Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 8 विशिष्ट बच्चे
RBSE Class 12 Home Science Chapter 8 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) जिन बालकों के गुण समूह प्रतिमानों की अपेक्षा कम या अधिक होते हैं, उन्हें कहते हैं
(अ) साधारण बालक
(ब) अपंग बालक
(स) असाधारण बालक
(द) मन्द – बुद्धि बालक
उत्तर:
(स) असाधारण बालक
(ii) बालकों में शारीरिक अक्षमता हो सकती है –
(अ) जन्मजात
(ब) दुर्घटना के कारण
(स) किसी भयंकर रोग के कारण
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
(iii) मन्द – बुद्धि बालकों को शिक्षा में प्रमुखता देनी चाहिए –
(अ) मानसिक क्रियाओं को
(ब) शारीरिक क्रियाओं को
(स) तनावों को।
(द) इनमें से कोई भी नहीं।
उत्तर:
(ब) शारीरिक क्रियाओं को
(iv) बौद्धिक कुशलता में पिछड़े हुए बालकों को कहते हैं –
(अ) दुर्बल
(ब) निर्बल
(स) निडर
(द) मन्द – बुद्धि बालक
उत्तर:
(द) मन्द – बुद्धि बालक
(v) मन्द-बुद्धि बालकों की बुद्धि – लब्धि (IQ) से………..कम होती है –
(अ) 70 – 85
(ब) 90 – 95
(स) 95 – 100
(द) 105 – 110
उत्तर:
(अ) 70 – 85
(vi) सामाजिक रूप से अक्षम बालक होते हैं –
(अ) जो दिखने में असामान्य होते हैं।
(ब) जिनका समाज में कोई स्थान नहीं होता है।
(स) जिनका सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक स्तर निम्न होता है।
(द) जो पढ़ने विद्यालय नहीं जाते।
उत्तर:
(स) जिनका सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक स्तर निम्न होता है।
(vii) सामाजिक रूप से अक्षम बालक एक सफल व्यक्तित्व से परिपूर्ण बन सकता है, यदि उसे –
(अ) कुशल निर्देशन मिले
(ब) शिक्षा के पूर्ण अवसर मिलें
(स) प्रोत्साहन मिले
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. असाधारण बालकों की विशेषताएँ उनकी व्यावहारिक………….और………….को प्रभावित करती हैं।
2. उचित प्रकार से…………..और……….देकर अक्षम बालकों को भी समाज का उपयोगी सदस्य बनाया जा सकता है।
3. पूर्णतया अन्धे बालकों को अन्ध विद्यालय में…………..पद्धति से शिक्षा दी जानी चाहिए।
4. बालक जो बोलने एवं सुनने में असमर्थ होते हैं उन्हें…………..बालक कहते हैं।
5. शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी, लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी या दोषपूर्ण रचना आदि के कारण बालक…………..हो जाते हैं।
6. मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्ति स्वयं अपना काम करने एवं अपनी सहायता करने के…………..होते हैं।
7. मन्द – बुद्धि बालकों की रुचियों को विकसित करके उन्हें…………..तथा…………..आदि की शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
8. प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धि लब्धि…………..अधिक होती है।
उत्तर:
1. प्रतिक्रियाओं, कार्यों
2. शिक्षा, प्रशिक्षण
3. ब्रेल
4. मूक – बधिर
5. निर्बल
6. अयोग्य
7. संगीत, चित्रकला
8. 130 -140
प्रश्न 3.
असाधारण या विशिष्ट बालक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
असाधारण या विशिष्ट बालक:
प्रत्येक बालक वातावरण एवं वंशानुक्रम के आधार पर दूसरे बालकों से भिन्न होता है। इसी भिन्नता के कारण बालकों के शारीरिक एवं मानसिक गुणों में पर्याप्त भिन्नता पायी जाती है। प्रत्येक देश, समाज एवं समूह के बालकों में समूह प्रतिमानों (Group norms) की अपेक्षा अधिक गुण पाये जाते हैं, यद्यपि कुछ बालक ऐसे होते हैं जिनमें ये गुण कम मात्रा में पाये जाते हैं। प्रत्येक समूह के अधिकांश बालकों के गुण समूह प्रतिमानों के अनुरूप होते हैं, उन्हें सामान्य बालक कहते हैं तथा जिन बालकों में ये गुण समूह प्रतिमानों से अधिक या कम मात्रा में पाये जाते हैं, उन्हें विशिष्ट बालक कहते हैं।
अत: विशिष्ट बालकों के सन्दर्भ में हम कह सकते हैं – विशिष्ट या असाधारण बालक वे हैं। जिनमें समूह प्रतिमानों की अपेक्षा अधिक या कम मात्रा में गुण पाये जाते हैं। ये गुण उनकी बुद्धि, शारीरिक आकार – प्रकार, सामाजिक व्यवहार, समायोजन, संवेग, भाषा आदि किसी भी एक या अधिक क्षेत्रों से सम्बन्धित हो सकते हैं। “क्रो एण्ड क्रो के अनुसार-“विशिष्ट शब्द किसी विशेष लक्षण अथवा किसी ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त किया जाता है। जो विशेष लक्षणों से युक्त हो, जिसके कारण व्यक्ति अपनी साथियों का विशेष ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।”
प्रश्न 4.
