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RBSE Solution for Class 8 Hindi Chapter 5 महाराणा प्रताप

May 18, 2019 by Safia Leave a Comment

RBSE Solution for Class 8 Hindi Chapter 5 महाराणा प्रताप are part of RBSE Solutions for Class 8 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Solution for Class 8 Hindi Chapter 5 महाराणा प्रताप.

Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 महाराणा प्रताप

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

पाठ से
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
“धरती जागी, आकाश जगा
वह जागा, तो मेवाड़ जगा।”
उक्त पंक्तियों का अर्थ बताइए।
उत्तर:
राणा प्रताप मातृभूमि की आजादी के लिए स्वयं भी सचेत हुए और उन्होंने अपनी प्रजा को भी चेताया। इससे सारी मेवाड़ की धरती जाग गयी और मेवाड़ की जनता में जोश का संचार होने लगा।

प्रश्न 2.
प्रताप को मातृभूमि को रखवाला बताया गया है, क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि राणा प्रताप ने मातृभूमि की रक्षा और उसकी आजादी का प्रण ले रखा था। वे जी-जान से उसकी रक्षा करते रहे।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 लिखें बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रताप के स्वाभिमान को बताया है
(क) अपार सिंधु-सा
(ख) अटल हिमालय-सा
(ग) वन की आग-सा
(घ) चंद्र की किरणों-सा

प्रश्न 2.
महाराणा प्रताप के पक्ष में था-
(क) सत्य
(ख) असत्य
(ग) प्रलोभन
(घ) समझौता।
उत्तर:
1. (ख) 2. (क)

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘आँधी तूफां में रुका नहीं’ पंक्ति में आँधीतूफान किसके प्रतीक हैं?
उत्तर:
महाराणा प्रताप को बादशाह अकबर की विशाल सेना का आक्रमण झेलना पड़ा था। उसके साथ ही अनेक कष्ट उठाने पड़े थे। यहाँ आँधी-तूफान शत्रुओं की विशाल सेना के आक्रमण एवं अनेक कष्टों के प्रतीक हैं।

प्रश्न 2.
सेना के अभाव में भी प्रताप को सेनानायक क्यों । कहा गया है?
उत्तर:
हल्दीघाटी के युद्ध के कारण प्रताप के पास कम ही सैनिक रह गये थे, फिर भी वे सेना का संगठन करने में लगे थे। वैसे वे अकेले ही एक सेना के बराबर शक्ति रखते थे। इसी आशय से प्रताप को सेनानायक कहा गया है।

प्रश्न 3.
प्रताप को कवि ने किन-किन उपमाओं से उपमित किया है?
अथवा
किन्हीं चार उपमाओं को लिखिए।
उत्तर:
कवि ने महाराणा प्रताप के लिए ये उपमाएँ दी हैं
(1) अटल हिमालय
(2) आजादी का सूरज
(3) इतिहासों का अमरपृष्ठ
(4) शौर्य का अंगार
(5) भाग्य विधायक।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इस कविता में कवि ने प्रताप के चरित्र की किन-किन विशेषताओं का चित्रण किया है ?
उत्तर:
इस कविता में कवि ने महाराणा प्रताप की इन प्रमुख चारित्रिक विशेषताओं का चित्रण किया है-
(1) प्रताप मातृभूमि के रक्षक और आजादी के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले थे।
(2) वे अपनी आन-बान पर मर मिटने वाले थे।
(3) स्वाभिमानी
(4) कष्टों को सहने वाले
(5) दृढ़ प्रतिज्ञा वाले
(6) लोभ-लालच से रहित
(7) पराक्रमी
(8) मेवाड़ के सूर्य
(9) युद्ध में प्रखर रहने वाले
(10) सत्य के पक्षपाती
(11) धैर्यशाली
(12) महाव्रती और सहनशील प्रवृत्ति के थे। इस प्रकार कवि ने प्रताप के चरित्र की लगभग सभी विशेषताओं का चित्रण किया है तथा उन्हे मेवाड़ की जनता का भाग्य विधायक बताया है।

