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RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

March 26, 2019 by Veer Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य are part of RBSE Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 7
Subject Hindi
Chapter Chapter 16
Chapter Name राजस्थानी काव्य
Number of Questions Solved 47
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य (दोहा, सोरठा)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठ से
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
पालने में वीरता का गुण कौन सिखाती है?
उत्तर:
पालने में वीरता का गुण वीर माता सिखाती है।

प्रश्न 2.
संकलित दोहे व सोरठे किस भाषा में हैं?
उत्तर:
संकलित दोहे व सोरठे राजस्थानी भाषा में हैं।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

प्रश्न 3.
मरुधरा का मौसम अधिकांशतः कैसा रहता है?
उत्तर:
मरुधरा का मौसम अधिकांशतः सूखा रहता है।

लिखें
बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि सूर्यमल्ल मीसण ने नारी के जिस रूप को उभारा है वह है
(क) श्रृंगार प्रिय
(ख) अबला
(ग) वीर
(घ) हास्य प्रिय

प्रश्न 2.
कवि कृपाराम ने अपने सोरठों में संबोधित किया है
(क) रामिया को
(ख) जीवड़ा को
(ग) भानिया को
(घ) राजिया को।

उत्तर:
1. (ग)
2. (घ)

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
थे मनुहारौ…………….मेड़ी झाल बंदूक।

प्रश्न 2.
कदे……………आवसी, दुखड़ा देसी काट।

प्रश्न 3.
बहै………………रा घाव, रती न ओषद राजिया।

प्रश्न 4.
पूत सिखावै………………मरण बड़ाई माय।

उत्तर:
1. पाहुणाँ
2. कळायण
3. जीभ
4. पाळणै।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वीर माता अपने शिशु को क्या सिखाती है?
उत्तर:
वीर माता अपने शिशु को सिखाती है कि अपने जीवित रहते अपनी धरती दुश्मनों के हाथ न चली जाए। इसकी रक्षा करते हुए मरण भी प्रशंसनीय होगा।

प्रश्न 2.
वीर नारी कैसे पड़ोसी नहीं चाहती?
उत्तर:
वीर नारी कायर पड़ोसी नहीं चाहती।

प्रश्न 3.
ननद भाभी से क्या आग्रह करती है?
उत्तर:
घर में पुरुष के नहीं होने व आक्रमण होने की स्थिति में ननद भाभी से आग्रह करती है कि वह तलवार और ढाल लेकर द्वार पर खड़ी रहेगी और उसकी भाभी छत पर जाकर बंदूक से मेहमानों (शत्रुओं) का सत्कार करे।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मरुधरा की आशाओं को कौन पूरा करता है?
उत्तर:
मरुधरा की आशाओं को काले बादल ही पूरा करते है, क्योंकि वर्षा होने पर ही वहाँ ऋतुओं का श्रृंगार हो सकता है और वर्ष भर आनंद छा सकता है।

प्रश्न 2.
रात-दिन काली घटाओं का इंतजार कौन करती
उत्तर:
रात-दिन काली घटाओं का इंतजार मरुधरा करती है, क्योंकि वही उसके तपनरूपी दुख को काट सकती है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

प्रश्न 3.
कृपाराम के अनुसार कैसे लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए ?
उत्तर:
जो व्यक्ति मुँह से मीठा बोले और मन के अंदर कपटपूर्ण विचार रखे, ऐसे लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किस प्रकार के घावों का इलाज नहीं है?
उत्तर:
जीभ से निकले कटु वचनों से जो घाव होते हैं, उनका इलाज नहीं है, कारण यह है कि तलवार के घावों को तो मरहम-पट्टी से ठीक किया जा सकता है, परंतु वचन रूपी घाव हृदय के भीतर प्रविष्ट हो जाते हैं। अतः उनका उपचार संभव नहीं है।

