RBSE Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 चंद्रशेखर आजाद are part of RBSE Solutions for Class 7 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 8 चंद्रशेखर आजाद.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 7 |
Subject | Hindi |
Chapter | Chapter 8 |
Chapter Name | चंद्रशेखर आजाद |
Number of Questions Solved | 51 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 7 Hindi Chapter 8 चंद्रशेखर आजाद (जीवनी)
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
पाठ से
छ सोचें और बताएँ
प्रश्न 1.
क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाना किस उद्देश्य से लूटा था?
उत्तर:
क्रांतिकारियों को अपना संगठन चलाने के लिए धन की आवश्यकता होती थी। इसी के लिए उन्होंने सरकारी खजाना लूटा था।
प्रश्न 2.
अंग्रेज क्रांतिकारियों को पकड़कर किस प्रकार की सजा देते थे?
उत्तर:
अंग्रेज सरकार क्रांतिकारियों के पकड़े जाने पर या तो उन्हें फाँसी दे देती थी या उन्हें काले पानी की सजा दे दी जाती थी।
प्रश्न 3.
चंदशेखर को संस्कृत पढ़ने के लिए कहाँ भेजा गया?
उत्तर:
चंद्रशेखर को संस्कृत पढ़ने के लिए काशी भेजा गया था।
लिखें
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
क्रांतिकारियों में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अग्रगण्य थे
(क) अज्ञेय
(ख) चंद्रशेखर आज़ाद
(ग) राजेन्द्र लाहिड़ी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
प्रश्न 2.
मजिस्ट्रेट ने कचहरी में चंद्रशेखर के पिता का नाम पूछा तो चंद्रशेखर ने अपने पिता का नाम बताया
(क) पंडित सीताराम
(ख) राम प्रसाद बिस्मिल
(ग) स्वाधीनता
(घ) स्वतंत्रता
उत्तर:
1. (ख)
2. (ग)
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
प्रश्न 1.
07 सितंबर, 1928 ई. को इन लोगों ने…………………… को गोलियों से भून डाला।
प्रश्न 2.
मजिस्ट्रेट ने आज्ञा दी, इसे ले जाओ और…………………….. लगाकर छोड़ दो।
उत्तर:
1. सैंडर्स
2. पंद्रह बेंत।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आज़ाद ने धनुष-बाण चलाना किससे सीखा था?
उत्तर:
आज़ाद ने धनुष-बाण चलाना भीलों से सीखा था।
प्रश्न 2.
जलियाँवाला बाग हत्याकांड का आज़ाद पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
आजाद की राजनीति में रुचि बढ़ गई और वह ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध कुछ कर दिखाने का उपाय सोचने लगे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
क्रांतिकारी दल के सामने क्या समस्या थी?
उत्तर:
क्रांतिकारी दल के सामने संगठन का काम चलाने के लिए धन का प्रबंध करने की समस्या थी।
प्रश्न 2.
आज़ाद की किस घटना से नेहरू जी प्रभावित हुए थे?
उत्तर:
मजिस्ट्रेट द्वारा चंद्रशेखर को बेंत मारने की सजा दिए जाने पर, बेंतों की चोट की परवाह न करके ‘जय’ बोलने के उनके जोश को देखकर नेहरू जी प्रभावित हुए थे।
प्रश्न 3.
काकोरी षड्यंत्र के मुकदमे में किस-किस को फाँसी की सजा हुई थी?
उत्तर:
काकोरी से संबंधित मुकदमे में राम प्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह, अशफाक उल्ला और राजेन्द्र लाहिड़ी को फाँसी। की सजा हुई थी।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कचहरी में मजिस्ट्रेट व आजाद के संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर से पूछा कि उनका नाम क्या था? चंद्रशेखर ने अकड़ के साथ बताया कि उसका नाम ‘आज़ाद’ है। मजिस्ट्रेट ने उनके पिता का नाम पूछा तो चंद्रशेखर ने बताया ‘स्वाधीनता’। इसके बाद पूछा कि उनका घर कहाँ है तो उन्होंने उत्तर दिया कि उसका घर जेलखाना है। तब मजिस्ट्रेट ने उन्हें पंद्रह बेंत लगाए जाने की सजा दे दी।
प्रश्न 2.