टिप्पणी लिखो –
1. समस्यात्मक बालक
2. अपचारी बालक
3. प्रतिभाशाली बालक
उत्तर:
1. समस्यात्मक बालक:
प्रत्येक बालक को जीवित रहने के लिए नये वातावरण में समायोजन करना आवश्यक होता है। सामान्य बालक जब वातावरण के साथ समायोजन करने में सफल नहीं होता है तो वे समस्यात्मक बन जाते हैं। जब बालकों की इच्छा की पूर्ति न हो, परिवार व समाज का उचित मार्गदर्शन न मिले, प्रेम का अभाव हो, कठोर नियंत्रण हो उनकी उपेक्षा की जाय तो इन समस्याओं का लगातार उनके जीवन में आने के कारण बालक का व्यवहार समस्यात्मक हो जाता है।
समस्यात्मक बालक अंगूठा चूसता है, नाखून काटता है, बिस्तर गीला कर देता है, झूठ बोलता है, चोरी करता है, बोलने में हकलाता है। बालक दिवा स्वप्न देखने लगता है तथा भयभीत रहता है। ये बालक ईष्यालु तथा क्रोधी स्वभाव के होते। हैं। माता – पिता, शिक्षक व अन्य लोग शुरू से ही बालक की समस्या का निराकरण उचित निर्देशन में करें तो उसका व्यवहार कुछ समय में सामान्य किया जा सकता है।
2. अपचारी बालक:
जब कोई व्यक्ति समाज द्वारा बनाये गये नियमों को तोड़ती है तो उसे “अपराधी’ की संज्ञा दी जाती है।” जब इन्हीं सामाजिक नियमों को कोई बालक तोड़ता है तो उसे “अपचारी बालक” कहा जाता है। बाल अपराध के कई वंशानुगत वातावरण सम्बन्धी कारक होते हैं। बाल अपराधों को रोकने के लिए पारिवारिक, विद्यालयी प्रयास व सामाजिक प्रयास किये जाने चाहिए। “अपचारी बालकों की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए तथा उनका निराकरण करना चाहिए।” बाद में अपचारी बालक ही “अपराधी” के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
3. प्रतिभाशाली बालक:
औसत से अधिक बुद्धि लब्धि वाले बालकों को प्रतिभाशाली बालक कहा जाता है। इनकी बुद्धि लब्धि 130 – 140 से अधिक होती है। टारमैन के अनुसार, “140 बुद्धि लब्धि से ऊपर वाले बालक प्रतिभावान कहलाते हैं।” प्रतिभाशाली बालक सामान्य बालकों से अलग होते हैं। इनका स्वास्थ्य भी सामान्य बालकों की अपेक्षा अच्छा होता है। इनका व्यक्तित्व भी आकर्षक होता है। इन बच्चों में एकाग्रता, ग्रहणशीलता, समायोजन की क्षमता, संवेगात्मक परिपक्व और तर्क शक्ति विलक्षण होती है।
प्रतिभाशाली बालकों के लिए विद्यालय में पृथक कक्षाओं की व्यवस्था, विस्तृत पाठ्यक्रम, शिक्षकों द्वारा व्यक्तिगत शिक्षण तथा पुस्तकालय की सुविधा की व्यवस्था की जा सकती है। प्रोत्साहन, पुरस्कार और सहगामी क्रियाओं द्वारा भी इन्हें प्रोत्साहन दिया जा सकता है। प्रतिभाशाली बालकों के माता – पिता व अभिभावकों को सर्वप्रथम अपने बच्चों की जिज्ञासाओं को संतुष्ट करना चाहिए। इन बालकों को साधन, स्वतंत्रता आदि सुविधाएँ प्राप्त करानी चाहिए।
प्रश्न 5.
बालक शारीरिक एवं सामाजिक रूप से सक्षम किन – किन कारणों से हो सकता है?
