• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 नीति सुधा

March 25, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 नीति सुधा are part of RBSE Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 10 नीति सुधा.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 6
Subject Hindi
Chapter Chapter 10
Chapter Name नीति सुधा
Number of Questions Solved 35
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 10 नीति सुधा

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठ से
उच्चारण के लिए
हरखी, हरख्यो, जतन, जर्षीरो, मंगल
नोट—छात्र-छात्राएँ स्वयं उच्चारण करें।

सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
कायर और कृपण किसका जतन करते हैं?
उत्तर:
कायर अपने प्राणों की और कृपण अपने धन की रक्षा का यत्न करता है।

प्रश्न 2.
बूंद पर कदली की संगत का क्या प्रभाव पड़ता हैं?
उत्तर:
कदली की संगत पाने पर बूंद कपूर बन जाती है, ऐसा विश्वास चला आ रहा है।

प्रश्न 3.
कोयल व कौआ एक रंग के होते हैं, लेकिन उनके बोलने में क्या अंतर है?
उत्तर:
कोयल मधुर स्वर में ‘कुहू-कुहू’ बोलती है और कौआ ‘काँव-काँव’ जैसा कटु शब्द बोलता है।

लिखें
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि बाँकीदास ने ‘सूर’ कहा है
(क) किसान को
(ख) वीर पुरुष को
(ग) व्यापारी को
(घ) राजा को

प्रश्न 2.
“मेंगल मोटा दाँत सी, ना ना नखरो नार।” यहाँ रेखांकित शब्द का अर्थ है
(क) शेर
(ख) बंदर
(ग) हाथी
(घ) घोड़ा

प्रश्न 3.
किस प्रकार के बलिदान पर बान्धव लोग हर्षित होते
(क) अकाल मृत्यु पर
(ख) देशहित मैंबलिदान पर
(ग) दुर्घटना में मृत्यु परे
(घ) सामान्य मृत्यु पर
उत्तर:
1. (ख)
2. (ग)
3. (ख)

दिए गए शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(पावस, दादुर, कदली, मेंगल, नार)

  1. केले को ……….. भी कहते हैं।
  2. शेर को ………… भी कहते हैं।
  3. वर्षा ऋतु को ……….. ऋतु भी कहते हैं।
  4. हाथी को ………. कहते हैं।
  5. मेंढ़क को ……… भी कहते हैं।

उत्तर:

  1. कदली
  2. नार
  3. पावस
  4. मेंगल
  5. दादुर

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्षा ऋतु में कोयल के मौन हो जाने का क्या कारण है?
उत्तर:
वर्षा ऋतु आने पर चारों ओर मेंढकों का ‘टर-टर’ स्वर सुनाई देता है। ऐसा होने पर कोयल सोचती है कि इस शोर में मेरी मधुर बोली को कौन सुनेगा? अतः वह मौन हो जाती है।

प्रश्न 2.
वृंद ने खेती सूखने पर बरसने वाले बादलों को महत्व क्यों नहीं दिया?
उत्तर:
खेती सूख जाने पर वर्षा होने से कोई लाभ नहीं हो सकता। इसीलिए वृंद ने उन्हें महत्व नहीं दिया।

प्रश्न 3.
आदमी बिना गुण के महान क्यों नहीं होता?
उत्तर:
कोरी बड़ाई करने या बड़ा नाम रख देने से कोई वस्तु बड़ी या उपयोगी नहीं हो जाती। धतूरे को कनक कहने से वह आभूषण बनाने के काम नहीं आ सकता। इसी प्रकार बिना गुणों या विशेषताओं के मनुष्य भी महान नहीं हो सकता। बड़े काम करने की योग्यता ही उसे बड़ा बनाती है।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि ने संगति का जो प्रभाव बताया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कहा जाता है कि स्वाति नामक नक्षत्र में जो वर्षा होती है उसकी बूंदें अलग-अलग वस्तुओं के संपर्क में आने पर अलग-अलग रूप धारण कर लेती हैं। केले की संगति में बूंद कपूर बन जाती है। सीप के अंदर गिरने पर वही बूंद मोती बन जाती हैं और साँप के मुख में पड़ने पर विष हो जाती है। कवि का आशय है कि मनुष्य जैसी संगति करेगा उसे वैसा ही अच्छा या बुरा फल प्राप्त होगा।

