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RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 21 आधुनिक भारत में होने वाले वैचारिक परिवर्तन और समाज सुधार

March 7, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 21 आधुनिक भारत में होने वाले वैचारिक परिवर्तन और समाज सुधार are part of RBSE Solutions for Class 8 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 21 आधुनिक भारत में होने वाले वैचारिक परिवर्तन और समाज सुधार.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 8
Subject Social Science
Chapter Chapter 21
Chapter Name आधुनिक भारत में होने वाले वैचारिक परिवर्तन और समाज सुधार
Number of Questions Solved 68
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 21 आधुनिक भारत में होने वाले वैचारिक परिवर्तन और समाज सुधार

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

पाठगत प्रश्न गतिविधि 
(पृष्ठ संख्या 139)

प्रश्न 1.
गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी के कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
गौतम बुद्ध- बौद्ध धर्म के संस्थापक और प्रवर्तक गौतम बुद्ध थे। गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नामकं वन में 563 ई.पू. में हुआ था। उनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो शाक्य गणराज्य के प्रधान थे। इनकी माता का नाम मायादेवी था। इनका बचपन का नाम सिद्धार्थ था। उनका विवाह यशोधरा नामक एक सुन्दर कन्या से किया गया। 29 वर्ष की आयु में गौतम बुद्ध ने संन्यास ले लिया और राजमहलों का परित्याग कर घर से निकल पड़े। इन्होंने कई वर्षों तक

कठोर तपस्या की और अन्त में गया में एक पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर समाधि लगायी। यहाँ उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद महात्मा बुद्ध ने अपना सम्पूर्ण जीवन बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में लगा दिया। 483 ई. पूर्व में कुशीनगर में महात्मा बुद्ध का देहान्त हो गया।

गौतम बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ-गौतम बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं

  1. चार आर्य सत्य- गौतम बुद्ध के अनुसार चार आर्य सत्य निम्नलिखित हैं-
    • दुःख
    • दु:ख समुदय
    • दुःख निरोध
    • दुःख और निरोध मार्ग
  2. अष्टांगिक मार्ग- अष्टांगिक मार्ग की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
    • सम्यक दृष्टि
    • सम्यक् संकल्प
    • सम्यक् वचन
    • सम्यक् कर्मान्त
    • सम्यक् आजीव
    • सम्यक् व्यायाम
    • सम्यक् स्मृति
    • सम्यक् समाधि
  3. मध्यम मार्ग अपनाने पर बल देना
  4. दस शील
  5. कर्मवाद तथा पुनर्जन्मवाद पर बल देना
  6. अनीश्वर याद
  7. अनात्मवाद
  8. क्षणिकवाद
  9. वेदों की  प्रामाणिकता में अविश्वास
  10. निर्वाण पर बल देना
  11. स्वावलम्बन पर बल देना
  12. प्रतीत्यसमुत्पाद  (प्रत्येक घटना के पीछे कारण होना)
  13. बाह्य आडम्बरों का विरोध

महावीर स्वामी- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थकर थे। महावीर स्वामी का जन्म 59 ई. पूर्व में वैशाली के कुण्डग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला था। इनका विवाह यशोदा नामक एक राजकुमारी से किया गया। 30 वर्ष की आयु में उन्होंने गृह त्याग दिया और सत्य की खोज में निकल पड़े। इन्होंने 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की और 13वें वर्ष में इन्हें कैवल्य (ज्ञान) प्राप्त हुआ। अन्त में 72 वर्ष की आयु में 527 ई.पूर्व में पटना के पावापुरी नामक स्थान पर उनका देहान्त हो गया।

महावीर स्वामी की प्रमुख शिक्षाएँ
महावीर स्वामी की प्रमुख शिक्षाएँ निम्नलिखित हैं-

  1. जैन धर्म ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करता
  2. जैन धर्म सृष्टि की नित्यता में विश्वास करता है
  3. जैन धर्म कर्म एवं पुनर्जन्म में विश्वास करता है
  4. जैन धर्म के अनुसार मोक्ष जीवन का चरम लक्ष्य है
  5. जैन धर्म के अनुसार त्रिरत्न हैं-
    • सम्यक् ज्ञान
    • सम्यक् दर्शन
    • सम्यक् चरित्र
  6. जैन धर्म के अनुसार प्रत्येक जैन भिक्षु को पंचमहाव्रतों का पालन करना  चाझिए ये पंचमहाव्रत हैं
    • अहिंसा
    • सत्य
    • अस्तेय
    • अपरिग्रह
    • ब्रह्मचर्य
  7. जैन धर्म के अनुसार संसार  दु:खों का घर हैं
  8. जैन धर्म आत्मा के अस्तित्व में विश्वास करता है। जैन धर्म अनेकात्मवाद में विश्वास करता है
  9. जैन धर्म व्रत तथा तपस्या पर बल देता है
  10. जैन धर्म स्यादवाद का समर्थक है। इसके अनुसार सत्य के अनेक पहलू होते हैं तथा व्यक्ति को उसका अधिक ज्ञान होता है।
  11. महावीर स्वामी नारी-स्वातन्त्र्य के समर्थक थे। गतिविधि ) पृष्ठ संख्या 142

