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RBSE Solutions for Class 8 Hindi Chapter 6 संत कॅवरराम

May 20, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 संत कॅवरराम

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

पाठ से
सोचें और बताएँ

प्रश्न 1.
पाठ के अनुसार भारत विश्वगुरु किस कारण बना?
उत्तर:
भारतभूमि सन्त और सन्तत्व की ईश्वर-प्रदत्त अनूठी देन होने के कारण ही भारत विश्वगुरु बना।

प्रश्न 2:
सन्त कुँवरराम का जन्म कब हुआ?
उत्तर:
सन्त कँवरराम का जन्म 13 अप्रैल, 1885 को हुआ।

प्रश्न 3.
संत कँवरराम की अन्तिम सात रातों को किस नाम से पुकारा जाता है?
उत्तर:
संत कॅवरराम की अन्तिम सात रातों को ‘सात रातों के नाम से पुकारा जाता है।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 लिखेंबहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
संत कँवरराम का जन्म हुआ था-
(क) कराची में
(ख) क्वेटा में
(ग) जरवारन में
(घ) शिकारपुर में

प्रश्न 2.
अखंड भारत का प्रांत था-
(क) सक्ख र
(ख) जरवारन
(ग) काबुल
(घ) सिंध।

प्रश्न 3.
संत कॅवरराम अपना गुजारा करते थे-
(क) भिक्षा से
(ख) भजन करने से
(ग) चने बेचकर
(घ) परिश्रम करके
उत्तर:
1. (ग) 2. (घ) 3. (ग)

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सन्त कँवरराम के माता-पिता का क्या नाम था ?
उत्तर:
सन्त कँवरराम की माता का नाम तीरथ बाई और पिता का नाम ताराचन्द था।

प्रश्न 2.
सन्त कँवरराम ने गायन-विद्या किससे सीखी ?
उत्तर:
सन्त कुँवरराम ने गायन-विद्या संगीतज्ञ गुरु हासाराम से सीखी।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सन्त कँवरराम ने अपना जीवन किन लोगों को समर्पित किया?
उत्तर:
सन्त कँवरराम ने अपना सारा जीवन गरीबों, अपाहिजों और विधवाओं की सेवा में लगाया। अनाथ और बेसहारा बालिकाओं की शादी कराने के लिए वे जीवन भर सार्थक प्रयास करते रहे। सन्त कँवरराम ने अपना सारा जीवन समाज की भलाई और लोगों की सेवा में समर्पित किया।

प्रश्न 2.
सन्त कँवरराम को दोनों आगन्तुक क्यों नहीं पहचान पाये?
उत्तर:
दोनों आगन्तुक सन्त कुँवरराम से पहले कभी नहीं मिले थे, इस कारण वे उन्हें नहीं पहचानते थे। उन्होंने केवल उनका नाम सुन रखा था। कँवरराम उस समय दरबार की सेवा में सब लोगों के साथ गारे की तगारी उठा रहे थे। कोई सन्त ऐसा काम कैसे करेगा, इस भ्रम से दोनों आगन्तुक उनके सामने आकर भी नहीं पहचान पाये।

प्रश्न 3.
सद्गुरु सतराम दास के स्वर्गवास के पश्चात् भी सन्त कँवरराम क्या करते रहे?
उत्तर:
अपने सद्गुरु सतराम दास के स्वर्गवास के बाद कॅवरराम अकेले ही समाज के उत्थान के कामों में लगे रहे। वे लोगों को प्रेम और भक्ति का सन्देश देते थे, उन्हें संगीतमय भजन सुनाते तथा पीड़ितों का दर्द दूर करते थे। वे मधुर संगीत की मस्ती में झूमकर सभी को आनन्दित करते रहे।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अपनी भाषा में सरलार्थ कीजिए

कीअं रीझाया कीअं परिचायां
या थियां हिन्दु पायां पेश जामो
या थियां मोमिन पढ़ा बुत खानो।
उत्तर:
सरलार्थ-मैं परमात्मा को कैसे रिझाऊँ और कैसे मनाऊँ, कोई तो इसका तरीका या उपाय बतायें । हे परमात्मा! तुम्हीं मुझे ऐसा तरीका बता दो। या तो मैं हिन्दू बनें और गीता पढ़े या मुसलमान बनें, कुरान शरीफ पर्दै? मैं ईश्वर को किस विधि से प्रसन्न करूं?

