Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 प्रहेलिकाः
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखितपदानां उच्चारणं कुरुत- (निम्नलिखित पदों का उच्चारण कीजिए-) मकरोऽन्ते, कोऽसौ, शोभितोऽस्मि, पचैरलङ्कृतः, तवाप्यस्ति, द्विजिह्वा, कृतिर्न यत्नः।
उत्तर:
छात्रा: स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु । (छात्र स्वयं उच्चारण करें।)
प्रश्न 2.
श्लोकान् सस्वरं गायत। (श्लोकों को सस्वर गाओ।)
उत्तर:
छात्राः स्वयं दत्तान् श्लोकान् सस्वरं गायत। (छात्र स्वयं दिये गये श्लोकों का सस्वर गान करें।)
प्रश्न 3.
निम्नलिखितप्रश्नान् एकपदेन उत्तरत- (निम्नलिखित प्रश्नों का एक पद में उत्तर दीजिए-)
(क) कस्य राज्यं सर्वश्रेष्ठम्? (किसका राज्य सर्वश्रेष्ठ था ?)
(ख) राष्ट्रियः विहङ्गः कः अस्ति? (राष्ट्रीय पक्षी कौन है?)
(ग) पाञ्चाली कस्याः संज्ञा अस्ति? (पाञ्चाली किसकी संज्ञा है?)
(घ) वाल्मीकिः कस्य गायकः? (वाल्मीकि किसके गायक हैं?)
(ङ) कः मौनेन जीवति? (कौन मौन जीवित रहता है?)
उत्तर:
(क) रामस्य
(ख) मयूरः
(ग) द्रौपद्या:
(घ) रामायणस्य
(ङ) वृक्षः।
प्रश्न 4.
यथायोग्यं सुमेलयत। (सही सही मिलान कीजिए-)
उत्तर:
अ-घ
आ-ख
इ-क
ई-ङ
उ-ग
प्रश्न 5.
उपयुवतकथनानां समक्षम्’आम्’ अनुपयुक्त कथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-(सही कथनों के सामने आम् (हाँ) गलत कथनों के सामने न लिखिए-)
यथा-वाल्मीकि रामयाणस्य गायकः अस्ति। आम्
(क) राष्ट्रिय विहङ्गः मयूरः नास्ति। …………………..
(ख) मयूरः शिखण्डेन शोभितो न भवति। …………………..
(ग) सर्पिणी द्विजिह्वा भवति । …………………..
(घ) रामस्य राज्यं सर्वश्रेष्ठं आसीत् । ……………………
(ङ) वृक्ष: मौने न जीवति। …………………….
उत्तर:
(क) (न)
(ख) (न)
(ग) (आम्)
(घ) (आम्)
(ङ) (न) ।
प्रश्न 6.
पदेषु सन्धिविच्छेदं कुरुतं-(पदों में सन्धि विच्छेद कीजिए-)
उत्तरम्:
(क) तस्यादिः = तस्य + आदिः
(ख) ममापि = मम + अपि ।
(ग) नास्ति = न + अस्ति
(घ) चास्मि = च + अस्मि
(ङ) रेफादौ = रेफ + अदौ
(च) मकारान्ते = मकार’ + अन्ते।
प्रश्न 7.
अधोलिखितानां पदानां लिङ्ग विभक्तिं वचनं च लिखत-(नीचे लिखे पदों के लिङ्ग, विभक्ति और वचन लिखिए-)
प्रश्न 8.
मजुषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत। (मञ्जूषा से पदों को चुनकर खाली स्थान पूरे कीजिए-)
(क) असत्यवचनं …………… कथनीयम् ।
(ख) प्रतिदिनं दन्तधावनं स्नानं …………… कुर्यात् ।
(ग) जलं …………… जीवनं न सम्भवति ।
(घ) छात्राः …………… शिक्षकं नमन्ति।
(ङ) स्वपाठं …………… पठ।
उतर:
(क) न
(ख) च
(ग) विना
(घ) सदा
(ङ) पुनः।
प्रश्न 9.
क्रमवाचिशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत-(क्रमवाची शब्दों के द्वारा खाली स्थान पूरा कीजिए-) ।
प्रश्न 10.
निम्नवाक्येषु प्रथमद्वितीयतृतीयादि क्रमवाचिशब्दानां प्रयोगं कृत्वा पूरयत-(निम्न वाक्यों में प्रथम, द्वितीय, तृतीय क्रमवाची शब्दों का प्रयोग करके पूरा कीजिए-)
(क) विश्वप्रसिद्धं ………… ब्रह्ममन्दिरं पुष्करे अस्ति।
(ख) हे देवकि ! तव…………पुत्र: कंसस्य कालः भविष्यति ।
(ग) ज्ञानं मनुष्यस्य ………… नेत्रम् अस्ति।
उत्तर:
(क) प्रथमम्
(ख) द्वितीयः
(ग) तृतीयम्।
प्रश्न 11.
