Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 30 बचत एवं विनियोग-I
RBSE Class 12 Home Science Chapter 30 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) आय का वह भाग जो भविष्य के लिए बचाकर रखा जाता है…………कहलाता है।
(अ) धन
(ब) व्यय
(स) बचत
(द) विनियोग
उत्तर:
(स) बचत
(ii) बचत की आवश्यकता क्यों है?
(अ) घूमने के लिए
(ब) वृद्धावस्था के लिए
(स) कपड़े खरीदने के लिए
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) वृद्धावस्था के लिए
(iii) धन को लाभ हेतु उचित स्थानों पर लगाना ही…………कहलाता है।
(अ) बचत
(ब) ऋण
(स) विनियोग
(द) व्यय
उत्तर:
(स) विनियोग
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. कुल आय में व्यय को घटा देने पर जो शेष बचता है…………कहलाता है।
2. वह बचत जिस पर व्यक्ति को ब्याज मिलता है…………कहलाता है।
3. बचत से समाज में व्यक्ति की…………बढ़ती है।
4. बचत से सेवानिवृत्ति के समय…………संरक्षण प्राप्त होता है।
5. धनराशि का अनुत्पादक रूप…………कहलाता है।
उत्तर:
1. बचत
2. विनियोग
3. प्रतिष्ठा
4. आर्थिक
5. संचय।
प्रश्न 3.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(1) विनियोग
(2) बचत
(3) बचत से आय में वृद्धि
(4) संचय
उत्तर:
(1) विनियोग:
बचत की गई धनराशि को व्यक्ति घर पर अथवा किसी आर्थिक संस्था द्वारा; जैसे-बैंक, डाकघर अथवा जीवन बीमा कम्पनी, भविष्य निधि योजना आदि में सुरक्षित रख सकता है। प्राचीनकाल में लोग बचाये गये धन को या तो अलमारी में या फिर बक्से में छुपाकर रखते थे। कई व्यक्ति तो अपनी बचत को घर के किसी हिस्से में गढ़वा देते थे जिससे किसी को भी इसके बारे में पता न चले एवं आवश्यकता पड़ने पर यह धन काम में लाया जा सके। जो धन संदूक में, जमीन में गाढ़कर, आभूषण बनवाकर रखने में अथवा तिजोरियों में बन्द रहता है, उसे अर्थशास्त्र की भाषा में बचत नहीं कहा जाता है, यह संचय कहलाता है।
इसके मूलधन में कोई वृद्धि नहीं होती है। अत: यह बचत अनुत्पादक कहलायेगी। अर्थशास्त्र की भाषा में वही धनराशि बचत कहलाती है जो भावी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बचाकर रखी जाये तथा उसको उत्पादक कार्यों में लगाया जा सके, जिससे एक निश्चित अवधि के पश्चात् जब वह पुनः प्राप्त हो तो अतिरिक्त लाभांश सहित वह धन प्राप्त हो। इस प्रकार यदि व्यक्ति इस धनराशि को डाकघर, बैंक या अन्य किसी संस्था में जमा कर ब्याज प्राप्त करता है तो बचत ‘उत्पादक’ कहलाएगी। अत: वह बचत जिस पर व्यक्ति को ब्याज या कुछ धनराशि मूल के अतिरिक्त मिलती है, विनियोजन कहलाती है।
(2) बचत-प्राय:
प्रत्येक व्यक्ति धन का उपार्जन करता है तथा उसका व्यय करता है। चूंकि मनुष्य एक बौद्धिक प्राणी है अत: वह भविष्य के विषय में भी सदैव विचार करता है। भविष्य के विषय में विचार करने वाला व्यक्ति सदैव ही अपने भविष्य को सुखमय एवं सुरक्षित बनाने के लिए कुछ-न-कुछ अवश्य करता है। इसलिए प्रत्येक परिवार तथा विवेकशील गृहिणियाँ अपना पारिवारिक बजट इस प्रकार से बनाती हैं कि पारिवारिक आय से व्यय कम हो। व्यय कम होने की स्थिति में आय का जो अंश बचता है, उसे ही पारिवारिक बचत कहा जाता है।
