RBSE Solutions for Class 6 Hindi Chapter 13 धरती धोरां री are part of RBSE Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 13 धरती धोरां री.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 6 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 13 |
Chapter Name | धरती धोरां री |
Number of Questions Solved | 35 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi Chapter 13 धरती धोरां री
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठ से
उच्चारण के लिए
निछरावल, पंपोळे, अणूता, अणजाणी, लुळ लुळ, लिलाड़।
नोट—छात्र-छात्राएँ स्वयं उच्चारण करें।
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
नर-नारी किसका यश गाते हैं?
उत्तर:
नर-नारी धोरों की धरती राजस्थान की मरुधरा को यश गाते हैं।
प्रश्न 2.
अमृत रस कौन बरसाता है?
उत्तर:
अमृत रस चंद्रमा बरसाता है।
प्रश्न 3.
इस धरती का कण-कण कौन चमकाता है?
उत्तर:
इस धरती का कण-कण सूरज चमकाता है।
लिखें
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लूणी नदी की तुलना की गई है
(क) यमुना से
(ख) गंगा से
(ग) ब्रह्मपुत्र से
(घ) कावेरी से
प्रश्न 2.
नगरों में पटरानी कहा गया हैं
(क) जोधपुर को
(ख) अलवर को
(ग) जयपुर को
(घ) भरतपुर को
प्रश्न 3.
इस कविता में किस प्रदेश की महिमा का वर्णन हुआ
(क) राजस्थान की
(ख) पंजाब की
(ग) उत्तर प्रदेश की
(घ) गुजरात की
उत्तर:
1. (ख)
2. (ग)
3. (क)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) ई रो ………. गढ़ लूंठो। ओ तो ………. रा खुटों।
(ख) आ तो ………. नै सरमावै । ई पर ………. रमण नै आवै।
(ग) ई नै …….. थाल बधावां। ईं री ………. लिलाड़ लगावा।
उत्तर:
(क) चित्तौड़ो, रण वीरां
(ख) सुरगां, देव
(ग) मोत्यां, धूल।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजा सूरजमल ने अपनी वीरता कहाँ दिखाई?
उत्तर:
राजा सूरजमल ने अपनी वीरता भरतपुर में दिखाई जब उन्होंने फिरंगियों को अपने वीरतापूर्ण कौशल से पराजित कर दिया।
प्रश्न 2.
धोरों की धरती के ‘जामण जाया वीर’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
इसके पड़ोस में स्थित मालवा, हरियाणा, ईडरपालनपुर अर्थात् गुजरात सभी इसी मरुधरा की संतान हैं। हम सभी एक ही माँ के जनमे भाई हैं।
प्रश्न 3.
राजस्थान की दो मुख्य फसलें कौन-सी हैं?
उत्तर:
राजस्थान की दो मुख्य फसलें बाजरा और मक्का हैं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि ने राजस्थान की धरती को’ धोरों की धरती’ क्यों कहा है? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान की धरती का अधिकांश भाग रेतीला है। जहाँ रेत के टीले देखे जा सकते हैं। इन रेत के टीलों को ‘धोरां’ कहा जाता है। अत: यह धरती धोरां’ की कहलाती है। वास्तव में रेगिस्तानी जन-जीवन इन धोरों के पास ही बीतता है। प्रकृति के कठिन वातावरण में रहते हुए भी यहाँ के लोग इस भूमि से असीम प्यार करते हैं। धोरों को अपनी पहचान बनाए हुए हैं। इसी कारण इसे धोरों की धरती कहा गया है।
प्रश्न 2.
