RBSE Class 6 Hindi व्याकरण संधि are part of RBSE Solutions for Class 6 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi व्याकरण संधि.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 6 |
Subject | Hindi |
Chapter | Hindi व्याकरण |
Chapter Name | संधि |
Number of Questions Solved | 5 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 6 Hindi व्याकरण संधि
संधि का अर्थ – ‘संधि’ का अर्थ है- आपस में मेल। दो वणों या अक्षरों के पास-पास आने के कारण उनके मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे सँध कहते हैं। जैसे—
- विद्या + अर्थी = विद्यार्थी।
- जगत् + ईश = जगदीश।
- यशः + दा = यशोदा।
संधि तीन प्रकार की होती हैं –
(क) स्वर संधि – दो स्वरों के मेल को स्वर संधि कहते हैं। स्वर संधि के निम्नलिखित पाँच भेद हैं –
(1) दीर्घ संधि – जब दो एक जैसे स्वर (ह्रस्व या दीर्घ) आपस में मिलते हैं, तो दोनों का मिलकर दीर्घ स्वर हो जाता है। जैसे
वेद् + अंत = वेदांत (अ + अ = आ)
विद्या + आलय = विद्यालय (आ + आ =आ)
हिम + आलय = हिमालय (अ + आ = आ)
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी (आ + अ = आ)
कवि + इंद्र = कवींद्र (इ + इ = ई)
हरि + ईश = हरीश (इ + ई = ई)
मही + इंद्र = महींद्र (ई + ई = ई)
सती + ईश । सतीश (ई + ई =ई)
भानु + उदय = भानूदय (उ + उ = ऊ)
वधू + उत्सव = वधूत्सव (ऊ + उ =ऊ)
मंजु’ + ऊषा = मंजूषा (उ + ऊ =ऊ)
वधू + ऊर्मि = वधूर्मि (ऊ + ऊ = ऊ)
मातृ + ऋण = मातृण (ऋ + ऋ = अ)
(2) गुण संधि – यदि अ, आ के उपरांत ह्रस्व या दीर्घ इ, उ या ऋ हो तो क्रमशः ए, ओ तथा अर् हो जाता है। जैसे—
शुभ + इच्छा = शुभेच्छा (अ + इ =ए)
महा + इंद्र = महेंद्र (आ + ३ = ए)
महा + ईश = महेश (आ + ई = ए)
चंद्र + उदय = चंद्रोदय (अ + उ = ओ)
महा + उत्सव = महोत्सव (आ + उ =ओ)
देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)
महा + ऋषि = महर्षि ( आ + ऋ =अर्)
(3) वृद्धि संधि – अ या आ के उपरांत यदि ए, ऐ अथवा ओ, औ हों तो दोनों के स्थान पर क्रमश: ऐ, औ हो जाते हैं। जैसे —
एक + एक = एकैक (अ + ए = ऐ)
तथा + एव = तथैव (आ + ए = ऐ)
परम + औदार्य = परमौदार्य (अ + औ = औ)
महा + ओज = महौज (आ + ओ = औ)
महा + औषध = महौषध (आ + औ = औं)
(4) यण संधि – इ, ई, उ, ऊ, ऋ के उपरांत यदि कोई असमान (विजातीय) स्वर आये तो इ, ई के स्थान पर ‘य्’, उ, ऊ के स्थान पर ‘व’ और ऋ के स्थान पर ‘र’ हो जाता है । जैसे —
यदि + अपि = यद्यपि (इ + अ = य् + अ = य)
अति + आचार = अत्याचार (इ + आ = य् + आ = या)
प्रति + उपकार- प्रत्युपकार (इ + उ = य् + उ = यु)
नि + ऊन = न्यून (इ + ऊ = य् + ऊ = यू)
प्रति + एक = प्रत्येक (इ + ए = य् + ए = ये)
नदी + अर्पण = नद्यर्पण (ई + अ = य् + अ = य)
सु + अल्प – स्वल्प (उ+ अ = व् + अ = वे)
सु + आगत स्वागत (उ + आ = व् + आ = वा)
अनु + इत = अन्वित (3 + इ = व् + इ = वि)
