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RBSE Solutions for Class 6 Science Chapter 4 प्राकृतिक रेशे

February 23, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 6 Science Chapter 4 प्राकृतिक रेशे are part of RBSE Solutions for Class 6 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Science Chapter 4 प्राकृतिक रेशे.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 6
Subject Science
Chapter Chapter 4
Chapter Name प्राकृतिक रेशे
Number of Questions Solved 53
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 6 Science Chapter  4 प्राकृतिक रेशे

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1
रुई को बिनौले (बीज) से हटाने की प्रक्रिया को कहते
(अ) कताई
(ब) बुनाई
(स) ओटना
(द) अभिमार्जन
उत्तर:
1. (स)

प्रश्न 2.
प्राकृतिक तन्तु का उदाहरण है
(अ) रेयॉन
(ब) नायलॉन
(स) रुई
(द) डेक्रॉन
उत्तर:
2. (स)

प्रश्न 3.
जातव तन्तु का उदाहरण है
(अ) कपास
(ब) नायलॉन
(स) ऊन
(द) पटसन
उत्तर:
3. (स)

प्रश्न 4.
रेशम का रेशा किससे प्राप्त किया जाता है ?
(अ) भेड़
(ब) बकरी
(स) ऊन
(द) रेशम का कीट
उत्तर:
4. (द)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. रेशों से धागा बनाने की प्रक्रिया को…………कहते हैं।
  2. रेशम के कीट को पालने को…………….कहते हैं।
  3. …………….के चारों ओर रेशम का धागा लिपट जाने से गोल रचना कृमिकोश या कोकून बनती है।
  4. नायलॉन, रेयॉन और डेक्रॉन………….के कुछ उदाहरण हैं।

उत्तर:

  1. कताई
  2. सेरीकल्चर
  3. इल्ली
  4. कृत्रिम रेशों ।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राकृतिक और संश्लेषित रेशों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वे रेशे जो पौधों और जन्तुओं से प्राप्त होते हैं, उन्हें प्राकृतिक रेशे कहते हैं। जैसे-ऊन, कपास, पटसन, पूँज, | रेशम आदि। जबकि वे रेशे जो मानव द्वारा विभिन्न रसायनों से बनाए जाते हैं, उन्हें संश्लेषित रेशे या कृत्रिम रेशे कहते हैं। जैसे-रेयॉन, डेक्रॉन, नायलॉन आदि।

प्रश्न 2.
सूती कपड़ों की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
सूती कपड़ों की विशेषताएँ निम्न हैं

  1. सूती वस्त्र ठण्डा होता है।
  2. सूती वस्त्र नमी सोखता है।

प्रश्न 3.
हमारे देश में रेशम का धागा मुख्यतः किन राज्यों से प्राप्त होता है ?
उत्तर:
हमारे देश में रेशम का धागा मुख्यत: कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु से प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
रेशों से धागा निर्मित करने की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
रेशों से धागा बनाने की प्रक्रिया कताई कहलाती है। कताई की प्रक्रिया में रुई के एक पुंज से धीरे-धीरे रेशों को खींचते हैं और साथ-साथ उन्हें ऐंठते रहते हैं। जिससे तन्तु पास-पास आ जाते हैं और धागा बनने लगता है।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
दैनिक जीवन में उपयोगी वस्त्रों की सूची बनाइए. तथा ये रेशे किन-किन रेशों से बने हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर:
वस्त्र एवं इनमें प्रयुक्त रेशे

क्र. सं. वस्त्र का नाम प्रयुक्त रेशा
1. रूमाल सूत (रुई)
2. धोती सूत (रुई)
3. कमीज सूत + संश्लेषित रेशा
4. कम्बल ऊन
5. रजाई सूत + रुई
6. स्वेटर ऊन
7. मोजे नायलॉन/रेयॉन
8. साड़ी रेशम
9. जैकेट नायलॉन + डेक्रान
10. पेन्ट डेक्रॉन

