवयव तथा वाक्य निर्माण प्रक्रिया की जानकारी दी जाती है।
RBSE Class 12 Hindi भाषा, व्याकरण एवं लिपि – लिपि
जब भाषा को लिखित रूप की आवश्यकता पड़ी तो मौखिक ध्वनियों को अंकित करने के लिए कुछ चिह्न बनाए गए। ये चिह्न ही ‘लिपि’ कहलाए।
परिभाषा – ”लिखित ध्वनि-संकेतों को लिपि कहते हैं।” प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती है, जैसे-हिन्दी, देवनागरी, अंग्रेजी-रोमन, उर्दू-फारसी, पंजाबी- गुरुमुखी लिपि में लिखी जाती है। देवनागरी लिपि का प्रयोग हिन्दी, मराठी, नेपाली, कोंकणी, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं में होता है।
RBSE Class 12 Hindi भाषा, व्याकरण एवं लिपि – देवनागरी लिपि
भारत की दो प्राचीन लिपियाँ थीं-ब्राह्मी लिपि और खरोष्ठी लिपि। इनमें से ब्राह्मी लिपि से ही देवनागरी लिपि का विकास हुआ। देवनागरी लिपि की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
- यह बाईं से दाईं ओर लिखी जाती है।
- उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती है।
- संपूर्ण लिपि-समूह स्वर और व्यंजन में विभक्त हैं।
- एक वर्ग के वर्षों का उच्चारण एक स्थान से होता है।
- इसकी ध्वनियों में संसार की किसी भी भाषा का उच्चारण किया जा सकता है।
- शिरोरेखा का प्रयोग होता है।
- उच्चरित वर्ण ही लिखे जाते हैं।
- अनुनासिक और अनुस्वार ध्वनियों के लिए पृथक् चिह्न हैं।
- इसमें स्वरों के लिए मात्राओं की निश्चित व्यवस्था है। मात्राओं का प्रयोग व्यंजनों और स्वरों के संयोग के समय होता है।
- अक्षरों में सुडौलता है तथा वर्ण गोलाइयों से युक्त हैं।
- वर्गों की स्पष्टता है।
- यह रोमन लिपि की अपेक्षा कम स्थान घेरती है।
- वर्ण-विभाजन में वैज्ञानिकता है।
RBSE Class 12 Hindi भाषा, व्याकरण एवं लिपि अभ्यास-प्रश्न
RBSE Class 12 Hindi भाषा, व्याकरण एवं लिपि वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
विचारों को अभिव्यक्त करने का माध्यम है-
(क) संकेत
(ख) भाषा
(ग) शब्द
(घ) ध्वनि
प्रश्न 2.
मौखिक भाषा की विशेषता है –
(क) स्वाभाविक होती है।
(ख) वाक्य छोटे-छोटे होते हैं।
(ग) परिवर्तनशील होती है।
(घ) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 3.
भाषा की सबसे छोटी इकाई है –
(क) वर्ण
(ख) शब्द
(ग) पद
(घ) वाक्य।
प्रश्न 4.
भाषा के मौखिक रूप में प्रयोग होता है –
(क) केवल ध्वनि का
(ख) केवल वाक्य-विन्यासों का।
(ग) केवल संकेतों का
(घ) केवल शाब्दिक उच्चारण का।
प्रश्न 5.
व्याकरण की आवश्यकता रहती है –
(क) भाषा का शुद्ध रूप बनाए रखने के लिए।
(ख) भाषा का मानक रूप निर्धारित करने के लिए
(ग) भाषा के अंगों का नियमबद्ध विवेचन के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 6.
भाषा को शरीर शास्त्र है –
(क) काव्य-शास्त्र
(ख) भाषा–विज्ञान
(ग) व्याकरण
(घ) शोध ग्रंथ।
प्रश्न 7.
भाषा के चिह्नों को प्रकट करने का माध्यम है –
(क) ध्वनि
(ख) लिपि
(ग) व्याकरण
(घ) वाक्य।
प्रश्न 8.