प्रश्न 2.
प्रथा किसे कहते हैं? अपने आस-पास के समाज द्वारा पालन की जाने वाली कुछ प्रथाओं की सूची बनाएँ। कुछ प्रथाएँ अच्छी भी होती हैं। ऐसी कुछ अच्छी प्रथाओं के नाम बताएँ। कुछ प्रधाएँ बुरी मानी जाती हैं। ऐसी प्रथाएँ कौन-कौनसी हैं?
उत्तर
प्रथा का अर्थ है रीति-रिवाज । समाज से मान्यता प्राप्त, पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होने वाली सुव्यवस्थित दुइ जुन-रीतियाँ ‘प्रथाएँ’ कहलाती हैं। प्रत्येक समाज पालन की जाने वाली कुछ प्राओं पर बल देता है। मनुष्य के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक अनेक प्रथाओं का पालन |किया जाता है। ये प्रथाएँ मनुष्य के जन्म, विवाह एवं मृत्यु से सम्बन्धित होती हैं। पूर्व में तथा कुछ वर्तमान में प्रचलित प्रथाएँ निम्न प्रकार हैं

  1. सती प्रथा
  2. जौहर प्रथा
  3. नाता प्रथा
  4. बाल विवाह
  5. विधवा विवाह
  6. पर्दा प्रथा
  7. दहेज प्रथा
  8. जाति प्रथा तथा छुआछूत तथा
  9. कन्या भ्रूण हत्या आदि।

अच्छी प्रथाएँ–

  1. युवावस्था में विवाह करना
  2. बिना दहेज के विवाह करना
  3. पर्दा प्रथा का परित्याग करना
  4. स्त्रियों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना
  5. अन्तर्जातीय खान-पान तथा अन्तर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन देना
  6. विधवा विवाह को प्रोत्साहन

बुरी प्रथाएँ

  1. बाल विवाह
  2. पर्दा प्रथा
  3. दहेज प्रथा
  4. कन्या भ्रूण हत्या
  5. विधवा-विवाह निषेध-प्रथा
  6. जातिप्रथा तथा हुआछूत पर बल देना
  7. सती प्रथा
  8. डाकन प्रथा आदि

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न एक व दो के सही उत्तर कोष्ठक में लिखें

प्रश्न 1.
भारत में धियोसोफिकल सभा का विकास किसने किया?
(अ) सुर्जी भगत
(ब) स्वामी विवेकानन्द
(स) सैयद अहमद खाँ
(द) ऐनीबीसेन्ट
उत्तर
(द)  ऐनीबीसेन्ट

प्रश्न 2.
‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना किसने की ?
(अ) ज्योतिबा फुले
(च) स्वामी दयानन्द
(स) राजा राममोहन राय
(द) गोविन्द गुरु।
उत्तर
(अ) ज्योतिबा फुले

प्रश्न 3.
ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की ?
उत्तर
राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की

प्रश्न 4.
सर सैयद अहमद खाँ के योगदान के बारे में बताइये।
उत्तर
सर सैयद अहमद खाँ का योगदान–सर सैयद अहमद खाँ एक महान् समाज सुधारक थे। उनका जन्म दिल्ली में 1817 ई. में हुआ था। अपने पिता की मृत्यु के बाद आजीविका हेतु उन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी में नौकरी कर ली। इन्होंने मुस्लिम समाज के पिछड़ेपन को देखकर उसे आधुनिक तरीके से शिक्षित करने तथा आगे बढ़ाने का अभियान चलाया। ये चाहते थे कि मुसलमान अपनी सदियों पुरानी रूढ़िवादिता और मानसिकता को त्याग कर नई शिक्षा प्रणाली के तहत आधुनिक शिक्षा प्राप्त करें। इसी उद्देश्य से पहले उन्होंने दिल्ली में एक स्कूल खोला।

फिर 1875 में दिल्ली के पास, अलीगढ़ में “मोहम्मडने एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की। यह कॉलेज याद में अलीगढ़ | मुस्लिम विश्वविद्यालय में परिवर्तित हो गया। मुसलमानों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का श्रेय सैयद अहमद खाँ को ही जाता है। इन्होंने प्रारम्भ में कौमी एकता पर बल देते हुए कहा था कि हिन्दू और मुसलमान भारत माँ की दो आँखें हैं। इन्होंने ‘साइंटिफिक सोसायटी’ की भी स्थापना की। 1898 ई. में अलीगढ़ में इनका देहान्त हुआ।

प्रश्न 5.
मानगढ़ हत्याकाण्ड की घटना का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर
मानगढ़ हत्याकाण्ड गोविन्द गुरु राजस्थान में जनजाति आन्दोलन के प्रमुख नेता थे। आर्थिक सुधार कार्य के क्षेत्र में गोविन्द गुरु ने स्थानीय वस्तुओं का अधिक प्रयोग व वेगार न करना आदि बातों पर बल दिया। इन कार्यों से अंग्रेजों तथा उनके समर्थकों ने गोविन्द गुरु का विरोध करना शुरू कर दिया। हजारों भील गोविन्द गुरु के नेतृत्व में मानगढ़ की पहाड़ी पर एकत्रित हो गए। नवम्बर, 1913 में अंग्रेजी सेना ने मानगढ़ की पहाड़ी को घेर कर वहाँ चल रहीं सभा पर गोलियाँ चलाई। इस गोली काण्ड़ में लगभग 1500 व्यक्ति मारे गये तथा हजारों घायल हो गए। गोविन्द गुरु को गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रश्न 6.
स्वामी विवेकानन्द के जीवन से युवाओं को क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?
उत्तर
स्वामी विवेकानन्द भारत के एक महान समाज सुधारक थे। विवेकानन्द भारत की गरीबी और दरिद्रता से दु:खी थे। उनका कहना था कि दीन-दुखियों की सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है। विवेकानन्द समाज से गरीबो तथा छुआछूत को समाप्त करना चाहते थे। उन्होंने बताया कि धर्म मनुष्य के भीतर निहित देवत्व का विकास है, धर्म न तौ पुस्तकों में है न धार्मिक सिद्धान्तों में। विवेकानन्द ने भारत के नवयुवकों में राष्ट्रीयता का प्रसार किया। हमें विवेकानन्द के जीवन से यही प्रेरणा मिलती है कि हमें दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए तथा समाज से गरीबी एवं छुआछूत को समाप्त करने के लिए भरसक प्रयास करना चाहिए। हमें धर्म के सच्चे स्वरूप का पालन करना चाहिए। विवेकानन्द के जीवन से हमें यह भी प्रेरणा मिलती है कि हमें राष्ट्रीयता के विकास में योगदान देना चाहिए।

