Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 संयुक्त राष्ट्र संघ-संगठन एवं विश्व शांति में योगदान
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 बहुंचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों से कौन-सा कथन मेल नहीं खाता है?
(अ) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा बनाए रखना।
(ब) विश्व को युद्धों से बचाना।
(स) भारत – पाकिस्तान के मध्य व्यापार की देख – रेख।
(द) अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने की पहल।
प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्यों की संख्या थी
(अ) 193
(ब) 51
(स) 15
(द) 05
प्रश्न 3.
इनमें से कौन – सा राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थाई सदस्य है?
(अ) फ्रांस
(ब) भारत
(स) जापान
(द) आस्ट्रेलिया
प्रश्न 4.
शिक्षा व संस्कृतियों के प्रसार हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेन्सी है
(अ) विश्व बैंक
(ब) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(स) यूनेस्को
(द) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में वर्तमान में भारत के कौन न्यायाधीश चुने गए हैं?
(अ) जस्टिस दलवीर भंडारी
(ब) ज.डॉ.नगेन्द्र सिंह
(स) ज.विनीत कोठारी
(द) ज.अमर सिंह गोदारा
उतर:
1. (स), 2. (ब), 3. (अ), 4. (स), 5. (अ)
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई।
प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय किस शहर में है ?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय ‘हेग’ में है।
प्रश्न 3.
सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यों की संख्या कितनी है ?.
उत्तर:
सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यों की संख्या 10 है।
प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की विशेष शक्ति का क्या नाम है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की विशेष शक्ति को ‘वीटो शक्ति” के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 5.
वर्तमान में यूएन महासचिव कौन हैं ?
उत्तर:
वर्तमान में यूएन (UN) के महासचिव ‘Antonio Guterres’ है।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य – संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के पहले अध्याय के प्रथम अनुच्छेद में संयुक्त राष्ट्र के निम्नलिखित उद्देश्य बताए गए हैं
(1) संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे प्रमुख उद्देश्यों में से सर्वप्रथम अपने-अपने देशों में तथा अन्य पड़ोसी देशों में अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को बनाए रखना है, जिससे समस्त नागरिकों को विकास के लिए एक उचित वातावरण प्राप्त हो सके।
(2) संयुक्त राष्ट्र संघ का एक उद्देश्य यह भी है कि समस्त प्रकार की समस्याओं; जैसे-आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय आदि समस्याओं को सुलझाने के लिए कुछ सशक्त नीतियों या नियमों का निर्माण करें, जिससे समस्या का पूर्ण रूप से निदान हो सके।
(3) संयुक्त राष्ट्र संघ का एक उद्देश्य यह भी है, जिसमें वह अन्य देशों के साथ समान आदर का भाव रखते हुए सभी के उपयुक्त तथा स्वस्थ मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को स्थापित कर सके।
(4) संयुक्त राष्ट्र संघ का एक उद्देश्य यह भी है कि वह समस्त महत्त्वपूर्ण कार्यों के क्रियान्वयन के लिए समुचित केन्द्रों का निर्माण करवाए, जिससे कार्यों को उचित ढंग से बिना किसी बाधा के संपन्न किया जाए।
प्रश्न 2.
महासभा के तीन प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
महासभा के कार्य – महासभा के तीन प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
(1) विश्व शांति एवं सुरक्षा सम्बन्धी समस्याओं पर विचार करना – महासभा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य यह है कि उसे विश्व शांति व सुरक्षा को समस्त देशों में स्थापित करने के लिए उससे संबंधित बाधाओं या समस्याओं पर सभी के साथ विचार – विमर्श करना, जिससे विश्व शांति को कायम रखा जा सके।
(2) बजट पारित करना – महासभा का एक महत्त्वपूर्ण कार्य यह भी है कि यह संघ की आर्थिक व्यवस्था को ठीक प्रकार से बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट पारित करती है।
(3) निरीक्षण कार्य – महासभा का एक अहम् कार्य उन क्षेत्रों का निरीक्षण करना है जो स्वशासित नहीं है, उन पर शासन करने वाले राष्ट्रों पर इन क्षेत्रों के विकास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।
प्रश्न 3.
सुरक्षा परिषद् के पाँच स्थायी सदस्यों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ का सर्वाधिक शक्तिशाली अंग सुरक्षा परिषद् है। सम्पूर्ण विश्व में शांति एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी इसी संगठन को सौंपी गयी है। चार्टर के 5वें अध्याय में सुरक्षा परिषद् में प्रारम्भ में 11 सदस्य रखे गए थे। इनमें पाँच स्थायी सदस्य जबकि 6 अस्थायी सदस्य रखे गए थे, जिनमें से प्रत्येक को दो वर्ष के बाद चुना जाता है।
1965 में चार्टर में संशोधन द्वारा अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई, जिससे कुल सदस्यों की संख्या 15 हो गयी, जिनमें 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। पाँच स्थायी सदस्य हैं – चीन, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका।
प्रश्न 4.
न्यास परिषद् क्या काम करता है?
उत्तर:
न्यास परिषद् महासभा के प्राधिकार के अधीन, उन कार्यों को करती है, जो उसे चार्टर के अनुच्छेद 7 द्वारा प्रदत्त किए गए हैं, जो निम्नवत् हैं
- यह प्रशासनिक प्राधिकारी द्वारा पेश की गयी रिपोर्टों पर विचार कर सकती है। रिपोर्ट न्यासिता परिषद् द्वारा तैयार किए गए न्यास राज्य क्षेत्र के निवासियों की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक प्रगति की प्रश्नावली के आधार पर तैयार की जाती है।
- यह परिषद् प्रशासनिक प्राधिकारी के साथ निश्चित समय पर सम्बन्धित न्यास राज्य क्षेत्रों के सामाजिक दौरों की व्यवस्था कर सकती है।
- यह परिषद् याचिकाओं को स्वीकार कर सकती है और प्रशासनिक अधिकारी के साथ विचार-विमर्श करके उनकी जाँच कर सकती है।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के मुख्य उद्देश्य व उसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के मुख्य उद्देश्य:
(1) मानव जाति की भावी संतति को युद्ध की भयंकरता से मुक्ति प्रदान करना तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को स्थायी रूप प्रदान करना है।
(2) समस्त राज्यों में मैत्रिक सम्बन्धों की वृद्धि करना और सब छोटे – बड़े राज्यों को समान अधिकार प्रदान करके आत्म – निर्णय के सिद्धान्तों का पालन करना है।
(3) समस्त प्रकार की आर्थिक, सांस्कृतिक या मानवतापूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का समाधान समस्त राज्यों के सहयोग से किया जाए तथा बिना भेदभाव के सभी को मौलिक स्वतंत्रताएँ प्रदान करना है।
(4) संयुक्त राष्ट्र संघ को ऐसा केन्द्र बनाया जाए जो सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समस्त राज्यों में सामंजस्य की स्थापना करने में सफलता प्राप्त कर सके।
संयुक्त राष्ट्र संघ की वर्तमान प्रासंगिकता: यद्यपि संयुक्त राष्ट्र संघ युद्ध और उससे उत्पन्न विपदा को रोकने में नाकामयाब रहा है।
परन्तु फिर भी हर देश इसे एक महत्वपूर्ण तथा अपरिहार्य संगठन मानता है। संयुक्त राष्ट्र संघ अपने पूर्ववर्ती संगठन – राष्ट्र संघ की तरह दूसरे विश्वयुद्ध के बाद असफल नहीं रहा। अत: संयुक्त राष्ट्र संघ को बनाए रखना आवश्यक है। इसकी वर्तमान प्रासंगिकता के संदर्भ में निम्न बिन्दु उल्लेखित हैं।
1. संयुक्त राष्ट्र संघ संयुक्त राज्य अमेरिका एवं विश्व के अन्य देशों के बीच विभिन्न मसलों पर बातचीत करवा सकता है। इसी के माध्यम से छोटे तथा निर्बल देश अमेरिका से किसी भी मसले पर बात कर सकते हैं।
2. सन् 2011 तक संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 देश सदस्य बन चुके हैं। यह विश्व का सबसे प्रभावशाली मंच है। यहाँ पर अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति, सुरक्षा एवं सामाजिक, आर्थिक समस्याओं पर खुले मस्तिष्क से बाद-विवाद एवं विचार-विमर्श होता है।
3. संयुक्त राष्ट्र संघ के पास ऐसी कोई शक्ति तो नहीं है कि वह किसी देश को बाध्य करे, परन्तु वह ऐसे देशों की शक्तियों पर अंकुश अवश्य लगा सकता है चाहे वह संयुक्त राज्य अमेरिका जैसा देश ही क्यों न हो। संयुक्त राष्ट्र संघ अपने सदस्यों (देशों) के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका तक की नीतियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकता है।
4. आज कुछ राष्ट्रों के पास परमाणु बम है किन्तु बड़ी शक्तियों के प्रभाव के कारण काफी सीमा तक सर्वाधिक भयंकर हथियारों के निर्माण एवं रसायन व जैविक हथियारों का प्रयोग एवं निर्माण को रोकने में संयुक्त राष्ट्र संघ को सफलता मिली
