Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 संघीय कार्यपालिका, राष्ट्रपति निर्वाचन एवं शक्तियाँ, प्रधानमंत्री, स्थिति, कार्य
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 बहुंचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए इनमें से कौन-सी योग्यता होनी चाहिए?
(अ) वह भारत का नागरिक हो।
(ब) उसकी आयु न्यूनतम 35 वर्ष हो
(स) वह लोकसभा सदस्य की योग्यता रखता हो।
(द) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 2.
राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति में शामिल नहीं है
(अ) मृत्युदण्ड को उम्र कैद में बदलना।
(ब) उम्र कैद को मृत्युदण्ड में बदलना।
(स) उम्र कैद को पूर्णतः क्षमा करना।
(द) मृत्युदण्ड को विलम्बित (देरी) करना।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के प्रावधानों के तहत आज तक आपातकाल की घोषणा नहीं हुई है?
(अ) अनुच्छेद 352
(ब) अनुच्छेद 356
(स) अनुच्छेद 360
(द) अनुच्छेद 75
प्रश्न 4.
इनमें से कौन मंत्री परिषद का हिस्सा नहीं है?
(अ) कैबिनेट मंत्री
(ब) संसदीय सचिव
(स) राज्यमंत्री
(द) उपमंत्री
प्रश्न 5.
राष्ट्रपति संविधान के किस अनुच्छेद के प्रावधानों के अन्तर्गत प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है?
(अ) अनुच्छेद 75
(ब) अनुच्छेद 74
(स) अनुच्छेद 356
(द) अनुच्छेद 53
उत्तर:
1. (द), 2. (ब), 3. (स), 4. (ब), 5. (ब)।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संघ की समस्त कार्यपालिका शक्तियां किसमें निहित हैं?
उत्तर:
भारतीय संघ की समस्त कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति में निहित हैं।
प्रश्न 2.
हमारे देश में प्रथम राष्ट्रपति कौन थे?
उत्तर:
हमारे देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे।
प्रश्न 3.
प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर:
प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
प्रश्न 4.
प्रधानमंत्री की दो प्रमुख शक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
- प्रधानमंत्री मंत्रियों में विभागों का आवंटन करता है।
- प्रधानमंत्री सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियों के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन की प्रक्रिया बताइए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों तथा समस्त विधानसभाओं के। निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है। राष्ट्रपति के निर्वाचन की व्यवस्था इस प्रकार है
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली: राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय पद्धति के आधार पर होता है। इस पद्धति के अनुसार व्यक्ति को निर्वाचित होने के लिए निश्चित मतों की संख्या प्राप्त करनी आवश्यक होती है। निश्चित मतों की संख्या को कोटा (Quota) कहा जाता है, जो कुल मतों का बहुमत होता है। कोटा निकालने का सूत्र
इसका यह तात्पर्य है कि राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए उम्मीदवार को कुल डाले गए मतों का कम से कम स्पष्ट बहुमत तो प्राप्त होना ही चाहिए।
प्रश्न 2.
राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियाँ-संघ की सर्वोच्च कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। इसका प्रयोग वह स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा करता है। संघ के सभी अधिकारी उसके अधीनस्थ अधिकारी हैं। संविधान राष्ट्रपति को उसके कार्यों के संपादन में सहायता तथा परामर्श’ देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् को व्यवस्था करता है, जिसके शीर्ष पर एक प्रधानमंत्री होता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत भारत का राष्ट्रपति केवल एक संवैधानिक प्रधान है। उसकी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग वस्तुतः संघीय मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति को निम्नलिखित प्रमुख कार्यपालिका शक्तियाँ प्राप्त हैं
- शासन का संपूर्ण कार्य राष्ट्रपति के नाम से किए जाएँगे।
- वह शासन को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए नियम निर्मित कर सकता है।
- केन्द्र द्वारा शासित राज्यों पर राष्ट्रपति का पूर्ण नियंत्रण होगा।
- वह दूसरे देशों से आए राजदूतों का स्वागत करता है और वे उसको ही अपने प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करते हैं।
- भारतीय संघ के अधिकारियों की नियुक्तियाँ भी राष्ट्रपति के द्वारा की जाती हैं।
प्रश्न 3.
अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति के अधिकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति के अधिकार – अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति के अधिकार निम्नलिखित हैं
- राष्ट्रपति शासन में राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में शासन करता है। उसे परामर्श देने के लिए राष्ट्रपति कुछ प्रतिनिधियों को नियुक्त कर सकता है।
- राज्य के विधानमंडल की समस्त शक्तियां संसद को प्राप्त हो जाती हैं।
- यदि लोकसभा का सत्र न चल रहा हो, तो इस अवस्था में राष्ट्रपति संचय निधि में से व्यय करने की आज्ञा दे सकता है।
- राज्य की शासन व्यवस्था पूर्ण रूप से केन्द्रीय सरकार के अधीन हो जाती है क्योंकि राज्य का मंत्रिमंडल भंग हो जाता हैं और राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति के हाथ में आ जाती है।
प्रश्न 4.
राष्ट्रपति को कौन-कौन से विशेषाधिकार प्राप्त हैं?
उत्तर:
राष्ट्रपति को निम्नलिखित विशेषाधिकार प्राप्त हैं
- जब तक कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर आसीन है तब तक उसके विरुद्ध किसी दीवानी या फौजदारी न्यायालय में कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
- राष्ट्रपति के विरुद्ध गिरफ्तारी का वारंट भी जारी नहीं किया जा सकता।
- उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता है। 4. दो महीने के लिखित नोटिस देने के पश्चात् राष्ट्रपति के विरुद्ध केवल दीवानी कार्यवाही की जा सकती है।
- पूर्व राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने पर उनकी पत्नी को सेवानिवृत्त राष्ट्रपति को मिलने वाली पेंशन की आधी राशि तथा सरकारी मकान आजीवन प्राप्त होगा।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्रपति के निर्वाचन व सामान्य शक्तियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति का निर्वाचन – भारत में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन की पद्धति को अपनाया गया है। यह चुनाव एकल संक्रमणीय मत पद्धति के आधार पर होता है। यह पद्धति इस प्रकार है
(i) अप्रत्यक्ष निर्वाचन: भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे निर्वाचक मण्डल द्वारा किया जाता है। जिसमें-1. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और 2. राज्य विधानसभाओं एवं 70 वें संवैधानिक संशोधन (1992) के अनुसार संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं।
एकल संक्रमणीय मत पद्धति: संसद, राज्यों और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा राष्ट्रपति को चुनाव एक विशेष मत पद्धति के अनुसार होता है, जिसे एकल संक्रमणीय मत पद्धति कहा जाता है। इस चुनाव में मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा होता है और चुनाव में सफलता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम कोटा प्राप्त करना आवश्यक होता है। न्यूनतम कोटा निर्धारित करने के लिए निम्नांकित सूत्र अपनाया जाता है।
राष्ट्रपति की सामान्य शक्तियाँ:
- मंत्रियों को उनके पद-भार सँभालने के पूर्व राष्ट्रपति उनको शपथ दिलाता है।
- वह संसद के दोनों सदनों के अधिवेशनों को आमंत्रित करता है तथा स्थगित भी कर सकता है।
- वह लोकसभा को भंग भी कर सकता है।
- राष्ट्रपति को दोनों सदनों की अलग-अलग या सामूहिक बैठक में अभिभाषण देने का अधिकार है।
- किसी विधेयक पर संसद के सदनों में मतभेद होने पर, राष्ट्रपति दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुला सकता है।
- राष्ट्रपति किसी मंत्री विशेष के निर्णय के संबंध में प्रधानमंत्री को आदेश निर्गत कर सकता है।
- संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बगैर अधिनियम नहीं बन सकता है। धन विधेयकों के अतिरिक्त अन्य विधेयकों को वह संसद को पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है।
- जब संसद के अधिवेशन न चल रहे हों तथा आकस्मिक रूप से किसी विधि की आवश्यकता पड़े तो राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार है। अध्यादेशों का वही प्रभाव होता है जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है।
अतः संविधान निर्माताओं ने राष्ट्रपति को नाममात्र का प्रधान किंतु संविधान के संरक्षक के रूप में प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 2.