उस घटना का वर्णन कीजिए जिससे बालक चंद्रशेखर की बहादरी प्रदर्शित होती है?
उत्तर:
बचपन में चंद्रशेखर अपने साथियों के साथ लाल रोशनी करने वाली दियासलाई जलाकर खेल रहे थे। उन्होंने साथियों से कहा कि डिब्बी की सारी सलाइयों को एक साथ जलाकर देखा जाए। सभी साथी इस बात पर राजी हो गए, लेकिन कोई इस काम को करने के लिए आगे नहीं आया। इसमें हाथ जल जाने का खतरा था। तब चंद्रशेखर ने कहा कि वह इस काम को करेंगे। ऐसा करने पर सभी को मजा आया लेकिन इस तमाशे से चंद्रशेखर का हाथ भी जल गया। सभी साथी चंद्रशेखर के जले हाथ के लिए दवा आदि लेने दौड़े किंतु वे खड़े-खड़े मुस्कराते रहे।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
(क) ‘धर्म’ शब्द में ‘इक’ प्रत्यय जुड़ने पर धार्मिक , बनता है। आप भी ऐसे शब्द छाँटकर मूल शब्द व प्रत्यय अलग-अलग लिखिए।
(ख) ‘इक’ प्रत्यय जुड़ने पर मूल शब्द के आरंभिक अक्षर में आए परिवर्तन की जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
(क) कुछ शब्द इस प्रकार हैं
आर्थिक – अर्थ + इक
नागरिक – नगर + इक।
वैवाहिक – विवाह + इक
साप्ताहिक – सप्ताह + इक
दैनिक – दिन + इक।
प्रारंभिक – प्रारंभ + इक
(ख) छात्र मूल शब्द के आरंभिक अक्षर के स्वर (मात्रा) में होने वाले परिवर्तनों को ध्यान से समझें और एक सूची तैयार करें। जैसे- आरंभिक अक्षर ‘इ, ई, है तो इक प्रत्यय लगाने पर वह ऐ हो जाता है।
इतिहास = ऐतिहास = ऐतिहासिक
प्रारंभिक अक्षर में ‘अ’ अर्थात् हस्व हो तो ‘आ’ अर्थात् दीर्घ हो जाता है।
संसार = सांसार = सांसारिक
अध्यात्म = आध्यात्म = आध्यात्मिक
अलंकार = आलंकार = आलंकारिक
प्रारंभिक अक्षर में ‘उ’ हो तो ‘औ’ हो जाता है।
कुश = कौश = कौशिक।
प्रश्न 2.
पाठ में कई विशेषण शब्द आए हैं, उन्हें सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
बुद्धिमान, संवेदनशील, सामूहिक, खूब, भयंकर, निहत्थी, अहिंसात्मक, योग्य, वयोवृद्ध, खतरनाक, कुछ, काफी, महान।
प्रश्न 3.
इन शब्दों को पढ़िए-संयोग, संविधान। इन दोनों शब्दों में अनुस्वर (:) का प्रयोग हुआ है। वास्तव में ये सम् + योग, सम् + विधान है। इन्हें सन्योग और सन्विधान लिखना ठीक नहीं है। य, र, ल, व, श, ष, स, ह इन आठ वर्षों से पूर्व यदि सम्’ उपसर्ग जुड़ा हो, तो ये ‘सं’ द्वारा ही दर्शाए जाते हैं, जैसे-संयोग, संरचना, संसार आदि। इस नियम को ध्यान में रखकर निम्नलिखित शब्दों को अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए
सम् + शय
सम् + हारक
सम् + स्मरण
सम् + शोधन
उत्तर:
सम् + शय = संशय
सम् + हारक = संहारक
सम् + स्मरण = संस्मरण
सम् + शोधन = संशोधन
पाठ से आगे
प्रश्न 1.
चंद्रशेखर आजाद के जीवन से आपको क्या सीखने को मिला? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
चंद्रशेखर आजाद के जीवन से हमें अनेक बातें सीखने को मिलती हैं। हमें चंद्रशेखर जैसा साहसी और सहनशील बनना चाहिए। तभी हम जीवन में कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। अन्याय और अत्याचार के सामने न झुकना, देश के शत्रुओं से संघर्ष करना। मातृभूमि की स्वाधीनता और सुरक्षा के लिए प्राण भी समर्पित कर देना, ये सभी गुण हम चंद्रशेखर आजाद के जीवन से सीख सकते हैं।
प्रश्न 2.
