RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 छोटा जादूगर are part of RBSE Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 10 छोटा जादूगर.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 10 |
Chapter Name | छोटा जादूगर |
Number of Questions Solved | 52 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 10 छोटा जादूगर (कहानी)
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठसे
सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
छोटे जादूगर ने मेले में क्या-क्या देखा?
उत्तर:
छोटे जादूगर ने मेले में चूड़ी फेंकना, खिलौनों पर निशाना लगाना, तीर से नंबर छेदना और जादूगर के ताश का खेल देखा।
प्रश्न 2.
छोटा जादूगर पर्दे के पीछे क्यों नहीं गया था?
उत्तर:
छोटा जादूगर पर्दे के पीछे इसलिए नहीं गया क्योंकि वहाँ टिकट लगता था और छोटे जादूगर के पास टिकट खरीदने के पैसे नहीं थे।
लिरवें
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
छोटे जादूगर के पिता उन दिनों थे
(क) शहर में
(ख) जेल में
(ग) कार्निवाल में
(घ) खेत में।
प्रश्न 2.
छोटा जादूगर अपनी माँ के लिए ले जाना चाहता था|
(क) उपहार
(ख) धन
(ग) साड़ी
(घ) पथ्य।
प्रश्न 3.
“मुझे शरबत न पिलाकर आपने मेरा खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया होता, तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती।” इस कथन से छोटे जादूगर के व्यक्तित्व के किस पहलू का पता चलता है
(क) स्वार्थीपन को
(ख) याचना की प्रवृत्ति का
(ग) माँ के प्रति कर्तव्य निर्वाह का
(घ) खाने-पोने की प्रवृत्ति का।
उत्तर:
1. (ख)
2. (घ)
3. (ग)
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
छोटा जादूगर किसको कहा गया है?
उत्तर:
छोटा जादूगर तेरह- चौदह वर्ष के एक बालक को कहा गया है जो खेल-तमाशे दिखाकर अपनी जीविका चलाता था।
प्रश्न 2.
छोटे जादूगर ने कितने खिलौनों पर गेंद से निशाना लगाया?
उत्तर:
छोटे जादूगर ने बारह खिलौनों पर गेंद से निशाना लगाया।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
छोटे जादूगर के पिता जेल क्यों गए?
उत्तर:
छोटे जादूगर के पिता देश की आजादी की खातिर जेल में गए थे। यह बात छोटा जादूगर बड़े गर्व के साथ बताता है।
प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी ने छोटे जादूगर से क्या कहा?
उत्तर:
लेखक की पत्नी ने छोटे जादूगर से अपना जादू का खेल दिखाने और मन बहलाने के लिए कहा।
प्रश्न 3.
छोटे जादूगर का खेल उस दिन क्यों नहीं जमा?
उत्तर:
छोटे जादूगर का खेल उस दिन इसलिए नहीं जमा क्योंकि उस दिन उसकी माँ ने उसे घर जल्दी आने की हिदायत दी थी क्योंकि उसे यह आभास हो रहा था कि उसकी मृत्यु की घड़ी समीप है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखक ने छोटे जादूगर की झोंपड़ी में क्या देखा?
उत्तर:
लेखक ने छोटे जादूगर की झोंपड़ी में एक स्त्री को देखा। वह चिथड़ों से लदी हुई काँप रही थी। उसे देखकर यह लग रहा था कि उसकी तबियत बहुत खराब है। छोटा जादूगर ने उसके ऊपर कंबल डालकर उसके शरीर से चिपटते हुए कहा “माँ”। लेखक की आँखों से आँसू निकल पड़े।
प्रश्न 2.
