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RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 16 हमारा अतीत

March 7, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 16 हमारा अतीत is part of RBSE Solutions for Class 6 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Chapter 16 हमारा अतीत.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 6
Subject Social Science
Chapter Chapter 16
Chapter Name हमारा अतीत
Number of Questions 47
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 6 Social Science Chapter 16 हमारा अतीत

पाठात गतिविधि आधारित प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीन जीवन कैसा रही होगा ? इसके बारे में सोचें और चर्चा करें। (पृष्ठ सं. 114)
उत्तर:
प्राचीन जीवन वर्तमान सामाजिक परिवेश से भिन्न रहा होगा। विभिन्न पुरातात्विक उत्खननों से पता चलता है। कि प्राचीन जीवन में आग, खेती-बाड़ी एवं यातायात के आधुनिक साधनों का अभाव रहा होगा।

पढ़े एवं बताएँ

प्रश्न 1.
वंशावली लेखकों का इतिहास लेखन में किस प्रकार योगदान रहा ? (पृष्ठ सं. 115)
उत्तर:
वंशावली लेखकों का इतिहास लेखन में निम्न प्रकार योगदान रहा

  1. वंशावली लेखकों ने विभिन्न वंशों के जन्म से लेकर मृत्यु तक के लेखे-जोखे को अपनी बहियों में लिखकर सुरक्षित रखा जिससे वर्तमान इतिहास का लेखन एवं प्रकाशन हो सका।
  2. वंशावली लेखकों द्वारा विकसित वंशावली लेखन परम्परा इतिहास जानने का एक सरल माध्यम है।

आओ करके देखें।

प्रश्न 1.
आदि मानव ने क्या-क्या सीखा, क्या-क्या खोजा व उसने क्या-क्या आकृतियाँ या उपयोगी चीजें बनाईं ? अपने अध्यापक की सहायता से सूची बनाएँ।
(पृष्ठ सं. 116)
उत्तर:
आदि मानव ने क्या-क्या सीखा-जानवरों को पालना, पौधे उगाना, अन्न पैदा करना, शिकार करना, गुफाओं में रहना आदि। आदि मानव ने क्या-क्या खोजा-ताँबा, जस्ता एवं सीसा। आदि मानव ने क्या-क्या आकृतियाँ या उपयोगी चीजें बनाईं-पहिया बनाया, पत्थर की चाक बनाकर बर्तन बनाए, कपड़े बुनना।

प्रश्न 2.
सिन्धु-सरस्वती घाटी सभ्यता के नगर नियोजन की प्रमुख विशेषताओं की सूची बनाएँ। (पृष्ठ सं. 119)
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती घाटी सभ्यता के नगर नियोजन की प्रमुख विशेषताओं की सूची निम्न प्रकार है|

  • नगर के भवन जाल की तरह फैले हुए थे।
  • सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
  • नगर आयताकार खण्डों में विभक्त हो जाता था।

पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्नोत्तर

प्रश्न एक व दो के सही उत्तर चुनिए

प्रश्न 1.
सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे पहला उत्खनित स्थान कौन-सा था ?
(अ) मोहनजोदड़ो
(ब) हड़प्पा
(स) कालीबंगा
(द) लोथल।
उत्तर:
(ब) हड़प्पा

प्रश्न 2.
सिन्धु सभ्यता ईसा से कितने वर्ष पुरानी मानी जाती
(अ) 2000 वर्ष
(ब) 5000 वर्ष
(स) 2500 वर्ष
(द) 4000 वर्ष
उत्तर:
(स) 2500 वर्ष।

प्रश्न 3.
इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोत निम्नांकित हैं|

  • पुरातात्विक स्रोत
  • साहित्यिक स्रोत
  • वंशावलियाँ
  • पुरालेख एवं विदेशी यात्रियों के वर्णन।