प्रश्न 2.
कार्य-सिद्धि हेतु कौन-से गुण जरूरी हैं?
उत्तर:
कार्य-सिधि हेतु बल, पराक्रम और हिम्मत होना आवश्यक है। कवि के अनुसार धूर्त लोगों के लिए हलकारना जरूरी है क्योंकि वे यही भाषा समझते हैं।

प्रश्न 3.
किसान का परिवार कैसे मौसम में खेत में काम करता है?
उत्तर:
जब आसमान से तीखी धूप बरस रही होती है, गरम-गरम, जलती हुई लू चल रही होती है, उन थपेड़ों के बीच किसान का परिवार खेत को सुधारने के लिए वहाँ कार्य करता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे दिए राजस्थानी शब्दों के हिंदी रूप लिखिए
रुत, किरसाण, डौढ़ी, मुसकल, स्याळ
उत्तर:
रुत = ऋतु
किरसाण = किसान
डौढ़ी = ड्यौढ़ी
द्वार मुसकल = मुश्किल
स्याळ = सियार।

प्रश्न 2.
कवि नानूराम संस्कर्ता के दोहों में खेती-बाड़ी से जुड़ी शब्दावली का प्रयोग हुआ है। अपने अंचल की स्थानीय भाषा में प्रयुक्त रसोई एवं खान-पान की शब्दावली की सूची बनाइए।
उत्तर:
संकेत-छात्र यह सूची स्वयं बनाएँ।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

प्रश्न 3.
‘गण-औगण जिण गाँव……..।’ उक्त पद में ‘ग’ वर्ण का दोहरान हुआ है। संकलित रचनाओं में से ऐसे चरण छाँटिए जिनमें वर्गों की आवृत्ति हुई हो।
उत्तर:

  1. हालरियाँ हुलराय।
  2. माथा मोल बिकाय।
  3. तो तूठ्यां रुड़ी रुतां………।
  4. दे दरसण, दोरी धरा……..।
  5. कदे कळायण आवसी……..।
  6. दुखड़ा देसी काट।
  7. तीखा तावड़िया तपै………।
  8. पाटा पीड़ उपाव……..।
  9. मच्छ गळागळ माँय………।

प्रश्न 4.
दोहों में पंक्ति के अंत में तुक मिलता है। जैसेहुलराय व माय। कृपाराम के सोरठों को पढ़कर पहचान कीजिए कि उनमें तुक का मिलान कहाँ हुआ है?
उत्तर:

  1. उपाव व घाव
  2. मीठास व इखळास
  3. कोय व होय
  4. गाँव व माँय

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
राजस्थान के इतिहास से ऐसी दो नारियों के नामों का उल्लेख कीजिए जिन्होंने अपने कार्यों से वीरता का आदर्श प्रस्तुत किया हो।
उत्तर:

  1. पन्नाधाय-पन्ना ने राजकुंवर उदयसिंह की रक्षा के लिए अपने पुत्र चंदन का बलिदान कर स्वामिभक्ति का परिचय दिया।
  2. हाड़ा रानी-नवविवाहिता हाड़ा रानी ने जब देखा कि उसका पति युद्ध में उसका मोह नहीं छोड़ पा रहा है, तब उसने अपना सिर काटकर भेज दिया।

प्रश्न 2.
मरुस्थलीय परिवेश में बारिश उत्सव की तरह होती है। अपने अंचल में बारिश के माहौल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संकेत-छात्र स्वयं करें।

यह भी करें

1. प्रस्तुत पाठ में आपने राजस्थानी भाषा के तीन कवियों की रचनाएँ पढ़ीं। अपने शिक्षक/शिक्षिका की सहायता से राजस्थानी के तीन अन्य कवियों की रचनाओं का संकलन कर अपनी डायरी में लिखिए।
2. पाठ में संकलित दोहों/सोरठों को कंठस्थ कर उनको विद्यालय की प्रार्थना सभा अथवा अन्य अवसरों पर सुनाइए।
3. पाठ में संकलित रचनाओं में से दो तीन दोहों/सोरठों को चयन कर उनको सुंदर लिखावट में चार्ट पेपर पर लिखिए व विद्यालय की भित्ति पत्रिका में प्रकाशन हेतु शिक्षक/ शिक्षिका को दीजिए। नोट-छात्र-छात्राएँ उपर्युक्त गतिविधियाँ अपने विषयअध्यापक जी की सहायता से करें।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