अनु + एषण = अन्वेषण (३ + ए = व् + ए = वे)
धनु + अंतर = धन्वंतर (उ + अ = व् + अ = वं)
मनु + अंतर = मन्वंतर (उ + अ = व् + अ = वं)
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा (ऋ + आ = र + आ = रा)
(5) अयादि संधि – यदि ए, ऐ, ओ, औ के उपरांत कोई असमान् (विजातीय) स्वर आये तो ए, ऐ, ओ, औ के स्थान पर क्रमशः अय्, अव्, आय्, आव् हो जाते हैं। जैसे—
शे + अन = शयन (ए + अ = अय् + अ = अय)
गै + अन = गायन (ऐ + अ = आय् + अ = आय)
भो + अन = भवन (ओ + अ = अव् + अ = अव )
पो + इत्र = पवित्र (ओं + इ = अव् + ई = अवि )
गो + ईश = गवीश (ओ + ई = अव् + ई = अवी )
धौ + अक = धावक (औ + अ = आव् + अ = आव)
नौ + इक = नाविक (औ + ई = आव् + इ = आवि)
नै + इका = नायिका (ऐ+ इ = आय् + इ = आयि )
(ख) व्यंजन संधि – यदि संधि के लिए प्रस्तुत शब्दों में प्रथम शब्द के अंत में व्यंजन वर्ण हो तथा दूसरे शब्द के प्रारंभ में स्वर या व्यंजन हो, तो वहाँ पर व्यंजन संधि होती। है । जैसे —
दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन। भगवत् + गीता = भगवद्गीता। दिक् + गज = दिग्गज। दिक् + अंचल = दिगंचल। षट् + दर्शन = षड्दर्शन। उत् + घाटन = उद्घाटन। सुप् + अंत = सुबंत। जगत् + ईश = जगदीश। अप् + ज = अब्ज। वाक् + ईश = वागीश। जगत् + गुरु = जगद्गुरु।
(ग) विसर्ग संधि – यदि संधि के लिए प्रस्तुत प्रथम शब्द के अंत में विसर्ग हो तथा दूसरे शब्द के प्रारंभ में स्वर या व्यंजन वर्ण हो, तो वहाँ पर विसर्ग संधि होती है । जैसे —
निः + चल = निश्चल। निः + छल = निश्छल। धनुः + टंकार = धनुष्टंकार। निः + चित = निश्चित। निः + दुर = निष्ठुर। मनः + ताप = मनस्ताप। निः + तेज = निस्तेज। निः + चय = निश्चय। दुः + शासन = दु:शासन या दुश्शासन। निः + संदेह का नि:संदेह या निस्संदेह। रजः + ‘कण = रजःकण।
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
संधि की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
दो वर्गों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते हैं।
प्रश्न 2.
‘नमस्कार’ का संधि-विच्छेद है
(क) नमस + कार
(ख) नम: + कार
(ग) नमः + सकार
(घ) नमो + कार
उत्तर:
(ख) नमः + कार
प्रश्न 3.
स्वर संधि का उदाहरण है
(क) सज्जन
(ख) उल्लेख
(ग) विद्यालय
(घ) जगदीश
उत्तर:
(ग) विद्यालय।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए – निर्विकार, अत्यधिक, प्रत्युत्तर, स्थानांतरित।
उत्तर:
(क) निर्विकार = निः + विकार।
(ख) अत्यधिक = अति + अधिक।
(ग) प्रत्युत्तर = प्रति + उत्तर।
(घ) स्थानांतरित = स्थान + अंतरित।
प्रश्न 5.
निम्न शब्दों में संधि कीजिएसूर्य उदय, विद्या + अर्थी, प्रति + उपकार, पौ + अक, महा + इंद्र, जगत् + ईश, रत्न + आकर, सत् + नारी, रामः + चलति।
उत्तर:
सूर्योदय, विद्यार्थी, प्रत्युपकार, पावक, महेंद्र, जगदीश, रत्नाकर, सन्नारी, रामश्चलति।
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