प्रश्न 4.
आदिमानव का जीवन कैसा था ?
उत्तर:
आदिमानव का जीवन घुमक्कड़ था। वह झुण्ड बनाकर जंगलों में भोजन की तलाश में घूमता रहता था। जानवरों का शिकार करके खाना, गुफाओं में रहना, यही उसकी दिनचर्या थी।

प्रश्न 5.
आदिमानव के प्रमुख हथियार एवं औजार कौन-कौन से थे ?
उत्तर:
आदि मानव के प्रमुख हथियार एवं औजार क्रमशः आरी, चाकू, कुल्हाड़ी, हथौड़ा एवं बसूला आदि थे।

प्रश्न 6.
क्या कारण था कि प्राचीन सभ्यताएँ नदी किनारे मैदानों में पनपीं ?
उत्तर:
प्राचीन सभ्यताएँ नदी किनारे मैदानों में पनप इसके निम्न कारण थे

  • पर्याप्त मात्रा में जल की उपलब्धता
  • उपजाऊ भूमि की अधिकता
  • नदियों के समीपवर्ती भागों में समतल भूमि।
  •  नदी के समीप अनेक प्रकार के जीवों की उपलब्धता।।

प्रश्न 7.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के प्रमुख स्थल कौन-से हैं?
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के प्रमुख स्थल क्रमशः मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कोटदीजी, चन्हूदड़ो (पाकिस्तान), रोपड़ (पंजाब), लोथल व धोलावीरा (गुजरात), कालीबंगा (जिला हनुमानगढ़-राजस्थान) हैं।

प्रश्न 8.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के नगर नियोजन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता का नगर नियोजन विकसित था। नगर को दुर्ग एवं निचले शहर में विभाजित किया गया था। नगर के भवन जाल की तरह फैले हुए थे। सड़के एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं और नगर आयताकार खण्डों में विभाजित हो जाता था। खुदाई में सभा भवन, चौक, स्नानकुण्ड आदि मिले हैं, जो नगर नियोजन की सुव्यवस्थित योजना की जानकारी प्रदान करते हैं।

प्रश्न 9.
सरस्वती-सिन्धु सभ्यता की समकालीन विश्व संस्कृतियों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता की समकालीन विश्व संस्कृति निम्नानुसार हैं

  1. मिश्र की नील नदी घाटी सभ्यता- अफ्रीका के उत्तर पश्चिम मिश्र क्षेत्र में नील नदी के दोनों किनारों पर यह सभ्यता फली-फूली।
  2. मेसोपोटामिया की दजला- फरात सभ्यता-वर्तमान इराक के दोआब (मेसोपोटामिया) स्थान पर दजला एवं फरात नामक नदियों के भू-भाग पर यह सभ्यता विकसित हुई। इसी क्षेत्र में सुमेरिया, बेबीलोनिया और असीरिया आदि सभ्यताओं का विकास हुआ।
  3. चीन की हवांगहो नदी सभ्यता- चीन की हवांगहो नदी के निचले हिस्से के मैदानी इलाकों में जहाँ उपजाऊ दोमट मिट्टी पाई जाती थी, वहाँ इस सभ्यता का विकास हुआ।

प्रश्न 10.
राजस्थान के प्रमुख पुरातात्विक स्थल कौन-कौन से हैं ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख पुरातात्विक स्थल निम्नलिखित