राजस्थान के प्रमुख पालतू पशु कौन-कौन से हैं? उनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख पालतू पशुओं में ऊँट, भेड़, गाय, भैंस, बकरी आदि हैं। ये पशु यहाँ के वातावरण के अनुकूल हैं। ऊँट रेगिस्तान का जहाज है तो भेड़ों की बहुतायत ऊन के व्यवसाय आदि में प्रसिद्ध प्रजातियों को प्रसिधि दिलाती है। हैं। ये पशु दुधारू हैं। इस कारण मरुभूमि पर दूध घी की कमी नहीं होती। ऊँट जैसा प्राणी कम पानी से लंबा समय निकाल सकता है। अत: पशु-संपदा मरुभूमि की जान है।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए राजस्थानी शब्दों को समानार्थी हिंदी शब्दों से मिलान कीजिए
उत्तर:
जयसलमेर = जैसलमेर
इमरत = अमृत
निरावले = न्योछावर
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यांशों को पढ़िए
धोरां री धोरां की सगळा स्यूं सबसे
सुरगा नै स्वर्ग को वीरां रो वीरों का
मरु रै रेगिस्तान के
उपर्युक्त वाक्यांशों में राजस्थानी में का, के, की, को से चिह्नों के लिए रो, रे, री, नै, स्यू चिह्नों का प्रयोग हुआ है।
जो चिह्न वाक्यों में संज्ञा व सर्वनाम को क्रिया के साथ जोड़ते हैं। इन्हें कारक चिह्न कहते हैं।
हिंदी में आठ प्रकार के कारक हैं
कारक | चिह्न |
कर्ता कारक | ने |
कर्म कारक | को |
करण कारक | से (के द्वारा) |
संप्रदान कारक | के लिए |
अपादान कारक | से (अलग होना) |
संबंधकारक | का, के, को, ना, ने, नी, रा, रे, री |
अधिकरण कारक | में, पर |
संबोधन कारक | है, अरे, ओ |
आप भी कविता में से 10 कारक युक्त पंक्तियों को छाँटिए और लिखिए।
उत्तर:
- रमण नै = रमण के लिए
- सुर स्यूं = सुर से
- घोड़ा री = घोड़ों की
- सुरगां नै = स्वर्ग में
- मरु रो = मरु का
- सत री = सत्य की
- पत नै = पत को
- जोधाणू नौ = जोधपुर का
- सूरजमल रो = सूरजमल का
- ईं रा = इसका
प्रश्न 3.
कविता में लुळ-लुळ, पंपोळ, घोळे, संगळा आदि शब्दों में ‘ळ’वर्ण का प्रयोग हुआ है।’ळ’राजस्थानी भाषा का व्यंजन है, इसका उच्चारण’ल’ से किंचित अलग है। यदि आपकी स्थानीय बोली में ऐसे शब्द काम में आते हैं। तो उन शब्दों की सूची बनाइए।
नोट—छात्र स्वयं करें।
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
कविता में लूणी नदी का जिक्र हुआ है। राजस्थान में अन्य कई नदियाँ बहती हैं। शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से राजस्थान में बहने वाली प्रमुख नदियों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चंबल, लूणी, बनास बाणगंगा, रूपरेल, काली सिंध, पार्वती, परवन आदि।
प्रश्न 2.
कविता में चित्तौड़-जैसलमेर, कोटा आदि नगरों का संदर्भ आया है। प्रदेश के मानचित्र में कविता में उल्लेखित नगरों को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान का नक्शा
प्रश्न 3.
कविता में बाजरा व मक्का की फसलों का वर्णन हुआ है। आपके अंचल में कौन-कौनसी फसलें पैदा होती हैं? उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
हमारे यहाँ तिलहनी, दलहनी फसलें मुख्य रूप से होती हैं। गेहूँ, बाजरा, मक्का, ज्वार, सरसों, चना आदि प्रमुख फसलें हैं।
यह भी करें
प्रश्न 1.
कन्हैयालाल सेठिया राजस्थान के प्रसिद्ध कवि हुए हैं। विद्यालय के पुस्तकालय में उपलब्ध किताबों एवं पत्र पत्रिकाओं से उनकी अन्य कविताओं का संकलन कर ‘मेरा संकलन’ में लिखिए।
नोट—छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
कविता के आधार पर हमारा प्यारा राजस्थान’ विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
हमारा प्यारा राजस्थान राजस्थान मरुभूमि व धोरों की धरती के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता स्वर्ग से भी मोहक है। सूरज, चाँद, सितारे यहाँ के वातावरण को और सुंदर बनाते हैं। यहाँ के प्रसिद्ध नगर जयपुर, बीकानेर, चित्तौड़, जैसलमेर, भरतपुर आदि की अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। मक्का, बाजरा यहाँ की मुख्य फसलें हैं। नागौरी बैल और मदमस्त ऊँट यहाँ की पहचान हैं। यहाँ की धरती से लोग असीम प्यार करते हैं। आन-बान-शान की यह धोरों की धरती हमारे लिए सर्वस्व है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान का प्रसिद्ध पशु है
(अ) हाथी
(ब) ऊँट
(स) घोड़ा
(द) बकरी
प्रश्न 2.
राग सोरठ किस छंद में गाया जाता है
(अ) चौपाई
(ब) सवैया
(स) सोरठा
(द) दोहा।
प्रश्न 3.