प्रश्न 2.
कवि बाँकीदास ने वीर पुरुष के क्या लक्षण बताए हैं?
उत्तर:
वीर पुरुष युद्ध में भाग लेकर देश के लिए बलिदान हो जाना, बड़ा आनंदमय अवसर मानते हैं। वे इसके लिए किसी शुभ घड़ी, मुहर्त या शगुन की प्रतीक्षा नहीं करते। इन बातों पर वे ही लोग ध्यान देते हैं जिन्हें प्राणों की चिंता होती है। जब एक वीर पुरुष को युद्ध में जाने का अवसर प्राप्त होता है तो उसका मुख तेज से दमकने लगता है।

प्रश्न 3.
“दीबो अवसर को भलो, जासो सुधरे काम” का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आवश्यकता के समय किसी को आवश्यक वस्तु देना या समय पर किसी की सहायता करना ही काम आता है। तभी देने और सहायता करने वाले का सम्मान और नाम होता है। अवसर निकल जाने पर दी गई वस्तु और सहायता किसी काम नहीं आती। जब खेती को सिंचाई की आवश्यकता हो तब बादल का बरसना, खेती में नई जान डाल देता है। वह हरी-भरी होकर दूनी फलती-फूलती हैं। लेकिन जल के बिना जब खेती सूख जाती है, तब चाहे कितनी भी वर्षा हो सब बेकार जाती है। अत: समय पर लोगों की सहायता करने वाले सज्जन लोग धन्य हैं।

भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को ध्यानपूर्वक पढ़िए
बताना, बैठना, बोलना, जानना, देना, लेना, होना, गढ़ना, बुझाना। ऊपर लिखे हुए सभी शब्दों से किसी कार्य के होने या करने का बोध होता है। ऐसे शब्दों को ‘क्रिया’ शब्द कहते हैं। क्रिया के मुख्य रूप से दो भेद होते हैं

  1. अकर्मक क्रिया
  2. सकर्मक क्रिया।

(1) अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर पड़ता है, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रियाओं का कर्म नहीं होता; जैसे-नीरज सोता है। किसको सोता है। इसका उत्तर कर्म के रूप में प्राप्त नहीं होता। अत: यहाँ सोता है अकर्मक क्रिया है।
(2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं को फल कर्ता पर न पड़कर उसके कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं। अकर्मक क्रिया के लिए कर्म का होना आवश्यक है; जैसे-सुशीला केला खाती हैं। क्या खाती है। केले को। अतः यहाँ खाती है सकर्मक क्रिया है।
आप भी दिए गए वाक्यों में से अकर्मक क्रियाएँ छाँटकर लिखिए

  1. रवि सड़क पर दौड़ता है।
  2. सुषमा गाती है।
  3. अक्षय पुस्तक पढ़ रहा था।
  4. राधा स्नान करेगी।

उत्तर:
दौड़ना और गाना अकर्मक क्रियाएँ हैं।

पाठ से आगे
प्रश्न 1.
पाठ में रहीम ने संगति का असर होना बताया है। आप पर अपने साथियों की किन-किन बातों का असर पड़ता है? लिखिए।
उत्तर:
हम अपने साथियों के अच्छे गुणों को ही ग्रहण करते हैं। बुरे लड़कों की हम संगति नहीं करते।