कहानी के आधार पर छोटे जादूगर की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
छोटा जादूगर एक तेरह-चौदह वर्ष का बालक था। उसकी दशा बहुत दयनीय थी। उसके परिवार में माता-पिता थे। पिता तो देश की खातिर जेल में चले गए थे। उसकी माँ बीमार रहती थी। पैसे न होने के कारण अस्पताल वालों ने उसे निकाल दिया था। वह छोटा बालक सड़क के किनारे खेल-तमाशा दिखाया करता था। अपनी माँ की इतनी सेवा करने के बावजूद अंत में उसकी माँ का देहांत हो गया और वह इस संसार में अकेला रह गया।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए
(क) लोट-पोट होना
(ख) अंतिम घड़ी समीप आना
(ग) नौ दो ग्यारह होना
(घ) आँखें बदलना
उत्तर:
(क) लोट-पोट होना = हँसते-हँसते होश न रहना = राजू का चुटकुला सुनकर उसके दोस्त लोट-पोट हो गये।
(ख) अंतिम घड़ी समीप आना = मृत्यु का समय निकट आना = छोटे जादूगर की माँ को अपनी अंतिम घड़ी समीप आने का आभास हुआ।
(ग) नौ दो ग्यारह होना = गायब होना = बिल्ली को देखते ही चूहे नौ दो ग्यारह हो जाते हैं।
(घ) आँखें बदलना = व्यवहार बदल जाना = उधार लेने के बाद राजकुमार की आँखें बदल गयीं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए कर्ण, दुग्ध, नृत्य, रात्रि
उत्तर:
कर्ण- कान
दुग्ध- दूध
नृत्य- नाच
रात्रि- रात।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को उनके सामने लिखे अर्थ से मिलान कीजिए
तिरस्कार – उपेक्षा
समग्र – बंदीगृह
स्वीकार – रास्ता
पथ – आवास
कारावास – मंजूर
निकेतन – पूरा
उत्तर:
तिरस्कार – उपेक्षा
समग्र – पूरा
स्वीकार – मंजूर
पथ – रास्ता
कारावास – बंदीगृह
निकेतन – आवास
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
छोटे जादूगर की माँ अपने पुत्र के बारे में क्या सोचती होगी?
उत्तर:
छोटे जादूगर की माँ को अपने पुत्र पर बहुत गर्व महसूस होता होगा क्योंकि इतनी छेटी-सी उम्र में वह जीविका चलाने के लिए खेल-तमाशा दिखाकर पैसे इकट्ठा करता है। जिससे वह अपनी माँ और अपने लिए भोजन को प्रबंध करता है। इतनी विषम परिस्थितियाँ होने के बावजूद वह धैर्य के साथ माँ की देखभाल करता है। साथ ही साथ छोटे जादूगर की माँ को उसकी चिंता भी रहती होगी कि मेरे मरने के बाद वह इस दुनिया में अकेली रह जायेगा। क्योंकि छोटे जादूगर की माँ को अपनी अंतिम घड़ी समीप आने का अहसास था।
प्रश्न 2.
छोटे जादूगर के स्थान पर आप होते तो माँ के लिए क्या-क्या करते और कैसे?
उत्तर:
अगर हम छोटे जादूगर के स्थान पर होते तो हम भी उसकी तरह अपने व अपनी माँ के लिए कोई काम जरूर करते। जिससे हमारा जीवन चलता । शायद हम कोई सामान बेचकर पैसा कमाते या किसी हुनर का प्रयोग करके पैसा इकट्ठा करते।
यह भी करें
प्रश्न 1.
क्या आपने कभी जादू का खेल देखा है। एक जादूगर कौन-कौन से खेल दिखाता है? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
एक जादूगर विभिन्न प्रकार के खेल दिखाता है। वह अपनी हैट में एक सेब रखकर उसको मुर्गी बना देता है। और कागज के टुकड़ों को इकट्ठा करके सुंदर फूल बना देता है। जादूगर अपने जादू से किसी भी चीज को ऊपर या नीचे भी कर देता है।
प्रश्न 2.