‘रण वीरां रो बूंटो’ किस शहर को कहा गया है
(अ) बीकानेर
(ब) जैसलमेर
(स) अलवर
(द) चित्तौड़गढ़
प्रश्न 4.
कोटा-बूंदी किस नदी के तट पर है
(अ) चंबल
(ब) लूणी
(स) बनास
(द) बेड़च
उत्तर:
(1) ब
(2) स
(3) द
(4) अ
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘मदुआ ऊँट अगुंता खाथा।’-पंक्ति में ऊँट की क्या विशेषता बताई गई है?
उत्तर:
ऊँट को मदमस्त, अनोखा और उतावला पशु बताया
प्रश्न 2.
सर्वाधिक ऊँचाई का शहर किसे बताया गया
उत्तर:
आबू को सर्वाधिक ऊँचाई का शहर बताया गया है।
प्रश्न 3.
ईडर, पालनपुर वर्तमान में किस राज्य में है?
उत्तर:
ईडर, पालनपुर वर्तमान में गुजरात राज्य में हैं।
प्रश्न 4.
नगरों की पटरानी जयपुर को क्यों कहा गया हैं?
उत्तर:
जयपुर अपनी मोहक बसावट व सुंदरता के कारण नगरों की पटरानी हैं।
प्रश्न 5.
‘धरती धोरां री’ कविता के रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
‘धरती धोरां री’ कविता के रचनाकार का नाम कन्हैयालाल सेठिया है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्षाकाल में मरुभूमि का दृश्य कैसा हो जाता
उत्तर:
वर्षाकाल में यहाँ काले बादल गहराते हुए देखे जा सकते हैं। जब वर्षा होती है तो ऐसा प्रतीत होता है। मानो घूघुरुओं की गमक सुनाई दे रही हो। आसमान से बिजलियाँ डोलती हुई चमकती हैं। यह दृश्य बड़ा मोहक हो जाता है।
प्रश्न 2.
‘ईं रो धीणो आंगण-आंगण’-पंक्ति में कवि ने राजस्थान की किस विशेषता का उल्लेख किया है?
उत्तर:
कवि के अनुसार यहाँ घर-घर में दुधारू पशुओं की भरमार है। यह पशु संपदा यहाँ के जन जीवन को समृद्ध बनाये हुए है। दूध-घी से भरपूर घर-आँगन लोगों की खुशियों को बनाए हुए है। अत: यह मरुभूमि प्रिय है।
प्रश्न 3.
‘मिलतो तीन्या को उणियारो’-कहकर कवि ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
कवि यह कहना चाहता है कि आज भले ही हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि राज्य अलग-अलग हो गए। हों, लेकिन इनको ध्यान से देखा जाए तो ये आपस में एक ही हदय मरुधरा के टुकड़े हैं। इनका आपस में चेहरा मिलता है। ये भाई जैसे हैं। कवि ने भाईचारे का संदेश दिया
प्रश्न 4.
कवि ने मरुभूमि की प्राकृतिक सुंदरता की महिमा को किस प्रकार प्रकट किया है? लिखें।
उत्तर:
कवि ने मरुभूमि की सुंदरता को स्वर्ग को भी लज्जित करता हुआ बताया हैं। वह कहता है कि यहाँ देवता रमण करने आते है। सूरज-चाँद-सितारे इस धरती पर मुग्ध हैं। फल-फूल खिले हैं। कुदरत दोनों हाथ से लुटा रही है, इन उपमाओं से कवि ने भाव-विभोर होकर मरुधरा का वर्णन किया है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कवि ने राजस्थान के विभिन्न शहरों की पहचान किस रूप में बताई है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कवि ने राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर चित्तौड़गढ़ को वीरता का केंद्र तथा जोधपुर को पारिवारिक विरासत का शहर बताया है। आबू आसमान-सी ऊँचाई पर हैं तो जैसलमेर सीमा पर प्रहरी बना हुआ है। बीकानेर अपने स्वाभिमान, अलवर अपने हठ के कारण तो अजमेर अपनी चमक-दमक के कारण विख्यात है। जयपुर सारे नगरों की पटरानी है, वहीं कोटा-बूंदी राजा के कारण प्रसिद्ध हो गया, जब उन्होंने फिरंगियों को धूल चटाई । इस प्रकार मरुभूमि के ये शहर अपनी स्वाभाविक पहचान बनाए हुए हैं, कवि ने उसका सटीक वर्णन किया है।
प्रश्न 2.