“आय का वह अंश जो भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एकत्र किया जाता है एवं उसको उत्पादक कार्यों में लगाया जाता है, बचत कहलाता है।” मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित होती हैं तथा वह जीवनभर अपने आर्थिक प्रयासों द्वारा इनकी सन्तुष्टि में लगा रहता है। अपने द्वारा अर्जित धन को अनिवार्य, आरामदायक तथा विलासिता सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करता है। इस व्यय के पश्चात् जो धनराशि शेष बच जाती है उसे बचत कहते हैं। यह धनराशि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के काम आती है। यदि आय से बचाए गये धन को विनियोजित न किया गया तो उसे धन का संचय कहेंगे, वह बचत नहीं कहलायेगी।
अर्थशास्त्र के अनुसार इससे मूलधन में कोई वृद्धि नहीं होती। इसको खर्च भी सरलता से किया जाता है।वर्गीज, ओगेल एवं श्री निवासन के अनुसार, बचत को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है, “भविष्य में खर्च करने के उद्देश्य से वर्तमान व्यय में कटौती करने के फलस्वरूप संचित धनराशि को बचत कह सकते हैं।” वर्मा एवं देशपाण्डे के अनुसार, “बचत मनुष्य की आय का वह भाग है जो वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति में उपयोग नहीं किया जाता वरन् भविष्य के उपयोग के लिए समझ-बूझकर अलग उत्पादक रूप में रखा जाता है और सम्पत्ति को पूँजी का स्वरूप दिया जाता है।”
(3) बचत से आय में वृद्धि:
बचत की गई राशि को बैंक, डाकघर में, बीमा में अथवा कहीं और निवेश करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इससे आय में वृद्धि होती है। धन जमा करने पर ब्याज की प्राप्ति होती है जोकि पारिवारिक आय में वृद्धि करती है। बैंक तथा पोस्ट ऑफिस की विभिन्न योजनाएँ एक निश्चित अवधि में मूलधन प्रदान करती हैं, इससे न केवल भविष्य के लिए निधि संचित होती है बल्कि ब्याज से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
(4) संचय:
जब धन को बचा कर सिर्फ रख लिया जाता हैं तो यह संचय कहलाता है। किसी भी वस्तु को जमा करना संचय है। संचित धन अनुत्पादक होता है। इससे कोई लाभ नहीं होता। यदि इस संचित धन का विनियोग किया जाए तो लाभांश प्राप्त होता है। अतः संचय करना बचत की उत्तम नीति नहीं मानी जाती है। इससे चोरी आदि होने का भय रहता है तथा संचित धन आवश्यकता पड़ने पर काम नहीं आ पाता।
प्रश्न 4.
बचत की आवश्यकता को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
बचत की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है।
(1) सेवानिवृत्ति पर आर्थिक सुरक्षा के लिए:
आज के समय में जीवन की बदलती हुई परिस्थितियों ने दो पीढ़ियों के बीच के अन्तर को बढ़ा दिया है जिसके कारण नौकरी से अवकाश पाये वृद्ध दम्पत्ति तथा नई पीढ़ी के उनके बहू – बेटो में व्यवस्थापन की समस्या उत्पन्न हो गयी है। दम्पत्ति अगर आर्थिक रूप से सम्पन्न न हो तो समस्या और भी गम्भीर हो जाती है। वृद्धावस्था में व्यक्ति की शारीरिक शक्ति क्षीण होने के कारण उसमें कार्य करने की क्षमता नहीं रह जाती है। ऐसी परिस्थितियों में जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए आर्थिक निर्भरता आवश्यक है। इसलिए इस प्रकार से की गयी बचत भविष्य के काम आती है।
(2) शारीरिक असमर्थता के कारण व्यापार में घाटा या नौकरी छूट जाने पर आर्थिक सुरक्षा:
कभी-कभी किसी कारणवश नौकरी छूट जाने या किसी रोग या दुर्घटना के कारण व्यक्ति शारीरिक रूप से असमर्थ हो जाता है तथा भविष्य में नौकरी करने के लायक नहीं रह जाता है। उन परिस्थितियों में वह विनियोजित धन से अपना निजी व्यवसाय आरम्भ करने या इस धन से प्राप्त होने वाले ब्याज का लाभ व्यक्ति को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