चित्रं दृष्ट्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-(चित्र देखकर | खाली स्थान पूरे कीजिए)
उत्तर:
1. प्रथमं फलम् आम्रम् ।
2. द्वितीयं फलं सेवफलम् ।
3. तृतीयं फलं कदलीफलम् ।
4. चतुर्थम् फलं दाडिमफलम् ।
5. पञ्चमम् फलं नारङ्गफलम् ।
6. षष्ठम् फलं अलीचिकाफलम् ।
योग्यता-विस्तारः
इन पहेलियों को भी ज्ञान बढ़ाने के लिए पढ़ते हैं
1. हिन्दी अर्थ-अन्न अथवा फल नहीं खाती हूँ न जल पीती हूँ, दिन-रात चलती हूँ और समय का ज्ञान कराती हूँ।(घड़ी)
2. मुख काला वायुहीन मजूषा में भली प्रकार संस्कारित है। (बन्द है) मेरे घर्षण से शीघ्र आग जलती है। मैं रसवती में रहती हूँ। (माचिस)
3. एक आँख है कौआ नहीं है बिल की इच्छा करती है। लेकिन साँप नहीं है। घटता-बढ़ता रहता है परन्तु न समुद्र है। | न चन्द्रमा। (सुई-धागा)
4. सोने पर भी नेत्र बन्द नहीं करती हूँ, पानी के बीच में रोजाना रहती हैं। अपनी जाति जीव मेरा भोजन है मान्यवर? बोले मेरा नाम क्या है? (मछली)
5. विष्णु की सवारी के अंग चक्र चिह्न और गोलाई में घूमते हुए को जो जानता है, वह पण्डित है। (मोर)
6. काले बादलों के समान है कृष्ण नहीं है, विशाल शरीर | लेकिन पर्वत नहीं है। भीम के समान बलवान हूँ। सँड़ धारण करने वाला मैं कौन हूँ। (हाथी)
2. आइये, खेलते हैं-
अध्यापक को कागज की पर्चियों में अनेक वस्तुओं, जन्तुओं, फलों अथवा फूलों के नाम लिखकर अपने पास में छिपाकर रखना चाहिए। छात्रों को मण्डल में बैठना चाहिए।
सबसे पहले अध्यापक छात्रों को सूचित करे-मैं इन पर्चियों | में से एक-एक पर्ची को स्वीकार करूंगा। पर्चियों में किसी। भी वस्तु, जन्तु, फल अथवा फूल का नाम लिखा है। तुम | सब कल्पना करके बोलो कि वहाँ क्या लिखा है। छात्र कल्पना करके अनेक नाम बोलेंगे। यदि कोई छात्र पर्ची में | लिखे हुए नाम को बोलता है तो उसे बधाई देनी चाहिए।
यदि कोई भी छात्र पर्ची में लिखे हुए नाम को बोलने में समर्थ नहीं है तो शिक्षक छात्रों को इशारा करता है, इशारे से अध्यापक को उस वस्तु की विशेषता बोलनी चाहिए। जिसका नाम पर्चियों में लिखा हुआ है। जैसे यहाँ पक्षी का नाम है। छात्र इशारे को पाकर पुन: प्रयास करेंगे, यदि विशेषताओं को सुनकर भी छात्र नाम बताने में असमर्थ होते हैं। तो शिक्षक
को नाम का पहला अक्षर बोलना चाहिये। पहला अक्षर जानकर छात्र फिर प्रयास करेंगे, अपेक्षित नाम ही बोलेंगे। जैसे उस शब्द का पहला अक्षर ककार है। छात्र फिर भी उत्तर बोलने के लिए प्रयत्न करेंगे उत्तर आना ही चाहिए, न आने पर शिक्षक को अन्त में उत्तर बोल देना चाहिए।
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 वस्तुनिष्ठ
प्रश्न 1.
सर्वश्रेष्ठं राज्यं कस्य आसीत् ?
(क) दुर्योधनस्य
(ख) रावणस्य
(ग) रामस्य
(घ) सुग्रीवस्य।
प्रश्न 2.
कस्य नृत्यं दृष्ट्वा प्रसन्नाः भवन्ति जनाः?
(क) मयूरस्य
(ख) खगस्य
(ग) बालकस्य
(घ) बालिकायाः।
उत्तर:
1. (ग)
2. (क)।
RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न (क)
कीदृशं राज्यं रामस्य आसीत्?
उत्तर:
रामस्य राज्यं सर्वश्रेष्ठम् आसीत्।
प्रश्न (ख)
वयं काभ्याम् पश्याम:?
उत्तर:
वयं नेत्राभ्याम् पश्यामः।
प्रश्न(ग)
पाञ्चाली का आसीत्?
उत्तर:
पाञ्चाली एव पाण्डवानां पत्नी आसीत् ।
प्रश्न(घ)
जनः स्वशरीरे किं धारयति? ।
उत्तर:
जनः स्वशरीरे युतकम् धारयति ।
पाठ-परिचय
प्रस्तुत पाठ में मनोरंजक व ज्ञानवर्द्धक पहेलियाँ दी गई हैं। सभी पहेलियों के उत्तर भी दिए गए हैं।
मूल अंश, शब्दार्थ, अनुवाद एवं भावार्य
(1) रेफादौ च मकारोऽन्ते वाल्मीकिः यस्य गायकः।
सर्वश्रेष्ठं यस्य राज्यं वद कोऽसौं जनप्रियः।
भावार्थ:-यस्य शब्दस्य आरम्भे रेफ: (र) अस्ति। यस्य शब्दस्य च अन्ते मकार: (म) अस्ति। यद् उत्तरम् अस्ति। तस्य गानं वाल्मीकि: अकरोत्। स; राजा आसीत् तस्य राज्यं सर्वोत्तमं राज्यम् इति प्रसिद्धम् अस्ति। वदत कः सः?
(2) शोभितोऽस्मि शिखण्डेन दीर्घः पचैरलङ्कृत:।
राष्ट्रिय विहङ्गञ्चास्मि, नृत्यं पश्यन्ति में जनाः।।
भावार्थ:- सः पिच्छेन सुशोभितः अस्ति तस्य पक्षौ विशालौ स्तः। तस्य नृत्यम् आनन्ददायकं भवति अत: जना: पश्यन्ति। स: राष्ट्रियः खगः अपि अस्ति। वदत सः कः?
(3) न तस्यादिः न तस्यान्तः मध्ये यः तस्य तिष्ठति।
तवाप्यस्ति ममाप्यस्ति यदि जानासि तद्वद।
भावार्थ:-तस्य प्रारम्भे नकारः (न) अस्ति अन्तेऽपि नकारः (न) अस्ति। मध्ये तस्य यकार: (य) विद्यते तत् तव समीपे अस्ति मम समीपेऽस्ति। तत् किम्।
शब्दार्था:-रेफादौ = प्रारम्भ में र। वद = बोलो। यस्य = जिसका। अकरोत् = किया था। शोभितो = सुशोभित। शिर = सिर। शिखण्डेन = मोर की कलंगी। विहङ्गः = पक्षी। अस्मि = हूँ। पश्यन्ति = देखते हैं। तस्य = उसके। तिष्ठति = बैठता है। जानासि = जानते हो। मकारोऽन्ते = अन्त में ‘म’, यस्य = जिसका, गायकः = गान करने वाला, सर्वश्रेष्ठं = सबसे अच्छा, श्रेष्ठ, दीधैः = लम्बी। पक्षैः = पंखों से, अलङ्कृतम् = अलंकृत, मे = मेरा, जनाः = लोग, मध्ये = मध्य में, तवाप्यस्ति = तेरे पास भी है, ममाप्यस्ति = मेरे पास भी है।
हिन्दी अनुवाद-जिसके प्रारम्भ में ‘र’ और अन्त में मकार (म) है। जिसके गायक वाल्मीकि हैं। जो जनप्रिय हैं तथा जिसका राज्य सर्वश्रेष्ठ था। वह कौन है, बोलो ?
(1) भावार्थ-जिस शब्द के प्रारम्भ में का ‘र’ है और जिस शब्द के अन्त में मकार (म) है। जो उत्तम हैं उसका गुणगान वाल्मीकि ने किया था। वह राजा था उसका राज्य सर्वश्रेष्ठ इस प्रकार प्रसिद्ध है। बोलो वह कौन?
हिन्दी अनुवाद-मैं कलङ्गी से सुशोभित हैं तथा लम्बी पंखों से अलंकृत हैं और राष्ट्रीय पक्षी भी हैं, मनुष्य मेरे नाच को देखते हैं।
(2) भावार्थ-वह कलङ्गी से सुशोभित है उसके पंख बड़े हैं। उसका नाच आनन्ददायक होता है इसलिए मनुष्य देखते हैं। वह राष्ट्रीय पक्षी भी है। बोलो वह कौन हैं?
हिन्दी अनुवाद-इसके प्रारम्भ में ‘न’ अन्त में न है बीच में उसके य है तेरे पास भी है, मेरे पास भी है यदि जानते हो तो बोलो ?
