RBSE Solutions for Class 7 Social Science Chapter 15 वृहत्तर भारत are part of RBSE Solutions for Class 7 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Chapter 15 वृहत्तर भारत.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 7 |
Subject | Social Science |
Chapter | Chapter 15 |
Chapter Name | वृहत्तर भारत |
Number of Questions Solved | 49 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Chapter 15 वृहत्तर भारत
पातुगत प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न
1. इस मानचित्र के वर्णित स्थानों के बारे में यह जानने का प्रयत्न करें कि आज हमारी संस्कृति प्रभाव किन-किन क्षेत्रों में तथा कैसा रहा है। (पृष्ठ118)
2. भारतीय संस्कृति के विभिन्न देशों पर पड़े प्रभाव को जानें एवं उसके उदाहरण अपनी नोटबुक में लिखें। (पृष्ठ 123)
3. विश्व में मानचित्र में उन स्थानों को चिह्नित करें जहाँ भारतीय संस्कृति का प्रभाव रहा है। (पृष्ठ 124)
4. वृहत्तर भारत की सीमाओं को मानचित्र में प्रदर्शित करें। (पृष्ठ 124)
उत्तर
भारत दक्षिण एशिया का विशालतम एवं सांस्कृतिक विविधताओं वाला देश हैं। यहाँ की संस्कृति एवं परम्पराओं का प्रभाव पड़ोसी देशों व अन्य देशों की सभ्यता पर भी दृष्टिगोचर होता है। चीन, बर्मा, थाइलैण्ड, सुमात्रा, जावा द्वीप, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कम्बोडिया, श्रीलंका आदि कई देशों की सभ्यता में भारत की संस्कृति की झलक मिलती है। इसके कुछ उदाहरण हैं-
- चीनी भाषा में भारत के संस्कृत ग्रंथों का अनुवाद किया जाना।
- इण्डोनेशिया का इस्लामिक देश होने के बावजूद भारतीय संस्कृति को अपनाना
- वियतनाम के अभिलेखों में संस्कृत छन्दों व अलंकारों का प्रयोग
- हिन्दी चीनी भागों में पाली भाषा को प्रयोग जो संस्कृत से उपजी हैं।
- रामायण व महाभारत ग्रंथों का जावी भाषा में जावा में अनुवाद।
- वर्मा व सिंहल ( श्रीलंका) में बौद्ध पाली साहित्य का सृजन।
- वर्मा व थाइलैण्ड़ में बौद्ध धर्म को राष्ट्र धर्म के रूप में ग्रहण करना।
- भारतीय खेल जैसे जुआ, मुर्गों की लड़ाई, संगीत नृत्य और नाटक आदि का जावा में प्रचलन ।
पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न एक व दो के सही उत्तर चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
चम्पा में कितने संस्कृत अभिलेख मिले हैं?
(अ) 50 से अधिक
(ब) 70 से अधिक
(स) 150 से अधिक
(द) 100 से अधिक
उत्तर
(द) 100 से अधिक
प्रश्न 2.
कम्युज के कौन-से नरेश ने कुल 325 छन्दों के घार अभिलेखों की रचना की?
(अ) जयवर्मन
(ब) यशोवर्मन
(स) राजवर्मन।
(द) बहुवर्मन।
उत्तर
(ब) यशोवर्मन
प्रश्न 3.
जावा की सबसे लोकप्रिय मूर्ति का नाम क्या हैं?
उतर
भटार गुरु।
प्रश्न 4.
भारतीय वर्ण व्यवस्था में वर्णित चार वर्षों के नाम लिखिए
उत्तर
(i) ब्राह्मण
(ii) क्षत्रिय
(iii) वैश्य
(iv). शुद्र।
प्रश्न 5.