प्रश्न 2.
निम्न पंक्तियों की व्याख्या कीजिए

(क) वह इतिहासों का अमर पृष्ठ
मेवाड़ शौर्य का वह अंगार।
(ख) सब विपक्ष में था उसके ।
बस, सत्य पक्ष में था उसके।
उत्तर:
व्याख्या:
(क) महाराणा प्रताप अपने शौर्य, पराक्रम एवं मेवाड़ की आजादी के रक्षक होने से इतिहास के पृष्ठों में अमर हो गये। वे मेवाड़ के शौर्य के अंगार थे, सभी शत्रुओं को अपने शौर्य रूपी अंगार से झुलसाने वाले थे।
(ख) महाराणा प्रताप मातृभूमि मेवाड़ की आजादी के पक्षधर थे। उस समय मुगल बादशाह अकबर के कारण सभी देशी राजा उसके पक्षधर थे। इस कारण प्रताप के पक्ष में कोई नहीं था। सब विपक्ष में होने से प्रताप स्वयं अकेले ही जूझ रहे थे। बस, केवल सत्य उनके पक्ष में था।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
नीचे एक शब्द का वर्ण विश्लेषण दिया गया है, इसे समझकर दिए गए शब्दों का वर्ण विश्लेषण कीजिए
मातृभूमि     :  म् + आ + त् + ऋ + भ् + ऊ + म् + इ प्रलोभन, शौर्य, महाधृती।
उत्तर:
प्रलोभने      :  प् + र + अ + ल् + ओ + भ् + अ + न् + अ।
शौर्य           :  श् + अ + ओ + र् + य् + अ।
महाभृती     :   म् + अ + ह् + आ + ध् + ऋ + त् + ई।

प्रश्न 2.
निम्न शब्दों में शुद्ध शब्द का चयन कर लिखिए
(क) सत्यकति, सतकति, सत्यकृति
(ख) विधायक, विदायक, विधायिक
(ग) सौर्य, शौर्य, शोर्य।
उत्तर:
(क) सत्यकृति
(ख) विधायक
(ग) शौर्य ।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्द समूहों के लिए एक शब्द लिखिए-
(क) जिसे टाला न जा सके
(ख) जो शांत न हो
(ग) कभी न मरता हो।
उत्तर:
(क) अटल
(ख) अशान्त
(ग) अमर ।

प्रश्न 4:
निम्नलिखित शब्दों को शब्दकोश क्रम में लिखिए-
मातृभूमि, प्रलोभन, शौर्य, राष्ट्र, उन्नायक, काँटा, स्वाभिमान, हिम्मतवाला, गंभीर।
उत्तर:
उन्नायक, काँटय, गंभीर, प्रलोभन, मातृभूमि, राष्ट्र, शौर्य, स्वाभिमान, हिम्मतवाला।

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
यदि महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता स्वीकार कर लेते, तो क्या होता?
उत्तर:
यदि महाराणा प्रताप बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार कर लेते तो
(1) हल्दीघाटी का भयंकर यद्ध नहीं होता
(2) मेवाड़ के राजपूतों की आन-बान और कुलगौरव को स्वाभिमान मिट जाता
(3) मेवाड़ भी अन्य देशी राजाओं की तरह पराधीन रहता
(4) महाराणा प्रताप को वन-वन नहीं भटकना पड़ता
(5) उन्हें मेवाड़ की आजादी के लिए कठोर प्रतिज्ञा भी नहीं करनी पड़ती और
(6) वे बादशाह अकबर के अधीन रहकर उसके सेनापति बन जाते । इस प्रकार मेवाड़ का पूरा इतिहास बदल जाता और प्रताप की वीरता की प्रशंसा भी नहीं हो पाती।

प्रश्न 2.
महाराणा प्रताप ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था। मातृभूमि के लिए सब कुछ न्योछावर करने वाले प्रताप की जीवनी का अध्ययन कीजिए।
उत्तर:
अपने विद्यालय के पुस्तकालय से मेवाड़ का इतिहास पुस्तक लेकर उसे पढ़िए और प्रताप की जीवनी का अध्ययन कीजिए।

