RBSE Solutions for Class 8 Science Chapter 5 जैव-विविधता are part of RBSE Solutions for Class 8 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 8 Science Chapter 5 जैव-विविधता.
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 8 |
Subject | Science |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | जैव-विविधता |
Number of Questions Solved | 51 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 8 Science Chapter 5 जैव-विविधता
पाठगत प्रश्न
पृष्ठ 47-48
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के क्षेत्र में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों को अग्रलिखित सारणी में सूचीबद्ध करें।
उत्तर:
सारणी-हमारे आस-पास पाये जाने वाले पेड़-पौधे एवं जीव-जन्तु
पेड़-पौधों के नाम | जीव-जन्तुओं के नाम |
बबूल | कुत्ता |
आम | बिल्ली |
खेजड़ी | गाय-भैंस |
पीपल | गिलहरी |
बरगद | छिपकली |
इमली | चूहा |
पृष्ठ 51-52
प्रश्न 2.
पाठ्यपुस्तक में दिये प्रजातियों के सभी उदाहरणों को निम्नलिखित सारणी में वर्गीकृत करें-
क्र.सं. | श्रेणी का नाम | जंतु प्रजातियाँ | पादप प्रजातियाँ |
1. | विलुप्त | ||
2. | प्राकृतिक आवासों में विलुप्त | ||
3. | संकटापन्न | ||
4. | विशेष क्षेत्री |
उपर्युक्त सारणी का अवलोकन करके बताइए कि कौन-कौनसी पादप तथा जन्तु प्रजातियाँ एक से अधिक श्रेणी में आ रही हैं?
यहाँ जन्तु प्रजातियों में गंगा नदी की डाल्फिन तथा पादप प्रजाति में इन्द्रोक संकटापन्न व विशेष क्षेत्री प्रजाति दोनों में आ रही हैं।
उत्तर:
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
सही विकल्प का चयन कीजिए
प्रश्न 1.
वह प्रजाति जो प्राकृतिक आवासों में नहीं पायी। जाती है, परन्तु संरक्षित क्षेत्रों में पायी जाती है, कहलाती है
(अ) संकटापन्न
(ब) विलुप्त
(स) प्राकृतिक आवासों में विलुप्त
(द) विशेष क्षेत्री
उत्तर:
(स) प्राकृतिक आवासों में विलुप्त
प्रश्न 2.
निम्न में संकटापन्न प्रजाति है
(अ) नीम
(ब) खेजड़ी
(स) इन्द्रोक
(द) बेर
उत्तर:
(स) इन्द्रोक
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. सभी संकटापन्न स्पीशीज का रिकॉर्ड ………………….. में रखा जाता है।
2. जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियाँ जिनका कोई भी प्रतिनिधि वर्तमान में जीवित नहीं है ………………. श्रेणी में आते हैं।
3. किसी क्षेत्र विशेष में पाये जाने वाले पेड-पौधों व जीव-जन्तुओं की प्रजातियों को उस क्षेत्र की …………… कहते हैं।
4. सम्पूर्ण विश्व में ……………… जैव विविधता हॉट स्पॉट हैं।
उत्तर:
1. रेड डाटा पुस्तक
2. विलुप्त
3. विशेष क्षेत्री प्रजाति
4. 34
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पौधों और वन्य जीवों के लिए संरक्षित एवं सुरक्षित स्थान कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
केन्द्रीय एवं राज्य सरकार द्वारा स्थापित वन्य जीव अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान, चिड़ियाघर, वनस्पति उद्यान आदि पौधों एवं वन्य जीवों के लिए संरक्षित एवं सुरक्षित स्थान हैं। हमारे देश में भी 510 से अधिक वन्य जीव अभयारण्य एवं 102 राष्ट्रीय उद्यान हैं। राजस्थान में 30 वन्य जीव, अभयारण्य, 4 राष्ट्रीय उद्यान एवं 4 आखेट निषेध क्षेत्र हैं।
प्रश्न 2.
रेड डाटा पुस्तक क्या है?
उत्तर:
रेड डाटा पुस्तक-यह वह पुस्तक है जिसमें सभी संकटापन्न स्पीशीज का रिकार्ड रखा जाता है। पौधों एवं जन्तुओं और अन्य स्पीशीज के लिए अलग-अलग रेड डाटा पुस्तकें हैं।
प्रश्न 3.
जैव विविधता हॉट स्पॉट क्या है?
उत्तर:
जैव विविधता हॉट स्पॉट (Biodiversity of Hot Spots)- अत्यधिक जैव विविधता सम्पन्न एवं विशेष क्षेत्री प्रजातियों के आवास स्थल रहे वे जैवभौगोलिक क्षेत्र जहाँ की महत्त्वपूर्ण (पादप एवं जन्तु) जैव-विविधता मानव की स्वार्थपूर्ण गतिविधियों के कारण नष्ट हो रही है, जैव विविधता हॉट स्पॉट कहलाते हैं। इन जैव विविधता हॉट स्पॉट्स में अत्यधिक संकटापन्न, लुप्तप्राय व विशेष क्षेत्री पादप एवं जन्तु प्रजातियाँ सम्मिलित हैं। सम्पूर्ण विश्व में 34 जैव विविधता हॉट स्पॉट हैं जिनमें दो जैविक हॉट स्पॉट पश्चिमी घाट व पूर्वी हिमालयी क्षेत्र भारत में हैं। तीव्र गति से वनोन्मूलन के कारण इन हॉट स्पॉट में पायी जाने वाली प्रजातियाँ संकट में हैं अतः इन्हें बचाने की आवश्यकता है।
प्रश्न 4.