यह भी जानें

कवि कृपाराम जोधपुर राज्य के खराड़ी गाँव के निवासी खिड़िया शाखा के चारण थे। उनके पिता का नाम जगराम था। राजिया उनका सेवक था। उसे संबोधित करके ये सोरठे कहे गए हैं। ये सोरठे बहुत लोकप्रिय हैं तथा आज भी लोग बात-बात में इनका उपयोग करते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से वीर रस के कवि है
(क) सूर्यमल्ल मीसण
(ख) नानूराम संस्कर्ता
(ग) कृपाराम
(घ) इनमें से कोई नहीं।

प्रश्न 2.
वीर माता अपने बालक को मातृभूमि की रक्षा की सीख कब देती है?
(क) युद्ध भूमि में प्रस्थान करते समय
(ख) पालना झुलाते समय।
(ग) गुरुकुल में शिक्षा हेतु जाते समय
(घ) रात को सुलाते समय।

प्रश्न 3.
राजस्थान में कौन-सी ऋतु भीषण होती है?
(क) वर्षा
(ख) शरद
(ग) वसंत
(घ) ग्रीष्म

प्रश्न 4.
राजस्थान की भूमि को कहा जाता है
(क) हरितभूमि
(ख) देवभूमि
(ग) मरुभूमि
(घ) हेमभूमि

प्रश्न 5.
निम्न में से राजस्थानी भाषा का कवि कौन है?
(क) सूर्यमल्ल मीसण
(ख) कृपाराम खिड़िया
(ग) नानूराम संस्कर्ता
(घ) उपर्युक्त सभी

उत्तर:
1. (क)
2. (ख)
3. (घ)
4. (ग)
5. (घ)

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1.
बलिहारी उण………………….. , माथा……………….. , बिकाय।

प्रश्न 2.
तो………………… रूड़ी रुतां, मौजां……………….. मास।

प्रश्न 3.
……………”रा डीकरा, खेत……………….. खोर।

प्रश्न 4.
पाटा…………….. उपाव, तन लागाँ……………।

उत्तर:
1, देसड़े, मोल
2. तूठ्यां, बारां
3. किरसाणां, सुधारै
4. पीड़, तरवारियाँ।

अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वीर पत्नी किस देश पर न्योछावर है?
उत्तर:
जहाँ स्वामिभक्ति के लिए सिरों का मोल होता है। वीर पत्नी उस देश पर न्योछावर है।

प्रश्न 2.
ननद ने शत्रुओं का सामना करने के लिए छत पर किसे भेजा?
उत्तर:
ननद ने अपनी भाभी को बंदूक लेकर छत पर भेजा।

प्रश्न 3.
मरुधरा की आशा किसे कहा गया है?
उत्तर:
काली घटा को मरुधरा की आशा कहा गया है।

प्रश्न 4.
तीखी धूप में किसान का परिवार क्या काम कर रहा है?
उत्तर:
तीखी धूप में किसान का परिवार अपने खेत सुधारने में लगा है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

प्रश्न 5.
राजस्थानी भाषा के दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. सूर्यमल्ल मोसण
  2. कृपाराम।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘पूत सिखावै पालणै’ वीर माता अपने पुत्र को पालने में ही क्यों शिक्षा दे रही है?
उत्तर:
राजस्थान वीरों की भूमि रही है। यहाँ जन्म से ही वीरता का भाव पैदा करने, मातृभूमि की रक्षा के लिए सब कुछ अर्पण करने की परंपरा रही है। वीर माता इसी कारण पालने में ही मातृभूमि की रक्षा की सीख अपने पुत्र को दे रही है।