है।
5. संयुक्त राष्ट्र संघ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक से पिछड़े एवं गरीब राष्ट्रों को ऋण, भुगतान एवं आपातकाल में अनेक प्रकार की सहायता दिलाने में सक्षम रहा है। इसलिए इसका अस्तित्व में रहना आवश्यक है।
6. आज प्रत्येक देश पारस्परिक निर्भरता को समझने लगा है एवं पारस्परिक निर्भरती बढ़ रही है। इसके पीछे भी संयुक्त राष्ट्र संघ है। यह एक ऐसा मंच है जिस पर विश्व के अधिकांश देश उपलब्ध रहते है। कोई भी देश पूर्ण नही होता उसे सदैव दूसरे देश के सहयोग की आवश्यकता होती है।
फिर चाहे वह अमेरिका हो या इंग्लैण्ड।। उपरोक्त कारणों से स्पष्ट होता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ का उपयोग एवं अधिक मानव मूल्यों, विश्व-बधुत्व तथा पारस्परिक सहयोग की भावना से किया जाना चाहिए। इसका अस्तित्व आज अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सहयोग के लिए परम आवश्यक हैं। सन् 2005 में संयुक्त राष्ट्र संघ की 60वीं वर्षगाँठ पर इसे अधिक प्रासंगिक बनाने के अनेक कदम उठाए गए हैं|
- शांति संस्थापक आयोग के गठन पर सभी सदस्य देशों को सहमति व्यक्त हो।
- एक लोकतंत्र कोष का गठन करने का निर्णय किया गया।
- सभी सदस्यों ने आपसी सहमति से मानवाधिकार परिषद् की स्थापना पर जोर दिया। यह परिषद 19 जून 2006 से सक्रिय है।
- सभी सदस्य राष्ट्रों ने आतंकवाद की समाप्ति हेतु कठोर कदम उठाए जाने पर बल दिया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रासंगिक बनाने हेतु सुझाव:
- विश्व के जो देश अभी तक संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं उन्हें सदस्यता हेतु सहमत किया जाना चाहिए।
- सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के कोष में अभिवृद्धि की जानी चाहिए जिससे वह विकास एवं वृद्धि के और अधिकाधिक कार्यक्रमों को संचालित कर सके।
प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठनात्मक ढाँचे पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतराष्ट्रीय शांति बनाए रखने एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करने के लिए व्यापक संगठन की आवश्यकता महसूस की गई। इस दृष्टि से 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई। संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली बैठक 10 जून, 1946 को लंदन में हुई। संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में 111 अनुच्छेद है। जिनमें इसके संगठन, शक्तियों एवं कार्यों का उल्लेख किया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ को संगठनात्मक ढाँचा – संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठनात्मक ढांचे के अन्तर्गत इसके 6 प्रमुख अंगों को सम्मिलित किया जा सकता है जिनका वर्णन निम्नानुसार है
(i) महासंभा – संयुक्त राष्ट्र संघ की वह शीर्ष संस्था है। जिसे सम्पूर्ण विश्व की नगर बैठक का नाम दिया जा सकता है। महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी छोटे – बड़े सदस्य देशों के विचारों को सुना जाता है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य महासभा के सदस्य होते हैं। कोई भी सदस्य देश महासभा में 5 से अधिक प्रतिनिधि नहीं भेज सकता और प्रत्येक देश का महासभा में केवल एक ही मत होता है। इसे ही संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा कहा जाता है।
महासभा कोई भी सदस्य रखने एवं अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाला एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच है। महासभा एक वर्ष के लिए अपना सभापति चुनती है। इसकी बैठक प्रतिवर्ष सितम्बर के तीसरे मंगलवार को नियमित रूप से होती है। यह संस्था अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा से संबंधी मामलों पर विचार-विमर्श करती है। यह सभा संयुक्त राष्ट्र का बजट पारित करती है। यह संयुक्त राष्ट्र के शेष समस्त अंगों के सदस्यों का चुनाव करती है।
(ii) सुरक्षा परिषद-सुरक्षा परिषद को संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारिणी कहा जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके 15 सदस्य होते हैं जिनमें पाँच सदस्य स्थायी हैं-संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस व ब्रिटेन इसके अतिरिक्त 10 अस्थायी सदस्य भी होते हैं। जिनका चुनाव महासभा द्वारा दो वर्षों के लिए किया जाता है। सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों को निषेधाधिकार (वीटो) की शक्ति प्राप्त है।
यदि कोई स्थायी सदस्य यदि किसी महत्वपूर्ण प्रश्न पर असहमति प्रकट करता है तो उस प्रश्न को अस्वीकृत कर दिया जाता है। यह विश्व शांति एवं सुरक्षा का सर्वोच्च संरक्षक है। कोई भी देश अपनी शिकायत इस परिषद के सामने रख सकता है। यह देशों के मध्य झगड़ों का निर्णय करती है और यदि उचित समझती है तो किसी भी देश के विरुद्ध शक्ति प्रयोग कर सकती है। यह महासभा के सहयोग से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करती है।
(iii) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय-यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग है। इसका मुख्यालय हेग में है। यह विश्व के विभिन्न देशों के मध्य विवादों का निर्णय अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों को उसके निर्णय मान्य होते हैं। इसके न्यायाधीशों की नियुक्ति महासभा द्वारा की जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश इसके भी सदस्य होते हैं। इस न्यायालय में 22 न्यायाधीश होते हैं।
वे अन्तर्राष्ट्रीय कानून के जानकार होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालयो के न्यायाधीशों का कार्यकाल 9 वर्ष का होता है एवं हर 3 वर्ष के बादं 5 न्यायाधीशों से वानिकृत हो जाते हैं। न्यायाधीश पुनः भी चुनाव लड़ सकते हैं। भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश हैं। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की शक्तियों एवं क्षेत्राधिकार को 3 भागों में बाँटा जा सकता है
- ऐच्छिक क्षेत्राधिकार,
- अग्निवार्य क्षेत्राधिकार
- सलाहकारी क्षेत्राधिकार।
(iv) न्यास परिषद – यह संयुक्त राष्ट्र संघ का अधीनस्थ अंग है। यह महासभा के सहायक अंग के रूप में यह असामरिक ट्रस्ट भूक्षेत्रों के प्रशासन का निरीक्षण एवं सामरिक क्षेत्रों के मामले में सुरक्षा समिति के सहायक अंग के रूप में कार्य करती है। न्यास परिषद ने राजनीतिक, आर्थिक, एवं सामाजिक क्षेत्रों में बहुत विकास किया है, यह परिषद उन प्रदेशों के प्रशासन की भी देखभाल करती है जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने अनेक देशों के संरक्षण में रखा हो, इसके अतिरिक्त यह इस बात का भी प्रयत्न करती है कि प्रशासन चलाने वाले देश इन प्रदेशों को हर प्रकार से उन्नत करके स्वतंत्रता के योग्य बना दे।
(v) आर्थिक एवं सामाजिक परिषद – आर्थिक व सामाजिक परिषद् की कार्यप्रणाली एवं उसके नाम से ही स्पष्ट है यह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व मानवीय समस्याओं पर विचार करती है। परिषद के पास आयोग की नियुक्ति का अधिकार है। वह आयोग जो स्त्री, जनसंख्या, मानवाधिकारों आदि समस्याओं पर सुझाव देता है, यह परिषद विभिन्न विशिष्ट एजेन्सियों अंतर्राष्ट्रीय श्रम संस्था, विश्व स्वास्थ्य संस्था, खाद्य व कृषि संस्था की गतिविधियों के साथ समन्वय करती है।
परिषद का अन्य महत्वपूर्ण कार्य गैर सरकार संगठनों का विकास करना है। अध्ययन विचार-विमर्श व समन्वयन के द्वारा यह परिषद पूर्ण रोजगार, रहन – सहन के उच्च स्तर व अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व सामाजिक समस्याओं के समाधान का प्रचार-प्रसार करती है। वर्ष में एक बार परिषद की बैठक होती है। परिषद में 57 सदस्य होते हैं। सभी को सामान्य सभी 3 वर्ष की अवधि हेतु चुनती है। परिषद ने सामान्य बहुमत व मत के द्वारा निर्णय लिए जाते है।
(vi) सचिवालय – यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग है। यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय है जो संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों या एजेन्सियों द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों एवं नीतियों को प्रशासित एवं समन्वित करता है। संयुक्त राष्ट्र के सचिवालय के अध्यक्ष को महासचिव कहते हैं। कार्यालय का कार्य भार महासचिव के अधीन होता है। इसका चुनाव परिषद की सिफारिश पर महासभा पाँच वर्ष के लिए करती है।
महासचिव जिन महत्वपूर्ण कार्यों का निर्वहन करता है वे निम्नलिखित हैं:
- सुरक्षा परिषद आर्थिक एवं सामाजिक परिषद की बैठकों को बुलाना।
- राष्ट्र संघ के विभिन्न अंगों द्वारा किए गए निर्णयों को कार्यान्वित करना।
- विश्व के खतरों से सुरक्षा परिषद को अवगत कराना।
- सचिवालय के कार्यों की रिपोर्ट महासभा को देना।
प्रश्न 3.