वनस्पति उद्यानों की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर:
वनस्पति उद्यान- इनकी स्थापना प्राकृतिक रूप से लुप्तप्राय एवं संकटापन्न पादप प्रजातियों के संरक्षण के लिए की गई। पूरे संसार में लगभग 1600 वनस्पति उद्यान हैं। ये वनस्पति उद्यान बीज बैंक एवं वनस्पतियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से स्थापित किए जाते हैं। हमारे देश में आचार्य जगदीश चन्द्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान, सिबपुर, हावड़ा, पश्चिम बंगाल में है। यह 269 एकड़ में फैला हुआ है।
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वनोन्मूलन के कारण एवं दुष्परिणाम क्या हैं? लेख लिखिए।
अथवा
वनोन्मूलन के क्या कारण हैं? वनोन्मूलन से होने वाले चार दुष्प्रभाव लिखिए।
उत्तर:
वनोन्मूलन के कारण- मानव जनित और प्राकृतिक कारणों से वनों का विनाश वनोन्मूलन कहलाता है। वनोन्मूलन के मुख्य कारण निम्न हैं
- फर्नीचर एवं ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोगईंधन, फर्नीचर, निर्माण कार्यों, कागज, सजावटी वस्तुएँ, जहाज आदि का निर्माण लकड़ी से होता है। यह लकड़ी वनों की अंधाधुंध कटाई से प्राप्त करते हैं जो वनोन्मूलन का कारण है।
- पशुओं के अतिचारण-पशुओं द्वारा भोजन के रूप में वनस्पति का उपयोग किया जाता है। इनके अतिचारण से वनस्पति तो नष्ट होती है, साथ ही भूमि की उपजाऊ क्षमता भी इनके पैरों से नष्ट हो जाती है।
- आवास एवं कृषि के लिए भूमि-तेजी से बढ़ती जनसंख्या एवं शहरीकरण भी वनों के विनाश का कारण है। बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्य आपूर्ति हेतु वनों की कटाई कर कृषि क्षेत्र को बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा सड़क, रेल्वे लाइन, बांध, भवन, फैक्ट्रियाँ आदि के लिए भी वनों की कटाई की जा रही है।
- प्राकृतिक कारक-अत्यधिक बरसात या सूखा पड़ना, वनों में आग के कारण भी वन नष्ट हो रहे हैं।
वनोन्मूलन के दुष्परिणाम-
- भूमि की उर्वरता में कमी-पेड़-पौधों की जड़े मृदा को दृढ़ता से बांधे रखती हैं । इनकी कटाई से मृदा ढीली पड़ जाती है तथा तेज हवा अथवा जल बहाव के साथ बह कर चली जाती है। मृदा की ऊपरी परत में ह्यूमस एवं पोषक तत्व बहुतायत में पाए जाते हैं। इस परत के बह कर चले जाने से मृदा की उर्वरकता कम हो जाती है जिससे वहाँ की वनस्पतियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- ऑक्सीजन व कार्बन डाइऑक्साइड गैस के अनुपात का असन्तुलन-हम जानते हैं कि पेड़-पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO2) ग्रहण की जाती है और ऑक्सीजन गैस (O2) बाहर निकलती है। वनों के विनाश से वायुमण्डल में इन गैसों का सन्तुलन बिगड़ रहा है। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से विश्व का ताप बढ़ रहा है। जिसे भूमण्डलीय तापक्रम वृद्धि/वैश्विक ऊष्मन (Global Warming) कहते हैं।
- स्थलीय जल में कमी-वृक्ष भूमि से जल को अवशोषण जड़ों द्वारा ही करते हैं एवं यह जल वाष्पोत्सर्जन की क्रिया द्वारा वाष्प के रूप में मुक्त होता है। वनों की कटाई से वायुमण्डल में जलवाष्प की मात्रा निरंतर घटती जा रही है जिससे वर्षा में निरंतर कमी आ रही है।
- भू-स्खलन-पर्वतीय क्षेत्रों के वृक्षों की कमी से मृदा । की दृढ़ता से बंधने की क्षमता समाप्त हो रही है, जिससे चट्टानें खिसकने की घटना बढ़ रही है जैसे-उत्तराखण्ड की त्रासदी।
- जन्तुओं तथा पक्षियों के आवास नष्ट होना| जन्तुओं, पक्षियों एवं पादपों की विभिन्न प्रजातियों के लिए वन एक प्राकृतिक उत्तम आवास है। वनों के विनाश से उनके आवास उजड़ जाते हैं।
- प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि–वनोन्मूलन से प्राकृतिक आपदाएँ भूकम्प, बाढ़, सूखा, चक्रवात आदि की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे पादप एवं जन्तु नष्ट हो रहे हैं।
- जलवायु परिवर्तन-वनोन्मूलन से वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण बढ़ा है जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसमें कई प्रजातियाँ अनुकूलित नहीं होने के कारण नष्ट हो रही हैं।
प्रश्न 2.