इसी तरह व्यापार में घाटा हो जाने या व्यापार पूर्ण रूप से बन्द हो जाने पर यह पर्व विनियोजित धन परिवार को नैतिक बल एवं आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करता है। जिन परिवारों में इस प्रकार की बचत नहीं की जाती है वे परिवार ऐसी परिस्थितियों में आर्थिक संकट से दब जाते हैं तथा उन परिवारों की सामाजिक प्रतिष्ठा भी गिर जाती है।
(3) भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए:
इस प्रकार की गयी बचत भविष्य की कुछ महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक है –
- बच्चों के भविष्य तथा उनकी उच्च शिक्षा के लिए।
- मकान बनवाने तथा अपने स्तर को ऊँचा उठाने हेतु।
- बच्चों के विवाह के लिए।
- अपना निजी व्यवसाय प्रारम्भ करने हेतु।
- ऐसे खर्चों के लिए जिनमें एकत्रित अधिक धन की आवश्यकता होती है।
(4) परिवार के मुखिया की अकस्मात् मृत्यु होने पर:
मानव भविष्य बड़ा अनिश्चित होता है। किस समय कौन – सी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जायें या कौन-सी विपत्ति अचानक आ जाये कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। अत: ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए भविष्य के लिए बचत अवश्य करनी चाहिए ताकि किसी भी अप्रिय घटना, दुर्घटना या परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने वाले मुखिया की अकस्मात् मृत्यु हो जाये तो इन परिस्थितियों में परिवार पर आये आर्थिक संकट के समय उस पूर्व बचत से आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो सके।
(5) अचानक आने वाले खर्चों के लिए कभी:
कभी परिवार में कुछ ऐसे खर्च भी निकल आते हैं जिनके लिए काफी धन की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के खर्च अचानक आते हैं; जैसे-लम्बी बीमारी, विवाह – शादी या लम्बी यात्रा का खर्च आदि। इसके लिए विनियोजित धन को काम में लिया जाता है।
(6) बचत करने से अनावश्यक खर्चों पर प्रतिबन्ध लग जाता है:
बचत की आदत पड़ जाने से अनावश्यक खर्चे पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है।
(7) बचत से मितव्ययता की आदत पड़ जाती है:
बचत करने से परिवार के सदस्यों में मितव्ययता की आदत पड़ जाती है जिससे व्यक्ति अपनी आय से अधिक खर्च नहीं करता है। मनुष्य आवश्यक कार्यों को मितव्ययता से संपादित करता
(8) समाज में प्रतिष्ठा बनाने के लिए:
आज जबकि सामाजिक मान्यताएँ और मूल्य बदलते जा रहे हैं। आज समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा को उसके पास धन की मात्रा और उपस्थित उपलब्ध भौतिक वस्तुओं से मापा जाता है। ऐसे समय में बचत के द्वारा हम अपनी पूँजी कुछ निश्चित वर्षों में बढ़ाकर अपने पास धन की मात्रा में वृद्धि कर आज की परिस्थितियों में अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को बढ़ा सकते हैं।
(9) मानसिक सन्तुष्टि:
बचत करने से परिवार में आत्मबल एवं साहस बढ़ता है। उसकी भविष्य की चिन्ता कुछ कम होती है। अतः मानसिक सन्तुष्टि मिलती है क्योंकि यदि व्यक्ति के पास बचत नहीं होगी तो भविष्य में आने वाले किसी भी संकट, बीमारी आदि का भय सताता रहेगा।
(10) राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन में सहायक:
व्यक्ति अपनी बचत का प्रमुख भाग कहीं न कहीं लाभांश पाने के लिए निवेश करता है। इस निवेशित धन से सरकार विभिन्न योजनाओं का संचालन करती है। अत: हमारी बचत हमारे साथ-साथ राष्ट्र के हित में भी होती है।
प्रश्न 5.
विनियोग के क्या-क्या लाभ होते हैं?