प्रश्न 2.
रेशम के कीट से रेशम कैसे प्राप्त किया जाता है? समझाइए।
उत्तर:
रेशम कीट के जीवन चक्र की कोकून (Cocoon) अवस्था को वयस्क कीट में परिवर्तित होने से पहले कोकूनों ३ को धूप में यो गरम पानी में अथवा भाप में रखा जाता है। इससे रेशम के रेशे प्राप्त होते हैं। रेशम के रूप में उपयोगी धागा बनाने की इस प्रक्रिया को रेशम की रीलिंग कहते हैं। फिर इन रेशों की कताई की जाती है। जिससे रेशम के धागे प्राप्त होते हैं। इसके बाद बुनकरों द्वारा इन्हीं धागों से वस्त्र बनाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
भेड़ के बालों से ऊन बनाने की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
भेड़ के बालों से ऊन बनाने की प्रक्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है
पद 1: सर्वप्रथम भेड़ के शरीर से बालों को उतार लिया जाता है। इसे ऊन की कटाई कहते हैं। यह प्रक्रिया सामान्यतः गर्मी के मौसम में की जाती है।
पद 2: भेड़ों से उतारे गए बालों से चिकनाई, धूल आदि को हटाने की प्रक्रिया को अभिमार्जन कहते हैं। इसके लिए इन बालों को बड़ी-बड़ी टंकियों में डालकर धोया जाता है।
पद 3: विभिन्न गठन वाले बालों को अलग-अलग करना छंटाई कहलाता है। बालों से छोटे-छोटे कोमल व फूले हुए रेशे जिन्हें बर कहते हैं, अलग कर लिया जाता है। फिर बालों को सुखा लेते हैं तथा पुनः अभिमार्जन कर सुखा लेते हैं। इस प्रकार प्राप्त रेशे या ऊन को ही धागों के रूप में काता जाता है।
पद 4: ऊन की विभिन्न रंगों से रंगाई की जाती है।
पद 5: रेशों को सीधा करके सुलझाना और फिर लपेट कर धागा बनाना रीलिंग कहलाता है। लम्बे रेशों को काटकर स्वेटर की ऊन तथा छोटे रेशों को काटकर ऊनी वस्त्र बनाने के लिए उपयोग करते हैं।

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
घरों में काम आने वाले वस्त्र, कम्बल, चादर, पर्दे आदि को ध्यान से देखिए। ये सभी भिन्न-भिन्न प्रकार के कपड़ों से बने हैं। क्या आप इन कपड़ों में से कुछ की पहचान कर सकते हैं ? (पृष्ठ 27)
उत्तर:
हाँ। इन वस्त्रों में से कुछ वस्त्र; जैसे-कम्बल, स्वेटर आदि ऊन के बने होते हैं, कुछ वस्त्र; जैसे-पर्दा, कमीज, रूमाल आदि सूत के बने हैं, कुछ वस्त्र; जैसे कुर्ता, साड़ी आदि रेशम के बने हैं तथा कुछ वस्त्र; जैसे- पेंट, शर्ट आदि संश्लेषित धागे के बने हैं।

प्रश्न 2.
तन्तुओं को धागे में कैसे परिवर्तित करते हैं? (पृष्ठ 29)
उत्तर:
तन्तुओं को कताई द्वारा धागे में परिवर्तित किया जाता है। इस प्रक्रिया में रुई के एक पुंज से धीरे-धीरे रेशों को खींचते हैं और साथ-साथ उन्हें ऐंठते रहते हैं जिससे तन्तु पास-पास आ जाते हैं और धागा बनने लगता है।

प्रश्न 3.
अपने आस-पास के किसी गाँव या शहर में तालाब अथवा नदी के किनारे रंग-बिरंगे कपड़े सूखते देखे होंगे। इन वस्त्रों पर रंग कैसे चढ़ाया जाता है (पृष्ठ 30)
उत्तर:
कपड़ों पर रंग तरह-तरह की विधियों द्वारा चढ़ाया जाता है; जैसे-बंधेज, छपाई आदि।

प्रश्न 4.
क्या सभी प्रकार के वस्त्रों को एक ही प्रकार से रंगा जाता है ? (पृष्ठ 31)
उत्तर:
नहीं। अलग-अलग प्रकार के वस्त्रों को अलग-अलग प्रकार से रंगा जाता है।

प्रश्न 5.
सूती कपड़े पर रंग पक्का करने हेतु क्या मिलाते हैं? (पृष्ठ 31)
उत्तर:
सूती कपड़े पर रंग पक्का करने हेतु नमक मिलाते हैं।

प्रश्न 6.
एक ही कपड़े पर एक से अधिक रंग चढ़ाने हेतु रंगरेज क्या करता है ? (पृष्ठ 31)
उत्तर:
एक ही कपड़े पर एक से अधिक रंग चढ़ाने के लिए रंगरेज बंधेज बनाकर हल्के रंग से गहरे रंग की ओर बंधेज बढ़ाता जाता है।