छोटे बच्चों को विभिन्न प्रकार के कामों में लगाना बालश्रम कहलाता है। बाल मजदूरी कानूनी तौर पर मना है। क्या इस कहानी में छोटे बालक का खेल दिखाना उचित माना जाएगा? अपनी कक्षा में इसकी चर्चा करें।
उत्तर:
यह बात सही है कि बाल मजदूरी कानूनी तौर पर जुर्म है लेकिन छोटो जादूगर में बालक को श्रम उचित है। क्योंकि इस कहानी में उसके पिता देश की खातिर जेल में बंद है और उसकी माँ बीमार है, इसलिए उसके कंधों पर पूरे घर का दायित्व आ जाता है। अगर वह खेल नहीं दिखाता तो किस प्रकार अपना वह अपनी माँ का पालन-पोषण करता। दुनिया में इतने अच्छे इंसान भी तो नहीं हैं जो उसकी जिम्मेदारी उठा सकते। इसीलिए ‘छोटा जादूगर’ कहानी में बालक का श्रम उचित है।
यह भी जानें
प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद की ‘छोटा जादूगर’कहानी का मुख्य पात्र एक तेरह-चौदह वर्षीय किशोर है। प्रेमचंद द्वारा रचित ‘ईदगाह’ कहानी का मुख्य पात्र भी एक बालक है। अपने विद्यालय के पुस्तकालय से ‘ईदगाह’ तलाश कर पढ़िए।
उत्तर:
ईदगाह’ कहानी में हामिद अपनी दादी के साथ रहता है। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ‘ईदगाह’ में जाने के लिए उसकी दादी उसे तीन पैसे देती है और कहती है कि अपने लिए खेल-खिलौने व खाने की मिठाई आदि खरीद लेना। जब हामिद मेले में पहुँचता है, तो उसे चिमटा दिखायी देता है। तब उसे याद आता है कि उसकी बूढ़ी दादी जब रोटी पकाती है, तब उसके हाथ जल जाते हैं। तब वह नन्हा बालक अपनी इच्छाओं को मारकर अपनी दादी के लिए उन तीन पैसों का चिमटा खरीद लेता है।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
“उसके मुख पर विषाद के साथ धैर्य की रेखा थी।” यह कथन किसके लिए कहा गया है।
(क) छोटे जादूगर के लिए
(ख) छोटे जादूगर की माँ के लिए।
(ग) लेखक के लिए
(घ) छोटे जादूगर के पिता के लिए।
प्रश्न 2.
छोटे जादूगर को किस पर निशाना लगाना अच्छा लगता था
(क) गुब्बारों पर
(ख) पक्षियों पर
(ग) खिलौनों पर
(घ) मनुष्यों पर।
प्रश्न 3.
छोटे जादूगर ने गेंद से कितने निशाने लगाए
(क) चार
(ख) दस
(ग) बारह
(घ) एक भी नहीं।
प्रश्न 4.
छोटे जादूगर को किसने तुरंत चले आने को कहा था
(क) माँ ने
(ख) पिता ने
(ग) बहन ने
(घ) लेखक ने।
उत्तर:
1. (क)
2. (ग)
3. (ग)
4. (क)
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(चेष्टा, क्रुद्ध, शांत, चतुर, लताकुज)
प्रश्न 1.
बहुत……………वातावरण था।
प्रश्न 2.
आवश्यकता ने कितना शीघ्र………….बना दिया था।
प्रश्न 3.
मैं अपने पर बहुत…………..”होकर सोचने लगा।
प्रश्न 4.
हम लोग…………….देखने के लिए चल दिए।
प्रश्न 5.
वह औरों को हँसाने की…………..कर रहा था।
उत्तर:
1. शांत
2. चतुर
3. क्रुद्ध
4. लताकुंज
5. चेष्टा।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘छोटा जादूगर’ कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
‘छोटो जादूगर’ कहानी के लेखक जयशंकर प्रसाद हैं।
प्रश्न 2.
लेखक द्वारा यह पूछने पर कि तुम तमाशा देख रहे हो? छोटे जादूगर के मुँह पर कैसी हँसी थी?
उत्तर:
इस बात से छोटे जादूगर के मुँह पर तिरस्कार की हँसी फूट पड़ी।
प्रश्न 3.
छोटा जादूगर खेल-तमाशा दिखाकर क्या करना चाहता था?
उत्तर:
छोटा जादूगर खेल-तमाशा दिखाकर अपनी माँ की सेवा और अपना पेट भरना चाहता था।
प्रश्न 4.
लेखक की पत्नी से प्राप्त एक रुपये से छोटा जादूगर क्या खरीदना चाहता था?
उत्तर:
लेखक की पत्नी से प्राप्त एक रुपये से छोटा जादूगर पेटभर पकौड़ी खाना और अपनी माँ के लिए सूती कंबल। खरीदना चाहता था।
प्रश्न 5.
माँ ने छोटे जादूगर को जल्दी आने के लिए क्यों कहा था?