“क्या आपातकालीन शक्तियाँ कभी राष्ट्रपति को तानाशाह तो नही बना देंगीं “-कथन की मीमांसा भारतीय राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के संदर्भ में कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के भाग 18 के अनुच्छेद 352 से 360 तक में आपातकालीन प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। जिसके अनुसार राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपात से घोषणा की कर सकता है-
- राष्ट्रीय आपात काल (अनुच्छेद 352 के तहत)
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (अनुच्छेद 356 के तहत)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360 कार्य के तहत) संविधान में राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के विषय में अनेक आधारों पर आलोचना की जाती है जिससे यह स्पष्ट होता है कि कुछ परिस्थितियों में राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर सकता है
(1) आलोचकों का कथन है कि संविधान के अनुसार संकट की स्थिति का एकमात्र निर्णायक राष्ट्रपति ही है और राष्ट्रपति के द्वारा संसद से पूछे बिना भी संकटकालीन घोषणा एक माह के लिए लागू की जा सकती है। अतः ऐसी स्थिति में कोई भी महत्वाकांक्षी तथा सत्ता लोभी राष्ट्रपति संकटकालीन शक्तियों का दुरुपयोग कर एक अधिनायक बन सकता है लेकिन अब ऐसा होना सम्भव नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह मानने के लिए बाध्य है।
(2) अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति में संकटकालीन घोषणा का जो प्रावधान किया गया है उसके संबंध में प्रारंभ से ही भय प्रकट किया गया है कि केन्द्र का शासक दल राष्ट्रपति के माध्यम से राज्यों में विरोधी दलों की सरकारों का दमन कर सकता है। इस प्रकार के कुछ उदाहरण भी मिलते हैं।
(3) संकटकाल में केन्द्रीय कार्यपालिका तथा व्यवस्थापिका को व्यापक वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए हैं। राज्यों के वित्तीय स्थायित्व को बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति राज्य सरकारों को किसी भी प्रकार के आदेश दे सकता है। उपर्युक्त आलोचनाओं के अतिरिक्त राष्ट्रपति की संकटकालीन या आपातकालीन शक्तियों के संबंध में एक आलोचना यह भी की जाती है कि व्यवहार में आपातकालीन उपबंधों का प्रयोग संविधान निर्माताओं की अपेक्षा और इच्छा के अनुकूल नहीं रहा है।
व्यवहार में प्रथम प्रकार का आपातकाल अनावश्यक रूप से लंबे समय के लिए 1962 ई. से 1968 ई. तथा 1971 ई. से मार्च 1977 ई. तक लागू किया गया और अनुच्छेद 356 के आधार पर कुछ मामलों में स्वेच्छाचारी तरीके से और कुछ मामलों में अनावश्यक रूप से लंबे समय के लिए राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
प्रश्न 3.
“प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद में मेहराब की तरह है, जिसके इर्द – गिर्द समस्त शक्तियाँ घूमती हैं।” कथन के परिप्रेक्ष्य में भारतीय प्रधानमंत्री के पद व शक्तियों पर लेख लिखिए।
उत्तर:
भारतीय प्रधानमंत्री का पद एवं शक्तियाँ – भारत में प्रधानमंत्री सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक है। संविधान के अनुच्छेद 74 में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति की सहायता एवं परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा और राष्ट्रपति उस मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेगा।
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति मन्त्रिपरिषद के निर्माण में पहला कदम होता है। मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री का महत्वपूर्ण स्थान होता है। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद की सभी बैठकों की अध्यक्षता करता है। संसदात्मक शासन व्यवस्था में प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद में एक मेहराब की तरह है।
जिसके चारों ओर समस्त शक्तियाँ घूमती हैं। प्रधानमंत्री मंत्रियों के मध्य आपस के मतभेदों को निपटाता है। वह राष्ट्रपति को अपने मंत्रियों की नियुक्ति तथा उनके विभागों के आवंटन, परिवर्तन या उनके त्यागपत्र स्वीकार या अस्वीकार करने की सलाह देता है। प्रधानमंत्री की स्थिति के सम्बन्ध में डॉ. जैनिंग्स का यह कथन अत्यधिक उपयुक्त है कि “प्रधानमंत्री को सम्पूर्ण संविधान की आधारशिला कहना उपयुक्त है प्रधानमंत्री न केवल अपने समकक्षों में प्रथम होता है,
वह न केवल तारों के बीच चन्द्रमा के समान है, बल्कि वह तो सूर्य के समान होता है, जिसकी परिक्रमा अन्य ग्रह करते हैं।” शासन में प्रधानमंत्री का प्रभाव उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। प्रधानमंत्री के महत्व को स्पष्ट करते हुए ग्लैडस्टन ने कहा है कि प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल रूपी भवन की आधारशिला है।” प्रधानमन्त्री के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निम्नलिखित हैं–
(1) लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता प्रधानमंत्री होता है। वही सदन में सरकार की महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा करता है। यही नहीं, वह सदन में अपने सहयोगियों द्वारा दिए गए भाषणों का स्पष्टीकरण करता है। वह राष्ट्रपति को लोकसभा भंग करने का भी परामर्श दे सकता है।
(2) लोकसभा में बहुमत दल का नेता होने के कारण प्रधानमंत्री देश का नेता होता है। वह देश का मार्गदर्शन करता है। चुनावों के समय वह चुनाव घोषणा – पत्र तैयार करता है जिसके आधार पर चुनाव लड़ा जाता है।
(3) यदि किसी विषय पर दो या दो से अधिक मंत्रियों में कोई मतभेद उत्पन्न हो जाता है तो प्रधानमंत्री मध्यस्थता कर उस मतभेद को दूर करता है तथा उनके बीच सामंजस्य बनाए रखता है।
(4) प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का अध्यक्ष होता है। इस नाते वह मंत्रिमंडल की समस्त बैठकों की अध्यक्षता करता है। उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम मंत्री मंत्रिमंडल की अध्यक्षता करता है।
(5) प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद तथा राष्ट्रपति के बीच कड़ी का कार्य करता है। वह स्वयं मंत्रिपरिषद के निर्णयों की सूचना राष्ट्रपति को देता है। इसके अतिरिक्त केन्द्र के प्रशासकीय मामलों तथा कानून बनाने के प्रस्तावों की सूचना भी राष्ट्रपति को देना प्रधानमंत्री का प्रमुख कर्तव्य है। वह राष्ट्रपति के विचारों को मंत्रिपरिषद तक पहुँचाता है। इस प्रकार वह मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच वार्तालाप की कड़ी का कार्य करता है।
(6) प्रधानमंत्री संघीय मंत्रिपरिषद का निर्माता है जिसे राष्ट्रपति सामान्यतः स्वीकार कर लेता है। प्रधानमन्त्री जिस मंत्री को जब चाहे उससे त्याग – पत्र देने को कह सकता है। यदि मंत्री त्याग – पत्र नहीं देता है तो प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का त्याग – पत्र देकर नया मंत्रिमंडल बना सकता है जिसमें वह किसी भी पुराने मंत्री को छोड़ सकता है।
(7) केन्द्रीय मंत्रिमण्डल व अन्य नीति निर्माणक संस्थाओं से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण निर्णय उसकी देखरेख में लिए। जाते हैं। वह नीति (NITI) आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है।
(8) किसी भी मंत्री द्वारा लिए गए निर्णय की प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के कहने पर पुनः मंत्रिपरिषद में विचार के लिए। रखवा सकता है।
(9) प्रधानमंत्री संसद वे कार्य संचालन में नेतृत्व प्रदान करता है। सभी सरकारी विधेयक उसके निरीक्षण में एवं उसकी सलाह के अनुसार तैयार किए जाते हैं।
(10) संसद में प्रधानमंत्री सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है। शासकीय नीति से सम्बन्धित अधिकृत घोषणा प्रधानमंत्री के अधिकार क्षेत्र में ही आती है।
(11) वह सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियों के संबंध में राष्ट्रपति को परामर्श देता है।
(12) प्रधानमंत्री लोकसभा एवं राज्यसभा के मध्य भी सम्पर्क सूत्र के रूप में कार्य करता है। वह राष्ट्रपति को परामर्श देता है कि संसद का सत्र कब बुलाया जाए, कब स्थगित किया जाए एवं कब भंग किया जाए।
(13) प्रधानमंत्री विदेश नीति से सम्बन्धित महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं लेता है तथा विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 बहुंचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सरकार के कितने अंग होते हैं?
(अ) 5
(ब) 4
(स) 3
प्रश्न 2.
संघ की कार्यपालिका की शक्ति निहित है
(अ) राष्ट्रपति में
(ब) प्रधानमंत्री में
(स) संसद में
(द) मंत्रिमंडल में
प्रश्न 3.
कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए किसके प्रति जवाबदेह रहती है?
(अ) संसद के
(ब) न्यायपालिका के
(स) लोकसभाध्यक्ष के
(द) राष्ट्रपति के
प्रश्न 4.
निम्न में से संसदीय व्यवस्था वाला देश कौन – सा है?
(अ) जर्मनी
(ब) फ्रांस
(स) रूस
(द) श्रीलंका
प्रश्न 5.
अध्यक्षात्मक व्यवस्था निम्न में से किस देश में पायी जाती है?
(अ) रूस
(ब) ब्राजील
(स) फ्राँस
(द) जापान
प्रश्न 6.
राष्ट्रपति पद की व्यवस्था किस अनुच्छेद में की गई है?
(अ) अनुच्छेद 49
(ब) अनुच्छेद 50
(स) अनुच्छेद 51
(द) अनुच्छेद 52
प्रश्न 7.
राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल के सदस्य होते हैं
(अ) प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री
(ब) संसद के सभी सदस्य
(स)विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
(द) संसद एवं राज्य विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य।
प्रश्न 8.
राष्ट्रपति का निर्वाचन कितने वर्षों के लिए होता है?
(अ) 5 वर्ष
(ब) 4 वर्ष
(स) 3 वर्ष
(द) 2 वर्ष
प्रश्न 9.
राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग लाया जा सकता है
(अ) लोकसभा में
(ब) राज्यसभा में
(स) संसद के किसी भी सदन में
(द) विधानसभा में।
प्रश्न 10.
महाभियोग की प्रक्रिया में राष्ट्रपति को कितने दिन पहले सूचित किया जाता है?
