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RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

March 25, 2019 by Veer Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता are part of RBSE Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 7
Subject Hindi
Chapter Chapter 6
Chapter Name मित्रता
Number of Questions Solved 63
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता (निबंध)

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

पाठ से।
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
छात्रावस्था में किसकी धुन सवार रहती है?
उत्तर:
छात्रावस्था में मित्र बनाने की धुन सवार रहती है।

प्रश्न 2.
लेखक ने कौन-से ज्वर को सबसे भयानक बताया है?
उत्तर:
लेखक ने कुसंग के ज्वर को सबसे भयानक बताया है।

प्रश्न 3.
हमारे आचरण पर किसका प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
हमारे आचरण पर संगति का प्रभाव पड़ता है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

लिखें
बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
जीवन की औषध है
(क) अकूत धन।
(ख) उच्च पद
(ग) सुंदर रूप
(घ) विश्वासपात्र मित्र

प्रश्न 2.
सुग्रीव ने मित्र के रूप में चुना
(क) राम को
(ख) बालि को
(ग) रावण को
(घ) अंगद को।

प्रश्न 3.
हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का उपाय
(क) खूब सोना
(ख) भरपूर भोजन
(ग) एकाकी रहना
(घ) बुरी संगति से बचना।

उत्तर:
1. (घ)
2. (क)
3. (घ)

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1.
युवा पुरुष प्रायः……………से कम काम लेते हैं।

प्रश्न 2.
सच्ची मित्रता में उत्तमकी……………….सी निपुणता और परख होती है।

प्रश्न 3.
आजकल…………… बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है।

प्रश्न 4.
मित्र सच्चा……………….के समान होना चाहिए, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें।

उत्तर:
1. विवेक
2. वैद्य
3. जान-पहचान
4. पथ-प्रदर्शक।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन की सफलता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
मित्रों के सही चुनाव पर जीवन की सफलता निर्भर करती है।

प्रश्न 2.
कुसंग के ज्वर को सबसे भयानक क्यों कहा गया है?
उत्तर:
कुसंग से मनुष्य के तन और मन दोनों को बहुत हानि पहुँचती है। इसीलिए इसे सबसे भयानक ज्वर बताया गया है।

प्रश्न 3.
पाठ के अनुसार किस प्रकार की बातें जल्दी ध्यान पर चढ़ती हैं?
उत्तर:
भद्दी और फूहड़ बातें जल्दी ध्यान पर चढ़ती हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सच्ची मित्रता की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
सच्ची मित्रता विश्वास पर टिकी होती है। सच्चे मित्र अपने मित्र की हर स्थिति में सहायता करते हैं। वे उसे गलतियों से बचाते हैं। अच्छे मार्ग पर चलने के लिए उत्साहित करते हैं। सच्ची मित्रता में एक कुशल वैद्य जैसी चतुराई और मनुष्य को परखने की शक्ति होती है। सच्ची मित्रता वही है जो माता के समान धीरज और कोमलता से पूर्ण हो।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

प्रश्न 2.
मित्र बनाने में कैसी सावचेती जरूरी है?
उत्तर:
मित्र बनाते समय व्यक्ति के बाहरी रूप, रंग और व्यवहार पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए। उसके पिछले आचरण और स्वभाव के बारे में भी पता लगाना चाहिए। जिनका मनोबल हमसे अधिक हो या वे अपनी ही बात को ऊपर रखते हों, ऐसे लोगों से मित्रता नहीं करनी चाहिए। विवेक से काम लेकर मित्र बनाने से मित्रता में बाधाएँ नहीं आतीं।

प्रश्न 3.
हमें अपने मित्रों से क्या आशा रखनी चाहिए?
उत्तर:
हमें अपने मित्रों से आशा रखनी चाहिए कि वे अच्छे करने की हमारी भावना को दृढ़ बनाने में सहायता करेंगे, हमको बुराइयों और भूलों से बचाएँगे। हमारे मन में सत्य, पवित्रता और नियम पालन की भावना को बल देंगे। हमको बुरे मार्ग पर चलते देखकर हमको सावधान करेंगे। निराश होने पर हमारे मन को उत्साहित करेंगे। संक्षेप में, वे अच्छे ढंग से जीवन बिताने में हमारी हर प्रकार से सहायता करेंगे।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मित्र का क्या कर्तव्य बताया गया है?
उत्तर:
मित्र का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। वह हमारा सच्चा मार्गदर्शक, सहायक, सलाहकार और संरक्षक होता है। मित्र के अनेक कर्तव्य बताए गए हैं। उसे मित्र का विश्वासपात्र होना चाहिए। उसके मन में मित्र के लिए सच्ची सहानुभूति होनी चाहिए। मित्र को चाहिए कि अपने मित्र को सदा कुमार्ग और कुसंगति से बचाए। उसके मन को इतना दृढ़ बनाए कि वह अपनी शक्ति से भी बढ़कर काम कर सके। मित्र के प्रति मन में कोई बुरा भाव या कपट न रखे।