विभक्तियुक्त शब्द कहलाता है –
(क) वर्ण
(ख) शब्द
(ग) पद
(घ) वाक्य।
उत्तर:
- (ख)
- (घ)
- (क)
- (क)
- (घ)
- (ग)
- (ख)
- (ग)।
RBSE Class 12 Hindi भाषा, व्याकरण एवं लिपि अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भाषा की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
व्यक्त वाणी के रूप में जिसकी अभिव्यक्ति की जाती है, उसे ‘भाषा’ कहते हैं।
प्रश्न 2.
भाषा के कितने रूप हैं?
उत्तर:
भाषा के दो रूप हैं-मौखिक और लिखित
प्रश्न 3.
विभाषा से क्या आशय है?
उत्तर:
प्रांतीय आधार पर बोलियों का वर्गीकरण. जिससे भाषा का रूप निर्मित होता है, विभाषा है। जैसे-राजस्थानी, भोजपुरी
प्रश्न 4.
ध्वनि’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
हमारे मुँह से निकलने वाली प्रत्येक स्वतंत्र आवाज ‘ ध्वनि’ कहलाती है।
प्रश्न 5.
‘प्रतिभा ने पुस्तक खरीदी।’ वाक्य में रेखांकित भाग का रूप बताइये।
उत्तर:
‘प्रतिभा ने’ पद है।
प्रश्न 6.
हिन्दी किस लिपि में लिखी जाती है?
उत्तर:
हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।
प्रश्न 7.
भाषा के शुद्ध और सार्थक स्वरूप का निर्धारण कौन करता है?
उत्तर:
भाषा के शुद्ध और सार्थक स्वरूप का निर्धारण ‘व्याकरण’ करता है।
प्रश्न 8.
लिपि की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
लिखित ध्वनि-संकेतों को लिपि कहते हैं।
प्रश्न 9.
देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली प्रमुख भाषाओं का नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
देवनागरी लिपि में हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, मराठी, कोंकणी, नेपाली आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं।
प्रश्न 10.
शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर:
वर्णो के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं, जैसे – अ + म + र = अमर।
प्रश्न 11.
व्याकरण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
व्याकरण वह शास्त्र है, जो हमें किसी भाषा के शुद्ध रूप को लिखने तथा बोलने के नियमों का ज्ञान कराता है।
प्रश्न 12.
लिखित भाषा से क्या आशय है?
उत्तर:
जब उच्चरित ध्वनि-संकेतों को निश्चित चिह्नों द्वारा लिखकर अंकित किया जाता है, उसे लिखित भाषा कहते हैं।
प्रश्न 13.
आधुनिक भारतीय आर्य-भाषाएँ किस परिवार से संबंध रखती हैं?
उत्तर:
आधुनिक भारतीय आर्य- भाषाएँ भारोपीय परिवार से संबंध रखती हैं।
प्रश्न 14.
देवनागरी लिपि में मात्राओं का प्रयोग कब होता है?
उत्तर:
स्वरों और व्यंजनों के संयोग के समय देवनागरी लिपि में मात्राओं को प्रयोग होता है।
प्रश्न 15.
भाषा-विकास का प्रमुख साधन क्या है?
उत्तर:
भाषा- विकास को प्रमुख साधन लिपि है।
प्रश्न 16.
भारत की प्राचीन लिपियाँ कौन-कौन सी थीं?
उत्तर:
भारत की प्राचीन लिपियाँ-ब्राह्मी और खरोष्ठी र्थी।
प्रश्न 17.
व्याकरण के अंतर्गत किन विषयों का अध्ययन होता है?
उत्तर:
व्याकरण के अंतर्गत भाषा के विविध अंग-वर्ण, शब्द, पद, वाक्य से संबंधित विषय-सामग्री का अध्ययन होता है।
प्रश्न 18.
शब्द और पद में मुख्य अंतर बताइये।
उत्तर:
वर्णो के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं, जबकि वाक्य में प्रयुक्त शब्द के व्यावहारिक रूप अर्थात् विभक्ति-युक्त शब्द को पद कहते हैं।
प्रश्न 19.
