RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Chapter 6 सर्वनाम-शब्दप्रयोगः (अस्मद्-युष्मद्) is part of RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit Chapter 6 सर्वनाम-शब्दप्रयोगः (अस्मद्-युष्मद्).
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 6 |
Subject | Sanskrit |
Chapter | Chapter 6 |
Chapter Name | सर्वनाम-शब्दप्रयोगः (अस्मद्-युष्मद्) |
Number of Questions | 17 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit Chapter 6 सर्वनाम-शब्दप्रयोगः (अस्मद्-युष्मद्)
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मञ्जूषातः उचितम् ‘अस्मद्’ शब्दरूपं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(मंजूषा के उचित ‘अस्मद्’ के शब्द रूप चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
अहम्, आवाम्, वयम्
(क) …….श्लोकं लिखामि।
(ख) …….पाठं स्मराम:।
(ग) …….गीतं गायावः।
(घ) …….कन्दुकेन क्रीडामि।
(ङ) ……. उद्यानं गच्छावः।
उत्तर:
(क) अहं
(ख) वयं
(ग) आवां
(घ) अहं
(ङ) आवां
प्रश्न 2.
मजूषातः युष्मद्-शब्दरूपं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(मंजूषा से युष्मद के शब्द रूप चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-)
त्वम्, युवाम्, यूयम्
उत्तर-
(क) …….सैनिक: असि
(ख) …….देशं रक्षथ
(ग) ……. सैनिकाः स्थ
(घ) …….पाठं पठथ
(ङ) …….गीतं गायथः
उत्तर:
(क)त्वं
(ख) यूयं
(ग) यूयं
(घ) यूयं
(ङ) युवा
प्रश्न 3.
परस्परं सुमेलयत- (आपस में मिलाइए-)
उत्तर:
प्रश्न 4.
वचनपरिवर्तनं कृत्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(वचन बदलकर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-)
एकवचन द्विवचनम् बहुवचनम्
यथा- अहम् अध्यापकः। आवां अध्यापकौ। वयं अध्यापकाः।
प्रश्न 5.
अधोलिखितानि एकवचन-वाक्यानि द्विवचने बहुवचने च लिखत-
(नीचे लिखे एकवचन वाक्यों के द्विवचन और बहुवचन लिखिए-)
प्रश्न 6.
मजूषायां प्रदत्त-पदानि उचित-स्थाने लिखित्वा संवादं पूरयत-(मंजूषा में दिये शब्द को उचित स्थान पर लिखकर संवाद को पूरा कीजिए-)
(अ) त्वं करोषि पठामि पश्यामि अहं
यथा – भावेश-त्वं किं करोषि?
उत्तर:
(क) अरुण : अहं पुस्तकं पठामि। त्वं कि करोषि ?
(ख) भावेश : अहं दूरदर्शन पश्यमि।
(ग) अरुण : दूरदर्शने त्वं किं पश्यसि ?
उत्तर:
(घ) भावेश : दूरदर्शने अहं हास्यनाटिकां पश्यामि।
(आ) त्वं गच्छामि अहं गच्छसि
(क) मिताली – त्वं कुत्र गच्छसि ?
(ख) आराध्या – अहम् उद्यानं गच्छामि।
(ग) मिताली – तत्र त्वं किं करोषि ?
(घ) आराध्या – तत्र अहं भ्रमामि क्रीडामि च
योग्यता-विस्तारः
प्रश्न 1.
इस पाठ में ‘अस्मद्’ शब्द रूप (अहम्, आवाम्, वयम्) और युष्मद् शब्द के रूप (त्वम्, युवाम्, यूयम्) पढ़े। इनमें सभी प्रथम विभक्ति के रूप हैं। अस्मद्-युष्मद् शब्द सर्वनाम शब्द हैं।
प्रश्न 2.
संस्कृत में तीन पुरुष होते हैं।
- प्रथमः पुरुषः
- मध्यमः पुरुषः
- उत्तमः पुरुषः
प्रश्न 3.
प्रथमा विभक्ति के रूपों के इन तीन पुरुषों में विभक्ति होती है
प्रश्न 4.
अवधेयम् – मध्यम पुरुष के तीन रूप (त्वम्, युवाम्, यूयम) और उत्तम पुरुष के तीन रूपों (अहम्, आवाम्, वयम्,) को छोड़कर अन्य सभी रूप प्रथम पुरुष में ही होते हैं।
ये सभी रूप प्रथम पुरुष में ही हैं।
प्रश्न 5.
क्रिया रूप भी तीन पुरुषों में होते हैं। जैसे-पठ् धातु के रूपों को देखिए
प्रथमा विभक्ति के जिस पुरुष में तथा जिस वचन में होता है, क्रिया के रूप भी उसी पुरुष में और उसी वचन में होता है।
जैसे-
बालिके नमतः (बालिका नमस्कार करती है।)
मनोज: पश्यति (मनोज देखता है।)
बालकाः लिखन्ति। (सभी बालक लिखते हैं।)
युवां खादथः। (तुम सब खाते हो।)
यूयं क्रीडथ। (तुम सब खेलते हो।)
अहं पिबामि। (मैं पीता हूँ।)।
आवां पठावः। (हम दोनों पढ़ते हैं)
ते गच्छन्ति। (वे सब जाते हैं।)
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘बालक: शब्दस्य बहुवचनम् रूपमस्ति-
(क) बालिका
(ख) बालकाः
(ग) बालकौ।
(घ) बालकः
उत्तर:
(ग) बालकौ।
प्रश्न 2.
……… छात्रौ।
(क) अहं
(ख) वयं
(ग) आवा
(घ) युवां।
उत्तर:
(ख) वयं
प्रश्न 3.