प्रश्न 3.
प्रताप से सम्बन्धित अन्य कविताओं एवं गीतों का संकलन कर बाल सभा में सुनाइए।
उत्तर:
जयशंकर प्रसाद, श्यामनारायण पाण्डेय, बाँकीदास, केसरीसिंह बारहठ आदि कवियों की प्रताप से सम्बन्धित कविताएँ संकलित कीजिए और बाल सभा में सुनाइए।

यह भी पढ़ें

प्रश्न 1.
शेष नाग सिर सहस्र पै, धर धारी खुद आप।
इक भाला की नोक पै, मैं ढाबी परताप ॥

[ हे प्रताप! ईश्वर के अवतार शेषनाग ने अपने सहस्र फणों पर पृथ्वी को थाम रखा है; किंतु आपने तो भाले की एक नोक पर (मातृभूमि की रक्षा करते हुए) उसे थामे रखा है।]

प्रश्न 2.
सिर दे दै नहुँ दै धरा, यो भड़पण अणमाप।
नहुँ सिर दै, नहुँ दै धरा, सो बाजे परताप॥

(राजस्थान के वीरों की परंपरा रही है कि वे सिर दे देते हैं, किंतु धरती पर दूसरों का अधिकार नहीं होने देते हैं। यह उनके अद्भुत शौर्य का उदाहरण है, किंतु जो न तो सिर देता है और न ही धरती देता है, वह प्रताप कहलाता है।)
उत्तर:
उक्त दोनों पद्यांशों को पढ़कर.इनका अर्थ भी समझिये।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘वह नीले घोड़े पर सवार’-प्रताप के घोड़े का नाम था?
(क) ऐरावत
(ख) चेतक
(ग) सुल्तान
(घ) चातक

प्रश्न 2.
प्रताप ने किसकी वेदी पर अपना सब कुछ दे। दिया था?
(क) मेवाड़ की
(ख) कुलदेवता की
(ग) स्वतन्त्रता की
(घ) हल्दीघाटी की

प्रश्न 3.
‘समझौता उसने नहीं किया’-प्रताप ने किससे समझौता नहीं किया?
(क) जयपुर के राजा से
(ख) मेवाड़ के सरदारों से
(ग) बादशाह अकबर से
(घ) गुजरात के शासक से

प्रश्न 4.
‘वह शौर्यपुंज भू की थाती’-इसमें किसे थाती बताया गया है?
(क) राणा प्रताप को
(ख) मेवाड़ राज्य को
(ग) हल्दीघाटी को
(घ) भामाशाह को

प्रश्न 5.
महाराणा प्रताप को आजादी का कैसी सूर्य बताया गया है?
(क) जो प्रतिदिन अस्त होता है
(ख) जो प्रतिदिन उदय होता है
(ग) जो राजपूतों का कुल देवता है
(घ) जो सदा प्रकाश बिखेरता है
उत्तर:
(ख) 2. (ग) 3. (ग) 4. (क) 5. (घ)

सुमेलन

प्रश्न 6.
खण्ड ‘अ’ एवं खण्ड ‘ब’ में दी गई पंक्तियों का मिलान कीजिए
RBSE Solution for Class 8 Hindi Chapter 5 महाराणा प्रताप img-2
उत्तर:
पंक्तियों का मिलान:
(क) वह सत्यपथी, वह सत्यकृती।
(ख) वह तेज पुंज, वह महाधृती।
(ग) वह शौर्यपुंज, भू की थाती।
(घ) वह महामानव वह महाव्रती।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) आजादी का ऐसा सूरज
उजियारा जिसका चुका नहीं।

(ख) सेना थी उसके पास नहीं
फिर भी वह सेना नायक था।
उत्तर:
(क)भाव: कवि कह रहा है कि महाराणा प्रताप मेवाड़ की आजादी के ऐसे सूरज थे जिनका उजियारा कभी समाप्त नहीं हुआ। वे विपरीत परिस्थितियों में भी अडिग रहकर सबको रोशनी देते रहे।