  1. कालीबंगा- राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में वर्तमान घग्घर नदी के किनारे कालीबंगा स्थित है।
  2. आहाड़- उदयपुर की बेड़च नदी के किनारे आहाड़ नामक बस्ती है जो ताम्र नगरी के नाम से प्रसिद्ध थी।
  3. गिलूण्ड- उदयपुर से 95 कि.मी. उत्तर:पूर्व में गिलूण्ड (राजसमन्द) पुरातत्विक स्थल स्थित है।
  4. बागौर- बागौर भीलवाड़ा जिले में कोठारी नदी के किनारे स्थित है।
  5. बालाथल- उदयपुर से 42 कि.मी. पूर्व में बल्लभनगर के निकट बालाथल नामक गाँव स्थित है।
  6. नोह- नोह भरतपुर शहर से 5 कि.मी. दूर स्थित है।
  7. चन्द्रावती- माउण्ट आबू (आबू-सिरोही) की तलहटी में आबूरोड के निकट चन्द्रावती स्थित है।
  8. पछमता- उदयपुर से 100 कि.मी. दूर पछमता गाँव (राजसमंद) स्थित है।
  9. गणेश्वर- सीकर जिले में काँतली नदी के तट पर स्थित है।
  10. बैराठ- बैराठ जयपुर जिले में स्थित है।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(i) साहित्यिक स्रोत हैं
(अ) मुद्राएँ
(ब) शिलालेख
(स) भवन
(द) कथाएँ।
उत्तर:
(द) कथाएँ।

(ii) मनुष्य ने सर्वप्रथम किस धातु की खोज की थी ?
(अ) ताँबा
(ब) लोहा
(स) जस्ता
(द) सीसा
उत्तर:
(अ) ताँबा

(iii) हड़प्पा की खोज कब हुई ?
(अ) 1912 में
(ब) 1922 में
(स) 1932 में
(द) 1942 में।
उत्तर:
(ब) 1922 में

(iv) धोलावीरा स्थित है
(अ) पंजाब
(ब) गुजरात
(स) उत्तर प्रदेश
(द) राजस्थान।
उत्तर:
(ब) गुजरात

(v) वैदिक संस्कृति का जन्म किस नदी के किनारे हुआ था ?
(अ) सिन्धु नदी
(ब) सरस्वती नदी
(स) रावी नदी
(द) गंगा नदी।
उत्तर:
(ब) सरस्वती नदी

स्तम्भ’अ’ को स्तम्भ’ब’ से सुमेलित कीजिए।

RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 16 हमारा अतीत 1
उत्तर:
(i) (ब)
(ii) (अ)
(iii) (द)
(iv) (स)

RBSE Solutions for Class 6 Social Science Chapter 16 हमारा अतीत 2
उत्तर:
(i) (द)
(ii) (स)
(iii) (ब)
(iv) (अ)

रिक्त स्थान भरिए

  1. कालीबंगा ……… में स्थित है।
  2. सिन्धु-सरस्वती सभ्यता वर्तमान से ………. पुरानी है।
  3. प्राचीन साहित्य में ………. नदी को सिन्धु नदी । की माँ कहा जाता है।
  4. हड़प्पा के दुर्ग में सबसे अच्छी इमारतें …………… की र्थी।
  5. आहाड़ एवं गिलूण्ड स्थलों की सभ्यता ………. संस्कृति के नाम से जानी जाती है।

उत्तर:

  1. राजस्थान
  2. 4500 वर्ष
  3. सरस्वती
  4. धान्यागारों
  5. आहाड़।

अति लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शिलालेख किसे कहते हैं ?
उत्तर:
शिलालेख पत्थर या धातु पत्रों पर उत्कीर्ण लेखों को कहते हैं।

प्रश्न 2.
वंशावली लिखने वाले समुदायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वंशावली लिखने वाले समुदायों के नाम क्रमशः राव (बड़बा), भार, बारोट, जागा, तीर्थ पुरोहित (पण्डे) रानीगंगा, हेलवा, पंजीकार आदि हैं।

प्रश्न 3.
प्राचीनकाल के दो विदेशी यात्रियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्राचीनकाल के दो विदेशी यात्रियों के नाम क्रमशः वेनसांग एवं मेगस्थनीज हैं।

प्रश्न 4.
प्रागैतिहासिक काल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मनुष्य के जन्म से लेकर लिपि के विकास तक के (वर्तमान से दस हजार वर्ष पूर्व तक) काल को प्रागैतिहासिक काल (पुरा-ऐतिहासिक काल) कहते हैं।

