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RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 1 भारतभूवन्दना

May 16, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 1 भारतभूवन्दना

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 1 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखितशब्दानाम् उच्चारणं कुरुत-(निम्नअणुओं को। लिखित शब्दों का उच्चारण कीजिए-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 1 भारतभूवन्दना 8

नोट-
छात्राः स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु। (छात्र स्वयं ही भावार्थ-हे भारतमातः! तव धरातलस्य निर्माण कणानां
उच्चारण करें।)

प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरत- (एक वाक्य में उत्तर दीजिये)-
(क) पाठानुसारेण कविः कां नमस्करोति? (पाठ के अनुसार कवि किसको नमस्कार करता है?)
(ख) प्राणदात्री का अस्ति? (प्राण देने वाली कौन है?)
(ग) मातृभूमेः केभ्यः भागेभ्यः नमः? (मातृभूमि के किन भागों को नमस्कार है?)
(घ) मातृभूमिः किं किं ददाति? (मातृभूमि क्या-क्या देती है?)
उत्तराणि:
(क) पाठानुसारेण कविः मातृभूमिं नमस्करोति। (पाठ के अनुसार कवि मातृभूमि को नमस्कार करता है)
(ख) प्राणदात्री मातृभूमिः अस्ति। (प्राण देने वाली मातृभूमि है।)
(ग) मातृभूमेः कणेभ्यः, अणुभ्यः, गिरिभ्यः, वनेभ्यः,युवकः युवकाय बालिका बालिकायै नर्तकी नदीभ्यः, जनपदेभ्यः नमः। (मातृभूमि के कणों, अणुओं, पर्वतों, वनों, नदियों और जनपदों को नमस्कार है।)
(घ) मातृभूमिः त्राणम्, प्राणं, शक्तिम् ऋद्धिम्, सिद्धिम्, भक्तिम्, बालकः बालकाय स्थालिका स्थालिकायै लेखनी लेखन्यै मुक्तिम् च ददाति। (मातृभूमि त्राण, प्राण, शक्ति ऋद्धि,सिद्धि, भक्ति और मुक्ति देती है।)

प्रश्न 3.
मजूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(मञ्जूषा से पदों को चुनकर रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिये-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 1 भारतभूवन्दना 1

(क) माता ………………….. धनं ददाति।
((ख) ऋद्धिदे! सिद्धिदे!……………….।
(घ) तव कणेभ्यो नमस्ते …………….. नमः।
उत्तर:
(क) नमः|
(ख) भुक्तिमुक्तिप्रदे ।
(ग) त्राणदे ।
(घ) अणुभ्यो।

प्रश्न 4.
रेखांकितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत(रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न का निर्माण कीजिये)

(क) कणेभ्यः नमस्ते।
उत्तर:
केभ्यः नमस्ते? ।

(ख) मातृभूमिः प्राणदात्री अस्ति।
उत्तर:
मातृभूमिः किं दात्री अस्ति?

(ग) अणुभ्यः नमः।
उत्तर:
केभ्यः नमः।

(घ) भारतभूमिः शक्तिप्रदात्री अस्ति। |
उत्तर:
का शक्तिप्रदात्री अस्ति?

प्रश्न 5.
चित्राणाम् आधारेण चतुर्थीविभक्तेः रूपाणि ज्ञात्वा रिक्तस्थानानि पूरयत। (चित्रों के आधार पर चतुर्थी विभक्ति के रूपों को जानकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये-)
RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 1 भारतभूवन्दना 2

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 1 भारतभूवन्दना 3

प्रश्न 6.
कोष्ठके प्रदत्तस्य शब्दस्य शुद्धं रूपं लिखत। (कोष्ठक में दिये गये शब्द के शुद्ध रूप को लिखिये)-
यथा-
पिता निर्धनाय धनं ददाति। (निर्धनः)
(क) माता ….. ……………… धनं ददाति। (पुत्रः)
(ख) जिज्ञासुः ज्ञानस्य …… समयं ददाति। (अर्जनम्)
(ग) तरुणः ………… पुस्तकानि ददाति। (मित्रम्)
(घ) जनकः ………… शाटिकां ददाति। (जननी)
(ङ) ………… नमः । (सूर्यः)
(च) ………… नमः। (शिक्षिका)
उत्तर:
(क) पुत्राय
(ख) अर्जनाय
(ग) मित्राय
(घ) जनन्यै
(ङ) सूर्याय
(च) शिक्षिकायै।