प्रश्न 7.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के योगदान को समझाइये।
उत्तर
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर का योगदान ईश्वरचन्द्र विद्यासागर बंगाल के महान समाज सुधारक थे। उनका जन्म एक निर्धन परिवार में हुआ था। फिर भी उन्होंने अपनी योग्यता के बल पर उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने नारियों की दशा सुधारने पर विशेष बल दिया। उन्होंने विधवा-विवाह का समर्थन किया। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप 1855 में ब्रिटिश सरकार ने विधवा विवाह को कानूनी घोषित कर दिया। इस प्रकार ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के प्रयासों से उस समय विधवा विवाह प्रारम्भ हुए तथा उन्होंने स्वयं ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने पुत्र का विवाह एक विधवा से करवाया। ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने नारी-शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रशंसनीय कार्य किया। उन्होंने बालिकाओं की शिक्षा के लिए कई कन्या विद्यालये खुलवाये ।

प्रश्न 8.
राजा राममोहन राय एवं स्वामी विवेकानन्द के समाज सुधार के प्रयासों का वर्णन कीजिए
उत्तर
(1) राजा राममोहन राय के समाज सुधार के प्रयास- राजा राममोहन राय बंगाल के महान् समाज सुधारक थे। उनका सर्वप्रमुख प्रयास अमानवीय सती प्रथा का विरोध था। 19वीं सदी में बंगाल में सती प्रथा ने एक वीभत्स रूप धारण कर लिया था। विशेषकर कुलीन परिवारों में जोरजबरदस्ती से सती के नाम पर नई विधवा को अपने पति के साथ ही चिता में जलकर मर जाने के लिए बाध्य किया जाता था। राजा राममोहन राय ने इस अमानवीय कुप्रथा के विरुद्ध एक अभियान शुरू किया। उन्होंने भारत के धर्मग्रन्थों का विश्लेषण करके यह बताया कि कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि स्त्री को अपने पति की मृत्यु पर अपने आप को अग्नि में झोंक देना चाहिए।

उन्होंने 1828 में ‘ब्रह्म सभा की स्थापना की जिसका अगले वर्ष नाम बदल कर ‘ब्रह्म समाज’ रखा गया, जिसके दबाव में आकर ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर 1829 में सती प्रथा को अवैध घोषित कर दिया। इस कानून के अनुसार सती प्रथा का समर्थन करने वालों को सजा देने का प्रावधान रखा गया। जो लोग स्त्री को सतो करने में सहायता करते थे, अब उन्हें कठोर सजा दी जाने लगी। परिणामतः यह कुरीति तेजी से समाज से समाप्त होने लगी। ब्रिटिश सरकार से कानून बनवाकर समाज सुधार लाने का यह प्रथम अवसर था।

(2) स्वामी विवेकानन्द के समाज सुधार के प्रयास- स्वामी विवेकानन्द भी भारत के एक महान समाज सुधारक थे। वह भारत की गरीबी और दरिद्रता से दु:खी थे। उनका मानना था कि दीन-दु:खियों की सेवा ही सच्ची ईश्वर सेवा है। विवेकानन्द समाज से गरीबी तथा छुआछूत को समाप्त करना चाहते थे। उन्होंने कहा था कि धर्म मनुष्य के भीतर निहित देवत्व का विकास है, धर्म न तो पुस्तकों में हैं और न धार्मिक सिद्धान्तों में। उन्होंने भारत के नवयुवकों में राष्ट्रीयता का प्रसार किया। विवेकानन्द ने अपने गुरु के नाम पर रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। रामकृष्ण मिशन आज भी सम्पूर्ण भारत में समाज की सेवा कर रहा है।

प्रश्न 9.
आर्य समाज के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आर्य समाज का योगदान
आर्य समाज की स्थापना 1875 ई. में स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की थी। आर्य समाज ने सामाजिक क्षेत्र में अनेक सुधार किये। स्वामी दयानन्द ने वेदों को सही तरह से समझने पर बल दिया। उनकी मान्यता थी कि यदि वेदों का ‘सार सही तरह से समझ में आ जाए, तो भारत की समस्याओं का समाधान हो जायेगा।

आर्य समाज की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ
आर्य समाज की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों निम्नलिखित हैं

