Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 32 उपभोक्ता की समस्याएँ
RBSE Class 12 Home Science Chapter 32 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) वस्तुओं के उपभोग करने वाले व्यक्ति को कहते हैं –
(अ) उत्पादक
(ब) विक्रेता
(स) उपभोक्ता
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) उपभोक्ता
(ii) काली मिर्च में मिलावट की जाती है –
(अ) पपीते के बीज की
(ब) कोयले के चूरे की
(स) कंकड़
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(अ) पपीते के बीज की
(iii) तराजू की डण्डी होनी चाहिये –
(अ) चपटी
(ब) गोल
(स) तिरछी
(द) लम्बी
उत्तर:
(अ) चपटी
(iv) वस्तु का मूल्य अधिक हो जाता है?
(अ) जब वस्तु सहकारी भरण्डार से खरीदी गई हो
(ब) वस्तु राशन की दुकान से खरीदी गई हो
(स) जान-पहचान वाला नहीं हो
(द) जब वस्तु प्रतिष्ठित दुकान से खरीदी गई हो।
उत्तर:
(द) जब वस्तु प्रतिष्ठित दुकान से खरीदी गई हो।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. निर्माता प्रसिद्ध ब्राण्ड की…………वस्तु बनाकर बाजार में सस्ते मूल्यों पर बेचते हैं।
2. एक ही वस्तु कई ब्राण्ड की होने पर वस्तु के…………समस्या आती है।
3. उपभोक्ता स्वयं…………है, उसे अच्छा लगे वही खरीदना चाहिये।
उत्तर:
1. नकली
2. चुनाव की
3. सम्राट।
प्रश्न 3.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें –
(अ) भ्रामक विज्ञापन
(ब) वस्तु के चुनाव की समस्या
(स) मिलावट
(द) कपटपूर्ण चिह्न व लेबल
उत्तर:
(अ) भ्रामक / झूठे विज्ञापन:
भ्रामक या झूठे विज्ञापन से अभिप्राय है – झूठी जानकारी। ये विज्ञापन वस्तुओं के बारे में झूठी जानकारी देते हैं। आकर्षक विज्ञापनों पर हजारों रुपया लगा कर वस्तु के बारे में बढ़ा – चढ़ाकर जानकारी दी जाती है विक्रेता अपने विज्ञापन मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रस्तुत करता है जिससे साधारण उपभोक्ता वस्तुओं के गुण-दोषों का ध्यान रखकर वस्तुएँ खरीद लें। बच्चों और महिलाओं पर इन विज्ञापनों का अधिक प्रभाव पड़ता है। झूठे विज्ञापन, भ्रामक सूचनाओं और उपहार के लालच में आकर उपभोक्ता कई बार गलत वस्तु को खरीद लेते हैं जिससे उन्हें आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। अत: उपभोक्ताओं को भ्रामक व झूठे विज्ञापनों के जाल में न फंसकर अपनी बुद्धि और विवेक का सहारा लेकर वस्तुओं को खरीदना चाहिए।
(ब) वस्तुओं के चुनाव की समस्या:
आजकल बाजार में वस्तुओं के कई ब्रांड उपलब्ध हैं। हर कम्पनी अपने उत्पाद का प्रचार इस प्रकार करती है कि दुकानदार भी अधिक लाभ के कारण उस वस्तु को लेने के लिए उपभोक्ता को उकसाते हैं जिनकी कम्पनी उन्हें अधिक लाभांश दे रही है। अत: उपभोक्ता प्रायः असमंजस में रहते हैं कि वे क्या खरीदें। एक ही वस्तु के अनेक प्रतियोगी व सभी के आकर्षक विज्ञापन व लुभावने ऑफर देखकर उपभोक्ता के सामने सही वस्तु के चयन करने में दुविधा रहती है।
(स) मिलावट:
दुकानदार / व्यापारी खाद्य वस्तुओं में लाभ अधिक कमाने के लिए मिलावट करते हैं। यह मिलावट हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। अतः जरूरत की वस्तु उतनी कीमत में कम तथा हानिकारक प्राप्त होती है। मिलावटी वस्तुओं का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। उदाहरण-पिसी लाल मिर्च में ईंट का चूरा, दूध में पानी मिलाना, दाल-चावल में कंकड़, मिट्टी मिलाना, काली मिर्च में सूखे पपीते के बीज, सरसों के तेल में अलसी व पीले धतूरे के तेल की मिलावट, दालचीनी के साथ अन्य पेड़ की छाल मिलाना, पेट्रोल में मिटटी का तेल तथा सीसा मिलाना आदि मिलावट के कुछ उदाहरण हैं।
(द) कपट-पूर्ण चिह्न तथा लेबल:
मनुष्य मनोवैज्ञानिक रूप से कुछ वस्तुओं को एक नजर में पहचानता है। प्रमुख वस्तुओं के ट्रेडमार्क, लेबल आदि का रंग, आकार आदि देखकर अनुमान करता है। मस्तिष्क के इस गुण को ध्यान में रखकर उत्पादों की नकल पर प्रसिद्ध उत्पाद के ट्रेड मार्क, लेबल, नाम उनसे इतने मिलते हुए रखे जाते हैं जिससे पहली बार देखने पर वह समान लगे। उदाहरण-चप्पल की प्रसिद्ध कम्पनी Flite है तथा अभी उसकी नकल Flite के नाम से बाजार में देखी गई, जिससे दोनों को समान फॉन्ट के रंग में लिया गया था। इस प्रकार उपभोक्ता गुमराह हो जाते हैं व नकली वस्तु उतना ही दाम देकर खरीद लेते हैं।
प्रश्न 4.