प्रश्न 7.
कपड़े पर छपाई किस शैली में की जाती है ? (पृष्ठ 31)
उत्तर:
कपड़े पर छपाई की विभिन्न शैली हैं; जैसे- सांगानेर (जयपुर), जोधपुर, जैसलमेर, उदयपुर, बाड़मेर आदि की शैलियाँ। वस्त्रों की छपाई का सबसे प्रचलित उपकरण ठप्पा है, इसे भाँत भी कहते हैं।

प्रश्न 8.
किन-किन जन्तुओं से रेशे प्राप्त होते हैं और उन्हें किस प्रकार हमारे लिए उपयोगी बनाया जाता है। (पृष्ठ 32)
उत्तर:
भेड़, बकरी, ऊँट, याक, खरगोश आदि जन्तुओं से रेशे प्राप्त होते हैं। इन रेशों को कटाई, अभिमार्जन, छंटाई, रंगाई, रीलिंग आदि प्रक्रियाओं द्वारा हमारे उपयोग हेतु तैयार किया जाता है।

क्रियाकलाप

गतिविधि-1 (पृष्ठ 27)
प्रश्न.
एकत्रित किए गए कपड़ों की कतरन में से कोई ढीला धागा या रेशा खींचिए। ये धागे या रेशे किससे बनते हैं ?
उत्तर:
कुछ रेशे पौधों से, कुछ रेशे जन्तुओं से प्राप्त किए गए हैं। कुछ रेशों को संश्लेषित किया गया है।

समूह कार्य

क्रियात्मक कार्य
1. शिक्षक के मार्गदर्शन में भिण्डी, आलू, कमल गट्टा आदि के छाप बनाकर पेंटिंग के रंगों से अनुपयोगी कपड़े पर छाप कर विभिन्न डिजाइन बनाइए।
कार्य:
छात्र स्वयं करें।

2. अपने आस-पास के किसी हथकरघा अथवा बिजली चालित करघा इकाई का भ्रमण करके विभिन्न विधियों द्वारा तन्तुओं की बुनाई का प्रेक्षण कीजिए। कार्य:
छात्र स्वयं करें।

3. पता लगाइए कि आपके क्षेत्र में तन्तु प्राप्त करने के लिए कौन-सी फसल उगाई जाती है तथा इसका उपयोग कहाँ किया जाता है ?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में तन्तु प्राप्त करने के लिए कपास तथा मॅज की फसल उगाई जाती है। कृपास का उपयोग सूत बनाकर, रजाई के कवर, चादरें, लिहाफ, वस्त्र बनाने में किया जाता है। रुई का प्रयोग रजाई एवं तकिए में भरने के लिए किया जाता है। पूँज का प्रयोग खाट के लिए रस्सियाँ बनाने में, मूढ़े बनाने, खिलौने बनाने, चटाई बनाने आदि में किया जाता है।

4. किसी कृषि विशेषज्ञ से बीटी कपास (BT Cotton) | के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए अथवा envior. nic.in/divisions/csnv/btcotton/bgnote.pdf से जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
बीटी कपास (BT Cotton) एक परजीवी कपास है। यह कपास के बॉल्स को छेदकर नुकसान पहुँचाने वाले कीटों के लिए प्रतिरोधी कपास है। कुछ कीट कपास के बॉल्स को नष्ट करके किसानों को आर्थिक हानि पहुँचाते हैं। वैज्ञानिकों ने कपास में एक ऐसे बीटी जीन को प्रवेश कराकर बीटी कपास पौधे प्राप्त किए हैं जो एक विषैले पदार्थ का निर्माण करते हैं।
जब कीट कपास के गोलों को खाते हैं जो विषैला पदार्थ कीट के अन्दर पहुँच जाता है और कीट को मार देता है। ऐसे रूपान्तरित कपास पौधों को ही BT कपास कहते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए
1. प्राकृतिक तन्तु नहीं है
(अ) रेयॉन
(ब) रेशम
(स) ऊन
(द) रुई

2. कपास के बीजों से तन्तुओं को अलग करना कहलाता है
(अ) कताई
(ब) ओटना
(स) बुनना
(द) चुनना

3. एक बीज पत्री पादप है
(अ) कपास
(ब) जूट
(स) पूँज
(द) शहतूत

4. जूट से बनाए जाते हैं
(अ) चटाई
(ब) बैग
(स) पायदान
(द) ये सभी

5. मुढे बनाए जाते हैं :
(अ) कपास से
(ब) पूँज से
(स) जूट से
(द) सरसों से
उत्तर:
1. (अ)
2. (ब)
3. (स)
4. (द)
5. (ब)

रिक्त स्थान
निनलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए.