  1. स्वियों व दलितों को वेदों के अध्ययन का अधिकार दिलाना।
  2. याल-विवाह का विरोध करना
  3. शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना आर्य समाज द्वारा स्थापित  गुरुकुल एवं डी.ए.वी. स्कूल आज भी शिक्षा के प्रचारप्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं
  4. स्वामी दयानन्द ने ही सर्वप्रथम स्वधर्म, स्वदेश और स्वभाषा शब्दों का प्रयोग किया। आर्य समाज ने इन विचारों को आगे बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किये
  5. राष्ट्रीय आन्दोलन में भी आर्य समाज के सदस्यों की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही हैं।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

बहुविकल्पात्मक

प्रश्न 1.
सैयद अहमद खाँ द्वारा सन् 1875 में अलीगढ़ में ‘मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज’ को स्थापना के उद्देश्यों से हमें क्या सीख लेनी चाहिए?
(अ) आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना
(ब) मुसलमानों को शिक्षा की मुख्य धारा से दूर रखना
(स) साम्प्रदायिक शिक्षा को बढ़ाना
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(अ) आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना

प्रश्न 2.
आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती की शिक्षाओं से हमें सीख लेनी चाहिए
(अ) असत्य को ग्रहण करने की
(ब) केवल स्वयं के धर्म के लोगों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करने की
(स) अविद्या के नाश की
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(स) अविद्या के नाश की

प्रश्न 3.
स्वामी विवेकानन्द एक महान समाज सुधारक थे। उनके जीवन में हमें क्या सीख लेनी चाहिए?
(अ) दीन-दुखियों की सेवा करना
(ब) गरीबी व छुआछूत को समाप्त करना
(स) राष्ट्रीयता की भावना का निर्माण
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
ज्योतिबा फुले जैसे समाज सुधारक से सीख लेते हुए हमें कार्य करना चाहिए
(अ) जाति व्यवस्था बनाये रखने के लिए
(ब) विधवा विवाह के विरु
(स) लड़कियों की शिक्षा के लिए
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर
(स) लड़कियों की शिक्षा के लिए

प्रश्न 5.
राजा राममोहन राय के प्रयासों से ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को कम अवैध घोषित किया?
(अ) 1320 ई.
(ब) 1829 ई.
(स) 1929 ई.
(द) 1359 ई.
उत्तर
(ब) 1829 ई.

प्रश्न 6.
किनके प्रयासों से उस समय विधवा विवाह प्रारम्भ हुए
(अ) दयानन्द
(ब) राजा राममोहन राय
(स) एनी बीसेट
(द) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
उत्तर
(द) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर

प्रश्न 7.
‘सम्प सभा’ की स्थापना की थी
(अ) डॉ. अम्बेडकर
(ब) स्वामी दयानन्द
(स) गोविन्द गुरु
(द) एनी बौसेन्ट
उत्तर
(स) गोविन्द गुरु

प्रश्न 8.
‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना किसने की?
(अ) रामकृष्ण
(ब) लाला लाजपतराय
(स) स्वामी दयानन्द
(द) स्वामी विवेकानन्द
उत्तर
(द) स्वामी विवेकानन्द

प्रश्न 9.
बनारस में सेंटर स्कूल की स्थापना किसने की थी?
(अ) श्रीमती ऐनीबीसेन्ट
(ब) राजा राममोहन राय
(स) विवेकानन्द
(द) रामकृष्ण
उत्तर
(अ) श्रीमती ऐनीबीसेन्ट

प्रश्न 10.
गोविन्द गुरु द्वारा राजस्थान में सम्प सभा को स्थापना का उद्देश्य था
(अ) राजनीतिक सुधार
(ब) आर्थिक सुधार
(स) सामाजिक सुधार
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर
(स) सामाजिक सुधार

प्रश्न 11.
“ब्रह्म समाज’ की स्थापना किसने की?
(अ) स्वामी दयानन्द सरस्वती
(ब) गोविन्द गुरु
(स) स्वामी विवेकानन्द
(द) राजाराम मोहन राय
उत्तर
(द) राजाराम मोहन राय

प्रश्न 12.
बंगाल में 19वीं शताब्दी में समाज सुधार की लहर को नाम दिया गया
(अ) पुनरुत्थान
(ब) जन-जागरण
(स) पुनरुद्धार
(द) पुनर्जागरण
उत्तर
(द) पुनर्जागरण

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों की अच्छाइयों को जगह मात्र…………….को उजागर करने पर जोर दिया।(अनुकरणीय बाबुराइयों)
  2. राजा राममोहन राय ने ………..में ब्रह्मसमाज की स्थापना की।(1828 ई.1928 ई.)
  3. ज्योतिबा फुले ने के विरुद्ध निरन्तर संघर्ष किया। (जाति व्यवस्थाविधवा विवाह)
  4. रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानन्द को…………….नाम दिया। (नरेन्द्र दत्त/विविदिशानन्द)
  5. स्वामी विवेकानन्द भारत की से दु:खी थे। (गरीबी और दरिद्रता/गुलामी)

उत्तर

  1. युराइयों
  2. 1828 ई.
  3. जाति व्यवस्था
  4. विविदिशानन्द
  5. गरीबी और दरिद्रता

निम्नलिखित प्रश्नों में सत्य/असत्य कथन बताइये

  1. 19वीं शताब्दी के बंगाल में सती प्रथा ने एक वीभत्स रूप ले लिया था।
  2. 1828 में ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को अवैध घोषित कर दिया।
  3. स्वामी विवेकानन्द ने सर्वप्रथम स्वधर्म, स्वदेश और स्वभाषा शब्दों का प्रयोग किया।
  4. स्वामी विवेकानन्द ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
  5. राजा राममोहन राय ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