उत्तर:
शारीरिक एवं सामाजिक रूप से बालक असक्षम निम्न कारणों से हो सकता है –
(1) शारीरिक अक्षमता के कारण:
1. वंशानुक्रम (Heredity):
बालकों में कुछ शारीरिक दोष वंशानुक्रम के कारण होते हैं अथवा जब शिशु माँ के गर्भ में होता है तब किसी आघात आदि के कारण होते हैं।
2. दोषपूर्ण वातावरण (Defective environment):
कभी – कभी दोषपूर्ण अंगों का कारण दोषपूर्ण वातावरण होता है। जन्म के समय अथवा जन्म के बाद दोषपूर्ण वातावरण बालक को शारीरिक रूप से प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप बालक में दोषपूर्ण अंगों का विकास होता है।
3. बीमारी (Illness):
अधिक अथवा गम्भीर बीमारी के कारण भी बालकों के अंगों का विकास दोषपूर्ण हो जाता है।
4. दुर्घटनाएँ (Accidents):
विभिन्न दुर्घटनाएँ भी बालक के दोषपूर्ण अंगों के विकास में सहायक होती हैं। यह दुर्घटना किसी भी समय हो सकती है। गर्भावस्था में होने पर माता का दुर्घटनाग्रस्त होना अथवा जन्म के पश्चात् बड़े होने पर किसी प्रकार की दुर्घटना आदि का शिकार होने पर बालक में विकलांगता आ जाती है।
5. सामाजिक – आर्थिक स्थिति (Socio – economic status):
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कारमाइकेल (Carmichael) के अनुसार, दुर्बल सामाजिक व आर्थिक स्तर के बालक उच्च सामाजिक-आर्थिक स्तर वाले बालकों की तुलना में अधिक विकलांग होते हैं।
6. आयु (Age):
प्रायः देखा जाता है कि छः-सात वर्ष की अवस्था में बालकों में अधिक दुर्बलता होती है। अत: इस अवस्था में उनके अंगों के दोषपूर्ण होने की सम्भावना अधिक होती है।
7. लिंग (Sex):
लड़के ल कियों की अपेक्षा अधिक दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। अतः उनके अंगों के दोषपूर्ण होने की अधिक सम्भावना होती है।
2. सामाजिक रूप से असक्षमता के कारण:
1. गरीबी:
बालकों के माता – पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण भी बालकों में असक्षमता आ जाती है। वे बालक का उपचार नहीं करा पाते हैं। अतः बालकों की समस्या और अधिक बढ़ती रहती है। यही कारण है कि गरीबों के बच्चे अधिक असक्षम होते हैं।
2. अशिक्षा:
अशिक्षित होने के कारण बालक की असक्षमता का निराकरण नहीं हो पाता है। इन बच्चों को सामान्य बच्चों की तरह सुविधाएँ नहीं मिल पाती हैं। इसके कारण बच्चों में हीन भावना जाग्रत हो जाती है।
3. लिंगभेद:
सामाजिक रूप से समाज में लड़कों को अधिक महत्त्व दिया जाता है। अतः लड़कियों की असक्षमता पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। अत: लिंग भेद के कारण लड़कियों में असक्षमता अधिक होती है।
4. जातिवाद:
उच्च व निम्न जाति की भावना समाज की एक बुराई है। इस भावना के कारण भी बच्चों में असक्षमता एक कारण बन जाती है। उच्च जाति का व्यक्ति असमक्षता के प्रति सजग रहता है जबकि निम्न जाति के लोगों में इसके प्रति गंभीरता नहीं होती है।
5. सांस्कृतिक कारण:
बौद्धिक स्तर पर शहरी व देहाती क्षेत्रों में रहन-सहन, रीति-रिवाज एवं सुख-सुविधाओं का गहरा प्रभाव पड़ता है। बालक के माता-पिता यदि बुद्धिमान होते हैं तो उनके बच्चों का बौद्धिक स्तर भी अधिकतर उत्तम होता है। कम बुद्धि वाले माता-पिता के बच्चे भी कम बुद्धि वाले होंगे। देहातों में शहरों की अपेक्षा बौद्धिक विकास के साधन कम ही प्राप्त होते हैं। अतः सामान्यतः शहरी क्षेत्र के बालकों का बौद्धिक स्तर देहाती क्षेत्रों के बालकों से अधिक होता है।
6. गृह विच्छेदन:
असक्षम बालक परिवार की अवहेलना द्वारा कभी-कभी गृह का परित्याग कर भाग जाते हैं। जिससे उनकी असक्षमता का उपचार करना संभव नहीं हो पाता।
प्रश्न 6.
मन्द – बुद्धि बालक को भी समाज का एक उपयोगी सदस्य बनाया जा सकता है। कैसे? उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
मन्द – बुद्धि बालक को निम्न प्रकार की बातों को ध्यान में रखकर समाज का उपयोगी सदस्य बनाया जा सकता हैं –
- मन्द – बुद्धि बालकों की शिक्षा में शारीरिक क्रियाओं को प्रमुखता देनी चाहिए।
- ज्ञानेन्द्रियों के प्रशिक्षण द्वारा इन बालकों की निरीक्षण शक्ति बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।
- मन्द – बुद्धि बालकों की रुचियों को विकसित करके उन्हें संगीत तथा चित्रकला आदि की शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
- उनके प्रति किसी प्रकार की दया या दयाभाव (Sympathy) न रखकर उन्हें सम्पूर्ण स्नेह प्रदान करें।
- सामुदायिक सुविधाओं में उनका ध्यान रखें। जैसे – साइन बोर्डो को स्पष्ट होना तथा ऊँचे – नीचे होने की बजाय समान धरातल पर होना।
- उनके आत्मविश्वास को जगायें।
- उन्हें विशिष्ट रोजगारपरक प्रशिक्षण दें तथा उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को प्रदर्शित करें।
- समय – समय पर प्रोत्साहित करें।
प्रश्न 7.