प्रश्न 2.
हम बुराई के भक्त कैसे बन जाते हैं?
उत्तर:
कुसंग एक छूत की बीमारी के समान होता है। थोड़ी-सी देर की बुरी संगति भी मनुष्य को बुराई के जाल में फँसा लेती है। जब एक बार कोई व्यक्ति कीचड़ में पैर रख देता है तो फिर उसे गंदी जगह पर पैर रखने में कोई झिझक नहीं रहती। इसी प्रकार एक बार बुरे लोगों के संपर्क में रह लेने पर बुराई को देखकर बुरी बातें सुनकर कोई चिढ़ नहीं पैदा होती। धीरे-धीरे मनुष्य बुरी बातों को सहन करने का आदी हो जाता है। उसका विवेक शक्तिहीन हो जाता है। यही दशा बने रहने पर एक दिन वह बुराई में डूब जाता है। उसे बुराई प्रिय लगने लगती है। वह बुराई का भक्त बन जाता है।

प्रश्न 3.
आशय स्पष्ट कीजिए
‘काजर की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,
एक लीक काजर की लागि है पे लागि है।’
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों का आशय है कि जैसे काजल से भरी कोठरी में कितना भी चतुर व्यक्ति जाए, काजल की एक लकीर या एक धब्बा उसके शरीर में लग ही जाता है। उसी प्रकार बुरी संगति में कितना भी दृढ़ मन वाला व्यक्ति रहे, उस पर कुसंग का कुछ-न-कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

भाषा की बात

प्रश्न 1.
कम खर्च करने वाला = मितव्ययी। इसी प्रकार आप भी नीचे दिए गए वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए
उत्तर:
(क) जो नीति का ज्ञाता हो = नीतिज्ञ
(ख) जिस पर विश्वास किया जाए = विश्वासपात्र
(ग) जिसका उत्साह नष्ट हो गया हो = अनुत्साहित
(घ) दूसरों को राह दिखाने वाला = मार्गदर्शक
(ङ) जो पका हुआ न हो = अपरिपक्व
(च) जो मन को अच्छा लगता हो = मनमोहक, मनभावन।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह कर वाक्यों में प्रयोग कीजिएकच्ची मिट्टी, जीवन निर्वाह, स्नेह बंधन, उथल-पुथल, जीवन-संग्राम।
उत्तर:
कच्ची मिट्टी- कच्ची है जो मिट्टी-छोटे बच्चों का स्वभाव कच्ची मिट्टी जैसा होता है। इन्हें जैसा चाहें ढाल सकते हैं।
जीवन निर्वाह- जीवन का निर्वाह- धन पास न होने पर जीवन निर्वाह बड़ा कठिन होता है।
स्नेह बंधन- स्नेह का बंधन-मित्रों को आपस में स्नेहबंधन ही बाँधता है।
उथल-पुथल- उथल और पुथल-बाढ़ का पानी नगर में घुस आने पर चारों ओर उथल-पुथल मच गई।
जीवन-संग्राम- जीवन रूपी संग्राम-जीवन-संग्राम में विजय पाने के लिए विभिन्न बाधाओं से जूझना पड़ता है।

प्रश्न 3.
‘अपरिपक्व’ शब्द में मूल शब्द परिपक्व है। ‘अ’ उपसर्ग जुड़ने से नया शब्द बन गया-‘अपरिपक्व’। आप नीचे दिए गए शब्दों को पढ़कर मूल शब्द व उपसर्ग पहचान कर लिखिए
RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता 1
उत्तर:
‘अ’ उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाइए
शिक्षा = अशिक्षा
सह्य = असह्य
चल = अचल
सफल = असफल
योग्य = अयोग्य
शुद्ध = अशुद्ध
कारण = अकारण

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
उत्तर:
अवनति = उन्नति
कमाना = खर्च करना
मित्र = शत्रु
रूठना = मनाना
प्रशंसा = निंदा
बुराई = अच्छाई
शुद्ध = अशुद्ध
दूर = पास

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

प्रश्न 5.
नीचे दिए रेखांकित पदों के कारक पहचान कर उनके नाम लिखिए
(क) वे उत्तम संकल्पों से हमें दृढ़ करेंगे।
(ख) वह अपने भाग्य को सराहता रहा।
(ग) एक बार एक मित्र ने मुझसे यह बात कही।
(घ) वह धरती पर गिर पड़ा।
उत्तर:
(क) संकल्पों से = करण कारक
(ख) भाग्य को = कर्म कारक
(ग) मित्र ने = कर्ता कारक
(घ) धरती पर = अधिकरण कारक।

