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RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

May 25, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 मौखिक प्रश्न

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानां शुद्धोच्चारणं कुरुत
स्वबौद्धिकम्
कुशाग्रबुद्धेः
भ्राताद्वयम्
पाश्चै
तयोर्मध्ये
अनुबन्धः
विचारयन्तौ
स्थाप्य
भोजनादिना
वञ्चितः
प्रक्षालनार्थम्
उत्तरत
ताडितवान्
भूत्वा
पूर्वार्धम्
पादप्रहारेण
लज्जितश्च
सामञ्जस्येन
निरर्थकम्
विभाजनम्
उत्तरम्:
[नोट-उपर्युक्त पदों का शुद्ध उच्चारण अपने अध्यापकजी की सहायता से कीजिए।]

प्रश्न 2.
गोनू झा नामकस्य पण्डितस्य अथवा तत्सदृशीम् अन्या कथां श्रावयतु
उत्तरम्:
[नोट-पुस्तकालय आदि से कथा का चयन करके समान भाव की कथा को सुनावें ।]

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 12 लिखितप्रश्नाः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानि अशुद्धानि पदानि शुद्धानि कृत्वा लिखतपार्वे महिस्याः आच्छद्य पादप्रहारेन भोजनदिना पृष्ट्वान्
उत्तरम्:
पाचे, महिष्याः, आच्छाद्य, पादप्रहारेण, भोजनादिना, पृष्टवान्

प्रश्न 2.
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) तयोः पार्श्वे किं किं आसीत्?
उत्तरम्:
तयोः पाश्चै एकं कम्बलम् एका च महिषी आसीत्

(ख) प्रेमदत्तः कीदृशः आसीत्?
उत्तरम्:
प्रेमदत्त: कनिष्ठः सरलः च आसीत्

(ग) सोमदत्तः महिष्याः शरीरस्य कस्य भागस्य स्वामी?
उत्तरम्:
सोमदत्त: महिष्याः शरीरस्य पश्चादर्धभागस्य स्वामी

(घ) प्रेमदत्तस्य मित्रं कः आसीत्?
उत्तरम्:
प्रेमदत्तस्य मित्रं ‘गोनू झा’ नामकं पण्डितः आसीत्

(ङ) परिवारे किं न शोभते?
उत्तरम्:
परिवारे निरर्थकं विभाजनं न शोभते

(च) परस्परं कथं कार्यं करणीयम्?
उत्तरम्:
परस्परं सदैव सहयोगेन सामञ्जस्येन च कार्यं करणीयम्

प्रश्न 3.
मञ्जूषातः उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि
पूरयतपादप्रहारेण, समुचितम्, लज्जितः, सोमदत्तः, महिषी
उत्तरम्:
(क) तौ महिषी विषयेऽपि अनुबन्धः कृतवन्तौ
(ख) सोमदत्तः तु पश्चादर्धभागस्य स्वामी
(ग) गोनू झा प्रेमदत्ताय समुचितं परामर्श दत्तवान्
(घ) महिषी कुपिता भूत्वा सोमदत्तं पादप्रहारेण ताडितवती
(ङ) स्वधूर्ततायाः इदं फ़लं ज्ञात्वा सः लज्जितः अभवत्

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

प्रश्न 4.
रेखाङ्कितपदान् आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत उदाहरणम्-एकदा तयोर्मध्ये एकः अनुबन्धः अभवत्
प्रश्न
एकदा कयो: मध्ये एकः अनुबन्धः अभवत्?
(क) एकस्मिन् कृषकपरिवारे भ्राताद्वयम् आसीत्
(ख) एकदा सः स्वमित्रं ‘गोनू झा’ नामकं पण्डितं पृष्टवान्
(ग) सः कम्बलं प्रक्षालनार्थं जले स्थापितवान्
(घ) स महिषीं भोजनेन वञ्चितां कृतवान्
(ङ) सोमदत्त: मूको जात:
उत्तरम्:
प्रश्ननिर्माणम्
(क) कस्मिन् कृषकपरिवारे भ्राताद्वयम् आसीत्?
(ख) एकदा सः कम् पृष्ट्वान्?
(ग) सः कम्बलं किमर्थं जले स्थापितवान्?
(घ) सः महिषीं केन वञ्चितां कृतवान् ?
(ङ) कः मूको जातः?