उत्तर:
माँ ने छोटे जादूगर को जल्दी आने के लिए इसलिए कहा क्योंकि उन्हें अपनी मृत्यु समीप आने का आभास हो रहा था।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लेखक ने छोटे जादूगर को कैसी वेश-भूषा में देखा?
उत्तर:
लेखक ने देखा कि उसके गले में फटे कुर्ते के ऊपर से एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे। उसके मुँह पर गंभीर विषाद के साथ धैर्य की रेखा थी। जिसमे अभाव में भी संपूर्णता थी।
प्रश्न 2.
“मुझे शरबत न पिलाकर आपने मेरा खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया होता, तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती। छोटे जादूगर ने लेखक से ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:
छोटे जादूगर ने लेखक से ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उस वक्त उसे शरबत नहीं बल्कि अपनी माँ के इलाज के लिए दवा व पथ्य की आवश्यकता थी साथ ही उसे अपने लिए भोजन की जरूरत थी।
प्रश्न 3.
लेखक की दूसरी मुलाकात छोटे जादूगर से कहाँ हुई?
उत्तर:
लेखक की छोटे जादूगर से दूसरी मुलाकात कलकत्ता के सुंदर वनस्पति उद्यान में हुई थी। जहाँ एक छोटी-सी झील के किनारे घने वृक्ष की छाया में लेखक अपनी मंडली के साथ बैठे जलपान कर रहे थे। तभी अचानक वहाँ छोटा जादूगर आ गया।
प्रश्न 4.
लेखक की कलकत्ता से जाने से पहले इच्छा क्या थी?
उत्तर:
लेखक को अपने कार्यालय में समय से पहुँचना था। उसका मन कलकत्ता से ऊब गया था। फिर भी चलते-चलते लेखक को एक बार उद्यान को देखने की और छोटे जादूगर से मिलने की इच्छा थी।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
छोटे जादूगर ने लेखक की श्रीमती के कहने पर अपना खेल किस प्रकार दिखाया?
उत्तर:
छोटे जादूगर ने खेल आरंभ किया। उस दिन छोटे जादूगर के खेल का रंगमंच अनूठे प्रकार से सजा थाकार्निवाल के सभी खिलौने उसके खेल में अपना अभिनय करने लगे। बिल्ली रूठने लगी। भालू मनाने लगा। बंदर घुड़कने लगा। गुड़िया का ब्याह हुआ। गुड्डा वर काना निकला। ताश के सब पत्ते लाल हो गए, फिर सब काले हो गये। गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होकर जुड़ गयी। लट्टू अपने आप नाच रहे थे। लड़के की वाचालता से ही अभिनय हो रहा था। सब हँसते-हँसते लोट-पोट हो गये।
प्रश्न 2.
छोटा जादूगर कैसा निशानेबाज था?
उत्तर:
मेले में घूमते-घूमते लेखक ने छोटे जादूगर से कहा, अच्छा चलो निशाना लगाया जाए। फिर वे दोनों उस जगह पर पहुँचे जहाँ खिलौनों को गेंद से गिराया जाता था। लेखक ने बारह टिकट खरीदकर उस लड़के को दे दिये। छोटा जादूगर पक्का निशानेबाज निकला। उसकी कोई गेंद खाली नहीं गई। आस-पास खड़े लोग देखकर दंग रह गए। छोटे जादूगर ने बारह खिलौनों को बटोर लिया। किंतु उन सबको एक साथ उठाना उसके बस में नहीं था। इसलिए कुछ जेब और कुछ लेखक के रूमाल में रख लिये गये। इससे सिद्ध होता है कि छोटा जादूगर पक्का निशानेबाज था।
कठिन शब्दार्थ-