उत्तर:
बचत की गई धनराशि को व्यक्ति घर पर अथवा किसी आर्थिक संस्था द्वारा; जैसे-बैंक, डाकघर अथवा जीवन बीमा कम्पनी, भविष्य निधि योजना आदि में सुरक्षित रख सकता है। प्राचीनकाल में लोग बचाये गये धन को या तो अलमारी में या फिर बक्से में छुपाकर रखते थे। कई व्यक्ति तो अपनी बचत को घर के किसी हिस्से में गढ़वा देते थे जिससे किसी को भी इसके बारे में पता न चले एवं आवश्यकता पड़ने पर यह धन काम में लाया जा सके। जो धन संदूक में, जमीन में गाढ़कर, आभूषण बनवाकर रखने में अथवा तिजोरियों में बन्द रहता है, उसे अर्थशास्त्र की भाषा में बचत नहीं कहा जाता है, यह संचय कहलाता है।
इसके मूलधन में कोई वृद्धि नहीं होती है। अतः यह बचत अनुत्पादक कहलायेगी। अर्थशास्त्र की भाषा में वही धनराशि बचत कहलाती है जो भावी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बचाकर रखी जाये तथा उसको उत्पादक कार्यों में लगाया जा सके, जिससे एक निश्चित अवधि के पश्चात् जब वह पुनः प्राप्त हो तो अतिरिक्त लाभांश सहित वह धन प्राप्त हो। इस प्रकार यदि व्यक्ति इस धनराशि को डाकघर, बैंक या अन्य किसी संस्था में जमाकर ब्याज प्राप्त करता है तो बचत ‘उत्पादक’ कहलाएगी। अत: वह बचत जिस पर व्यक्ति को ब्याज या कुछ धनराशि मूल के अतिरिक्त मिलती है, विनियोजन कहलाती है।
विनियोग से धन सुरक्षित रहता है प्रतिवर्ष अथवा एक निश्चित अवधि पर लाभांश प्राप्त होता है तथा मूल निधि भविष्य के लिए सुरक्षित रहती है। इस लाभांश को व्यक्ति अपने किसी कार्य में उपयोग कर सकता है। अतः लाभांश पारिवारिक आय में वृद्धि करता है। आजकल सरकारी संस्थानों के अतिरिक्त विभिन्न प्राइवेट संस्थान भी लाभकारी निवेश योजनाएं संचालित करते हैं। अतः विनियोग हमारी बचत पर लाभांश दिलाता है तथा मूल निधि को भविष्य के लिए संचित रखता है जो समय आने पर काम आती है।
प्रश्न 6.
बचत की राष्ट्र निर्माण में भूमिका को समझाइए।
उत्तर:
बचत की राष्ट्र के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। बचत को बैंक, पोस्ट ऑफिस व अन्य किसी योजना के अन्तर्गत निवेश करने से जमाकर्ता को लाभांश की प्राप्ति होती है एक निश्चित समयावधि में, उस समयावधि में। वह धन राष्ट्र के निर्माण में काम आता है। बैंक उस धन को अन्य व्यक्तियों को ऋण देने में, आवास के लिए, वाहन के लिए, शिक्षा के लिए आदि में उपयोग लेता है। इसके साथ – साथ सरकार कई राष्ट्रीय योजनाएं संचालित करती है। राष्ट्र में विकास के कार्यक्रम भी इस धन से पूरे किए जाते हैं। अतः हमारे छोटे-छोटे विनियोग राष्ट्र की निर्माणकारी गतिविधियों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 30 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 30 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
आय का वह अंश जो व्यय नहीं किया जाये उसे………कहते हैं।
(अ) धन
(ब) बचत
(स) विनियोजन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) बचत
प्रश्न 2.
बचत का उपयोग निम्न में से किस पर करना बुद्धिमत्ता कहलाएगी?
(अ) चाट – पकौड़ी खाने पर
(ब) पिक्चर देखने पर
(स) उच्च शिक्षा पर
(द) गहने खरीदने पर
उत्तर:
(स) उच्च शिक्षा पर
प्रश्न 3.
आमदनी से अधिक खर्चा करने पर किसकी मदद लेनी पड़ेगी?
(अ) बचत
(ब) विनियोजन
(स) ऋण
(द) ये सभी
उत्तर:
(स) ऋण
प्रश्न 4.
किस प्रकार के व्यक्तियों को बचत की सर्वाधिक आवश्यकता होती है?
(अ) व्यापारी को
(ब) गरीब को
(स) अमीर को
(द) जिनकी आय अनियमित हो
उत्तर:
(द) जिनकी आय अनियमित हो
प्रश्न 5.
बचत की आवश्यकता है –
(अ) आय वृद्धि हेतु
(ब) आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु
(स) वृद्धावस्था हेतु
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
1. आय एवं व्यय के अन्तर को…………कहते हैं।
2. ………… का अर्थ है धन को बचा कर रखना।
3. संचय किया गया धन सदैव…………होता है।
4. बचत को सही जगह ………… करने से पैसा सुरक्षित रहता है तथा मूलधन में वृद्धि होती है।
5. विभिन्न योजनाओं में…………करके लाभांश प्राप्त किया जाता है।
उत्तर:
1. बचत
2. संचय
3. अनुत्पादक
4. विनियोग
5. निवेश
RBSE Class 12 Home Science Chapter 30 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बचत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आय का वह अंश जो भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एकत्र किया जाता है एवं उसको उत्पादक कार्यों में लगाया जाता है, ‘बचत’ कहलाता है।
प्रश्न 2.
बचत किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
बचत परिवार की आय पर निर्भर करती है।
प्रश्न 3.