जैव-विविधता के संरक्षण हेतु क्या-क्या प्रयास किए गए? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
जैव विविधता के संरक्षण हेतु निम्न प्रयास किये गये हैं-इसके लिए अपनाई जाने वाली विधियों को दो। वर्गों में बाँटा गया है
1. स्वस्थाने-
- अभयारण्य
- राष्ट्रीय उद्यान
- संरक्षित वन क्षेत्र
2. बहिस्थाने-
- प्राणी उद्यान
- वनस्पति उद्यान
1. स्वस्थाने- जैव विविधता के संरक्षण के लिए हम सभी उत्तरदायी हैं। कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगठन वन व वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए कार्यरत हैं। इनके संरक्षण हेतु नियम, कानून और नीतियाँ बनाई हैं। इनका पालन अनिवार्य है। केन्द्रीय व राज्य सरकारों द्वारा स्थापित वन्य जीव अभयारण्य राष्ट्रीय उद्यान, चिड़ियाघर, वनस्पति उद्यान आदि पौधों एवं वन्य जीवों के संरक्षण हेतु सुरक्षित स्थान हैं।
वन्य जीव अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान- वन्य जीवजन्तुओं एवं पादपों की महत्त्वपूर्ण प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवासों में संरक्षण हेतु इनकी स्थापना की गई है। हमारे देश में 510 से अधिक वन्य जीव अभयारण्य एवं 102 राष्ट्रीय उद्यान हैं। इन वनों में पेड़ों को काटना एवं जन्तुओं का शिकार करना वर्जित है। कुछ वन्यजीव अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान निम्नानुसार हैं-म.प्र. में बांधवगढ़ (टाइगर), कर्नाटक में बांदीपुर (टाइगर), गुजरात में गिर (एशियाटिक सिंह), आसाम में काजीरंगा (भारतीय गैंडा), म.प्र. में कान्हा (टाइगर), केरला में पेरियार (एशियाई हाथी), जम्मू एवं कश्मीर में दाचीगम (कश्मीर स्टेग), भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (पक्षी, साईबेरियन क्रेन), रेणथम्भौर बाघ अभयारण्य राजस्थान (बाघ), सुन्दरवन बाघ अभयारण्य (बाघ) । राजस्थान में 30 वन्य जीव अभयारण्य, 4 राष्ट्रीय उद्यान एवं 4 आखेट निषेध क्षेत्र हैं।
2. बहिस्थाने-
(1) प्राणी उद्यान- यह वह स्थान है। जहाँ पक्षियों एवं जन्तुओं को आम नागरिकों के लिए वन्य जीवों के बारे में जानकारी देने हेतु प्रदर्शन के लिये रखा जाता है। ये स्थान प्राकृतिक रूप से लुप्तप्राय (Extinct in Wild) प्राणियों के प्रजनन केन्द्र के रूप में भी सेवाएँ दे रहे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करना व वन्य जीवों के प्रति लगाव पैदा करना है।
(2) वनस्पति उद्यान- इनकी स्थापना प्राकृतिक रूप से लुप्तप्राय एवं संकटापन्न पादप प्रजातियों के संरक्षण हेतु की गई है। पूरे संसार में 1600 वनस्पति उद्यान हैं। ये बीज बैंक एवं वनस्पतियों को संरक्षित करने के उद्देश्य से स्थापित किये गये हैं। हमारे देश में आचार्य जगदीश चन्द्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान, सिबपुर, हावड़ा, पश्चिम बंगाल में है। यह 269 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
हवाई कौआ प्रजाति वर्तमान में विद्यमान नहीं है। अर्थात् विलुप्त जन्तु प्रजाति है, निम्नलिखित में विलुप्त जन्तु प्रजाति है
(अ) डोडो पक्षी
(ब) कौआ
(स) हाथी
(द) टाइगर
उत्तर:
(अ) डोडो पक्षी
प्रश्न 2.
संकटापन्न प्रजाति तथा विशेष क्षेत्री प्रजाति दोनों श्रेणियों में पाये जाने वाली जन्तु प्रजाति है
(अ) स्नो तेंदुआ
(ब) गंगा नदी की डाल्फिन
(स) कृष्ण मृग
(द) एक सींग वाला गैंडा
उत्तर:
(ब) गंगा नदी की डाल्फिन
प्रश्न 3.
कालीमंतन मेंगो पादप प्रजाति की श्रेणी है
(अ) संकटापन्न
(ब) विशेष क्षेत्री
(स) प्राकृतिक आवासों में विलुप्त
(द) विलुप्त
उत्तर:
(स) प्राकृतिक आवासों में विलुप्त
प्रश्न 4.
राजस्थान में वन्य जीव अभयारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या है
(अ) 30 व 4
(ब) 44 वे 4 .