प्रश्न 5.
निम्नपदान् स्वीकृत्य वाक्यरचनां कुरुत
उत्तरम्:
(क) पश्चात्       =  रमेशः सूर्योदयपश्चात् गमिष्यति
(ख) ततः         =  ततः बालकाः पठन्ति
(ग) सायङ्काले   =  सायङ्काले वयं तत्र क्रीडामः
(घ) सदा          =  सदा सत्यं वदतु
(ङ) इत्थम्       =  इत्थं ते प्रसन्नाः जाताः

प्रश्न 6.
निम्नपदानां सन्धिं/सन्धिविच्छेदं वा कुरुत
उत्तरम्:
(क) कम्बलमेकम्     =  कम्ब + लम्
(ख) तयोर्मध्ये          =   तयोः + मध्ये
(ग) प्रेमदत्तस्तु          =  प्रेमदत्तः + तु
(घ) विभाजनस्योपरि =   विभाजनस्य + उपरि
(ङ) पूर्वार्धम्            =  पूर्व + अर्धम्
(च) सदैव               =   सदा + एवं

योग्यता-विस्तारः
(क) लेखक का संक्षिप्त परिचय :
गोनू झा नामक पण्डित का जन्म बिहार प्रान्त के मिथिला क्षेत्र में सिंहवाड़ा खण्ड के भरौरा नामक गाँव में पाँच सौ वर्ष पूर्व हुआ था।इनके पिता धार्मिक पुरुष थे। इसलिए गोनू भी उसी प्रकार से धार्मिक हो गया था। गोनू कालिका देवी के परम उपासकथे।वह तीव्र बुद्धि वाला और परिहास (मजाक) प्रिय था। अपने बुद्धि कौशल से वह मिथिला साम्राज्य का पदाधिकारी हो गयाथा।जनश्रुति केअनुसार उसकी अनेकों कथाएँ सामाजिकों के मनों को आनन्दमग्न करती हैं।एकम्

(ख) गोनू झा पण्डित की अन्य कथा :
एक पूर्णिमा की रात में गोनू पण्डित के घर में कुछ चोर प्रवेश कर गये। उसकी पत्नी बोली-“हे स्वामी प्रतीत होता है कि घर के अन्दर चोर आ गये हैं।” पण्डित चोरों को सुनाता हुआ जोर से बोला-‘चिन्ता मत करो  मैंने सारा धन हमारे खेत के अन्दर रख दिया है। चोर उस धन को प्राप्त नहीं कर सकते हैं।” पण्डित की बात सुनकर चोर घर से निकलकर खेत में चले गये। उसके बाद रात में उन्होंने सम्पूर्ण खेत को खोद दिया। सूर्योदय से पहले ही पण्डित खेत में जाकर चोरों को सम्बोधित करके बोला–“आपने मेरे खेत को खोद दिया है उसके लिए धन्यवाद।” चोर लज्जित होकर वहाँ से भाग गये।

अगली अमावस्या की रात को चोर फिर से गोनू पण्डित के घर में आ गये जगी हुई पत्नी बोली-“प्रतीत होता है आज फिर से चोर आ गए हैं।” गोनू झा ने उत्तर दिया-” मत डरो। इस समय तो मैंने धन को सुरक्षित स्थान पर रख दिया है।” ”कहाँ–ऐसा उसकी पत्नी ने पूछा। गोनू झा बोला-”मैंने धन को एक थैले में रखकर उस थैले को पेड़ की शाखा पर लटका दिया है।” यह सुनकर चोर पेड़ पर चढ़कर थैले को खोजने लगे। उनमें से एक ने पेड़ के ऊपर थैला मानकर मधुमक्खियों के छत्ते में अपना हाथ डाल दिया मधुमक्खियों ने उनके ऊपर आक्रमण कर दिया गोनू झा वहाँ आकर हँसता हुआ बोला-“उपचार के लिए दवा ले लीजिए।” चोरों ने भविष्य में गोनू झा पण्डित के घर में चोरी करने का विचार ही त्याग दिया

(ग) प्रत्यय-भूतकाल की क्रिया का अर्थ प्रकट करने के लिए ‘क्त-क्तवतु’ प्रत्ययों का प्रयोग भी किया जाता है
इन दोनों प्रत्ययों से निर्मित शब्दों के रूप तीनों लिंगों में होते हैंयथा

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

क्त प्रत्ययः   पुल्लिङ्गे         स्त्रीलिङ्गे       नपुंसकलिङ्गे
RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13

क्तवतु प्रत्ययः  पुल्लिङ्गे      स्त्रीलिङ्गे        नपुंसकलिङ्गे
RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13

RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठप्रश्नाः
1. ‘संहतिः श्रेयसी पुंसाम्’ पाठस्य क्रमः अस्ति
(क) सप्तमः
(ख) दशमः
(ग) त्रयोदशः
(घ) पञ्चदशः

2.’गोनू झा समुचितं परामर्श दत्तवान्’–रेखांकितपदे प्रत्ययः अस्ति
(क) क्तवतु
(ख) क्त
(ग) तव्यत्
(घ) शतृ