सुरक्षा परिषद् का गठन अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए किया गया था, किंतु आज वह महाशक्तियों का आभामंडल बनकर रह गई है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? समालोचनात्मक विवेचन कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा परिषद – सुरक्षा परिषद को संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारिणी कहा जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके 15 सदस्य होते हैं जिनमें पाँच सदस्य स्थायी हैं-संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस व ब्रिटेन। इसके अतिरिक्त 10 अस्थायी सदस्य भी होते हैं।
जिनका चुनाव महासभा द्वारा दो वर्षों के लिए किया जाता है। सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों को निषेधाधिकार (वीटो) की शक्ति प्राप्त है। यदि कोई स्थायी सदस्य यदि किसी महत्वपूर्ण प्रश्न पर असहमति प्रकट करता है तो उस प्रश्न को अस्वीकृत कर दिया जाता है। यह विश्व शांति एवं सुरक्षा का सर्वोच्च संरक्षक है।
कोई भी देश अपनी शिकायत इस परिषद के सामने रख सकता है। यह देशों के मध्य झगड़ों का निर्माण करती है और यदि उचित समझती है तो किसी भी देश के लिए शक्ति प्रयोग कर सकती है। यह महासभा के मध्य में से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करती है।
सुरक्षा परिषद के पास इतनी अधिक शक्तियाँ होने के बावजूद यह महाशक्तियों का आभामंडल बनकर रह गयी है। इसके निर्णयों पर सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के हित हावी हैं। मैं इस कथन से सहमत हूँ। सुरक्षा परिषद् के समालोचनात्मक मूल्यांकन को हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं
(1) सुरक्षा परिषद् का संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों व उद्देश्यों से बँधा होना-सुरक्षा परिषद् की आलोचना सर्वप्रथम इसलिए की जाती है क्योंकि ये संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग होने के कारण उसके विभिन्न उद्देश्यों व सिद्धांतों से बँधी होती है। जिसके परिणामस्वरूप वह स्वतंत्रतापूर्वक कार्य नहीं कर सकती है। इस कारण आलोचक इसकी अवहेलना करते हुए इसकी आलोचना करते हैं।
(2) संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन होना – सुरक्षा परिषद का संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन कार्य करना भी इसकी आलोचना के लिए एक जिम्मेदार कारक है। सुरक्षा परिषद् अपने हर कार्यों की पूर्ति के लिए इस संघ के अधीन है तथा वह इच्छानुसार कोई भी कार्य नहीं कर सकती है।
(3) स्थायी सदस्यों को विशेषाधिकार-सुरक्षा परिषद् के अंतर्गत किसी भी निर्णय पर यदि सहमति नहीं होती है। तो इसके स्थायी सदस्यों को यह विशेषाधिकार प्राप्त है कि वह उस निर्णय को अस्वीकार कर सकते हैं। इससे अस्थायी सदस्यों में असंतोष की प्रवृत्ति नजर आती है।
(4) विस्तृत शक्तियाँ-सुरक्षा परिषद् अपनी विस्तृत शक्तियों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथा अतिसंवेदनशील अंग माना गया है। परंतु 1950 के यह इस आधार पर ही इसकी आलोचना की जाने लगी, क्योंकि सुरक्षा परिषद् को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अंतर्गत जिस भूमिका को निभाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी, वह पूरी तरह से निभा नहीं पायी।
पामर व पार्किंसन ने ठीक कहा है कि, “सुरक्षा परिषद की संयुक्त राष्ट्र संघ की केन्द्रीय एजेन्सी के रूप में कल्पना की गई थी परन्तु यह अपनी अपेक्षित भूमिका नहीं निभा पाई। अतः उपरोक्त आधारों के वर्णन से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा परिषद् की आलोचना अनेक आधारों पर की जाती है। परंतु एक सच यह भी है कि यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। जिसका मुख्य उत्तरदायित्व अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना है।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 बहुंचयनात्मक प्रश्न अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 बहुंचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना कब हुई?
(अ) 24 अक्टूबर 1948 को
(ब) 26 फरवरी 1956
(स) 24 अक्टूबर 1945
(द) 16 नवम्बर 1945
प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा की पहली बैठक कहाँ हुई थी?
(अ) फ्रांस
(ब) लंदन।
(स) रूस
(द) चीन
प्रश्न 3.
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में कितने अनुच्छेद हैं?
(अ) 111
(ब) 112
(स) 113
(द) 114
प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र में मूलतः कितने सदस्य थे?
(अ) 49
(ब) 50
(स) 51
(द) 52
प्रश्न 5.
महासभा कितने वर्ष के लिए अपना सभापति चुनती है?
(अ) 4 वर्ष
(ब) 3 वर्ष
(स) 2 वर्ष
(द) 1 वर्ष
प्रश्न 6.
2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ का कौन-सा देश सदस्य बना
(अ) भारत
(ब) चीन
(स) मौन्टेनेग्रो
(द) जिम्बाम्बे
प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्र संघ की शीर्ष संस्था है
(अ) महासभा
(ब) सुरक्षा परिषद
(स) न्याय परिषद्
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 8.
निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(अ)महासभा संयुक्त राष्ट्र का बजट पारित करती है।
(ब) अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में संयुक्त राष्ट्र की सिफारिशें संबंधित देशों पर बाध्यकारी है।
(स) मानवाधिकारों पर सार्वभौमिक उद्घोषणा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों पर बाध्यकारी है।
(द) निजी व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमें कर सकते है।
प्रश्न 9.
महासभा के कितने उपाध्यक्ष होते हैं?
(अ) 17
(ब) 18
(स) 19
(द) 20
प्रश्न 10.
महासभा की बैठक प्रतिवर्ष किस माह में नियमित रूप से होती है?
(अ) मई
(ब) सितंबर
(स) जून
(द) जनवरी
प्रश्न 11.
संयुक्त राष्ट्र की कार्यकारिणी किसे कहा जाता है?
(अ) चार्टर
(ब) महासभा
(स) सुरक्षा परिषद्
(द) कोई भी नहीं
प्रश्न 12.
सुरक्षा परिषद् के कुल सदस्यों की संख्या कितनी है?
(अ) 5
(ब) 11
(स) 15
(द) 20
प्रश्न 13.
सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की संख्या है
(अ) 5.
(ब) 20
(स) 15
(द) 13
प्रश्न 14.
निम्न में से कौन सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य नहीं है?
(अ) भारत
(ब) रूस
(स) चीन
(द) संयुक्त राज्य अमेरिका
प्रश्न 15.
संयुक्त राष्ट्र के किस अंग में स्थायी सदस्यों को वीटो अधिकार प्राप्त है?
(अ) सुरक्षा परिषद्
(ब) आर्थिक तथा सामाजिक परिषद्
(स) महासभा
(द) सचिवालय
प्रश्न 16.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय कहाँ पर स्थित है?
(अ) जिनेवा
(ब) टोकियो
(स) दिल्ली
(द) हेग
प्रश्न 17.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कितने न्यायाधीश होते हैं?
(अ) 22
(ब) 21
(सं) 20
(द) 19
प्रश्न 18.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चयन किसके द्वारा किया जाता है?
(अ) महासभा
(ब) महासभा व सुरक्षा परिषद् दोनों
(स) सुरक्षा परिषद्
(द) सचिवालय
प्रश्न 19.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों के न्यायाधीशों का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
(अ) 8
(ब) 9
(स) 10
(द) 12
प्रश्न 20.
संयुक्त राष्ट्र संघ आज कितने देशों का संगठन है?
(अ) 191
(ब) 192
(स) 193
(द) 194
उतर:
1. (स), 2. (ब), 3. (अ), 4. (स), 5. (द), 6. (स), 7. (अ), 8. (अ), 9. (अ), 10. (ब),
11. (स), 12. (स), 13. (अ), 14. (अ), 15. (अ), 16. (द), 17. (अ),18. (ब), 19. (ब), 20. (स)
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर:
24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र की महासभा की पहली बैठक कब व कहाँ हुई थी?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र की महासभा की पहली बैठक 10 जून,1946 को लंदन में हुई थी।
प्रश्न 3.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना में कितने राष्ट्र शामिल थे? उनके नाम बताइए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना में पाँच राष्ट्र शामिल थे। इनके नाम हैं-संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस तथा ब्रिटेन।
प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के 111 अनुच्छेद में किसका उल्लेख किया गया है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के 111 अनुच्छेद में, संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन, शक्तियाँ तथा कार्यों का उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 5.
संयुक्त राष्ट्र संघ के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाए रखना।
- समान अधिकारों के लिए आदर एवं मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित करना।
प्रश्न 6.
संयुक्त राष्ट्र संघ के कोई दो सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
- सभी सदस्यों की प्रभुसत्ता का सम्मान करना,
- आपसी झगड़ों का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा करना।
प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी देश की सदस्यता किस आधार पर प्रदान की जाती है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी देश की सदस्यता को सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा प्रदान की जाती है।
प्रश्न 8.
सम्पूर्ण विश्व की नगर बैठक के नाम से संयुक्त राष्ट्र संघ के किस अंग को जाना जाता है?
उत्तर:
महासभा को
प्रश्न 9.
संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य किसके भी सदस्य होते हैं?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य ‘महासभा’ के भी सदस्य होते हैं।
प्रश्न 10.
महासभा में कोई भी राष्ट्र अपने कितने प्रतिनिधि भेज सकता है?
उत्तर:
पाँच प्रतिनिधि।
प्रश्न 11.
महासभा की कोई दो शक्तियाँ बताइए।
उत्तर:
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा से संबंधित मामलों पर विचार – विमर्श,
- संयुक्त राष्ट्र संध का बजट पारित करना।
प्रश्न 12.