(स) 510 व 102
(द) अनिश्चित
उत्तर:
(अ) 30 व 4
प्रश्न 5.
एक से अधिक श्रेणी में आ रही पादप प्रजाति का उदाहरण है
(अ) सू-फोग
(ब) लाल चन्दन
(स) पनीरबन्ध
(द) इन्द्रोक
उत्तर:
(द) इन्द्रोक
प्रश्न 6.
निम्न में विशेष क्षेत्री प्रजाति की पादप प्रजाति नहीं
(अ) पेंपा
(ब) खेडुला
(स) सू-फोग
(द) कोकिया कूकी
उत्तर:
(द) कोकिया कूकी
प्रश्न 7.
विलुप्त जन्तु प्रजातियों का निम्नलिखित में से उदाहरण है
(अ) हवाई कौआ
(ब) व्योमिंग मेंढक
(स) डोडो पक्षी
(द) कृष्ण मृग
उत्तर:
(स) डोडो पक्षी
प्रश्न 8.
वे प्रजातियाँ जिनकी संख्या निरन्तर एक निर्धारित स्तर से कम होती जा रही है, उन्हें कहते हैं
(अ) विलुप्त प्रजाति
(ब) विशेष क्षेत्रीय प्रजाति
(स) संकटापन्न प्रजाति
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) संकटापन्न प्रजाति
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. भारत को जैव-विविधता का ……………….. कहा जाता है। (विपन्न राष्ट्र/सम्पन्न राष्ट्र)
2. जैव विविधताओं में होने वाली कमी ……………… कहलाती है। (जैव विविधता क्षरण/वन्य जीव क्षरण)
3. संकटापन्न प्रजातियाँ वे हैं जो निकट समय में …………….. हो सकती हैं। (विलुप्त नहीं/विलुप्त)
4. विदेशी पक्षी जो प्रजनन काल में भारत आते हैं …………… कहलाते हैं। (प्रवासी पक्षी/निवासी पक्षी)
5. पौधों, जन्तुओं और अन्य स्पीशीज के लिए …………………. रेड डाटा पुस्तक है। (एक/अलग-अलग)
उत्तर:
1. सम्पन्न राष्ट्र
2. जैव विविधता क्षरण
3. विलुप्त
4. प्रवासी पक्षी
5. अलग-अलग
बताइए निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य
1. रणथम्भौर नेशनल पार्क प्रवासी पक्षियों का प्रवास स्थल है।
2. आचार्य जगदीश चन्द्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान 269 एकड़ में फैला हुआ है।
3. आम नागरिकों के लिए वन्य जीवों के बारे में जानकारी देने के लिए प्राणी उद्यान बनाये गये हैं।
4. वनोन्मूलन से वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ रही है।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य
3. सत्य
4. असत्य
सही मिलान कीजिए
प्रश्न 1.
निम्नांकित का सही मिलान कीजिए
कॉलम ‘A’ | कॉलम ‘B’ |
1. तस्मानियन टाइगर | (अ) काजीरंगा |
2. गोडावण | (ब) प्रवासी पक्षी |
3. भारतीय गैंडा | (स) विलुप्त प्रजाति |
4. कुरजां | (द) संकटापन्न प्रजाति |
उत्तर:
1. (स)
2. (द)
3. (अ)
4. (ब)
प्रश्न 2.
निम्नांकित का सही मिलान कीजिए-
कॉलम (अ) | कॉलम ( ब ) |
1. प्रवासी पक्षियों के प्रवास स्थल | (अ) रेड डाटा पुस्तक |
2. बाघ अभयारण्य | (ब) केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान |
3. संकटापन्न स्पीशीज का रिकॉर्ड | (स) प्राकृतिक आवासों में विलुप्त |
4. काला मुलायम खोल वाला कछुआ | (द) रणथम्भौर नेशनल |
उत्तर:
1. (ब)
2. (द)
3. (अ)
4. (स)
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जैव विविधता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले पेड़-पौधों व जीव-जन्तुओं की प्रजातियों को उस क्षेत्र की जैव विविधता कहते हैं
प्रश्न 2.
पेड़-पौधों एवं जीव-जन्तुओं की प्रजातियों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है?
उत्तर:
चार श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है-
- विलुप्त
- प्राकृतिक आवासों में विलुप्त
- संकटापन्न
- विशेष क्षेत्री
प्रश्न 3.
प्राकृतिक आवासों में विलुप्त श्रेणी की एक जन्तु प्रजाति तथा एक पादप प्रजाति का नाम लिखिए।
उत्तर:
जन्तु प्रजाति-हवाई कौआ; पादप प्रजातिकालीमंतन मेंगो।
प्रश्न 4.
एक जन्तु प्रजाति तथा एक पादप प्रजाति का नाम लिखो जो दो श्रेणियों में पाई जाती है।
उत्तर:
जन्तु प्रजाति-गंगा नदी की डाल्फिन; पादप प्रजाति–इन्द्रोक।
प्रश्न 5.
भारतीय विशाल गिलहरी कहाँ पाई जाती है?