उपभोक्ता की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
किसी भी प्रकार की वस्तु एवं सेवा का दाम अदा करके उसका उपयोग करने वाला उपभोक्ता कहलाता है।
प्रश्न 5.
एक उपभोक्ता को बाजार में वस्तु के चुनाव की समस्या क्यों आती है? लिखिए।
उत्तर:
आजकल बाजार में एक वस्तु को अनेक कम्पनियाँ बन रही हैं तथा उनके आकर्षक विज्ञापन देती हैं, जो उपभोक्ता को मनोवैज्ञानिक रूप से अपने पक्ष में ले लेते हैं। इनके अतिरिक्त लुभावने ऑफर, मुफ्त उपहार आदि देकर उपभोक्ता को आकर्षित किया जाता है। इस कारण उपभोक्ता को सही वस्तु के चयन में परेशानी आती है। वह असमंजस की स्थिति में रहता है। कि क्या सही है। और वह क्या ले। उपभोक्ता को भ्रामक विज्ञापन, बाजार में नकली एवं मिलावटी वस्तुओं की उपस्थिति आदि वस्तु के चुनाव में कठिनाई देते हैं।
प्रश्न 6.
उपभोक्ता को इन समस्याओं से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
उपभोक्ता जागृति ही इन समस्याओं का समाधान है। उपभोक्ता अपने अधिकार को समझे, नकली व मिलावटी वस्तुओं एवं खरीद के बदले हुए धोखे के खिलाफ लड़े, तब ही इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण नियम बनाए हैं। इनके अन्तर्गत उपभोक्ता की शिकायत दर्ज करके उस पर कार्यवाही की जाती है। अत: उपभोक्ता जागरुक हो जाए एवं किसी भी कपट को न सहें तो ये सब स्वयं ही कम होने लगेगा।
प्रश्न 7.
झूठे व भ्रामक विज्ञापन किस प्रकार उपभोक्ता को ठगते हैं?
उत्तर:
विज्ञापन सदैव आकर्षक होते हैं। ये उपभोक्ता को मनोवैज्ञानिक तरीके से गुमराह करते हैं। विज्ञापन के प्रदर्शन में लोभ तथा भय का समावेश होता है। जैसे कि विज्ञापित क्रीम लगाने से किसी लड़की का विवाह तुरन्त हो गया, नौकरी में चयन तुरन्त हो गया, यदि वह इस क्रीम को नहीं लगाएगी तो ये सब नहीं होगा इत्यादि। इसके अतिरिक्त नामी हीरो-हिरोइन से भी इन विज्ञापनों में वस्तुओं की तारीफ करवाई जाती है। व्यक्ति में सारा मनोबल उनके साबुन / क्रीम / वाशिंग पाउडर / शैम्पू आदि से बढ़ता हुआ दिखाया जाता है।
बच्चों को विज्ञापन में लाकर उन्हें और अधिक विश्वसनीय बनाया जाता है। इस प्रकार उपभोक्ता भ्रामक विज्ञापनों द्वारा दिग्भ्रमित रहते हैं। विज्ञापनों में इतना खर्च हुआ पैसा उपभोक्ताओं से उत्पाद की कीमत बढ़ कर वसूला जाता है। विज्ञापन कई माध्यमों से प्रस्तुत किए जाते हैं; जैसे-समाचार-पत्र, रेडियो, टीवी, होर्डिंग, वाहन आदि। विज्ञापनों से आकर्षित होकर उपभोक्ता वस्तु खरीदते हैं। विशेषकर बच्चे एवं अशिक्षित व्यक्ति इस प्रकार विज्ञापनों से जल्दी प्रभावित होते हैं एवं वस्तुओं को खरीदते हैं।
प्रश्न 8.