आपके पड़ोस में एक शारीरिक रूप से अपंग बालक है। आप उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे ? कक्षा में अध्यापक की सहायता से चर्चा करें।
उत्तर:
हमारे पड़ोस में यदि शारीरिक रूप से अपंग बालक है तो हम उसके साथ निम्न प्रकार से व्यवहार करके आत्मनिर्भर बना सकते हैं –
- पूर्ण रूप से नेत्र विकलांग को नेत्रहीनों के लिए बने विद्यालय में भेजना चाहिए ताकि वे ब्रेल विधि (Braille system) द्वारा पढ़कर समाजोपयोगी, व्यावसायिक तथा अन्य कलाओं, जैसे – हस्तकला, गाना आदि में निपुणता प्राप्त कर सकें।
- आंशिक रूप से नेत्र विकलांग बालकों को अध्ययन के लिए कन्जरवेशन कक्षा में बैठाया जाना चाहिए जहाँ बड़े छापों वाली पुस्तकों एवं सामग्री का उपयोग किया जा सके।
- सामान्य विद्यालयों में दोषयुक्त नेत्रों में सुधार का प्रावधान होना चाहिए तथा वातावरणजनित प्रभावों के कारण दूषित नेत्र शक्ति को ध्यान में रखकर विद्यालयों में उचित प्रकाश की व्यवस्था करनी चाहिए।
- पड़ोस के शारीरिक रूप से अपंग बालक के लिए विशिष्ट उपकरणों; जैसे – कृत्रिम हाथ, पैर, व्हील चेअर आदि का प्रबन्ध कर उन्हें व्यावसायिक शिक्षा दिलवाने का प्रबन्ध करना चाहिए, जिससे आत्मनिर्भर बनने में शारीरिक अक्षमता बाधक न हो।
- सामुदायिक सुविधाओं में उनका खास ख्याल रखें। जैसे – साइन बोर्डो का स्पष्ट होने तथा ऊँचा – नीचा होने की बजाय समान धरातल पर होना।
- उनके आत्मविश्वास को जगायें, उन्हें विशिष्ट रोजगारपरक प्रशिक्षण दें तथा उनके द्वारा बनायी गयी कलाकृतियों को प्रदर्शित कर, उन्हें समय-समय पर प्रोत्साहित करें।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 8 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 8 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सामाजिक रूप से असक्षम बालक होते हैं –
(अ) जो दिखने में असामान्य होते हैं।
(ब) जिनका समाज में कोई स्थान नहीं होता
(स) जिनका सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक स्तर निम्न होता है।
(द) जो विद्यालय में पढ़ने नहीं जाते हैं।
उत्तर:
(स) जिनका सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षिक स्तर निम्न होता है।
प्रश्न 2.
सामाजिक रूप से अक्षम बालक एक सफल व्यक्तित्व से परिपूर्ण बन सकता है, यदि इसे
(अ) कुशल निर्देशन मिले।
(ब) शिक्षा के पूर्ण अवसर मिलें
(स) प्रोत्साहन मिले
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 3.
अन्धे बालकों को शिक्षा जिस विधि से दी जाती है, कहलाती है
(अ) विशेष विधि
(ब) जटिल विधि
(स) ब्रेल विधि या पद्धति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) ब्रेल विधि या पद्धति
प्रश्न 4.
नाजुक बालक होते हैं, जिनकी
(अ) कार्यक्षमता कम होती है।
(ब) जिन्हें कम सुनाई देता है।
(स) जो हकलाते हैं।
(द) जो बोल तो सकते हैं पर सुन नहीं पाते हैं।
उत्तर:
(अ) कार्यक्षमता कम होती है।
प्रश्न 5.
प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धि लब्धि होती है
(अ) 110 – 120
(ब) 130 – 140
(स) 140 – 150
(द) 100 – 120
उत्तर:
(ब) 130 – 140
प्रश्न 6.
समस्यात्मक बालक वह होता है जो
(अ) झूठ बोलता है।
(ब) चोरी करता है।
(स) क्रोधी होता है।
(द) ये तीनों कार्य करता है।
उत्तर:
(द) ये तीनों कार्य करता है।
प्रश्न 7.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. जिन बालकों के गुण समूह मानदण्डों के…………होते हैं, उन्हें सामान्य बालक कहते हैं।
2. मानसिक रूप से …………व्यक्ति स्वयं अपना कार्य करने में अयोग्य होते हैं।
3. जिन बालकों की बुद्धि लब्धि 130 – 140 से अधिक होती है, वह ………… बालकं होता है।
4. जिन बालकों की ………… व अस्थियाँ पूर्ण विकसित नहीं होती हैं, अक्षम या अपंग बालक कहलाते हैं।
5. वाणी का दोष ………… या मानसिक कारणों से होता है।
6. सामाजिक नियमों को तोड़ने वाला बालक ………… बालक कहलाता है।
उत्तर:
1. अनुरूप
2. दुर्बल
3. प्रतिभाशाली
4. माँसपेशियाँ
5. शारीरिक
6. अपचारी।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 8 अति लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
साधारण बालकों की विशिष्टता किन – किन भाषा आदि किसी भी एक या अधिक क्षेत्रों से सम्बन्धित क्षेत्रों से सम्बन्धित होती है? होती है।
उत्तर:
साधारण बालकों की विशेषताएँ उनकी बुद्धि,
प्रश्न 2.