3. ‘स: क्रोधितः सम्भूय अकथयत्’-रेखांकितपदे उपसर्गः अस्ति
(क) यत्
(ख) आ
(ग) अनु
(घ) सम्

4. कनिष्ठ: प्रेमदत्तः आसीत्
(क) चतुरः
(ख) सरलः
ग) मूर्खः
(घ) धूर्तः

5. सोमदत्तस्य कनिष्ठः भ्राता आसीत्-(संहतिः श्रेयसी पुंसाम्’ पाठानुसारेण)
(क) रामः
(ख) सुधांशुः .
(ग) प्रेमदत्तः
(घ) भूरसिंहः

6. प्रेमदत्ताय समुचितं परामर्श कः दत्तवान्?
(क) गोनू झा
(ख) सोनू झा
(ग) विनय झा
(घ) सोमदत्तः

7. तेन द्वयोः लाभः जातः अस्मिन् वाक्ये सर्वनामपदं किम्?
(क) लाभः
(ख) द्वयोः
(ग) जातः
(घ) तेन

8. सोमदत्तः चतुरः आसीत्…………प्रेमदत्तः सरलः रिक्तस्थाने उचितं अव्ययं पूरयत
(क) सदा
(ख) किन्तु
(ग) अतः
(घ) एव
उत्तराणि:
1. (ग)
2. (क)
3. (घ)
4. (ख)
5. ग)
6. (क)
7. (घ)
8. (ख)

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

मजूषात् समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
असे, एका, अतीव, सेवते
तयोः पाश्र्वे………महिषी आसीत्
मोमदत्तः………:-क्षेत्रे कार्यं करिष्यति
स: महिषीं भोजनादिना …….स्म
महिषी…….कुपिता
उत्तराणि:
1. एका,
2. दिवसे,
3. सेवते,
4. अतीव,

RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 12 अतिलघूत्तरात्मकप्रश्नाः

(एकपदेन उत्तरत)
प्रश्न 1.
ज्येष्ठः सोमदत्तः कीदृशः आसीत् ?
उत्तरम्:
चतुरः

प्रश्न 2.
प्रेमदत्तः क्षेत्रे दिवसपर्यन्तं किं करोति स्म?
उत्तरम्:
परिश्रमम्

प्रश्न 3.
प्रातःसायंकाले च दुग्धं कः प्राप्नोति स्म?
उत्तरम्:
सोमदत्तः

प्रश्न 4.
प्रेमदत्ताय समुचितं परामर्श कः दत्तवान्?
उत्तरम्:
गोनू-झा-पण्डितः

RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 लघूत्तरात्मकप्रश्नाः

(पूर्णवाक्येन उत्तरत)
प्रश्न 1.
प्रेमदत्तः महिष कदा केन च वञ्चितां कृतवान्?
उत्तरम्:
प्रेमदत्तः महिष दिवसे भोजनेन वञ्चितां कृतवान्

प्रश्न 2.
महिषी कुपिता भूत्वा किं कृतवती?
उत्तरम्:
महिषी कुपिता भूत्वा दोहनकाले पादप्रहारेण सोमदत्तं ताडितवती

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

प्रश्न 3.
भ्रातुः कथनं श्रुत्वा सोमदत्तः कीदृशः जातः?
उत्तरम्:
भ्रातुः कथनं श्रुत्वा सोमदत्तः मूकः जातः

प्रश्न 4.
परस्परं कथं कार्यं करणीयम्?
उत्तरम्:
परस्परं सहयोगेन सामञ्जस्येन च कार्यं करणीयम्

प्रश्न 5.
रेखांकितपदानि आधृत्य
प्रश्न-निर्माणं कुरुत
(i) कनिष्ठ: प्रेमदत्तः सरलः आसीत्
(ii) सोमदत्त: रात्रौ क्षेत्रे कार्यं करिष्यति
(iii) प्रेमदत्त: महिषीं भोजनादिना सेवते स्म
(iv) गोनू झा प्रेमदत्ताये परामर्श दत्तवान्
(v) महिषी पादप्रहारेण सोमदत्तं ताडितवती
(vi) तेन द्वयो: लाभः जातः
(vii) सदैव सहयोगेन कार्यं करणीयम्
उत्तरम्:
प्रश्न-निर्माणम्
(i) कनिष्ठः प्रेमदत्तः कीदृशः आसीत्?
(ii) रात्रौ क्षेत्रे कार्यं करिष्यति?
(iii) मदत्तः काम् भोजनादिना सेवते स्म?
(iv) गोनू झा कस्मै परामर्श दत्तवान्?
(v) महिषी पादप्रहारेण कम् ताडितवती?
(vi) तेन कयी लाभः जातः?
(vii) सदैव कथं कार्यं करणीयम्?