प्रश्न 7.
चतुर्थी विभक्तिं प्रयुज्य नूतनवाक्यानि रचयत- (चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग करके नवीन वाक्योंकी रचना कीजिए।)
उत्तर:
(क) रामः मोहनाय पुस्तकं ददाति।
(ख) सीता रामाय विलपति।
(ग) माता शिशवे दुग्धं ददाति।
(घ) भ्राता भगिन्यै वस्त्रं ददाति।
(ङ) गुरवे नमः।

प्रश्न 8.
चतुर्थीविभक्तेः रूपाणि लिखत-(चतुर्थी विभक्ति के रूप लिखिए-)
उत्तर-
RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 1 भारतभूवन्दना 5

प्रश्न 9.
रेखाङ्कितपदं द्विवचने बहुवचने च परिवर्त्य रिक्तस्थाने वाक्यं लिखत-(रेखाङ्कित पद को द्विवचन और बहुवचन में बदल कर रिक्त स्थान में वाक्य को लिखिये)
वाक्यं लिखत- (रेखाङ्कित पद को द्विवचन और बहुवचन में बदल कर रिक्त स्थान में वाक्य को लिखिये)-
यथा-गुरु: शिष्याय ज्ञानं ददाति। (गुरु शिष्य को ज्ञान देता गुरु: शिष्याभ्याम् ज्ञानं ददाति। (गुरु दो शिष्यों को ज्ञान देता है।)
गुरु: शिष्येभ्यः ज्ञानं ददाति । (गुरु शिष्यों को ज्ञान देता है।)
(क) पीयूष: मित्राय पुस्तकं ददाति । ……………
(ख) पितामही पौत्राय चाकलेहं ददाति । ……….
(ग) अध्यापकः छात्रायै गृहकार्यं ददाति। ……………
(घ) स्वामी सेविकायै कार्यं वदति । ……………….
(ङ) अहम् तस्मै परामर्श वदामि। …………………
उत्तर:
द्विवचन-
(क) मित्राभ्यां
(ख) पौत्राभ्यां
(ग) छात्राभ्यां
(घ) सेविकाभ्यां
(ङ) तेभ्यः।

योग्यता-विस्तारः
हिन्दी अर्थ-
कवि का कथन है कि आदर के साथ दोनों हाथों को जोड़कर मातृभूमि की वन्दना करनी चाहिये। श्रद्धापूर्वक स्वमातृभूमि की पूजा-अर्चना करें (करनी चाहिये)। चाहे आपदा (विपत्ति) आये, चाहे बिजली की चकमकाहट से घिरे हो। चाहे निरन्तर अस्त्र-शस्त्रों का प्रहार सर पर होवे। हमें अपने धैर्य को नहीं छोड़ना चाहिये। ऐसी अवस्था में हमें वीरता का परिचय देना चाहिये। निडरतापूर्वक-निर्भयचित्त होकर अपने कदमों को आगे बढ़ाना चाहिये।

क्योंकि यह अपनी मातृभूमि अपने शरीर के अन्दर प्राणों का संचार करती है और मातृभूमि हमें सुरक्षा के सभी साधनों को मुहैया कराती है। यह हमें शक्ति, मुक्ति और भक्ति प्रदान करती है। यह हमें अमृत प्रदान करती है। अत: हमें इसकी वन्दना करनी चाहिये। इसकी सेवा और स्वागत करना चाहिये। कवि कहता है कि अभिमान (गर्व) के साथ इसके लिए अपने जीवन को समर्पित कर देना चाहिये।

विशेष-
सुधा का तात्पर्य है ज्ञान-भक्ति-शक्ति और मुक्ति को प्राप्त करने का माध्यम। मातृभूमि से हम विभिन्न प्रकार के संसाधनों को प्राप्त करके अपने जीवन को कृतार्थ बनाते हैं।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 1 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 1 वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1.
भारतभूमिः सर्वम् ददाति अस्मभ्यम् –
(क) पितृवत्
(ख) भ्रातृवत्
(ग) मित्रवत्
(घ) मातृवत्