प्रश्न 2.
बाँकीदास जी ने शगुन देखना व पंचांग देखकर कार्य करने को व्यर्थ बताया है। आप इस बारे में क्या सोचते हैं? लिखिए।
उत्तर:
ज्योतिष और शगुन पर विश्वास करने वाले लोग प्रायः हर काम के लिए शुभ घड़ी, मुहूर्त और शगुन देखा करते हैं। लेकिन ऐसा करने वालों के सभी कार्य सफल होते हों, ऐसा नहीं देखा जाता। ये सभी बातें केवल मन को सावधान करने और विवेक से काम लेने की प्रेरणा देती है। इसलिए बात बात में मुहूर्त और शगुन देखना न तो चल सकता है और न इसे अंधविश्वास के रूप में मानना सही है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि ने तीन गुण बताए हैं
(क) प्रकृति के
(ख) मनुष्य के
(ग) स्वाति के.
(घ) कविता के

प्रश्न 2.
मनुष्य को बड़ा होने के लिए चाहिए
(क) बड़ाई
(ख) यश
(ग) धन
(घ) गुण

प्रश्न 3.
शूर किसके लिए यन किया करता है
(क) धन के लिए
(ख) जीवन बचाने के लिए
(ग) अन्न देने वाले के लिए
(घ) परिवार के लिए।

प्रश्न 4.
युद्ध का अवसर आने पर शूर देखता है
(क) टीपणा
(ख) सगुन
(ग) परिवार
(घ) मृत्यु का शुभ अवसर
उत्तर:
1. (ग)
2. (घ)
3. (ग)
4. (घ)

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वाति की एक बूंद की तीन अवस्थाएँ होना क्या बताता है?
उत्तर:
यह बताता है कि जैसी संगति करोगे वैसा ही फल प्राप्त होगा।

प्रश्न 2.
कोकिल का मौन हो जाना क्या शिक्षा देता है?
उत्तर:
कोकिल का मौन होना सिखाता है कि गुणहीन लोगों के वकवाद करने पर गुणी व्यक्ति को चुप रहना चाहिए। यही बुद्धिमानी है।

प्रश्न 3.
रस्सी और पाग में आप किसे भाग्यशाली मानते हैं?
उत्तर:
रस्सी और पाग में पाग ही भाग्यशाली है क्योंकि उसे बड़े लोगों के सिर पर स्थान मिलता है।

प्रश्न 4.
“सूर जतन उण रो करे जिण रौ खायो अन्न।” इस पक्ति से शुर के किस गुण का परिचय मिलता है?
उत्तर:
इस पंक्ति से शुर की स्वामिभक्ति का परिचय मिलता

प्रश्न 5.
कवि वृंद कैसे दान की प्रशंसा करते हैं?
उत्तर:
कवि वृंद उस दान या सहायता की प्रशंसा करते हैं। जो उचित समय पर प्राप्त हो।

लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
“जैसी संगति बैठिणे, तैसो ही फल दीन।” कवि ने इस बात के समर्थन में किसका उदाहरण दिया है?
उत्तर:
कवि ने इस बात के समर्थन में स्वाति नक्षत्र में पड़ने वाली वर्षा की बूंद को उदाहरण दिया है। ऐसा कहा जाता है। कि स्वाति नक्षत्र में बादलों से गिरने वाली जल की बूंद यदि केले के वृक्ष पर गिरेगी तो कपूर बन जाएगी, सीपी में गिरेगी तो मोती बन जाएगी और साँप के मुँह में गिरेगी तो विष बन जाएगी। इसी प्रकार जो जैसी संगति करेगा उसे वैसा ही अच्छा या बुरा फल मिलेगा।