कार्निवाल = शहरों में लगने वाला मेला। कलनाद = मधुर ध्वनि। विषाद = दु:ख, उदासी। आकृष्ट = आकर्षित। अभाव = कमी। संपूर्णता = सब कुछ होना। निकम्मा = बिना काम का। वाणी = आवाज। बनावट = बना हुआ। सहमत = राजी। गर्व = घमंड। तिरस्कार = उपेक्षा, निरादर। पथ्य = रोगी के अनुकूल भोजन। दीर्घ निश्वास = जोर की साँस। व्यग्र = बेचैन। पक्का = कुशल, अच्छा। निशानेबाज = निशाना लगाने वाला। अकस्मात = अचानक। सुरम्य =सुंदर। वनस्पति = पेड़-पौधे। उद्यान = बगीचा। कमलिनी = कमल के फूल। मंडली = मित्रों का साथ। झोला = थैला। मस्तानी = मतवाली। मिठास = मीठी। अभिनय = नाटक करना। वाचालता = अधिक बोलना। शीघ्र = जल्दी। चतुर = चालाक, बुधिमान। जीविका = रोजी-रोटी का साधन। लताकुंज = बेलों का समूह। संध्या = शाम। अस्ताचलगामी सूर्य = छिपता हुआ सूरज। साँय-साँय = तेज हवा का शोर। स्मरण = याद आना। वातावरण = परिवेश। प्रसन्नता = खुशी। चेष्टा = प्रयत्न। आश्चर्य = हैरानी। स्फूर्तिमान = फुर्तीला। अविचल = स्थिर। माप = नापना। साधन = उपकरण। अनुपात = नाप-तोल। तुलना = फर्क। पथ = रास्ता। दुर्बल = कमजोर। स्तब्ध = हैरान। उज्ज्वल = स्वच्छ, साफ। समग्र = सारे। बटोरना = इकट्ठा करना। जगमगा = चमकना। विनोद = मजाक। गंभीर = गहरी। धैर्य = सहनशीलता। मैला = गंदा। निर्मल = स्वच्छ।
गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
(1) कार्निवाल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। हँसी और विनोद का कलनाद पूँज रहा था। मैं खड़ा था। उस छोटे फुहारे के पास, जहाँ एक लड़का चुपचाप शरबत पीने वालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुर्ते के ऊपर से एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे। उसके मुँह पर गंभीर विषाद के साथ धैर्य की रेखा थी। मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकृष्ट हुआ। उसके अभाव में भी संपूर्णता थी!
संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘छोटा जादूगर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक जयशंकर प्रसाद हैं। इसमें लेखक एक छोटे बच्चे की वेशभूषा के बारे में बात कर रहा है।
व्याख्या-
लेखक लिखता है कि जहाँ पर मेला लगा हुआ था, वो मैदान बिजली से जगमगा रहा था। हँसी और मजाक के मीठे स्वर पूँज रहे थे। लेखक वहाँ खड़ा हुआ था। एक छोटे फव्वारे के पास एक लड़का शरबत पीने वालों को चुपचाप देख रहा था। उसका कुर्ता गले के पास फटा हुआ था, जिसमें ऊपर से एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे। उसके मुंह पर गहरी उदासी के साथ सहनशीलता की रेखा थी। लेखक न जाने क्यों उसकी तरफ आकर्षित हो गया। उसके पास कुछ न होने के बावजूद सब कुछ था।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
मैदान में बिजली क्यों जगमगा रही थी?
उत्तर:
मैदान में कार्निवाल लगा हुआ था, इसलिए बिजली जगमगा रही थी।
प्रश्न 2.
मेले में कैसे स्वर गूंज रहे थे?
उत्तर:
मेले में हँसी और मजाक के मीठे स्वर पूँज रहे थे।
प्रश्न 3.
छोटे फुहारे के पास कौन खड़ा देख रहा था?
उत्तर:
छोटे फुहारे के पास एक लड़का चुपचाप शरबत पीने वालों को देख रहा था।
प्रश्न 4.
लड़के के मुँह पर कैसी रेखायें थीं?