वयंग क्या है? स्पष्ट करें
उत्तर
वयंग जावा का लोकप्रिय नाटक हैं। वास्तव में यह नाटक ‘छाया नाट्य’ का ही रूप है जिसमें छायाकृति द्वारा पुतलियों का अभिनय कराया जाता है। ‘वयंग’ के कथानक मुख्यतया रामायण एवं महाभारत से लिए गए हैं।
प्रश्न 6.
‘घरोबोदर’ व ‘लोरो-जंगरंग’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?
उत्तर
बरोबोदूर- यह जावा में स्थित एक मन्दिर है। यह 750 से 850 ई. के बीच बना था। इस मन्दिर में एक के ऊपर एक नौ मंजिलें बनी हुई हैं। इस मन्दिर के बरामदे में मूर्तियों की पंक्तियाँ विद्यमान हैं। इन मूर्तियों की कुल संख्या 1500 हैं।
लोरो-जंगरंग- यह भी जावा में स्थित एक मन्दिर है। भव्यता के मामले में इस मन्दिर का बरोबोदूर के बाद दूसरा स्थान हैं। इसके अन्तर्गत आठ मुख्य मन्दिर हैं जिनमें शिव, विष्णु एवं ब्रह्मा की मूर्तियाँ विद्यमान हैं।
प्रश्न 7.
अंगकोर वाट के मन्दिर पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर
अंगकोर वाट का मन्दिर-यह कम्बुज (कम्बोडिया) में स्थित विष्णु मन्दिर का नाम हैं। इस मन्दिर के मध्य और किनारे के शिखर उत्तर भारतीय शैली में निर्मित हैं। इस मन्दिर की सान्यता बहुत हद तक भारतीय मन्दिरों से है। मन्दिर की चारदीवारी से बाहर 60 फीट चौड़ी खाई हैं। और 36 फीट चौड़ा पत्थर का रास्ता है। इस मन्दिर के अन्तिम मंजिल का केन्द्रीय शीर्ष जमीन से 210 फीट की। ऊँचाई पर है। संसार की वास्तुकला में अंगकोर वाट के मन्दिर का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।
प्रश्न 8.
भाषा साहित्य के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति के प्रभाव का वर्णन करो?
उत्तर
भाषा साहित्य के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति का प्रभाव बहुत व्यापक रहा है। तब के समय में भारतीय संस्कृति को वाहक संस्कृत में लिखे गए अभिलेख बर्मा, स्याम, मलय प्रायद्वीप, कम्बोडिया, अन्नाम, सुमात्रा, जावा और बोर्निया आदि स्थानों में पाए गए हैं। पूर्वी एशिया के वियतनाम, कम्बोडिया आदि राष्ट्रों के अधिकांश भागों में जो पालि भाषा बोली जाती है वह संस्कृत से ही निकली हुई है। इसी तरह चम्पा में 100 से अधिक अभिलेख संस्कृत भाषा के मिले हैं जो भारतीय संस्कृति के प्रभाव की ओर संकेत करते हैं। इसी प्रकार काम्बुज में मिले अभिलेखों की संख्या न केवल चम्पा के अभिलेखों से अधिक है बल्कि वे साहित्य की दृष्टि से भी उच्चकोटि के हैं। विभिन्न स्थानों पर जो भी अभिलेख प्राप्त हुए हैं उन पर रामायण, महाभारत, पुराण एवं भारतीय दर्शन तथा आध्यात्मिक विचारों की गहरी अप दिखाई पड़ती है जिससे यह स्पष्ट होता है कि तत्कालीन समय में भारतीय संस्कृति का प्रभाव सर्वव्यापी था।
प्रश्न 9.