  1. वे रेशे जो पौधों और जन्तुओं से प्राप्त होते हैं, उन्हें………….‘रेशे कहते हैं।
  2. रुई कपास पादप के………..से प्राप्त होती है।
  3. मॅज के……….का उपयोग झोंपड़े, परम्परागत फर्नीचर तथा सीरकी बनाने में किया जाता है।
  4. पादपों से प्राप्त तन्तुओं से धागा बनाने की प्रक्रिया……………कहलाती है।
  5. धागे के दो सेट को आपस में व्यवस्थित करके वस्त्र निर्माण की क्रिया को……….कहते हैं।

उत्तर:

  1. प्राकृतिक
  2. फल
  3. सरकण्डों
  4. कताई
  5. विविंग

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
रेशे कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:
दो प्रकार के प्राकृतिक और संश्लेषित ।

प्रश्न 2.
रेशा प्राप्त करने के लिए पटसन की फसल को किस अवस्था में काट लिया जाता है ?
उत्तर:
रेशा प्राप्त करने के लिए पटसन की फसल को इसकी पुष्पन अवस्था में ही काट लेते हैं।

प्रश्न 3.
वनस्पति शास्त्र में पूँज को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
सैकेरम मँजा (Saccharum munja) ।

प्रश्न 4.
किस पौधे से इकोफ्रेण्डली खिलौने बनाए जाते  हैं ?
उत्तर:
मूँज पौधों के सरकण्डों से।

प्रश्न 5.
कताई के लिए प्रयुक्त दो सरल युक्तियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. हस्त तकुआ (तकली)
  2. चरखा

प्रश्न 6.
सूती कपड़े को रंगते समय रंग के घोल में नमक क्यों डाला जाता है ?
उत्तर:
सूती कपड़े को रंगते समय रंग के घोल में नमक रंग पक्का करने के लिए डाला जाता है।

प्रश्न 7.
बंधेज प्रक्रिया का क्या महत्व है ?
उत्तर:
बंधेज प्रक्रिया द्वारा कपड़े पर आकर्षक डिजाईन बनाई जाती है।

प्रश्न 8.
राजस्थान में छपाई कला का सर्वोत्तम स्वरूप कहाँ मिलता है ?
उत्तर:
राजस्थान में छपाई कला की सर्वोत्तम स्वरूप सांगानेर (जयपुर) में देखने को मिलता है।

प्रश्न 9.
जन्तुओं के शरीर पर बालों (ऊन) के पाये जाने का क्या लाभ है ?
उत्तर:
बालों (ऊन) के कारण जन्तुओं का शरीर गर्म रहता

प्रश्न 10.
रेशम कीट को किस पौधे पर पाला जाता है और यह कीट क्या खाता है ?
उत्तर:
रेशम कीट को शहतूत के पौधे पर पाला जाता है और यह शहतूत की पत्तियाँ खाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राकृतिक एवं कृत्रिम रेशा किसे कहते हैं ? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
वे रेशे जो पौधों और जन्तुओं दोनों से प्राप्त होते हैं, प्राकृतिक रेशे कहलाते हैं; जैसे-ऊन, कपास आदि। वे रेशे जो मानव द्वारा विभिन्न रसायनों से बनाए जाते हैं, उन्हें संश्लेषित रेशे या कृत्रिम रेशे कहते हैं। जैसे-रेयान, नायलॉन।

प्रश्न 2.
कपास के पौधे से रुई कैसे प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
रुई कपास पौधे के फल से प्राप्त होती है। इसके फल नींबू के आकार के होते हैं। पकने पर ये फल स्वयं फट जाते हैं और कपास तन्तुओं से ढके बीज (बिनौले) दिखाई देते हैं। हस्त चयन द्वारा फलों को एकत्र कर लिया जाता है तथा कंकटने द्वारा कपास को बीजों से पृथक् कर लिया जाता है, इसे ‘कपास ओटना’ कहते हैं।

प्रश्न 3.
बुनाई से आप क्या समझते हैं ? समझाइए।
उत्तर:
धागे से वस्त्र निर्माण की प्रक्रिया बुनाई कहलाती है। बुनाई विविंग (Weaving) व निटिंग (Knitting) द्वारा की जाती है। धागे के दो सेट को आपस में व्यवस्थित करके वस्त्र निर्माण की क्रिया को विविंग कहते हैं। एकल धागे से वस्त्र निर्माण की क्रिया को निटिंग कहते हैं। निटिंग हाथों तथा मशीन से की जाती है।