उत्तर:
लड़के के मुँह पर गंभीर विषाद के साथ धैर्य की रेखायें थीं।
(2) मैं सोच रहा था, बालक को आवश्यकता ने कितना शीघ्र चतुर बना दिया है। यही तो संसार है। ताश के सब पत्ते लाल हो गए, फिर सब काले हो गए। गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होकर जुड़ गई। लट्टू अपने आप नाच रहे थे। मैंने कहा, “अब हो चुका। अपना खेल बटोर लो, हम लोग भी अब जाएँगे।”
संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘छोटा जादूगर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक जयशंकर प्रसाद हैं। इन पंक्तियों में लेखक छोटा जादूगर के करतबों को बता रहा है।
व्याख्या-
लेखक सोच रहा था कि जरूरत ने बालक को कितनी जल्दी होशियार बना दिया था। यही तो संसार का नियम है। ताश के पत्ते पहले तो लाल हो गये, फिर सब काले हो गए। बालक के गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होने के बावजूद फिर से जुड़ गयी। लट्टू अपने आप नाच रहा था। लेखक ने कहा, “अब हो चुका। अपना खेल बटोर लो, हम लोग भी अब जाएँगे।”
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लेखक क्या सोच रहा था?
उत्तर:
लेखक यह सोच रहा था कि बालक को आवश्यकता ने कितनी जल्दी बुद्धिमान बना दिया था।
प्रश्न 2.
ताश के पत्ते किस-किस रंग के थे?
उत्तर:
ताश के पत्ते पहले तो लाल रंग के और बाद में काले रंग के हो गये थे।
प्रश्न 3.
बालक के गले की सूत की डोरी कैसे जुड़ गयी?
उत्तर:
बालक के गले की सूत की डोरी टुकड़े-टुकड़े होने के बावजूद छोटे जादूगर के जादू से जुड़ गयी
प्रश्न 4.
कौन अपने आप नाच रहा था?
उत्तर:
लट्टू अपने आप नाच रहा था।
(3) दस बज चुके थे। मैंने देखा कि निर्मल धूप में सड़क के किनारे एक कपड़े पर छोटे जादूगर का रंगमंच सजा था। मैं मोटर रोककर उतर पड़ा। वहाँ बिल्ली रूठ रही थी, भालू मनाने चला था, ब्याह की तैयारी थी, पर यह सब होते हुए भी जादूगर की वाणी में वह प्रसन्नता नहीं थी। वह जब औरों को हँसाने की चेष्टा कर रहा था, तब जैसे वह स्वयं काँप जाता था, मानो उसके रोएँ रो रहे थे। मैं आश्चर्य से देख रहा था। खेल समाप्त हो जाने पर पैसे बटोर कर उसने भीड़ में मुझे देखा। वह जैसे क्षण-भर के लिए स्फूर्तिमान हो गया!
संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘छोटा जादूगर’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक जयशंकर प्रसाद हैं। इन पंक्तियों में लेखक छोटे जादूगर की उदासी के बारे में बता रहा है।
व्याख्या-
लेखक बता रहा है कि सुबह के दस बज चुके हैं। स्वच्छ धूप में सड़क के किनारे एक कपड़े पर छोटे जादूगर का रंगमंच सजा था। लेखक मोटरगाड़ी रोककर उतर पड़ा। वहाँ बिल्ली रूठी हुई थी, भालू बिल्ली को मना रहा था, शादी की तैयारी हो रही थी, पर यह सब होते हुए भी जादूगर की बोली में खुशी नहीं थी। वह जब औरों को हँसाने का प्रयास कर रहा था, तब जैसे वह स्वयं रो पड़ता था, मानो उसके रोएँ रो रहे थे। लेखक हैरान होकर देख रहा था। खेल समाप्त हो जाने के बाद छोटे जादूगर ने पैसे इकट्ठे कर लिये, फिर उसने भीड़ में लेखक को देखा। वह जैसे कुछ समय के लिए फुर्तीला हो गया था।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
छोटे जादूगर का रंगमंच कहाँ सजा था?
उत्तर:
छोटे जादूगर का रंगमंच निर्मल धूप में सड़क के किनारे सजा था।
प्रश्न 2.
उस स्थान पर क्या खेल चल रहा था?
उत्तर:
उस स्थान पर बिल्ली रूठी थी, भालू उसे मना रहा था और शादी की तैयारी चल रही थी।
प्रश्न 3.
इन सबके बावजूद जादूगर की वाणी में क्या नहीं थी?
उत्तर:
इन सबके बावजूद जादूगर की वाणी में प्रसन्नता नहीं थी।
प्रश्न 4.
छोटा जादूगर कब फुर्तीला हो गया?
उत्तर:
लेखक को देखने के बाद छोटा जादूगर फुर्तीला हो गया।
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