महासभा के सभापति को किस आधार पर चुना जाता है?
उत्तर:
महासभा के सभापति को व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर चुना जाता है।
प्रश्न 13.
महासभा के प्रथम सभापति कौन थे?
उत्तर:
बेल्जियम के ‘मि. पॉल स्पूक’ महासभा के प्रथम सभापति थे।
प्रश्न 14.
महासभा की महासमिति का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
17 उपाध्यक्षों तथा 7 स्थायी समितियों के सभापतियों को मिलाकर एक महासमिति बनती है।
प्रश्न 15.
महासभा के अध्यक्ष की सहायता के लिए कौन – कौन होता है?
उत्तर:
महासभा के अध्यक्ष की सहायता के लिए महासभा में चीफ डि – कैबिनेट होता है।
प्रश्न 16.
सुरक्षा परिषद् के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
- अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा से संबंधित निर्णय लेना,
- विवादों का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा करना।
प्रश्न 17.
संयुक्त राष्ट्र के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की नई सदस्यता के लिए कौन – कौन – सी शर्ते लगाई जाती हैं?
उत्तर:
- संविधान तथा न्यायालय के संबंध में अन्य प्रतिबन्धों को स्वीकार करना,
- महासभा द्वारा अनुमानित व्यय में अपना योगदान देना।
प्रश्न 18.
कौन भारतीय वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश है?
उत्तर:
जस्टिस दलवीर भंडारी।
प्रश्न 19.
संयुक्त राष्ट्र संघ की किन्हीं दो प्रमुख शक्तियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- यूनेस्को,
- विश्व स्वास्थ्य संगठन।
प्रश्न 20.
यूनेस्को को पूर्ण नाम बताइए।
उत्तर:
United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization. “संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन।”
प्रश्न 21.
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व शांति की सुरक्षा के लिए किन – किन समस्याओं का हल करने के प्रयास किए गए? किन्हीं दो का नाम लिखिए।
उत्तर:
- ईरान समस्या
- कांगो संकट।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब और क्यों की गयी? वर्तमान में इसके कितने सदस्य हैं?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध (1939 – 45) की भयानक तबाही को देखकर विश्व के सभी भागों में प्रत्येक व्यक्ति यह सोचने लगा कि यदि ऐसा एक और युद्ध हुआ तो सम्पूर्ण विश्व और मानव जाति का सर्वनाश हो जायेगा। अतः अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति स्थापित किये जाने की दिशा में प्रयास किये जाने प्रारम्भ हुए। इसके लिए एक ऐसे संगठन की स्थापना जरूरी थी जिसको विश्व के सभी देश महत्व दें। अतः 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गयी। आरम्भ में इसके 51 राष्ट्र सदस्य थे। वर्तमान में इसके 193 राष्ट्र सदस्य हैं। सन् 2016 में मौन्टेनिग्रो 193वां सदस्य बना है।
प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र संघ का चार्टर पर संक्षिप्त में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ अस्तित्व में आया। संयुक्त राष्ट्र “घोषणा पत्र” एक ऐसा संविधान है जिसमें उसके उद्देश्यों तथा सिद्धांतों का वर्णन है। संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बनने के लिए प्रत्येक देश को इस पर हस्ताक्षर कर उसके उद्देश्यों के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त करनी पड़ती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में प्रस्तावना तथा 111 अनुच्छेद हैं। इन धाराओं को 19 अध्यायों में विभक्त किया गया है तथा संपूर्ण चार्टर में 10,000 शब्द हैं। इस घोषणा की मूल प्रति संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय पुरालेखागार (यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल अर्काइव्ज़) में सुरक्षित रखी गयी है।
प्रश्न 3.
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रस्तावना में इसके कौन – कौन से लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ के लक्ष्य – संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रस्तावमा में निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं
- विश्व को युद्ध के संकट से बचाना
- मानव के मूल अधिकारों पुरुषों महिलाओं एवं छोटे-बड़े राष्ट्रों सभी के लिए समान अधिकार स्थापित करना।
- परस्पर राष्ट्रों की होने वाली संधियों द्वारा लगाए बंधनों के प्रति आदर एवं न्याय बनाए रखना।
- सभी की सामाजिक उन्नति एवं लोगों को उत्तम जीवन स्तर प्रदान करना।
प्रश्न 4.
संयुक्त राष्ट्र संघ की विफलताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की विफलताओं का उल्लेख निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- श्रीलंका में लंबे समय से चले आ रहे जातीय संघर्ष को रोकने में विफल रहे हैं।
- पश्चिम एशिया में पेलेस्टाइन और इजराइल के बीच सीमा समझौता करा कर शांति स्थापित करने में विफल ।
- अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को रोकने में असफल रहे।
- इराक के नि:शस्त्रीकरण की समस्या सुलझाने में विफल।
- इराक पर अमेरिकी आक्रमण को रोकने में विफल।
- कश्मीर के प्रश्न पर भारत व पाकिस्तान के बीच अभी तक अंतिम समझौता संभव नहीं हो सका है।
प्रश्न 5.
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता के लिए आवश्यक योग्यताओं को लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता के लिए आवश्यक योग्यताएँ
- वे सदस्य जो प्रारम्भ में ही संयुक्त राष्ट्र में शामिल हो गए थे एवं जिन्होंने सैन-फ्रांसिस्को सम्मेलन में भाग लिया था। संयुक्त राष्ट्र के मूलतः 51 सदस्य थे।
- वे सदस्य जो संयुक्त राष्ट्र संघ में बाद में सम्मिलित हुए। इस प्रकार वे सभी शान्तिप्रिय राज्य जो वर्तमान चार्टर में दिए गये दायित्वों एवं नैतिक बन्धनों को मानते हैं – संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी देश की सदस्यता सुरक्षा परिषद की सलाह पर महासभा द्वारा दी जाती है। यदि कोई राज्य संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों का बार- बार उल्लंघन करता है तो उसे सुरक्षा परिषद् की सलाह पर उसे महासभा द्वारा निकाला भी जा सकता है।
प्रश्न 6.
महासभा की शक्तियों का संक्षिप्त शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर के अनुच्छेद 10 से 17 तक में महासभा की शक्तियों का उल्लेख किया गया। है। इन अनुच्छेदों के अनुसार महासभा की शक्तियाँ निम्न प्रकार हैं
- किसी भी वैधानिक प्रश्न पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से परामर्श लेना।
- अंतर्राष्ट्रीय अणु शक्ति समिति के प्रतिवेदन पर विचार करना।।
- सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासचिव की नियुक्ति करना।
- सुरक्षा परिषद् के 10 अस्थायी सदस्यों को, आर्थिक और सामाजिक परिषद् के सदस्यों को एवं न्यास परिषद् सदस्यों का चयन करना।
- उन प्रतिवेदनों पर विचार करना जो महासचिव, सुरक्षा परिषद्, न्यास परिषद् तथा अन्य समितियाँ उसके सामने प्रस्तुत करती हैं।
प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्र की महासभा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र की महासभा-महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ की वह शीर्ष संस्था है जिसे सम्पूर्ण विश्व की नगर बैठक का नाम दिया जा सकता है। महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी छोटे – बड़े सदस्य देशों के विचारों को सुना जाता है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य महासभा के सदस्य होते हैं कोई भी सदस्य देश महासभा में 5 से अधिक प्रतिनिधि नहीं भेज सकता और प्रत्येक देश का महासभा में केवल एक ही मत होता है।
इसे ही संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा कहा जाता है। महासभा कोई भी समस्या रखने एवं अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाला एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच है। महासभा एक वर्ष के लिए अपना सभापति चुनती है। इसकी बैठक प्रतिवर्ष सितम्बर के तीसरे मंगलवार को नियमित रूप से होती है। यह संस्था अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा से सम्बन्धी मामलों पर विचार – विमर्श करती है।
प्रश्न 8.
महासभा के संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
महासभा का संगठन-महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे बड़ा अंग है। यह एक प्रकार से विश्व की संसद है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश इनके सदस्य होते हैं। सभी सदस्यों को एक समान मत का अधिकार होता है। महासभा एक वर्ष के लिए अपना सभापति चुनती है वह अपनी व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर चुना जाता है। उसे गोपनीय मत द्वारा चुना जाता है। बेल्जियम के मि. पाल स्पूक महासभा के प्रथम सभापति थे एवं उन्होंने 10 जनवरी, 1946 को महासभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की थी।
सामान्यत अध्यक्ष किसी छोटे देश से ही लिया जाता हैं अध्यक्ष की सहायता के लिए महासभा में चीफ डि-कैबिनेट होता है। यह व्यक्ति महासभा के अधिकारियों का अवर सचिव होता है। महासभा के 17 उपाध्यक्ष होते हैं जो विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 17 उपाध्यक्षों एवं 7 स्थाई समितियों के सभापतियों को मिला कर एक महासमिति बनी होती है।
प्रश्न 9.