प्रश्न 5.
प्रागैतिहासिक काल को प्रस्तर (पाषाण) काल क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
प्रागैतिहासिक काल को प्रस्तर (पाषाण) काल कहा जाता है क्योंकि इस काल में मानव पत्थर से आग जलाता था। तथा पत्थर के बर्तन एवं औजारों का प्रयोग करता था।

प्रश्न 6.
किस आधार पर सिन्धु-सरस्वती सभ्यता को बहुत अधिक विकसित माना जाता है ?
उत्तर:
प्राप्त अवशेषों के आधार पर सिन्धु-सरस्वती सभ्यता को बहुत अधिक विकसित माना जाता है।

प्रश्न 7.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता किस प्रकार लुप्त हो गई थी ?
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता सम्भवतः बाढ़, किसी महामारी अथवा प्राकृतिक प्रकोप भूकम्प आदि से नष्ट हो गई थी।

प्रश्न 8.
राजस्थान के पूर्व हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन स्थल कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
राजस्थान के पूर्व हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन स्थल । क्रमशः करनपुरा, बिजनौर और तरखान वाला डेरा आदि हैं।

प्रश्न 9.
राजस्थान में पूर्व हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन कितने पुरास्थल प्राप्त हुए हैं? इनमें से कितने स्थलों का उत्खनन हो चुका है ?
उत्तर:
राजस्थान में पूर्व हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन 100 पुरास्थल प्राप्त हुए हैं। इनमें से 6 का उत्खनन हो चुका है।

लघूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे देश में विकसित नदी घाटी सभ्यताओं की जानकारी हमें कैसे प्राप्त होती है ? बताइए।
उत्तर:
हमारे देश में विकसित नदी घाटी सभ्यताओं की जानकारी हमें वहाँ से खुदाई में प्राप्त टूटे भवनों, सिक्कों, बर्तनों, पत्थर व धातु के औजारों, मूर्तियों और ऐसी चीजों से मिलती है, जिनका हजारों वर्षों से हमारे पूर्वज उपयोग कर रहे थे।

प्रश्न 2.
पुरातात्विक एवं साहित्यिक स्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर:
पुरातात्विक स्रोत-पुरातात्विक स्रोत वे हैं, जो पुराने हैं और पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा इकड़े किए गए हैं। प्राचीनकाल के भवन, स्मारक, किले, सिक्के, शिलालेख आदि सभी पुरातात्विक स्रोत कहे जाते हैं। साहित्यिक स्रोत-साहित्यिक स्रोत वे हैं जो किसी भी भाषा में लिखित रूप में प्राप्त हैं। कहानियाँ, कथाएँ व किसी भाषा एवं लिपि के ग्रन्थ साहित्यिक स्रोत कहे जाते हैं।

प्रश्न 3.
वंशावलियाँ क्या हैं ?
उत्तर:
भाषा, लिपि, कला, साहित्य, इतिहास लेखन जैसी परम्पराओं के साथ वंशावली लेखन भी एक अनोखी परम्परा रही है। जो इतिहास को जानने का एक सरल माध्यम है। इसमें जन्म से लेकर मृत्यु तक का सम्पूर्ण लेखा-जोखा वंशावली लेखकों द्वारा बहियों में लिखा जाता है।

प्रश्न 4.
पुरा-ऐतिहासिक कालीन (प्रागैतिहासिक) मानव के जीवन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
उत्तर:
पुरा-ऐतिहासिक कालीन (प्रागैतिहासिक) मानव घुमक्कड़ जीवन बिताता था। वह छोटे-छोटे समूहों में रहता था तथा समूह के मुखिया या नेता के साथ जंगलों में भोजन की तलाश में घूमता रहता था। शिकार करके भोजन करना, गुफाओं में रहना यही उसकी दिनचर्या थी। वह आग का प्रयोग जंगली जानवरों से अपनी सुरक्षा के लिए करता था तथा पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पतली धार वाले हथियारों एवं औजारों का उपयोग करता था।