अशिक्षा उपभोक्ता की समस्या है क्यों? समझाइए।
उत्तर:
अशिक्षित व्यक्ति अधिकांशत: सुनी हुई बात पर अधिक विश्वास करता है। वह अपनी बुद्धि एवं विवेक तथा परखने की क्षमता का उपयोग नहीं करता। अतः अशिक्षित को कोई भी उत्पाद आसानी से बेचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त वस्तु पर लगा लेबल जिस पर उत्पाद की जानकारी होती है, अशिक्षित व्यक्ति नहीं पढ़ सकता जिसका फायदा विक्रेता उठाते हैं। इस प्रकार अशिक्षित व्यक्ति को अधिक मूल्य में घटिया वस्तु बेची जाती है तथा विक्रेता उन्हें अपने फायदे के अनुसार उत्पाद देते हैं। अत: अशिक्षा उपभोक्ता की बहुत बड़ी समस्या है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 32 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 32 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
वस्तुओं का उपभोग करने वाले व्यक्ति को कहते हैं –
(अ) उपभोक्ता
(ब) उत्पादक
(स) विक्रेता
(द) ये सभी।
उत्तर:
(अ) उपभोक्ता
प्रश्न 2.
निम्न में से कौन-सा व्यक्ति उपभोक्ता कहलाएगा?
(अ) विक्रेता
(ब) खरीददार
(स) उत्पादक
(द) ये सभी।
उत्तर:
(ब) खरीददार
प्रश्न 3.
निम्न में से सेवा किसे कहेंगे?
(अ) विद्युत
(ब) कार
(स) दूध
(द) कपड़े।
उत्तर:
(अ) विद्युत
प्रश्न 4.
यदि उत्पादकों के मध्य स्पर्धा न हो तो निम्नलिखित स्थिति का सामना करना पड़ता है –
(अ) उत्पादक मिलावट कर सकता है
(ब) उत्पादक वस्तु उचित मूल्य पर नहीं देगा
(स) उत्पादक को एकाधिकार प्राप्त हो जाएगा
(द) उपभोक्ता वस्तु परीक्षण नहीं कर पाएगा।
उत्तर:
(स) उत्पादक को एकाधिकार प्राप्त हो जाएगा
प्रश्न 5.
किसी वस्तु के मूल्य में अधिकता निर्भर करती है –
(अ) जब वस्तु प्रतिष्ठित दुकान से खरीदी गई हो
(ब) जब वस्तु सहकारी उपभोक्ता भंडार से खरीदी गई हो
(स) जब वस्तु राशन की दुकान से खरीदी गई हो
(द) जब दुकानदार जान-पहचान वाला नहीं हो।
उत्तर:
(ब) जब वस्तु सहकारी उपभोक्ता भंडार से खरीदी गई हो
प्रश्न 6.
पेट्रोल में किस वस्तु की मिलावट की जाती है?
(अ) तेल की
(ब) मिट्टी के तेल की
(स) चर्बी की
(द) ये सभी की।
उत्तर:
(अ) तेल की
प्रश्न 7.
खाद्य पदार्थों में मिलावट से निम्न रोग होते हैं –
(अ) लकवा
(ब) अंधता
(स) ड्रॉप्सी
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 8.
सही तराजू की डंडी होनी चाहिए।
(अ) चपटी
(ब) गोल
(स) छोटी
(द) लम्बी
उत्तर:
(अ) चपटी
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
1. जनसम्पर्क एवं संदेश प्रसार हेतु उत्पादक…………का सहारा लेता है।
2. कई निर्माता प्रसिद्ध ब्राण्ड की…………वस्तु बनाकर बाजार में सस्ते मूल्यों पर बेचने लगते हैं।
3. एक …………उपभोक्ता वस्तु की गुणवत्ता कीमत से आँकता है।
4. एक सजग उपभोक्ता को विक्रेता की बात को सुनना अवश्य चाहिए पर उसको नहीं बना लेना चाहिए।
5. एक ही वस्तु की कई…………होने से वस्तु का चुनाव करना बड़ा मुश्किल हो गया है।
6. दूध में पानी मिलाना तथा क्रीम निकालना दोनों ही…………कहलाती हैं।
7. …………में पपीते के बीजों की मिलावट की जाती है।
8. पेट्रोल में…………की मिलावट से वाहनों में खराबी आ जाती है।
9. …………वह व्यक्ति है जो वस्तुएँ खरीद कर उनका उपयोग करता है।
10. …………व्यक्ति को विक्रेता आसानी से धोखा दे सकते हैं।
उत्तर:
1. विज्ञापन
2. डुप्लीकेट / नकली
3. अशिक्षित
4. राय
5. किस्में
6. मिलावट
7. काली मिर्च
8. सीसा
9. उपभोक्ता
10. निरक्षर।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 32 अतिलघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
उपभोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
व्यक्ति अपनी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कई वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करता है। इन वस्तुओं एवं सेवाओं के उपयोग के बाद उसे जो सन्तुष्टि प्राप्त होती है, उसे उपभोग कहते हैं।
प्रश्न 2.