असाधारण बालक कितने प्रकार के होते हैं? शरीर, सामाजिक व्यवहार, समायोजन की क्षमता, संवेग,
उत्तर:
असाधारण बालक आठ प्रकार के होते हैं।
प्रश्न 3.
असाधारण बालकों की विशेषताओं का उन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
असाधारण बालकों की विशेषताएँ उनकी व्यावहारिक प्रतिक्रियाओं और कार्यों को प्रभावित करती हैं। तथा इनके कारण इन बालकों के साथियों का ध्यान भी इनकी ओर आकर्षित होता है।
प्रश्न 4.
शारीरिक रूप से असक्षम बालक कौन से होते हैं?
उत्तर:
शारीरिक रूप से अक्षम बालक वे बालक होते हैं जिनके शारीरिक दोष उन्हें साधारण क्रियाओं में भाग लेने से रोकते हैं अथवा सीमित रखते हैं। उनकी सामान्य बुद्धि, विकास एवं सीखने की क्षमताओं पर प्रभाव डालते हैं।
प्रश्न 5.
शारीरिक असक्षमता किन कारणों से हो सकती है?
उत्तर:
शारीरिक असक्षमता जन्मजात, दुर्घटनावश अथवा किसी भयंकर बीमारी के परिणामस्वरूप हो सकती है।
प्रश्न 6.
शारीरिक अक्षमता के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
शारीरिक अक्षमता के प्रकार – निर्बल या नाजुक,.मूक एवं बधिर, हकलाने तथा वाणी दोष वाले, अन्धे तथा कमजोर नजर वाले।
प्रश्न 7.
कम अपंग बालकों को किन क्रियाओं द्वारा सामान्य बनाया जा सकता है?
उत्तर:
कम अपंग बालकों को व्यायाम, खेलकूद आदि क्रियाओं द्वारा सामान्य बनाया जा सकता है।
प्रश्न 8.
अन्धे बालकों को किस पद्धति से शिक्षा दी जाती है?
उत्तर:
अन्धे बालकों को ब्रेल पद्धति (Braille method) से शिक्षा दी जाती है।
प्रश्न 9.
मूक बधिर बालक को शिक्षा देने की पद्धति क्या है?
उत्तर:
मूक बधिर बालक को ओष्ठ पठन विधि द्वारा शिक्षा दी जाती है।
प्रश्न 10.
मूक बधिर बालक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे बालक जो बोलने एवं सुनने में असमर्थ होते हैं, मूक बधिर बालक कहलाते हैं।
प्रश्न 11.
दोषपूर्ण वाणी वाले बालक किस प्रकार बोलते हैं?
उत्तर:
दोषपूर्ण वाणी वाले बालकों के स्वर अस्पष्ट होते हैं, ये नाक से बोलते हैं। उनका स्वर कर्कश होता है तथा वे हकलाते व तुतलाते हैं।।
प्रश्न 12.
दोषपूर्ण वाणी वाले बालकों को किस प्रकार की व्यावसायिक शिक्षा दी जानी चाहिए?
उत्तर:
दोषपूर्ण वाणी वाले बालकों को लकड़ी का काम, कुर्सी बुनना, दर्जी का काम, मिट्टी के खिलौने बनाना, चित्रकला, मूर्तिकला आदि प्रशिक्षण देने चाहिए।
प्रश्न 13.
मानसिक मन्दता का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
मानसिक मन्दता का अर्थ है – औसत से कम मानसिक योग्यता।।
प्रश्न 14.
मन्द – बुद्धि बालक किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
मन्द – बुद्धि बालक में सोचने, समझने और विचार करने की शक्ति कम होती है।
प्रश्न 15.
मन्द-बुद्धि बालकों की बुद्धि – लब्धि कितनी होती है ?
उत्तर:
मन्द-बुद्धि बालकों की बुद्धि – लब्धि 70 – 85 से कम होती है।।
प्रश्न 16.
मन्द – बुद्धि बालकों के दो लक्षण बताइए।
उत्तर:
- इनमें आत्मविश्वास का अभाव होता है।
- इनकी संकल्प शक्ति बहुत कम होती है।
प्रश्न 17.
विभिन्न प्रकार के बालकों में शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक अक्षमता के क्या कारण हैं?
उत्तर:
आनुवंशिकता तथा वातावरण में भिन्नता।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 8 लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
असाधारण बालक किसे कहते हैं?