प्रश्न 6.
उक्त कारक चिह्न लगाकर आप भी एक-एक नया वाक्य बनाइए।
उत्तर:
(क) लड़के हाथों से पेड़ को छुएँगे।
(ख) भिखारी घर को चला गया।
(ग) शिक्षक ने कहा, ‘अपनी पुस्तकें खोलो।’
(घ) सड़क पर सावधानी से चलो।

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
‘मेरा प्रिय मित्र’ विषय पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर:
मेरा प्रिय मित्र प्रस्तावना-मित्र, दोस्त या फ्रेंड कुछ भी कहो, शब्द कानों को और मन को बड़ा सुहाता है। मित्रों का साथ, मित्रों से बातें, मित्रों के साथ खेलना, घूमना और पढ़ना सभी आनंद देने वाली बातें हैं।

मेरा प्रिय मित्र- नयन रंजन जिसे मैं नैनू कहता हूँ, मेरा प्रिय मित्र है। नैनू और मैं एक ही गली में रहते हैं। हमारी मित्रता कक्षा 3 में हुई थी। आज तक हम दोनों में कभी लड़ाई नहीं हुई। हम साथ-साथ विद्यालय आते हैं और कक्षा में पास-पास बैठते हैं। मेरा नाम मनीष है। कक्षा के लड़के हम दोनों को ‘नैनू-मैनू’ कहकर हँसा करते हैं मेरे मित्र का स्वभाव और स्वरूप-मेरा मित्र बड़े अच्छे स्वभाव का है। वह हर समय प्रसन्न रहता है। वह सभी सहपाठियों से प्रेम का व्यवहार करता है। सभी की सहायता के लिए तैयार रहता है। मेरे साथ तो वह सारे दिन छाया की तरह रहता है। उसका मुस्कुराता मुख सभी को अपनी ओर खींचता है।

मेरे मित्र के गुण-मेरा मित्र पढ़ने में बहुत तेज है। कोई भी बात एक बार सुन या देखकर उसे याद हो जाती है। वह कक्षा में सदा प्रथम आता है। वह खेलों में भी खूब भाग लेता है। उसका और मेरा एक ही प्रिय खेल है-फुटबाल। हम दोनों अकेले ही काफी देर तक फुटबाल खेला करते हैं। नैनू पढ़ने में मेरी बहुत सहायता करता है। गृह कार्य में भी मैं कभी-कभी उसकी सहायता लेता हूँ। वह सभी बराबर वालों से सभ्य व्यवहार करता है और बड़ों का बहुत सम्मान करता है।

हमारे परिवार-हम दोनों मित्रों के परिवार भी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। मेरी माँ नैनू को बहुत प्यार करती है। मैं नैन् की माँ को ताई जी कहता हूँ। उनको ‘आंटी’ कहना पसंद नहीं है। हम कभी-कभी साथ-साथ घूमने भी जाया करते हैं।

हमारे विचार-हम दोनों के विचार आपस में बहुत मिलते हैं। नैनू और मैं दोनों ही वैज्ञानिक बनना चाहते हैं। हम दोनों को टी. वी. पर नई-नई खोजों के बारे में जानना अच्छा लगता है। मेरी इच्छा है कि हमारी मित्रता जीवन भर ऐसे ही चलती रहे।

प्रश्न 2.
जीवन में अच्छे लोग भी मिलते हैं और बुरे भी। ऐसी किसी घटना का वर्णन कीजिए, जिसमें आपके किसी मित्र ने आपको अच्छा कार्य करने हेतु प्रेरित किया हो।
उत्तर:
एक दिन मैं अपने मित्र के साथ विद्यालय से घर आ रहा था। रास्ते में एक पेड़ के नीचे हमको एक छोटा-सा चिड़िया का बच्चा दिखाई दिया। लगती था वह पेड़ पर बने घोंसले से गिर गया था। मेरे मित्र ने कहा कि यहाँ तो इसे कुत्ते मार डालेंगे। फिर क्या किया जाए। हमने ऊपर को देखा तो एक घोंसले के पास बैठी चिड़िया चर्ची चिल्ला रही थी। वह नीचे बच्चे के पास आकर चूँ-चू करती और फिर उड़कर घोंसले के पास जा बैठती। मित्र ने कहा कि बच्चे को किसी तरह घोंसले में पहुँचाना चाहिए। उसने कहा कि पास के दुकानदार से सीढ़ी माँगकर लाते हैं और इसे घोंसले में पहुँचाते हैं। मैं तुरंत तैयार हो गया । हमने दुकानदार को सारी बात बताई तो उसने हँसते हुए सीढ़ी दे दी। मैंने सीढ़ी से चढ़कर बच्चे को घोंसले में बिठा दिया। अब तो दोनों माँ बेटे च-चीं की रट लगाने लगे। मैंने अपने मित्र को धन्यवाद दिया कि उसने मुझे एक अच्छा काम करने के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 3.
पाठ में सुग्रीव एवं श्रीराम की मित्रता का संदर्भ आया है। ऐसे ही अन्य उदाहरण तलाशिए, जिसमें मित्रता का आदर्श प्रस्तुत किया गया हो।
उत्तर:
मित्रता के ऐसे उदाहरणों में कृष्ण-सुदामा, कर्णदुर्योधन, अर्जुन-कृष्ण आदि हैं।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