प्रश्न 2.
भारतस्य नद्यः भवन्ति …………..
(क) रमणीयाः
(ख) स्मरणीयाः
(ग) पठनीयाः
(घ) निन्दनीयाः।

प्रश्न 3.
भारतभूमौ पर्वताः भवन्ति ……………
(क) वन्दनीयः
(ख) वञ्चनीयः
(ग) कर्तनीय:
(घ) अरमणीयः।

प्रश्न 4.
कणाः भवन्ति ……………….
(क) अर्चनीयाः
(ख) प्रक्षेपणीयाः
(ग) दर्शनीयाः।
(घ) ग्रहणीयाः ।
उत्तर:
1. ( घ)
2. (ख)
3. (क)
4. (क) ।

मञ्जूषातः
क्रियापदं चित्वा वाक्यानि पूरयत

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 1 भारतभूवन्दना 6

1. हे मातृभूमि! तुभ्यम्………………. ।
2. भारतभूमिः पवित्रा………………………।
3. भारतस्य पर्वता:, वनानि, नद्यः रमणीयाः…….।
4. वयम् मातृभूमेः सर्ववस्तूनां………….. |
5. सत्पुरुषाणां जन्म भारते एव………….।
उत्तर-
1. नमः,
2. अस्ति
3. सन्ति
4. आराधयामः
5. भवति ।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 1 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न1.
का प्राणदात्री अस्ति?
उत्तरम्:
मातृभूमि प्राणदात्री अस्ति।

प्रश्न 2.
मातृभूमेः केभ्यः भागेभ्यः नमः?
उत्तरम्:
मातृभूमेः गिरिभ्यो, नदीभ्यो, जनपदेभ्यो, वनेभ्यो नम:।

प्रश्न 3.
मातृभूमिः अस्मभ्यं किम्-किम् ददाति?
उत्तरम्:
मातृभूमिः अस्मभ्यं प्राणं, त्राणं, शक्तिं, ऋद्धिम्, सिद्धिम्, भक्तिं, मुक्तिं च ददाति ।

प्रश्न 4.
भारतभूमिः कीदृशी अस्ति?
उत्तरम्:
भारतभूमि: रमणीया पूजनीया च अस्ति।

पाठ-परिचय
प्रस्तुत पाठ में पुण्य भारत भूमि की वंदना की गई है। भारत की नदियाँ, पर्वत और वन ही नहीं अपितु कण-कण मनोहर व प्रेरक है। भारत भूमि माता के समान हमें सब कुछ प्रदान करती है। अत: हम सब इसकी आराधना करते हैं।

मूल अंश, अन्वय, शब्दार्थ, अनुवाद एवं भावार्थ

1. मातृभूमे ! नमो मातृभूमे ! नमः।
मातृभूमे ! नमो मातृभूमे ! नमः।
तव गिरिभ्यो नमस्ते नदीभ्यो नमः।
तव वनेभ्यो नमो जनपदेभ्यो नमः।।

अन्वयः–मातृभूमे ! नम: मातृभूमे ! नम:!, मातृभूमे ! नमो मातृभूमे ! नमः।। तव गिरिभ्यः नमः, ते नदीभ्यः नमः। तव वनेभ्यः नमः, जनपदेभ्य: नम:।।

शब्दार्था:-मातृभूमे = हे मातृभूमि, नमः = नमस्कार, तवतुम्हारे, गिरिभ्यः = पर्वतों के लिए, नदीभ्यः = नदियों के लिए, वनेभ्यः = जंगलों के लिए, जनपदेभ्यः = जनपदों के लिए।

हिन्दी अनुवाद-(हे) मातृभूमि! (हे) मातृभूमि (तुमको) नमस्कार है। (हे) मातृभूमि! (तुमको) नमस्कार है। नमस्कार है। तुम्हारे पर्वतों को नमस्कार है, (तुम्हारी) नदियों को नमस्कार है। तुम्हारे वनों को नमस्कार है, (तुम्हारे) जनपदों को नमस्कार हैं।