अथवा
असाधारण बालक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जिन बालकों में समूह प्रतिमानों की अपेक्षा कम या अधिक गुण पाये जाते हैं उन्हें विशिष्ट या असाधारण बालक कहते हैं।
असाधारण बालक की परिभाषा:
क्रो एवं क्रो के अमुसार, “वह बालक जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और संवेगात्मक आदि विशेषताओं में औसत से विशिष्ट हो और यह विशिष्टता इस स्तर की हो कि उसे अपनी विकास – क्षमता की उच्चतम सीमा तक पहुँचने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता हो, असाधारण या विशिष्ट बालक कहलाता है।”
प्रश्न 2.
शारीरिक रूप से अक्षम बालक प्रायः अन्य बालकों से कैसे पिछड़ जाते हैं?
उत्तर:
मानसिक दृष्टि से उपयुक्त होने पर भी अपनी शारीरिक विकृति के कारण शारीरिक रूप से अक्षम बालकों को समाज में और जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन करने में न केवल कठिनाई उठानी पड़ती है बल्कि उपहास का पात्र भी बनना पड़ता है। फलतः इन बालकों में हीनता की भावना उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार ये बालक अन्य बालकों की अपेक्षा पिछड़ने लगते हैं।
प्रश्न 3.
शारीरिक अक्षमता कितने प्रकार की होती है? लिखिए।
उत्तर:
शारीरिक अक्षमता निम्न प्रकार की हो सकती है –
- अपंग (Crippled)
- अन्धे तथा कमजोर नजर वाले (Blind and weak sighted)
- मूक एवं बधिर (Deaf and dumb) तथा कम सुनने वाले (Hard hearing)
- निर्बल या नाजुक (Weak)
- हकलाने वाले तथा दोषमुक्त वाणी वाले (Stuttering and stammering)।
प्रश्न 4.
बालकों में निर्बलता का क्या कारण है? ऐसे बालकों के प्रति कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
उत्तर:
शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी, लम्बे समय चलने वाली बीमारी या दोषपूर्ण रचना आदि के कारण बालक निर्बल हो जाते हैं। ऐसे बालकों को अधिक थकान वाले खेल नहीं खेलना चाहिए, पढ़ाई के बीच – बीच में आराम देना चाहिए, पौष्टिक आहार देने चाहिए तथा समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण कराना चाहिए। इसके साथ ही बालकों का आत्मविश्वास भी बढ़ाना चाहिए।
प्रश्न 5.
मानसिक रूप से अक्षम बालकों की क्या पहचान है? वर्णन कीजिए।
अथवा
मानसिक रूप से अक्षम बालकों की चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मन्द – बुद्धि बालक की परिभाषा – “औसत से कम मानसिक योग्यता वाले बालक को मन्द-बुद्धि बालक कहते हैं।” मानसिक मन्दता या मन्द – बुद्धि वाले बालकों की बुद्धि – लब्धि (Intelligence quotient) साधारण बालकों की बुद्धि – लब्धि से कम होती है। अतः उनमें विभिन्न मानसिक शक्तियों की न्यूनता होती है।
मन्द-बुद्धि बालक की विशेषताएँ –
मानसिक रूप से अक्षम बालकों की निम्न प्रमुख विशेषताएँ होती हैं –
- इन बालकों में ध्यान केन्द्रण की क्षमता बहुत कम होती है।
- किसी चीज को सीखने में ये अत्यधिक त्रुटियाँ करते हैं।
- ये किसी भी सीखी गई बात का नवीन परिस्थितियों में उपयोग नहीं कर पाते हैं।
- इन बालकों की स्मरण शक्ति तथा निरीक्षण शक्ति बहुत कमजोर होती है।
- इनकी रुचि बौद्धिक कार्यों की अपेक्षा शारीरिक कार्यों में अधिक होती है।
- ये बालक विद्यालय की परीक्षाओं में बार-बार असफल व अनुत्तीर्ण हो जाते हैं।
- विद्यालयी असफलता से इन्हें अति शीघ्र निराशा होती है।
- ये बालक अत्यधिक संवेदनशील होते हैं तथा इनका अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं होता है।
- किसी भी प्रकार की छोटी से छोटी बात भी इन्हें चुभ जाती है।
- किसी से बात करते समय ये कहने की अपेक्षा सुनते अधिक हैं।
- इन्हें दूसरे व्यक्तियों की अपेक्षा अपनी घिन्ता अधिक रहती है।
- सूक्ष्म विषयों पर विचार कर पाना इन बालकों के लिए संभव नहीं होता है। अत: गणित, विज्ञान तथा व्याकरण जैसे विषयों में इन बालकों की रुचि नहीं होती है।
- इन बालकों में संकल्प शक्ति (Determination power) बहुत ही कम होती है, जिसके फलस्वरूप ये दृढ़ निश्चय नहीं कर पाते हैं।
- आत्मविश्वास (Self Confidence) के अभाव के परिणामस्वरूप ये बालक निर्णय नहीं ले पाते हैं।
- इन बालकों की बुद्धि – लब्धि 70 – 85% कम होती है।
प्रश्न 6.