प्रश्न 2.
‘मुरधरा पूरण आखी आस’ उक्त पंक्ति में कवि ने क्या भावना व्यक्त की है?
उत्तर:
मरुधरा की एकमात्र आशा काले बादल हैं। यदि ये बरसते हैं तो ऋतुओं की सुंदरता बढ़ती है। धन-धान्य पैदा होता है। इनके बरसने पर ही यहाँ के लोगों का पूरा वर्ष आनंद से व्यतीत हो सकता है। इसीलिए कवि ने इन्हें निमंत्रण दिया है।

प्रश्न 3.
‘इसड़ा हूं इखलास, राखीजै नहँ राजिया।’कवि के इस कथन का आशय क्या है?
उत्तर:
कवि के अनुसार जो व्यक्ति मुँह से मीठी-मीठी बातें करते हैं और मन में कपटपूर्ण विचार रखते हैं, इनके संपर्क से हमारा नुकसान ही होगा।

प्रश्न 4.
सूर्यमल्ल मीसण के दोहों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. कवि सूर्यमल्ल मीसण ने वीर रस से युक्त दोहों की रचना की है।
  2. उनके दोहों में राजस्थान की वीरभूमि की शान दिखाई देती है।
  3. दोहों की भाषा राजस्थानी व शैली डिंगल है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘वूठ कळायण!’ कहकर कवि ने राजस्थान के जन-मानस की भावना को व्यक्त किया है। कैसे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
काली घटाओं से उमड़ने का कवि का आहवान राजस्थान की मरुभूमि की पुकार है। काली घटा जब बरसती है तब यहाँ की धरती पर ऋतुओं की बहार आती है। लू का चलना, तीखी धूप में भी किसानों का खेतों में लगना आदि सब कुछ काले बादलों के इंतजार के साथ ही सफल होता है। यदि ये बरस गए तो सभी दुखों का निवारण हो जाता है। अतः कवि ने जो आह्वान किया है, वह मरुभूमि की स्वाभाविक आशा है।

प्रश्न 2.
कृपाराम ने अपने सोरठों में नीतिपरक संदेश दिए हैं। संकलित पदों के आधार पर लिखिए।
उत्तर:

  1. कवि के अनुसार मुख से मीठे वचन बोलने चाहिए, क्योंकि तलवार के घाव तो भर जाते हैं, पर कटु वचनों से उत्पन्न घाव की कोई औषधि नहीं है।
  2. मुँह से मीठा बोलने वाले और हृदय में कपट के भाव रखने वाले धूर्त लोगों का साथ कभी नहीं रखना चाहिए।
  3. बल, पराक्रम, हिम्मत के द्वारा ही समस्त कार्य सिद्ध हो सकते हैं।
  4. जहाँ गुण-अवगुण की परख नहीं, वहाँ पर ज्ञानियों को नहीं ठहरना चाहिए। इस प्रकार कवि ने नीति-परक संदेश दिए हैं।

पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ

(1) इला न देणी आपणी, हालरियाँ हुलराय।
पूत सिखावै पालणै, मरण बड़ाई माय।।
नहँ पड़ोस कायर नराँ, हेली बास सुहाय।
बलिहारी उण देसड़े, माथा मोल बिकाय।।
भाभी हूँ डौढ़ी खड़ी, लीधाँ खेटक रूक।
थे मनुहारौ पाहुणाँ, मेड़ी झाल बंदूक।।

कठिन-शब्दार्थ-
इला = धरती। हालरियाँ = झूला। हुलराय = झुलाते हुए, पूत = पुत्र। बड़ाई = प्रशंसा, गौरव। नहुँ = नहीं। हेली = सखी। बास = निवास। देस = देश पर। डौढ़ी = द्वार पर। खेटक = ढाल। रूक = तलवार। पाहुणाँ = मेहमान। मेड़ी = छत पर। झाल = हाथ में लेकर।