उत्तर

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य

स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए।
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 21 आधुनिक भारत में होने वाले वैचारिक परिवर्तन और समाज सुधार 1
RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 21 आधुनिक भारत में होने वाले वैचारिक परिवर्तन और समाज सुधार 2

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी के बंगाल में कौनसी प्रथा एक यीभत्स रूप में प्रचलित थी?
उत्तर
19वीं शताब्दी के बंगाल में सती प्रथा एक वीभत्स रूप में प्रचलित थी।

प्रश्न 2.
ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की और कब की?
उत्तर
सन् 1828 में राजा राममोहन राय ने अहम समाज की स्थापना की

प्रश्न 3.
ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को कब अवैध घोषित किया?
उत्तर
1829 में ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा को अवैध घोषित किया।

प्रश्न 4.
किस समाजसुधारक ने अपने पुत्र का विवाह एक विधवा से करवाया?
उत्तर
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने अपने पुत्र का विवाह एक विधवा से करवाया।

प्रश्न 5.
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के दो समाज सुधार बताइये।
उत्तर

  1. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के प्रयासों से उस समय विधवा विवाह प्रारम्भ हुए।
  2. उन्होंने बालिकाओं की शिक्षा के लिए कई बालिका विद्यालय खुलवाये ।

प्रश्न 6.
‘भारत कर्जन से नेहरू और उनके पश्चात्’ नामक पुस्तक के रचयिता कौन थे?
उत्तर
‘भारत कर्जन से नेहरू और उनके पश्चात्’ नामक पुस्तक के रचयिता पत्रकार दुर्गादास थे।

प्रश्न 7.
महाराष्ट्र में पुणे शहर में धर्म पर चर्चा करने के लिए किस संस्था का गठन किया गया?
उत्तर
महाराष्ट्र में पुणे शहर में धर्म पर चर्चा करने के लिए प्रार्थना समाज’ नामक संस्था की स्थापना की गई।

प्रश्न 8.
‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना किसने को और कहाँ की?
उत्तर
ज्योतिबा फुले ने पुणे में ‘सत्यशोधक समाज’ को स्थापना की

प्रश्न 9.
‘गुलामगिरी’ नामक पुस्तक के रचयिता कौन थे?
उत्तर
‘गुलामगिरी’ नामक पुस्तक के रचयिता ज्योतिबा फुले थे।

प्रश्न 10.
अलीगढ़ में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज की स्थापना किसने की और कब की?
उत्तर
1875 में सर सैयद अहमद खाँ ने अलीगढ़ में ‘मोहम्मडन एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज’ की स्थापना की।

प्रश्न 11.
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ही सर्वप्रथम किन शब्दों का प्रयोग किया?
उत्तर
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने ही सर्वप्रथम ‘स्वधर्म, स्वदेश तथा स्वभाषा’ शब्दों का प्रयोग किया।

प्रश्न 12.
स्वामी विवेकानन्द का जन्म कब और कहाँ हुआ
उत्तर
स्वामी विवेकानन्द का जन्म बंगाल के कलकत्ता में 12 जनवरी, 1863 ई. को हुआ था।

प्रश्न 13.
स्वामी विवेकानन्द का बचपन का नाम क्या था?
उत्तर
स्वामी विवेकानन्द का बचपन का नाम नरेन्द्र दत्त था।

प्रश्न 14.
स्वामी विवेकानन्द के गुरु कौन थे?
उत्तर
रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानन्द के गुरु थे।

प्रश्न 15.
किसने विवेकानन्द को क्या नाम दिया था?
उत्तर
रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानन्द को विविदिशानन्द नाम दिया था।

प्रश्न 16.
स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका के किस सर्वधर्म सम्मेलन में भाग लिया था?
उत्तर
स्वामी विवेकानन्द ने सितम्बर, 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर में होने वाले सर्वधर्म सम्मेलन में भाग लिया था।

प्रश्न 17.
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की?
उत्तर
रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानन्द ने की।

प्रश्न 18.
भारत में धियोसोफिकल सोसायटी के विकास में किसने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया?
उत्तर
भारत में थियोसोफिकल सोसायटी के विकास में श्रीमती ऐनीबीसेन्ट ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 19.
किस विदेशी महिला ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया?’
उत्तर
श्रीमती ऐनीबीसेन्ट नामक विदेशी महिला ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रश्न 20.
स्वामी दयानन्द ने कब और कहाँ परोपकारिणी सभा की स्थापना कराई? उत्तर-स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1883 ई. में उदयपुर में परोपकारिणी सभा की स्थापना कराई।

प्रश्न 21.
जनजाति वर्ग के लोगों में समाज सुधार का कार्य करने वाले दो समाज सुधारकों के नाम लिखिए।
उत्तर
(1) गोविन्द गुरु
(2) सुर्जी भगत

प्रश्न 22.
‘सम्प सभा’ की स्थापना किसने की और कब की?
उत्तर
गोविन्द गुरु ने 1883 ई. में ‘सम्प सभा’ की स्थापना की।

प्रश्न 23.
ब्रिटिश सेना ने मानगढ़ पहाड़ी पर एकत्रित भीलों पर कब आक्रमण किया?
उत्तर
1913 में ब्रिटिश सेना ने मानगढ़ पहाड़ी पर एकत्रित भीलों पर आक्रमण किया जिसमें लगभग 1500 व्यक्ति मारे गए।