समाज एवं धर्म के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति के प्रभाव का वर्णन करो।
उत्तर
समाज के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति का प्रभावभारतीय संस्कृति में विद्यमान वर्ण व्यवस्था का प्रभाव बाली एवं कम्योज की जाति व्यवस्था में दिखाई पड़ता है। यहाँ पर विवाह का स्वरूप, अलग-अलग प्रकार के रीति-रिवाज सामान्यतया भारत के समाज की तरह ही हैं। भारत के समाज की तरह यहाँ पर भी सती प्रथा का प्रचलन था और पद-प्रथा नहीं थी। मुख्य खाद्यान्न चावल और गेहूं का होना, आभूषण एवं वस्त्रों का पहनना तथा पान खाने की आदत-ये सत्र भारत की ही तरह थे।
धर्म के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति का प्रभाव- बर्मा और स्याम में सभी हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ पाई गई हैं। भारतीय संस्कृति के प्रभाव के कारण ही जावा की अत्यन्त लोकप्रिय मूर्ति ” भटार गुरु’ को कुछ लोग भारतीय ऋषि अगस्त्य का अतीक मानते हैं।
प्रश्न 10.
बर्मा के ‘आनन्द’ मन्दिर का वर्णन करते हुए इयूरोसाईल के कथन का विश्लेषण करें ?
उत्तर
वर्मा का आनन्द मन्दिर-आनन्द मन्दिर वर्मा का सर्वोत्तम मन्दिर है। यह मन्दिर 561 वर्गफीट के चौकौर आँगन के बीच में स्थित है। मुख्य मन्दिर वर्गाकार हैं और ईटों का बना हुआ है। पत्थर पर खुदी हुई मूर्तियों और दीवार पर लगे मिट्टी के चमकीले फलकों के कारण इस मन्दिर की सुन्दरता बहुत अधिक बढ़ गई है। इस मन्दिर में पत्थर पर खुदी हुई मूर्तियों की संख्या 50 हैं। इन मूर्तियों के द्वारा बुद्ध के जीवन को मुख्य घटनाएँ दर्शाई गई हैं। महत्त्वपूर्ण बात यह हैं कि यह मन्दिर भारतीय शैली में ही विकसित किया गया है। “आनन्द’ मन्दिर के सम्बन्ध में इयूरोसाईल नामक विद्वान का कञ्चन-इस विद्वान का यह मानना है कि आनन्द का मन्दिर -वर्मा की राजधानी में बने होने के बावजूद भारतीय मन्दिर ही है क्योंकि जिन वास्तुकारों ने इस मन्दिर का निर्माण किया थे भारतीय ही थे। पत्थर की मूर्तियाँ, उनकी कुर्सियों, गलियारों में लगे मिट्टी के फलक आदि भारतीय शैली में ही बने हुए हैं। निष्कर्ष रूप में ड्यूरोसाईल का यह कहना है कि भले हीं आनन्द मन्दर बर्मा में स्थित हो किन्तु इसके समस्त लक्षण भारतीय हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में किसके शासन काल तक भारत कला, साहित्य, शिक्षा और विज्ञान में सम्पूर्ण विश्व में आगे था?
(अ) चन्द्रगुप्त मौर्य के काल तक
(ब) हर्ष के काल तक
(स) अशोक के काल तक
(द) टीपू सुल्तान के काल तक
उत्तर
(ब) हर्ष के काल तक
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में किसके अनुसार ‘द्वीपान्तर भारत का आविर्भाव हुआ?
(अ) अग्नि पुराण
(ब) शिव पुराण
(स) रामायण
(द) महाभारत
उत्तर
(अ) अग्नि पुराण
प्रश्न 3.
हिन्द-चीन के अधिकांश भागों में आज भी बोली जाती
(अ) प्राकृत भाषा
(ब) संस्कृत भाषा
(स) हिन्दी भाषा
(द) पालि भाषा
उत्तर
(द) पालि भाषा
प्रश्न 4.
राजा यशोवर्मन द्वारा स्थापित आश्रमों की संख्या धी?
(अ) 98
(ब) 99
(स) 100
(द) 101
उत्तर
(स) 100
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किस शासक ने अपने पुत्र पुत्री को बौद्ध धर्म के स्थाई प्रचारक के रूप में नियुक्त किया?