‘धरती धोरां री’ में कवि का मातृभूमि से प्रेम व्यक्त हुआ है। वह अपने आपको इस भूमि पर किस प्रकार न्योछावर करने को तैयार है?
उत्तर:
कवि कहता है कि इस धरती पर हम अपना तन-मन वार सकते हैं। अपनी जीवन, धन और प्राण भी न्योछावर कर सकते हैं। हम केवल यह चाहते हैं कि इसकी यशरूपी ध्वजा आकाश में सदा लहराती रहे। हम मोतियों के थाल से इसकी आरती उतारते हैं और यहाँ की धूल मस्तक पर लगाते हैं। हम इसके सत्य की आन और इसकी प्रतिष्ठा को सदा बनाये रखेंगे। यदि समय आया तो हम अपना सिर चढ़ाने से भी नहीं चूकेंगे। इस प्रकार कवि ने अपनी बलिदानी भावना को व्यक्त किया है।
पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ/भावार्थ
(1)
धरती धोरां री,
आ तो सुरगां नै सरमावै,
ईं पर देव रमण नै आवै,
ईं रो जस नर नारी गावै,
धरती धोरां री!
काळा बादळिया घरावै,
बिरखा घूघरिया घमकावै,
बिजळी डरती ओला खावै,
धरती धोरां री!
सूरज कण कण नै चमकावै,
चन्दो इमरत रस बरसावे,
तारा निछावळ कर ज्यावै,
धरती धोरां री!
लुळ-लुळ बाजरियो लैरावै,
मक्की झालो देर बुलावे,
कुदरत दोन्यूँ हाथ लुटावै,
धरती धोरां री!
कठिन शब्दार्थ
धोरां = रेतीले टीले। सुरगां = स्वर्ग। सरमावै = लज्जित करती हैं। रमण = घूमने। जस = यश। बिरखा = वर्षा। घहरावै = गहराती है। इमरत = अमृत। निछरावळ = न्योछावर। लुळ-लुळ = झुकझुककर। लैरावै = लाता है। झालो = इशारा। देर = देकर। कुदरत = प्रकृति।
प्रसंग—उक्त पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘धरती धोरां री’ नामक कविता से संकलित हैं। कवि कन्हैयालाल सेठिया ने इस अंश में मरुभूमि की प्रशंसा की है।
व्याख्या/भावार्थ—कवि मरुभूमि के सौंदर्य का वर्णन करता हुआ कहता है कि यह धरती रेतीले टीलों की धरा है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता पर स्वर्ग भी लज्जित हो जाता है। इस पर मुग्ध होकर देवता भी यहाँ घूमने आते हैं। इसके यश को नर-नारी सदा गाते हैं। यह धरती अवितीय है।
यहाँ काले बादल गहराते हुए दिखाई देते हैं, जब वर्षा होती है। तो ऐसा प्रतीत होता है कि मुँघरू की गमक सुनाई दे रही हो। बिजलियाँ डोलती हुई चमकती हैं। आशय यह है कि वर्षाकालीन दृश्य मनोहारी हो जाता है। आसमान से सूर्य यहाँ के रेतीले कणों को चमकाता है तो रात में चंद्रमा शीतलता का अमृत-रस बरसाता है। सितारे तो इस धरा पर न्योछावर होते हैं। इस धोरों की धरती पर प्रकृति का सौंदर्य बरसता है।
खेतों में लहराता हुआ बाजरा मानो झुक झुक के बुला रहा है। मक्का भी इशारा देकर निमंत्रित कर रहा है। धन-धान्य की समृधि देखकर ऐसा लगता है कि कुदरत अपने दोनों हाथों से लुटा रही हैं। ऐसी यह रेतीली धोरों की धरती है।
(2)
पंछी मधरा-मधरा बोलै,
मिसरी मीठे सुर स्यूँ घोळे,
झी बायरियो पंपोळे,
धरती धोरां री!
नारा नागौरी हिंद ताता,
मदुआ ऊंट अणूता खाथा!
ई रै घोड़ा री के बातां?
धरती धोरां री!
ई रा फळ फलडा मन भावण,
ईं रै धीणो आंगण-आंगण,
बाजै सगळा स्यूं बड़ भागण,
धरती धोरां री!
कठिन शब्दार्थ.