मनुष्य को बचत करना क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
विभिन्न प्रकार की आर्थिक व सामाजिक विषमताओं को दूर करने के लिए बचत करना अनिवार्य है।
प्रश्न 4.
बचत द्वारा आय में वृद्धि कैसे होती है?
उत्तर:
बचत की राशि का विनियोग कर लाभांश / ब्याज द्वारा आय में वृद्धि की जा सकती है।
प्रश्न 5.
परिवार के प्रमुख लक्ष्यों को कितने भागों में बॉटा जा सकता है?
उत्तर:
परिवार के प्रमुख लक्ष्यों को लघुकालीन एवं दीर्घकालीन दो भागों में बाँटा जा सकता है।
प्रश्न 6.
मितव्ययी न होने की स्थिति का बचत पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
यदि व्यक्ति मितव्ययी नहीं होता है तो वह सदैव अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च कर डालता है तथा धन का सही व्यवस्थापन नहीं कर सकता।
प्रश्न 7.
बचत में अनावश्यक खर्चों पर प्रतिबन्ध का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बचत में अनावश्यक खर्चों पर प्रतिबन्ध लगा देने पर व्यक्ति की बचत में क्रमशः वृद्धि होने लगती है जो उसके भविष्य को सुरक्षित रखती है।
प्रश्न 8.
वह बचत जिस पर कोई ब्याज या आय में वृद्धि न हो क्या कहलाती है?
उत्तर:
वह बचत जिस पर कोई ब्याज या आय में वृद्धि न हो अनुत्पादक बचत है।
प्रश्न 9.
बचत की गई राशि को घर में रखने पर क्या नुकसान हो सकते हैं?
उत्तर:
बचत की गई राशि को घर में रखने पर आय में वृद्धि नहीं होगी तथा इसे कोई चुरा भी सकता है।
प्रश्न 10.
विनियोजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह बचत जिस पर व्यक्ति को ब्याज या कुछ धनराशि मूल के अतिरिक्त मिलती है, विनियोजन कहलाती है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 30 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आर्थिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आर्थिक सुरक्षा:
मनुष्य को जीवन में अनेक बार आर्थिक संकट के दौर से गुजरना पड़ सकता है, जैसे-नौकरी छूट जाना, नौकरी से अवकाश ग्रहण करना, दिवाला निकल जाना, ऐसी स्थिति में दुकान या व्यापार बंद हो जाता है, व्यापार में घाटा हो सकता है, परिवार में पैसे कमाने वाले सदस्य की मृत्यु या गम्भीर बीमारी हो सकती है। इन परिस्थितियों में परिवार को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ता है। इस समय बचत परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। यदि बचत न हो तो परिवार को ऋण लेना पड़ता है जो कि आसानी से प्राप्त नहीं होता है तथा ब्याज भी अधिक देनी पड़ती है।
इसके अतिरिक्त हमारे देश में अवकाश ग्रहण करने की आयु अट्ठावन से बासठ वर्ष के बीच होती है। इस अवस्था में बच्चे अपना घर बसा चूके होते हैं। केवल पति-पत्नी ही अकेले रह जाते हैं। इस अवस्था में शरीर की देखभाल युवावस्था की तुलना में अधिक होती है। इस समय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर भी अधिक व्यय होता है। अतः पहले से बचत की गई धनराशि द्वारा आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होती. है।
प्रश्न 2.
आकस्मिक आवश्यकता क्या है?
उत्तर:
आकस्मिक आवश्यकता:
मनुष्य का जीवन मझधार में तैरती नाव के समान है। एक ही पल में कठिन परिस्थितियाँ, अकाल, बाढ़, दुर्घटना आदि का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसा होने पर परिवार में आर्थिक संकट हो सकता है। आकस्मिकता चेंकि अचानक आती है, इसलिए प्रत्येक परिवार इसके लिए कुछ धनराशि बचाकर रखता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर तुरन्त इसका उपयोग किया जा सके। नियमित रूप से बचत करने वाला परिवार अपने भविष्य के प्रति निश्चित रहता है। बचत की हुई धनराशि द्वारा व्यक्ति मुसीबत या दुर्घटना का सफलतापूर्वक सामना करने में अपने आपको समर्थ पाता है।
प्रश्न 3.
बचत की गई धनराशि को घर में रखने से क्या नुकसान हो सकते हैं?