‘पठ’ धातोः वर्तमान कालस्य मध्यमपुरुषस्य रूपाणि लिखित।
उत्तर:
पठसि, पठथः, पठथः।
प्रश्न 4.
मैं पढ़ रहा हूँ। इत्यस्य संस्कृते अनुवादः कुरुत।
उत्तर:
अहं पठामि।
अहम्/आवाम्/वयम् ।
- अहं अत्रः। (मैं छात्र हैं।)आवां छात्रौ। (हम दो छात्र हैं) वयं अत्राः (हम सब छात्र हैं)
- अहं पठामि। (मैं पढ़ता हूँ।) आवां पठावः। (हम दोनों पढ़ते हैं।) वयं पठामः। (हम सब पढ़ते हैं।)।
- अहं बालिका। (मैं लड़की हूँ।) आवां बालिके। (हम दो लड़कियाँ हैं) वयं बालिकाः। (हम सब लड़कियाँ हैं।)।
- अहं क्रीडामि। (मैं खेलती हूँ।) आवां क्रीडावः। (हम दोनों खेलती हैं।)वयं क्रीडामः (हम सब खेलती हैं।)
प्रश्न 1.
अहं भक्तः। (मैं भक्त हूँ।) आवां भक्तौ । (हम दोनों भक्त है) वय भक्ताः । (हम सब भक्त है।) अहं नमामिः। (मैं नमस्कार करता हूँ।) आवां नमावः। (हम दोनों नमस्कार करते हैं। वयं नमामः। (हम सब नमस्कार करते हैं।)
प्रश्न 2.
अहं महिला। (मैं स्त्री हैं।)आवां महिले। (हम दोनों । स्त्रियाँ हैं।) वयं महिलाः। (हम सब महिलाएँ हैं।) अहं पचामि। (मैं पकाती हूँ।) आवां पचावः। (हम दोनों पकाती हैं।) वयं पंचामः। (हम सब पकाती हैं)
प्रश्न 3.
अहं लेखकः (मैं लेखक हैं) आवां लेखकौ। (हम दोनों लेखक हैं) वयं लेखकाः। (हम सब लेखक हैं।) अहं लिखामि। (मैं लिखता हूँ।) आवां लिखावः। (हम दोनों लिखते हैं) वयं लिखामः। (हम सब लिखते हैं।)
त्वम्/युवाम्/यूयम्
1. त्वं धावकः। (तुम धावक हो।) युवां धावकौ ।(तुम दोनों धावक हो) यूयं धावकाः।(तुम सब धावक हो।)। त्वं धावसि। (तुम दौड़ते हो।) युवां धावथः। (तुम दोनों दौड़ते हो।) यूयं धावथ। (तुम सब दौड़ते हो।)
2. त्वम् अध्यापिका। (तुम शिक्षिका हो।) युवाम् अध्यापिके। (तुम दोनों शिक्षिका हो।) यूयम् अध्यापिका: । (तुम सब शिक्षिको हो।) त्वं लिखसि। (तुम लिखती हो।) युवां लिखथः। (तुम दोनों लिखती हो।) यूयं लिखथ। (तुम सब लिखती हो।)
3. त्वं सैनिकः।(तुम सैनिक हो।) युवां सैनिकौ। (तुम दोनों सैनिक हो।) यूयं सैनिकाः। (तुम सब सैनिक हो ।) त्वं रक्षसि। (तुम रक्षा करते हो।) युवां रक्षथः। (तुम दोनों रक्षा करते हो।) यूयं रक्षथ। (तुम सब रक्षा करते हो।)
पश्यत, पठ्त, अवगच्छत च
(देखो, पढ़ो और जानो)
विद्यालये एषः विशिष्टकार्यस्य कालांशः। अधुना छात्राः विविधानि कार्याणि कुर्वन्ति। अध्यापकः अत्रान् कार्यविषये पृच्छति- (विद्यालय में यह विशेष कार्य का कालांश (घंटा) है। इस समय अत्र विभिन्न कार्यों को करते हैं। अध्यापक छात्रों के कार्य के विषय में पूछता है)
अध्यापक: त्वं किं करोषि ? (तुम क्या करते हो ?)
छात्र: अहं पठामि। (मैं पढ़ता हूँ।)
अध्यापक: त्वं किं पठसि ? (तुम क्या पढ़ते हो ?)
छात्र: अहं पाठं पठामि। (मैं पाठ पढ़ता हूँ।)
अध्यापक: उत्तमम्। (अच्छा है।)
अध्यापक: युवां किं कुरुथः? (तुम दोनों क्या करते हो?)
छात्रौ: आवां वृक्षारोपणं कुर्वः। (हम दोनों पौधारोपण करते हैं।)
अध्यापक: एषः कः वृक्षः ? (यह कौन-सा पेड़ है ?)
छात्रौ: एषः निम्बवृक्षः। (यह नीम का पेड़ है।)
अध्यापक: अत्युत्तमम्। (बहुत अच्छा है।) अध्यापकः-यूयं किं कुरुथ ? (तुम सब क्या करती हो ?
छात्रा: वयं गीत गायामः। (हम सब गीत गाती हैं।)
अध्यापक: यूयं किं गीतं गायथ ? (तुम सब कौन-सा गीत गाती हो ?)
छात्रा: वयं संस्कृतगीतं गायामः। (हम सब संस्कृत गीत गाती हैं।)
अध्यापक: बहु शोभनम्। (बहुत सुन्दर।)
यूयं सम्यक् गीतं गायथ। (तुम सब ठीक प्रकार से गीत गाओ।)
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