प्रश्नः 6.
रेखांकितपदानां स्थाने कोष्ठके लिखितान् पदान् चित्वा प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) तयोः पाश्र्वे एका महिषी आसीत् । (क:/का)
(ख) प्रेमदत्तः दिवसे कार्यं करिष्यति । (क:/कम्)
(ग) सोमदत्तः रात्रौ क्षेत्रे शयनं करोति स्म। (काम्/किम्)
(घ) महिषी अतीव कुपिता जाता। (का/कान्)
(ङ) तेन द्वयोः लाभः जातः। (कस्य/कयो:)
उत्तरम्:
प्रश्ननिर्माणम्(क) तयोः पाश्र्वे एका को आसीत्?
(ख) कः दिवसे कार्य करिष्यति?
(ग) सोमदत्तः रात्रौ क्षेत्रे किम् करोति स्म?
(घ) का अतीव कुपिता जाता?
(ङ) तेन कयोः लाभः जातः?

RBSE Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 निबन्धात्मकप्रश्नाः

प्रश्न 1.
घटनाक्रमानुसारं वाक्यसंयोजनं कुरुत
(i) भ्रातुः कथनं श्रुत्वा सोमदत्त: मूकः जातः
(ii) सर्वदा प्रेमदत्तस्तु वञ्चितो भवति स्म
(iii) सोमदत्तस्तु क्षेत्रे रात्रौ शयनमेव करोति स्म
(iv) प्रेमदत्तः क्षेत्रे दिवसपर्यन्तं परिश्रमं करोति स्म
(v) महिषी कुपिता भूत्वा पादप्रहारेण सोमदत्तं ताडितवती
उत्तरम्:
घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि
(i) प्रेमदत्तः क्षेत्रे दिवसपर्यन्तं परिश्रमं करोति स्म
(ii) सोमदत्तस्तु क्षेत्रे रात्रौ शयनमेव करोति स्म
(iii) सर्वदा प्रेमदत्तस्तु वञ्चितो भवति स्म
(iv) महिषी कुपिता भूत्वा पादप्रहारेण सोमदत्तं ताडितवती
(v) भ्रातुः कथनं श्रुत्वा सोमदत्तः मूकः जातः

प्रश्न 2.
संहतिः श्रेयसी पुंसाम्’ कथासारं हिन्दीभाषायां लिखत
उत्तरमू:
कथा-सार-प्रस्तुत कथा के अनुसार एक किसान के परिवार में दो भाई रहते थे सोमदत्त और प्रेमदत्त बड़ा भाई सोमदत्त चतुर था और छोटा भाई प्रेमदत्त सरल था उन दोनों के पास एक कम्बल और एक भैंस थी। एक बारउन दोनों में एक अनुबन्ध (करार) हुआ, जिसके अनुसार प्रेमदत्त दिन में खेत में कार्य करता था और सोमदत्त रात में इसी प्रकार कम्बल का भी प्रयोग दिन में प्रेमदत्त एवं रात में सोमदत्त, साथ ही उन दोनों ने भैंस के विषय में भी बँटवारा कर लिया, जिसके अनुसार प्रेमदत्त तो भैंस के पूर्वार्ध भाग का स्वामी था एवं सोमदत्त पीछे के आधे भाग का स्वामी

पाठ-परिचय

मिथिला क्षेत्र में सामान्य लोग भी ‘गोनू झा’ नामक पण्डित की कथाओं को जानते हैं। इन कथाओं में उसकी कुशाग्र बुद्धि का परिचय प्राप्त होता है। इन्हीं कथाओं में से एक कथा का संकलन प्रस्तुत पाठ में किया गया है, जिसमें पारिवारिक विभाजन के ऊपर व्यंग्य करते हुए संगठन में रहने की प्रेरणा दी गई है।

पाठ के कठिन

शब्दार्थ-एकदा (एकवारम्) = एक बार। पूर्वार्धम् (प्रथमार्धम्)॥ पहला आधा भाग। कुशाग्नः (तीक्ष्णः) तेज। कम्बलम् (ऊर्णकम्) = कम्बल। प्रयोगः (उपयोगम्) = उपयोग। चञ्चितः (विरहित:)। = ठगा गया। दोहनकाले (दुग्धग्रहणसमये) = दूहने के समय। ताडनम् (प्रहारम्) = मारना। मे (मह्यम्) = मुझे। मूकः (तृष्णीम्) चुप रहना। जातः (अभवत्) = हो गया। ततः (तत्पश्चात्)॥ उसके बाद। निरर्थकम्। (अनुपयोगी) = बेकार। विभाजनम् (भागकरणम्) = बँटवारा।