उत्तर:
बचत की गई धनराशि को घर में रखने से निम्नलिखित हानियाँ होती हैं –
1. बचत की गई धनराशि घर में रखने से सुरक्षित नहीं रहती है क्योंकि धनराशि अलमारी अथवा घर के किसी बक्से में छुपाकर रखने पर उसमें किसी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है। 10 वर्ष बाद निकालने पर भी धनराशि उतनी की उतनी ही प्राप्त होती है। बचत की गई धनराशि में किसी भी प्रकार की वृद्धि न होने के कारण इसे अनुत्पादक बचत कहा जाता है।
2. कुछ व्यक्तियों द्वारा बचत की गई धनराशि को घर के किसी हिस्से में गढ़वा देने के कारण घर के अन्य व्यक्तियों को इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं होती है। अत: आकस्मिक आवश्यकता पड़ने पर परिवार के अन्य सदस्य उस धनराशि का प्रयोग नहीं कर सकते हैं।
3. धनराशि छुपाकर रखने वाले व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाने पर इस धनराशि को परिवार का कोई भी सदस्य उपयोग नहीं कर सकता है।
4. घर में बक्सों अथवा अलमारी में छुपाकर रखी गई धनराशि को अकस्मात् चोर धावा बोलकर धनराशि तो चुराते ही हैं –
साथ ही आक्रामक हमलों द्वारा पारिवारिक सदस्यों को घायल कर देते हैं अथवा पारिवारिक सदस्यों की हत्या करने में भी हिचकिचाते नहीं हैं।
प्रश्न 4.
दीर्घकालीन लक्ष्यों की पूर्ति में बचत का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
परिवार के प्रमुख रूप से दो प्रकार के लक्ष्य होते हैं –
(1) लघुकालीन
(2) दीर्घकालीन
(1) लघुकालीन लक्ष्य:
घर की किसी वस्तु की चोरी हो जाने पर, महँगाई बढ़ जाने पर, आग लग जाने आदि पर, आवश्यक वस्तु को हम बचत की राशि से प्राप्त कर सकते हैं।
(2) दीर्घकालीन:
दीर्घकालीन लक्ष्यों को प्राप्त करने में लम्बा समय लगता है तथा अतिरिक्त धन की आवश्यकता पड़ती है। जैसे-बेटी का विवाह, बेटे की उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना, उसके द्वारा व्यापार प्रारम्भ करना; परिवार में कोई आकस्मिक दुर्घटना। इन सभी अवसरों पर काफी रुपयों की आवश्यकता पड़ जाती है। इसी प्रकार अपने रहन – सहन को ऊँचा उठाने के लिए नया मकान बनवाना. कार खरीदने आदि के लिए भी बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता पड़ सकती है। अतः पहले से की गई बचत विशेष रूप से दीर्घकालीन लक्ष्यों की पूर्ति में अति सहयोग प्रदान करती है।
प्रश्न 5.
बचत की परिभाषा एवं महत्त्व स्पष्ट करें?
उत्तर:
बचत की परिभाषा:
वर्गीज, ओगेल एवं श्रीनिवासन के अनुसार, “भविष्य में खर्च करने के उद्देश्य से वर्तमान व्यय में कटौती करने के फलस्वरूप संचित धनराशि को बचत कहते हैं।” बचत का महत्त्व –
- बचत द्वारा भविष्य में आने वाली आकस्मिक आर्थिक समस्याओं को हल किया जा सकता है।
- बचत से पारिवारिक आय में वृद्धि होती है।
- अनावश्यक खर्चों में कमी होती है।
- मानसिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
- वृद्धावस्था में आर्थिक संरक्षण मिलता है।
- घर के कमाने वाले की आकस्मिक मृत्यु/दुर्घटना होने पर परिवार को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता।
- दीर्घकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
- परिवार के रहन – सहन के स्तर में वृद्धि होती है जिससे सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।
- सेवानिवृत्ति के पश्चात आर्थिक सुरक्षा रहती है।
प्रश्न 6.
व्यक्तिगत बचत से क्या अभिप्राय है? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर:
व्यक्तिगत बचत का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति विशेष को आय उसके उपयोग व्यय से अधिक है। उदाहरण के लिए रमेश की मासिक आय ₹ 10,000 है। इस आय में से वह अपने परिवार की विभिन्न आवश्यकताओं के लिए ₹ 8,675 खर्च करता है तो उसकी मासिक बचत ₹1325 होगी।
प्रश्न 7.
बचत द्वारा आय एवं व्यय की असमानताओं की पूर्ति किस प्रकार होती है?