प्रश्न 2.
कवि रहीम ने दोहे में कहा है कि वर्षा ऋतु आने पर कोयलों ने बोलना बंद कर दिया। कवि इस दोहे द्वारा क्या शिक्षा देना चाहता है? लिखिए।
उत्तर:
वर्षा ऋतु आने पर चारों ओर से मेंढकों की टर-टर की ध्वनि लगातार सुनाई देने लगती है। मेंढकों के इस शोर में कोयल की मधुर ध्वनि कौन सुन पाएगा। इसलिए कोयल ने मौन हो जाना ही ठीक समझा। कवि बताना चाहता है कि जहाँ मूर्ख लोगों में बोलने की होड़ लगी हो, वहाँ गुणवान आदमी को चुप हो जाना चाहिए। गुणी लोगों के सामने ही गुण का आदर होता है।

प्रश्न 3.
“सो ताको सागर जहाँ, जाकी प्यास बुझाय।” बिहारी की इस पंक्ति का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बिहारी की इस पंक्ति का आशय है कि जिस व्यक्ति का जिससे काम निकल जाय, उसके लिए वही बहुत बड़ा आदमी होता है। संसार में एक से बढ़कर एक गहरे और उथले नदी, कुएँ और तालाब हैं। पर प्यासे आदमी की जिससे प्यास बुझ जाय उसके लिए वही समुद्र के बराबर है।

प्रश्न 4.
‘वणी सूत री सींदरी, वणी सूत री पाग’ के द्वारा कवि चतरसिंह बावजी क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर:
कवि ने बताया है कि मनुष्य के जीवन में भाग्य का बहुत महत्व होता है। रस्सी और पाग दोनों सूत से बनती हैं। लेकिन उनके भाग्य अलग-अलग होते हैं। एक राजाओं के मस्तक पर बाँधी जाती है और दूसरी पशुओं को बाँधने के काम आती है। इसी प्रकार एक ही माँ के दो बेटों के भाग्य अलग-अलग होने से, एक ऊँचे पद पर पहुँच जाता है और दुसरा मजदूरी करके पेट भरता है।

प्रश्न 5.
कृपण, कायर और शूर में कवि बाँकीदास ने क्या अंतर बताया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कृपण यानी धन के लोभी व्यक्ति को सदा अपने धन को बचाने और धन जोड़ने की चिंता रहती हैं। कायर सदा अपने जीवन की रक्षा में लगा रहता है। लेकिन एक शूर अपने लिए नहीं बल्कि अपनी पालन पोषण करने वाले स्वामी की चिंता करता है। वह उसके उपकार का बदला चुकाने के लिए सदा तत्पर रहा करता है।

प्रश्न 6.
‘दीबो अवसर को भलो’ कवि वृंद के इस कथन पर उनके दोहे को ध्यान में रखकर, अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
जब जिसे जिस वस्तु की आवश्यकता हो, तब उसे वह वस्तु देना या समय के अनुसार किसी की सहायता करना ही अच्छा माना जाता है। समय निकल जाने पर सहायता के लिए आगे आना बेकार होता है। कवि खेती का उदाहरण देकर इस बात को सही सिद्ध कर रहा है। जब खेती सूखने वाली हो तब बादल का बरसना लाभदायक होता है। खेती सूख जाने पर वह कितना भी जल बरसाए सब बेकार जाता है।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न.
‘नीति सुधा’ पाठ में किन-किन कवियों की रचनाएँ संग्रहीत हैं? उनके विचार और संदेश संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
‘नीति सुधा’ पाठ में रहीम, बिहारी, चतरसिंह बावजी, बाँकीदास और कवि वृंद की रचनाएँ संग्रहीत हैं। इन रचनाओं में कवियों ने अनेक नीति की बातें और विचार प्रकट किए हैं। कवि रहीम ने अच्छी संगति करने की सीख दी है। गुणी और कलाकार लोगों को मूर्खा के बीच चुप रहना चाहिए, यह नीति की लाभदायक बात बताई है। बिहारी ने गुणों के आधार पर बड़ा बनने और समय पर कष्ट मिटाने वाले को ही महान मानने की नीति अपनाने की प्रेरणा दी है। चतर सिंह ने भाग्य की प्रबलता और बड़े काम से बड़प्पन मिलने की बात कही है। बाँकीदास जी ने शूर की महिमा पर प्रकाश डाला है। कति वृंद ने गुणों के आधार पर आदर मिलने और उचित समय पर सहायता करने को अच्छी नीति बताया है।

पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ

कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुण तीन।
जैसी संगति बैठिए, तैसी ही फल दीन॥

कठिन शब्दार्थ
कदली = केला। सीप = समुद्र में मिलने वाली, कीड़े द्वारा बनाई गई कठोर डिबिया जिसमें मोती उत्पन्न होता है। भुजंग = साँप। स्वाति = स्वाति नामक नक्षत्र में गिरने वाली वर्षा की बूंद।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नीति-सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कवि ‘रहीम’ हैं। कवि इसमें संगति के अनुसार फल मिलने की बात बता रहा है।
व्याख्या/भावार्थ—स्वाति नक्षत्र की एक ही बूंद केले के वृक्ष में गिरती है तो कपूर बन जाती है, सीप में गिरती है तो मोती बन जाती है और सर्प के मुख में गिरती है तो वही बूंद विष बन जाती है। इस प्रकार तीन वस्तुओं का संग होने पर उसमें तीन प्रकार के गुण उत्पन्न हो जाते हैं। कवि कहता है। जो जैसी संगति करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है।

पावस देखि रहीम मन, कोयल साधी मौन।
अब दादुर वक्ता भये, हमको पूछत कौन॥

कठिन शब्दार्थ
पावस = वर्षा ऋतु। साधी = धारण कर लिया। दादुर = मेंढक। वक्ता = बोलने वाला।
संदर्भ—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के नीति-सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कवि रहीम हैं। कवि वर्षा ऋतु में कोयलों के न बोलने का कारण बता रहा हैं।
व्याख्या/भावार्थ—कवि रहीम कहते हैं कि वर्षा ऋतु आ जाने पर कोयलों ने मौन धारण कर लिया है। वे सोचती हैं। कि अब तो चारों ओर मेंढक बोलेंगे। उनकी टर-टर में हमारी मधुर बोली कौन सुन पाएगा? जहाँ अपनी ही अपनी सुनाने वाले लोग बोल रहे हों, वहाँ गुणवान व्यक्ति का चुप रहना ही ठीक होता है। उसे वहाँ कोई नहीं पूछता है।

बड़े न हूजे गुननि बिन, बिरद बड़ाई पाय।
कहत धतूरे सो कनक, गहनो गढ्यो न जाय॥

कठिन शब्दार्थ
हूर्जे = होते हैं। बिरद = यश। बड़ाई = प्रशंसा। कनक = सोना। गहनो = आभूषण। गढ्यो = बनाया जाता है।
प्रसंग—प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नीति-सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। कवि का कहना है कि बिना गुण के कोई भी बड़ा नहीं बन सकता।
व्याख्या/भावार्थ—लोग कितनी भी प्रशंसा और बड़ाई करें, बिना गुण के कोई बड़ा नहीं बन सकता। धतूरे को कनक (सोना) भी कहा जाता है लेकिन केवल नाम सोना हो जाने से उससे गहने नहीं बनाए जा सकते।

अति अगाध अति ओथरो, नदी कूप सर बाय।
सो ताको सागर जहाँ, जाकी प्यास बुझाय॥

कठिन शब्दार्थ
अगाध = गहरा। ओथरो = उथला। कूप = कुआँ। सर = तालाब। बाय = बावड़ी। ताको = उसको।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नीति सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। कवि ने इसमें बताया है कि जिसका जिससे काम पूरा हो जाय वही उसके लिए सबसे बड़ा हुआ करता है।
व्याख्या/भावार्थ—संसार में अत्यंत गहरे और बहुत उथले (कम जल वाले) नदी, कुएँ, तालाब और बावड़ी हैं, लेकिन जिसकी जिससे प्यास बुझ जाय, उसके लिए वही समुद्र के समान हुआ करता है। जो समय पर काम आए वही महान है।