प्रश्न 4.
ऐसी 10 विशेषताओं की सूची बनाइए, जिनको आप अपने मित्र में पाना चाहते हैं? इस बात पर भी मनन करें कि क्या अपने मित्रों के प्रति आप इन मानकों पर खरा उतरते हैं?
उत्तर:
विशेषताओं की सूची
1. हँसमुख होना।
2. विश्वास के योग्य होना।
3. सच्ची सहानुभूति रखने वाला होना।
4. अच्छे काम करने की प्रेरणा देना।
5. सच्चाई, प्रेम, नियम पालन और अच्छा चरित्र बनाने में सहायता करना।
6. कपट रहित हृदय।
7. कोमल स्वभाव।
8. कुसंग से दूर हो
9. सदा सहायता के लिए तैयार।
10. कुसंग से बचाने वाला हो।
हम भी अपने मित्रों के प्रति उक्त मानकों पर खरा उतरते हैं।

यह भी करें।

प्रश्न 1.
………… दूर रहने वाले किसी मित्र को पत्र लिखकर उसे मित्रता के महत्व से अवगत करवाइए।
उत्तर:
मेरे अच्छे मित्र
आशुतोष

अच्छे मित्र जीवन के लिए दवा के समान होते हैं। यदि जीवन में अच्छे मित्र मिल जाएँ तो ढेर-सारी कठिनाइयों का समाधान बहुत आसानी से हो जाता है। अतः मित्रों एवं मित्रता का महत्व समझते हुए तुम मित्रों के चुनाव में असावधानी कदापि न बरतना।

तुम्हारा शुभाकांक्षी
प्रद्युम्न

प्रश्न 2.
मित्रता से संबंधित कोई रोचक कविता अथवा कहानी तलाश कर उसे बाल सभा में सुनाइए।
उत्तर:
संकेत-छात्र स्वयं करें।

यह भी जानें

प्रश्न 1.
…………… आप भी ऐसे ही किसी ‘बाल पत्र मित्र क्लब’ के सदस्य बनकर पत्रों के माध्यम से अपने विचारों-अनुभवों को साझा करें।
उत्तर:
प्रिय मित्र
अंशुल

‘बाल पत्रे मित्र क्लब’ का सदस्य बनने पर पहली बार तुम्हें पत्र लिख रहा हूँ। मित्र! तुम्हारे विचार बहुत अच्छे हैं। तुम जितना हो सकता है मेरी मदद करते हो। मैं भी भरसक तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि हमारी मित्रता जीवन भर बनी रहे।

शुभकामनाओं के साथ
तुम्हारा मित्र
विवेक आहूजा

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
हम किसके सौ गुण-दोष परखते हैं
(क) मित्र के
(ख) घड़े के
(ग) नौकर के
(घ) गुरु के।

प्रश्न 2.
खजाना मिल जाने के समान होता है
(क) अच्छी नौकरी मिल जाना।
(ख) ऊँची शिक्षा प्राप्त कर लेना
(ग) विश्वासपात्र मित्र मिल जाना
(घ) जीवन में बड़ी सफलता पाना।

प्रश्न 3.
हमारी धारणा में बहुत दिनों तक टिकती हैं
(क) अच्छी बातें
(ख) बुरी बातें
(ग) संतों के उपदेश
(घ) बच्चों की बातें

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

प्रश्न 4.
‘मित्रता’ पाठ के अनुसार मन को शुद्ध रखने का सबसे अच्छा उपाय है
(क) भागवत की कथा सुनना
(ख) तीर्थयात्राएँ करना
(ग) अच्छी फिल्में देखना
(घ) बुरी संगति से दूर रहना।

उत्तर:
1. (ख)
2. (ग)
3. (ख)
4. (घ)

रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्द से कीजिए

प्रश्न 1.
संगति का गुप्त प्रभाव हमारे………………पर पड़ता हैं। (धर्म/आचरण)

प्रश्न 2.
……………………मित्र का मिलना खजाना मिलने जैसा हैं। (विश्वासपात्र/विवेकी)

प्रश्न 3.
विश्वासपात्र मित्र हमें…………….और त्रुटियों से बचाता हैं। (दोषों/शत्रुओं)

प्रश्न 4.
युवावस्था के मित्र बाल्यावस्था के मित्रों से कई बातों में…………….होते हैं। (समान/भिन्न)

उत्तर:
1. आचरण
2. विश्वासपात्र
3. दोषों
4. भिन्न।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
युवा पुरुष को घर से बाहर निकलकर जीवन आरंभ करने पर, पहली कठिनाई क्या आती है?
उत्तर:
युवा को पहली कठिनाई सही मित्र का चुनाव करने में आती है।

प्रश्न 2,
युवा व्यक्ति किस काम में विवेक का कम प्रयोग करते हैं?
उत्तर:
युवा लोग मित्र का चुनाव करने में विवेक का कम प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 3.
इंग्लैंड का एक विद्वान सारे जीवन अपना भाग्य क्यों सराहता रहा?
उत्तर:
युवा अवस्था में राज दरबारियों में जगह न मिलने पर वह अपने भाग्य को सराहता रहा।

प्रश्न 4.
‘मित्रता’ निबंध में लेखक ने कैसे लोगों को साथी न बनाने को कहा है?
उत्तर:
जो लोग भद्दे और फूहड़ मजाक करके हँसाते हैं, उनको साथी न बनाने को कहा है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

प्रश्न 5.
आप एक मित्र में सबसे आवश्यक गुण क्या मानते हैं?
उत्तर:
मैं एक मित्र में सबसे आवश्यक गुण उसका विश्वास पात्र होनी मानता हूँ।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखक ने कैसे लोगों को मित्र न बनाने के प्रति सचेत किया है? ऐसे लोगों से क्या शंका रहती है?
उत्तर:
लेखक ने उन लोगों को मित्र बनाने से बचने को कहा है जिनका मन हमसे अधिक दृढ़ होता है, क्योंकि ऐसे लोगों की हर बात हमको माननी पड़ेगी। इसी प्रकार ऐसे लोगों को भी मित्र बनाने से कोई लाभ नहीं जो हमारी ही बात को ऊपरे रखते हैं, क्योंकि तब हम पर कोई दबाव नहीं रहेगा। हमको अपनी बात की कमियों का पता नहीं चलेगा और एक मित्र से जो सहारा मिलता है, वह भी न मिलेगा।

प्रश्न 2.
मित्र को चुनाव करते समय युवक प्रायः क्या भूल करते हैं?
उत्तर:
मित्र बनाते समय युवक विवेक से बहुत कम काम लेते हैं। यह उनकी बड़ी भूल है। एक मिट्टी का घड़ा भी लोग खूब ठोक-बजाकर खरीदते हैं, पर मित्र बनाते समय वे उसके पिछले जीवन पर और उसके स्वभाव पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते। उनका ध्यान केवल कुछ बाहरी बातों पर ही रहता है। हँसमुख चेहरा, बातचीत का अनोखा ढंग और साहसी स्वभाव देखकर ही मित्र बना लेते हैं। वे इस बात पर ध्यान ही नहीं देते कि एक अच्छे मित्र का जीवन में कितना महत्व होता है?

प्रश्न 3.
एक विश्वास करने योग्य और गुणवान मित्र मिलने से हमें जीवन में क्या-क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
यदि हमारा मित्र विश्वासपात्र है, तो हम उससे अपनी हर समस्या पर बात कर सकते हैं और सलाह का लाभ उठा सकते हैं। हमको उसकी ओर से किसी प्रकार के छल-कपट या धोखे का भय नहीं रहता। यदि हमारा मित्र अच्छे गुणों से युक्त है, तो वह हमको भी गुणवान बनाने में सहायक होगा। हमें अच्छे काम करने को प्रेरित करेगा। हमको बुराइयों और भूलों से बचाएगा। हमारे मन में सच्चाई, प्रेमभाव, पवित्रता, नियम पालन आदि गुणों को दृढ़ बनाएगा। हमको सही मार्ग पर चलने को प्रेरित करेगा और निराशा से बचाएगा।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