उत्तर:
परिवार की प्रारम्भिक अवस्था में व्यय कम होता है तथा विस्तार अवस्था में व्यय आय की अपेक्षा अधिक होता है। वे परिवार जिनकी आय अनियमित होती है उनको बचत की आवश्यकता अधिक होती है। बचत द्वारा ही आय एवं व्यय की असमानताओं को पूरा किया जा सकता है।
प्रश्न 8.
उत्पादक एवं अनुत्पादक बचत में अन्तर स्पष्ट करिए।
उत्तर:
वह बचत जिस पर व्यक्ति को ब्याज या कुछ धनराशि मूल के अतिरिक्त मिलती है, ‘उत्पादक बचत’ कहलाती है एवं जिस बचत पर व्यक्ति को लाभांश / ब्याज के स्थान पर केवल मूलराशि ही प्राप्त होती है ‘अनुत्पादक बचत’ कहलाती है।
प्रश्न 9.
व्यक्ति किन-किन तरीकों से विनियोजन करता है?
उत्तर:
विभिन्न प्रकार के लोग विभिन्न तरीकों से विनियोजन करते हैं; जैसे-कोई जमीन खरीदता है, कोई सोना खरीदता है, कोई खेती के लिए ट्रैक्टर खरीदता है, तो कोई धन कमाने हेतु ऑटो रिक्शा खरीदता है, कोई धन को बैंक में जमा रखना पसंद करता है तो कोई बीमा कम्पनी में पैसा डालना पसंद करता है। इनके अतिरिक्त विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी योजनाओं में निवेश करता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 30 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बचत का निम्नलिखित में क्या महत्त्व है?
1. धन समायोजन
2. आय में वृद्धि
3. राष्ट्रीय योजनाओं का संचालन
4. मुद्रा-स्फीति नियन्त्रण।
उत्तर:
1. पारिवारिक जीवन:
चक्र की विभिन्न अवस्थाओं में धन समायोजन के लिए-प्रारम्भिक अवस्था में परिवार में धन की माँग कम होती है। बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो इस अवस्था में अपनी आय को इस प्रकार से विनियोजित करे कि जब विस्तृत परिवार की अवस्था में परिवार में धन की माँग में वृद्धि हो तो बचत आय और व्यय में समायोजन स्थापित हो सके।
2. बचत से आय में वृद्धि के लिए:
बचत द्वारा संचित किए गये धन का उचित विनियोग कर लाभांश या ब्याज प्राप्त किया जा सकता है जिससे आय में वृद्धि होती है।
3. बचत से राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन में सहायता:
जनता के द्वारा बचत की गयी राशि राष्ट्रीय योजनाओं को पूर्ण करने में विनियोजित कर दी जाती है। इससे राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति एवं विकास में सहायता मिलती है।
4. बचत से मुद्रा:
स्फीति पर नियन्त्रण – बचत करने से मुद्रा – स्फीति पर नियन्त्रण रखा जा सकता है। प्रश्न यह उठता है कि धन विनियोग कहाँ किया जाये जिससे कम समय में अधिक लाभ प्राप्त हो एवं साथ ही कठिन परिश्रम से अर्जित धन पूर्ण रूप से सुरक्षित भी रह सके। धन विनियोजन के बहुत से माध्यम हैं जिनमें मुख्य निम्न प्रकार हैं. जीवन बीमा, बैंक, पोस्ट ऑफिस, भविष्य निधि योजना, सावधि खाते, राष्ट्रीय सुरक्षा पत्र आदि।
प्रश्न 2.
बचत को निर्धारित करने वाले निम्न कारकों को समझाइये –
(1) शान्ति एवं सुरक्षा व्यवस्था
(2) विनियोजन साधन
(3) प्राकृतिक स्थिति।
उत्तर:
(1) शान्ति एवं सुरक्षा व्यवस्था:
बचत के लिए वातावरण का होना अत्यन्त आवश्यक है। यदि देश में चोरी, डकैती और आये दिन साम्प्रदायिक झगड़े होते रहेंगे तो जनता अपने धन की सुरक्षा के लिए चिन्तित रहेगी और धन की बचत कर किसी प्रकार का खतरा उठाने की अपेक्षा वह अपने खर्चों में वृद्धि कर अधिक सन्तोष प्राप्त करेगी।
(2) विनियोजन के साधन:
अगर देश में विनियोजन के लिए डाकघर, बैंक, बीमा कम्पनी, सहकारी समितियाँ,
औद्योगिक इकाइयाँ हैं तो जनता की पूँजी निवेश के सुरक्षित और लाभदायक साधन सुलभ हो जाते हैं और वह बचत किया हुआ धन इन संस्थाओं में लगाकर चिन्ता-मुक्त हो जाते हैं।
(3) प्राकृतिक स्थिति:
जिन देशों में बाढ़, तूफान, अकाल, सूखा, महामारी आदि का प्रकोप अधिक रहता है, उन देशों के निवासी बचत कम करते हैं क्योंकि उनका भविष्य अनिश्चित और असुरक्षित होता है।
उपर्युक्त तत्वों की विवेचना के आधार पर कहा जा सकता है कि व्यक्ति को बचत करनी चाहिए, जिससे अपनी, परिवार तथा देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाया जा सके।
प्रश्न 3.