विद्या एक नेत्रहीन बालिका है? उसे आप अपनी कक्षा में व्यवस्थित कराने में किस प्रकार मदद करेंगे?
उत्तर:
यद्यपि अंधे बच्चों के लिए अलग से कक्षाओं की व्यवस्था होती है। ऐसे बालकों को ब्रेल लिपि द्वारा पढ़ाया जाता है। फिर भी ऐसी बालिका को हम अपने पास बिठाकर, उसे उसकी शिक्षण सामग्री देकर, उसके न लिख पाने की स्थिति में उसकी सहायता करके अपनी कक्षा में व्यवस्थित कर सकते हैं। इसके अलावा उसका मनोबल बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
प्रश्न 7.
अपंग बालकों के प्रति अपनाये जाने वाले व्यवहार को समझाइए।
उत्तर:
दोषपूर्ण शरीर रचना के कारण बालक अपंग (Crippled) हो जाता है। बालक किसी दुर्घटना या रोग के कारण या फिर गर्भावस्था में ही विकलांग हो जाते हैं। अपंग बालक साधारण अवस्था में अपनी हड्डियों या मांसपेशियों को ठीक – ठीक प्रयोग नहीं कर पाते। ऐसे बालकों के लिए अपंगतानुसार विशिष्ट उपकरण: जैसे – कृत्रिम हाथ – पैर, व्हील चेयर आदि का उपयोग किया जाना चाहिए।
अधिक अपंग बालकों को उनके लिए अलग से बने विशिष्ट विद्यालयों में शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्हें इस प्रकार की व्यावसायिक शिक्षा दी जानी चाहिए, जिसमें उनकी शारीरिक अक्षमता बाधक नहीं है। कम अपंग बालकों को विविध क्रियाओं द्वारा व्यायाम, खेलकूद आदि के द्वारा सामान्य बनाने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।
प्रश्न 8.
असामान्य पारिवारिक संरचना तथा सामाजिक व्यवस्था किस प्रकार बालक में मानसिक अक्षमता लाती है?
उत्तर:
असामान्य पारिवारिक संरचना; जैसे – तलाकशुदा माता / पिता, माता – पिता का पृथक् हो जाना, अनाथ, अविवाहित माता आदि परिवारों के बालकों में सामाजिक अक्षमता उत्पन्न हो जाती है। ऐसे बालक दूसरे बालकों के परिवारों को देखकर अपने को हीन समझते हैं। साथ ही समाज के कुछ लोग भी इन्हें हेयदृष्टि से देखते हैं। इन स्थितियों के चलते बालक सामाजिक रूप से अक्षम होने लगता है।
सामाजिक व्यवस्था; जैसे – जाति, वर्ग, लिंग आदि भी बालकों में कभी – कभी अक्षमता का कारण बन जाती है। जातीय ऊँच – नीच की व्यवस्था लड़का एवं लड़की में भेदभाव होना आदि बालक के मन – दिमाग पर असर डालते हैं। ऐसी स्थिति में बालक समाज के प्रति विद्रोही हो जाता है। उच्च जाति या वर्ग का हूँ/नहीं हूँ, वह लड़का है, मैं लड़की क्यों हूँ आदि विचार बालक के मन-मस्तिष्क पर छाने लगते हैं। सही हल न मिलने पर बालक अक्षमता का शिकार होने लगता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 8 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
शारीरिक रूप से अक्षम बालक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
शारीरिक रूप से अक्षम बालक के प्रकार निम्नलिखित हैं –
1. अन्धे या कमजोर नजर वाले बालक (Blind and partially seeing children):
कमजोर नजर वाले बालक वे होते हैं जो उपचार अथवा चश्मे के द्वारा अपनी आँखों की रोशनी को ठीक रख पाते हैं तथा थोड़ी-बहुत कठिनाई के पश्चात् समायोजन स्थापित कर लेते हैं। अन्धे बालक वे होते हैं जो जन्म से अन्धे होते हैं अथवा दुर्घटनावश उनकी आँखों की रोशनी चली जाती है।
2. श्रवण विकलांगता (Audi-ally handicapped):
श्रवण विकलांगता में बालक सुन नहीं पाता तथा मौखिक रूप से शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ होता है। श्रवण अक्षमता में दो प्रकार के बालक होते हैं
- पूर्ण बधिर बालक एवं
- आंशिक बधिर बालक।
3. वाक् या वाणी विकलांगता (Speech handicapped):
वाणी दोष से ग्रसित बालकों की आवाज अस्पष्ट तथा असंगत होती है। ऐसे बालक या तो हकलाते हैं या तुतलाते हैं।
4. अपंग बालक (Crippled children):
अपंग बालक वे बच्चे कहलाते हैं जो अपाहिज होते हैं, जिनकी मांसपेशियाँ तथा हड्डियाँ दोषपूर्ण ढंग से विकसित होती हैं।
5. नाजुक बालक (Delicate children):
ये वे बालक होते हैं जो शारीरिक रूप से दुर्बल होते हैं तथा उनका हृदय कमजोर होता है।
प्रश्न 2.