हमारे देश में आजाद की तरह अन्य कई क्रांतिकारी हुए हैं, उनकी जानकारी ऐसी सारणी बनाकर भरिए- क्रांतिकारी का नाम, किए गए विशेष कार्य/योगदान
उत्तर:
क्रांतिकारी का नाम | किए गए विशेष कार्य/योगदान |
सुभाष चंद्र बोस | आजाद हिंद फौज का गठन किया। |
महात्मा गाँधी | सत्याग्रह व सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया। |
सरोजिनी नायडू | स्वतंत्रता आंदोलन के लिए महिला शक्ति को संगठित किया। |
प्रश्न 3.
“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” यह नारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने दिया था। आप भी ऐसे नारे और उन्हें देने वाले महापुरुषों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल है – रामप्रसाद बिस्मिल
स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है – लोकमान्य तिलक
दिल्ली चलो – महात्मा गाँधी
इंकलाब जिंदाबाद – भगत सिंह
जयजवान जय किसान – लाल बहादुर शास्त्री
यह भी करें
प्रश्न 1.
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के चित्रों का संग्रह कर ‘मेरा संकलन’ में लगाएँ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दियासलाई की तीलियों से हाथ जल जाने पर चंद्रशेखर
(क) चीखने लगे।
(ख) डॉक्टर के पास गए।
(ग) मुस्कराते रहे।
(घ) कराहते रहे।
प्रश्न 2.
बाबा के गाँव में जाकर चंद्रशेखर की घनिष्ठता हो गई
(क) किसानों से
(ख) मजदूरों से
(ग) अन्य बालकों से
(घ) भीलों से।
प्रश्न 3.
लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका था
(क) चंद्रशेखर आज़ाद ने
(ख) अशफाक उल्ला ने
(ग) राम प्रसाद बिस्मिल ने
(घ) भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त ने।।
प्रश्न 4.
पिस्तौल गिर जाने पर नॉट बावर
(क) पार्क से बाहर भागा
(ख) मोटर में जा छिपा
(ग) एक पेड़ की ओट में छिप गया
(घ) जमीर पर लेट गया।
उत्तर:
1. (ग)
2. (घ)
3. (घ)
4. (ग)
रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित शब्द से कीजिएः
प्रश्न 1.
1857 ई. के संघर्ष के बाद भी यह संघर्ष ……….. चलता रहा। (रुक-रुककर/निरंतर)
प्रश्न 2.
चंद्रशेखर आजाद बचपन से ही बहुत ………… थे। (आलसी/साहसी)
प्रश्न 3.
चंद्रशेखर ने भीलों से ………… चलाना सीखा। (धनुष-बाण/तलवार)
प्रश्न 4.
आजाद ने ……………. गोली स्वयं अपने मार ली। (अंतिम/पहली)
उत्तर:
1. निरंतर
2. साहसी
3. धनुष-बाण
4. अंतिम्।
अति लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भारत में क्रांतिकारी प्राय: क्या किया करते थे?
उत्तर:
क्रांतिकारी जनता में आज़ादी की चिनगारी सुलगाने का काम किया करते थे।
प्रश्न 2.
जनरल डायर कौन था ? उसने क्या अत्याचार किया था?
उत्तर:
जनरल डायर अंग्रेजी सेना का अधिकारी था। उसने जलियाँवाला बाग में गोलियाँ चलवाकर सैकड़ों निर्दोष लोगों को मरवा डाला था।
प्रश्न 3.
काकोरी में क्रांतिकारियों ने क्या किया था?
उत्तर:
काकोरी में क्रांतिकारियों ने रेलगाड़ी रोककर उसमें जा रहा सरकारी खजाना लूट लिया था।
प्रश्न 4.
क्रांतिकारियों ने लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला कैसे लिया?
उत्तर:
क्रांतिकारियों ने लाला लाजपतराय की मृत्यु के लिए जिम्मेदार पुलिस.अधिकारी सैंडर्स की हत्या करके लालाजी की मृत्यु का बदला लिया।
प्रश्न 5.
चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर:
इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस से हुई मुठभेड़ में, जब आज़ाद की गोलियाँ खत्म होने वाली थीं, उन्होंने अंतिम गोली स्वयं को मार ली।
लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
चंद्रशेखर आज़ाद की आरंभिक पढ़ाई कहाँऔर कैसे हुई?
उत्तर:
चंद्रशेखर को आरंभ में संस्कृत पढ़ने के लिए काशी भेजा गया। लेकिन वहाँ उनका मन नहीं लगा और वह भागकर अपने बाबा के पास पहुँच गए। वहाँ वह भीलों की संगति में पड़ गए। तब बाबा ने उनको फिर से काशी भेज दिया। वहाँ वे संस्कृत व्याकरण पढ़ने लगे। काशी में उनका मन पढ़ाई में कम लगता था और वह घंटों गंगा में तैरते तथा कथा सुनाने वालों के पास बैठकर रामायण, महाभारत आदि की कथाएँ सुना करते थे।
प्रश्न 2.
चंदशेखर को बेंत मारने की सजा क्यों मिली? लिखिए।
उत्तर:
जलियाँवाला कांड के बाद चंद्रशेखर गाँधीजी के आंदोलनों में भाग लेने लगे। इंग्लैंड का युवराज जब भारत आया तो गाँधीजी ने उसके विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया। चंद्रशेखर भी उसमें शामिल हो गए। उनको भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मजिस्ट्रेट से अकड़कर बोलने पर उसने चंद्रशेखर को पंद्रह बेंत लगाने की सजा दे दी।
प्रश्न 3.
क्रांतिकारी दल बनने का क्या कारण था? क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाना क्यों लूटा?
उत्तर:
देश के अनेक युवकों ने सोचा कि अंग्रेज शांतिपूर्ण आंदोलनों को कुचलते रहेंगे और भारत को स्वतंत्र नहीं होने देंगे। इनको गोली का जबाव गोली से दिया जाना चाहिए। यही सोचकर क्रांतिकारियों ने अपना संगठन बनाया। इस संगठन को चलाने के लिए धन की आवश्यकता थी। इसी कारण क्रांतिकारियों ने काकोरी नामक स्थान पर रेलगाड़ी से ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लट लिया।
प्रश्न 4.
चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु कैसे हुई? लोग उनके प्रति अपनी श्रद्धा कैसे प्रकट करते हैं ?
उत्तर:
इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में एक घंटे तक आज़ाद और पुलिस के बीच गोलियाँ चलीं। जब आज़ाद ने देखा कि उनकी गोलियाँ खत्म होने वाली हैं तो अंतिम गोली उन्होंने अपने आपको मार ली। इस प्रकार भारत माँ का वह सपूत भारत की स्वतंत्रता के शत्रुओं से जूझता हुआ बलिदान हो गया। पार्क में आज़ाद की मूर्ति स्थापित की गई है। लोग वहाँ जाकर आज़ादी के दीवाने आज़ाद को अपनी श्रद्धांजलि देते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
चंदशेखर आज़ाद के जीवन की कौन-सी घटनाएँ आपको प्रभावित करती हैं? कारण सहित संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
चंद्रशेखर आजाद’ नामक पाठ में आज़ाद के जीवन की अनेक घटनाओं का वर्णन है। मुझे अनेक घटनाओं ने प्रभावित किया है। सर्वप्रथम सारी तीलियाँ एक साथ जलाने की घटना है। इससे आज़ाद के साहस और प्रबल सहन-शक्ति का परिचय मिलता है।
इससे मुझे खतरों का सामना करने का साहस मिलता है। दूसरी घटना चंद्रशेखर को बेंत मारने की सजा दिया जाना है। यह घटना चंद्रशेखर की निर्भीकता और अन्याय के विरोध को सामने लाती है। यदि युवक आज़ाद के इन गुणों को अपनाएँ तो देश की अनेक गंभीर समस्याएँ हल हो सकती हैं।
तीसरी घटना आज़ाद का आत्मबलिदान है। अगर चाहते तो अल्फ्रेड पार्क से सुखदेव राज की तरह आज़ाद भी निकल सकते थे। लेकिन उन्होंने पार्क में ही रहकर अंग्रेजी सरकार की पुलिस का सामना करना उचित समझा और अंत तक आज़ाद रहते हुए विदेशी सरकार के अहंकार को चुनौती देते रहे।