प्रश्न 5.
मानव के स्थायी जीवन का आरम्भ कैसे हुआ था ?
उत्तर:
मानव के स्थायी जीवन का आरम्भ निम्न प्रकार से हुआ था

  • मानव ने धीरे-धीरे समय के साथ जानवरों को पालना, पौधे उगाना एवं अन्न पैदा करना सीख लिया था।
  • मानव ने एक स्थान पर झोंपड़ी बनाकर रहना प्रारम्भ कर दिया था जिससे उसके घुमक्कड़ जीवन की समाप्ति हो गई थी।
  • मानव ने धातु, बर्तन, पहिया, कपड़ा बुनना आदि का ज्ञान प्राप्त कर लिया था, जिससे उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति स्थान विशेष पर ही होने लगी थी।

प्रश्न 6.
सरस्वती नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सरस्वती नदी-सरस्वती नदी का भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसके तटों पर वेदों एवं वैदिक संस्कृति का जन्म हुआ था। इसका उद्गम स्थल शिवालिक पहाड़ी से माना जाता है। यह हरियाणा राजस्थान में होती हुई कच्छ की खाड़ी में गिरती थी। कालान्तर में यह लुप्त हो गयी। नवीन खोजों से पता चलता है कि इस नदी घाटी पर सुव्यवस्थित सभ्यता को प्रादुर्भाव हुआ था। सेटेलाइट से ली गयी तस्वीरों में इस नदी का सम्पूर्ण मार्ग स्पष्ट दिखाई देता है।

प्रश्न 7.
हड़प्पाकालीन भवन योजना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हड़प्पाकालीन भवन योजना विकसित थी। यहाँ के भवनों में ईंटों की मोटी दीवारें, खिड़कियाँ और दरवाजे अधिक पाए गए हैं। तेल के बड़े-बड़े मटके, रसोई के पास नाली, जानवरों के रखने के स्थान भी भवन में पाए गए हैं। कुछ मकानों में कुएँ भी प्राप्त हुए हैं तथा मकानों में स्नानागार भी मिले हैं। खण्डहरों से पता चलता है कि लोग भवन अपनी आवश्यकतानुसार बनाते थे। भवन खुले चौड़े एवं बड़े थे।

प्रश्न 8.
पछमता (राजसमंद) नामक पुरास्थल का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पछमता (राजसमंद) नामक पुरास्थल उदयपुर से 100 कि.मी. दूर पछ्मता गाँव में स्थित है। यह मेवाड़ क्षेत्र की आहाड़ बनास संस्कृति का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ से नक्काशी युक्त जार, सीप की चूड़ियाँ, टेरोकोटा के मन, शंख एवं जवाहरात जैसे लेपिस लेजूली, नीले रंग का बहूमूल्य पत्थर, कई प्रकार के मिट्टी के बर्तन और दो भट्टियाँ या चूल्हे मिले हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आदि मानव ने जब कृषि, पशुपालन, गाँवों का निर्माण एवं अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करना सीख लिया तथा कुछ लोगों ने अपनी आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन करके, अपनी उत्पादित वस्तुएँ दूसरों को देकर, अपनी जरूरत की वस्तुएँ उनसे लेना प्रारम्भ किया। तब धीरे-धीरे व्यापार का प्रचलन हुआ और नगर बसने प्रारम्भ हो गए। इस प्रकार धीरे-धीरे सिन्धु-सरस्वती सभ्यता का विकास हुआ।