मन्द – बुद्धि बालक को परिभाषित करते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
अथवा
मानसिक रूप से असक्षम बालकों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मन्द – बुद्धि बालक की परिभाषा – “औसत से कम मानसिक योग्यता वाले बालक को मन्द-बुद्धि बालक कहते हैं।” मानसिक मन्दता या मन्द – बुद्धि वाले बालकों की बुद्धि – लब्धि (Intelligence quotient) साधारण बालकों की बुद्धि – लब्धि से कम होती है। अतः उनमें विभिन्न मानसिक शक्तियों की न्यूनता होती है।
मन्द – बुद्धि बालक की विशेषताएँ –
मानसिक रूप से अक्षम बालकों की निम्न प्रमुख विशेषताएँ होती हैं –
- इन बालकों में ध्यान केन्द्रण की क्षमता बहुत कम होती है।
- किसी चीज को सीखने में ये अत्यधिक त्रुटियाँ करते हैं।
- ये किसी भी सीखी गई बात का नवीन परिस्थितियों में उपयोग नहीं कर पाते हैं।
- इन बालकों की स्मरण शक्ति तथा निरीक्षण शक्ति बहुत कमजोर होती है।
- इनकी रुचि बौद्धिक कार्यों की अपेक्षा शारीरिक कार्यों में अधिक होती है।
- ये बालक विद्यालय की परीक्षाओं में बार – बार असफल व अनुत्तीर्ण हो जाते हैं।
- विद्यालयी असफलता से इन्हें अति शीघ्र निराशा होती है।
- ये बालक अत्यधिक संवेदनशील होते हैं तथा इनका अपने संवेगों पर नियंत्रण नहीं होता है।
- किसी भी प्रकार की छोटी से छोटी बात भी इन्हें चुभ जाती है।
- किसी से बात करते समय ये कहने की अपेक्षा सुनते अधिक हैं।
- इन्हें दूसरे व्यक्तियों की अपेक्षा अपनी घिन्ता अधिक रहती है।
- सूक्ष्म विषयों पर विचार कर पाना इन बालकों के लिए संभव नहीं होता है। अत: गणित, विज्ञान तथा व्याकरण जैसे विषयों में इन बालकों की रुचि नहीं होती है।
- इन बालकों में संकल्प शक्ति (Determination power) बहुत ही कम होती है, जिसके फलस्वरूप ये दृढ़ निश्चय नहीं कर पाते हैं।
- आत्मविश्वास (Self Confidence) के अभाव के परिणामस्वरूप ये बालक निर्णय नहीं ले पाते हैं।
- इन बालकों की बुद्धि – लब्धि 70 – 85% कम होती है।
प्रश्न 3.
सामाजिक रूप से अक्षम बालक कौन से होते हैं? उनमें कौन-सी विशेषताएँ निहित होती हैं?
उत्तर:
सामाजिक रूप से अक्षम बालक:
सामाजिक रूप से अक्षम बालक भी शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बालकों के समान होते हैं। ये वे बच्चे होते हैं। जो सामाजिक व्यवस्था जैसे – जाति, वर्ग, लिंग व असामान्य सांस्कृतिक स्तर अर्थात् जिनकी कोई अपनी संस्कृति नहीं होती, असामान्य पारिवारिक संरचना आदि के कारण सामान्य बालक की तरह सक्षम होते हैं।
इन बच्चों को सामान्य बच्चों के समान समाज में पहचान, सम्मान, सुविधाएँ और काम आदि नहीं मिल पाता है, जिसके कारण उनमें हीन भावना उत्पन्न होती है और योग्यता एवं क्षमता के होते हुए भी उन्नति के विकास नहीं कर पाते हैं। सामाजिक रूप से अक्षम बालकों का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, नैतिक, जातीय, शैक्षिक, बौद्धिक जीवन-मूल्य और आकांक्षाओं का स्तर निम्न होता है।
सामाजिक रूप से अक्षम बालक की विशेषताएँ इन बालकों में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं –
- इन बच्चों में सहनशक्ति पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होती है।
- इन बालकों में समूह प्रवृत्ति होती है।
- इन बालकों में अनौपचारिकता की भावना होती है।
- ये बालक कठिनाइयों से नहीं भागते, बल्कि उनका सामना करते हैं।
- ये बालक चुनौतीपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।
- इन बालकों में अक्षमता को सक्षमता में परिवर्तन करने की शक्ति विद्यमान होती है।
सामाजिक रूप से अक्षम बच्चों को कुशल निर्देशन, वातावरण तथा शिक्षा मिल जाये तो एक साधारण, सफल और विकसित व्यक्तित्व से परिपूर्ण नागरिक बन एक अच्छे समाज व राष्ट्र के निर्माण में सहायक सिद्ध हो सकता है।
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