(3) भावार्थ-उसके प्रारम्भ में नकार (न) है अन्त में भी नकार (न) है। बीच में उसके यकार (य) है वह तेरे पास है मेरे पास भी है। वह क्या है?
(4) कृष्णमुखी न मार्जरी द्विजिव्हा न च सर्पिणी।
पझेशा सा न पाञ्चाली, यो जानाति सः पण्डित:।
भावार्थ:-मम मुखं कृष्णम् अस्ति किन्तु अहं मार्जारी नास्मि। मम मुखद्वयम् अस्ति किन्तु अहं सर्पिणी अपि नास्मि। मम पञ्च स्वामिनः सन्ति परन्तु अहं द्रौपदी अपि नास्मि। वदत मम नाम किम् ?
(5) अस्थि नास्ति शिरो नास्ति, बाहुरस्ति निरङ्कुलि।
नास्ति पादद्वयं गाढम्, अङ्गम् आलिङ्गति स्वयम्।
भावार्थ:- मयि अस्थि, शिरः, बाहुः, अङ्गलिः, पादौ इत्यादिषु किमपि नास्ति। तथापि अहं अङ्गानि बैलेन् आलिङ्गामि। वदत अहं कः?
(6) तिष्ठामि पादेन बली न पछुः, दाता फलानां न कृतिर्न यत्नः।
मौनेन जीवामि मुनिर्न मूकः, सेव्योऽस्मि कोऽयं नृपतिर्न देवः।
भावार्थ:-अहं सर्वदा पादेन एव तिष्ठमि अहं राजा बली नास्मि पंगुः अपि नास्मि। अहं मौनपूर्वक जीवनं जीवामि अहं मुनि: नास्मि मूकः अपि नास्मि। वदत अहं कः?
शब्दार्थाः-कृष्णमुखी = काले मुख वाली। मार्जारी = बिल्ली। पाञ्चाली = द्रौपदी। जानाति म जानता है। नास्मि = नहीं हैं। गाढम् = गहरा। बलेन बल से। आलिङ्गामि = मिलता हूँ। तिष्ठामि = स्थित हैं। सेव्योऽस्मि = सेवा योग्य हैं। मूकः = गूंगा। द्विजिव्हा = दो जीभ वाली। पञ्चेक्षा = पाँच स्वामी हैं। अस्ति = हड्डी। निरङ्कलि = बिना अँगुलियों के पाद = पैर, चरण। पादेन = पैर से। बली = राजा बलि। पङ्गः = बिना पैर का। दाता फलानां = फलों का देने वाला। कृतिः = धनवान, नेक धार्मिक! यत्नः = कोशिश। नृपतिः = राजा !
हिन्दी अनुवाद-काले मुख वाली में बिल्ली नहीं हैं, दो जीभ होने पर सर्पिणी नहीं हूँ। पाँच स्वामी होने पर वह द्रौपदी नहीं, जो जानता है वह पण्डित है।
(4) भावार्थ-मेरा मुख काला है किन्तु मैं बिल्ली नहीं हूँ। मेरे दो जीभ हैं किन्तु मैं सर्पिणी भी नहीं हूँ। मेरे पाँच स्वामी (मालिक) हैं किन्तु मैं द्रौपदी भी नहीं हूँ। बोलो मेरा नाम
क्या है?
हिन्दी अनुवाद–हड्डी नहीं है, सिर नहीं है, बाँह हैं, अङ्गली नहीं हैं, पैर नहीं है। स्वयं गहरा आलिङ्गन (मिलना) करता हैं।
(5) भावार्थ-मेरे हड्डी, सिर, भुजाएँ, अङ्गली, पैर इत्यादि कुछ भी नहीं हैं। तो भी मैं अंगों को बलपूर्वक आलिङ्गन करता हैं। बोलो मैं कौन हूँ।
हिन्दी अनुवाद-पैर से स्थित हूँ न राजा बली, न पंगु हूँ। प्रयत्न न करने पर भी फलों का देने वाला हैं धनवान नहीं हैं। मौनपूर्वक जीवन जीता हूँ न मुनि हूँ न पूँगा। सेवा योग्य हूँ मैं न कोई राजा हैं न देवता।
(6) भावार्थ-मैं हमेशा पैर से ही स्थित हैं। मैं राजा बली नहीं हूँ, पंगु भी नहीं हैं। मैं मौनपूर्वक जीवित रहता हूँ, मैं मुनि नहीं हैं। न गैंगा भी नहीं हैं। बोलो मैं कौन हूँ? पहेलियों के
उत्तर:
- रामः,
- मयूरः,
- नयनम्,
- लेखनी,
- अंगरखा,
- वृक्षः।
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