(ख) भाव: कवि महाराणा प्रताप के शौर्य का वर्णन करता हुआ कहता है कि महाराणा प्रताप के पास भले हीसेना नहीं थी अर्थात् युद्ध लड़ते-लड़ते सेना कम हो गयी थी फिर भी वे महाप्रतापी सेनानायक थे। अर्थात् बिना सेना के भी उनका प्रताप और शौर्य कम नहीं हुआ था।

प्रश्न 8.
महाराणा प्रताप ने अपना सर्वस्व न्योछावर क्यों किया?
उत्तर:
महाराणा प्रताप ने मातृभूमि (मेवाड़) की रक्षा और आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

प्रश्न 9.
प्रताप को कैसा हिम्मत वाला बताया गया है?
उत्तर:
प्रताप को ऐसा हिम्मत वाला बताया गया है कि जो सोच ले वह कर दिखावे।

प्रश्न 10.
प्रताप को आजादी का कैसा सूरज बताया गया है?
उत्तर:
महाराणा प्रताप को आजादी का ऐसा सूरज बताया गया है, जिसका प्रकाश कभी समाप्त नहीं हो सका।

प्रश्न 11.
‘सब विपक्ष में था उसके’ -वे विपक्ष में कौन थे? बताइये।
उत्तर:
महाराणा प्रताप का भाई शक्तिसिंह विपक्ष में था, इसी प्रकार कुछ राजपूत राजा भी विपक्ष में थे।

प्रश्न 12.
किस कारण प्रताप को ‘महाव्रती’ कहा गया है?
उत्तर:
महाराणा प्रताप ने जो प्रतिज्ञा एक बार कर ली थी, उसका निर्वाह वे जीवन भर करते रहे। इसी कारण उन्हें महाव्रती कहा गया है।

प्रश्न 13.
प्रताप जंगल-जंगल में क्यों घूमे ?
उत्तर:
शत्रुओं के आक्रमणों एवं कपट-चालों से बचने के लिए और परिवार की रक्षा के लिए प्रताप जंगल-जंगल में घूमे।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 14.
“वह मातृभूमि का रखवाला आन-बाने पर मिटने वाला” के आधार पर महाराणा प्रताप के बारे में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
महाराणा प्रताप अपनी मातृभूमि मेवाड़ की आजादी के लिए दृढ़ संकल्पित थे। उसको पूरा करने के लिए उन्होंने अनेक कष्ट सहे । वे वनों में भटके, भूखे रहे और अपने सारे सुख त्यागे। इतना ही नहीं सत्य की रक्षा के लिए क्षत्रियों की आन-बान तथा अपने कुल के गौरव के लिए वे सर्वस्व बलिदान करने को तैयार रहते थे। हल्दी घाटी में उन्होंने जैसा पराक्रम दिखाया, वह इतिहास में अंकित है। उन्होंने सब कुछ सहा लेकिन अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।

प्रश्न 15.
“थे कई प्रलोभन, झुका नहीं”-प्रताप के . समक्ष कौन-से प्रलोभन रहे होंगे?
उत्तर:
प्रताप के सामने बादशाह अकबर से सन्धि करने, रोटी-बेटी का रिश्ता बनाने और मुगल साम्राज्य की अधीनता स्वीकार करने के प्रलोभन रहे होंगे। मुगल सेना में उच्च सेनापति-पद मिलेगा, मेवाड़ में राज करने की शर्त के अनुसार छूट मिलेगी तथा मुगल सल्तनत का कभी विरोध न करने और आराम से रहने का प्रलोभन रहा होगा।

प्रश्न 16.
‘हल्दीघाटी का जुझार’ से क्या व्यंजना की गई है?
उत्तर:
इससे यह व्यंजना की गई है कि बादशाह अकबर की विशाल सेना हल्दीघाटी के मैदान में आयी, तो महाराणा प्रताप ने वीरता से उसका मुकाबला किया। उन्होंने मुगल सेना के छक्के छुड़ा दिये और भारी मारकाट मचाकर शत्रु को पीछे धकेल दिया था।