प्रश्न 2.
सन्त कँवरराम स्वावलम्बी व्यक्ति थे, उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन्त कँवरराम अपने जीवन का गुजारा चलाने के लिए अपनी माँ के हाथों बने कुहर बेचते थे। कुहर अर्थात् उबले चने, मूंग और चावलों के मिश्रण को बेचने से जो आमदनी होती थी, उससे अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनकी पहली पत्नी काकनि बाई भी उनके साथ समाज सेवा करती थी। उसकी मृत्यु के बाद दूसरी पत्नी गंगा बाई आयी, तो वह भी श्रद्धा से सारा काम करती थी। सन्त कँवरराम सीमित साधनों से अपने परिवार का खर्चा चलाते थे। वे किसी दूसरे पर आश्रित नहीं रहे। सदा स्वावलम्बी रहे और जो भी आमदनी हुई, उसे जनहित के कामों में लगाते रहे। इससे स्पष्ट होता है कि संत कॅवरराम स्वावलम्बी व्यक्ति थे।

प्रश्न 3.
सन्त कँवरराम ने समाजोत्थान के कौन-कौन से कार्य किये? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन्त कँवराराम ने समाजोत्थान के अनेक कार्य किये। उन्होंने गरीबों और अपाहिजों की सेवा की, विधवाओं की सहायता करते रहे। कँवरराम ने अनाथ एवं बेसहारा लड़कियों की शादी करवाने और उनका घर बसाने में जीवनभर अच्छे प्रयास किये। उन्होंने लोगों को अपने भजनों के माध्यम से प्रेम, एकता और सर्वधर्म सद्भाव का सन्देश दिया। उनकी | प्रेरणा से बड़ी संख्या में विद्यालय, अस्पताल व धर्मशालाएँ बनीं । उन्होंने विधवा-विवाह और अनाथ बालक-बालिकाओं | को सहारा देना पवित्र धर्म कार्य बताया। इन कामों के लिए वे समाज को जोड़ने का प्रयास करते रहे। इस तरह वे जीवनभर समाजोत्थान के कामों में लगे रहे।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
“मोहताजों के कल्याण के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया” वाक्य में ‘मोहताजों’ उर्दू भाषा का शब्द आया है जिसका अर्थ होता है ‘लाचारों’। आप भी पाठ के आधार पर उर्दू शब्दों की सूची बनाकर अर्थ लिखिए।
उत्तर:
जरूरतमन्द    =     लाचार
बदलाव          =     परिवर्तन
इशारा           =      संकेत
तगारी           =      लोहे का तसला
पुतले            =      प्रतिकृति, रचना
अपाहिज       =      लूले-लंगड़ों
बेसहारा        =      अनाथ, आश्रयरहित
आसमान      =      आकाश
दर्द              =      पीड़ा
हरकत         =      चेतना
जमींदार       =      भूमिपति
जामा           =      चोगा, कुरता
बाँधनी         =      कमर-पट्टा
कातिलों       =      हत्या करने वालों
मोमिन         =      मुसलमान।

प्रश्न 2.
पाठ में ‘योगी-वैरागियों’ शब्द आए हैं, योजक चिह्न का लोप होने पर योगी और वैरागी बनता है, यह | द्वंद्व समास का उदाहरण है। पाठ में आए द्वंद्व समास के
अन्य उदाहरणों को छाँट कर समास विग्रह कीजिए।
उत्तर:
शब्द विग्रह
व्यक्तित्व-कृतित्व          –    व्यक्तित्व और कृतित्व
शिक्षा-दीक्षा                 –    शिक्षा और दीक्षा
सेवा-शुश्रूषा                 –    सेवा और शुश्रूषा
साधु-सन्तों                  –    साधु और सन्तों
बालक-बालिकाओं       –   बालक और बालिकाओं
प्रेम-भक्ति                  –    प्रेम और भक्ति