मधरा = धीमी। मिसरी = मिश्री। झी = महीन, पतला। बायरियो = वा। पंपोळ = सहलाता है। नारा = बैल। मदुआ = मदमस्त। सगळा = सभी। बड़ भागण = सौभाग्यशाली।
प्रसंग—कन्हैयालाल सेठिया रचित ‘धरती धोरां री’ से उक्त पंक्तियाँ संकलित हैं। इन पदों में राजस्थान की प्राकृतिक छटा वे पशु-संपदा का उल्लेख हुआ है।
व्याख्या/भावार्थ—राजस्थान की धरती पर पक्षियों की धीमी-धीमी मधुर आवाज सुनी जा सकती है। उनके सुर इतने मीठे होते हैं कि मानो कानों में मिश्री घुल गई हो । साथ ही मंद गति से चलने वाली हवा सहलाती रहती है। ऐसी यह धोरों की धरती है।
यहाँ के प्रसिद्ध नागौरी बैल पूरे भारत में जाने जाते हैं। मदमस्त, अनोखे, उतावले ऊँट यहाँ पाये जाते हैं और यहाँ के घोड़ों की बात तो कुछ और ही है। यह धोरों की धरती पशु-संपदा से भी भरपूर है।
यहाँ की रेतीली भूमि पर खिलने वाले फल-फूल मन को भाने वाले हैं। यहाँ के घर-घर, आँगन-आँगन में दुधारू पशुओं की संपदा है। जो यहाँ जन्म लेते हैं, वे बड़े सौभाग्यशाली हैं। यह रेतीले टीलों की धरती महान है।
(3)
ईं रो चितौड़ी गढ़ लूंठो,
ओ तो रण वीरां रो खुटो,
ईं रो जोधाणू नौ कुंटो,
धरती धोरां री!
आबू आझै रै परवाएँ,
लुणी गंगाजी ही जाणै,
ऊभो जयसलमेर सिंवाणै,
धरती धोरां री!
ईं रो बीकाणू गरबीलो,
ईं रो अलवर जबर हठीलो,
ईं रो अजयमेर भड़कीलो,
धरती धोरां री!
जैपर नगयां में पटराणी,
कोटा-बूंदी कद अणजाणी!
चंबल कैवै ओ री का ‘णी,
धरती धोरां री!
कठिन शब्दार्थ
रण = युद्ध। खुटो = केंद्रस्थल। जोधाणू = जोधपुर। कुंटो = कुटुंब। आभै = आकाश। परवाणै = ऊँचाई। ऊभो = खड़ा। सिंवाणै = सीमा पर। बीकाणू = बीकानेर। गरबीलो = गर्वीला। जबर = बड़ा। पटराणी = पटरानी। कद = कब। अणजाणी = अनजानी। का’णी = कहानी।
प्रसंग—‘धरती धोरां री’ नामक कविता से संकलित इन पदों की रचना कन्हैयालाल सेठिया ने की है। इसमें यहाँ के विभिन्न नगरों की विशेषताएँ बताई गई हैं।
व्याख्या/भावार्थ—कवि के अनुसार यहाँ चित्तौड़गढ़ का दुर्ग प्रसिद्ध है, जो वीरों का केंद्रीय स्थल रहा है। वीरता के लिए जोधपुर का कुटुंब भी किससे अपरिचित है ? यह धोरों की धरती वीरता के लिए जानी जाती है। आबू की ऊँचाई आकाश को छू रही हैं तो यहाँ की लूणी नदी साक्षात गंगा माता के समान है। जैसलमेर भारत की सीमा पर प्रहरी बन कर खड़ा है। ऐसी यह मेरी मरुधरा है कि हठीली वृत्ति और अजमेर की चमक-दमक सब जानते हैं। जयपुर तो नगरों की महारानी है। कोटा और बूंदी भी अनजान नहीं है, चंबल का पानी इनकी कहानी कहता है। ऐसी यह धरती है।
(4)
कोनी नांव भरतपुर छोटो,
घुम्यो सूरजमल रो घोटो,
खाई मात फिरंगी मोटो,
धरती धोरां री!
ईं स्यूं नहीं माळवो न्यारो,
मोबी हरियाणो है प्यारो,
मिलतो तीन्यां रो उणियारो,
धरती धोरां री!
ईडर पालनपुर है इँरा,
सागी जामण जाया बीरा,
औ तो टुकुड़ा मरु रै जी रा,
धरती धोरां री!