(अ) 15 दिन
(ब) 14 दिन
(स) 12 दिन
(द) 10 दिन
प्रश्न 11.
संघ का शासन किसके नाम से किया जाता है?
(अ) प्रधानमंत्री
(ब) राष्ट्रपति
(स) उपराष्ट्रपति
(द) संसद।
प्रश्न 12.
भारत में तीनों सेनाओं का प्रधान कौन है?
(अ) राष्ट्रपति
(ब) प्रधानमंत्री
(स) मंत्री
(द) थल सेना अध्यक्ष।
प्रश्न 13.
संसद के अधिवेशन के प्रारम्भ में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को कौन सम्बोन्धित करता है?
(अ) प्रधानमंत्री
(ब) लोकसभाध्यक्ष
(स) राष्ट्रपति
(द) सभापति।
प्रश्न 14.
निम्न में कौन-सी शक्ति राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियों के अंतर्गत सम्मिलित है?
(अ) प्रधानमंत्री की नियुक्ति
(ब) राज्यपाल की नियुक्ति
(स) दण्डित व्यक्तियों को क्षमा करना
(द) सर्वोच्च न्यायालय को परामर्श देना।
प्रश्न 15.
युद्ध, बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह सम्बन्धी आपातकालीन घोषणा संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत की जाती है?
(अ) अनुच्छेद 356
(ब) अनुच्छेद 352
(स) अनुच्छेद 360
(द) अनुच्छेद 75
प्रश्न 16.
संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत भारत में आपातकाल कितनी बार घोषित हो चुका है?
(अ) एक बार
(ब) दो बार
(स) तीन बार
(द) चार बार
प्रश्न 17.
किसकी रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा राज्य में संवैधानिक आपातकाल की घोषणा की जाती है
(अ) प्रधानमन्त्री
(ब) राज्यपाल
(स) मुख्यमंत्री
(द) लोक सभाध्यक्ष
प्रश्न 18.
लोकसभा में बहुमत दल का नेता कौन होता है?
(अ) प्रधानमंत्री
(ब) राष्ट्रपति
(स) मंत्रिमंडल
(द) इनमें से कोई भी नहीं
प्रश्न 19.
भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे?
(अ) महात्मा गाँधी
(ब) लाल बहादर शास्त्री
(स) राजेन्द्र प्रसाद
(द) पं. जवाहर लाल नेहरू
प्रश्न 20.
वर्तमान में नरेन्द्र मोदी सहित मंत्रिपरिषद में कितने मंत्री शामिल हैं?
(अ) 75
(ब) 76
(स) 77
(द) 78
उत्तर:
1. (स), 2. (अ), 3.(अ), 4.(अ), 5.(ब), 6.(द), 7.(द), 8.(अ), 9.(स), 10.(ब), 11.(ब), 12.(अ),
13.(स), 14.(स), 15.(ब), 16.(स), 17.(ब), 18.(अ), 19.(द), 20.(द)।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किन देशों में अध्यक्षात्मक व्यवस्था पायी जाती है?
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका तथा ब्राजील में अध्यक्षात्मक व्यवस्था पायी जाती है।
प्रश्न 2.
संसदीय व्यवस्था का अनुसरण करने वाले देश कौन – कौन – से हैं?
उत्तर:
जापान, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन तथा भारत आदि देश संसदीय व्यवस्था का अनुसरण करते हैं।
प्रश्न 3.
कार्यपालिका का औपचारिक प्रधान कौन है?
उत्तर:
‘राष्ट्रपति कार्यपालिका का औपचारिक तथा संवैधानिक प्रधान होता है।
प्रश्न 4.
भारत की संसदीय प्रणाली में कितने प्रकार की कार्यपालिका होती है
उत्तर:
दो प्रकार की –
- औपचारिक कार्यपालिका
- वास्तविक कार्यपालिका।
प्रश्न 5.
देश का प्रथम नागरिक कौन होता है।
उत्तर:
राष्ट्रपति
प्रश्न 6.
राष्ट्रपति का निर्वाचन किस आधार पर होता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली के आधार पर होता है।
प्रश्न 7.
भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति क्यों अपनायी गयी है?
उत्तर:
ताकि निर्वाचन मण्डल के बहुमत का समर्थन प्राप्त व्यक्ति ही राष्ट्रपति निर्वाचित हो सके।
प्रश्न 8.
राष्ट्रपति बनने के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए?
उत्तर:
राष्ट्रपति बनने के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए।
प्रश्न 9.
राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन किस अनुच्छेद में है?
उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 61 में राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
प्रश्न 10.
राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल का निर्णय किस प्रकार होता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधानसभाओं और संघीय क्षेत्र की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं।
प्रश्न 11.
भारत में राष्ट्रपति को उसके पद से किस प्रकार हटाया जा सकता है?
उत्तर:
महाभियोग प्रक्रिया के द्वारा।
प्रश्न 12.
राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग किन आधारों पर लगाया जा सकता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति के विरुद्ध शक्तियों के दुरुपयोग, कदाचार एवं संविधान के उल्लंघन के आधार पर महाभियोग लगाया जा सकता है।
प्रश्न 13.
राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग की पुष्टि हेतु संसद के किस प्रकार के बहुमत की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
संसद के दोनों सदनों में पृथक-पृथक दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है?
प्रश्न 14.
राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति में न्यूनतम मतों का कोटा निर्धारित करने का सूत्र बताइए। डाले गये वैध मतों की संख्या
उत्तर:
न्यूनतम कोटा =
प्रश्न 15.
राष्ट्रपति को कितना वेतन मिलता है?
उत्तर:
1.50 लाख रुपये प्रति माह।।
प्रश्न 16.
भारत का राष्ट्रपति भवन कहाँ स्थित है?
उत्तर:
रायसीना हिल्स, दिल्ली में।
प्रश्न 17.
राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन आवास कहाँ स्थित है?
उत्तर:
शिमला के निकट छरवरा में।।
प्रश्न 18.
छरवरा में स्थित राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन आवास को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
द रिट्रिट के नाम से।
प्रश्न 19.
राष्ट्रपति निलयन कहाँ स्थित है?
उत्तर:
हैदराबाद में।
प्रश्न 20.
राष्ट्रपति किन – किन की नियुक्ति करता है?
उत्तर:
राष्ट्रपति भारत के महान्यायवादी, विदेशों में राजदूत तथा राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति करता है।
प्रश्न 21.
राष्ट्रपति की शक्तियाँ किस प्रकार की हैं?
उत्तर:
राष्ट्रपति की सारी शक्तियाँ औपचारिक ही हैं। उसे मंत्रिपरिषद की सलाह से ही कार्य करना पड़ता है।
प्रश्न 22.
“राष्ट्रपति का अभिभाषण” किसे कहते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रपति प्रतिवर्ष संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करता है, जिसे “राष्ट्रपति का अभिभाषण” कहते हैं।
प्रश्न 23.
राष्ट्रपति राज्यसभा में कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है?
उत्तर:
12 सदस्य
प्रश्न 24.
राष्ट्रपति लोकसभा में आँग्ल भारतीय समुदाय के कितने सदस्यों को मनोनीत करता है?
उत्तर:
2 सदस्य।
प्रश्न 25.
‘पॉकेट वीटो’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि राष्ट्रपति विधेयक पर हस्ताक्षर न करे एवं न ही उसे पुनर्विचार के लिए संसद को भेजे बल्कि अपने पास लंबित रख ले। ऐसी स्थिति में यह विधेयक पारित नहीं होगा। इसे ही राष्ट्रपति का ‘जेबी निषेधाधिकार’ (पॉकेट वीटो) कहा जाता है।
प्रश्न 26.
संविधान के किन अनुच्छेदों में आपातकाल की घोषणा का प्रावधान किया गया है?
उत्तर:
संविधान के अनुच्छेद 352, 356 एवं 360 में।
प्रश्न 27.
किस परिस्थिति में राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है?
उत्तर:
जब संसद का अधिवेशन नही चल रहा हो तथा कानून की आवश्यकता हो तो ऐसी परिस्थिति में राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।
प्रश्न 28.
भारत के 15 वें प्रधानमंत्री कौन हैं?
उत्तर:
भारत के 15 वें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं।
प्रश्न 29.
संसद के सत्रावसान के समय राष्ट्रपति किस विशेष आदेश को जारी करता है, उसे किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
अध्यादेश।
प्रश्न 30.
ब्रिटिश मॉडल’ का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
‘वेस्ट मिनिस्टर प्रणाली’ को ही ब्रिटिश मॉडल कहते हैं।
प्रश्न 31.
कौन – से मंत्री कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेते हैं?
उत्तर:
राज्य स्तर के मंत्री कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेते हैं।
प्रश्न 32.
गोपनीयता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
शपथ के दौरान गोपनीयता से तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति मंत्रिमंडल के निर्णय को गुप्त रखेंगे।
प्रश्न 33.
सरकार को वास्तविक अध्यक्ष कौन है?
उत्तर:
‘प्रधानमंत्री’ सरकार का वास्तविक अध्यक्ष है।
प्रश्न 34.
देश में ‘शासनाध्यक्ष’ तथा ‘राज्याध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर:
देश में शासनाध्यक्ष ‘प्रधानमंत्री’ तथा ‘राज्याध्यक्ष’ राष्ट्रपति होता है।
प्रश्न 35.