प्रश्न 3.:
पाठ में समाजोत्थान शब्द आया है, जिसका संधि विच्छेद समाज+उत्थान होता है, यह गुण संधि स्वर संधि का एक भेद है। स्वर संधि के प्रकारों को उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
स्वर सन्धि के पाँच प्रकार होते हैं। वे सोदाहरण इस प्रकार हैं
1. दीर्घ सन्धि:
सदाचार    –    सदा    +   आचार
विद्यार्थी     –    विद्या   +   अर्थी
गिरीश      –    गिरि    +   ईश
रवीन्द्र       –    रवि    +   इन्द्र
लघूत्तर      –    लघु    +   उत्तर

2. गुण सन्धि:
शुभेच्छु      –   शुभ   +  इच्छु
नरेश         –   नर    +  ईश
परोपकार   –   पर    +  उपकार
प्रश्नोत्तर      –   प्रश्न    +  उत्तर

3. वृद्धि सन्धि:
सदैव         –   सदा    +   एवं
वसुधैव       –   वसुधा  +  एवं
परमौषध    –    परम   +  औषध
जलौघ       –    जल    +   ओघ्।

4. यण् सन्धि:
यद्यपि       –    यदि   +  अपि
इत्यादि     –    इति    +  आदि
अन्वय      –    अनु    +  अय
अन्विति    –    अनु    +  इति
स्वागत     –    सु       +  आगत

5. अयादि सन्धि:
गायक     –       गै     +   अक
पावक     –       पौ    +   अक
नयन       –       ने     +   अन
पवन       –      पो     +   अन
भाविक    –     भौ     +   इक
भावुक     –     भौ     +   उक

नोट:
विशेष उदाहरण एवं परिभाषा आगे व्याकरण-भाग में देखिए।

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
संत कँवरराम के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है? लिखिए।
उत्तर:
सन्त कँवरराम के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है-

  1.  स्वावलम्बी बनकर समाज की सेवा करनी चाहिए।
  2. धन का लालच न करके दूसरों की भलाई के बारे में सोचना, चाहिए।
  3.  गरीब बालक-बालिकाओं की पूरी सहायता करनी चाहिए।
  4.  अनाथ बच्चों की मदद करके उन्हें अनाथाश्रमों में पहुँचाना चाहिए।
  5.  विधवाओं और बेसहारा स्त्रियों की पूरी मदद करनी चाहिए।
  6.  अपाहिजों की मदद एवं सेवा करनी चाहिए।
  7.  समाज के उत्थान एवं भलाई के जो भी काम हों, उन्हें करने में पूरा सहयोग करना चाहिए।
  8.  आपसी प्रेम, सद्भाव और एकता बनाये रखने के प्रयास भी करने चाहिए।

प्रश्न 2.
संत कॅवरराम का जीवन स्वावलंबन से ओत-प्रोत था। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ भी हमें स्वावलंबन का संदेश देता है। आपने भी समाज में स्वावलंबन से पूर्ण कार्यों को होते देखा है। ऐसे कार्यों को सचीबद्ध कर लिखिए।
उत्तर:
समाज में स्वावलम्बन से पूर्ण कार्यों की सूची अग्रलिखित है, जैसे

  1. वृक्षारोपण अभियान
  2. पोलियो उन्मूलन अभियान
  3.  स्वयं सहायता समूहों का निर्माण
  4.  साक्षरता अभियान
  5.  नुक्कड़ नाटक
  6.  राष्ट्रीय सेवा योजना
  7.  जन जागरूकता रेलियों का आयोजन
  8.  कौशलविकास तथा उद्यमिता विकास अभियान आदि।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सन्त कँवरराम के संगीत-गुरु का नाम था
(क) सतराम
(ख) हासाराम
(ग) ताराचन्द
(घ) पेसूराम

प्रश्न 2.
सन्त कँवरराम ने दूसरा विवाह किया
(क) पहली पत्नी की मृत्यु हो जाने से
(ख) भंडारे की व्यवस्था करने से
(ग) माता का आग्रह मानने से
(घ) सन्तान-प्राप्ति की लालसा से