प्रश्न 17.
‘महलों से नाता तोड़ लिया’- इसका क्या कारण था?
उत्तर:
महाराणा प्रताप ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक मैं पूरे मेवाड़ को आजाद नहीं कराऊँगा, तब तक महलों में सुख से नहीं रहूँगा और अपनी आदिवासी प्रजा के साथ वनों में रहूँगा। इसी कारण उन्होंने महलों में रहना छोड़ दिया था।

प्रश्न 18.
‘समझौता उसने नहीं किया’-प्रताप ने किससे समझौता नहीं किया और क्यों ?
उत्तर:
महाराणा प्रताप ने बादशाह अकबर से समझौता या सन्धि नहीं की, क्योंकि बादशाह से समझौता करने पर उसकी अधीनता स्वीकार करनी पड़ती, उसकी सेना का एक सरदार बनना पड़ता, जो कि प्रताप को राजपूती आन-बान के विरुद्ध प्रतीत हुआ। उस समझौते को उन्होंने मेवाड़ का अपमान माना।

प्रश्न 19.
‘हर मन पर उसका था शासन’-इससे कवि ने क्या भाव प्रकट किया है?
उत्तर:
इससे कवि ने यह भाव प्रकट किया है कि महाराणा प्रताप का मेवाड़ की जनता बहुत सम्मान करती थी। उनकी आज्ञा पर जनता बड़ा-से बड़ा त्याग-बलिदान करने को तैयार रहती थी। जनता सच्चे मन से प्रताप की आज्ञा का पालन करती थी और उनका शासन मानती थी।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 20.
‘महाराणा प्रताप’ कविता के मूल भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘महाराणा प्रताप’ कविता का मूल भाव प्रताप के प्रतापी, पराक्रमी एवं मातृभूमि की आजादी के लिए जूझने वाले चरित्र का महत्त्व बताना है। अपनी मातृभूमि मेवाड़ की आजादी के लिए महाराणा प्रताप ने कठोर प्रतिज्ञा की, उसको पूरा करने के लिए अनेक कष्ट सहे, वनों में भटके और अपने सारे सुख त्यागे । वे स्वाभिमानी थे, क्षत्रियों की आन-बान तथा अपने कुल के गौरव के लिए सर्वस्व बलिदान करने को तैयार रहते थे। हल्दीघाटी के युद्ध में उन्होंने जैसा पराक्रम दिखाया, वह इतिहास में अंकित है। देश की रक्षा एवं मातृभूमि की आजादी के लिए प्रताप की तरह हमें भी सचेष्ट रहना चाहिए।

प्रश्न 21.
‘वह सत्यपथी, वह सत्यकृती “वह महाव्रती’ पद्यांश में दिये गये विशेषणों का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इन विशेषणों का भाव यह है कि राणा प्रताप सत्य के पक्षधर थे, इस कारण वे असत्य से सदा दूर रहे और सत्य का आचरण करने में सदा दृढ़ बने रहे। वे अत्यधिक तेजस्वी थे और बहुत ही धैर्यशील भी थे। इन विशेषताओं के कारण वे शत्रुओं के आक्रमणों का सामना करने में सफल रहे। प्रताप शौर्य के पुंज थे और अपनी प्रतिज्ञा या व्रत का दृढता से पालन करने वाले महापरुष थे। सत्यपथी, सत्यकृती और महाव्रती होने से ही वे महलों का सुख त्यागकर वनों में रहे और जीवन भर मेवाड़ की आजादी के लिए संघर्ष करते रहे। इन्हीं विशेषताओं से प्रताप को मेवाड़ का इतिहास पुरुष माना जाता है।

महाराणा प्रताप पाठ-सार

इस पाठ में जो कविता संकलित है, उसमें अपनी मातृभूमि मेवाड़ के सच्चे सपूत, पराक्रमी एवं दृढ़ प्रतिज्ञा वाले महाराणा प्रताप की गाथा वर्णित है। इसमें उनके वीरतापूर्ण व्यक्तित्व का संक्षेप में ओजस्वी वर्णन हुआ है। सप्रसंग व्याख्याएँ