प्रश्न 4.
बचपन और युवावस्था के मित्रों में क्या अंतर होता है? युवावस्था के मित्रों में क्या विशेषताएँ होनी चाहिए? लिखिए।
उत्तर:
युवावस्था के मित्र बचपन के मित्रों से अधिक दृढ़, शांत और गंभीर स्वभाव के होते हैं। युवावस्था में मित्र बनाते समय केवल भावुकता से काम नहीं चलता। कोई युवक सुंदर है, उसकी चाल-ढाल लुभावनी है और वह किसी से दबता नहीं है, इन दो-चार बातों के आधार पर युवावस्था में मित्र बनाना ठीक नहीं होता। युवावस्था के मित्र ऐसे हों जिनके गुणों की प्रशंसा करने के साथ ही हम उनसे प्रेम भी कर सकें। केवल छोटे-मोटे काम निकालने के लिए मित्र न बनाएँ। इन मित्रों को सच्चा मार्गदर्शक भी होना चाहिए। विश्वासपात्र होना चाहिए और दोनों के बीच सच्ची सहानुभूति होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
कुसंग से मनुष्य को क्या-क्या हानियाँ हो सकती। हैं? लिखिए।
उत्तर:
बुरे लोगों का साथ ही कुसंग कहलाता है। ऐसे लोगों की संगति से व्यक्ति की भावनाएँ दूषित होने लगती हैं। वह अनुचित कार्यों की ओर बढ़ने लगता है। उसका जीवन पतन की ओर जाने लगता है। ऐसे लोगों का थोड़े समय का साथ ही हानिकारक होता है। इनकी फूहड़ बातें, भद्दे मजाक और अरुचिपूर्ण हाव-भाव सदा के लिए मन में बैठ जाते हैं। ऐसे लोग कीचड़ की तरह होते हैं जिसमें एक बार भी पैर डाल देने वाला आदमी धीरे-धीरे इन घटिया बातों का आदी होने लगता है और अंत में स्वयं बुराई का भक्त बन जाता है।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘मित्रता’ निबंध से आपको कौन-कौन सी उपयोगी और अपनाने योग्य बातें पता चलती हैं? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
‘मित्रता’ शीर्षक में लेखक ने मित्रों और मित्रता के बारे में अनेक उपयोगी बातें बताई हैं। लेखक ने बताया है। कि आरंभ में मित्र बनाते समय सावधानी बरतनी चाहिए। विवेक से काम लेकर मित्र बनाना ही ठीक रहता है। हम जिसे मित्र बनाने जा रहे हैं, उसके व्यवहार और स्वभाव की जानकारी कर लेना अच्छा रहता है। हमको यह पता करना चाहिए कि हम उस पर पूरा भरोसा कर सकते हैं या नहीं। यदि वह अच्छा व्यक्ति होगा तो हमको सदा अच्छी बातों में लगाएगा। बाहरी रूप, रंग, चाल-ढाल और लंबी-चौड़ी बातों पर ही नहीं रीझ जाना चाहिए।

लेखक ने जान-पहचान भी ऐसे लोगों से बढ़ाना ठीक बताया है जो हमारे किसी काम आ सकें। बुरे लोगों की संगति से सदा बचना अच्छा रहता है। बुरी बातें हमारे मन पर बहुत जल्दी प्रभाव डालती हैं।

आजकल विश्वासपात्र मित्र मिल पाना कठिन है। अतः मित्र बनाते समय बहुत सोच-विचारकर आगे बढ़ना चाहिए। मैं स्वयं भी कोशिश करूंगा कि मैं किसी का अच्छा मित्र बन सकें। लेखक द्वारा बताई गई उपयोगी बातों को अपना| कर उनका लाभ उठाऊँगा।

कठिन शब्दार्थ-
युवा = जवान। एकांत = अकेलापन। परिणत होना = बदल जाना। आचरण = व्यवहार। अपरिमार्जित = न सुधरे हुए। अपरिपक्व = अधूरी, कच्ची। अनुसंधान = खोज, छानबीन। मैत्री = मित्रता। आत्मशिक्षा = स्वयं सीखना। सुगम = सरल। विश्वासपात्र = जिस पर। विश्वास किया जा सके। औषधि = दवा। त्रुटियाँ = दोष। मर्यादा = नियम, अनुशासन। कुमार्ग = बुरा मार्ग, बुरा आचरण। हतोत्साह = निराश। वैद्य = चिकित्सक। बाल-मैत्री = बचपन की मित्रता। उद्गार = बातें। सहपाठ = साथ पढ़ने वाला। स्वच्छंद = मनमानी प्रवृत्ति का। थियेटर = नाटक या फिल्म देखने का स्थान। विनोद = हँसी, मजाक। कुसंग = बुरे। लोगों का साथ। सदवृत्ति = अच्छ चाल-चलन। क्षय = नाश। बाहु = भुजा, बाँह। धारणा = ध्यान, विचार। फूहड़ = गॅवारों जैसा। अश्लील = भद्दी। कुंठित = असमर्थ, काजर = काजल। सयानौ = चतुर। लीक = धब्बा, लकीर।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