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- राष्ट्रीय आपात
- किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राज्य आपात)
- वित्तीय आपात
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में कार्यपालिका के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में कार्यपालिका का स्वरूप: भारत में संसदीय शासन व्यवस्था की स्थापना की गई है, जिसमें राष्ट्रपति कार्यपालिका का औपचारिक तथा संवैधानिक प्रधान होता है एवं प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका होती है। राष्ट्रपति का पद गरिमा तथा प्रतिष्ठा का पद माना जाता है। वह देश का प्रथम नागरिक माना जाता। है एवं वरीयता क्रम (प्रोटोकाल) में सर्वोच्च स्थान रखता है।
संविधान का अनुच्छेद 52 राष्ट्रपति पद की व्यवस्था करता है, जिसके अनुसार भारत का एक राष्ट्रपति होगा’ अनुच्छेद 53 के अनुसार ‘संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी, जिसका प्रयोग वह स्वयं अथवा अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा करेगा।’ संविधान के अनुच्छेद 74 में यह प्रावधान है कि “राष्ट्रपति की सहायता व परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी जिसका मुखिया प्रधानमंत्री होगा और राष्ट्रपति उस मंत्री – परिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेगा।”
प्रश्न 2.
“भारत में राष्ट्रपति को पद से किस प्रकार हटाया जा सकता है?” संक्षेप में बताइए।
अथवा
राष्ट्रपति को किस प्रक्रिया के आधार पर उसके पद से हटाया जा सकता है? अथवा राष्ट्रपति पर महाभियोग लाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया:
भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का है किन्तु भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन किये जाने पर संविधान में दी गयी पद्धति के अनुसार उस पर महाभियोग लगाकर उसे पद से हटाया जा सकता है। उस पर महाभियोग लगाने का अधिकार भारतीय संसद के प्रत्येक सदन को प्राप्त है। अभियोग चलाने की अनुमति के लिए अभियोग चलाने वाले सदन की समस्त संख्या के 1 / 4 सदस्यों के हस्ताक्षर होने आवश्यक हैं।
सदन में प्रस्ताव प्राप्त होने के 14 दिन बाद अभियोग लगाने वाले सदन में उस पर विचार किया जायेगा और यदि अभियोग को प्रस्ताव सदन की कुल संख्या के 2 / 3 सदस्यों द्वारा स्वीकृत हो जाये तो उसके उपरान्त प्रस्ताव द्वितीय सदन को भेज दिया जाता है। दूसरा सदन इन अभियोगों की या तो स्वयं जाँच करेगा या इस कार्य के लिए विशेष समिति नियुक्त करेगा।
यदि इस सदन में राष्ट्रपति के विरुद्ध लगाये गये आरोप सिद्ध हो जाते है और दूसरा सदन भी अपने कुल सदस्यों के कम-से-कम दो-तिहाई बहुमत से महाभियोग के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले, तो प्रस्ताव स्वीकृत होने की तिथि से राष्ट्रपति पद से हटा हुआ माना जायेगा।
प्रश्न 3.
राष्ट्रपति पद की योग्यताएँ बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ हैं-
- वह भारत का नागरिक हो।
- वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो।
- वह पागल या दिवालिया न हो।
- वह संघ सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्य नहीं कर रहा हो।
प्रश्न 4.
राष्ट्रपति के चुनाव में संसद में प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य और राज्य विधानसभा एवं संघीय क्षेत्र की विधानसभा के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य किस आधार पर निर्धारित किया जाता है?
उत्तर:
राष्ट्रपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य और राज्य विधानसभा एवं संघीय क्षेत्र की विधानसभा के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल निम्नलिखित सूत्र द्वारा निर्धारित होता है
1. राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य =
2. राज्य/संघीय विधानसभा के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य
प्रश्न 5.
राष्ट्रपति के वेतन, विशेषाधिकार, नियुक्तियाँ एवं अन्य सुविधाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति को वेतन, विशेषाधिकार, नियुक्तियाँ एवं अन्य सुविधाएँ:
भारत सरकार द्वारा 11 सितम्बर 2008 से राष्ट्रपति का वेतन १1,50,000 प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। जब तक कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहता है तब तक उसके विरुद्ध किसी दीवानी या फौजदारी न्यायालय में कोई मुकदमा नही चलाया जा सकता है न तो किसी गिरफ्तारी के लिए वारण्ट ही जारी किया जा सकता है और न ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
दो महीने की लिखित नोटिस देने के पश्चात् राष्ट्रपति के विरुद्ध केवल दीवानी कार्यवाही की जा सकती है। पूर्व राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने पर उनकी पत्नी को सेवानिवृत्त राष्ट्रपति को मिलने वाली पेंशन की आधी राशि एवं आजीवन सरकारी मकान प्राप्त होगा। राष्ट्रपति के निवास स्थान को राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है। यह रायसीना हिल्स दिल्ली में स्थित है।
इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के निकट ‘छरबरा’ में उनका ग्रीष्मकालीन निवास स्थित है जिसका नाम ‘द रिट्रीट’ है इसके अलावा आन्ध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद में राष्ट्रपति निलयम’ में भी उनका एक अन्य आवास स्थित है।
प्रश्न 6.
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ:
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
(i) विधायी क्षेत्र का प्रशासन – राष्ट्रपति को विधायी क्षेत्र के प्रशासन से सम्बन्धित अनेक शक्तियाँ प्राप्त हैं, जैसे-वह संसद के अधिवेशन बुलाता है और अधिवेशन समाप्ति की घोषणा करता है। वह लोकसंभा को उसके निश्चित कार्यकाल से पूर्व भी भंग कर सकता है। वह संसद के अधिवेशन के प्रारंभ में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाता है एवं उसकी बैठकों में भाषण दे सकता है।
(ii) सदस्यों को मनोनीत करने की शक्ति – राष्ट्रपति को राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार प्राप्त होता है जिनके द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला या अन्य किसी क्षेत्र में विशेष सेवा की गयी हो। वह लोकसभा में 2 आंग्ल भारतीय सदस्यों को मनोनीत कर सकता है।
(iii) विधेयक पर विशेषाधिकार का प्रयोग – संसद द्वारा स्वीकृत प्रत्येक विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही कानून का रूप ग्रहण करता है। वह साधारण विधेयक को कुछ सुझावों के साथ संसद को पुनः विचार के लिए लौटा सकता है लेकिन यदि वह विधेयक संसद द्वारा पुनः संशोधन के साथ या बिना संशोधन के परित कर दिया जाता है तो राष्ट्रपति को दूसरी बार उसे स्वीकृति देनी ही होगी।
(iv) अध्यादेश जारी करने की शक्ति – जिस समय संसद को अधिवेशन न हो रहा हो, उस समय राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने का अधिकार प्राप्त है । ये अध्यादेश संसद का अधिवेशन प्रारम्भ होने के 6 सप्ताह बाद तक लागू रहते हैं लेकिन संसद चाहे तो उसके द्वारा इस अवधि से पूर्व भी इन अध्यादेशों को समाप्त किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
अध्यादेश किसे कहते हैं? उसे कौन जारी करता है?
उत्तर:
अध्यादेश: अध्यादेश अधिनियम से भिन्न ऐसा कानून है जिसे देश का राष्ट्रपति किसी संकट की स्थिति में अथवा असाधारण परिस्थिति में लागू करता है। सामान्यतया अध्यादेश जारी करने की आवश्यकता तब पड़ती है, जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है और किसी विषय को विनियमित करना आवश्यक होता है। अध्यादेश सामान्य विधि निर्माण प्रक्रिया द्वारा पारित विधि के समान ही होता है।
यह एक निश्चित अवधि तक ही प्रभावी रहता है। संसद का सत्र आहूत होने पर यह अध्यादेश दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। संसद चाहे तो उसे कानून के रूप में परिवर्तित कर सकती है अथवा समाप्त कर सकती है अन्यथा संसद सत्र के 6 सप्ताह बाद यह स्वयं समाप्त हो जाता है। केन्द्र के समान ही राज्यों में राज्यपाल अध्यादेश तब जारी करता है जब विधानमण्डल का सत्र नहीं चल रहा हो।
प्रश्न 8.
राष्ट्रपति को कौन – कौन से वित्तीय अधिकार प्राप्त हैं? बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रपति के वित्तीय अधिकार:
भारत में राष्ट्रपति को निम्नलिखित वित्तीय अधिकार प्राप्त हैं-
- अनुच्छेद 112 के अन्तर्गत राष्ट्रपति संसद के समक्ष संघ का वार्षिक आय – व्यय का विवरण प्रस्तुत करता है।
- अनुच्छेद 113 के तहत बिना राष्ट्रपति की सिफारिश के संसद से किसी प्रकार की धन की माँग नहीं की जा सकती है।
- अनुच्छेद 117 (1) में व्यवस्था है कि वित्त से सम्बन्धित कोई विधेयक बिना राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के संसद में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता तथा किसी विधेयक के पारित हो जाने पर भारत की संचित निधि से व्यय करना होगा उस पर संसद का कोई सदन तब तक विचार नहीं कर सकता जब तक कि राष्ट्रपति ने उस पर विचार करने की सिफारिश न की हो।
- राष्ट्रपति की अनुमति से पूरक, अतिरिक्त एवं अन्य माँगे संसद में प्रस्तुत की जाती हैं।
- राष्ट्रपति वित्त आयोग के सदस्यों और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति करता है। उसके द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदनों को वह संसद के समक्ष प्रस्तुत करता है।
- राष्ट्रपति वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही आयकर और अन्य करों से प्राप्त आय को केन्द्र और राज्यों में बँटवाता है।
प्रश्न 9.
राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियाँ:
भारतीय संविधान ने राष्ट्रपति को कुछ न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की हैं। जिनका प्रयोग वह मंत्रिपरिषद की सलाह से ही करता है। अनुच्छेद 72 के अनुसार राष्ट्रपति को अधिकार है कि वह किसी सजा पाये हुए व्यक्ति को क्षमादान दें, न्यायालयों द्वारा दण्डित व्यक्तियों के सम्बन्ध में राष्ट्रपति को क्षमा प्रदान करने, दण्ड को कम करने या दण्ड को बदलने की शक्ति प्राप्त है। इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति तीन प्रकार के मामलों में करे सकता है
- उन सभी मामलों में जहाँ दण्ड किसी सैनिक न्यायालय द्वारा दिया गया हो।
- उन सभी मामलों में जहाँ दण्ड ऐसे अपराधों के लिए दिया गया है जो संघ की कार्यपालिका शक्ति के अन्तर्गत आते हैं।
- उन सभी मामलों के लिए जिनमें मृत्युदण्ड मिला हो। राष्ट्रपति की क्षमादान सम्बन्धी शक्ति का राज्यों के राज्यपालों और सैनिक न्यायालयों के सैनिक अधिकारियों की क्षमादान सम्बन्धी शक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 10.
अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति के अधिकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति के अधिकार:
मूल संविधान के अनुच्छेद 352 में व्यवस्था थी कि यदि राष्ट्रपति को विश्वास हो जाए कि युद्ध, बाहरी आक्रमण या आन्तरिक अशान्ति के कारण भारत या उसके किसी भाग की शान्ति या व्यवस्था नष्ट होने का भय है तो यथार्थ रूप से इस प्रकार की परिस्थिति उत्पन्न होने पर या इस प्रकार की परिस्थिति उत्पन्न होने की आशंका होने पर राष्ट्रपति संकटकालीन व्यवस्था की घोषणा कर सकता था।
संसद की स्वीकृति के बिना भी यह घोषणा दो माह तक लागू रहती और संसद से स्वीकृति हो जाने पर शासन इसे जब तक लागू रखना चाहता, रख सकता था। 44 वें संवैधानिक संशोधन के बाद वर्तमान समय में इस संबंध में व्यवस्था निम्नलिखित है
(i) अब इस प्रकार का आपातकाल युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह अथवा इस प्रकार की आशंका होने पर ही घोषित किया जा सकेगा। केवल आन्तरिक अशान्ति के नाम पर आपातकाल घोषित नहीं किया जा सकता।
(ii) राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल की घोषणा तभी की जा सकेगी, जबकि मंत्रिमंडल लिखित रूप में राष्ट्रपति को ऐसा परामर्श दे।
(iii) आपातकाल की घोषणा के एक माह के अंदर संसद के विशेष बहुमत (पृथक आपातकाल की पृथक संसद के दोनों सदनों के कुल बहुमत) तथा उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से इसकी स्वीकृति आवश्यक होगी और इसे लागू रखने के लिए प्रति 6 माह बाद स्वीकृति आवश्यक होगी।
(iv) लोकसभा में उपस्थित तथा मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से आपातकाल की घोषणा समाप्त की जा सकती है। अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत अब तक तीन बार 1962 में भारत पर चीन के आक्रमण के समय, 1971 में भारत पर पाकिस्तान के आक्रमण के समय एवं जून 1975 में आन्तरिक अशान्ति के आधार पर आपातकाल की घोषणा की गई थी।
प्रश्न 11.
संवैधानिक आपात किसे कहते हैं? इसके राज्य पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
किन परिस्थितियों में किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
उत्तर:
जब राष्ट्रपति को राज्यपाल के प्रतिवेदन पर अथवा अन्य स्त्रोतों से यह यकीन हो जाए कि किसी राज्य का प्रशासन संवैधानिक अनुबन्धों के अनुरूप चलाना कठिन है तो राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 356 का प्रयोग करते हुए संबंधित राज्य में संवैधानिक आपात घोषित कर सकता है। किसी राज्य पर संवैधानिक आपात के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
- संसद को राज्य विधानमण्डल के अधिकारों का प्रयोग करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
- राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को छोड़कर राज्य की किसी भी सत्ता की शक्तियों को स्थगित अथवा सीमित कर सकता है।
- संबंधित राज्य में किसी भी नागरिक के जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मूलाधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।
प्रश्न 12.
अनुच्छेद 360 के अन्तर्गत राष्ट्रपति को प्राप्त अधिकारों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
वित्तीय आपात पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वित्तीय आपातकाल – अनुच्छेद 360 के अन्तर्गत यदि राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि संपूर्ण देश या देश के किसी भाग विशेष की आर्थिक स्थिति या साख खतरे में है तो संविधान के अनुच्छेद 360 के अनुसार वह आर्थिक आपात की घोषणा कर सकता है। यह घोषणा भी उपर्युक्त दोनों घोषणाओं के समान संसद द्वारा स्वीकृति होनी आवश्यक होती है। वित्तीय आपातकालीन स्थिति में राष्ट्रपति को अनेक महत्वपूर्ण शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
वह केन्द्रीय तथा राज्य कर्मचारियों के वेतन कम कर सकता है। राष्ट्रपति राज्य सरकारों को उनकी आर्थिक नीति को अपने निर्देशानुसार निर्धारित करने को बाध्य कर सकता है एवं उन्हें वित्तीय विधेयक तथा बजट प्रस्तुत करने के लिए निर्देश दे सकता है। इस प्रकार आर्थिक संक्ट की स्थिति में राज्यों की आर्थिक नीति पर केन्द्र का पूर्ण नियन्त्रण स्थापित हो जाता है। अभी तक देश में वित्तीय आपात की घोषणा करने का अवसर नहीं आया है।
प्रश्न 13.
क्या भारत का राष्ट्रपति तानाशाह बन सकता है? बताइए।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रपति की शक्तियों को देखते हुए अनेक लोगों का विचार है कि वह तानाशाह बन सकता है लेकिन लोगों का यह विचार उचित नहीं है, क्योंकि
- भारत का राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख है वह नाममात्र के प्रमुख वाली भूमिका का निर्वाह करता है।
- भारत का राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद का परामर्श मानने हेतु प्रतिबद्ध है। (42 वाँ एवं 44 वाँ संविधान संशोधन)
- भारत के राष्ट्रपति को संविधान का उल्लंघन करने पर महाभियोग प्रस्ताव पारित कर पद से हटाया जा सकता है।
- केन्द्र में राष्ट्रपति शासन लागू किये जाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
- धन के ऊपर संसद का नियत्रंण है तथा राष्ट्रपति संसद की स्वीकृति के बिना धन व्यय नहीं कर सकता है।
प्रश्न 14.
भारतीय शासन व्यवस्था में प्रधानमंत्री की स्थिति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारतीय शासन व्यवस्था में प्रधानमंत्री की स्थिति ब्रिटिश प्रधानमंत्री के समान ही है। वह कार्यकारिणी एवं व्यवस्थापिका का नेतृत्व करता है, परन्तु यह भी सत्य है कि प्रधानमंत्री की स्थिति और शक्ति उसके व्यक्तित्व पर निर्भर करती है -“प्रधानमंत्री के पद का वही महत्व है, जो इस पर आसीन व्यक्ति इसे प्रदान करना चाहता है।”
संवैधानिक रूप से प्रधानमंत्री की स्थिति संसद, अपने दल के अंदर तथा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर निर्विवाद होती है, परन्तु प्रधानमंत्री के पद की गरिमा उस व्यक्ति के अस्तित्व पर निर्भर करती है जो इस पद पर आसीन है। “मार्ले” ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री को कैबिनेट रूपी भवन की आधारशिला” कहा है। यह कथन भारतीय प्रधानमंत्री के संबंध में भी उचित है। जितनी भी उक्तियाँ प्रधानमंत्री के संदर्भ में कही गयी हैं, वे सभी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए पूर्णतया उपयुक्त हैं, क्योंकि दोनों ही देशों में संसदात्मक सरकारें हैं।
प्रश्न 15.
प्रधानमंत्री के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री के कार्य:
प्रधानमंत्री के दो कार्य निम्नलिखित हैं
- मंत्रिपरिषद का निर्माण करना – अपना पद ग्रहण करने के पश्चात् प्रधानमंत्री का पहला कार्य मंत्रिपरिषद का निर्माण करना होता है। प्रधानमंत्री निर्णय करता है कि कानूनी नियम के अन्तर्गत रहते हुए मंत्रिपरिषद में कितने मंत्री हों और कौन मंत्री हो।
- राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल के मध्य संबंध स्थापित कर्ता – सार्वजनिक महत्व के विषयों पर पर राष्ट्र के प्रधान से केवल प्रधानमंत्री के माध्यम से ही सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ही राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल के निश्चित कार्यों से परिचित करता है तथा वही राष्ट्रपति के परामर्श को मंत्रिमंडल तक पहुँचाता है।
प्रश्न 16.
भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? बताइए।
उत्तर:
भारत में प्रधानमंत्री की नियुक्ति:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में यह व्यवस्था की गई है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री के परामर्श पर राष्ट्रपति करेगा। संसदीय प्रणाली के वेस्ट मिनिस्टर मॉडल की परम्परा के अनुसार राष्ट्रपति अनुच्छेद 75 के तहत उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता है एवं जिसे लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त होता है।
यदि किसी एक पार्टी को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो राष्ट्रपति स्वविवेक से सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता है व एक निश्चित समय सीमा में उसे बहुमत सिद्ध करने के लिए आदेश देता है। प्रधानमंत्री का लोकसभा या राज्यसभा में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य होता है। यदि प्रधानमंत्री नियुक्त होते समय यह किसी सदन का सदस्य नहीं है तो उसे छ: महीने के भीतर किसी सदन की सदस्यता ग्रहण करनी पड़ती है।
प्रश्न 17.
मंत्रिपरिषद् में प्रधानमंत्री के स्थान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मंत्रिपरिषद् में प्रधानमंत्री का स्था
- प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् का निर्माण करता है।
- वह मंत्रियों के बीच विभागों का बँटवारा करता है।
- वह मंत्रियों से त्यागपत्र माँग सकता है तथा नए व्यक्तियों की नियुक्ति कर सकता है। जिन मंत्रियों से वह त्यागपत्र माँगता है, उन्हें त्याग-पत्र देना पड़ता हैं।
- वह मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
- वह मंत्रिमंडल की ओर से संसद में बोलता तथा घोषणा करता है।
- वह शासन के विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करता है तथा मंत्रियों के मतभेदों को दूर कर उनमें सामंजस्य बनाए रखता है।
- वह मंत्रियों के विभागों में परिवर्तन कर सकता है।
प्रश्न 18.
मंत्रियों की नियुक्ति एवं उनके विभागों का आवंटन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
मंत्रियों की नियुक्ति एवं उनके विभागों का आवंटन:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 के अन्तर्गत प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के सदस्यों की नियुक्ति करता है। 91 वाँ संवैधानिक संशोधन (जो कि 2003 में पारित हुआ व जिसे 2004 में राष्ट्रपति ने मंजूरी प्रदान की) के अनुसार मंत्रिपरिषद के सदस्यों की कुल संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक नही हो सकती। प्रधानमंत्री मंत्रियों के विभागों का आवंटन स्वयं करता है।
प्रधानमंत्री अपने साथी मंत्रियों की सूची राष्ट्रपति को भेजता है जिसे राष्ट्रपति मंजूरी दे देता है व उन्हें शपथ ग्रहण भी करवाता है। वर्तमान सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित 78 मंत्रियों की विशाल मंत्रिपरिषद है।
प्रश्न 19.
मंत्रिपरिषद के आकार एवं कार्यकाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मंत्रिपरिषद का आकार:
संविधान द्वारा केन्द्रीय मंत्रिपरिषद का आकार निर्धारित कर दिया गया है। 91 वाँ संवैधानिक संशोधन (जो कि 2003 में पारित हुआ व जिसे 2004 में राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किया गया था) के अनुसार मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। वर्तमान केन्द्र सरकार में मंत्रियों की कुल संख्या 78 हो चुकी है जो निर्धारित उच्चतम सीमा के समीप है।
मंत्री – परिषद का कार्यकाल-संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार सभी मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद पर बने रह सकते हैं। प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद उस समय तक अपने पद पर बने रहते हैं जब तक उन्हें लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो। साधारणतया मंत्री परिषद का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ ही चलता है जो कि पाँच वर्ष होता है।
प्रश्न 20.
भारत में प्रधानमंत्री एवं मंत्रिपरिषद के मध्य संबंधों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में मंत्रिपरिषद और प्रधानमंत्री के मध्य संबंध-भारत में मंत्रिपरिषद और प्रधानमंत्री के मध्य संबंधों का वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता है
- प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का आधार एवं केन्द्र बिन्दु-भारत में प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का आधार एवं केन्द्र बिन्दु होता है। मंत्रिपरिषद का बने रहना प्रधानमंत्री के पद पर बने रहने पर निर्भर करता है। यदि प्रधानमंत्री त्यागपत्र दे दे अथवा उसके विरुद्ध लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाये तो सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना होता है।
- मंत्रियों में समन्वय स्थापित करना-प्रधानमंत्री विभिन्न मंत्रियों के कार्यकलापों में समन्वय स्थापित करता है।
- निर्णयों में पहल तथा अधिकारिक वक्तव्य-प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल के निर्णयों में पहल करता है तथा मंत्रिपरिषद की ओर से आधिकारिक वक्तव्य देता है।
प्रश्न 21.
मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मंत्रिपरिषद का सामूहिक उत्तरदायित्व:
मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व से तात्पर्य होता है किमंत्रिपरिषद के विभिन्न सदस्यों के बीच कार्यों का विभाजन होता है तथा विभिन्न मंत्री अपने – अपने विभाग के कार्यों के लिए प्रशासनिक दृष्टि से उत्तरदायी होते हैं किंतु नीति संबंधी विषयों पर संसद के समक्ष उत्तरदायित्व मंत्रियों का व्यक्तिगत उत्तरदायित्व नहीं होता बल्कि मंत्रिपरिषद का सामूहिक उत्तरदायित्व होता है।
यदि लोकसभा किसी एक विभाग की नीतियों के प्रति अविश्वास व्यक्त करे अथवा बजट पर विचार के समय किसी एक विभाग की माँगों के संबंध में कटौती प्रस्ताव पारित कर दे तो इसे संपूर्ण मंत्रिपरिषद के प्रति अविश्वास माना जाता है।
प्रश्न 22.
मंत्रिमण्डल व मंत्रिपरिषद में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मंत्रिमण्डल व मंत्रिपरिषद में अंतर: मंत्रिमण्डल व मंत्रिपरिषद में निम्नलिखित अंतर हैं
- मंत्रिपरिषद एक विशाल संस्था है जिसमें 50 से 60 तक सदस्य होते थे लेकिन 91 वें संविधान संशोधन द्वारा मंत्रिपरिषद के आकार को सदन की संख्या के 15 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया है। इसमें सभी प्रकार के मंत्री सम्मिलित होते हैं जैसे कैबिनेट स्तर के मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री। इसके अतिरिक्त एक श्रेणी संसदीय सचिवों की भी होती है जबकि मंत्रिमंडल एक छोटी संस्था है जिसमें 20-22 सदस्य होते हैं। इसमें केवल कैबिनेट स्तर के मंत्री होते हैं।
- प्रायः मंत्रिमण्डल में सभी वरिष्ठ मंत्री होते हैं जो कि महत्वपूर्ण विभागों के अध्यक्ष होते हैं, जबकि मंत्रिपरिषद कैबिनेट के सहायक के रूप में कार्य करती है।
- मंत्रिमण्डल की बैठक प्रायः नियमित रूप से होती है जिनमें केवल कैबिनेट मंत्री ही सम्मिलित होते है। जबकि मंत्रिपरिषद की बैठकें कभी- कभी होती हैं। राज्य मंत्री एवं उपमंत्री विशेष रूप से बुलाये जाने पर ही मंत्रिमण्डल की बैठक में सम्मिलित होते हैं।
- मंत्रिमण्डल प्रशासन का केन्द्र है जबकि मंत्रिपरिषद मंत्रिमण्डल की सहायक संस्था है।
- मंत्रिमण्डल के सदस्यों का वेतन अधिक होता है जबकि मंत्रीपरिषद के सदस्यों (राज्यमंत्री एवं उपमंत्री) का वेतन कम होता है।
प्रश्न 23.
प्रधानमंत्री और संसद के मध्य संबंधों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री और संसद के मध्य संबंध:
प्रधानमंत्री और संसद के मध्य सम्बन्धों का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है|
- सामान्यत: प्रधानमंत्री का चुनाव संसद के निम्न सदन में से होता है।
- प्रधानमंत्री संसद में बहुमत दल का नेता होता है, उसके प्रति उत्तरदायी होता है तथा उसके विश्वास पर्यन्त पद पर बना रहता है। इस प्रकार संसद और प्रधानमंत्री के बीच अनिवार्य पारस्परिक संबंध रहते हैं।
- संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका व व्यवस्थापिका के मध्य शक्तियों का पृथक्करण नहीं होता। इस प्रकार वास्तविक कार्यपालिका अर्थात् मंत्रिपरिषद संसद में से ही ली जाती है व मंत्रिपरिषद का मुखिया प्रधानमंत्री होता है।
- देश के प्रशासन को चलाने तथा नीति संबंधी विषयों में वह संसद के दोनों सदनों के प्रति उत्तरदायी होता है।
- प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को परामर्श देता है कि संसद का सत्र कब बुलाया जाए, कब स्थगित किया जाए और कब भंग किया जाये।
- प्रधानमंत्री यह भी सुनिश्चित करता है कि कैबिनेट के निर्णयानुसार कौन से विधेयक संसद में पेश किए जायें और विपक्ष के विरोध का किस प्रकार सामना किया जाए।
प्रश्न 24.
