Rajasthan Board RBSE Class 7 Sanskrit व्याकरण प्रत्यय प्रकरण
धातुओं (मूले क्रियाओं) और संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों के पश्चात् जुड़कर उनके नवीन अर्थों को प्रकट करने वाले शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं । जो धातुओं के बाद लगकर उनसे नये रूप का निर्माण करते हैं, वे कृत् प्रत्यय कहलाते हैं तथा जो संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के बाद लगते हैं, वे तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं । | यहाँ हम कुछ प्रमुख प्रत्ययों की जानकारी दे रहे हैं :
1.कृत प्रत्यय
1. क्त एवं क्तवतु प्रत्यय –
किसी कार्य की समाप्ति का ज्ञान कराने के लिए अर्थात् भूतकाल के अर्थ में | कर्मवाच्य एवं भाववाच्य में क्त का और कर्तृवाच्य में | क्तवतु प्रत्यय का प्रयोग होता है।
(i) क्त प्रत्यय के उदाहरण-
(ii) क्तवतु प्रत्यय के उदाहरण-
2. क्त्वा-जहाँ दो या दो अधिक क्रियाओं का एक ही कर्ता होता है वहाँ ‘करे या करके अर्थ में धातु से क्त्वा प्रत्यय होता है । क्त्वा का त्वा शेष रहता है । इससे बने | शब्द का प्रयोग अव्यय की तरह होता है। उदाहरण-
3.ल्यप्-ल्यप् प्रत्यय भी क्त्वा के ही समान धातु से कर या करके अर्थ में प्रयुक्त होता है । धातु से पूर्व कोई अव्यय, उपसर्ग होता है तो ‘क्त्वा’ के स्थान पर ‘ल्यप् होता है । ल्यप् का य शेष रहता है । इससे बने शब्द का प्रयोग अव्यय की तरह होता है। उदाहरण-
(4) तुमुन्-को, के लिए का अर्थ प्रकट करने के लिए धातु से तुमुन् प्रत्यय प्रयुक्त होता है । तुमुन् का तुम् शेष रहता है। उदाहरण-
(5) तव्यत्-इस प्रत्यय का प्रयोग चाहिए अथवा योग्य के अर्थ में किया जाता है । तव्यत् का तव्य शेष रहता है। तव्यत् प्रत्ययान्त शब्द कर्मवाच्य में तथा भाववाच्य में प्रयुक्त होता है। इसमें कर्म के अनुसार लिंग, विभक्ति, वचन होता है । उदाहरण-
(6) अनीयर्-यह प्रत्यय भी धातु से ‘चाहिए’ अर्थ में प्रयुक्त होता है । अनीयर् का ‘अनीय’ शेष रहता है यह प्रत्यय सकर्मक धातुओं से कर्म तथा अकर्मक धातुओं से भाव में होता है । उदाहरण-
(7) यत्-यह प्रत्यय भी धातु से चाहिए या योग्य के अर्थ में प्रयुक्त होता है । यत् का य शेष रहता है । यत् प्रत्यय भी सकर्मक धातुओं से कर्म में व अकर्मक धातु से भाव में होता है । उदाहरण-
2. तद्धित प्रत्यय (तरप् एवं तम)
संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों में जोड़े जाने वाले प्रत्यय ‘तद्धित’ प्रत्यय कहे जाते हैं। तद्धित प्रत्ययों में ‘तरप्’ आदि प्रत्यय आते हैं। संस्कृत में विशेषण की निम्न तीन अवस्थाएँ मानी जाती हैं-
(i) साधारण अवस्था – साधारण अवस्था में विशेषण की स्थिति जैसी की तैसी बनी रहती है, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता।