प्रश्न 24.
किसके प्रयासों से बाल विवाह पर रोक हेतु ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम बनाया और कब?
उत्तर
अजमेर के हरविलास शारदा के प्रयासों से बाल विवाह पर रोक हेतु 1929 में ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम बनाया।

प्रश्न 25.
वर्तमान में भारतीय समाज में व्याप्त किन्हीं पाँच बुराइयों के नाम लिखिये।
उत्तर
वर्तमान में भारतीय समाज में

  1. जातिवाद
  2. सम्प्रदायवाद
  3. दहेज प्रथा
  4. नारी हिंसा तथा
  5. अशिक्षा जैसी बुराइयाँ विद्यमान हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘भारतीय समाज में पैदा होने वाली कुरीतियों को मिटाने के लिए प्राचीन काल से ही समय-समय पर प्रयास होते रहे हैं।’ इस कथन को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर
भारतीय समाज में आई कुरीतियों और रूढ़ियों के समाधान के प्रति समाज जाग्रत रहा है और समय-समय पर उन्हें दूर करने के प्रयास भी होते रहे हैं। यधा

  1. लगभग 2500 वर्ष पहले गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने तात्कालिक समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने के लिए प्रयास किये ।
  2. मध्यकाल में भक्तिकालीन सन्तों ने प्रचलित कर्मकांडों के विरुद्ध समाज में अलख जगायी।
  3. आधुनिककाल में 19वीं सदी में समाज सुधारकों, जैसेराममोहन राय, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, ज्योतिबा फुले, सैयद अहमद खां, स्वामी दयानंद सरस्वती तथा विवेकानंद आदि ने समाज सुधार के प्रयास किये।

प्रश्न 2.
ज्योतिबा फुले के समाज सुधार सम्बन्धी योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर
ज्योतिबा फुले का समाज सुधार सम्बन्धी योगदानज्योतिबा फुले महाराष्ट्र के एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने सामाजिक क्षेत्र में निम्नलिखित सुधार किये

  1. ज्योतिबा फुले ने पुणे में सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
  2. ज्योतिबा फुले ने जाति व्यवस्था के विरुद्ध निरन्तर संघर्ष किया।
  3. उन्होंने ‘गुलामगिरी’ नामक एक पुस्तक लिखी और दलितों की दशा सुधारने पर बल दिया।
  4. ज्योतिबा फुले ने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए स्कूल खोला।
  5. उन्होंने विधवाओं की दशा सुधारने पर बल दिया और विधवा विवाह का समर्थन किया।

प्रश्न 3
19वीं शताब्दी में समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रबुद्ध वर्ग द्वारा किये गये प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर

19वीं शताब्दी में समाज में व्याप्त कुरीतियों
को दूर करने हेतु प्रबुद्ध वर्ग के प्रयास

19वीं शताब्दी में भारतीय समाज में अनेक कुरीतियाँ प्रचलित थीं। भारतीय प्रबुद्ध वर्ग ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का प्रयत्न किया। इन लोगों ने प्राचीन वैदिक साहित्य का अध्ययन करके समाज को यह बताया कि उनकी सभ्यता एवं संस्कृति श्रेष्ठ है तथा जिन कुरीतियों के कारण समाज व धर्म की आलोचना की जाती है, उन कुरीतियों का प्राचीन धर्म व साहित्य में कहीं कोई आधार व अस्तित्व नहीं हैं। ये कुरीतियाँ. कालान्तर में कभी अज्ञानतावश व कभी परिस्थितिवश प्रचलित हो गई थीं तथा इन्हें दूर किया जाना आवश्यक था। इन समाज सुधारकों में से कुछ ने सरकार को प्रेरित किया कि वह कानूनों का निर्माण कर लोगों को इन कुरीतियों का पालन करने से रोके। दूसरी ओर कुछ अन्य समाज सुधारकों का मानना था कि लोगों को समझा कर ही इन कुरीतियों को दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
19वीं शताब्दी में भारतीय समाज में फैली हुई कुरीतियों के बारे में ब्रिटिश सरकार के दृष्टिकोण की  विवेचना कीजिए।
उत्तर

19वीं शताब्दी में भारतीय समाज में फैली
हुई कुरीतियों के बारे में ब्रिटिश सरकार

का दृष्टिकोण

19वीं शताब्दी में भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना हो चुकी थी तथा पाश्चात्य शिक्षा व दर्शन का प्रचार हो रहा था। उस समय में भारतीय समाज में सती प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, जाति प्रथा, कन्या वध जैसी कुरीतियाँ प्रचलित अंग्रेजों ने इन कुरीतियों के बहाने सम्पूर्ण भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति की आलोचना शुरू कर दी। अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों की अच्छाइयों को देखने की बजाय मात्र बुराइयों को उजागर करने पर जोर दिया। अंग्रेजों का यह दृष्टिकोण तर्कसंगत नहीं था।