उत्तर:
पंचमढ़ी जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र में भारतीय विशाल गिलहरी पाई जाती है।
प्रश्न 6.
विलुप्त श्रेणी के एक जन्तु प्रजाति तथा एक पादप प्रजाति का नाम लिखो।
उत्तर:
जन्तु प्रजाति-जंगली कबूतर; पादप प्रजातिसेंट हेलेना जेतून।
प्रश्न 7.
विशेष श्रेणी प्रजाति के एक जन्तु तथा एक पादप का नाम लिखिए।
उत्तर:
जन्तु-स्नो तेंदुआ; पादप-सू-फोग।
प्रश्न 8.
वनोन्मूलन से क्या आशय है?
उत्तर:
मानव जनित और प्राकृतिक कारणों से वनों का विनाश वनोन्मूलन कहलाता है।
प्रश्न 9.
जोधपुर क्षेत्र में पाये जाने वाले प्रवासी पक्षियों के प्रवास स्थल के नाम लिखिए।
उत्तर:
- फलौदी के पास खींचन।
- गुड़ा विश्नोईयान के पास काकानी तालाब।
प्रश्न 10.
प्रवासी पक्षी किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे पक्षी जो उड़कर सुदूर क्षेत्रों तक लम्बी यात्रा करते हैं, प्रवासी पक्षी कहलाते हैं।
प्रश्न 11.
वनोन्मूलन के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
- फर्नीचर एवं ईंधन हेतु लकड़ी प्राप्त करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जाती है।
- वन क्षेत्र में पशुओं के अतिचारण द्वारा भी वनोन्मूलन होता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नांकित सारणी का अवलोकन कर पूर्ति कीजिए
क्र.सं. | श्रेणी का नाम | जन्तु प्रजातियाँ | पादप प्रजातियाँ |
1. | विलुप्त | ||
2. | संकटापन्न | ||
3. | विशेष क्षेत्री |
उत्तर:
क्र.सं. | श्रेणी का नाम | जन्तु प्रजातियाँ | पादप प्रजातियाँ |
1. | विलुप्त | डोडो पक्षी, जंगली कबूतर | वूड्स, सांइकेडस |
2. | संकटापन्न | एशियाटिक, सिंह, कृष्ण मृग | पनीरबन्ध, रोहिडा |
3. | विशेष क्षेत्री | स्नो तेन्दुआ, डाल्फिन | इन्द्रोक, खेडुला |
प्रश्न 2.
क्या सम्पूर्ण भारत में पाये जाने वाले जीवजन्तुओं, पेड़-पौधों एवं सूक्ष्म जीवों की प्रजातियाँ समान हैं?
अथवा
भारत को जैव विविधता सम्पन्न राष्ट्र क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
नहीं। हमारे देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की वातावरणीय अवस्थाओं की भिन्नताओं के कारण इन क्षेत्रों में पाये जाने वाले जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधों की प्रजातियाँ भी भिन्न हैं। सम्पूर्ण विश्व में लगभग 2,50,000 पादप प्रजातियाँ पायी जाती हैं, जिनमें से अकेले भारत में ही लगभग 45,000 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। भारत में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों एवं सूक्ष्मजीवों में ये विभिन्नताएँ विश्व के दूसरे देशों की अपेक्षा अधिक हैं। इस कारण भारत को जैव-विविधता सम्पन्न राष्ट्र कहा जाता है।
प्रश्न 3.
विशेष क्षेत्री प्रजाति से क्या आशय है? समझाइए।
उत्तर:
विशेष क्षेत्री स्पीशीज- पौधे एवं जन्तुओं की वह स्पीशीज जो किसी विशेष क्षेत्र में विशिष्ट रूप से पाई जाती है, उसे विशेष क्षेत्री स्पीशीज कहते हैं। जैसेपचमढ़ी जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र में साल और जंगली आम के पेड़ विशेष क्षेत्री वनस्पति प्रजाति हैं। विशालकाय गिलहरी यहाँ की विशेष क्षेत्री जन्तु प्रजाति है। इसके अन्य उदाहरण निम्न हैं
जन्तु प्रजातियाँ- स्नो तेंदुआ (हिमालय रेंज), गंगा नदी की डाल्फिन (गंगा नदी)
पादप प्रजातियाँ- इन्द्रोक, पेंपा खेडुला, सू-फोग (राजस्थान), लाल चंदन (दक्षिण-पश्चिमी घाट)
प्रश्न 4.
संकटापन्न प्रजातियों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
संकटापन्न प्रजातियाँ- जीव-जन्तु एवं पेड़पौधों की वे प्रजातियाँ जिनकी संख्या निरन्तर एक निर्धारित स्तर से कम होती जा रही है, यदि समय रहते जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो वे विलुप्त हो सकती हैं, ‘संकटापन्न प्रजातियाँ’ कहलाती हैं। जैसेजन्तु प्रजातियाँ-एशियाटिक सिंह, गंगा नदी की डाल्फिन, कृष्ण मृग, एक सींग वाला गैंडा, डेजर्ट लिजार्ड, गोडावण, सोन चिरैया, गिद्ध, बिज्जू
पादप प्रजातियाँ- पनीरबन्ध, रोहिड़ा, इन्द्रोक, गुगुल, फोग/फोगड़ा।
प्रश्न 5.