शासनाध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शासनाध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री की भूमिका:
भारत का प्रधानमंत्री विश्व के शक्तिशाली शासनाध्यक्षों में से एक है । वह सरकार का मुखिया होता है। संसदीय प्रणाली को अपनाये जाने के कारण राष्ट्रपति औपचारिक राष्ट्राध्यक्ष है और प्रधानमंत्री वास्तविक शासनाध्यक्ष है। शासनाध्यक्ष के रूप में वह व्यक्तिशः भी राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है यथा
- प्रधानमंत्री शासन के समस्त कार्यों का सूत्रधार एवं शासकीय नीतियों का प्रमुख प्रवक्ता होता है।
- देश के समस्त कार्यों का, चाहे वह किसी भी विभाग से संबंधित हों, अन्तिम उत्तरदायित्व प्रधानमंत्री का ही माना जाता है।
- विदेशों में राजदूतों की नियुक्ति, देश में राज्यपालों की नियुक्ति, संघ के विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ, विभिन्न आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्तियाँ राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के परामर्श से ही की जाती हैं। सेना के तीनों अंगों के अध्यक्षों की नियुक्ति में भी उसकी भूमिका निर्णायक होती है।
- केन्द्रीय मंत्रिमण्डल व अन्य नीति निर्माणक संस्थाओं से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय उसकी देख-रेख में लिए जाते हैं। वह नीति आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है।
प्रश्न 25.
प्रधानमंत्री किस प्रकार राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद के मध्य सम्पर्क सूत्र के रूप में कार्य करता है । बताइए।
अथवा
‘प्रधानमंत्री’ राष्ट्रपति तथा मंत्रिमण्डल के बीच संबंध स्थापित करता है।’ कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद (मंत्रिमंडल) के बीच संबंध स्थापित करता है। सार्वजनिक महत्व के मामलों पर राष्ट्र के प्रधान अर्थात् राष्ट्रपति से केवल प्रधानमंत्री के माध्यम से ही संपर्क स्थापित किया जा सकता है। वही राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल के निर्णयों से अवगत कराता है। वही राष्ट्रपति के परामर्श को मंत्रिमण्डल तक पहुँचाता है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मध्य जो भी विचार विमर्श होता है, उसे पूर्णतया गुप्त ही रखा जाता है। इस प्रकार प्रधानमंत्री राष्ट्रपति एवं मंत्रिमंडल के मध्य एक कड़ी का कार्य करता है।
प्रश्न 26.
“प्रधानमंत्री संसद और कैबिनेट के मध्य कड़ी है।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रधानमंत्री संसद एवं कैबिनेट के मध्य कड़ी के रूप में कार्य करता है। वह संसद में सरकार की ओर से मुख्य प्रवक्ता होता है। प्रधानमंत्री लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल या दलों के समूह का नेता होने के कारण संसद का नेतृत्व करता है।
ऐसी परिस्थिति में जब प्रधानमंत्री लोकसभा का सदस्य न होकर, राज्यसभा का सदस्य हो, वह औपचारिक रूप से लोकसभा में अपने दल का नेता नही होता किन्तु व्यवहार में लोकसभा को नेतृत्व वही प्रदान करता है वह लोकसभा का नेता भी होता है। प्रधानमंत्री को इस रूप में यह उत्तरदायित्व है कि वह महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों की घोषणा करे। प्रधानमंत्री संसद में सामान्य महत्व की बहस में हस्तक्षेप कर सरकार की नीति को स्पष्ट करने के लिए अपना पक्ष रखता है।
प्रश्न 27.
मंत्रिपरिषद का गठन किस प्रकार होता है। बताइए।
उत्तर:
मंत्रिपरिषद का गठन: संविधान में राष्ट्रपति को कार्यों में सहयोग व परामर्श देने के लिए मंत्रिपरिषद का प्रावधान है। मंत्रिपरिषद का गठन प्रधानमंत्री एवं तीन तरह के मंत्रियों यथा – कैबिनेट, राज्यमंत्री एवं उपमंत्री से मिल कर होता है। प्रधानमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन का सदस्य मंत्री नियुक्त किया जा सकता है। मंत्री के लिए संसद का सदस्य होना अनिवार्य है।
यदि कोई मंत्री संसद के किसी सदन का सदस्य नही होता है, तो उसे 6 माह बाद मंत्रिपरिषद से त्यागपत्र देना पड़ता है। मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। लोकसभा के विश्वास तक ही मंत्रिपरिषद अपने पद पर रह सकती है। 91 वें संविधान संशोधन 2003 की व्यवस्थानुसार प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद की सदस्य संख्या, लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।
प्रश्न 28.
भारत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मध्य संबंधों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के मध्य संबंध:
भारत में सामान्य परिस्थितियों में शासन की शक्तियों का उपयोग प्रधानमंत्री द्वारा मंत्रिपरिषद के साथ मिलकर किया जाता है तथा भारत का राष्ट्रपति शासन के सामान्य कार्यों से स्वयं को अलग रखता है। वह व्यवहार में प्रधानमंत्री का हितचिंतक एवं पथप्रदर्शक की भाँति कार्य करता है यथा-
- प्रधानमंत्री का दायित्व है कि वह राष्ट्रपति द्वारा अपेक्षा किए जाने पर शासन से संबंधित गतिविधियों से राष्ट्रपति को अवगत कराए।
- राष्ट्रपति किसी मंत्री द्वारा लिए गए निर्णय को मंत्रिपरिषद के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत करने के लिए प्रधानमंत्री को निर्देश दे सकता है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रपति व मंत्रिपरिषद के मध्य सम्पर्क सूत्र के रूप में कार्य करता है। - यदि राष्ट्रपति इस विषय में आश्वस्त होना चाहे कि प्रधानमंत्री को लोकसभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त है या नहीं । इसकी पुष्टि के लिए वह प्रधानमंत्री को लोकसभा का विश्वास प्राप्त करने का निर्देश दे सकता है। भारत में संविधान लागू होने के पश्चात् से ही राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के मध्य सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रहे हैं। कुछ मतभेदों के बावजूद दोनों संवैधानिक पदों के मध्य टकराव के अवसर नहीं आए हैं।
प्रश्न 29.
मंत्रियों के प्रकार बताइए अथवा मंत्रिपरिषद में कितने प्रकार के मंत्री होते हैं? अथवा मंत्रिपरिषद के सदस्यों की विभिन्न श्रेणियों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मंत्रियों के प्रकार / श्रेणी: मंत्रिपरिषद में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं
- कैबिनेट मंत्री – कैबिनेट स्तर के मंत्री, मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण सदस्य होते हैं। सामान्यतः मंत्रिपरिषद में सम्मिलित किये गये सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ और महत्वपूर्ण सांसदों को कैबिनेट मंत्री का स्तर प्रदान किया जाता है। ये उन्हें सौंपे जाने वाले विभागों के स्वतंत्र प्रभारी होते हैं। नीति निर्माण में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
- राज्यमंत्री – राज्यमंत्री सामान्यतः कैबिनेट मंत्रियों के अधीन कार्य करते हैं। अनेक बार राज्यमंत्रियों को उनके विभागों का स्वतंत्र प्रभार भी प्रदान किया जाता है।
- उपमंत्री – ये मंत्रिपरिषद के कनिष्ठ सदस्य होते हैं। ये प्रायः विभाग के प्रभारी कैबिनेट मंत्री अथवा राज्यमंत्री के । कार्य में सहायता करते हैं।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 21 निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया:
भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं . के अन्तर्गत प्रस्तुत है
1. अप्रत्यक्ष निर्वाचन – भारत का राष्ट्रपति जनता द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति के द्वारा चुना जाता है, सीधे निर्वाचन विधि द्वारा नहीं।
2. निर्वाचक मण्डल – राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मण्डल द्वारा किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 54 के अनुसार राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं
- राज्यों की विधानसभाओं और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं।
3. निर्वाचक मण्डल के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य निर्धारण-संविधान के अनुच्छेद 55 में यह प्रावधान किया गया है कि जहाँ तक संभव हो, राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व के मापमान में जनसंख्या के आधार पर एकरूपता रहेगी एवं समस्त राज्यों एवं संघ में समतुल्यता रहेगी। विभिन्न राज्यों में ऐसी एकरूपता एवं समस्त राज्यों एवं संघ में समुल्यता बनाये रखने के लिए एक सूत्र (फार्मूला) अपनाया गया है। इस सूत्र के अनुसार प्रत्येक सदस्य की मतसंख्या निम्न प्रकार से निर्धारित की जायेगी–
(i) विधानसभा के एक सदस्य के मत का मूल्य – किसी राज्य की विधानसभा के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के उतने मत होंगे जितने कि 1000 के गुणित उस भागफल में हों जो राज्य की जनसंख्या को उस सभा के निर्वाचित सदस्यों की संपूर्ण संख्या से भाग देने से आयें एवं यदि 1000 के उक्त गुणितों के लेने के बाद शेष 500 से कम न हो तो प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या में एक और जोड़ दिया जायेगा यथा
विधानसभा के एक सदस्य के मत का मूल्य =
(ii) संसद के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य: इस प्रकार जब समस्त राज्यों के मतों की संख्या प्राप्त हो जाए तो उन सबके योग को संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से भाग देने पर जो संख्या प्राप्त होगी वह संसद के प्रत्येक सदस्य की मत संख्या होगी। अपूर्ण संख्या, जो आधे से अधिक है एक मानी जायेगी और उसमें कम को छोड़ दिया जायेगा यथा
संसद के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य = .