(1) मित्र का कर्तव्य इस प्रकार बताया गया है, “उच्च और महान कार्यों में इस प्रकार सहायता देना, मान बढ़ाना और साहस दिलाना कि तुम अपनी सामर्थ्य से बाहर काम कर जाओ।” यह कर्तव्य उसी से पूरा होगा, जो दृढ़ चित्त और सत्य संकल्प का हो। इससे हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो। हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना चाहिए, जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था। मित्र हों तो प्रतिष्ठित और शुद्ध हृदय के हों, मृदुल और. पुरुषार्थी हों, शिष्ट और सत्यनिष्ठ हों, जिससे हम अपने को उनके भरोसे पर छोड़ सकें और यह विश्वास कर सकें कि उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘मित्रता’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखक एक आदर्श मित्र के गुण बताते हुए उसकी खोज करने और उससे जुड़े रहने की प्रेरणा दे रहा है।

व्याख्या-
मित्र का कर्तव्य है कि वह अच्छे और प्रशंसा योग्य कामों को करने में हमारी सहायता करे। वह हमारे मन का विश्वास बढ़ाए और इतना साहस दिलाए कि हम अपनी शक्ति से भी बढ़कर काम कर दिखाएँ। यह काम वही मित्र कर सकता है जिसका मन दृढ़ होगा और जिसका इरादा सच्चा होगा। हमें ऐसे मित्रों की खोज करनी चाहिए जिनका मनोबल हम से अधिक हो। ऐसे मित्रों से निरंतर जुड़े रहना चाहिए। सुग्रीव ने ऐसे मित्र राम को पाकर कभी उनका साथ नहीं छोड़ा। मित्र ऐसा हो जिसका लोग सम्मान करते हों। जिसका मन छल-कपट से रहित हो। जिसका स्वभाव कोमल हो और जो अपने बल और परिश्रम से सफलता पाता हो। उसका व्यवहार सभ्यतापूर्ण हो और जो सच्चाई पर दृढ़ रहता हो। तभी हम अपने को उसके भरोसे छोड़ सकेंगे। हमें यह विश्वास रहेगा कि हमारा मित्र हमसे कभी धोखा नहीं करेगा।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सच्चे मित्र को हमारी सहायता किस प्रकार करनी चाहिए?
उत्तर:
सच्चे मित्र को हमारे मन को बढ़ावा देना चाहिए और हमें आगे बढ़ने का साहस दिलाना चाहिए। वह हमें इतना प्रेरित कर दे कि हम अपनी शक्ति से भी बढ़कर काम कर दिखाएँ।

प्रश्न 2.
ऐसा काम कैसा मित्र कर सकता है?
उत्तर:
ऐसा काम वही मित्र कर सकता है जो मजबूत मन वाला और अडिग विचार वाला होगा।

प्रश्न 3.
हमको कैसे मित्रों की खोज करनी चाहिए?
उत्तर:

हमें ऐसे मित्रों की खोज करनी चाहिए जो आत्मबल में हमसे बढ़कर हों।

प्रश्न 4.
कैसे मित्र पर भरोसा करना चाहिए?
उत्तर:
जो मित्र सबसे सम्मान पाता हो, कपटरहित मन वाला हो, कोमल स्वभाव का और परिश्रमी हो तथा सभ्य और सच्चा हो।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

(2) कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है। यह केवल नीति और सद्वृत्ति का ही नाश नहीं करता, बल्कि बुधि का भी क्षय करता है। किसी युवा पुरुष की संगति यदि बुरी होगी तो वह उसके पैरों में बँधी चक्की के समान होगी, जो उसे दिन-रात अवनति के गड्ढे में गिराती जाएगी और यदि अच्छी होगी तो सहारा देने वाली बाहु के समान होगी, जो उसे निरंतर उन्नति की ओर उठाती जाएगी।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘मित्रता’ नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में लेखक ने बुरी संगति से होने वाली हानियों के बारे में बताया है।