विलुप्त प्रजातियाँ क्या हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
विलुप्त प्रजातियाँ- जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियाँ, जिनका कोई भी प्रतिनिधि वर्तमान में जीवित नहीं है, विलुप्त श्रेणी में आती हैं।
उदाहरण
जन्तु प्रजातियाँ- डोडो पक्षी, जंगली कबूतर, वुली मेमथ, तस्मानियम टाइगर।पादप प्रजातियाँ-सेंट हेलना, जेतून, वूड्स, साइकेड्स, कोकिया कूकी।
प्रश्न 6.
प्राकृतिक आवासों में विलुप्त प्रजातियों से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक आवासों में विलुप्त प्रजातियाँजीव-जन्तु एवं पेड़-पौधों की ऐसी प्रजातियाँ जिनका कोई भी प्रतिनिधि प्राकृतिक आवासों में जीवित नहीं है, परन्तु कृत्रिम आवासों में जीवित अवस्था में आज भी देखे जा सकते हैं।
उदाहरण
जन्तु प्रजातियाँ- हवाई कौआ, व्योमिंग मेंढक, काला मुलायम खोल कछुआपादप प्रजातियाँ-कालीमंतन मेंगो (कस्तूरी)।
प्रश्न 7.
प्रवासी पक्षी किसे कहते हैं? राजस्थान में इनके महत्त्वपूर्ण प्रवास स्थल कौन-कौनसे हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रवासी पक्षी- हमारे देश में जलवायवीय विभिन्नताओं के कारण विदेशी पक्षियों की कई प्रजातियाँ अपने मूल प्राकृतिक आवासों की प्रतिकूल परिस्थितियों (अत्यधिक ठण्ड) से बचने के लिए सर्दियों के मौसम में लम्बी दूरी तय करके अपने प्रजनन काल में भारत आती हैं। इन्हें प्रवासी पक्षी (Migratory Birds) कहते हैं, जैसे-कुरजाँ (साइबेरियन क्रेन)। राजस्थान में इनके महत्त्वपूर्ण प्रवास स्थल निम्नलिखित हैं
- फलौदी के पास खींचन, जोधपुर
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, घाना
- गुडा विश्नोईयान के पास, काकानी तालाब, जोधपुर
- तालछापर, चूरू
- डीडवाना, नागौर
प्रश्न 8.
क्या यह सत्य है कि जब तक हमारी पृथ्वी वृक्षों एवं जंगलों से आच्छादित पहाड़ों से समृद्ध रहेगी, तब तक वह मानव की सन्तानों का पालन-पोषण करती रहेगी”?
उत्तर:
हाँ, यह सत्य है कि जब तक हमारी पृथ्वी वृक्षों एवं जंगलों से आच्छादित पहाड़ों से समृद्ध रहेगी, तब तक वह मानव की सन्तानों को पालन-पोषण करती रहेगी”। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में भी किया गया है क्योंकि पेड़-पौधे हमारी पृथ्वी पर एकमात्र ऐसे सजीव हैं जो सूर्य से प्राप्त प्रकाश ऊर्जा का रूपान्तरण हमारे लिए भोज्य पदार्थों के रूप में प्रयुक्त होने वाली रासायनिक ऊर्जा में कर सकते हैं, जिसको हम प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। यदि पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं तो मानव जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। अतः हमें जैव विविधता का संरक्षण करने हेतु निरन्तर प्रयासरत रहना चाहिए।
प्रश्न 9.
कागज का पुनःचक्रण कर वनोन्मूलन रोका जा सकता है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि 1 टन कागज प्राप्त करने के लिए पूर्ण विकसित 17 वृक्षों को काटा जाता है अतः हम कागज का पुन:चक्रण कर वनोन्मूलन को कम कर सकते हैं। कागज को पुन:चक्रण कर 5 से 7 बार तक काम में लिया जा सकता है। यदि कागज को अधिकतम बार पुनः चक्रित किया जाये तो एक वर्ष में अनेक वृक्षों को बचा सकते हैं।
प्रश्न 10.
वनोन्मूलन से वर्षा दर किस प्रकार कम हुई है? समझाइए।
उत्तर:
वनोन्मूलन से वर्षा दर कम हो जाती है क्योंकि पेड़-पौधे पर्यावरण में जल चक्रे बनाये रखने के लिए मुख्य कारक हैं। पौधे, मृदा से जल का शोषण नहीं करेंगे और बादल बनाने के लिए पत्तियों से वाष्पन भी नहीं होगा। यदि बादल नहीं बनेंगे तो वर्षा भी नहीं होगी।
प्रश्न 11.