‘वर्ण-विचार’ के अंतर्गत किसका अध्ययन किया जाता है?
उत्तर:
वर्ण-विचार के अंतर्गत वर्षों से संबंधित उनके आकार, उच्चारण, वर्गीकरण तथा उनके मेल से शब्द-निर्माण-प्रक्रिया को अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 20.
‘देवनागरी लिपि’ का विकास भारत की किस प्राचीन लिपि से हुआ?
उत्तर:
‘देवनागरी लिपि’ का विकास भारत की ब्राह्मी लिपि से हुआ है।
RBSE Class 12 Hindi भाषा, व्याकरण एवं लिपि लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भाषा का प्रयोग किन कारणों से किया जाता है?
उत्तर:
मनुष्य अपने विचारों को जिन तरीकों से दूसरों तक पहुँचाता है, सामान्य रूप से वही भाषा है। भाषा का प्रयोग निम्न कारणों से किया जाता है
- भावों व विचारों की अभिव्यक्ति के लिए।
- विचारों के आदान-प्रदान के लिए।
- पारस्परिक सहयोग के लिए।
प्रश्न 2.
भाषा के रूप कौन-कौन से हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
भाषा के दो रूप हैं- मौखिक और लिखित संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –
- मौखिक भाषा-जब मानव अपने विचारों को बोलकर व्यक्त करता है, तो वह भाषा को मौखिक रूप कहलाता है। यह भाषा का मूल रूप है जो परिवर्तनशील होता है।
- लिखित भाषा-जब मानव अपने भावों व विचारों को लिखकर व्यक्त करता है, तो वह भाषा का लिखित रूप कहलाता है। इसमें ध्वनि-चिह्नों का प्रयोग होता है। यह भाषा का स्थायी रूप है।
प्रश्न 3.
मौखिक व लिखित भाषा-रूप में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मौखिक व लिखित भाषा रूप में निम्न अंतर हैं –
- मौखिक रूप में भाषा बोलकर व्यक्त होती है, जबकि लिखित रूप में लिखकर प्रकट होती है।
- मौखिक भाषा स्वाभाविक होती है, जबकि लिखित कृत्रिम रूप में होती है।
- मौखिक भाषी पर स्थानीय बोलियों का प्रभाव होता है, जबकि लिखित रूप पर नहीं।
- मौखिक भाषा परिवर्तनशील होती है, जबकि लिखित रूप में भाषा स्थिर होती है।
प्रश्न 4.
बोली, विभाषा और भाषा में प्रमुख अंतर बताएँ। उत्तर-बोली भाषा का स्थानीय रूप होता है, जब वह किसी अंचल विशेष में बोली जाती है, जैसे–मेवाड़ी, वागड़ी आदि।
बोलियों का समानान्तर समूह विभाषा होता है, इसमें क्षेत्र का स्तर प्रांतीय हो जाता है। जैसे- राजस्थानी विभाषा में विविध बोलियाँ यथा-मारवाड़ी, हाड़ौती, मालवी, ढूँढ़ाड़ी, मेवाड़ी आदि का समूह होता है।
भाषा सर्वमान्य एवं परिनिष्ठित रूप में होती है, इसमें कई विभाषाओं का मेल होता है। जैसे- हिन्दी भाषा में राजस्थानी, पश्चिमी हिन्दी, पूर्वी हिन्दी, पहाड़ी आदि विभाषाओं का मेल है।
प्रश्न 5.
भाषा की प्रमुख इकाइयों का परिचय दीजिए –
उत्तर:
भाषा की प्रमुख इकाइयाँ हैं- ध्वनि, वर्ण, शब्द, पद एवं वाक्य। परिचय इस प्रकार है –
- ध्वनि – हमारे मुँह से निकलने वाली प्रत्येक स्वतंत्र आवाज ध्वनि है।
- वर्ण – यह भाषा की सबसे छोटी इकाई है, जिसके और टुकड़े नहीं हो सकते। क्, च्, ट् आदि वर्ण हैं।
- शब्द – वर्गों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं, जैसे-क + म + ल + = कमल।
- पद – विभक्ति-युक्त शब्द पद कहलाता है। वाक्य में पद ही प्रयुक्त होकर अर्थ प्रदान करते हैं।
- वाक्य – शब्दों के मेल से जब एक पूर्ण विचार प्रकट होता है, वह वाक्य कहलाता है।
प्रश्न 6.