व्याख्या-
बुरे लोगों का साथ एक भयानक बुखार के समान होता है। जैसे तेज बुखार चढ़ने पर आदमी की सुध-बुध नष्ट हो जाती है, इसी प्रकार बुरा संग भी मनुष्य की बुधि को बेकार कर देता है। कुसंग में पड़ जाने पर मनुष्य को अच्छे कामों से लगाव समाप्त हो जाता है। उसका चरित्र भी गिर जाता है। यदि कोई युवक बुरे लोगों की संगति में पड़ गया है तो उन लोगों का साथ उसे लगातार पतन की ओर धकेलता जाएगा। उसकी दशा उस व्यक्ति के समान होगी जिसके पैरों में चक्की के पाट बाँध दिए गए हों। पाट ढाल की ओर लुढ़केगा और गड्ढे की ओर खींच ले जाएगा। अगर उसकी संगति अच्छे लोगों से होगी तो वे लोग उसको सहारा देने वाली भुजा की तरह उन्नति की ओर ले जाएँगे। इसलिये सदा अच्छे लोगों की ही संगति करनी चाहिए।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कुसंग को सबसे भयानक ज्वर क्यों बताया गया है?
उत्तर:
बीमारी के ज्वर तो मनुष्य को शारीरिक कष्ट देते हैं। लेकिन कुसंग का बुखार चढ़ने पर आदमी के तन और मन इन दोनों की हानि होती है।

प्रश्न 2.
कुसंग से मनुष्य को क्या हानि पहुँचती है?
उत्तर:
कुसंग में पड़ने पर मनुष्य का चरित्र गिर जाता है। और उसकी बुधि भी नष्ट होने लगती है।

प्रश्न 3.
बुरी संगति को किसके समान बताया गया है?
उत्तर:
बुरी संगति पैरों में बँधी चक्की के समान होती है जो मनुष्य को पतन के गड्ढे की ओर ले जाती है।

प्रश्न 4.
अच्छी संगति किसके समान होती है?
उत्तर:
अच्छी संगति सहारा देने वाली बाँह के समान होती है जो व्यक्ति को उन्नति की ओर ले जाती है।

RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 मित्रता

(3) जब एक बार मनुष्य अपना पैर कीचड़ में डाल देता है, तब यह नहीं देखता कि वह कहाँ और कैसी जगह पैर रखता है। धीरे-धीरे उन बुरी बातों में अभ्यस्त होते-होते तुम्हारी। घृणा कम हो जाएगी। पीछे तुम्हें उनसे चिढ़ न मालूम होगी, क्योंकि तुम यह सोचने लगोगे कि चिढ़ने की बात ही क्या है। तुम्हारा विवेक कुंठित हो जाएगा और तुम्हें भले-बुरे की पहचान न रह जाएगी। अंत में होते-होते तुम भी बुराई के भक्त बन जाओगे। अतः हृदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि बुरी संगति की छूत से बचो।

संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘मित्रता’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखक युवकों को सचेत कर रहा है कि वे भूलकर भी बुरे लोगों की संगति न करें।

व्याख्या-
कुछ लोग सोचते हैं कि उनका मन इतना दृढ़ है। कि उस पर कुछ देर की कुसंगति का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेखक कहता है जो व्यक्ति एक बार कीचड़ में पैर रख देता है तो फिर वह इस पर ध्यान देना बंद कर देता है कि वह कैसी जगह पैर रख रहा है। इसी प्रकार जो व्यक्ति एक बार बुरी और भद्दी बातें करने वाले लोगों को संग कर बैठता है, वह धीरे-धीरे बुरी बातें सुनने का अभ्यासी हो जाता है। उसे बुरी बातों से घृणा नहीं होती। जिन बातों से चिढ़ होती थी अब वे उसे साधारण बातें। लगने लगती हैं। वह सोचने लगता है कि इसमें चिढ़ने की बात ही क्या है? उसकी अच्छा-बुरा समझ पाने की शक्ति नष्ट हो जाती है। अंत में ऐसा समय आ जाएगा कि उसे भी बुरी बातों और बुरे कामों में आनंद आने लगेगा। इसलिए यदि अपना हृदय पवित्र बनाए रखना है, अपने चरित्र की रक्षा करनी है, तो कुसंगरूपी छूत की बीमारी से दूर ही रहना अच्छा है।

प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कीचड़ में पैर डालने का आशय क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यहाँ कीचड़ में पैर डालने का आशय है, बुरे लोगों की संगति करना।

प्रश्न 2.
बुरे लोगों की संगति करने पर धीरे-धीरे क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
धीरे-धीरे उनकी भद्दी बातों के प्रति घृणा कम होती जाएगी।

प्रश्न 3.
भले-बुरे की पहचान कब नहीं रहेगी?
उत्तर:
जब विवेक काम करना बंद कर देगा तो फिर भली और बुरी बातों की पहचान कर पाना संभव नहीं होगा।

प्रश्न 4.
बुराई का भक्त बन जाने का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बुराई का भक्त बन जाने का अर्थ है, बुराइयों का अच्छा लगने लगना।

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