पाठ का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम्

(1) एकस्मिन् कृषकपरिवारे भ्राताद्वयम् आसीत् सोमदत्तः प्रेमदत्तश्च। ज्येष्ठः सोमदत्तः चतुरः आसीत्। किन्तु कनिष्ठः प्रेमदत्तस्तु सरलः आसीत्। तयोः पाश्र्वे एकं कम्बलम् एका च महिषी आसीत्। एकदा तयोर्मध्ये एकः अनुबन्धः अभवत्।

हिन्दी-अनुवाद-एक किसान के परिवार में दो भाई थे—सोमदत्त और प्रेमदत्त। बड़ा भाई सोमदत्त चतुर था, किन्तु छोटा भाई प्रेमदत्त तो सरल था। उन दोनों के पास एक कम्बल और एक भैंस थी। एक बार उन दोनों के बीच एक अनुबन्ध (करार) हुआ।

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

♦ पठितावबोधनम्

निर्देशः–उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखतप्रश्नाः
(क) भ्राताद्वयम् कुत्र आसीत्।
(ख) ज्येष्ठ: सोमदत्तः कीदृशः आसीत?
(ग) कनिष्ठ: प्रेमदत्तः कीदृशः आसीत्?
(घ) तयोः पाश्र्वे किम् आसीत्?
(ङ) तयोर्मध्ये कः अभवत्?
(च) ‘प्रेमदत्तस्तु’ पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुते।
उत्तर:
(क) एकस्मिन् कृषकपरिवारे भ्राताद्वयम् आसीत्।।
(ख) ज्येष्ठ : सोमदत्त: चतुरः आसीत्।
(ग) कनिष्ठ : प्रेमदत्त; सरलः आसीत्।
(घ) तयो: पार्वे एकं कम्बलम् एका च महिषी आसीत्।
(ङ) तयोर्मध्ये एकः अनुबन्धः अभवत्।
(च) प्रेमदत्तः + तु।

(2) अनुबन्धानुसारेण प्रेमदतः दिवसे क्षेत्रे कार्यं करिष्यति सोमदत्तः रात्रौ च। एवमेव दिवसे कम्बलस्य प्रयोगः अपि कनिष्ठः एव करिष्यति, सोमदत्तस्तु रात्रौ एव। एवं विचारयन्तौ तौ महिषिविषयेऽपि अनुबन्धः कृतवन्तौ। तेन महिष्याः शरीरस्य पूर्वार्धभागस्य स्वामी प्रेमदत्तः अभवत् सोमदत्तस्तु पश्चादर्घभागस्य स्वामी। अनुबन्धनात् पश्चात् प्रेमदत्तस्तु क्षेत्रे एकस्मिन् भागे कम्बलं स्थाप्य दिवसपर्यन्तं परिश्रमं करोति स्म। महिष भोजनादिना सेवते स्म। सोमदत्तस्तु कम्बलेन शरीरमाच्छाद्य रात्रौ क्षेत्रे शयनमेव करोति स्म। प्रातः-सायंकाले च दुग्धं प्राप्नोति। इत्थं सर्वदा प्रेमदत्तस्तु वञ्चितो भवति स्म।

हिन्दी-अनुवाद-अनुबन्ध के अनुसार प्रेमदत्त दिन में खेत में कार्य करेगा और सोमदत्त रात में। इसी प्रकार दिन में कम्बल का उपयोग भी छोटा भाई ही करेगा, सोमदत्त तो रात में ही उपयोग करेगा। इस प्रकार विचार करते हुए उन दोनों ने भैंस के विषय में भी अनुबन्ध किया। उसके अनुसार भैंस के शरीर के आगे के आधे भाग का स्वामी प्रेमदत्त हुआ और सोमदत्त पीछे के आधे भाग का स्वामी हुआ। अनुबन्ध के बाद प्रेमदत्त तो खेत के एक भाग में कम्बल को रखका दिन भर परिश्रम करता था। भैंस की भोजन आदि से सेवा करता था। सोमदत्त तो कम्बल से शरीर को ढककर रात को खेत में ही शयन करता था। सुबह और सायं को दूध भी प्राप्त करता था। इस प्रकार हमेशा प्रेमदत्त तो ठगा गया ही रहता था।