प्रश्न 5.
स्वामी विवेकानन्द के प्रारम्भिक जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर
स्वामी विवेकानन्द का प्रारम्भिक जीवन स्वामी विवेकानन्द भारत के एक महान समाज सुधारक थे। उनका जन्म बंगाल के कलकत्ता में 12 जनवरी, 1853 ई. को हुआ था। इनके बचपन का नाम नरेन्द्र दत्त था। इन्होंने अंग्रेजी कॉलेज से बी.ए. किया। ये पाश्चात्य बुद्धिवाद से प्रभावित थे परन्तु इन्हें आध्यात्मिक शान्ति नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने रामकृष्ण परमहंस को गुरु बनाया और उनसे वेदान्त का ज्ञान प्राप्त किया। रामकृष्ण परमहंस ने इन्हें विविदिशानन्द नाम दिया तथा बाद में खेतड़ी के महाराजा के अनुरोध पर इन्होंने विवेकानन्द नाम अपना लिया।

प्रश्न 6.
शिकागो धर्म सम्मेलन में विवेकानन्द की भूमिका बतलाइये।
उत्तर
शिकागो धर्म सम्मेलन- सितम्बर, 1893 में अमेरिका के शिकागो नामक नगर में एक धर्म सम्मेलन आयोजित किया गया। स्वामी विवेकानन्द ने इस धर्म सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने दो दिनों तक धर्म सम्मेलन के विद्वानों को हिन्दू धर्म के बारे में बताया। सभी लोग उनकी बातों से बहुत प्रभावित हुए। विवेकानन्द ने हिन्दू धर्म की सहिष्णुता, व्यापकता एवं विशालता का समस्त विश्व को सन्देश दिया।

प्रश्न 7.
भारत के समाज सुधार आन्दोलन में श्रीमती ऐनीबीसेन्ट के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर

भारत के समाज सुधार आन्दोलन में
श्रीमती ऐनीबीसेन्ट का योगदान

श्रीमती ऐनीबीसेन्ट ने भारत में थियोसोफिकल सोसायटी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ऐनीबीसेन्ट आयरिश मूल की महिला थीं। उन्होंने हिन्दू धर्म का अध्ययन किया तथा इससे प्रभावित होकर वस्त्र, भोजन व तौर तरीके सब भारतीय अपना लिए। श्रीमती ऐनीबीसेन्ट ने हिन्दू तीर्थों की यात्रा की तथा अनारस में रहकर समाज सुधार के कार्य भी किये। इन्होंने बनारस में एक सेन्ट्रल स्कूल की स्थापना की जो कालान्तर में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बदल गया। श्रीमती एनीबीसेन्ट ने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में सम्पूर्ण भारत में होमरूल आन्दोलन चलाया गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आधुनिक भारत में स्वामी दयानन्द सरस्वती के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आधुनिक भारत में स्वामी दयानन्द सरस्वती का योगदान स्वामी दयानन्द का प्रारम्भिक जीवन-स्वामी दयानन्द सरस्वती का जन्म 1824 में गुजरात में हुआ था। उनके बचपन का नाम मूलशंकर था । युवावस्था में ही उन्होंने गृह त्याग दिया तथा मथुरा में स्वामी विरजानन्द से वैदिक ज्ञान प्राप्त किया।

वैदिक धर्म का पुनरुद्धार- स्वामी दयानन्द सरस्वती ने वैदिक धर्म का पुनरुद्धार किया। उन्होंने वेदों को सही तरह समझने पर बल दिया। उनका कहना था कि यदि वेदों का सार सही तरह से समझ में आ जाए, तो भारत की समस्याओं का समाधान हो जायेगा। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने निम्न बातों को ग्रहण करने पर बल दिया

  • सत्य को ग्रहण करने तथा असत्य को त्यागने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
  • सबसे प्रेमपूर्वक धमांनुसार यथायोग्य व्यवहार करना चाहिए।
  • अविद्या का विनाश तथा विद्या का विकास करना चाहिए।

विदेशी दासता का विरोध- स्वामी दयानन्द विदेशी दासता को अभिशाप मानते थे। उन्होंने ही सर्वप्रथम स्वधर्म, स्वदेश तथा स्वभाषा शब्दों का प्रयोग किया। आर्य समाज की उपलब्धियाँ-1875 में स्वामी दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज ने स्वामी दयानन्द के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए अनेक ग्रनं किए। आर्य समाज की प्रमुख उपलब्धियों निम्नलिखित

  1. स्त्रियों तथा दलितों को वेदों के अध्ययन का अधिकार दिलाना
  2. बाल-विवाह का विरोध करना
  3. शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना इनके द्वारा स्थापित गुरुकुल तथा डी.ए.वी. स्कूल आज भी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
  4. राष्ट्रीय आन्दोलन में भी आर्य समाज के सदस्यों को भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है

प्रश्न 2.
19वीं सदी में राजस्थान में हुए समाज सुधारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
19वीं सदी में राजस्थान में हुए समाज सुधार 19वीं शताब्दी में राजस्थान में भी अनेक सामाजिक कुरीतियाँ प्रचलित थीं। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने करौली, अजमेर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, जोधपुर आदि स्थानों की यात्रा की। स्वामी विवेकानन्द ने भी अलवर, खेतड़ी आदि को यात्रा की। इन समाज सुधारकों के विचारों का प्रभाव राजस्थान में भी पड़ा। स्वयं दयानन्द सरस्वती ने 1853 ई. में उदयपुर में परोपकारिणी सभा की स्थापना करवाई। आर्य समाज से प्रभावित होकर यहाँ भी समाज सुधार के कार्य सम्पन्न हुए।
(1) कुरीतियों को समाप्त करने के लिए कानूनों का निर्माण- राजस्थान के अनेक ज्ञासकों ने अपने राज्यों में प्रचलित कुरीतियों को समाप्त करने के लिए कानून बनाये। 1822 ई. में बूंदी ने सती प्रथा को अवैध घोषित कर दिया। 1834 ई. में कोटा ने कन्या-वध पर प्रतिबन्ध लगा दिया। 1841 ई. में जोधपुर ने त्याग प्रथा पर रोक लगाई। 1847 ई. में जयपुर ने मानव-व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया तथा 1853 में उदयपुर ने डाकन प्रथा को अवैध घोषित कर दिया।