(अ) अशोक
(ब) चन्द्रगुप्त मौर्य
(स) रामगुप्त
(द) राणाप्रताए
उत्तर
(अ) अशोक
प्रश्न 6.
इयूरोसाईल ने विशेष अध्ययन किया है
(अ) आनन्द मन्दिर का
(ब) अंगकोर वाट मन्दिर का
(स) बरोबोदूर
(द) लोरो-जंगरंग मन्दिर का
उत्तर
(अ) आनन्द मन्दिर का
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. इण्डोनेशिया का अर्थ…………
2. चम्पा के…………. नरेशों के विद्वान होने का उल्लेख मिलता है।
3. यशोवर्मन के चार अभिलेख क्रमश: 50, 75,93 और……… दों के हैं।
4. वृहत्तर भारत में …………….द्वारा लिखित व्याकरण प्रसिद्ध था।
5. बौधिरुचि नामक विद्वान ………….में नालन्दा से चीन गया।
उत्तर
1. भारतीय द्वीप
2. तीन
3. 108
4. पाणिनि
5. 693 ई.
अति लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु क्यों कहलाता था?
उत्तर
क्योंकि प्राचीन काल में भारत साहित्य, शिक्षा और विज्ञान में सम्पूर्ण विश्व में आगे था।
प्रश्न 2.
प्राचीन भारत में शिक्षा के बड़े केन्द्रों के नाम लिखिए?
उत्तर
प्राचीन भारत में शिक्षा के बड़े केन्द्र नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला और गया के विश्वविद्यालय थे।
प्रश्न 3.
उन चीनी यात्रियों के नाम लिखिए जिन्होंने प्राचीन भारत की यात्रा की?
उत्तर
फायन, वेनसांग और इत्सिंग।
प्रश्न 4.
प्राचीन भारत से कौन-सी वस्तुएँ विदेशों को निर्यात की जाती थीं।
उत्तर
प्राचीन भारत में मलमल, छींट, रेशम, जरी के वस्त्र, नील, गरम मसाले और लौह इस्पात की वस्तुएँ आदि भारी मात्रा में विदेशों को निर्यात की जाती र्थी।
प्रश्न 5.
विदेशों में भारतीय वस्तुओं का व्यापार कहाँ से कहाँ तक होता था?
उत्तर
विदेशों में भारतीय वस्तुओं का व्यापार जावा-सुमात्रा आदि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों तथा पश्चिम तथा मध्य एशिया के आगे तक होता था।
प्रश्न 6.
इस बात का अन्लेख कहाँ मिलता है कि जम्बूदीप से अलग ‘द्वीपान्तर भारत’ का आविर्भाव हुआ?
उत्तर
इस बात का उल्लेख अग्नि पुराण में मिलता है।
प्रश्न 7.
इण्डोनेशिया का अर्थ क्या है?
उत्तर
इण्डोनेशिया का अर्थ ‘ भारतीय द्वीप’ है।
प्रश्न 8.
चम्पा में कितने संस्कृत अभिलेख मिले हैं?
उत्तर
100 से अधिक संस्कृत अभिलेख मिले हैं।
प्रश्न 9.
किस स्थान पर मिले संस्कृत के अभिलेख साहित्य की दृष्टि से उच्चकोटि के हैं?
उत्तर
कम्युज में मिले अभिलेख।
प्रश्न 10.
किन भारतीय रचनाओं का जावी भाषा के गद्य में अनुवाद किया गया?
उत्तर
रामायण एवं महाभारत का।
प्रश्न 11.
भारत एवं चीन के सम्बन्धों का लम्बा इतिहास कब से प्रारम्भ होता है?
उत्तर
दूसरी शती ई. पूर्व से प्रारम्भ होता है।
प्रश्न 12.
नियती लामा धर्म की नींव किसने रखी?
उत्तर
तिब्बती लामा धर्म को नव शांति रक्षित और परमसंभव नामक विद्वानों ने रखी।
प्रश्न 13.
