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RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 5 नित्यं कर्तव्यम्

May 17, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 5 नित्यं कर्तव्यम्

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 5 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखितशब्दानाम् उच्चारणं कुरुत- (निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण कीजिये-) प्रात:काले, स्मृत्वा, कृत्वोद्यानम्, व्यायामम्, झञ्झावातः, गृहमागत्य, भूत्वैवाहम्, देवदर्शनम्, भव्यम्, सायङ्काले।
नोट-
छात्रा: स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु। (छात्र स्वयं उच्चारण करें।)

प्रश्न 2.
निम्नलिखितप्रश्नान् एकपदेन उत्तरत- (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक पद में दीजिए-)
(क) बालः कुत्रं गत्वा विचरति? (बालक कहाँ जाकर विचरण करता है?)
(ख) सः प्रात:काले कं स्मरति? (वह प्रात:काल में किसको याद करता है?)
(ग) सः गृहं आगत्य किं पिबति? (वह घर आकर क्या पीता है?)
(घ) आदर्शबालः केषां सम्मानं करोति? (आदर्श बालक किनका सम्मान करता है?)
(ङ) बालाः कुत्र क्रीडन्ति? (बच्चे कहाँ खेलते हैं ?)
उत्तर:
(क) उद्यानम्
(ख) ईशम्
(ग) दुग्धम्।
(घ) गुरुवर्याणाम्
(ङ) क्रीडाक्षेत्रे।

प्रश्न 3.
कोष्ठकात् उचितपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत(कोष्ठक से उचित पदों को चुनकर खाली स्थानों को भरिये-)
(क) अहम् …………….. पूर्वं व्यायामं करोमि ? (भोजनात्/स्नानात्/अध्ययनात्)
(ख) अहं गृहम् आगत्य दुग्धं पीत्वा ……………… पठामि। (पत्रिकां/दैनन्दिनम्/स्वपाठ्म्)
(ग) छात्र: विद्यालये …… अर्जयति। (धनम्/बुद्धिम्/ज्ञानम्)
(घ) नित्यम् …………… कर्तव्यम्।। (गृहचिन्तनम्/राष्ट्रचिन्तनम्/स्वचिन्तनम्)
उत्तर:
(क)स्नानात्
(ख) स्वपाठम्
(ग) ज्ञानम्
(घ) राष्ट्रचिन्तनम्।

प्रश्न 4.
निम्नाङ्कितपदानां संयोजनं कुरुत-(निम्नांकित पदों का संयोजन कीजिए-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 5 नित्यं कर्तव्यम् 1

प्रश्न 5.
निम्नलिखितपदेषु सन्धिं कृत्वा लिखत-(नीचे लिखे हुए पदों में सन्धि करके लिखिए-)
क) कृत्वा + उद्यानम्
(ख) वृष्टिः + भवतु
(ग) भूत्वा + एव + अहम्
(घ) गृहम् + आगत्य
उत्तर:
क) कृत्वोद्यानम्
(ख) वृष्टिर्भवतु
(ख) भूत्वैवाहम्
(घ) गृहमागत्य ।

प्रश्न 6.
निम्नलिखितपदानां विभक्तिं वचनं च लिखत(निम्नलिखित पदों की विभक्ति और वचन लिखिए-)

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 5 नित्यं कर्तव्यम् 2

प्रश्न 7.
वाक्यानि संयोज्य लिखत-(वाक्यों को संयोजित करके लिखिये-)
यथा-
रमा उद्यानं गच्छति । पाठं पठति । रमा उद्यानं गत्वा पाठं पठति।
(क) भगिनी पाठं पठति। गृहकार्यं करोति
(ख) माता पूजां करोति । कार्यालयं गच्छति।
(ग) पर्यटक: हवामहलं पश्यति । आनन्दित: भवति ।
(घ) अहं संस्कृतवार्ता शृणोमि। ज्ञानं वर्धयामि।
(ङ) मृगः नर्दी गच्छति । जलं पिबति।
उत्तर:
(क) भगिनी पाठं पठित्वा गृहकार्यं करोति ।
(ख) माता पूजां कृत्वा कार्यालयं गच्छति।
(ग) पर्यटक: हवामहलं दृष्ट्वा आनन्दितः भवति।
(घ) अहं संस्कृतवार्ता श्रुत्वा ज्ञानं वर्धयामि।
(ङ) मृगः नदीं गत्वा जलं पिबति ।

प्रश्न 8.
रेखाङ्कितपदे ल्यप् प्रत्ययं प्रयुज्य वाक्यानि लिखत| (रेखांकित पद में ल्यप् प्रत्यय को जोड़कर वाक्यों को लिखिए-)
(क) बालकः उत्तिष्ठति धावति।
(ख) वयं देवं नमस्कुर्मः कार्यारम्भं कुर्मः।
(ग) वयं सम्मिलामः वार्तालापं कुर्मः।
(घ) गीता पाठं लिखति पठति।
उत्तर:
(क) उत्थाय
(ख) नमस्कृत्य
(ग) सम्मिल्य
(घ) विलिख्य।

योग्यता-विस्तारः

1. एतदपि जानीतयदा धातोः पूर्वम् उपसर्ग: शब्दः वा भवति तदा क्त्वा स्थाने ल्यपू भवति।

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 5 नित्यं कर्तव्यम् 3

2. क्त्वा ल्यप् प्रत्ययोः रूपाणाम् अभ्यासं कुरुत-
यथा-
बालिका विद्यालयं गच्छति । बालिका पाठं पठति। बालिका विद्यालयं गत्वा पाठं पठति ।

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 5 नित्यं कर्तव्यम् 5

3. नित्यकर्तव्य-

  1. मैं प्रभातकाल में उठता हूँ, माता-पिता को प्रणाम करता हूँ। देवताओं और श्रेष्ठ भक्तों को नमन करके पढ़ने में बुद्धि | को लगाऊँगा।
  2. बिना देर किये हुए पाठशाला जाते हुए पाठ्यांशों को समझता हूँ। (ग्रहण करती हैं)। सभी विषयों को भली प्रकार से (अधीत्य) पढ़कर बुद्धि की विशदता को प्राप्त करता हूँ अर्थात् बुद्धि का विकास करता हूँ।
  3. शिष्ट (सभ्य, मर्यादित) आचरणों को, अच्छे विचारों को और बुद्धि बढ़ाने वाले कारकों का आकलन करता हूँ। विद्या के अभ्यास और आचार-विचारों के द्वारा सर्वश्रेष्ठता को प्राप्त करता हूँ।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
ईशं स्मृत्वा पितरम् प्रणयामि………..।
(क) प्रात:काले
(ख) सायंकाले
(ग) अपराह्नकाले
(घ) शायंकाले।

प्रश्न 2.
अहम् व्यायामं करोमि……………।
(क) स्नानातपूर्वम्
(ख) भोजनोपरान्ते
(ग) रुग्णावस्थायाम्
(घ) तीव्रप्रकाशे।

प्रश्न 3.
अहम् निजपाठम् पठामि ……………।
(क) दुग्धम् पीत्वा
(ख) कीडित्वा
(ग) स्नात्वा
(घ) भ्रमित्वा।
उत्तरम्:
1. (क)
2. (क)
3. (क)।

मञ्जूषातः

प्रत्यययुक्तानि पदानि प्रयुज्य रिक्तस्थानानां पूर्तिम् ।

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ranjini Chapter 5 नित्यं कर्तव्यम् 4

1. गुरोः ………. अहम् क्षेत्रम् गच्छामि।
2. गृहम् ………… त्वम् किम् करोमि?
3. दुग्धं …………….. बालकः कार्यम् करोति ।
4. श्रद्धायुक्तो…………श्यामसुन्दर: विद्यार्जनं करोति।
उत्तरम्:
1. स्मृत्वा
2. गत्वा
3. पीत्वा
4. भूत्वा ।

RBSE Class 7 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सायंकाले देवदर्शनं कृत्वा त्वम् किम् करोषि?
उत्तरम्:
सायंकाले देवदर्शनं कृत्वा त्वम् भोजनम् करोषि ।

प्रश्न 2.
सायंकाले क्रीडाक्षेत्रे अरुणः किम् करोति?
उत्तर:
सायंकाले क्रीडाक्षेत्रे अरुणः क्रीडति।

प्रश्न 3.
शयनात् पूर्वं वयम् नित्यम् राष्ट्रचिन्त किं कुर्याम्?
उत्तरमू:
शयनातु पूर्व वयम् नित्यम् राष्ट्रचिन्तनं कुर्याम्।

पाठ-परिचय

प्रस्तुत पाठ में परमानन्द शर्मा द्वारा रचित गीत के माध्यम से बालक की नित्यक्रिया का वर्णन किया है। बालक के प्रतिदिन के नित्यकर्म क्या-क्या होते हैं, इस गीत के माध्यम से जानें।

मूल अंश, अन्वय, शब्दार्थ, अनुवाद एवं भावार्थ

(1) प्रातः काले ईशं स्मृत्वा, पितरौ प्रणमामि।
नित्यं कर्म च कृत्वोद्याने, गत्वा विचरामि।।

अन्वयः-प्रातः काले ईशं स्मृत्वा पितरौ प्रणमामि। नित्यम् कर्म च कृत्वा उद्यानं गत्वा विचरामि

शब्दार्था:–प्रात:काले = सुबह के समय, ईशं : भगवान को, स्मृत्वा = स्मरण करके, पितरौ = माता-पिता को, प्रणमामि प्रणाम करता हूँ, नित्यं कर्म = दैनिक कार्य, गत्वा = जाकर, उद्यानं = बगीचा, विचरामि = घूमता हूँ, च = और।

हिन्दी अनुवाद-(मैं) प्रात:काल भगवान का स्मरण करके माता-पिता को प्रणाम करता हूँ और नित्यकर्मों को करके बगीचे में जाकर विचरण करता हूँ। भावार्थ-बालकः कथयति-“अहम् प्रात:काले जागृत्वा सर्वप्रथमं ईश्वरं स्मरामि। तदन्तरम् मातृ-पितृयो: चरणेषु शीशं स्थापयामि। ततः नित्यकर्माणि सम्पाद्य भ्रमणार्थम् उद्यानं गच्छामि।।

(2) स्नानात् पूर्वं प्राणायाम, तदनु व्यायामम्।।
वृष्टिर्भवतु वा झञ्झावातो, हिमं पतेत् कामम्।।

अन्वयः-स्नानात् पूर्वम् प्राणायाम (करोमि) तदनु व्यायामम्, वृष्टि: झञ्झावातः वा भवतु हिमं पतेत् कामम्।।

शब्दार्थाः-स्नानात् पूर्वम् = स्नान के पहले, प्राणायाम = प्राणायाम, तदनु = उसके बाद, व्यायाम = कसरत, वृष्टिः = वर्षा, झञ्झावातः = तूफान, हिमम् = बर्फ, पतेत् = गिरे, कामम् = भले ही।

हिन्दी अनुवाद-(बालक कहता है कि मैं) स्नान के पहले प्राणायाम (करता हूँ) उसके बाद व्यायाम (करता हूँ), भले ही वर्षा होवे, तूफान आए या बर्फ गिरे)। भावार्थ-बालकः कथयति-अहम् प्रात:कालीन भ्रमणान्तरं गृहं आगत्य प्राणायाम, व्यायाम आसनं च कृत्वा स्नानं करोमि। जलवर्षणं, प्रभञ्जनं हिमं वा पतेत् किन्तु प्रत्येके अवस्थायां अहम् स्वदैनिकचर्यां न त्यजामि।

(3) गृहमागत्य दुग्धं पीत्वा, पठामि निजपाठम्।
ततो भोजनं करोमि नित्यं, घड्ससंयुक्तम्।।

अन्वयः-गृहं आगत्य दुग्धं पीत्वा निजपाळम् पठामि, तत: षड्ससंयुक्तम् भोजनं नित्यं करोमि।

शब्दार्था:-गृहम् = घर को, आगत्य = आकर, दुग्धं पीत्वा = दूध पीकर, निज पाठ्म् = अपने पाठ को, पठामि = पढ़ता हूँ, ततः = उसके बाद, नित्यं रोजाना, घससंयुक्तम् = छ: प्रकार के रस से युक्त, भोजनं = भोजन को, करोमि न करता हैं।

हिन्दी अनुवाद- (मैं) घर आकर दूध पीकर अपने पाठ को पढ़ता हैं। उसके बाद प्रतिदिन छ; रसों से युक्त भोजन करता हूँ। भावार्थ-तत्पश्चात् बालकः वदति-” अहम् गृहम् आगत्य दुग्धपानं कुर्वन् स्वपाठम् स्मरामि, चिन्तयामि च। स्वाध्याये समाप्ते अहम् षडरसै: पूरितम् स्वादिष्ट भोजनं खादामि।