प्रश्न 3.
सन्त कँवरराम किस दरबार की सेवा में गारे की तगारी उठा रहे थे?
(क) शिकारपुर
(ख) कुंभलेमन
(ग) रहड़की
(घ) मधराझ

प्रश्न 4.
सन्त कँवरराम ने अपना अन्तिम भजन गाया था
(क) सक्ख र में
(ख) मीरपुर में
(ग) शिकारपुर में
(घ) दादू में

प्रश्न 5.
सन्त कँवरराम का निधन कब हुआ?
(क) 13 अप्रैल, 1885 को
(ख) 12 नवम्बर, 1935 को
(ग) 1 नवम्बर, 1939 को
(घ) 13 नवम्बर, 1902 को
उत्तर:
1. (ख) 2. (क) 3. (ग) 4. (घ) 5. (ग)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 6.
निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिये गये सही शब्दों से कीजिए
(i) कॅवरराम बाल्यकाल से ही………स्वभाव के थे। (साधु/योगी)
(ii) काकनि बाई भी……..सेवा में संलग्न हो गई। (देश/समाज)
(iii) भारत विश्वगुरु के रूप में…….हो सका। (स्थापित/निर्मित)
(iv) दरबार की सेवा ही….की सेवा है। (आत्मा/परमात्मा)
(v) एक गोली सन्त के….पर लगी। (हाथ/माथे)
उत्तर:
(i) साधु (ii) समाज (iii) स्थापित (iv) परमात्मा (v) माथे

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 7.
सन्त कँवरराम का जन्म कब और कहाँ पर हुआ था?
उत्तर:
सन्त कँवरराम का जन्म सक्खर जिले के जरवारन गाँव में 13 अप्रैल, 1885 को हुआ था।

प्रश्न 8.
कँवरराम के व्यक्तित्व में किसकी सेवा करने से बदलाव आया?
उत्तर:
कॅवरराम के व्यक्तित्व में सद्गुरु सतराम दास की सेवा करने से अनोखा बदलाव आया।

प्रश्न 9.
सन्त कँवरराम को किसकी प्रतिमूर्ति बताया गया है?
उत्तर:
सन्त कँवरराम को सादगी, सेवा, परोपकार और विनम्रता की प्रतिमूर्ति बताया गया है।

प्रश्न 10.
सन्त कँवरराम ने दूसरा विवाह क्यों किया?
उत्तर:
भण्डारे की व्यवस्था सही चले, इस दृष्टि से लोगों के आग्रह पर सन्त कँवरराम ने दूसरा विवाह किया।

प्रश्न 11.
सन्त कँवररांम का निधन कब और कहाँ पर हुआ?
उत्तर:
सन्त कँवरराम का निधन 1 नवम्बर, 1939 को दादू नामक स्थान के रेलवे स्टेशन पर हुआ।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 12.
सन्तजन अपने जीवन का लक्ष्य क्या मानते हैं?
उत्तर:
सन्तजन अपनी साधना एवं गुरु-शिक्षा से विशेष ज्ञान प्राप्त करते हैं। वे साधना एवं तपस्या से अपने शरीर एवं व्यक्तित्व को निखारते हैं तथा अपने जीवन को समाज और उसमें रहने वाले जरूरतमन्द लोगों को समर्पित करना ही अपना लक्ष्य मानते हैं। मानवता का कल्याण ही उनके जीवन का लक्ष्य होता है।

प्रश्न 13.
काकनि बाई की क्या विशेषता थी ?
उत्तर:
सन्त कँवरराम की पत्नी काकनि बाई अपने पति के आदर्शों से पूरी तरह प्रभावित थी। इस कारण उसने अपने पति के कन्धे से कन्धा मिलाकर समाज-सेवा का कार्य किया। वह पति की इच्छानुसार भोजन-भंडारे का सारा कार्य सँभालती थी और लोगों की सेवा में पूरा सहयोग करती थी।