(1) वह मातृभूमि ………………………………….. हिम्मत वाला।

कठिन शब्दार्थ-रखवाला = रक्षा करने वाला। वेदी = धार्मिक कार्य के लिए बनाई गई चौकी या चबूतरा जैसा स्थान। अटल = न टलने वाला, सुदृढ़। हिमाला = हिमालय। आन-बान = गौरव की भावना।

प्रसंग-यह पद्यांश ‘महाराणा प्रताप’ शीर्षक कविता-पाठ से लिया गया है। इसमें कवि ने महाराणा प्रताप के पराक्रम का वर्णन किया है।

व्याख्या-कवि बताता है कि महाराणा प्रताप अपनी मातृभूमि मेवाड़ की रक्षा करने वाले व अपने कुल की आन-बान पर मर मिटने वाले थे। उन्होंने मातृभूमि की स्वतन्त्रता की वेदी पर अपना सब कुछ सौंप दिया था, अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया था।

महाराणा प्रताप अपने स्वाभिमान की रक्षा में हिमालय की तरह सदा अटल रहे। वे अपनी प्रतिज्ञा पर डटे रहे और बड़े-बड़े कष्टों से भी कभी नहीं डिगे। महाराणा प्रताप ऐसी हिम्मत वाले थे किं जो एक बार सोच लिया, उसे कर दिखलाते थे। अर्थात् वे स्वाभिमानी और अटल प्रतिज्ञा वाले थे। वे अत्यधिक साहसी एवं प्रतापी थे।

(2) थे कई प्रलोभन ………………………………….. वह अंगार।

कठिन शब्दार्थ-प्रलोभन = लोभ-लालच। तूफां = तूफान, कठिन स्थिति। जुझार = जूझने वाला योद्धा। शौर्य = पराक्रम। अंगार = अंगारा।

प्रसंग-यह पद्यांश ‘महाराणा प्रताप’ शीर्षक कविता-पाठ से लिया गया है। इस कविता में महाराणा प्रताप को आजादी का सूर्य एवं शौर्य का अंगारा बताया गया है।

व्याख्या–कवि कहता है कि अपने परिवार तथा अपनी सुख-सुविधाओं को लेकर महाराणा प्रताप के सामने लोभ-लालच के कई मौके आये, परन्तु वे मातृभूमि की रक्षा के लिए किये गये अपने प्रण से नहीं झुके। वे आँधी-तूफान से नहीं रुके, अर्थात् मुगल बादशाह की विशाल सेना से भी नहीं रोके जा सके। वे तो मातृभूमि मेवाड़ की आजादी के ऐसे सूर्य थे, जिसका उजियारा कभी समाप्त नहीं हो सका। उसकी रोशनी सदा चमकती रही।

महाराणा प्रताप नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर हल्दीघाटी में शत्रु-सेना से डटकर जूझे, उन्होंने उनका डटकर मुकाबला किया। हल्दीघाटी का वह पराक्रम राजस्थान के इतिहास के पृष्ठों में अमर बन गया। महाराणा प्रताप तो मेवाड़ के शौर्य के अंगारे थे, अर्थात् अत्यन्त पराक्रमी एवं तेजस्वी थे।

(3) धरती जागी, ………………………………….. सिंहासन। ………………………………….. राजभवन।

कठिन शब्दार्थ-पवन = वायु। सिंहासन = राजा का आसन। वसुधा = पृथ्वी। राजभवन = राजा का महल। प्रसंग–यह पद्यांश ‘महाराणा प्रताप’ शीर्षक कविता-पाठ से लिया गया है। इसमें महाराणा प्रताप के शौर्य का और जंगलों में रहने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-कवि वर्णन करता है कि महाराणा प्रताप ने जब मातृभूमि की आजादी के लिए अपनी प्रजा को चेताया, तो सब लोग जाग गये, मेवाड़ की धरती भी जाग गई और वहाँ पर नये जोश का प्रसार होने लगा। महाराणा प्रताप शत्रुओं पर गरजे, तो मेवाड़ की सभी दिशाओं में वीर-गर्जना होने लगी। उस गर्जना से वायु भी ठगा-ठगा-सा स्थिर हो गया था। अर्थात् महाराणा प्रताप की वीरतापूर्ण गर्जना से सारा मेवाड़ प्रभावित हुआ, जोश से भर गया।