वस्तुओं के उपभोग करने वाले व्यक्ति को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वस्तुओं के उपभोग करने वाले व्यक्ति को उपभोक्ता कहते हैं।
प्रश्न 3.
दो उपयोग वस्तुओं तथा दो उपभोग सेवाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
उपयोग वस्तुएँ-पुस्तकालय, शिक्षण। उपभोग-दूध, साबुन।
प्रश्न 4.
वस्तु के चयन की समस्या क्यों उत्पन्न हुई?
उत्तर:
एक ही वस्तु की अनेक किस्मों तथा ब्राण्ड ने चयन की समस्या उत्पन्न की हैं।
प्रश्न 5.
भ्रामक विज्ञापन उपभोक्ता को किस प्रकार आकर्षित करते हैं?
उत्तर:
भ्रामक विज्ञापन मनोवैज्ञानिक तरीके से वस्तु के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर जानकारी प्रदान करके उपभोक्ता को आकर्षित करते हैं।
प्रश्न 6.
व्यापारी उपभोक्ता पर किस प्रकार दबाव डालते हैं?
उत्तर:
व्यापारी उपभोक्ता को माँगने पर दूसरी वस्तु न दिखाकर अपनी स्वार्थ-पूर्ति हेतु किसी एक ही विशिष्ट ब्राण्ड की वस्तु खरीदने के लिए बाध्य करते हैं।
प्रश्न 7.
अनावश्यक क्रय का क्या कारण है?
उत्तर:
खरीददारी करने से पूर्व योजना तथा सूची न बनाने के कारण उपभोक्ता अनावश्यक क्रय कर लेता है।
प्रश्न 8.
विक्रेता नकली माल का विक्रय किस प्रकार करता है?
उत्तर:
अधिक लाभ प्राप्ति के लालच में विक्रेता अथवा व्यापारी प्रतिष्ठित ब्राण्ड की डुप्लीकेट वस्तु बनाकर बाजार में बेचते हैं।
प्रश्न 9.
उपभोक्ता की प्रमुख समस्याएँ कौन-कौन-सी हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता की प्रमुख समस्याएँ हैं –
- मिलावट
- निम्न श्रेणी का सामान
- कम माप-तौल
- भ्रामक विज्ञापन
- व्यापारिक दबाव
- नकली माल
- अनावश्यक क्रय
- उपभोक्ता की अज्ञानता
- भिन्न एवं अधिक मूल्य
- चयन की समस्या।
प्रश्न 10.
निम्न-स्तर वस्तुएँ क्या होती हैं ?
उत्तर:
गुणवत्ता के मानक पर जा वस्तुएँ पूरी नहीं उतरती, वे निम्नस्तर वस्तुएँ कहलाती हैं।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 32 लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मिलावट क्या है?