भावार्थ-हे भारतमातः! (वयम्) भारतवासिनः त्वाम्। अभिवादयन्ति। (वयम्) सर्वे तव प्रत्येक भूभागं नमस्कुर्वन्ति। तव अंके पर्वता:, नद्यः, वनानि, जनपदाः च शोभन्ते। अतएव (वयम्) नागरिका: तान् सर्वान् भूभागान् अपि नमीना।

2. तवे कणेभ्यो नमस्ते अणुभ्यो नमः।
मातृभूमे ! नमो मातृभूमे ! नमः।।

अन्वयः-मातृभूमे ! तव कणेभ्यः नम: ते अणुभ्यः नमः। मातृभूमे ! मातृभूमे नमो ! नमः।

शब्दार्था:-मातृभूमे = हे मातृभूमि, तव = तुम्हारे, कणेभ्यः = कणों को, नमः = नमस्कार है, ते = तुम्हारे, अणुभ्यः = अणुओं को।

हिन्दी अनुवाद-(हे) मातृभूमि तुम्हारे कणों को नमस्कार है, तुम्हारे अणुओं को नमस्कार है। (हे) मातृभूमि (तुमको) नमस्कार है! नमस्कार है।

भावार्थ-हे भारतमातः! तव धरातलस्य निर्माण कणानां अणूनाम् च सहयोगेन अभवत्। एतस्माद् (वयम्) भारतवासिनः तेभ्य:अपि नमन्ति। तवकणा: अणव: च महोपयोगिनः सन्ति।

3. प्राणदे! त्राणदे! देवि! शक्तिप्रदे!
ऋद्धिदे ! सिद्धिदे! भुक्तिमुक्तिप्रदे!

अन्वयः–देवि ! प्राणदे ! त्राणदे! शक्तिप्रदे! ऋद्धिदे! सिद्धिदे! भुक्तिमुक्तिप्रदे।

शब्दार्था:-देवि = हे देवी, प्राणदे! = प्राण का संचार कर दो, शक्तिप्रदे = शक्ति प्रदान करो, ऋद्धिदे = धन सम्पत्ति दो, सिद्धिदे = सिद्धि दो, त्राणदे = सुरक्षा दो, भुक्तिमुक्ति प्रदे = भक्ति और मुक्ति प्रदान करो।

हिन्दी अनुवाद-हे देवी! (मेरे अन्दर) प्राण का संचार कर दो। (मेरी) सुरक्षा करो। शक्ति प्रदान करो। धन-सम्पत्ति दो, सिद्धि दो, भक्ति और मुक्ति प्रदान करो।

भावार्थ-हे भारतमातः! त्वम् सर्वाभिः कलाभिः परिपूर्णा असि। त्वयि अतुलनीया दिव्याशक्तिः अस्ति। ऋषीणाम् संकल्प: तव प्रत्येक भागे वर्तमानः अस्ति। त्वम् अस्मस्यम् ऋद्धि, सिद्धि, शक्तिं, भक्तिं मुक्तिं प्रदातुं समर्था असि। अतो वयम् त्वाम् नमामः।

4. सर्वदे ! सर्वदा देवि ! तुभ्यं नमः।
मातृभूमे ! नमो मातृभूमे ! नमः।।

अन्वयः-देवि ! सर्वदे! सर्वदा, तुभ्यम् नमः! मातृभूमे। मातृभूमे नमो नमः।

शब्दार्था:-सर्वदे! = सब कुछ देने वाली, सर्वदा हमेशा, देवि = हे देवी!, तुभ्यम् = तुम्हारे लिये, नमः नमस्कार है, मातृभूमे! = हे मातृभूमि।।

हिन्दी अनुवाद–(हे) देवि (तुम) सब कुछ देने वाली हो। तुमको हमेशा नमस्कार है। हे मातृभूमि (तुमको) नमस्कार है। (है) मातृभूमि ! नमस्कार है।

भावार्थ- हे भारतमातः! तव आञ्चल: अक्षयः अस्ति। तस्मिन् किंचिद् वस्तो अभावो नास्ति। अतो त्वं अस्मभ्यम् सर्वाः जीवनोपयोगीनि वस्तूनि देहि। वयम् त्वाम् प्रणमामः।

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