प्रश्न 14.
सन्त कँवरराम की हर काम में क्या प्राथमिकता रहती थी ? सोदाहरण बताइए।
उत्तर:
सन्त कँवराराम अपने समस्त कार्यों को केवल उपदेशों तक सीमित नहीं रखते थे, बल्कि अपने हाथ सारे काम करना उनकी प्राथमिकता रहती थी। वे भंडारे का काम स्वयं कर लेते थे। रहड़की में दरबार की सेवा का काम करने में उन्होंने हाथ बँटाया था और गारे की तगारी स्वयं उठाकर काम करने लगे थे। वे ऐसे काम को परमात्मा की सच्ची सेवा मानते थे।

प्रश्न 15.
एक जमींदार ने सन्त कँवरराम की चमत्कारी | शक्ति की परीक्षा कैसे ली?
उत्तर:
गाँव में भजन में हजारों हिन्दू-मुस्लिम उपस्थित थे। वर्षा हो रही थी, जिससे लोग परेशान थे। एक जमींदार ने सन्त
कॅवरराम की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए कहा कि वर्षा बन्द | कर दीजिये। तब सन्त ने जैसे ही सोरठ राग गाना प्रारम्भ किया, तो आसमान से बादल छंट गये और वर्षा बन्द हो गई। इस तरह उनकी चमत्कारी शक्ति की परीक्षा ली गई।

प्रश्न 16.
किस कारण लोग सन्त कँवरराम पर मोहित हो |जाते थे ?
उत्तर-सन्त कँवरराम पैरों में धुंघरुओं की पायल, कानों में कुण्डल, सिर पर लाल जाफ़रानी रंग की पगड़ी, शरीर पर श्वेत जामा और कमर पर बाँधनी बाँधकर संगीत की मस्ती | में जब झूमने लगते थे, साथ ही मधुर आवाज में गाने लगते | थे, तो उनकी उस छटा को देखकर सभी लोग मोहित हो | जाते थे।

RBSE Class 8 Hindi Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 17.
“माता, ऐसी परीक्षा नहीं लिया करें।” सन्त कॅवरराम ने ऐसा किसे और क्यों कहा?
उत्तर:
एक बार शिकारपुर के शाहीबाग में सन्त कँवरराम भजन में मग्न थे। अचानक एक महिला ने रेशमी कपड़े में लिपटे हुए अपने मृत बालक को सन्त के हाथों में दिया और विनती की कि “इस बालक को लोरी दीजिए।” लोरी देते समय सन्त कुँवरराम को मालूम हुआ कि बालक बेजान है। उन्होंने कपड़ा उठाकर देखा तो स्पष्ट पता चला कि बालक जीवित नहीं है । तब उन्होंने उस मृत बालक को लोरी देते हुए ईश्वर की आराधना की और ध्यान में लीन हो गये। कुछ समय बाद उन्होंने आँखें खोलीं, तो देखा कि वह बालक रोने की आवाज करने लगा है। उन्होंने उस बालक को उसकी माँ को देते हुए कहा कि “माता, ऐसी परीक्षा नहीं लिया करें ।”

प्रश्न 18.
सन्त कँवरराम की संगीत-साधना का क्या चमत्कार था? बताइए।
उत्तर:
सन्त कँवरराम ने ऐसी संगीत-साधना की थी कि वे जो भी राग गाते थे, उसका परिणाम तुरन्त सामने आ जाता | था। उन्होंने वर्षा रोकने के लिए सोरठ राग गाया, तो कुछ ही देर में बादल छंट गये और वर्षा रुक गई। एक बार एक श्रद्धालु के आग्रह पर उन्होंने सारंग राग गाया, तो तुरन्त जोरदार वर्षा हुई । तब लोगों की प्रार्थना पर उन्होंने गाना बन्द किया। सन्त कँवरराम को अपनी मृत्यु का आभास हो गया था। इसका ध्यान रखकर उन्होंने मारु राग गाया, जो कि शोक के समय गाया जाता है। उसके कुछ देर बाद कातिलों ने उन पर गोली चलायी और उनका प्राणान्त हो गया था। इस तरह उनकी संगीत-साधना चमत्कारी थी।

प्रश्न 19.
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क)  उनकी सेवा-शुश्रूसा से उनके व्यक्तित्व में अनोखे बदलाव से संतत्व उतर आया। वे सादगी, सेवा, परोपकार व विनम्रता की प्रतिमूर्ति बन गए। संत की अपनी झोली में आई धन-सामग्री गरीब विधवाओं व विशेष योग्यजनों में बाँटते और जनहित में ही खर्च करते थे। वे दूसरों के बारे में ही सोचते रहते थे।
प्रश्न.
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(ii) सन्त कँवरराम किसकी प्रतिमूर्ति बन गये थे?
(iii) वे प्राप्त धन को किसमें खर्च करते थे ?
(iv) सन्तत्व आने से वे क्या सोचते रहते थे ?
उत्तर:
शीर्षक:
(i)संत कॅवरराम के व्यक्तित्व में बदलाव।
(ii) सन्त कँवरराम सादगी, सेवा, परोपकार और विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे।
(iii) वे प्राप्त धन को विधवाओं एवं गरीबों में बाँटते थे व जनहित में खर्च करते थे।
(iv) सन्तत्व आने से कँवरराम सदा अनाथ, गरीब, बेसहारा आदि लोगों के बारे में सोचते रहते थे।

(ख) हमेशा की तरह डिब्बे में खिड़की के पास यात्रा के लिए बैठे। ज्यों ही इंजन ने सीटी बजाई कातिलों ने संत पर गोलियाँ चलाईं। एक गोली संत के माथे पर लगी। उनके मुँह से अंतिम शब्द निकला ‘हरे राम’, ‘हरे राम’ की आवाज अनंत में विलीन हो गई। गाड़ी में हा-हाकार मच गया।
प्रश्न.
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(ii) कातिलों ने किन पर गोलियाँ चलाई ?
(iii) उनके मुँह से निकली आवाज कहाँ विलीन हो गई ?
(iv) गाड़ी में हा-हाकार क्यों मचा?
उत्तर:
शीर्षक:
(i)सन्त का जीवनान्त।
(ii) कातिलों ने सन्त कँवरराम पर गोलियाँ चलाईं।
(ii) माथे में गोली लगते ही सन्त कँवरराम के मुँह से आवाज निकली ‘हरे राम’ और वह आवाज आकाश में विलीन हो गई।
(iv) सन्त कुँवरराम की इस तरह अचानक मृत्यु होने से गाड़ी में बैठे उनके भक्तों में हाहाकार मचा।

सन्त कँवरराम – पाठ-सार-

इस पाठ में सिन्ध प्रान्त के प्रसिद्ध सन्त कँवरराम की जीवनी दी गई है। सन्तों का जीवन दूसरों की भलाई के लिए और समाज को अच्छा रास्ता दिखाने के लिए होता है। सन्त कँवरराम भी ऐसे ही थे; वे प्रेम, एकता और सर्वधर्म सद्भाव के प्रतीक थे।

कठिन शब्दार्थ-सनातन = अति प्राचीन। सृष्टि = सम्पूर्ण संसार। श्रृंगार = सजावट, शोभा बढ़ाना। अनुसरण = पीछे-पीछे चलना। संस्कारित = अच्छे आचरण से युक्त। प्रदत्त = दिया हुआ। अर्जित = प्राप्त किया गया। कालान्तर = कुछ समय बाद। प्रतिमूर्ति = दूसरी मूर्ति। मोहताजों = जरूरतमन्दों। स्नेही = प्रेमीभक्त। प्रकृति = स्वभाव। प्रेरणास्पद = प्रेरणा का स्थान, प्रेरणा देने वाला। अपाहिज = लूले-लंगड़े। भागीरथी प्रयास = बहुत कठिन प्रयत्न। समाजोत्थान = समाज का उत्थान। नाले = नाम के। अलख = ईश्वर। बेड़ो = नाव। मुहिंजो = पार लगा देना। की* = कैसे। रीझाया = रिझाऊँ। परिचायां = मनाऊँ। जामो = कपड़े। तारि = पार। कुहर = उबले हुए। चने, मूग व चावलों का मिश्रण। मोमिन = मुसलमान।

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