संयुक्त राष्ट्र की महासभा का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र की महासभा का मूल्यांकन-महासभा संयुक्तं राष्ट्र संघ शीर्ष संस्था है। महासभा का कार्य क्षेत्र बहुत विशाल स्वरूप वाला है। सन् 1950 में पारित शान्ति के लिए संगठन का प्रस्ताव को अपनाने के बाद महासभा की शक्तियों एवं भूमिका में आश्चर्यजनक परिवर्तनं हुए हैं। इस प्रस्ताव ने महासभा को संयुक्त राष्ट्र की सामूहिक सुरक्षा का संरक्षक बना दिया है।
इस प्रस्ताव में लिखा गया है कि यदि सुरक्षा परिषद्, अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को खतरा होने, शान्ति भंग होने एवं आक्रमण जैसी किसी भी स्थिति में अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा बनाए रखने में असफल रहती है तो महासभा अपने सदस्यों से उचित परामर्श करने के लिए मामले को एकदम हाथ में ले लेगी, ताकि वे सामूहिक प्रयत्न कर सके।
इस प्रकार शान्ति के लिए संगठित प्रस्ताव के परिणामस्वरूप महासाभा की स्थिति पर्याप्त सुदृढ़ हुई है। परन्तु यह केवल सिद्धान्त रूप में ही दिखाई देती है, वास्तविक व्यवहार में महासभा की शान्ति के लिए संगठित प्रस्ताव के अन्तर्गत कार्य करते हुए 2/3 बहुमत से मुश्किल से ही प्रस्ताव पारित हुए हैं। इन सब के बावजूद कहा जा सकता है कि महासभा की शान्ति में असाधारण रूप से वृद्धि हुई है।
प्रश्न 10.
सुरक्षा परिषद का गठन एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा परिषद का गठन-सुरक्षा परिषद को संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारिणी कहा जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके 15 सदस्य होते हैं जिनमें पाँच सदस्य स्थायी हैं-संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस व ब्रिटेन इसके अतिरिक्त 10 अस्थायी सदस्य भी होते हैं। जिनका चुनाव महासभा द्वारा दो वर्षों के लिए किया जाता है।
सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों को निषेधाधिकार (वीटो) की शक्ति प्राप्त है। यदि कोई स्थायी सदस्य यदि किसी महत्वपूर्ण प्रश्न पर असहमति प्रकट करता है तो उस प्रश्न को अस्वीकृत कर दिया जाता है। सुरक्षा परिषद के कार्य – सुरक्षा परिषद के कार्य निम्नलिखित हैं
- अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा से संबंधी निर्णय लेना।
- विवादों का शान्ति पूर्ण तरीकों से समाधान करना।
- नये सदस्य, महासचिव व अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों के चुनाव करना।
प्रश्न 11.
सुरक्षा परिषद के कार्य क्या है?
उत्तर:
सुरक्षा परिषद के कार्य-सुरक्षा परिषद के निम्न प्रमुख कार्य है-
- विश्व शान्ति तथा सुरक्षा के प्रति उत्तरदायी होती है। ये विरोधी देशों को बाध्य करती है कि वे विवाद का निपटारा शान्तिपूर्ण तरीकों से करें।
- सुरक्षा परिषद के क्षेत्राधिकार में आने वाले बहुत से संगठनात्मक विषयों में उसे कानूनी रूप से बाध्यकारी अधिकार प्राप्त है, नए राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्रदान करना, महासचिव का चयन, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति आदि सभी ऐसे कार्य जो महासभा से मिलकर करती है। बाध्यकारी प्रमाण रखते हैं।
- सुरक्षा परिषद अपने आन्तरिक मामलों का स्वयं निर्णय करती है।
- सुरक्षा परिषद शान्ति भंग करने वाले किसी भी देश के विरुद्ध कठोर कार्यवाही कर सकती है।
- यदि किसी राष्ट्र ने दूसरे राष्ट्र पर आक्रमण कर दिया है तो सुरक्षा परिषद को कूटनीतिक, आर्थिक तथा सैनिक कार्यवाही करने का आदेश देने का अधिकार है तथा सदस्य राष्ट्र चार्टर की इच्छानुसार उक्त निर्णय को मानने तथा लागू करने को बाध्य है।।
- सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर कोई भी राष्ट्र जिसके खिलाफ अनुशासन की कार्यवाही की गयी हो, सदस्यता के अधिकार से अनिश्चित काल के लिए वंचित किया जा सकता है।
प्रश्न 12.
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के विशेषाधिकार को क्यों समाप्त नहीं किया जा सकता है?
उत्तर:
विश्व में स्थिरता बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र के अनुरूप उसके पाँचों स्थायी सदस्यों को विशेषाधिकार अर्थात् वीटो शक्ति प्रदान करना उनकी सदस्यता को स्थायी बनाए रखने के लिए परमावश्यक है। दुनिया में ये देश परमाणु हथियारों से सम्पन्न बड़ी शक्तियाँ हैं। हालांकि शीतयुद्ध का अन्त हो चुका है लेकिन अभी समाजवादी विचारधारा अथवा साम्यवाद समाप्त नहीं हुआ।
यह तथ्य भी विश्वशांति, उदारवाद वैश्वीकरण, व्यक्तिगत, राजनीतिक स्वतंत्रताओं एवं संपत्ति के अधिकार इत्यादि हेतु भयंकर खतरा बन सकता है। दुनिया अभी भी इतने विशाल स्तर पर परिवर्तनों के लिए तैयार नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी 193 सदस्यों को समानता का स्तर प्रदान कर दिया जाए। इस तथ्य को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि वीटो पॉवर को समाप्त किए जाने की परिस्थिति है। इन शक्तिशाली देशों की रुचि
संयुक्त राष्ट्र संघ में नहीं रहेगी, संयुक्त राष्ट्र से अलग होकर ये राष्ट्र अपनी इच्छानुसार कार्य करेंगे एवं इनके जुड़ाव अथवा समर्थन के अभाव में यह संगठन, प्रभावहीन हो जाएगा। ऐसी परिस्थिति में विश्व सुरक्षा एवं अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं विकास को अपार क्षति उठानी पड़ेगी।
प्रश्न 13.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के बारे में बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय-यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग हैं। इसका मुख्यालय हेग में हैं। यह विश्व के विभिन्न देशों के मध्य विवादों का निर्णय अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों को उसके निर्णय मान्य होते हैं। इसके न्यायधीशों की नियुक्ति महासभा द्वारा की जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश इसके भी सदस्य होते हैं। इस न्यायालय में 22 न्यायाधीश होते हैं।
ये अन्तर्राष्ट्रीय कानून के जानकार होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल 9 वर्ष का होता है एवं हर 3 वर्ष के बाद 5 न्यायाधीश सेवानिवृत हो जाते हैं। न्यायाधीश पुनः भी चुनाव लड़ सकते हैं। भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश हैं।
प्रश्न 14.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के ऐच्छिक एवं अनिवार्य क्षेत्राधिकार को बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का ऐच्छिक क्षेत्राधिकार-अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के पास विभिन्न देशों के मुकद्दमों के संबंध में ऐच्छिक क्षेत्राधिकार है इसका अर्थ है कि ऐसे मुकदमे देश किसी समझौते के अन्तर्गत इसमें लाते हैं। किसी भी देश पर यह प्रतिबन्ध नहीं है कि वह अपने मुकदमे इसी न्यायालय में लाये। अनिवार्य क्षेत्राधिकार-अनुच्छेद 30 के अनुसार देश निम्नलिखित प्रकार के मुकदमों में इसके क्षेत्राधिकार को अनिवार्य मान सकते हैं-
- संधि की व्याख्या करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून संबंधी प्रश्न।
- अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध को भंग करने की स्थिति में क्षतिपूर्ति का स्वरूप एवं सीमा।
- कोई भी वास्तविकता जो स्थापित हो चुकी है, अन्तर्राष्ट्रीय दायित्व की शाखा बन जाएगी।
प्रश्न 15.
संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के सलाहकारी क्षेत्राधिकार को बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का सलाहकारी क्षेत्राधिकार – अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को महासभा, सुरक्षा समिति एवं महासभा द्वारा स्थापित की गई दूसरी विशिष्ट एजेन्सियों को कानूनी प्रश्नों पर सलाह (परामर्श) देने की भी शक्ति प्राप्त है। यह सलाह अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा सम्बन्धित संस्था के लिखित निवेदन पर प्रदान की जाती है। यह न्यायालय स्वयं अपनी ओर से कोई सलाह प्रदान नहीं करता है इसकी सलाह को मानना या न मानना उस संस्था के ऊपर निर्भर करता है।
प्रश्न 16.
न्यास परिषद् के उद्देश्यों को बताइए।
उत्तर:
न्यास परिषद् के उद्देश्यों को निम्नलिखित रूप से स्पष्ट किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 76 के अनुसार न्यास परिषद् के उद्देश्य
- अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा की वृद्धि करना।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों और उनके नागरिकों में समानता के व्यवहार का विश्वास दिलाना।।
- न्यास राज्य क्षेत्रों के निवासियों की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक उन्नति तथा स्वशासन या स्वाधीनता के लिए उत्तरोत्तर विकास की अभिवृद्धि करना।
- मानव अधिकारों के प्रति और मूल स्वतंत्रताओं के प्रति आदर को प्रोत्साहन देना और विश्व के सभी व्यक्तियों के अन्योन्याश्रित होने की मान्यता को प्रोत्साहन देना।
प्रश्न 17.