4. एकल संक्रमणीय मत पद्धति एवं गुप्त मतदान प्रणाली – संसद एवं राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष मत पद्धति के अनुसार होगा, जिसे एकल संक्रमणीय मत पद्धति कहा जाता है। इस चुनाव में मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा होता है। इसके अन्तर्गत राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के नाम एक मतदान – पत्र पर छाप दिये जाते हैं और नाम के आगे वरीयता मतदान के लिए स्थान छोड़ दिया जाता है। मतदाता चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम के सामने अपनी पसंद की वरीयता को अंक में लिख सकता है।
5. मतगणना – मतदान के बाद मतों की गिनती प्रारम्भ होती है। इस संबंध में निम्न प्रक्रिया अपनायी जाती है-
(i) चुनाव में न्यूनतम मत संख्या (कोटा) का निर्धारण – चुनाव में सफलता प्राप्त करके लिए उम्मीदवार के लिए। न्यूनतम कोटा प्राप्त करना आवश्यक होगा। न्यूनतम कोटा निर्धारित करने के लिए यह सूत्र अपनाया जाता है
न्यूनतम काटा =
(ii) न्यूनतम कोटा की व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि स्पष्ट बहुमत प्राप्त होने पर ही एक व्यक्ति को राष्ट्रपति का पद प्राप्त हो सके।
6. मतगणना प्रक्रिया-सर्वप्रथम वरीयता के अनुक्रम में मतों की गणना की जाती है और यदि प्रथम वरीयता के मतों की गणना में किसी भी प्रत्याशी को निर्धारित चुनाव कोटा के मतों के मूल्य के बराबर मत नहीं मिल पाते हैं तो सबसे कम मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को पराजित घोषित कर दिया जाता है और इन मत पत्रों के मतों को द्वितीय वरीयता के आधार पर शेष उम्मीदवारों के मतों में जोड़ दिया जाता है।
यदि द्वितीय गणना में किसी को निश्चित कोटा प्राप्त नही होता है तो फिर तीसरी एवं चौथी गणना चलती है। इस प्रकार गणना का यह क्रम तब तक चलता रहता है जब तक किसी एक उम्मीदवार को निर्धारितआवश्यक मत प्राप्त नहीं हो जाते।
प्रश्न 2.
महाभियोग की प्रक्रिया का सविस्तार विवेचन कीजिए।
उत्तर:
महाभियोग की प्रक्रिया:
महाभियोग एक ऐसी न्यायिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा उच्च पद पर आसीन किसी लोक सेवक जैसे भारत के राष्ट्रपति को संविधान का अतिक्रमण, कदाचार अथवा शक्तियों के दुरुपयोग के कारण पद से मुक्त किया जा सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति के द्वारा संविधान का उल्लंघन किए जाने।
पर संविधान में दी गई पद्धति के अनुसार उस पर महाभियोग लगाकर उसे उसके पद से हटाया जा सकता है। उस पर महाभियोग लगाने का अधिकार भारतीय संसद के प्रत्येक सदन को प्राप्त है। अभियोग लगाने के लिए अभियोग लगाने वाले सदन की समस्त संख्या के 1 / 4 सदस्यों के हस्ताक्षर होना आवश्यक है।
सदन के ऐसे प्रस्ताव के लिए कम से कम 14 दिन पूर्व राष्ट्रपति को लिखित सूचना दिया जाना आवश्यक होता है। अभियोग लगाने के 14 दिन बाद अभियोग लगाने वाले सदन में उस पर विचार किया जाएगा और यदि वह सदन की समस्त संख्या के 2 / 3 सदस्यों द्वारा स्वीकृत हो जाए, तो उसके उपरांत वह भारतीय संसद के द्वितीय सदन में भेज दिया जाता है।
दूसरा सदन इन अभियोगों की या तो स्वयं जाँच करेगा या इस कार्य के लिए एक समिति नियुक्त करेगा। राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह सदन में स्वयं उपस्थित होकर या अपने किसी प्रतिनिधि द्वारा महाभियोग की जाँच में हिस्सा ले और अपना पक्ष रखे।
यदि सदन में राष्ट्रपति के विरुद्ध लगाए गए आरोप सिद्ध हो जाते हैं और दूसरा सदन भी अपने कुल सदस्यों के कम से कम 2 / 3 बहुमत से महाभियोग का प्रस्ताव स्वीकार कर ले तो वह प्रस्ताव स्वीकार माना जाएगा और प्रस्ताव के स्वीकृत होने की तिथि से राष्ट्रपति पदच्युत समझा जाएगा।
इस संबंध में यह बात उल्लेखनीय है कि इस काल में भी वह अपने पद पर आसीन रहता हुआ बराबर अपना कार्य करता रहेगा। महाभियोग की यह प्रक्रिया संयुक्त राज्य अमेकिा से अपनायी जाने वाली प्रक्रिया से कहीं अधिक कठिन है जहाँ कार्यवाही प्रारंभ करने के लिए केवल साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3.
राष्ट्रपति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रपति की शक्तियाँ एवं कार्य:
संविधान के अनुसार राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है। वह राष्ट्राध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रपति की शक्तियों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- सामान्यकालीन शक्तियाँ
- संकटकालीन / आपातकालीन शक्तियाँ।
(अ) सामान्यकालीन शक्तियाँ: राष्ट्रपति की सामान्यकालीन शक्तियाँ निम्नलिखित हैं
1. कार्यपालिका शक्तियाँ: राष्ट्रपति संघीय कार्यपालिका का अध्यक्ष होने के नाते सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति है तथा किसी भी समय युद्ध घोषित करने एवं शान्ति घोषित करने का उसे अधिकार है।
नियुक्ति के अधिकार के रूप में मंत्रियों, राज्यपालों, राजदूतों, राज्य उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों, संघ लोकसेवा आयोग के सदस्यों, एटार्नी जनरल, निर्वाचन आयुक्त, महालेखा परीक्षक, अनुसूचित जाति – जनजाति आयोग के अध्यक्ष, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्षों आदि की नियुक्तियाँ राष्ट्रपति ही करता है।
2. विधायी शक्तियाँ – राष्ट्रीय संघीय विधानमंडल राष्ट्रपति तथा संसद के दोनों सदनों द्वारा निर्मित होती है। इस संबंध में राष्ट्रपति की शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं-
- वह दोनों सदनों को बुलाने, स्थगित करने तथा सत्रावसान करने का कार्य करता। है। लोकसभा को भंग करने की शक्ति राष्ट्रपति के पास है।
- किसी विवादित विधेयक पर दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है।
- लोकसभा में दो तथा राज्यसभा में 12 सदस्यों का नामांकन करता है।
- प्रत्येक वर्ष नये सत्र के आरम्भ पर तथा नयी लोकसभा के गठन के उपरान्त प्रारम्भ प्रथम सत्र पर राष्ट्रपति अभिभाषण देता है।
- संसद में पारित प्रत्येक विधेयक पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं।
- अनुच्छेद 123 के अन्तर्गत अध्यादेश जारी करने का अधिकार राष्ट्रपति को है।
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र असफल होने पर धारा 356 के अन्तर्गत राष्ट्रपति स्वयं का शासन लगा सकता है।
3. न्यायिक शक्तियाँ – धारा 72 के अन्तर्गत राष्ट्रपति को किसी सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा कम करने, सजा निलम्बित करने, मृत्युदण्ड माफ करने आदि जैसी शक्तियाँ प्राप्त हैं।
4. वित्तीय शक्तियाँ – प्रत्येक वित्त वर्ष के प्रारम्भ होने के पहले संसद के पटल पर वार्षिक वित्तीय विवरण तथा पूरक बजट पेश किया जाना राष्ट्रपति के अधिकार में आता है। कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के बिना संसद में प्रस्तुत नही किया जा सकता।
वह राज्यों एवं केन्द्र के मध्य आयकर की प्राप्तियों का वितरण करता है। आपात स्थिति में आकस्मिक निधि से धन निकालने का कार्य संसद के नियन्त्रणाधीन राष्ट्रपति करता है। उसे वित्त आयोग नियुक्त करने का अधिकार प्राप्त है।
(ब) आपातकालीन शक्तियाँ – अनुच्छेद 352, 356 एवं 360 के अन्तर्गत आपातकालीन शक्तियों का वर्णन है। राष्ट्रीय आपातकाल धारा 352 के तहत, राज्यों में राष्ट्रपति शासन के रूप में धारा 356 एवं 360 के अन्तर्गत वित्तीय आपातकाल लागू किया जा सकता है
(i) राष्ट्रीय आपातकाल – संविधान के अनुच्छेद 352 में यह व्यवस्था की गई है कि जब राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाये कि युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र आंतरिक विद्रोह के कारण भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा के सम्मुख संकट उत्पन्न हो गया है तो वह संपूर्ण देश या उसके किसी भाग में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
(ii) राज्यों में संवैधानिक विफलता – संविधान के अनुच्छेद 356 में यह प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति को किसी राज्य के राज्यपाल से मिले प्रतिवेदन के आधार पर या अथवा यह विश्वास हो जाए कि राज्य में संविधान के प्रावधानों
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