वणी सूत री सदरी, वणी सूत री पाग।
बंधवा बंधवा में फरक, जश्यो जणरो भाग॥

कठिन शब्दार्थ
वणी = बनी हुई। सदरी = रस्सी। पाग = पगड़ी। बंधवा बंधवा में = बाँधने-बाँधने में। फरक = अंतर। जश्यो = जैसा। जरो = जिसका। भाग = भाग्य।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘नीति सुधा नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कवि चतरसिंह बावजी हैं। कवि ने इसमें बताया है कि एक ही कुल या स्थान से उत्पन्न व्यक्तियों के भाग्य अलग-अलग होते हैं।
व्याख्या/भावार्थ—रस्सी जिस सूत से बनती है, उसी सूत से पगड़ी भी बनती है लेकिन दोनों के भाग्य एक जैसे नहीं होते। एक (पगड़ी) राजा-महाराजाओं और वीरों के सिरों पर बाँधी जाती हैं और दूसरी (रस्सी) से पशु बाँधे जाते हैं। जिसका जैसा भाग्य होता है उसे वैसा ही स्थान और सम्मान मिलता है।

काम बड़ो वो ही बड़ो, वृथा बड़ो आकार।
मेंगले मोटा दाँत सो, नाना नख रो नार॥

कठिनं शब्दार्थ
वृथा = व्यर्थ, बेकार। आकार = स्वरूप, शरीर। मेंगल = हाथी। नाना = नन्हा, छोटा। नख = नाखून। नार = सिंह।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘नीति-सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कवि चतर सिंह बावज़ी हैं। कवि ने इस दोहे में बताया है कि बड़ा काम करने से ही कोई बड़ा माना जाता है केवल डील-डौल बड़ा होना बेकार है।
व्याख्या/भावार्थ—जिसका काम बड़ा होता है, वही बड़ा माना जाता है। केवल आकार बड़ा होना बेकार है। हाथी का मोटा या बड़ा दाँत जो काम नहीं कर पाता उसे सिंह अपने झेटे नाखूनों से कर दिखाता है। इसीलिए वह पशुओं का राजा कहलाता है। सब पर भारी पड़ता है।

कृपण जतन धन रो करे, कायर जीव जतन।
सूर जतन उण रो करे, जिण रौ खायो अन्न॥

कठिन शब्दार्थ
कृपण = कंजूस, धन का लोभी। जतन = पाने को या रक्षा का प्रयत्न। जीव = जीवन, प्राण। सूर = शूर, वीर पुरुष। उण रो = उनका। जिण रौ = जिनका।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नीति सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसमें कवि ने कंजूस, कायर और शूर के स्वभाव का वर्णन किया है।
व्याख्या/भावार्थ—कवि कहता है कि धन का लोभी कंजूस व्यक्तिधन के लिए यत्न करता है। वह धन पाने और बचाने में लगा रहता है। कायर व्यक्ति अपने जीवन को बचाने के यत्न में लगा रहता है लेकिन एक वीर पुरुष उस व्यक्ति के लिए सारे प्रयत्न किया करती है जिसके अन्न को खाता है। वह प्राण देकर भी उसके ऋण को चुकाता है।

सूर न पूछे टीपण, सकुन न देखें सूर।
मरणा नैं मंगल गिणै, समर चढ़ मुख नूर॥

कठिन शब्दार्थ
सूर = वीर पुरुष। टीपणो = पंचांग, शुभ मुहूर्त। सकुन = शुभ संकेत, शगुन। मरणा नैं = मृत्यु को। मंगल = आनंद का कारण। गिणै = मानता है। समर = युद्ध। चढ़े = भाग लेना। नूर = तेज।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘नीति सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। इस दोहे में कवि ने एक वीर पुरुष के स्वभाव का परिचय कराया है।
व्याख्या/भावार्थ—शूरवीर कभी पंचांग में शुभ मुहूर्त देखकर युद्ध में नहीं जाता। न वह शुभ शगुन की ही बात देखता है। वह तो मृत्यु को बड़े आनंद का अवसर मानता है। इसी कारण युद्ध के लिए गमन करते समय उसका मुखमंडल तेज से दमकने लगता है। वीर पुरुष अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए हर समय तत्पर रहता है।