♦ पठितावबोधनम्

निर्देशः–उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखतप्रश्नाः –
(क) अनुबन्धानुसारेण क्षेत्रे प्रेमदत्तः कदा कार्य करोति स्म?
(ख) सोमदत्तः महिष्याः शरीरस्य कस्य भागस्य स्वामी आसीत्?
(ग) महिष भोजनादिना क; सेवते स्म?
(घ) सोमदत्तः रात्रौ क्षेत्रे किं करोति स्म?
(ङ) सर्वदा क; वञ्चितो भवति स्म?
(च) ‘महिष्या:’ पदे का विभक्ति:? किं वचनम्?
(छ) प्रात:-सायंकाले च दुग्धं कः प्राप्नोति स्म?
उत्तर:
(क) अनुबन्धानुसारेण क्षेत्रे प्रेमदत्तः दिवसे कार्यं करोति स्म।
(ख) सोमदत्त: महिष्याः शरीरस्य पश्चादर्धभागस्य स्वामी आसीत्।
(ग) महिष भोजनादिना प्रेमदत्तः सेवते स्म।
(घ) सोमदत्तः रात्रौ क्षेत्रे कम्बलेन शरीरमाच्छाद्य शयनं करोति स्म।
(ङ) सर्वदा प्रेमदत्त: वञ्चितो भवति स्म।
(च) षष्ठी, एकवचनम्।
(छ) प्रातः-सायंकाले च दुग्धं सोमदत्तः प्राप्नोति स्म।

(3) स एकदा स्वमित्रं ‘गोनू झा’ नामकं पण्डितं पृष्टवान्-भोः! किं करोमि? सदा वञ्चितः अस्मि। गोनू झा प्रेमदत्ताय समुचितं परामर्श दत्तवान्। गृहं गत्वा सः मित्रस्य कथनानुसारेण कम्बलं प्रक्षालनार्थम् अपराह्न सूर्यास्तसमये जले स्थापितवान्। सायङ्काले सोमदत्तः पृष्टवान् कम्बलं कुत्रास्ति?”तत् मलिनम् जातम्। अतः मया प्रक्षालितम्।’ कम्बलं विना एवं सोमदत्तः रात्रिशयनं कृतवान्।

हिन्दी-अनुवाद-उसने (प्रेमदत्त ने) एक बार अपने मित्र ‘गोनू झा’ नामक पण्डित से पूछा-हे ! क्या करूं? हमेशा ठगा गया हैं। गोनू झा ने प्रेमदत्त को समुचित परामर्श दिया। घर जाकर उसने मित्र के कथनानुसार कम्बल को धोने के लिए अपराह्न में सूर्यास्त के समय पानी में डाल दिया (भिगो दिया)। सायंकाल में सोमदत्त ने पूछा कि कम्बल कहाँ हैं? “वह मैला हो गया था। इसलिए मैंने उसे धो दिया है।” कम्बल के बिना ही सोमदत्त ने रात में शयन किया।

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

♦ पठितावबोधनम्

निर्देश:-उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखतप्रश्ना:-
(क) प्रेमदत्त: कम् पृष्टवान्?
(ख) गोनू झा प्रेमदत्ताय किं दत्तवान्?
(ग) प्रेमदत्तेन कम्बले कुत्र स्थापितम्?
(घ) कं विना एव सोमदत्त: रात्रिशयनं कृतवान्?
(ङ) ‘गत्वा’ पदे कः प्रत्ययः?
(च) कम्बले केन प्रक्षालितम्?
उत्तर:
(क) प्रेमदत्तः स्वमित्रं ‘गोनू झा’ नामकं पण्डितं पृष्टवान्।
(ख) गोनू झा प्रेमदत्ताय समुचितं परामर्श दत्तवान्।
(ग) प्रेमदत्तेन कम्बलं जले स्थापितम्।
(घ) कम्बलं विना एव सोमदत्त: रात्रिशयनं कृतवान्।
(ङ) क्त्वा प्रत्ययः।
(च) कम्बलं प्रेमदत्तेन प्रक्षालितम्।

(4) अनन्तरं सः महिषीं दिवसे भोजनेन वञ्चितां कृतवान्। महिषी अतीव कुपिता। ततः सः दोहनकालेऽपि दण्डेन पूर्वार्द्धभागं तां ताडितवान्। अतः महिषी कुपिता भूत्वा दोहनकाले पादप्रहारेण सोमदत्तं ताडितवती। सः चतुरः क्रोधितः सम्भूय अकथयत्-‘भोः मूर्ख! किं करोषि?” महिष्याः। पूर्वार्धस्वामी प्रेमदत्तः उक्तवान्-”अहं अस्याः शरीरस्य पूर्वार्धभागस्य स्वामी। यन्मे रोचते तदेव करोमि। अनेन तव किम्?” इति भ्रातुः कथनं श्रुत्वा सोमदत्तः मूकः जातः। स्वधूर्ततायाः इदं फलं ज्ञात्वा लज्जितः च अभवत्।

हिन्दी-अनुवाद-इसके बाद उसने (प्रेमदत्त ने) दिन में भैंस को भोजन से वञ्चित कर दिया। भैंस अत्यधिक के हो गई। उसके बाद उसने दुहने के समय भी इण्डे के प्रहार से भैंस के आगे के आधे भाग को प्रताड़ित किया। इसलिए भैंस ने क्रोधित होकर दुहने के समय पैर के प्रहार से सोमदत्त को मारा। वह चतुर (सोमदत्त) क्रोधित होकर बोला-“अरे मूर्ख! क्या कर रहे हो?” भैंस के आगे के भाग के स्वामी प्रेमदत्त ने कहा- ‘मैं इसके शरीर के आगे के आधे भाग का स्वामी हैं। जो मुझे अच्छा लगता है, वही करता हूँ। इससे तुम्हें क्या?” इस प्रकार भाई के कथन को सुनकर सोमदत्त चुप हो गया। और वह अपनी धूर्तता का यह फल जानकर लज्जित हो गया।

♦ पठितावबोधनम्

निर्देशः-उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखतप्रश्नाः –
(क) प्रेमदत्त महर्षी दिवसे केन वञ्चितां कृतवान्?
(ख) महिषी कथं सोमदत्तं ताडितवती?
(ग) क; क्रोधित: सम्भूय अकथयत्?
(घ) प्रेमदत्तः कस्याः स्वामी आसीतू?
(ङ) ‘सम्भूय’ पदे : उपसर्ग:? कः प्रत्ययः?
(च) किम् ज्ञात्वा सोमदत्त: लज्जितः अभवत्?
उत्तर:
(क) प्रेमदत्त: महिष दिवसे भोजनेन वञ्चितां कृतवान्।
(ख) महिषी कुपिता भूत्वा दोहनकाले पादप्रहारेण सोमदत्तं ताडितवती।
(ग) सोमदत्त: क्रोधितः सम्भूय अकथयत्।
(घ) प्रेमदत्त; महिष्याः शरीरस्य पूर्वार्धभागस्य स्वामी आसीत्।
(ङ) ‘सम्’ उपसर्गः, ‘ल्यप् प्रत्ययः।
(च) स्वधूर्ततायाः फलं ज्ञात्वा सोमदत्तः लज्जितः अभवत्।

(5) ततः स पुनः महिषिविभाजनं निरर्थकं कथयन् क्षेत्रे कम्बले महिष्याः भोजनदाने दुग्धग्रहणे च उभौ समानौ स्वामिनी इति स्वीकृतवान्। तेन द्वयोः लाभः जातः अतः परस्परं सदैव सहयोगेन सामञ्जस्येन च कार्य करणीयम्। परिवारे स्वार्थसिद्धिपूर्वक निरर्थकं विभाजनं न शोभते।

हिन्दी-अनुवाद-उसके बाद उसने फिर से भैंस के विभाजन को निरर्थक (बेकार) कहते हुए खेत में, कम्बल में, भैंस को भोजन देने में और दूध लेने में दोनों को समान स्वामी स्वीकार किया। उससे दोनों को ही लाभ हुआ।

इसलिए आपस में हमेशा सहयोग और सामञ्जस्य से कार्य करना चाहिए। परिवार में स्वार्थ-सिद्धि से युक्त निरर्थक (बेकार का) बँटवारा ठीक नहीं होता है।

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

♦ पठितावबोधनम्

निर्देशः-उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखतप्रश्ना:-
(क) क; महिषिविभाजनं निरर्थकं कथयति?
(ख) सोमदत्तः कस्मिन् उभयोः समानस्वामिनौ इति स्वीकृतवान्?
(ग) परस्परं सदैव कथं कार्यं करणीयम्?
(घ) परिवारे कीदृशं विभाजनं न शोभते?
(ङ) ‘शोभते’ पदे कः लकारः? किं वचनम्?
(च) तेन कयो: लाभ: जातः।
उत्तर:
(क) सोमदत्त: महिषिविभाजनं निरर्थकं कथयति।
(ख) सोमदत्तः क्षेत्रे कम्बले महिष्याः भोजनदाने दुग्धग्रहणे च उभयो: समानस्वामिनौ इति स्वीकृतवान्।
(ग) परस्परं सदैव सहयोगेन सामञ्जस्येन च कार्य करणीयम्।
(घ) परिवार स्वार्थसिद्धिपूर्वकं निरर्थकं विभाजनं न शोभते।
(ङ) लट्लकारः एकवचनम्।
(च) तेन प्रेमदत्त-सोमदत्तयो: लाभ: जात:।

हिन्दी-अनुवाद-इसके बाद उसने (प्रेमदत्त ने) दिन में भैंस को भोजन से वञ्चित कर दिया। भैंस अत्यधिक ऋद्ध हो गई। उसके बाद उसने दूहने के समय भी डण्डे के प्रहार से भैंस के आगे के आधे भाग को प्रताड़ित किया। इसलिए भैंस ने क्रोधित होकर दूहने के समय पैर के प्रहार से सोमदत्त को मारा। वह चतुर (सोमदत्त) क्रोधित होकर बोला-“अरे मूर्ख! क्या कर रहे हो?” भैंस के आगे के भाग के स्वामी प्रेमदत्त ने कहा- “मैं इसके शरीर के आगे के आधे भाग का स्वामी हैं। जो मुझे अच्छा लगता है, वही करता हूँ। इससे तुम्हें क्या?” इस प्रकार भाई के कथन को सुनकर सोमदत्त चुप हो गया। और वह अपनी धूर्तता का यह फल जानकर लज्जित हो गया।

♦ पठितावबोधनम्

निर्देशः-उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखतप्रश्नाः –
(क) प्रेमदत्त: महिष दिवसे केन वञ्चितां कृतवान्?
(ख) महिषी कथं सोमदत्तं ताडितवती?
(ग) कः क्रोधितः सम्भूय अकथयत्?
(घ) प्रेमदत्तः कस्या: स्वामी आसीत्?
(ङ) ‘सम्भूय’ पदे क; उपसर्ग:? कः प्रत्ययः?
(च) किम् ज्ञात्वा सोमदत्त: लज्जितः अभवत्?
उत्तर:
(क) प्रेमदत्त: महिषी दिवसे भोजनेन वञ्चितां कृतवान्।
(ख) महिषी कुपिता भूत्वा दोहनकाले पादप्रहारेण सोमदत्तं ताडितवती।
(ग) सोमदत्त: क्रोधितः सम्भूय अकथयत्।
(घ) प्रेमदत: महिष्याः शरीरस्य पूर्वार्धभागस्य स्वामी आसीत्।
(ङ) सम्’ उपसर्ग:, ‘ल्यप् प्रत्ययः।
(च) स्वधूर्तताया; फलं ज्ञात्वा सोमदत्त: लज्जितः अभवत्।

(5) ततः स पुनः महिषिविभाजनं निरर्थकं कथयन् क्षेत्रे कम्बले महिष्याः भोजनदाने दुग्धग्रहणे च उभौ समानौ स्वामिनौ इति स्वीकृतवान्। तेन द्वयोः लाभः जातः।
अतः परस्परं सदैव सहयोगेन सामञ्जस्येन च कार्यं करणीयम्। परिवारे स्वार्थसिद्धिपूर्वकं निरर्थकं विभाजनं न शोभते।

हिन्दी-अनुवाद-उसके बाद उसने फिर से भैंस के विभाजन को निरर्थक (बेकार) कहते हुए खेत में, कम्बल में, भैंस को भोजन देने में और दूध लेने में दोनों को समान स्वामी स्वीकार किया। उससे दोनों का ही लाभ हुआ।

इसलिए आपस में हमेशा सहयोग और सामञ्जस्य से कार्य करना चाहिए। परिवार में स्वार्थ-सिद्धि से युक्त निरर्थक (बेकार का) बँटवारा ठीक नहीं होता है।

RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit रञ्जिनी Chapter 13 संहतिः श्रेयसी पुंसाम्

♦ पठितावबोधनम्

निर्देश:- उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखतप्रश्ना:-
(क) कः महिषिविभाजनं निरर्थकं कथयति?
(ख) सोमदत; कस्मिन् उभयो: समानस्वामिनौ इति स्वीकृतवान्?
(ग) परस्परं सदैव कथं कार्य करणीयम्?
(घ) परिवारे कीदृशं विभाजनं न शोभते?
(ङ) ‘शोभते’ पदे क; लकार:? किं वचनम्?
(च) तेन कयो: लाभ: जात:?
उत्तर:
(क) सोमदत्त: महिषिविभाजनं निरर्थकं कथयति।
(ख) सोमदत्त: क्षेत्रे कम्बले महिष्याः भोजनदाने दुग्धग्रहणे च उभयोः समानस्वामिनौ इति स्वीकृतवान्।
(ग) परस्परं सदैव सहयोगेन सामञ्जस्येन च कार्य करणीयम्।
(घ) परिवारे स्वार्थसिद्धिपूर्वकं निरर्थकं विभाजनं न शोभते।
(ङ) लट्लकार: एकवचनम्।
(च) तेन प्रेमदत्त-सोमदत्तयो: लाभ: जात:।

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