उत्तर:
मिलावट (Adulteration):
आज के समय में किसी भी वस्तु की शुद्धता पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। मूल वस्तु में किसी वस्तु का मिश्रण करना अथवा किसी का निष्कासन करना ही मिलावट कहलाता है। मिलावट का असर वस्तु की गुणवत्ता पर पड़ता है। मिलावट जानबूझकर भी की जाती है तथा अनजाने में भी हो जाती है। मिलावट यद्यपि आजकल प्रत्येक पदार्थ में की जाती है किन्तु खाद्य सामग्री में मिलावट करना सामान्य बात है।
खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक रंग, सरसों के तेल में आरजीमोन के तेल की मिलावट, दालों में खेसारी दाल, अनाज में कंकड़-पत्थर की मिलावट आम है। इससे उपभोक्ता को आर्थिक हानि तो उठानी ही पड़ती है, साथ ही स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ड्रॉप्सी, लकवा, अन्धता जैसी बीमारियाँ मिलावट के अधिकतर कारण होती है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए।
(1) कम माप-तौल
(2) अशिक्षित-उपभोक्ता
(3) नकली सामान
उत्तर:
(1) कम माप – तौल (Low or Short Weighing):
उत्पादक तथा विक्रेता इस विधि का प्रयोग उपभोक्ता को ठगने के लिए बहुतायत में करते हैं। इससे उपभोक्ता को अपने धन का पूर्ण मूल्य प्राप्त नहीं हो पाता है। माप-तौल में कमी के अग्रलिखित प्रमुख साधन हैं –
- व्यापारी द्वारा मीटर के माप को काटकर छोटा कर देना।
- गोल डंडी वाले तराजू का प्रयोग करना।
- वस्तु को डिब्बे के साथ तौलना।
- बाट एवं मुहर विभाग वाली जगह का खाली होना।
- बाट के स्थान पर पत्थरों व सिक्कों का प्रयोग करना।
- तराजू के पलड़े के नीचे चुम्बक चिपका देना
- तराजू में हाथ लगाकर कांटे की स्थिति को विस्थापित करना।
(2)अशिक्षित उपभोक्ता (Illiterate Consumer):
अशिक्षित उपभोक्ता को बाजार की दशाओं का कोई ज्ञान नहीं होता। ऐसा उपभोक्ता वस्तु की कीमत से उसकी गुणवत्ता का आकलन करता है। अशिक्षित उपभोक्ता को वस्तुओं के गुण-दोषों की समझ नहीं होती है तथा उत्पादक उसे आसानीपूर्वक ठग सकता है।
(3) नकली माल (Immitated Goods):
अक्सर विक्रेता अधिक लाभांश प्राप्ति के लालच में नकली माल बेचते हैं। ऐसा करने से उनके लाभांश में वृद्धि हो जाती है। उत्पादक किसी प्रतिष्ठित ब्रांड की वस्तु की ऐसी हूबहू नकल बाजार में उतारते हैं कि उसे पहचान पाना कठिन हो जाता है।
प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र के आधार पर उपभोक्ता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
सामान्य अर्थों में तो किसी भी वस्तु का उपभोग करने वाला व्यक्ति उपभोक्ता कहलाता है, किन्तु आर्थिक दृष्टिकोण से “उपभोक्ता से आशय उस व्यक्ति से है जो वस्तुओं तथा सेवाओं को क्रय करने की क्षमता तथा इच्छा रखता हो तथा वास्तविक एवं अंतिम रूप से वस्तुओं तथा सेवाओं का उपभोग अपनी संतुष्टि हेतु करता हो।’ वस्तुओं के संदर्भ में उपभोक्ता किसी वस्तु को धन देकर क्रय करता है, किराए पर लेता है अथवा उधार लेता है। जैसे-भोजन, फल, पुस्तकें, भवन आदि। सेवाओं के संदर्भ में व्यक्ति अथवा उपभोक्ता जो सेवाएँ प्राप्त करता है उसके लिए सेवा प्रदानकर्ता को मौद्रिक भुगतान करता है।
प्रश्न 4.
एक मिठाई वाला आपको किस प्रकार धोखा दे सकता है?
उत्तर:
मिठाई वाले के धोखे की आशंका-एक मिठाई वाला हमें निम्न प्रकार से धोखा दे सकता है –
- गोल डंडी वाले तराजू का प्रयोग करके, क्योंकि इस प्रकार के तराजू को हाथ से झटका देने पर तौल में कमी आ जाती है।
- जिस पलड़े में वह मिठाई तौलकर दे रहा है उसमें नीचे चुम्बक का लगा होने पर।
- कम भार के अथवा अनुचित बाँट-माप का प्रयोग करके।
- मिठाई बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जैसे-दूध, खोया, छैना आदि में अरारोट, चॉक, माँड तथा अन्य अवयवों की मिलावट द्वारा।
- सिंथेटिक रंगों का प्रयोग करके।
- मिठाई में नारियल का बुरादा मिलाकर जिससे वजन में वृद्धि हो जाती है तथा लाभांश बढ़ जाता है।
- मिठाई बनाने के लिए प्रयुक्त होने वाले शुद्ध देशी घी के स्थान पर घटिया किस्म का सस्ता वनस्पति घी प्रयोग करके।
- तौलने में चतुराई से मिठाई की मात्रा कम करके।
प्रश्न 5.