सर्वप्रथम 1922 ई. में पंजाब के हड़प्पा तथा बाद में सिन्धु के मोहनजोदड़ो की खुदाई में इस सभ्यता का पता चला, बाद में अन्य स्थानों पर भी खुदाई करने से इस सभ्यता के और स्थान प्राप्त हुए। यह सभ्यता सम्पूर्ण सिन्ध, बलूचिस्तान, पूर्वी और पश्चिमी पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात और उत्तरी राजस्थान में फैली हुई थी। इस सभ्यता का भौगोलिक विस्तार बहुत बड़ा था। यह सभ्यता ईसा से 2500 वर्ष एवं वर्तमान से 4500 वर्ष पुरानी मानी जाती है। इस सभ्यता की सबसे विशेष बात थी यहाँ की विकसित नगर निर्माण योजना। इस सभ्यता के नगरों की खुदाई में सभा भवन, बाजार, चौक, स्नान कुण्ड आदि मिले हैं।

जो इस सभ्यता की सुव्यवस्थित नगर योजना की जानकारी देते हैं। इस सभ्यता में तीन सामाजिक वर्गों के प्रमाण मिले हैं, एक शासक वर्ग जो दुर्ग में रहता था, दूसरा व्यापारी वर्ग जो शहर के दूसरे भाग में और तीसरा मजदूर वर्ग एवं आस-पास के किसान जो अन्न पैदा करते और गाँव में रहते थे। सिन्धु सरस्वती सभ्यता स्थलों की खुदाई में जो वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं उनमें समानता है। उन वस्तुओं से उस समय के नागरिकों के रहन-सहन एवं जीवन स्तर का पता चलता है। ऐसा माना जाता है कि यह सभ्यता लगभग 1000 वर्ष तक बनी रही होगी।

प्रश्न 2.
राजस्थान के प्रमुख पुरातात्विक स्थलों से क्या-क्या पुरा ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए हैं ? विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख पुरातात्विक स्थलों से निम्नांकित पुरा ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए हैं

  1. कालीबंगा- सन् 1961 ई. में यहाँ दो टीलों की खुदाई में पुरा ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए हैं। इन टीलों से जो सामग्री प्राप्त हुई है वह हड़प्पा संस्कृति से मिलती-जुलती है।
  2. आहाड़- ताम्र नगरी के नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से पत्थर, ताँबे और मिट्टी के बर्तनों के अवशेष मिले हैं।
  3. गिलूण्ड- आहाड़ के समान ही यहाँ से भी पत्थर, ताँबे और मिट्टी के बर्तनों के अवशेष मिले हैं।
  4. बागौर- यहाँ से पाषाण एवं ताम्रकालीन उपकरण एवं पुरावशेष एक टीले की खुदाई में प्राप्त हुए हैं।
  5. बालाथल- बालाथल से ताम्र-पाषाण कालीन बर्तन मूर्तियाँ एवं अन्य ऐतिहासिक अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  6. नोह- यहाँ से ताँबे और हड्डियों के उपकरण, लोहे की कुल्हाड़ी इत्यादि प्राप्त हुई हैं जो ताम्र युग के माने जाते हैं।
  7. चन्द्रावती- यहाँ से प्राप्त पुरावशेष मानव जीवन के निवास-आवास और उनके जीवन के विविध पक्षों की जानकारी देते हैं। चन्द्रावती से किले के अवशेष एवं अनाज संग्रह के कोठार मिले हैं। यह स्थान परमार वंश की राजधानी था।
  8. पछमता- पछमता से कई कलात्मक वस्तुएँ जैसे नक्काशी युक्त जार, सीप की चूड़ियाँ, टेराकोटा के मनके, शंख और जवाहरात जैसे लेपिस लेजूली (यह अर्द्ध कीमती पत्थर अफगानिस्तान के बदख्शां में पाया जाता है), नीले रंग का बहुमूल्य पत्थर, कई प्रकार के मिट्टी के बर्तन और दो भट्टियाँ या चूल्हे मिले हैं।
  9. गणेश्वर- गणेश्वर से ताम्रपाषाण कालीन वस्तुएँ भारी मात्रा में प्राप्त हुई हैं।
  10. बैराठ- यह महाभारत में मत्स्य जनपद की राजधानी था । यहाँ से अशोक के शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं। ये

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