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
आर्थिक एवं सामाजिक परिषद-यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग है। यह विश्व में आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण के कार्यों को करती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद एक के अनुसार, “संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न उद्देश्यों में से एक उद्देश्य है सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं लोकोपकारी स्वरूप की समस्याओं को सुलझाने के लिए राष्ट्रों के बीच सहयोग प्राप्त करना एवं जाति, भाषा, लिंग एवं धर्म के उल्लेख बिना मानव के मूल अधिकारों एवं स्वतंत्रताओं के लिए लोगों में सम्मान की भावना पैदा करना।” इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु आर्थिक एवं सामाजिक परिषद का गठन किया गया है। इसका गठन महासभा द्वारा निर्वाच्य सदस्यों से होता है।
प्रश्न 18.
“सचिवालय संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंगों में से एक है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सचिवालय – यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग है। यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय है जो संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों या एजेन्सियों द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों एवं नीतियों का प्रशासित एवं समन्वित करता है। सचिवालय में सदस्य देशों के प्रतिनिधि व विभिन्न अंगों को सेवाएँ प्रदान करता अंतर्राष्ट्रीय स्टाफ शामिल है। स्टाफ की संख्या लगभग 50,000 है जो कि संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयार्क व अन्य स्थानों पर नियुक्त है।
सचिवालय में भर्ती प्रत्येक सदस्य देश के प्रतिनिधित्व को दर्शाती है। यह स्टाफ किसी देश विशेष को नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र को ही सेवाएँ प्रदान करता है।सचिवालय को प्रमुख महासचिव होता है जिसे सुरक्षा परिषद की सिफारिशों पर महासभा द्वारा पाँच वर्ष के लिए नियुक्त किया। जाता है।
महासचिव के कार्य व शक्तियों से राजनैतिक न्याय की अपेक्षा की जा सकती है। घोषणा – पत्र में महासचिव को दी जाने वाली शक्तियों का महत्व है। ऐसे किसी भी मसले को सुरक्षा परिषद के ध्यान में लाए, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। महासचिव सुरक्षा सामान्य सभा की अनुमति या प्राधिकरण के बिना ही दो विवादाग्रस्त देशों के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
प्रश्न 19.
संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित विशेष एजेन्सियाँ कौन – कौनसी हैं। नाम लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित विशेष एजेन्सियाँ-संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित विशेष एजेन्सियाँ निम्नलिखित है
- शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति संबंधी संगठन (यूनेस्को),
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.),
- अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ILT.U.),
- अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण (I.A.E.A.),
- खाद्य एवं कृषि संगठन (E.A.O.),
- अन्तर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (I.C.A.O.),
- विश्व व्यापार संगठन (W.E.O.), (viii) संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (U.N.I.D.0.),
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (W.I.PO.),
- विश्व डाक संघ (W.P.U.),
- अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (I.M.O.),
- अन्तर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (I.FA.D.)
प्रश्न 20.
संयुक्त राष्ट्र संघ की किन्हीं पाँच विशिष्ट एजेन्सियों का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
(i) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) – इसका मुख्यालय पेरिस में है। यह शिक्षा के सभी स्तरों, अन्तर्राष्ट्रीय महत्व के सभी स्मारकों, राष्ट्रों की सांस्कृतिक विरासत के रख-रखाव के लिए कार्य करता है।
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) – इसका मुख्यालय स्विट्जरलैण्ड के जिनेवा शहर में है। यह श्रमिकों तथा मालिकों के लिए आचार – संहिता बनाने का कार्य करता है।
(iii) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) – यह संगठन 17 अप्रैल, 1948 ई. को अस्तित्व में आया। जिसके कारण इस दिन को स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्यालय जिनेवा में है। इसने विश्व स्तर पर मलेरिया, चेचक, पोलियो का उन्मूलन लगभग कर दिया है। स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य के लिए इसका निरन्तर कार्यक्रम चलता रहता
(iv) खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) – इस संस्था का मुख्यालय रोम में है। यह कृषि के उन्नत तरीकों का प्रचार-प्रसार करता है। खाद्यान्न संकअ का निवारण करता है तथा फसलों की किस्मों पर किये गये शोधों को प्रस्तुत करता है।
(v) अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) – इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है। इसका मुख्य कार्य विभिन्न देशों में मुद्रा सम्बन्धी सहयोग बढ़ाना, व्यापार में सुविधा प्रदान करना, राष्ट्रों को आर्थिक सहायता देना आदि हैं। सन् 2002 में ‘यूरो’ मुद्रा को इसी संस्था ने चलवाया था।
प्रश्न 21.
विश्व में शांति स्थापित करने में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
विश्व में शांति स्थापित करने में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयास-24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। तब से ले के आज तक कई बार ऐसे अवसर पैदा हुए जिनमें स्थानीय युद्ध विश्व युद्ध अथवा क्षेत्रीय युद्धों में परिवर्तित हो सकते थे। लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने सामूहिक सुरक्षा कार्यवाही के द्वारा ऐसे युद्धों को फैलने से रोका।
इसने सैनिक कार्यवाही एवं अन्य साधनों द्वारा विश्व में शान्ति की स्थापना के लिए कार्यवाही की। कई जटिल समस्याओं को बातचीत एवं अन्य शान्तिपूर्ण साधनों के द्वारा हल करने की पहल इस अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ने की और आज भी कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व शान्ति की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित समस्याओं के हल हेतु प्रयास किए गए-
- ईरान समस्या,
- यूनान विवाद,
- इण्डोनेशिया विवाद,
- कश्मीर विवाद,
- दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद एवं संयुक्त राष्ट्र संघ,
- कांगों संकट।
प्रश्न 22.
शीतयुद्ध के पश्चात संयुक्त राष्ट्र संघ की बनावट व प्रक्रियाओं में सुधार के अन्तर्गत बहस के सबसे बड़े बिन्दु के बारे में बताइए।
उत्तर:
शीतयुद्ध के पश्चात् संयुक्त राष्ट्र संघ की बनावट व प्रक्रियाओं में सुधार के अन्तर्गत बहस का सबसे बड़ा बिन्दु सुरक्षा परिषद के कामकाज को लेकर है। इससे जुड़ी हुई मांग यह है कि सुरक्षा परिषद में स्थायी एवं अस्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए ताकि समकालीन विश्व राजनीति की वास्तविकताओं को इस संगठन में अच्छा प्रतिनिधित्व हो सके।
विशेष रूप से एशिया, अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका के अधिकांश देशों को सुरक्षा परिषद में सदस्यता देने की बात उठ रही है। इसके अतिरिक्त संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ – साथ पश्चिमी देश संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट से जुड़ी प्रक्रियाओं और इसके प्रशासन में सुधार चाहते है।
प्रश्न 23.
एक ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् विश्व एक ध्रुवीय हो गया। इस एक ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिको ही सबसे ताकतवर देश है। इस स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है
- संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा शेष विश्व के मध्य विभिन्न मुद्दों पर बातचीत कायम कर सकता है। कई बार यह संगठन इस कार्य को कर भी चुका है।
- झगड़ों तथा सामाजिक, आर्थिक विकास के मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र संध के माध्यम से इसके सदस्य राष्ट्रों को एक साथ किया जा सकता है।
- शेष विश्व संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से संयुक्त राज्य अमेरिका के रवैये एवं नीतियों पर सीमित मात्रा में अंकुश लगा सकता है।
- वर्तमान विश्व में विभिन्न समाजों एवं मुद्दों के मध्य आपसी तार जुड़ते जा रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में पारस्परिक निर्भरता बढ़ेगी। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ का महत्व भी निरन्तर बढ़ेगा।
प्रश्न 24.
संयुक्त राष्ट्र संघ को सशक्त बनाने हेतु क्या कदम उठाए जाने चाहिए? सुझाव दीजिए। अथवा बदलते हुए परिवेश में संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रासंगिक बनाने हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:
बदलते हुए परिवेश में संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रासंगिक एवं सशक्त बनाने हेतु उसमें सुधारों की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए निम्न सुधारात्मक कदम उठाए जाने जरूरी हैं
- विश्व के जो देश अभी तक संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नही है उन्हें सदस्यता हेतु सहमत किया जाना चाहिए।
- समस्त सदस्यों को एक मत देने की शक्ति होनी चाहिए एवं वह व्यक्तिगत रूप से गुप्त मतदान के रूप में प्रयुक्त किया जाना चाहिए। सभी निर्णय अर्थात् फैसले महासभा द्वारा बहुमत के आधार पर लिए जाने चाहिए।
- सुरक्षा परिषद में पाँच के स्थान पर पन्द्रह स्थायी सदस्य हो एवं वीटो का अधिकार समाप्त कर दिया जाए। | 4. परिवर्तित विश्व में भारत, जापान, जर्मन, कनाडा, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका को स्थायी सदस्यता प्रदान की जानी चाहिए।
- पर्यावरण, जनसंख्या एवं आतंकवाद जैसी समस्याओं और परमाणु हथियारों को नष्ट करने में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को पूर्ण सहयोग करना चाहिए।
- सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यों की संख्या में भी वृद्धि की जानी चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के कोष में अभिवृद्धि की जानी चाहिए जिससे वह विकास तथा वृद्धि के और अधिकाधिक कार्यक्रमों को संचालित कर सके।
प्रश्न 25.
संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन एवं प्रक्रिया में सुधार हेतु कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन एवं प्रक्रिया में सुधार हेतु दो सुझाव निम्नलिखित हैं
- निषेधाधिकार (वीटो पावर) को समाप्त अथवा सीमित करना – संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली को व्यवस्थित एवं लोकतान्त्रिक बनाने के लिए निषेधाधिकार (वीटो पावर) की शक्ति को समाप्त कर देना चाहिए अथवा उसे सीमित कर देना चाहिए।
- समान सदस्यता प्रदान करना-सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्यों के निर्वाचन पर रोक लगाकर सभी सदस्य देशों को समान स्तर की सदस्यता प्रदान की जानी चाहिए।
प्रश्न 26.
संयुक्त राष्ट्र संघ के मौलिक सिद्धांतों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चार्टर के अनुच्छेद 2 में संयुक्त राष्ट्र संघ के मौलिक सिद्धांत दिए गए हैं, जो निम्नवत् हैं
- प्रभुसत्ता – संयुक्त राष्ट्र संघ का पहला मौलिक सिद्धांत यह है कि समस्त छोटे-बड़े राज्यों की प्रभुसत्ता समान है तथा सभी का समान रूप से ही सम्मान किया जाना चाहिए।
- कर्तव्यों व दायित्वों का उल्लेख-दूसरा मौलिक सिद्धांत यह है कि प्रत्येक राष्ट्र से यह आशा की जाती है कि वह उन समस्त कर्तव्यों एवं दायित्वों का जिनका उल्लेख संयुक्त राष्ट्र संघ के आज्ञापत्र में किया गया है, ईमानदारी से पालन करेंगे।
- वाद – विवादों का निर्णय-संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्यों के अपने अंतर्राष्ट्रीय वाद-विवादों का निर्णय शांतिपूर्ण उपायों द्वारा करेंगे जिससे विश्व-शांति, सुरक्षा तथा न्याय सुरक्षित रह सके।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का संचालन – संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का संचालन किसी अन्य राज्य की अखंडता व उसकी राजनीतिक स्वतंत्रता की धमकी देकर नहीं करेंगे।
- कार्यों में सहायता-संयुक्त राष्ट्र संघ के समस्त सदस्य संयुक्त राष्ट्र संघ को उसके कार्यों में सहायता प्रदान करेंगे तथा उस राज्य को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करेंगे जो संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेशों तथा उसके आज्ञापत्र के विरुद्ध कार्य करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा-संयुक्त राष्ट्र संघ उन राज्यों से भी, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य नहीं हैं, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने वाले सिद्धांतों का पालन करवाएंगे।
- आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप-संयुक्त राष्ट्र संघ किसी भी राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।
RBSE Class 12 Political Science Chapter 29 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना पर विचार करते हुए उसका मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संसार को युद्ध से बचाने के लिए 24 अक्टूबर 1945 ई. को संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई। इसको निर्माण कोई एक दिन का परिणाम नहीं था। युद्ध के दौरान ‘लन्दन घोषणा’ से सेन फ्रांसिस्को सम्मेलन’ तक इसकी आवश्यकता महसूस की गई। लन्दन घोषणा में इसका प्रारूप व स्थापना के लिए इसकी जरूरत पर सविस्तर चर्चा की गई तथा विश्व स्तर पर स्थायी शक्ति की बात कही गई।
14 अक्टूबर, 1941 ई. में चर्चिल और रूजवेल्ट ने विश्व शान्ति के सिद्धान्तों पर गहन विचार किया। साथ ही साथ 1942 ई. को संयुक्त राष्ट्रों की घोषणा में प्रथम बार संयुक्त राष्ट्र शब्द का प्रयोग किया गया। इसके बाद कई देशों में सम्मेलन किए गए जिसमें 51 देशों ने इसके चार्टर को स्वीकार किया और अन्ततः 1945 ई. में संयुक्त राष्ट्र संघ का निर्माण हुआ। उद्देश्य – संयुक्त राष्ट्रसंघ के उद्देश्य निम्न थे
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा स्थापित करना।
- अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान व न्याय।
- सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय क्षेत्रों में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित एवं पुष्ट करना।
- व्यापक शांति को प्रोत्साहित करते हुए समानता और स्वतंत्रता के सिद्धान्तों के आधार पर राष्ट्रों के बीच मेत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा देना।
कोई भी राष्ट्र जो शांतिप्रिय हो एवं संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में विश्वास रखता हो, सदस्य बनने के लिए आवेदन कर सकता है। इसके लिए सुरक्षा परिषद् की संस्तुति के बाद महासभा का दो तिहाई बहुमत से अनुमोदन आवश्यक है। कार्य एवं उपलब्धियाँ – संयुक्त राष्ट्रसंघ का निर्माण शान्ति, सुरक्षा और आपसी सद्भाव पर आधारित है। विश्व के देशों का चतुर्दिक विकास करना भी इसका एक लक्ष्य है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु इसके चार्टर की 7र्वी धारा के तहत 6 अंगों का निर्माण किया गया, यथा-
- महासभा,
- सुरक्षा परिषद्,
- आर्थिक व साजिक परिषद्,
- अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय,
- न्यास परिषद् और
- सचिवालय। इसके अतिरिक्त कुछ विशिष्ट समितियों का भी निर्माण किया गया है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्य कार्य अन्तर्राष्ट्रीय राजनैतिक विवादों का समाधान करना व आपसी एकता को बढ़ावा देना था।संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय अमेरिका के न्यूयार्क में है। महासचिव संयुक्त राष्ट्रसंघ का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होता है जिसकी नियुक्ति सुरक्षा परिषद् की संस्तुति पर महासभा द्वारा की जाती है। महासचिव का कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होता है। महासचिव कर्मचारियों के सहयोग से समस्त कार्यों का संचालन करता है। इस संस्था के द्वारा अब तक विश्व स्तर की कई समस्याओं का समाधान किया जा चुका है। इसके द्वारा यूनान विवाद, रूस-ईरान विवाद, वियतनाम विवाद, स्वेज संकट, ईरान-इराक युद्ध, यूगोस्लावाकिया विवाद, भारत-पाक विवाद आदि समस्याओं का समाधान किया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की उपलब्धियों को देखते हुए विश्व के अन्य देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे संयुक्त राष्ट्रसंघ की मर्यादाओं की सुरक्षा करें।
प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्र की महासभा का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा-यह संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोच्च प्रतिनिधि सभा है। संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रत्येक राष्ट्र इसका सदस्य होता है। कोई भी सदस्य देश महासभा में अधिकतम पाँच प्रतिनिधि भेज सकता है और प्रत्येक देश का महासभा में केवल एक मत होता है। महासभा कोई भी समस्या रखने एवं अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने वाला एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच है। इसका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत हैं
1. महासभा का संगठन – संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य राष्ट्रीय इसके भी सदस्य होते हैं। महासभां एक वर्ष के लिए अपना एक सभापति चुनती है। वह अपनी व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर चुना जाता है उसे गोपनीय मत द्वारा चुना जाता है। बेल्जियम के मि. पॉल स्पूक महासभा के प्रथम सभापति थे एवं उन्होंने 10 जनवरी, 1946 को महासभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की थी। सामान्यतः अध्यक्ष किसी छोटे देश से ही लिया जाता है।
अध्यक्ष की सहायता के लिए महासभा में चीफ डि-कैबिनेट होता है। यह व्यक्ति महासभा के अधिकारियों का अवर सचिव होता है। महासभा के 17 उपाध्यक्ष होते हैं। जो विभिन्न क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व करते हैं। 17 उपाध्यक्षों एवं 7 स्थाई समितियों के सभापतियों को मिला कर एक महासमिति बनी होती है।
2. महासभा के सत्र (अधिवेशन) – महासभा की बैठक प्रतिवर्ष सितम्बर माह के तीसरे मंगलवार को नियमित रूप से होती है। सुरक्षा परिषद् के महासभा या संयुक्त राष्ट्र के बहुमत सदस्यों की प्रार्थना पर इसका विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है। महासभा का सभापति यद्यपि एक वर्ष के लिए चुना जाता है किन्तु यदि विशेष सत्र बुलाया गया है तो फिर प्रत्येक सत्र के लिए अपना अध्यक्ष चुनती है।
सन् 1950 में स्थापित एक विशेष प्रक्रिया के अन्तर्गत यदि सुरक्षा परिषद् में वीटो (निषेधाधिकार) के प्रयोग से शांति की पुनःस्थापना में रुकावट पैदा होती है तब 24 घण्टे में महासभा की विशेष बैठक हो सकती है एवं विश्व शान्ति के लिए उपयुक्त निर्णय ले सकती है जिसे सुरक्षा परिषद् भी मानने के लिए बाध्य होती है।
3. महासभा की शक्तियाँ एवं कार्य-महासभा की शक्तियाँ एवं कार्य निम्नलिखित हैं
- यह अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा से संबंधित मामलों पर विचार – विमर्श करती है।
- यह सुरक्षा परिषद् के दस अस्थायी सदस्यों, आर्थिक व सामाजिक परिषद् के सदस्यों का निर्वाचन एवं महासचिव की नियुक्ति कैरती
- है।
- सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर यह नए सदस्यों को 2/3 बहुमत से सदस्यता देती है एवं उनकी सदस्यता समाप्त भी कर सकती है।
- संयुक्त राष्ट्र के सभी अंग अपनी रिपोर्ट यह सभा को देते हैं। साधारण सभा सभी विषयों पर घोषणा – पत्र के | अन्तर्गत विचार करती है।
- यह न्यास परिषद्, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् एवं अन्य संस्थाओं में कार्यों का निरीक्षण करती है।
- यह संयुक्त राष्ट्र के बजट को अनुमोदित करती है एवं राशि निर्धारित करती है।
4. महासभा का मूल्यांकन – सन् 1950 में पारित शान्ति के लिए संगठन का प्रस्ताव को अपनाने के बाद महासभा की शक्तियों एवं भूमिका में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए हैं। इस प्रस्ताव ने महासभा को संयुक्त राष्ट्र की सामूहिक सुरक्षा का संरक्षक बना दिया है। इस प्रस्ताव में लिखा गया है कि यदि सुरक्षा परिषद् अन्तर्राष्ट्रीय शांति को खतरा होने, शांति भंग होने एवं आक्रमण जैसी किसी भी स्थिति में अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाए रखने में असफल रहती है तो महासभा अपने सदस्यों से उचित परामर्श करने के लिए मामले को एकदम हाथ में ले लेगी, ताकि वे सामूहिक प्रयत्न कर सकें। इस प्रकार शांति के लिए संगठित प्रस्ताव के परिणामस्वरूप, महासभा की स्थिति पर्याप्त सुदृढ़ हुई है।
महासभा की भूमिका का मूल्यांकन करते समय स्टार्क ने कहा था कि अन्तर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा के प्रश्नों पर सभा व्यावहारिक रूप से मुख्य स्वरूप ग्रहण करने के योग्य हो गई है, यह सचमुच विलक्षण है वास्तविक रूप में देखा जाए तो महासभा की यह मजबूत स्थिति केवल कागजों में ही दिखाई देती है। वास्तविक रूप से महासभा की शान्ति के लिए संगठित प्रस्ताव के अन्तर्गत कार्य करते हुए 2/3 बहुमत से मुश्किल से ही प्रस्ताव पारित हुए हैं। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है। महासभा अपने प्रयासों में एक सीमा तक सफल सिद्ध हुई है।
प्रश्न 3.