सुत मरियो हित देश रे, हरख्यो बंधु समाज।
माँ नहीं रखी जनम दे, जतरी हरखी आज॥

कठिन शब्दार्थ
सुत = पुत्र। मरियो = मर गया, बलिदान हो गया। देश रे = देश या मातृभूमि के लिए। हरख्यो = प्रसन्न हो गया। बंधु-समाज = सभी भाई-बन्धु। हरखी = प्रसन्न हुई। जतरी = जितनी। आज = बलिदान के समय।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नीति सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। कवि एक वीर पुरुष के मातृभूमि के लिए बलिदान होने पर उसके सभी भाई-बंधु और माँ की प्रसन्नता का वर्णन कर रहा है।
व्याख्या/भावार्थ—जैसे ही यह पता चला कि वीर पुरुष देश के लिए बलिदान हो गया, उसके सभी भाई-बंधुओं को 1 बड़ा हर्ष हुआ। वे स्वयं को भाग्यशाली मानने लगे कि वे ऐसे वीर पुरुष के बंधु हैं। उस वीर की माँ को उसे जन्म देते समय उतनी प्रसन्नता नहीं हुई थी जितनी अब उसके द्वारा देश के लिए प्राण देने के समाचार को सुनकर हो रही थी।

जो जाको गुन जान, सो तिहि आदर देत।
कोकिल अंबहिं लेत है, काग निबोरी लेत॥

कठिन शब्दार्थ
जाकर = जिसका। गुन = गुण, विशेषता। तिहिं = उसको। कोकिल = कोयल। अंबर्हि = आम को। काग = कौआ। निबोरी = नीम का कडुआ फल।
प्रसंग—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नीति सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। इस दोहे में कवि ने बताया है। कि जो जिस वस्तु के गुण पहचानता है, वह उसी को अपनाता है।
व्याख्या/भावार्थ—जिसको जिस वस्तु के गुण अच्छे लगते हैं, वह उसी वस्तु को आदर देता है या अपनाता है। कोयल। वसंत में महकने वाले मधुर आम को अपनाती है और कौआ अपने स्वभाव से मिलने वाली कड़वी निबोरियों को अपनाता है। कोयल मधुर स्वर के लिए मीठे आम को और कौआ कड़वे स्वर के लिए निबोरी को अपनाता है।

दीबो अवसर को भलो, जासो सुधरे काम।
खेती सूखे बरसिवो, घन को, कोने काम॥

कठिन शब्दार्थ
दीबो = देना। अवसर = सही समय पर। सुधरे = बने, अच्छा हो। घन = बादल। कोने काम = किस काम का।
प्रसं—प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नीति सुधा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कवि वृंद हैं। कवि ने दोहे में बताया है कि उचित समय पर देना या सहायता करना ही अच्छा और उपयोगी होता है।
व्याख्या/भावार्थ—कवि वृंद कहते हैं कि सही समय पर कोई वस्तु देना या सहायता करना ही प्रशंसा के योग्य होता है। इससे काम बनने में सहायता मिलती है। समय निकल जाने पर देना बेकार हो जाता है। खेती के सूख जाने पर बादल का बरसना किस काम का? उचित समय पर दिया गया दान या सहायता ही काम आती है।

We hope the RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 10 नीति सुधा will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 10 नीति सुधा, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 6

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 7 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 15 Comparison of Quantities In Text Exercise
  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions