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Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण अनुवाद प्रकरण
एक भाषा को दूसरी भाषा में परिवर्तित करने का नाम अनुवाद है । किसी भी वाक्य का संस्कृत में अनुवाद करने से पूर्व उस वाक्य के कर्ता के पुरुष व वचन, कर्ता, कर्म आदि कारकों के बोधक चिह्नों, क्रिया, उसके काल, वचन और पुरुष को भली-भाँति समझ लेना चाहिए ।
• अनुवाद में केवल अव्ययों को छोड़कर कोई अन्य शब्द बिना किसी विभिक्ति अथवा प्रत्यय के प्रयुक्त नहीं होता है ।
• संस्कृत में तीन वचन होते हैं-
(क) एकवचन
(ख) द्विवचन
(ग) बहुवचन
• संस्कृत में तीन पुरुष होते हैं-
(क) प्रथम पुरुष
(ख) मध्यम पुरुष
(ग) उत्तम पुरुष
• इस प्रकार किसी क्रिया के एक काल में नौ
(9) प्रकार के कर्ता हो सकते हैं । जहाँ युष्मद् शब्द के त्वम्, युवाम्, यूयम् रूपों का प्रयोग किया जाता है, वहाँ मध्यम पुरुष की क्रिया का प्रयोग होगा । जहाँ अस्मद् शब्द के अहम्, आवाम्, वयम् रूपों का प्रयोग किया जाता है, वहाँ उत्तम पुरुष की क्रिया का प्रयोग होगा । शेष सभी संज्ञा, सर्वनाम आदि शब्द प्रथम पुरुष में आते हैं और उनके साथ प्रथम पुरुष की क्रिया का ही प्रयोग होगा।
• कर्ता जिस पुरुष व वचन का होगा उसी पुरुष और वचन की क्रिया का प्रयोग होगा ।
• अनुवाद के लिए शब्द-रूपों तथा धातु-रूपों को याद , रखना परमावश्यक है । अतः रूपों का अभ्यास करें ।
• निम्नलिखित कारकों एवं विभक्ति-ज्ञान को भी अच्छी तरह समझ लेना चाहिए । कर्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है । कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है । करण कारक में तृतीया विभक्ति आती है । सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति प्रयुक्त होती है । अपादान कारक में अलग होने के अर्थ में पंचमी विभक्ति लगती है । सम्बन्ध में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग किया जाता है। अधिकरण में सप्तमी विभक्ति होती है । सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया जाती है। केवल एकवचन की ही संबुद्धि संज्ञा होती है। शेष प्रथमा की तरह होते हैं।
• अनुवाद करने से पूर्व वाक्य में होने वाले काल का निर्णय कर उसी के अनुसार क्रिया का प्रयोग करना चाहिए ।
अनुवाद के लिए कुछ सरलतम प्रयोग
वाक्य-रचना (अनुवाद) के लिए नीचे प्रथम पुरुष के कर्ता (कर्तृ-पद) हेतु क्रमशः (1), (2), (3), मध्यम पुरुष के कर्ता हेतु (4), (5), (6) तथा उत्तम पुरुष के कर्ता हेतु (7), (8), (9) संख्यांक दिये जा रहे हैं। 1 से 9 तक के संख्यांक कर्ता-पदों को गिनने के लिए हैं। जैसे –
इसी प्रकार नीचे प्रथम पुरुष की क्रिया-पद हेतु क्रमशः (1), (2), (3), मध्यम पुरुष की क्रिया-पद हेतु (4), (5), (6) तथा उत्तम पुरुष की क्रियापद हेतु (7), (8), (9) के संख्यांक अनुवाद के लिए दिये जा रहे हैं। इनके ऊपर 1 से 9 तक के अंक इन क्रिया-पदों को गिनने की सुविधा के लिए रखे गये हैं। जैसे –
ध्यान दें-ऊपर कर्तृ-पदों की तालिका है और नीचे क्रिया-पदों की तालिका है। यदि हम क्रम से दोनों को जोड़ेंगे तो वाक्य-रचना शुद्ध एवं सरल होगी। करना यह है कि ऊपर की तालिका में अंक (1) पर जो कर्ता है उसके साथ नीचे की तालिका के अंक (1) पर जो क्रिया है, उसे लिखना है। इस प्रकार दोनों शब्दों को जोड़कर वाक्य बनेगा : बालिका पठति। (लड़की पढ़ती है ।) यहाँ यह ध्यान रखें कि नं. (1) के कर्ता के साथ नं. (1) की क्रिया ही लगेगी। नं. (2) के साथ नं. (2) की, इसी प्रकार नं. (3) के साथ नं. (3) की और नं. (9) के साथ नं. (9) की ही क्रिया लगेगी, कोई अन्य नहीं। क्रमशः (1), (2), (3) प्रथम पुरुष के कर्ता-पदों के साथ (1), (2), (3) प्रथम पुरुष के क्रिया-पदों को जोड़कर निम्नवत् वाक्य-रचना होगी –
ध्यान दें कि प्रथम पुरुष के कर्ता के रूप में किसी भी संज्ञा अथवा सर्वनाम पद का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे-‘पठति’ के साथ ‘रामः,’ ‘सः’ तथा ‘सा’ के प्रयोग से क्रमशः रामः पठति, सः पठति तथा सा पठति-वाक्य । भी बन सकते हैं ।
इसी प्रकार (4), (5), (6) मध्यम पुरुष के कर्तृ-पदों के साथ (4), (5), (6) मध्यम पुरुष के क्रिया-पदों को जोड़कर निम्नवत् वाक्य-रचना होगी :
इसी प्रकार (7), (8), (9) उत्तम पुरुष के कर्तृ-पदों के साथ (7), (8), (9) उत्तम पुरुष के क्रिया-पदों को जोड़कर निम्नवत् वाक्य-रचना होगी –
2. लङ् लकार ( भूतकाल) पद् धातु पढ़ना)
3. लृट् लकार ( भविष्यत् काल) लिख ( लिखना) धातु
4. लोट् लकार (आज्ञार्थक) कथ्-कथय् ( कहना) धातु
5. विधिलिङ् लकार (प्रेरणार्थक – चाहिए के अर्थ में) हस् (हँसना ) धातु
अभ्यास
प्रश्न 1
निम्न वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए –
(1) मोहन दौड़ता है।
(2) दो बालक पढ़ते हैं।
(3) वे सब दूध पीते हैं।
(4) तुम पत्र लिखते हो।
(5) तुम दोनों चित्र देखते हो।
अनुवाद-
(1) मोहनः धावति।
(2) बालकौ पठतः।
(3) ते दुग्धं पिबन्ति ।
(4) त्वं पत्रं लिखसि ।
(5) युवां | चित्रं पश्यथः।
प्रश्न 2
निम्न वाक्यों की संस्कृत में अनुवाद कीजिए –
(1) वह गाँव को गया।
(2) वे दोनों बार्ग को गये।
(3) तुम लोग कहाँ गये ?
(4) शिशु भयभीत था ।
(5) मैंने चोरों को देखा।
अनुवाद-
(1) सः ग्रामम् अगच्छत्।
(2) तौ उद्यानम् अगच्छताम्।
(3) यूयं कुत्र अगच्छत ?
(4) शिशुः भयभीतः आसीत् ।
(5) अहं चौरान् अपश्यम्।
प्रश्न 3
निम्न वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए –
(1) ब्रह्मदत्त जायेगा।
(2) मोहन पत्र लिखेगी।
(3) लड़के पाठ पढ़ेंगे।
(4) तुम पाठ याद करोगे।
(5) सीता वन को जायेगी।
अनुवाद –
(1) ब्रह्मदत्तः गमिष्यति।
(2) मोहनः पत्रं लेखिष्यति।
(3) बालकाः पाठं पठिष्यन्ति।
(4) त्वं पाठे स्मरिष्यसि।
(5) सीता वनं गमिष्यति।
प्रश्न 4
निम्न वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
(1) राधा पाठ पढे।
(2) छात्र भोजन करें।
(3) राजा धन दे।
(4) ईश्वर जीवन बचाये।
(5) हम चित्र देखें।
अनुवाद –
(1) राधा पाठं पठतु।
(2) छात्राः भोजनं कुर्वन्तु।
(3) नृपः धनं यच्छतु।
(4) ईश्वरः जीवनं रक्षतु।
(5) वयं चित्रं पश्याम।
प्रश्न 5
निम्न वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद कीजिए-
(1) बच्चों को भयभीत नहीं होना चाहिए।
(2) तुम सभी को देश की रक्षा करनी चाहिए।
(3) लड़की को | हँसना नहीं चाहिए।
(4) उसे विद्वान् का सम्मान करना चाहिए।
(5) हमें शिक्षकों की आज्ञा माननी चाहिए।
अनुवाद –
(1) शिशवः भयभीताः न भवेयुः।
(2) यूयं देशस्य रक्षां कुर्यात।
(3) बालिका ने हसेत्।
(4) सः विदुषः सम्मानं कुर्यात्।
(5) वयं शिक्षकानाम् आज्ञापालनं कुर्याम।
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