संदर्भ एवं प्रसंग-
हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘राजस्थानी काव्य’ में सन्निहित कवि सूर्यमल्ल मीसण द्वारा लिखित ‘वीर सतसई’ से संकलित दोहों में वीर माता, वीर पत्नी तथा वीर ननद-भाभी का चरित्र प्रकट हुआ है।

व्याख्या/भावार्थ-
वीर माता अपने पुत्र को शिशु अवस्था में ही पालने में झुलाते हुए यह शिक्षा दे रही है कि हे पुत्र! कभी। भी अपनी मातृभूमि को दुश्मनों के हाथ मत जाने देना। उसकी रक्षा करते हुए यदि मरना भी पड़े तो वह गौरव का क्षण होगा। धरती की रक्षा के लिए मरना गौरव की निशानी है। वीर पत्नी अपनी सखी से कहती है कि मुझे कायर लोगों के पड़ोस से बसना अच्छा नहीं लगता। मैं तो उस देश पर न्योछावर होना चाहती हूँ, जहाँ स्वामी के ऋण का मोल सिर देकर चुकाया जाता है। भाव यह है कि स्वामिभक्ति पर मर-मिटना वीरों की संपदा है। घर में कोई पुरुष नहीं है और शत्रु ने आक्रमण कर दिया है, तब वीर ननद अपनी भाभी से कहती है कि भाभी, में ढाल और तलवार लेकर द्वार पर खड़ी होती हैं और आप बंदूक हाथ में लेकर छत पर जाओ, जहाँ से उन मेहमानों (शत्रुओं ) को अच्छी तरह स्वागत करो।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

(2) वूठ कळायण! मुरधरा पूरण आखी आस।
तो तूठ्यां रूड़ी रुतां, मौजा बारां मास।।
दे दरसण, दोरी धरा, निस-दिन जोवे बाट।
कदे कळायण आवसी, दुखड़ा देसी काट।।
तीखा तावड़िया तपै, झळ-बळ लूवां जोर।
किरसाणां रा डीकरा, खेत सुधारै खोर।।

कठिन शब्दार्थ-
कळायण = काली घटा। मुरधरा = मरुधरा। तूयाँ = प्रसन्न होने पर। रूड़ी = सुंदर। रुतां – ऋतु, मौसम। बारां = बारह। दोरी = परेशान। जोवै = इंतजार करना। बाट = राह, मार्ग। तावड़िया = धूप। लूवां = लू। डीकरा = पुत्र, बेटा।।

संदर्भ एवं प्रसंग-
हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित। राजस्थानी काव्य में सन्निहित नानूराम संस्कर्ता द्वारा लिखित इन राजस्थानी दोहों में काली बदली से मरुधरा की उम्मीदों को व्यक्त किया गया है, क्योंकि मरुभूमि पर काली घटा से बरसने वाले पानी से ही आनंद का संचार हो सकता है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि कहता है, हे काली घटा! अब तो उमड़-घुमड़कर आ जाओ। यह मरुभूमि केवल तुमसे ही आशा पूर्ण करने की इच्छा रखती है, क्योंकि यदि तुम प्रसन्न हो तो ऋतुओं में भी बहार आ जाएगी और हमारे बारह महीने आनंदपूर्वक व्यतीत होंगे। भाव यह है कि वर्षा होने पर ही मरुधरा पर पूरा वर्ष अच्छा व्यतीत होता है, अन्यथा नहीं। कवि कहता है कि हे काली घटा! अब तो तुम दर्शन दे दो। हमारी धरती परेशान है। दिन-रात तुम्हारा मार्ग देखती रहती है। वह इस आशा में तुम्हारा इंतजार करती है कि कब तुम आओगी और उसके दुखों को समाप्त करोगी। मरुभूमि पर आशा की किरण एकमात्र बादल ही हैं। आसमान से तीखी धूप पड़ रही है। लू का जोर है, जिसकी लपटों की जलन भारी है। ऐसे मौसम में भी किसान के पुत्र खेत जोत रहे हैं और उसकी मिट्टी को सुधार रहे हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास है कि तुम अवश्य आओगी।