निम्नांकित सारणी का अवलोकन कर पूर्ति कीजिए
क्र.सं. | वन्यजीव अभया रण्य/राष्ट्रीय उद्यान का नाम | राज्य | पशु |
1. | बांधवगढ़ | ||
2. | काजीरंगा | ||
3. | गिर |
उत्तर:
क्र.सं. | वन्यजीव अभया रण्य/राष्ट्रीय उद्यान का नाम | राज्य | पशु |
1. | बांधवगढ़ | मध्य प्रदेश | टाइगर |
2. | काजीरंगा | आसाम | भारतीय गैंडा |
3. | गिर | गुजरात | एशियाटिक सिंह |
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जैव विविधता क्षरण क्या है? जैव विविधता क्षरण के मुख्य कारण लिखिए।
उत्तर:
जैव विविधता क्षरण- हम जानते हैं कि पृथ्वी पर अनेक जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधे पाये जाते हैं । कई सजीव ऐसे हैं जो हमें दिखाई नहीं देते किन्तु हमारे लिए महत्त्वपूर्ण हैं। अधिकतर जीव-जन्तुओं का आश्रय स्थल पेड़-पौधे हैं। यदि वृक्षों को काटा जाता है तो पेड़-पौधे तो नष्ट होंगे ही, साथ ही इन पर आश्रित जीव-जन्तु भी नष्ट हो जाएंगे। इस प्रकार जीव-जन्तुओं की संख्या में निरन्तर कमी होती जाएगी तथा निकट भविष्य में ये लुप्त होने के कगार पर पहुँच जाएंगे। जैव विविधताओं में होने वाली यही कमी जैव विविधता क्षरण कहलाता है। जैव विविधता क्षरण के निम्नांकित मुख्य कारण हैं
1. वनोन्मूलन- मानव जनित और प्राकृतिक कारणों से वनों का विनाश वनोन्मूलन कहलाता है। इसके निम्न कारण हैं
- कृषि के लिए भूमि प्राप्त करना।
- घरों एवं कारखानों का निर्माण।
- फर्नीचर बनाने अथवा लकड़ी का ईंधन के रूप में उपयोग ।
- पशुओं के अतिचारण के लिए।
- प्राकृतिक कारक- (i) दावानल, (ii) भीषण सूखा
उपरोक्त कारणों से वनों की अंधाधुंध एवं अनियंत्रित कटाई की जा रही है, साथ ही सड़क, रेलवे लाइन, बाँध, भवन आदि के लिए वनों की कटाई की जा रही है।
2. जानवर व पक्षियों का शिकार
- कई जानवरों को उनके दाँत, मांस, खाल, सींग, हड्डियों आदि के लिए शिकार करते हैं।
- मानव अपने आमोद-प्रमोद के लिए भी पक्षियों व अन्य जानवरों का शिकार करता है। इस प्रकार अंधाधुंध शिकार के कारण देश में जानवरों व पक्षियों की अनेक प्रजातियाँ विलुप्ति के कगार पर है।
प्रश्न 2.
अपने स्थानीय क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने में आप किस प्रकार योगदान दे सकते हैं? अपने द्वारा की जाने वाली क्रियाओं की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
अपने क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने के लिए हम अग्रलिखित कार्य कर सकते हैं
- जागरुकता अभियान चलाना।
- वन महोत्सव मनाना।
- लोगों को नर्सरी में मुफ्त मिलने वाले पौधों के बारे में जानकारी देना।
- जन्मदिवस, शादी आदि पर लोगों को पौधे उपहार देने की सलाह देना।
- छोटे बच्चों की सहायता आस-पास के क्षेत्रों में पौधे लगाने में लेना।
- वन विभाग के कार्यकर्ता को बुलाकर वनों के महत्व के बारे में लोगों को बताना।
प्रश्न 3.
अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा जीवजन्तुओं एवं पेड़-पौधों को कितनी श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है तथा इसका आधार क्या था?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा जीव-जन्तु तथा पेड़-पौधों को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है
- विलुप्त
- प्राकृतिक आवासों में विलुप्त
- संकटापन्न एवं
- विशेष श्रेणी
इनका आधार निम्न था
(1) विलुप्त- ये वे जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधे हैं, जिनके बारे में जानकारी वैज्ञानिक ग्रन्थों में रह गयी है या ये पादप जन्तु संग्रहालयों में संरक्षित हैं किन्तु प्राकृतिक एवं संरक्षित कृत्रिम क्षेत्रों में नहीं पाये जाते हैं। जैसे-जंगली कबूतर एवं सेंट हेलना जेतून।
(2) प्राकृतिक आवासों में विलुप्त- ये वे हैं जो प्राकृतिक आवासों में तो नहीं पाये जाते, परन्तु कृत्रिम संरक्षित क्षेत्रों में पाये जाते हैं। जैसे-हवाई कौआ एवं कालीमंतन मेंगो (कस्तूरी)।
(3) संकटापन्न- यदि समय रहते इनका उपाय नहीं किया गया तो इनकी संख्या में निरन्तर कमी होने से ये विलुप्त हो सकते हैं। जैसे-इन्द्रोक पादप प्रजाति एवं गिद्ध जन्तु प्रजाति।
(4) विशेष क्षेत्री- ये वे हैं जो किसी स्थान/क्षेत्र विशेष में पाये जाते हैं। जैसे-पादप प्रजाति-लाल चन्दन (दक्षिण-पश्चिमी घाट) एवं जन्तु प्रजाति-स्नो तेंदुआ (हिमालय रेंज)।
प्रश्न 4.