बर्मा और स्याम का मुख्य धर्म क्या था?
उत्तर
बर्मा और स्याम का मुख्य धर्म बौद्ध धर्म था।
प्रश्न 14.
जावा के प्रसिद्ध मन्दिर बरोबोदर के बाद किस अन्य प्रसिद्ध मन्दिर का स्थान आता है?
उत्तर
ला-जंगरंग मन्दिर का।
प्रश्न 15.
वर्मा के सर्वोत्तम मन्दिर का नाम क्या हैं?
उत्तर
बर्मा के सर्वोत्तम मन्दिर का नाम आनन्द मन्दिर है।
प्रश्न 16.
‘जिन वास्तुकारों ने आनन्द मन्दिर का नियोजन व निर्माण किया, वे निःसंदेह भारतीय थे। यह कथन किसका
उत्तर
यह कथन प्रसिद्ध विद्वान ड्यूरोसाईल का है।
प्रश्न 17.
आनन्द मन्दिर में पत्थरों पर की मूर्तियों की संख्या कितनी है?
उत्तर
आनन्द मन्दिर में पत्थरों पर उत्कीर्ण मूर्तियाँ की संख्या 80 है।
लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वृत्तर भारत का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर
प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण तथ्य यह हैं कि भारत की सीमाओं के बाहर के देशों के जीवन और संस्कृति पर भी भारतीय संस्कृति का प्रभाव पड़ा। सीमा के बाहर के देशों में भारतीय दर्शन एवं विचार का प्रवेश हुआ। परिणामस्वरुप वहाँ भी भारतीय संस्कृति पल्लवित एवं पुष्पित हुई । इस प्रकार व्यापक विदेशी क्षेत्रों पर भारतीय संस्कृति के प्रभाव के कारण वृहत्तर भारत का निर्माण हुआ।
प्रश्न 2.
प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु क्यों कहलाता था?
उत्तर
प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु इसलिए कहलाता था क्योंकि यह कला, साहित्य, शिक्षा एवं विज्ञान में सम्पूर्ण विश्व में आगे था। यहीं नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला और गया में विश्वविद्यालय स्थित थे जो कि शिक्षा के बड़े केन्द्र थे। इन विश्वविद्यालयों की प्रसिद्धि इतनी थी कि भारत के अतिरिक्त यहाँ पर चीन, जापान, तिब्बत, औलंका, कोरिया, मंगोलिया आदि देशों के विद्यार्थी भी इन विश्वविद्यालयों में ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे।
प्रश्न 3.
भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रचार-प्रसार कैसे हुआ?
उत्तर
भारत की प्रसिद्धि दूर-दूर तक थी। ऐसी दशा में विदेशियों का आकर्षित होना स्वाभाविक था। परिणाम स्वरूप अनेक विदेशी यात्री भारत आए। फाह्यान, ह्वेनसांग एवं इत्सिंग नामक चीनी यात्री इसी तरह के यात्री थे। इन लोगों ने भारत में रहकर भारतीय ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन किया। स्वदेश लौटते समय वे भारत की संस्कृति, साहित्य और ज्ञान अपने साथ ले गए। इन्होंने भारतीय ग्रन्थों का अपनी भाषा में अनुवाद किया। इस तरह भारतीय संस्कृति का विदेशों में प्रचार-प्रसार हो गया।
प्रश्न 4.
प्राचीन भारत में उद्योग एवं व्यापार की क्या स्थिति थीं?
उतर
प्राचीन समय में भारतीय उद्योग एवं व्यापार बहुत अच्छी दशा में थे। भारतीय वस्तुओं की विदेशों में बहुत अच्छी माँग थी। बहुत सी भारतीय वस्तुएँ निर्यात की जाती थीं। व्यापार थल एवं जल-इन दोनों मार्गों से होता था। भारत से मलमल, छींट, रेशम व जरी के वस्त्र, नील, गरम मसाले, लौह इस्पात और अन्य इसी प्रकार की वस्तुएँ निर्यात की आती थी। ये वस्तुएँ जावा-सुमात्रा आदि दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों तथा पश्चिम व मध्य एशिया से आगे भेजी जाती थीं।
प्रश्न 5.