(4) विद्यालये च गुरुवर्याणां, करोमि सम्मानम्।
श्रद्धायुक्तो भूत्वैवाहम्, अर्जयामि ज्ञानम्।।

अन्वयः- अहम् विद्यालये गुरुवर्याणाम् सम्मानं करोमि श्रद्धायुक्तो भूत्वा च (अहम्) ज्ञानम् अर्जयामि।।

शब्दार्था:-अहम मैं, विद्यालये = विद्यालय में, गुरुवर्याणाम् = गुरुजनों का, सम्मानम् = आदर, करोमि = करता हूँ, श्रद्धायुक्त म श्रद्धापूर्वक, अर्जयामि = अर्जन करता हूँ, प्राप्त करता हूँ. ज्ञानम् = जानकारी, ज्ञान।

हिन्दी अनुवाद-(बालक कहता है कि मैं विद्यालय में गुरुजनों का आदर (सम्मान करता हूँ और श्रद्धायुक्त होकर (मैं) ज्ञान का अर्जन करता हूँ। भावार्थ-सः कथयति-“” विद्यालय गत्वा अहम् गुरुजनेभ्य: प्रणामं करोमि सम्मानं करोमि च। श्रद्धया पूरितो अहम् तत्र गुरुजनानां समीपे ज्ञानस्य अर्जनं करोमि।।

(5) सायङ्काले क्रीडाक्षेत्रे, गत्वा क्रीड़ामि।।
देवदर्शनं ततो भोजनं, पातं स्मरामि।।

अन्वयः- (अहम्) सायङ्काले क्रीडाक्षेत्रे गत्वा क्रीडामि, (तत्पश्चात्) देवदर्शनं तत: भोजनं, पाठं स्मराम्।ि। शब्दार्था:-सायङ्काले = शाम के समय, क्रीडाक्षेत्रे = खेल के मैदान में, गत्वा = जाकर, क्रीडामि = खेलता हूँ, देवदर्शनं = देवता का दर्शन, ततः = उसके बाद, भोजनं = भोजन, पाठे = पाठ को, स्मरामि = याद करती हैं।

हिन्दी अनुवाद- (मैं) शाम के समय खेल के मैदान में जाकर खेलता हूँ। (इसके पश्चात्) देवता (भगवान्) का दर्शन (करता हैं) तदनन्तर भोजन (और उसके बाद) पाठ याद करता हूँ। भावार्थ-स: बालक: शायंकाले विद्यालयात् गृहम् आगच्छति सः कथयति एवम्-‘अहम् दिवसस्य अवसानकाले क्रीडितुम् क्रीडाङ्गणं गच्चअमि। तत्र अहं विभिन्नक्रीडां करोमि। क्रीडा समाप्य देवदर्शनाय देवस्थानं गच्छामि। तत्पश्चात् भोजनं कृत्वा स्वगळं पठामि।

(6) शयनात् पूर्व राष्ट्रचिन्तनं, नित्यं कर्तव्यम्।।
भारतमातुः दिव्यमन्दिरं, भवतु पुनः भव्यम्।।

अन्वयः-शयनात् पूर्व नित्यं राष्ट्रचिन्तनं कर्तव्यम्। भारतमातुः दिव्यमन्दिरं पुन: भव्यम् भवतु।

शब्दार्थाः-शयनात् पूर्वम् = सोने से पूर्व, नित्यं – रोजाना, राष्ट्रचिन्तनम् – राष्ट्र के हित का चिन्तन, कर्तव्यम् = करना चाहिये, भारतमातुः = भारतमाता का, पुनः = फिर, भवतु = हो, भव्यम् = सुन्दर।।

हिन्दी अनुवाद-(हमें) सोने से पहले राष्ट्र के हित का चिन्तन प्रतिदिन करना चाहिये। (जिससे) भारतमाता का मन्दिर दिव्य (अलौकिक और) पुन: (एक बार फिर ) सुन्दर (शानदार) बने। भावार्थ-बालक: ब्रवीति-“अहम् रात्री शयनात् पूर्वम् देशसेवायाः विषये चिन्तयामि। द्वि देशः एव अस्माकं आश्रयस्थानम् अस्ति। स्वदेशे एव अहम् सर्वोन्नतिं करोमि। अतएव भारतदेशः अस्माकं पुज्यस्थलः अस्ति। अहम् पूज्यस्थले स्वदेशं भव्यम् कर्तुम् यत्नं करिष्यामि।।

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