बचत को निर्धारित करने वाले कौन-कौन से तत्त्व हैं?
उत्तर:
(1) बचत करने की योग्यता-बचत करने की योग्यता निम्नलिखित बातों से प्रभावित होती है –
(अ) आर्थिक विकास की अवस्था:
यदि देश में नवीन तकनीकों को विकास कर उनका प्रयोग किया जाता है तो व्यापार तथा उद्योग उन्नत अवस्था में होते हैं। उन्नति के साथ-साथ लोगों की आय भी अधिक होती है। आय के साथ बचत भी अधिक होती है।
(ब) अर्थव्यवस्था का स्वरूप:
एक विकासशील और उद्योग-प्रधान देश की प्रति व्यक्ति आय अधिक होती है।
(स) प्राकृतिक साधन:
यदि देश प्राकृतिक साधनों से सम्पन्न है तो देशवासियों की आय अधिक होगी।
(द) कर प्रणाली:
करों का भार प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से जनता पर पड़ता है। यदि कर की राशि अधिक है तो उसको चुकाने के बाद परिवार के पास उपभोग योग्य धन कम बचता है, इससे परिवार की बचत क्षमता भी कम हो जाती है।
(2) बचत करने की इच्छा:
इच्छा कार्य की जननी है। जब व्यक्ति में बचत करने की इच्छा जाग्रत होगी तभी वह बचत करेगा। अगर व्यक्ति में कुछ करने की इच्छा न हो तो योग्यता होते हुए भी वह कुछ नहीं कर पायेगा। इसी तरह आर्थिक योग्यता होते हुए भी वह बचत नहीं कर पायेगा। बचत करने की इच्छा निम्नलिखित बातों से प्रभावित होती है
(अ) दूरदर्शिता:
जो लोग दूरदर्शी होते हैं वे भविष्य की योजनाओं और आवश्यकताओं पर शुरू से ही विचार करके चलते हैं और इसीलिए वे अपनी आय का कुछ भाग अपने भविष्य के लिए बचाकर रखते हैं।
(ब) समाज में प्रतिष्ठा:
व्यक्ति समाज में प्रतिष्ठा, सफलता, सम्मान पाने की अभिलाषा रखता है। इस दृष्टि से भी उसकी बचत करने की इच्छा प्रबल होती है।
(स) पारिवारिक स्नेह एवं बन्धन:
सामान्यत: व्यक्ति परिवार के स्नेह के वशीभूत होकर बचत करता है।
(3) बचत की सुविधाएँ:
बचत करने की सुविधाएँ निम्नलिखित बातों से प्रभावित होती हैं –
(अ) देश की आर्थिक स्थिति:
देश की आर्थिक व्यवस्था तात्कालिक परिस्थितियों के अनुसार होनी चाहिए। यदि देश सदैव कर्ज में डूबा रहेगा तो जनता अपनी बचत की राशि का विनियोग करने में संकोच करेगी।
(ब)देश की राजनैतिक स्थिति:
बचत विनियोग के लिए देश की राजनैतिक स्थिति मजबूत होनी चाहिए जिससे लोगों का सरकार पर विश्वास बना रहे और लोग सरकारी योजनाओं में धन जमा करने के लिए प्रोत्साहित हों।
(स) सुदृढ़ मुद्रा प्रणाली:
बचत को प्रोत्साहन देने के लिए सुदृढ़ मुद्रा प्रणाली की आवश्यकता होती है। देश में मद्रा व्यवस्था इस प्रकार की होनी चाहिए जिससे मुद्रा के मूल्य में अधिक उच्चावचन न हो। यदि मुद्रा के मूल्य में स्थिरता नहीं है तो जनता भविष्य के लिए अधिक मुद्रा अपने पास नहीं रखेगी क्योंकि मुद्रा के मूल्य में कमी हो जाने का उसे भय बना रहेगा।
Leave a Reply