(2) समाज सुधारकों के प्रयास– गोविन्द गुरु तथा सुर्जी भगत ने जनजाति वर्ग के लोगों में समाज सुधार के कार्य किये। ये जनजाति वर्ग को संगठित करना चाहते थे। गोविन्द गुरु का जन्म 1858 ई. में ईंगरपुर राज्य के बॉक्सिया नामक गाँव में एक बनजारा परिवार में हुआ था। सुर्जी भगत का जन्म लसोड़िया नामक गाँव में खराड़ी परिवार में हुआ था। 1883 ई. में गोविन्द गुरु ने ‘सम्प संभा’ की स्थापना की। उन्होंने जनजाति वर्ग के लोगों को उपदेश देते हुए कहा कि वे अन्धविश्वासों से दूर रहें, चोरी तथा लुटपाट के कार्यों से दूर रहें तथा शराब का सेवन न करें और अपने बच्चों को पढ़ावें गोविन्द गुरु ने जनजाति वर्ग के लोगों में आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता की भावना उत्पन्न की। गोविन्द गुरु ने आर्थिक सुधारों को भी प्रोत्साहन दिया। उन्होंने स्थानीय वस्तुओं के अधिक प्रयोग करने पर बल दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने लोगों से कहा कि वे बेगार न करें गोविन्द गुरु तथा सुर्जी भगत समाज सुधार के साथ ही साथ आदिवासियों का विकास भी चाहते थे।

(3)’राजपूत हितकारिणी सभा’ के सामाजिक सुधार- 1859 में अजमेर में ‘राजपूत हितकारिणी सभा’ की स्थापना की गई, जिसने बहुविवाह तथा दहेज प्रथा को नियन्त्रित करने का प्रयास किया।

(4) हरविलास शारदा का योगदान- अजमेर के हरविलास शारदा के प्रयासों से बाल-विवाह पर रोक हेतु 1929 ई. में सरकार ने एक्ट बनाया।

(5) चांदकरण शारदा के सामाजिक सुधार- चांदकरण शारदा तथा उनकी पत्नी सुखदा देवी ने दलितोद्धार के क्षेत्र में कई कार्य किये।

(6) पण्डित हरिनारायण शर्मा के सामाजिक सुधार- इन्होने अपने अर के मन्दिर के दरवाजे हरिजनों के लिए खोल दिए व जातिगत भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया इनके समाज सेवा के कार्यों से प्रभावित होकर अलवर के महाराजा जयसिंह ने इन्हें अपना सलाहकार नियुक्त किया।

(7) राजस्थान के अन्य भागों में समाज सुधार के कार्य- राजस्थान के अन्य भागों में ठक्कर बापा, कुँवर मदनसिंह, मामा बालेश्वर दयाल आदि ने समाज सुधार के कार्य किये।

प्रश्न 3.
वर्तमान समाज की कुरीतियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। आपके क्षेत्र में व्याप्त किसी एक कुरीति के समाधान की योजना बनाइए।
उत्तर
वर्तमान समाज की कुरीतियाँ वर्तमान काल में समाज में प्रचलित प्रमुख कुरीतियाँ हैं

  1. बाल-विवाह- आज भी समाज में अवयस्क लड़के व लड़कियों के विवाह कर दिये जाते हैं।
  2. दहेज प्रथा- कन्या पक्ष वाले माता-पिता से वर-पक्ष के माता-पिता द्वारा विवाह के उपलक्ष में नकद राशि व अन्य सामग्री की जो माँग की जाती है, उसे दहेज़ कहा जाता है। समाज में यह प्रथा अभी भी जारी है
  3. कन्या भ्रूण हत्या– वर्तमान में कन्या के भ्रूण की इत्या करना एक भयानक कुरीति विकसित हुई है
  4. अन्य कुरीतियाँ– पर्दा प्रथा, जाति-प्रथा, डाकन प्रथा तथा विधवा विवाह निषेध प्रथा आज भी समाज में  जारी हैं।

दहेज प्रथा

हमारे क्षेत्र में दहेज प्रथा नामक कुरीति बहुत अधिक फैली हुई है। दहेज के कारण अनेक हत्याएँ हो रही हैं, नवविवाहित स्त्रियों को घर से निकाला जा रहा है। अपनी पुत्री के विवाह में दहेज हेतु गरीब व्यक्ति जब कर्ज लेता है तो वह जिन्दगी भर कर्ज के जाल में फंसा रह जाता है। दहेज प्रथा के समापन हेतु समाज में इसके विरुद्ध जागरूकता लानी होगी तथा इसके विरुद्ध नवयुवकों को एक सामाजिक आन्दोलन का आगाज करना होगा। दूसरे, सरकार को दहेज विरोधी कानूनों को ठीक से क्रियान्वित करना होगा। तीसरे, प्रत्येक नवयुवक और नवयुवती को स्वयं आगे आकर अपने घर से कुरीति को समाप्त करना होगा।

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