निम्न गाय वंश के बारे में आप क्या जानते
(1) कांकरेज
(2) मालवी?
उत्तर:
(1) कांकरेज- गायों का यह वंश बाड़मेर, पाली और जालोर जिले के सांचोर तथा नैगड़ क्षेत्र में पाया जाता है। औसत दर्जे का लम्बा एवं शक्तिशाली शरीर, चौड़ा सीना, सीधी कमर, चौड़ा और बीच में धंसा हुआ ललाट, मजबूत लम्बे एवं मुड़े हुए सींग, लम्बे-चौड़े लटकते हुए कान, उठा हुआ थूआ और काले झंवर की अपेक्षाकृत छोटी पूँछ, इस वंश की प्रमुख पहचान हैं। तेज चलने एवं बोझा ढोने की क्षमता के कारण ये कृषकों की पसंद हैं।
(2) मालवी- गाय प्रजाति का यह वंश भारवाहक पशु के रूप में प्रसिद्ध है। झालावाड़ के मालवी प्रदेश में पाए। जाने वाले इस वंश का शरीर गठीला और रंग धूसर होता है। जैसे-जैसे नर पशु की उम्र बढ़ती है, यह गहरा धूसर होता जाता है। इस वंश की दो जातियाँ हैं-
- बड़ी मालवी
- छोटी मालवी
बड़ी मालवी जाति झालावाड़ में तथा छोटी मालवी कोटा व उदयपुर जिलों में मिलती है। इस वंश का शरीर गठीला, कमर सीधी, ढालू पुट्टे मजबूत एवं छोटी टाँगें, चौड़ा सीना, विकसित थूआ, लटका हुआ मुतान, धंसा हुआ ललाट, मस्तक के बाहरी हिस्सों से निकलकर आगे की ओर निकले नोंकदार सींग, छोटे व नुकीले कान, और एड़ी तक पहुँचने वाले काले झंवर की पूँछ इस नस्ल की प्रमुख पहचान हैं।
प्रश्न 5.
राठी गाय एवं नागौरी बैल के बारे में आप क्या जानकारी रखते हैं?
उत्तर:
राठी गाय एवं नागौरी बैल में निम्न विशेषताएँ पाई जाती हैं
- राठी- इस नस्ल की गायें अधिक दूध देने वाली होती हैं। यद्यपि इस वंश में साहीवाल, लाल सिंधी और हरियाणा नस्ल का मिश्रण है। ये बादामी रंग की अथवा चितकबरी होती हैं। इस नस्ल की गणना भारत की सर्वश्रेष्ठ गायों में है। ये गायें 25 से 30 पौंड तक दूध देती हैं। इनकी पूँछ लम्बी एवं पेट बड़ा होता है। इस नस्ल के बैल वजनदार होते हैं।
- नागौरी- नागौरी नस्ल के बैल चुस्त एवं फुर्तीले होने के साथ-साथ हल जोतने के लिए भी प्रसिद्ध हैं। नागौरी वंश का उत्पत्ति क्षेत्र नागौर जिले का सोहालक प्रदेश है। हृष्ट-पुष्ट एवं लम्बा शरीर, मजबूत गर्दन एवं पुट्टे, औसत दर्जे के सींग, समतल ललाट, लम्बे कान, पतले पैर, पुष्ट थूआ और छोटी पूँछ जिसके सिरे पर टखने के नीचे तक पहुँचने वाला झंवर इस नस्ल की गाय एवं बैल की प्रमुख पहचान हैं।
प्रश्न 6.
नीचे कुछ पादपों एवं जंतुओं के नाम दिए गए हैं। उनको विलुप्त प्रजातियों व संकटापन्न प्रजातियों में छांटकर सूचीबद्ध कीजिए एवं दोनों प्रजातियों में क्या अन्तर है? लिखिए-
गिद्ध, रोहिड़ा, जंगली कबूतर, साइकस, फोग या फोगड़ा, कोकिया कूकी, डोडो पक्षी, गोडावण।
विलुप्त प्रजातियाँ | संकटापन्न प्रजातियाँ |
डोडो पक्षी, जंगली कबूतर, साइकस, कोकिया कूकी। | गिद्ध, रोहिड़ा, फोग या फोगड़ा, गोडावण । |
अन्तर- विलुप्त प्रजातियाँ-जीव-जन्तु एवं पेड़पौधों की ऐसी प्रजातियाँ, जिनका कोई भी प्रतिनिधि वर्तमान में जीवित नहीं है, विलुप्त प्रजातियाँ कहलाती हैं
संकटापन्न प्रजातियाँ- जीव-जन्तु एवं पेड-पौधों की वे प्रजातियाँ जिनकी संख्या निरन्तर एक निर्धारित स्तर से कम होती जा रही है, यदि समय रहते जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो वे विलुप्त हो सकती हैं, ‘संकटापन्न प्रजातियाँ’ कहलाती हैं ।
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