कठिन शब्दार्थ-
परतंत्रता = दूसरे के अधीन रहना। संवेदनशील = समझदार, भावना से पूर्ण, कोमल हृदय वाला। सामूहिक = समूह में, एक साथ मिलकर। अग्रगण्य = प्रथम गिने जाने वाले। घनिष्ठता = मेल-जोल। निरपराध = निर्दोष, जिसका कोई अपराध न हो। विख्यात = प्रसिद्ध। वयोवृद्ध = बड़े-बूढ़े। प्राणांत = मृत्यु। इंकलाब = स्वतंत्रता। आहुति = बलिदान।
गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
(1) आज़ादी किसे अच्छी नहीं लगती। चाहे पिंजड़े में बंद पक्षी हो, चाहे रस्सी से बँधा हुआ पशु। सभी परतंत्रता के बंधनों को तोड़ फेंकना चाहते हैं। फिर मनुष्य तो पशुओं की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान और संवेदनशील होता है। उसे गुलामी की जंजीर सदा ही खटकती रहती है। सभी देशों के इतिहास में आज़ादी के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाले वीरों के उदाहरण हैं।
संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के चंद्रशेखर आज़ाद’ नामक पाठ से लिया गया है। यहाँ लेखक ने बताया है कि स्वतंत्रता पशु, पक्षी और मनुष्य सभी को प्यारी होती है।
व्याख्या-
संसार में कोई भी जीव दूसरे के अधीन होकर नहीं रहना चाहता। पशु रस्सी से बँधकर और पक्षी पिंजरे में बंद होकर नहीं रहना चाहता। मनुष्य तो बहुत भावुक प्राणी है और अधिक समझदार भी है। इसलिए वह किसी की अधीनता, बंधन या दासता सहन नहीं कर सकता। उसे वह सदा खटकती ही रहती है। यही कारण है कि सभी देशों के इतिहास में स्वतत्रंता के लिए जीवन का बलिदान करने वाले वीर लोगों के उदाहरण मिलते हैं।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पशु, पक्षी और मनुष्य सभी को कैसे रहना अच्छा लगता है?
उत्तर:
सभी को स्वतंत्र रहकर जीना अच्छा लगता है।
प्रश्न 2.
रस्सी से बँधा पशु, पिंजरे में बंद पक्षी और दूसरे के अधीन रहने वाला मनुष्य, सभी क्या चाहते हैं?
उत्तर:
पशु, पक्षी तथा मनुष्य सभी अपने बंधन और अधीनता से छुटकारा चाहते हैं।
प्रश्न 3.
मनुष्य पशुओं की तुलना में कैसे अलग है?
उत्तर:
पशुओं की तुलना में मनुष्य अधिक समझदार और भावुक होता है।
प्रश्न 4.
सभी देशों के इतिहास में किनके उदाहरण मिलते
उत्तर:
सभी देशों के इतिहास में स्वतंत्रता के लिए मर मिटने वाले वीरों के उदाहरण मिलते हैं।
(2) पूरे एक घंटे तक दोनों ओर से गोलियाँ चलती रहीं। कहते हैं, जब आज़ाद के पास गोलियाँ खत्म होने लगीं, तो अंतिम गोली उन्होंने स्वयं अपने को मार ली। इस प्रकार वह महान योद्धा मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर सदा के लिए सो गया। अपनी यह प्रतिज्ञा उन्होंने अंत तक निभाई कि वे कभी जिंदा नहीं पकड़े जाएँगे।
संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के चंद्रशेखर आज़ाद’ नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में चंद्रशेखर आज़ाद द्वारा अंत तक पुलिस का सामना करते हुए शहीद हो जाने का वर्णन है।
व्याख्या-
आजाद और पुलिस के बीच लगभग एक घंटे तक गोलियाँ चलती रहीं। ऐसा कहा जाता है कि आजाद ने अंतिम गोली स्वयं को मार ली। वह एक स्वाभिमानी देशभक्त थे। अंग्रेज सरकार की पुलिस के हाथों मारा जाना उन्हें स्वीकार नहीं था। आजाद मातृभूमि की सेवा में अपने प्राणों के पुष्प चढ़ाकर सदा के लिए आजाद हो गए। उन्होंने चुनौती दी थी कि जीते-जी उनको कोई नहीं पकड़ पाएगा और उन्होंने अपने प्रण को निभाया।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पुलिस और आज़ाद के बीच कितनी देर तक गोलियाँ चलीं?.