महाराणा प्रताप का प्रत्येक व्यक्ति के मन पर शासन था, वहाँ का प्रत्येक पत्थर उसके बैठने का सिंहासन जैसा था। मेवाड़ की आजादी के लिए उन्होंने अपने महलों को त्याग दिया था, अर्थात् जंगलों में रहे। इस तरह सारी धरती ही उनके लिए राजमहल बन गई थी।

(4) वह जन-जन ………………………………….. वह झूमा।

कठिन शब्दार्थ-उन्नायक = उन्नति कराने वाला। विधायक = बनाने वाला। विपदाएँ = मुसीबतें, कष्ट। प्रखर = तेज। झूमा = मस्त हुआ।

प्रसंग-यह पद्यांश ‘महाराणा प्रताप’ शीर्षक कविता-पाठ से लिया गया है। इसमें महाराणा प्रताप के शौर्य को वर्णन किया गया है।

व्याख्या-कवि वर्णन करता है कि महाराणा प्रताप मेवाड़ की समस्त प्रजा की उन्नति करने वाले थे, वे सब लोगों के अच्छे भाग्य को बनाने वाले थे। महाराणा प्रताप के पास भले ही सेना नहीं थी, अर्थात् सेना घट गई थी, फिर भी वे महाप्रतापी सेनानायक थे। अर्थात् बिना सेना के भी उनका प्रताप और शौर्य कम नहीं हुआ था।

महाराणा प्रताप मेवाड़ की आजादी की खातिर जंगलों में भटकते रहे, वहाँ पर काँटों से भरी जमीन पर चलते रहे। उस दौरान उनके सामने जितनी भी मुसीबतें आयीं और बड़े-बड़े कष्टकारी मौके आये, वे उनका सामना उतनी ही मस्ती से करते रहे। विपत्ति आने पर भी प्रसन्नता से उन्हें झेलते रहे।

(5) सब विपक्ष में ………………………………….. महाव्रती।

कठिन शब्दार्थ-विपक्ष = शत्रु पक्ष, विरोध में। सत्यकृती = सत्य का पालन करने वाला। महाधृती = महान् धैर्यशाली। थाती = धरोहर। महाव्रती = महान् व्रत या प्रतिज्ञा का पालन करने वाला।

प्रसंग-यह पद्यांश ‘महाराणा प्रताप’ शीर्षक कविता-पाठ से लिया गया है। इस कविता में महाराणा प्रताप को शौर्य, तेज एवं प्रतिज्ञापालन करने में दृढ़ रहने वाला बताया गया है।

व्याख्या-कवि वर्णन करता है कि उस समय सब महाराणा प्रताप के विपक्ष में था, अर्थात् परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं थीं। परन्तु उनके पक्ष में केवल सत्य था। उन्होंने उस समय की विपरीत स्थितियों से और शत्रु-पक्ष के लोगों से कोई समझौता नहीं किया। कवि कहता है कि उस समय उनके मन में न जाने क्या था, कौन-सा विचार था?

महाराणा प्रताप सत्य के रास्ते पर चलने वाले और सत्य का पालन करने वाले थे। सत्य का आचरण करने। से वे तेज के पुंज थे और महान् धैर्यशाली भी थे। वे शौर्य के पुंज थे और मातृभूमि की अमूल्य धरोहर थे। महाराणा प्रताप महामानव अर्थात् असाधारण व्यक्ति थे और अपनी प्रतिज्ञा या महान् व्रत का कठोरता से पालन ‘करने वाले थे।

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