व्यापारी उपभोक्ता पर किस प्रकार दबाव डालते हैं?
उत्तर:
व्यापारी उपभोक्ता को माँगने पर दूसरी वस्तु न दिखाकर अपनी स्वार्थ-पूर्ति हेतु किसी एक ही विशिष्ट ब्राण्ड की वस्तु खरीदने के लिए बाध्य करता है। जिन कम्पनियों से उन्हें अधिक लाभांश देने का लालच दिया जाता है।
प्रश्न 6.
अनावश्यक क्रय का क्या कारण है?
उत्तर:
खरीददारी करने से पूर्व योजना तथा सूची न बनाने के कारण उपभोक्ता अनावश्यक क्रय कर लेता है। इसके अतिरिक्त बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण आकर्षक एवं लुभावने ऑफर एवं मुफ्त उपहार की योजनाएँ उपभोक्ता को अनावश्यक खर्च करने को उकसाते हैं। जगह – जगह सेल में एवं कई प्रतिशत की छूट दिखाकर विक्रेता लोगों को अधिक वस्तुएँ खरीदने पर मजबूर करते हैं। बच्चों से सम्बन्धित सामानों जैसे -चाकलेट, बिस्किट, खिलौने आदि पर इस प्रकार के उपहार रखते हैं कि बच्चे माता-पिता से जिद करके वह सामान लेते हैं।
प्रश्न 7.
उपभोक्ता एवं उत्पादक के लक्ष्य किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता एवं उत्पादक के लक्ष्य उपभोक्ता के लक्ष्य
प्रश्न 8.
एक दूध वाला आपको कैसे धोखा दे सकता है?
उत्तर:
एक दूध वाला हमें निम्न प्रकार से धोखा दे सकता है –
- दूध में पानी मिलाकर हमें देता है।
- दूध से क्रीम निकाल कर हमें बिना क्रीम वाला दूध देता है।
- दूध में अवांछित पशु का दूध मिलाता है।
इन सब के अतिरिक्त आजकल सिंथेटिक दूध बिकने के मामले भी प्रकाश में आए हैं, इस प्रकार के दूध डालडा, डिटर्जेन्ट आदि को मिलाकर बनाया जाता है। जो सभी के स्वास्थ के लिए हानिकारक है। ऐसे दूध के सेवन से बच्चों में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
प्रश्न 9.
निम्न श्रेणी के सामान से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वस्तुओं का परीक्षण करना सम्भव कार्य नहीं है। यदि व्यापारी उच्च गुणवत्ता वाली वस्तु की कहकर, अपेक्षाकृत कम गुणवत्ता वाली वस्तु देता है तो यह निम्न श्रेणी का सामान कहलाता है। इन वस्तुओं का पता उपभोग के बाद ही पता चलता है।
प्रश्न 10.
कुछ वस्तुओं एवं सेवाओं की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
वस्तुओं एवं सेवाओं की सूची तालिका निम्न प्रकार है –
प्रश्न 11.
उपभोक्ता के समक्ष बाजार में क्या कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता के समक्ष बाजार में निम्न कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं –
- उपभोक्ता को बाजार की स्थिति पर निर्भर रहना पड़ता है।
- कई बार उपभोक्ता को जिस वस्तु की आवश्यकता होती है वह उसे बाजार में उपलब्ध नहीं हो पाती।
- कभी-कभी व्यापारी भी उपभोक्ता के साथ अशिष्ट व्यवहार करते हैं।
- यदि उपभोक्ता विक्रेता से मोल-भाव करते हैं अथवा ठीक से तोलने को कहते हैं तो वह उनकी उपेक्षा करने लगता
- व्यापारी अक्सर कालाबाजारी द्वारा सामान की झूठी कमी उत्पन्न करके उसे ऊँचे दामों पर बेचते हैं।
- दुकानदार अक्सर उपभोक्ता को माँगी गई वस्तु के बदले उस कम्पनी की वस्तु खरीदने पर मजबूर करता है, जिससे उसे अधिक लाभांश प्राप्त हो रहा है।
- फल, सब्जी विक्रेता अक्सर सामान कम तोलते हैं। कपड़ा बेचने वाले मुख्यतः कपड़ा कम नापते हैं। इस प्रकार हर स्थान पर लगभग उपभोक्ता को ठगा जाता है।