प्रश्न 4.
राजस्थान में वस्त्रों की छपाई का कार्य कहाँ-कहाँ मुख्य रूप से होता है ?
उत्तर:
राजस्थान में छपाई कला को सर्वोत्तम स्वरूप सांगानेर (जयपुर) में देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त जोधपुर, जैसलमेर, उदयपुर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बगरु, अकोला (चित्तौड़गढ़) आदि की भी छपाई कला में अपनी अलग पहचान है। इन सभी स्थानों घर ठप्पे से छपाई की जाती है।

प्रश्न 5.
सूती कपड़े में कौन-कौन से रूप शामिल हैं? सूती कपड़े की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
सूती कपड़ा कपास से बनता है। सूती कपड़े के अन्तर्गत लठ्ठा, सबिया, वायल, पॉपलीन, मलमल आदि को शामिल किया जाता है। सूत्री वस्त्रों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. सूती वस्त्र ठण्डा होता है।
  2. सूती वस्त्र नमी सोखता है।
  3. सूती वस्त्रों को रंगना आसान होता है।

प्रश्न 6.
हमारे देश में भेड़ व बकरियों का पालन ऊन के लिए कहाँ-कहाँ किया जाता है ?
उत्तर:
हमारे देश के कुछ भाग; जैसे-जम्मू कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में कश्मीरी बेकरी या अंगोरा नस्ल की बकरियों से ऊन प्राप्त की जाती है। यह ऊन अधिक मुलायम होती है। और इससे बनी शालें पश्मीना शॉलें कहलाती हैं। हमारे देश में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब तथा गुजरात में मुख्य रूप से भेड़ों को ऊन के लिए पाला जाता है।

प्रश्न 7.
हमारे देश में कौन-कौन से राज्य रेशम उत्पादित करते हैं ? रेशमी वस्त्रों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
हमारे देश में 90% रेशम कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु से प्राप्त होता है। विश्व में सर्वाधिक रेशम चीन द्वारा उत्पादित किया जाता है। रेशमी वस्त्रों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. रेशमी वस्त्रों में सलवटें नहीं पड़ती हैं।
  2. रेशमी वस्त्रे चमकीले व आकर्षक होते हैं।
  3. रेशमी वस्त्र वजन में हल्के होते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
1. जूट
2. मुँज।
उत्तर:
जूट पटसन (Jute)-जूट तन्तु प्रदान करने वाला पौधा है। तन्तु प्राप्त करने के लिए पटसन की फसल को पुष्पन अवस्था में ही काट लिया जाता है। इसके तनों को कुछ दिनों तक जल में डुबोकर रखते हैं। फिर सुखाकर इसके तनों से हाथ द्वारा रेशे पृथक कर लिए जाते हैं। तन्तुओं को साफ करके पायदान, चटाई, बैग, रस्सी आदि बनाए जाते हैं।

मूँज (Moonj)-यह एक घास पौधा (Moonj grass) है। इस पादप को सेकेरम मँजा कहते हैं। यह एकबीजपत्री पादप है। यह मुख्यत: नागौर, बीकानेर, सीकर, झुंझुनूं, अजमेर आदि जिलों में पाया जाता है। इसके सरकण्डों से मूढ़े, टेबल, सीरकी, खिलौने बनाए जाते हैं। इसके रेशों से रस्सियों का निर्माण किया जाता है जिनका प्रयोग चारपाई, कुर्सियाँ आदि बनाने में होता है।
राजस्थान के अजमेर जिले में पूँज आधारित कुटीर उद्योगों द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यावसायिक उत्पादन किया जाता है।

प्रश्न 2.
सूती वस्त्रों की रंगाई की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सूती वस्त्रों की रंगाई के लिए विभिन्न प्रकार के रंजक काम में लिए जाते हैं। जिस रंग के वस्त्रों की रंगाई की जानी है उस रंग को थोड़े ठण्डे पानी में घोल लेते हैं। घोले गए रंग को गर्म पानी में डाल देते हैं और थोड़ा नमक मिलाकर डण्डे से अच्छी तरह हिलाते हैं।