कठिन शब्दार्थ
कोनी = नहीं। फिरंगी = अंग्रेज। मात = हार। मोबी = बड़ा, ज्येष्ठ। उणियारो = चेहरा। सागी = सभी। जामण = माता। जाया = जन्म लिया। बीरा = भाई।
प्रसंग—कन्हैयालाल सेठिया रचित’ धरती धोरां री’ से उधृत इन पंक्तियों में कवि ने भरतपुर के राजा सूरजमल की वीरता का वर्णन किया है। साथ ही मालवा, हरियाणा और गुजरात को मरुधरा का भाई बताया है।
व्याख्या/भावार्थ—कवि ने बताया है कि भरतपुर का नाम भी कोई छोटा नहीं है। यहाँ राजा सूरजमल के वीरतापूर्ण प्रदर्शन से अंग्रेजों को भी हार स्वीकारनी पड़ी थी। यह धरती वीरों से भरी पड़ी है। इसके पड़ोस में मालवा है, जो अलग प्रतीत नहीं होता। हरियाणा भी उसे प्रिय हैं और मालवा-हरियाणा तथा मरुधरा का चेहरा आपस में मिलता है। हम सब एक जैसे हैं। गुजरात के ईडर, पालनपुर आदि भी मरुधरा के ही लगते हैं। ये सब एक ही माँ की संतान प्रतीत होते हैं। ये मरुभूमि के हृदय के टुकड़े हैं, जिनसे स्वाभाविक लगाव है। यह धोरों की धरती है।
(5)
सोरठ बंध्यो सोरठां लारै,
भेळप सिंध आप हंकारै,
मूमल बिसयों हेत चितारै,
धरती धोरां री!
ईं पर तनड़ो मनड़ो वारा,
ईं पर जीवण प्राण उंवारां,
ईं री धजा उडै गिगनारा,
मायड़ कोड़ा री!
ईं नै मोत्या थाळ बधावां,
ईं री धूळ लिलाड़ लगावां,
ईं रो मोटो भाग सरावां,
धरती धोरां री!
ईं रै सत री आण निभावां,
ईं रै पत नै नहीं लजावां,
ईं नै माथो भेंट चढ़ावां,
मायड़ कोड़ां री!
धरती धोरां री!
कठिन शब्दार्थ
सोरठ= एक राग का नाम। सोरठा = एक छंद। भेळप = साथ में। सिंध = सिंह। हुंकारै = हुँकार करता है। मूमल = विरह का राग। बिसयो = भूल गया। हेत = प्रेम। चितारै = निशानी, स्मृति। उंवारां = न्योछावर करना। धजा = ध्वजा। गिगनारा = गगन में। मायड्= माता। लिळाड़ = ललाट। सरावां = सराहना करना। आण = आन, मर्यादा।
प्रसंग—कन्हैयालाल सेठिया रचित ‘धरती धोरां री’ से अवतरित इन पदों में कवि ने मातृभूमि पर अपना तन-मन-धन न्यौछावर करने की कामना की है।
व्याख्या/भावार्थ—कवि के अनुसार यहाँ के गीतों में राग-सोरठ सोरठा छंद के साथ गाया जाता है। उसमें सिंह की गर्जना-सा स्वर भी मिलता है। मूमल जैसे विरह-प्रेम के गीत यहाँ की यादों में हैं। अर्थात् इन लोक-कहानियों को लोग अब भी याद रखते हैं। कवि इस धरती पर अपना तन-मन वारने की बात कहता है। और समय आने पर अपना जीवन और प्राण भी वारना चाहता है। इस मरुभूमि के यश की पताका आकाश में लहराती रहे। उसके लिए यह माँ समान है, जहाँ वह सर्वस्व अर्पित कर सकता है। वह इस धरा की मोतियों के थाल से आरती उतारने की लालसा रखता है और इस मिट्टी की धूल को ललाट से लगाने की प्रेरणा देता है और कहता है कि हम सौभाग्यशाली हैं जो इस धरा पर जन्मे हैं। इस धरती से उसे असीम प्रेम है। कवि हमें संबोधित करते हुए कहता है कि हमें इसके सत्य की मर्यादा को निभाना चाहिए। इसकी प्रतिष्ठा कभी लज्जित नहीं हो, ऐसे प्रयास करने चाहिए। यदि इसकी मर्यादा की रक्षा के लिए हमें अपना सिर भी भेंट चढ़ाना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। यह धरती माँ श्रेष्ठ है। मरुधरा मेरी माँ है।
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