भारतीय संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, धर्म एवं दर्शन विदेशों तक कैसे पहुँचा?
उत्तर
चूँकि भारत में बनी व्यापारिक वस्तुओं की विदेशों में भारी माँग थी। भारतीय वस्तुएँ जावा सुमात्रा आदि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों एवं पश्चिम वे मध्य एशिया के आगे तक भेजी जाती थीं। ऐसी दशा में इन क्षेत्रों में व्यापारियों का आना-जाना लगा रहता था। यहाँ तक कि कुछ क्षेत्रों में भारतीय लोगों ने अपनी बस्तियाँ भी बसा लीं। इस प्रकार वस्तुओं का ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, साहित्य और धर्म का भी विदेशों में प्रचार-प्रसार हुआ।
प्रश्न 6.
भारत की सभ्यता एवं संस्कृति के विस्तार पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का विस्तार बर्मा, स्याम, मलय प्रायद्वीप, कम्बोडिया, सुमात्रा, जावा, बोर्निया, बाली, अन्नाम, सुवर्णदीप, हिन्द-चीन आदि स्थानों तक है। आज भी इन स्थानों के अनजीवन में भारतीय संस्कृति का प्रभाव देखने को मिलता है। इन स्थानों पर मिलने वाले प्राचीन अवशेषों से इन स्थानों की संस्कृति और निवासियों के जीवन पर भारतीय संस्कृति के गहरे प्रभाव एवं सम्बन्धों का पता चलता हैं।
प्रश्न 7.
भारतीय संस्कृति एवं स्थानीय संस्कृति के सम्मिश्रण से नई संस्कृति का जन्म कैसे हुआ?
उत्तर
लोगों ने भारतीय सभ्यता को जाना-समझा और अपना लिया। भारत की भाषा, साहित्य, धर्म, कला और राजनीतिक तथा सामाजिक संस्थाओं ने अपने सम्पर्क में आए लोगों पर अपना सांस्कृतिक प्रभाव जमाया और वहाँ की स्थानीय संस्कृति के साथ मिलकर एक नई संस्कृति को जन्म दिया।
प्रश्न 8.
संस्कृत में लिखे अभिलेख कहाँ-कहाँ पाए गए हैं? इनकी विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर
संस्कृत में लिखे गए अभिलेख बर्मा, स्याम, मलय प्रायद्वीप, कम्बोडिया, अन्नाम, सुमात्रा, जावा और बोर्निया में पाए गए हैं। इन अभिलेखों में बहुत से अभिलेख साहित्य की दृष्टि से उच्चकोटि के हैं तथा सुन्दर काव्य शैली में लिखे गए हैं। इन अभिलेखों में सामान्यतया संस्कृत साहित्य के सभी छन्दों का उपयोग किया गया है। इनमें संस्कृत व्याकरण, अलंकार और इन्द्र शास्त्र के विकसित सिद्धान्तों का पूर्ण ज्ञान प्रकट होता है। यही नहीं इन अभिलेखों में रामायण, महाभारत, पुराण, भारतीय दर्शन एवं आध्यात्मिक विचारों का गहरा ज्ञान निहित है।
प्रश्न 9.
कम्बद्ध के अभिलेखों से क्या ज्ञात होता है? राजा यशोवर्मन ने क्या कार्य किए ?