(ii) तुलनात्मक अवस्था – दो की तुलना में एक की विशेषता बताने के लिए ‘तरप्’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है । ‘तरप्’ का ‘तर’ शेष रहता है । ‘तरप्’ प्रत्यय से बने शब्द के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं ।
(iii) अतिशयावस्था – बहुतों में से एक की विशिष्टता बताने के लिए ‘तमप्’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है। ‘तमप्’ का ‘तम’ शेष रहता है । ‘तमप्’ प्रत्यय से बने शब्द के रूप भी ‘तरप्’ के समान तीनों लिंगों में चलते हैं ।
पाठ्यपुस्तकस्य उदाहरणानि
1. गम् + क्त्वा = गत्वा
2. वच् + क्तवतु = उक्तवान्
3. मृ + अनीयर् । = मरणीयः
4. सूचित् + क्तवतु। = सूचितवान्
5. श्रु + क्त्वा = श्रुत्वा
6. आ + गम् + क्तवतु = आगतवान्
7. गम् + क्तवतु = गतवान्
8. ग्रह् + क्त्वा = ग्रहीत्वा
9. प्रस्थित + क्तवतु . = प्रस्थितवान्
10.दृश् + क्त्वा = दृष्ट्वा
11. आ + गम् + ल्यप् = आगत्य
12. पतित् + क्तवतु = पतितवान्
13. जीव् + क्तवतु= जीवितवान्
14. श्रु + क्तवतु = श्रुतवान्
15. मिल + क्त्वा = मिलित्वा
16. कृ + अनीयर् = करणीयः
17. प्रविश् + तुमुन् । = प्रवेष्टुम्
18. वि + लुक् + ल्यप् = विलोक्य
19. उपस्थित + क्तवतु (स्त्रीलिंग) = उपस्थितवती
20. मेल् + तुमुन् = मेलितुं
21. प्रेरित + क्तवतु (स्त्रीलिंग) प्रेरितवती
22. आ + युज् + ल्यप् = आयोज्य
23. आ + गम् + क्त = आगतः
24. समर्पित् + क्तवतु = समर्पितवान्
25. स्वी + कृ + ल्यप् = स्वीकृत्य
26. सङ्कल्प + क्तवतु = सङ्कल्पितवान्
27. दृश् +तुमुन् । = दृष्टु
28. ज्ञा + तुमुन् । = ज्ञातुम्
29. प्र + क्षाल् + ल्यप् = प्रक्षाल्य
30. निवारय + तुमुन् । = निवारयितुं
अभ्यासः 1
प्रश्न 1.
‘कर्त्तव्यम्’ पदे कि प्रत्ययं अस्ति –
(अ) तव्यत्
(ब) तुमुन्
(स) क्तवतु
(द) क्त
उत्तर:
अ
प्रश्न 2.
‘आगत्य’ पदे किं प्रत्ययं अस्ति-
(अ) तव्यत्
(ब) ल्यप्
(स) तुमुन्
(द) क्तवतु
उत्तर:
ब
प्रश्न 3.
‘रचयित्वा’ पदे कि प्रत्ययं अस्ति –
(अ) क्त
(ब) तुमुन्
(स) क्त्वा
(द) ल्यप् ।
उत्तर:
से
प्रश्न 4.
‘गत्वा’ पदे कि प्रत्ययं अस्ति-
(अ) अनीयर्
(ब) तुमुन्
(स) तव्यत्
(द) क्त्वा
उत्तर:
द
प्रश्न 5.
‘गतवान्’ पदे कि प्रत्ययं अस्ति-
(अ) क्तवतु
(ब) ल्यप्
(स) क्त्वा
(द) अनीयर्
उत्तर:
अ।
अभ्यासः 2
निम्नलिखित शब्दों के प्रकृति-प्रत्यय लिखिए –
1. त्यक्तुम्
2. नियन्तुम्
3. द्रष्टुम्
4. मृताः
5. स्थापयितुम्
6. प्राप्तवान्
7. कथितवान्
8. स्थापयित्वा
9. उक्तवान्
10. समर्पितवान्
उत्तराणि :
1. त्यज् + तुमुन्
2. नि + यम् + तुमुन्
3. दृश् + तुमुन्
4. मृ + क्त
5. स्था + णिच् + तुमुन्
6. प्र + आप् + क्तवतु
7. कथ् + क्तवतु
8. स्था + णिच् + क्त्वा
9. वच् + क्तवतु
10. सम् + अ + क्तवतु ।
Leave a Reply