- निरक्षर व्यक्ति को इन समस्याओं का और अधिक सामना करना पडता है, क्योंकि वह वस्तु के लेबल का नहीं पढ़ सकता अत: दुकानदार द्वारा मूर्ख बना दिया जाता है।
- मिलावटी सामान इतना अधिक बाजार में बिकता है कि उपभोक्ता खरीदते समय यह परख ही नहीं पाता।
- आकर्षक व लुभावने विज्ञापन उपभोक्ता को मनोवैज्ञानिक तरीके से ठगते हैं।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 32 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
उपभोक्ता की समस्याओं को विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
बाजार के उपलब्ध सेवाओं एवं वस्तुओं का उपयोग करने वाला व्यक्ति उपभोक्ता कहलाता है। आजकल बाजार विभिन्न वस्तुओं से भरा हुआ है, उपभोक्ता के लिये चयन करना दुविधाजनक है कि वह क्या खरीदे जो सही दाम व अच्छी गुणवत्ता वाला उत्पाद हो। हमेशा खरीदी गई वस्तु सन्तोषजनक नहीं होती है। या तो विक्रेता ठग चुका होता है या उत्पाद ठीक नहीं निकलता। उपभोक्ता को आज निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है –
(1) निरक्षरता:
भारत में अभी भी पूर्ण साक्षरता नहीं है। गाँव व पिछड़े इलाकों की अभी भी जनता निरक्षर है। निरन्तर व्यक्ति को दुकानदार आसानी से मूर्ख बना लेते हैं। क्योंकि वे वस्तु पर लगे लेबल को नहीं पढ़ सकते। कौन सी वस्तु उनके लिए सही है वे इसका आकलन नहीं कर सकते। अतः जो विक्रेता कहता है वह उस पर ही विश्वास करते हैं। इस प्रकार औषधि विक्रेता तिथि समाप्ति के बाद भी दवा इन्हें बेच देते हैं एवं अधिक मूल्य के घटिया वस्तु दे देते हैं।
(2) चुनाव की समस्या:
बाजार आजकल विभिन्न वस्तुओं से भरा हुआ है। प्रतिस्पर्धा के युग में उत्पादन हर वस्तु का इतना अधिक हो रहा है। विज्ञापन द्वारा बेचने की होड़ बढ़ी हुई है। एक ही वस्तु के विभिन्न ब्राण्ड व अलग-अलग मूल्य देखकर उपभोक्ता असमंजस की स्थिति में रहता है कि वह कौन सा उत्पाद खरीदे।
(3) भ्रामक विज्ञापन:
विपणन का महत्त्वपूर्ण भाग है विज्ञापन। व्यक्ति को भी कंघा लेने पर बाध्य कर दे। अत: कम्पनियां आकर्षक विज्ञापन तैयार कराकर अपने उत्पाद का प्रचार इस प्रकार करती हैं कि व्यक्ति स्वंय को भ्रामक स्थिति में पाता है। कई ऐसी वस्तुओं का महत्त्व विज्ञापनों द्वारा उपभोक्ताओं को समझाया गया है। जिनकी जीवन में कोई आवश्यकता नहीं है। ये कम्पनियाँ बड़ा बजट विज्ञापन में लगाती हैं तथा उसका भार उपभोक्ता की जेब पर पड़ता है। विज्ञापन टी. वी, रेडियों, समाचार-पत्र, होर्डिंग आदि द्वारा उपभोक्ता के अपने आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किए जाते हैं। इन विज्ञापनों से बच्चे जल्दी प्रभावित होते हैं, वे माता-पिता से जिद करके वे वस्तुएँ खरीदते हैं।
(4) दोषयुक्त भार और माप:
दुकानदार / विक्रेता माप-तौल में गड़बड़ करके वस्तु कम तौलते हैं। वे उपभोक्ता की आँख में धूल इस प्रकार झौंकते हैं कि नजर के सामने ही कम तौल कर पूरा पैसा वसूल करते हैं। इसके लिए विक्रेता अपने तराजू में कांटों को हाथ से विस्थापित करते हैं, पलड़े के नीचे चुम्बक लगा देते हैं। अथवा बाँट के स्थान पर पत्थर या सिक्का रखकर कम तौलते हैं।
कपड़ा विक्रेता अपने मीटर को काट कर छोटा करते हैं। अथवा कपड़ा खींच कर मापते हैं। दूध व तेल बेचने वाले मापक लीटर को जगह-जगह से पिचकाकर उसका आयतन कम कर देते हैं जिससे दूध या तेल कम मापन में आता है। सब्जी, फल विक्रेता अक्सर तराजू की डंडी मारते हैं। इस प्रकार हर जगह उपभोक्त को मूर्ख बनाया जाता है।