अब इसमें वस्त्र को डालते हैं। डण्डे की सहायता से 5-10 मिनट तक ऊपर नीचे करते हैं। अब पानी को ठण्डा होने तक वस्त्र को रंग में भीगने देते हैं। तत्पश्चात् वस्त्र को बाहर निकालकर, पानी निचोड़कर, अयादार स्थान पर सुखा देते हैं। सूखने के बाद प्रेस कर लेते हैं।

प्रश्न 3.
बंधेज रंगाई का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
बंधेज द्वारा कपड़े पर रंगों की आकर्षक डिजाइने । बनाई जा सकती हैं। बंधेज में रंगाई करने से पूर्व डिजाइन बनाने के लिए वस्त्र को धागे से बाँध दिया जाता है। तत्पश्चात् उसे रंगा जाता है। जिस स्थान पर वस्त्र बाँधा जाता है वहाँ रंग नहीं चढ़ता है। शेष पूरा वस्त्र रंगीन हो जाता है। यदि दो या तीन रंगों में बंधेज बनाना हो; जैसे-कुछ स्थान पर सफेद, कुछ स्थान पर पीला व कुछ स्थान पर लाल रखना हो तो बंधेज को हमेशा हल्के रंग से गहरे रंगों की ओर बढ़ाते हैं।

हर बार अलग-अलग रंग में रंगने के पश्चात् वस्त्र को छाया में सुखाना पड़ता है तथा पुनः बाँधकर रखना पड़ता है। अन्तिम रंग रंगने के बाद वस्त्र को अच्छी तरह सूखने देते हैं। सूखने के बाद गाँठे खोल देते हैं। गाँठे खोलते समय धागे को जोर से नहीं खोलना चाहिए। बंधेज किए वस्त्र पर हल्की गरम इस्त्री करते हैं।

प्रश्न 4.
कपड़ों पर छपाई कैसे की जाती है ? समझाइए।
उत्तर:
रंगाई एवं छपाई के लिए सफेद कपड़ों एवं सूती वस्त्र; जैसे-मलमल, लट्ठा तथा रेशमी वस्त्रों का ही प्रयोग होता है। वस्त्रों की छपाई करने में प्रयुक्त होने वाले उपकरण में सबसे महत्वपूर्ण ठप्पा है, इसे भाँत भी कहते हैं। ये लकड़ी तथा धातु के बने होते हैं। ठप्पे बनने के बाद इनको | तिली के तेल में रात भर डुबोकर रखा जाता है।

सर्वप्रथम वस्त्रों की छपाई के लिए एक पात्र में रंग तैयार करते हैं। स्पंज को पानी से गीला करके अब तैयार रंग को स्पंज पर डालते हैं। इस ठप्पे को स्पंज पर रख देते हैं, जिससे उसमें रंग चढ़ जाता है। ब्लॉक से कपड़े पर सही आकृति में तथा एक ही लाइन में छाप (ठप्पा) लगाते हैं। इस प्रकार पूरे वस्त्र में या वस्त्र के किनारे पर ठप्पे लगाए जाते हैं। आजकल वस्त्रों पर मशीनों से भी छपाई की जाती है।

प्रश्न 5.
सेरीकल्चर (Sericulture) किसे कहते हैं ? रेशम कीट का जीवन चक्र समझाइए।
उत्तर:
रेशम कीट को पालकर रेशम (Silk) प्राप्त करने को सेरीकल्चर कहते हैं। रेशम कीट (Silk warm) को शहतूत की पत्तियों पर पाला जाता है। यह शहतूत की पत्तियाँ खाता है।
रेशम कीट का जीवन चक्र: मादा रेशम कीट शहतूत की पत्तियों पर अण्डे देती है। अण्डों से इल्लियाँ या केटरपिलर (Larva) निकलते हैं। ये शहतूत भी पत्तियों को खाकर वृद्धि करते हैं। इनमें विशेष ग्रन्थि होती है जिसे रेशम ग्रन्थि कहते हैं। यह ग्रन्थि एक पदार्थ स्रावित करती है जिससे एक पतला धागा बनकर इल्ली के चारों ओर लिपटता जाता है। इससे इल्ली के ऊपर एक खोल बन जाता है जिसे कोकून (Cocoon) कहते हैं। कोकून से वयस्क कीट निकलता है। रेशम का उत्पादन कीट को मारकर कोकून अवस्था से ही किया जाता है। कोकून फटने पर रेशम खराब हो जाता है।
RBSE Solutions for Class 6 Science Chapter 4 प्राकृतिक रेशे 1
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