(3) पाटा पीड़ उपाव, तन लागाँ तरवारियाँ।
बहै जीभ रा धाव, रती न ओषद राजिया।।
मुख ऊपर मीठास, घट माँही खोटो घड़े।
इसड़ा सू इखळास, राखीजै नहँ राजिया।।

कठिन-शब्दार्थ-
पाटा = पट्टी। पीड़ = पीड़ा। तरवारियाँ = तलवारों से। रती = थोड़ी। ओषद = औषधि, दवाई। मीठास = मीठा-पान। घट = हृदय। खोटा = बुरा। इखळास = संगति, मित्रता।।

संदर्भ एवं प्रसंग-
हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित राजस्थानी काव्य में सन्निहित कृपाराम द्वारा लिखित इस सोरठे में राजिया को संबोधित करते हुए नीतिपरक उक्तियाँ कही गई हैं। इन पंक्तियों में वाणी की गंभीरता तथा चालाक लोगों से सावधान रहने की बात कही गई है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि कहता है कि हे राजिया! तन पर यदि तलवार से कोई घाव हो जाए, तो उसकी पीड़ा का हरण करने के लिए पट्टी करने का उपाय है। लेकिन यदि जीभ से निकले वचनों के कारण किसी को चोट पहुँचे तो उसकी कोई औषधि नहीं है। अत: तलवार के घाव से अधिक वाणी का घाव होता है। इस कारण मुख से सोच-समझकर वाणी निकालनी चाहिए। कवि का कथन है कि हे राजिया! जो व्यक्ति मुँह से मीठा बोलता हो और हृदय में बुरे विचार रखता हो। ऐसे व्यक्ति की संगति कभी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वह अंत में अपना भी बुरा ही करेगा।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य

(4) कारज सरै न कोय, बळ प्राक्रम हीमत बिना।
हलकार्यों की होय, रंग्या स्याळाँ राजिया।।
गण-औगण जिण गाँव, सुणै न कोई साँभर्छ।
मच्छगळागळ माँय, रहणो मुसकल राजिया।।

कठिन-शब्दार्थ-
कारज = कार्य। प्राक्रम = पराक्रम, वीरता। हलकायाँ = वीरता का प्रदर्शन। स्यालाँ = सियार। गण-औगण = गुण-अवगुण। साँभलै = समझता है। मच्छ = मगरमच्छ। मुसकल = मुश्किल, कठिन।

संदर्भ एवं प्रसंग-
हमारी पाठ्य पुस्तक में शामिल राजस्थानी काव्य में सन्निहित कृपाराम द्वारा लिखित इन पंक्तियों में पराक्रम की महिमा व स्वाभिमानी जीवन जीने का संदेश दिया गया है।

व्याख्या/भावार्थ-
कवि राजिया को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि हे राजिया! बल, पराक्रम और हिम्मत के बिना कोई काम नहीं हो सकता। जैसे सियार को भगाने के लिए गर्जना या दहाड़ना जरूरी है, उसी प्रकार चालाक, धूर्त और कपटी लोगों के लिए वीरत्व का प्रदर्शन आवश्यक है, अन्यथा कुछ भी अच्छा कार्य संभव नहीं है। कवि आगे कहता है कि जिस गाँव में गुण-अवगुण की परख नहीं हो तथा गुणीजन की बातों को सुनने-समझने की योग्यता नहीं हो, वहाँ उसे नहीं रहना चाहिए। जिस प्रकार मगरमच्छ के लिए दलदल में रहना मुश्किल है, वैसे ही ऐसे गाँव में गुणीजन को रहना असंभव है।

We hope the RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 16 राजस्थानी काव्य, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

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