उत्तर
कम्युज से प्राप्त अभिलेखों से यह ज्ञात होता है कि अनेक विद्वान व्यक्ति भारत से अम्बुज जाते थे और वहाँ उन्हें अत्यधिक सम्मान प्राप्त होता था। कम्बुज के भी कई विद्वान भारत की यात्रा करते थे। इससे संस्कृतियों का आदान-प्रदान होता रहता था। राजा यशोवर्मन ने कम्बुज में 100 आश्रम स्थापित किए थे। इन आश्रमों में बच्चों, वृद्धों, गरीबों और असहायों आदि की देखभाल की जाती थी। इतना ही नहीं इन आश्रमों ने भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के विस्तार का कार्य भी किया।
दीर्य उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वृहत्तर भारत में भारतीय संस्कृति और ज्ञान विज्ञान के प्रसार का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर
वृहत्तर भारत में भारतीय संस्कृति का प्रचार एवं प्रसार कई कारणों से हुआ। इन कारणों को समझकर ही हम भारतीय संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान का मूल्यांकन कर सकते हैं। प्राचीन समय में भारत में नालन्दा, तक्षशिला, विक्रमशिला और गया के विश्वविद्यालय शिक्षा के बड़े केन्द्र थे। इनमें भारत के अलावा चीन, जापान, तिब्बत, श्रीलंका, कोरिया और मंगोलिया आदि देशों के विद्यार्थी और जिज्ञासु ज्ञान प्राप्त करने आते थे। इस तरह भारतीय संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान का प्रसार विदेशों में हुआ।विदेशी यात्रियों फाह्यान, ह्वेनसांग और इत्सिंग नामक चीनी यात्रियों के कारण भी भारतीय संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान का प्रसार विदेशों में हुआ क्योंकि इन्होंने यहाँ रहकर भारतीय ज्ञान-विज्ञान का अध्ययन किया और स्वदेश लौटते समय अपने साथ भारत की संस्कृति, साहित्य और ज्ञान अपने साथ ले गए। यहीं नहीं इन लोगों ने भारतीय ग्रन्थों का अपनी भाषा में अनुवाद किया जिसके कारण भारतीय संस्कृति का विदेशों में अत्यन्त प्रचार-प्रसार हो गया। भारत के विदेशों के साथ होने वाले व्यापार ने भी भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। व्यापारिक वस्तुओं के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान का भी विदेशों में प्रचार व प्रसार हुआ।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए
(क) सांस्कृतिक आदान प्रदान की दृष्टि से भारत का चीन के साथ सम्बन्।
(ख) तिब्बत में भारतीय संस्कृति का प्रभाव।
(ग) भारतीय संस्कृति के प्रसार में सम्राट अशोक का योगदान।
उत्तर
(क) भारत का चीन के साथ सम्बन्ध- भारत एवं चीन के सम्बन्धों का सिलसिला दूसरी शती ई. पूर्व से ही
प्रारम्भ हो गया था। भारत के अलग अलग हिस्सों से चीन में जाकर बहुत से भारतीय विद्वानों ने संस्कृत ग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद किया। चालुक्य राज सभा में नियुक्त चीनी राजदूत के साथ बोधिरुचि नामक विद्वान 693 ई. में नालन्दा से चीन गया और वहाँ पर 53 ग्रन्थों का अनुवाद किया।
(ख) तिब्बत में भारतीय संस्कृति का प्रभाव- तिब्बत आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति के प्रभाव में रहा है। शान्ति रक्षित और पद्मसम्भव नामक विद्वान तिब्बत गए और वहाँ पर तिब्वती लामा धर्म की स्थापना की। इन लोगों ने वहाँ पर संस्कृत ग्रन्थों का प्रचार करने के साथ-साथ इनका अनुवाद करने के लिए प्रतिभावान व्यक्ति भी तैयार किए।
(ग) भारतीय संस्कृति के प्रसार में सम्राट अशोक का योगदान- भारतीय संस्कृति के प्रसार में सम्राट अशोक का अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए हो अशोक ने लंका में अपने पुत्र एवं पुत्री को भारतीय धर्म दर्शन के स्थाई प्रचारक के रूप में नियुक्त किया। इससे वृहत्तर भारत के निर्माण को बहुत बल मिला।
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