निम्न वाक्यों में पद बताइये –
- राम ने रावण को मारा।
- सीता ने पुस्तक खरीदी।
उत्तर:
- राम ने रावण को मारा
- सीता ने, पुस्तक, खरीदी। आदि पद हैं।
प्रश्न 7.
व्याकरण की आवश्यकता क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाषा एक व्यवस्था है। भाषा के विभिन्न अंगों –वर्ण, शब्द, पद, वाक्य आदि में निश्चित और नियमबद्ध संबंध होते हैं। अत: भाषा को शुद्ध रूप में बनाये रखने के लिए तथा उसका मानक रूप निर्धारित करने के लिए नियमों की आवश्यकता रहती है। इन्हीं नियमों को व्याकरण में योजनाबद्ध रूप से लिखा जाता है। अत: व्याकरण की आवश्यकता रहती है।
प्रश्न 8.
व्याकरण के महत्त्व को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
व्याकरण भाषा का विश्लेषण कर रचना को स्पष्ट रूप प्रदान करता है। इससे नियमों में स्थिरता आती है, जो भाषा को परिनिष्ठित व मानक रूप में स्थापित करती है। अत: व्याकरण ही ऐसा शास्त्र है जो भाषा को सर्वमान्य, शिष्ट-सम्मत एवं स्थायी रूप प्रदान करता है।
प्रश्न 9.
व्याकरण के प्रमुख अंगों का परिचय दीजिए।
उत्तर:
व्याकरण के प्रमुख अंग हैं-वर्ण, शब्द, पद एवं वाक्य विचार संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है –
- वर्ण-विचार-इसके अंतर्गत वर्ण की संरचना, उच्चारण तथा वर्षों के मेल से शब्द-निर्माण प्रक्रिया को अध्ययन होता है।
- शब्द-विचार-इसमें शब्द के भेद, उत्पत्ति, व्युत्पत्ति व शब्द के प्रकारों का उल्लेख होता है।
- पद-विचार-इसमें शब्द से पद-निर्माण प्रक्रिया तथा पदों के विविध रूपों का अध्ययन होता है।
- वाक्य-विचार-इसमें वाक्य-भेद, वाक्य-विश्लेषण, वाक्य-निर्माण प्रक्रिया आदि का उल्लेख होता है।
प्रश्न 10.
निम्न भाषाओं की लिपि का नामोल्लेख कीजिए –
- पंजाबी
- अंग्रेजी
- मराठी।
- उर्दू
उत्तर:
प्रश्न 11.
लिपि किसे कहते हैं? इसकी आवश्यकता क्यों पड़ी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लिखित ध्वनि-संकेतों को लिपि कहते हैं। जब भाषा को लिखित रूप की आवश्यकता पड़ी तो मौखिक ध्वनियों को अंकित करने के लिए कुछ चिह्न बनाए गए। ये चिह्न ही लिपि कहलाए। प्रत्येक भाषा को स्थिर, मानक एवं परिनिष्ठित रूप प्रदान करने के लिए लिपि की आवश्यकता रहती है। विश्व की प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती है।
प्रश्न 12.
देवनागरी लिपि की चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- यह लिपि उच्चारण के अनुरूप लिखी जाती है। इसमें एक वर्ग के वर्षों का उच्चारण एक स्थान से होता है।
- संपूर्ण लिपि-समूह स्वर और व्यंजन में विभक्त है। अनुनासिक और अनुस्वार ध्वनियों के लिए प्रथम् चिह्न है।
- स्वरों के लिए मात्राओं की निश्चित व्यवस्था है। मात्राओं का प्रयोग व्यंजनों और स्वरों के संयोग के समय होता है।
- वर्गों की स्पष्टता, सुडौलता है। वर्ण-विभाजन में वैज्ञानिकता है।
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