सुरक्षा परिषद् का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सुरक्षा परिषद्-अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा बनाए रखने में सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र को शक्तिशाली अंग है। सुरक्षा परिषद् का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
1. सुरक्षा परिषद् का गठन-सुरक्षा परिषद् में कुल 15 सदस्य हैं पाँच स्थायी सदस्यों में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस एवं चीन है। दस अस्थायी सदस्यों का चुनाव 2 वर्षों के लिए किया जाता है। इसका चुनाव महासभा करती है। सुरक्षा परिषद् में सदस्यता प्रदान करते समय महासभा अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा में उस राष्ट्र के योगदान को भी ध्यान में रखती है।
2. सुरक्षा परिषद् की शक्तियाँ एवं कार्य – सुरक्षा पद की शक्ति एवं कार्य निम्नलिखित है
- यह अन्तर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा से संबंधित निर्णय लेती है।
- यह झगड़ों का निर्णय करती है और यदि उचित समझती है तो किसी भी देश के विरुद्ध शक्ति प्रयोग कर सकती है।
- यह महासभा के संयोग से नए सदस्य, महासचिव एवं अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करती है।
- यह किसी देश द्वारा भेजी गई शिकायत पर विचार करती है और उसका निपटारा करती है।
3. आलोचनात्मक मूल्यांकन – सुरक्षा परिषद् अपनी विस्तृत शक्तियों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे अधिक महत्वपूर्ण एवं अतिसंवेदनशील अंग माना गया है, किन्तु 1950 के बाद यह सामान्यतः इस आधार पर आलोचना का केन्द्र बन गई कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अन्तर्गत जिस भूमिका को निभाने की जिम्मेदारी इसके कंधों पर थी उसे वह पूरी तरह निभा नहीं पाया।
पामर एवं पर्किन्स के अनुसार, सुरक्षा परिषद् की संयुक्त राष्ट्र की केन्द्रीय एजेन्सी के रूप में कल्पना की गई थी, परंतु यह अपनी अपेक्षित भूमिका नहीं निभा पाई।’सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यों के अधिपत्य के कारण इसके निर्णय कई बार रद्द हो चुके है। सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों के वीटो अधिकार को भी समाप्त कर देना चाहिए ताकि वे किसी निर्णय को रद्द न कर सके।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्य संख्या बहुत अधिक बढ़ चुकी है अतः सुरक्षा परिषद् में स्थायी व अस्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ा कर इसे आलोचना से मुक्त रखा जा सकता है।निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है। सुरक्षा परिषद् राष्ट्र की कार्यकारिणी समिति है जिस पर अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा को बनाए रखने का उत्तरदायित्व है। सुरक्षा परिषद् पर ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता तथा असफलता का अन्तिम उत्तरदायित्व है क्योंकि यह ही महासभा के निर्णयों को एवं संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को लागू करने से संबंध रखती है।
यदि महासभा निर्देशी अंग है तो सुरक्षा परिषद् राष्ट्र संघ का निर्णय क्रियान्वयन विभाग है। जी.जे. मेगॉन ने ठीक ही कहा है, “अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध को रोकने के लिए न तो सारे विश्व में, न ही इतिहास में कहीं भी इस तरह का शक्तिशाली अंग मिलता है। बाद के वर्षों में अनेक बार सुरक्षा परिषद् ने अपनी उपयोगिता भी सिद्ध की है।
प्रश्न 4.
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की संरचना, शक्तियाँ एवं क्षेत्राधिकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग है। इसका मुख्यालय नीदरलैण्ड के हेग नगर में है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के उन विषयों पर निर्णयों को जिनमें वे स्वयं सम्मिलित होते हैं, मानने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की संरचना, शक्तियां एवं क्षेत्राधिकार का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं में प्रस्तुत है
1. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की संरचना – संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के भी सदस्य होते हैं। सुरक्षा समिति की सिफारिशों पर कार्यरत महासभा द्वारा प्रत्येक विषय पर निर्धारित शर्तों के अनुसार वे देश भी अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के संविधान में शामिल हो सकते हैं जो इसके सदस्य नहीं होते। नई सदस्यता के लिए निम्नांकित शर्ते लगायी जाती हैं
- संविधान एवं न्यायालय के संबंध में दूसरे प्रतिबन्धों को स्वीकार करना।
- महासभा द्वारा अनुमानित व्यय में अपना योगदान देना। अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में 22 न्यायाधीश होते हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय कानून में मान्य
योग्यता के विधिवेत्ता या उच्च अदालत कार्यालयों में नियुक्ति के लिए अपने – अपने देशों में आवश्यक योग्यता वाले लोगों में से उच्च नैतिक चरित्र वाले होते हैं। उन्हें राष्ट्रीयता का विचार किये बिना चुना जाता है। जो व्यक्ति सुरक्षा परिषद् एवं महासभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लेते हैं। उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का न्यायाधीश घोषित कर दिया जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल 9 वर्ष का होता है एवं हर 3 वर्ष के बाद 5 न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाते हैं। न्यायाधीश पुनः भी चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि राष्ट्रीय सरकारें न्यायाधीशों को मनोनीत करने एवं उनके चुनाव में भाग लेती है, परन्तु न्यायाधीश न तो अपने देश के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं, न ही अपनी सरकार के निर्देशों के अनुसार। भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश हैं।
2. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की शक्तियाँ एवं क्षेत्राधिकार – अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की शक्तियाँ एवं क्षेत्राधिकार को तीन भागों में बाँटा जा सकता हैं
- ऐच्छिक क्षेत्राधिकार
- अनिवार्य क्षेत्राधिकार
- सलाहकारी क्षेत्राधिकार
(i) ऐच्छिक क्षेत्राधिकार – अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के पास विभिन्न देशों के मुकद्दमों के संबंध में ऐच्छिक क्षेत्राधिकार का अर्थ है कि ऐसे मुकद्दमे देश किसी समझौते के अन्तर्गत इसमें लाते हैं किसी भी देश पर यह प्रतिबंध नहीं है कि वह अपने मुकद्दमे इसी न्यायालय में लायें।
(ii) अनिवार्य क्षेत्राधिकार – अनुच्छेद 30 के अनुसार देश निम्नलिखित प्रकार के मुकद्दमों में इसके क्षेत्राधिकार को अनिवार्य मान सकते हैं –
- संधि की व्याख्या करना,
- अन्तर्राष्ट्रीय कानून संबंधी प्रश्न,
- अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबन्ध को भंग करने की स्थिति में क्षति पूर्ति का स्वरूप एवं सीमा,
- कोई भी वास्तविकता जो स्थापित हो चुकी हो, अन्तर्राष्ट्रीय दायित्व की शाखा बन जाएगी। .
(iii) सलाहकारी क्षेत्राधिकार – अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय को महासभा सुरक्षा समिति एवं महासभा द्वारा स्थापित की गई दूसरी विशिष्ट एजेन्सियों को कानूनी प्रश्नों पर सलाह (परामर्श) देने की भी शक्ति प्राप्त है। यह सलाह अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा संबंधित संस्था के लिखित निवेदन पर प्रदान की जाती है। यह न्यायालय स्वयं अपनी ओर से कोई सलाह प्रदान नहीं करता है इसकी सलाह को मानना या न मानना उस संस्था के ऊपर निर्भर करता है।
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