(5) मिलावट:
खाद्य सामग्री में मिलावट बहुत ही आम है। आजकल ये बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। मिलावटी खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक हैं। इससे ड्रॉप्सी, लकवा, अन्धता जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। विक्रेता अक्सर काली मिर्च में पपीता के बीज, मैदे में चॉक का पाउडर, हल्दी में पीला रंग, लाल मिर्च में ईंट का चूरा, दाल – चावल, गेहूँ में ककंड़-पत्थर, आटे में मिलावट, दाल चीनी में अन्य पेड़ की छाल, सरसों के तेल में अलसी व पीले धतूरे की मिलावट आदि करते हैं। इसी प्रकार पेट्रोल में मिटटी का तेल तथा सीसा मिला दिया जाता है जिससे वाहनों में खराबी आती है।
(6) उपभोक्ता की मानसिकता:
बाजार में मूल्य के अनुसार कई वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं। इनकों गुणवत्ता के मानक के अनुसार देखना अत्यन्त आवश्यक है। सदैव मूल्य के अनुसार गुणवत्ता को नहीं आंका जा सकता। मुख्यतः उपभोक्ता की सोच होती है कि महँगी वस्तु ही श्रेष्ठ होगी। परन्तु सदैव ऐसा नहीं होता है। कई बार कम मूल्य पर भी अच्छी क्वालिटी की वस्तुएँ मिलती हैं। उपभोक्ता को अपनी आकलन क्षमता का इस्तेमाल कर इन वस्तुओं का चयन करना चाहिए।
(7) निम्न स्तर की वस्तुएँ:
बाजार में एक ही प्रकार की अनेक वस्तुएँ उपलब्ध हैं जिनमें से कुछ कम गुणवत्ता वाली होती हैं तथा कुछ गुणवत्ता के सारे मानक पूर्ण करती हैं। सामान्य उपभोक्ता के लिए यह पहचान पाना मुश्किल होता है कि कौन सी वस्तु निम्न स्तरीय हैं एवं कौन सी श्रेष्ठ, क्योंकि निर्माता पैकिंग, भ्रामक विज्ञापन, विपणन शैली, विक्रेता को लोभ देकर निम्न स्तरीय वस्तु मार्केट में भली-भाँति बिकवाते हैं।
(8) कपटपूर्ण लेबल व चिह्न का उपयोग:
अक्सर कई विक्रेता नामी उत्पादों के लेबल पैकिंग, चिह्न आदि की नकल अथवा मिलता-जुलाता बनवाकर अपने उत्पाद बाजार में उतारते हैं। इस प्रकार उपभोक्ता भ्रान्ति में नकली या निम्न गुणवत्ता के उत्पाद ले लेते हैं।
(9) अनावश्यक क्रय:
व्यक्ति बाजार जाते हैं तो अनेक ऐसी लुभावनी वस्तुएँ नजर आती हैं कि वे अनावश्यक खरीददारी कर लेते हैं। इस अनावश्यक खरीद को सबसे अधिक बढ़ावा दिया मॉल या सुपर मार्किट ने। डिस्प्ले में लगा सामान, आकर्षक ऑफर, मुफ्त उपहार आदि उपभोक्ता को अनावश्यक खरीद के लिए उकसाते हैं इससे उपभोक्ता का बजट बिगड़ता है। इनके अतिरिक्त कम्पनियाँ अपना माल निकालने के लिए अनेक ऑफर के साथ प्रदर्शनी लगाती हैं। जिनमें दो की खरीद के साथ एक मुफ्त आदि इस प्रकार के ऑफर दिए जाते हैं। इस प्रकार एक मुफ्त की प्राप्ति के लिए उपभोक्ता एक के स्थान पर दो वस्तु खरीद लेता है।
(10) बाजार की स्थिति पर निर्भरता:
अक्सर हम अपने आसपास के बाजार से सामान खरीदते हैं। वहाँ जो वस्तु उपलब्ध होती है चाहे उसका दाम, गुणवत्ता कुछ भी हो हम वही लेते हैं। क्योंकि अपने स्थान से दूर कोई आवश्यकता की वस्तु लेने नहीं जा सकता इससे धन व समय की हानि होती है ऐसा गाँवों व कस्बों में होता है। इस प्रकार उपरोक्त समस्याओं का सामना दिन – प्रतिदिन उपभोक्ता को करना पड़ता है। अतः उपभोक्ता को जागरुक होना चाहिए तथा इन समस्याओं के निवारण के लिए कदम उठाने चाहिए।
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