उत्तर:
पुलिस और आज़ाद के बीच पूरे एक घंटे तक गोलियाँ चर्ती।।
प्रश्न 2.
गोलियाँ खत्म होते देखकर आज़ाद ने क्या किया?
उत्तर:
गोलियाँ समाप्त होते देख आज़ाद ने अंतिम गोली स्वयं को मार ली जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न 3.
आजाद ने स्वयं को गोली क्यों मार ली?
उत्तर:
आज़ाद पुलिस के हाथों मरना या बंदी होना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने स्वयं को गोली मार ली।
प्रश्न 4.
आजाद ने अपने किस प्रण को निभाया?
उत्तर:
आज़ाद ने कभी जिंदा न पकड़े जाने के अपने प्रण को पूरा किया। पुलिस उनके मृत शरीर को ही ले जा सकी।
(3) जब आज़ाद का शरीर बड़ी देर तक निस्पंद पड़ा रहा तब पुलिस वाले उनकी ओर आगे बढ़े। आजाद का आतंक इतना था कि उन्होंने पहले एक गोली मृत शरीर पर मारकर निश्चय कर लिया कि वे सचमुच मर गए हैं। आज़ाद जिस स्थान पर शहीद हुए, वहाँ उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है। वहाँ जाने वाला हर व्यक्ति उस वीरात्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिसने अपनी जन्मभूमि की पराधीनता की बेड़ियों को काटने के लिए अपना जीवन सहर्ष बलिदान कर दिया।
संदर्भ तथा प्रसंग-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के चंद्रशेखर आज़ाद’ नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में लेखक ने चंद्रशेखर आज़ाद के बलिदान का आदर के साथ स्मरण किया है।
व्याख्या-
आज़ाद द्वारा स्वयं को गोली मार लेने पर भी पुलिस को उनके मरने का विश्वास नहीं हुआ। जब बहुत देर तक उनके शरीर में कोई गति दिखाई न दी तब पुलिस वाले उनकी ओर बढ़े। फिर भी पूरी तरह निश्चित होने के लिए उन्होंने उनके प्राणहीन शरीर में गोली मारकर देखा। इससे पता चलता है कि अंग्रेज सरकार की पुलिस पर आज़ाद का कितना आतंक था। जहाँ आज़ाद ने अपना शरीर छोड़ा था वहाँ उनकी मूर्ति स्थापित कर दी गई है। इस स्थान पर आने वाले सभी लोग उस वीर देशभक्त को अपनी श्रद्धांजलि समर्पित करते हैं। भारत माता को पराधीनता से मुक्त करने के लिए आज़ाद ने अपना जीवन अपने ही हाथों से बलिदान कर दिया।
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
पुलिस वाले कब आगे बढ़ने का साहस कर सके?
उत्तर:
जब पुलिस वाले बहुत देर तक चंद्रशेखर के शरीर में कोई जीवन का लक्षण नहीं देखा तभी वे आगे बढ़े।
प्रश्न 2.
पुलिस पर आज़ाद का भारी आतंक था, यह बात कैसे सामने आई?
उत्तर:
पुलिस को आजाद के मरने का पूरा विश्वास नहीं हुआ था। उन्होंने उनके मृत शरीर में गोली मारकर देखा कि क्या वह सचमुच मर चुके थे?
प्रश्न 3.
आज़ाद की प्रतिमा के दर्शन करने आने वालों के मन में क्या भाव होते हैं?
उत्तर:
आज़ाद की प्रतिमा के दर्शन करने आने वाले हर व्यक्ति के हृदय में उस वीर पुरुष के प्रति श्रद्धा की भावना होती है।
प्रश्न 4.
चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राणों का बलिदान किस लिए किया?
उत्तर:
चंद्रशेखर आजाद ने अपनी मातृभूमि को स्वाधीन कराने के लिए अपने प्राणों की बलि चढ़ा दी।
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