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RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 9 समकालीन भारतीय समाज

March 7, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 8 Social Science Chapter 9 समकालीन भारतीय समाज are part of RBSE Solutions for Class 8 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 9 समकालीन भारतीय समाज.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 8
Subject Social Science
Chapter Chapter 9
Chapter Name समकालीन भारतीय समाज
Number of Questions Solved 41
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Chapter 9 समकालीन भारतीय समाज

पाठगत प्रश्न

(गतिविधि (पृष्ठ संख्या 74))
प्रश्न 1.
अपने गाँव या शहर में प्रचलित सामाजिक कुप्रथाओं की सूची बनाइए।
उत्तर:
हमारे गाँव या शहर में निम्न कुप्रथाएँ प्रचलित-

  1. दहेज प्रथा
  2. बाल विवाह
  3. पर्दा-प्रथा
  4. बाल मजदूरी
  5. मृत्यु-भोज
  6. विवाहों में दिखावा एवं फिजूलखर्ची
  7. लैंगिक असमानता
  8. जातिवाद आदि।

प्रश्न 2.
परिवार या मोहल्ले के बड़े-बुजुर्गों से उनके बचपन से लेकर वर्तमान समय तक सामाजिक परम्पराओं में हुए बदलावों पर चर्चा करके एक चार्ट तैयार कीजिए।
उत्तर:
नोट:

  1. विवाह परम्पराओं में आए बदलावों, जैसे-पहले विवाह कई दिनों में सम्पन्न होते थे अब वे एक दिन में सम्पन्न होने लगे हैं।
  2. जाति बन्धनों में आयी शिथिलती
  3. वैवाहिक सम्बन्ध होने के तौरतरीकों में आए परिवर्तनों आदि के सम्बन्ध में चर्चा कर विद्यार्थी स्वयं एक चार्ट तैयार करें।) गतिविधि

(पृष्ठ संख्या 76)
प्रश्न 3.
अपने परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से चर्चा करके आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व से वर्तमान समय तक विवाह समारोहों के आयोजन में आये परिवर्तनों की सूची बनाइये।
उत्तर:

  1. पहले विवाह समारोहों के आयोजन धर्मशालाओं और घरों के बाहर खुले प्रांगणों में होते थे, आज ये आयोजन अधिकांशतः इस उद्देश्य से बनाये गये। होटलों, पार्को, कम्युनिटी हॉलों में होते हैं।
  2. पहले विवाह समारोहों में घरों के आगे खुले प्रांगण को पतंगे-कागजों की रंग-बिरंगी पत्तियों से सजाते थे, अब घर को बिजली की रंग-बिरंगी डोरियों से सजाते हैं।
  3. पहले विवाह समारोह के आयोजन में घर के नातेरिश्तेदार सभी मिलकर भाग लेते थे, आजकल ये समारोह पेशेवर लोगों द्वारा सम्पन्न किये जाते हैं।
  4. पहले समारोह कई दिनों तक होते थे, कई दिनों तक गीत संगीत चलते थे, आज गीत-संगीत आदि एक दिन में | पेशेवर ढंग से किये जाते हैं।

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनिए
(A) भारत की कुल जनसंख्या का कार्यशील भाग है-
(अ) 60.29 प्रतिशत
(ब) 50.21 प्रतिशत
(स) 45.01 प्रतिशत
(द) 30 प्रतिशत
उत्तर:
(अ) 60.29 प्रतिशत

(B) राजस्थान की पुरुष साक्षरता दर है-
(अ) 79.02
(ब) 62.15
(स) 40.12
(द) 34.12
उत्तर:
(अ) 79.02

प्रश्न 2.
स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) पैतृक कार्यों से अलग होना शिक्षित वर्ग
(ii) सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन होना बाजारीकरण का दबाव
(iii) उपभोक्तावाद बढ़ने का कारण परम्परागत व्यवसाय छोड़ना
(iv) अतिवादी जातीय व्यवहारों को छोड़ना शिक्षा और औद्योगीकरण को प्रभाव

उत्तर:

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) पैतृक कार्यों से अलग होना परम्परागत व्यवसाय छोड़ना
(ii) सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन होना शिक्षा और औद्योगीकरण का प्रभाव
(iii) उपभोक्तावाद बढ़ने का कारण बाजारीकरण का दबाव
(iv) अतिवादी जातीय व्यवहारों को छोड़ना शिक्षित वर्ग

प्रश्न 3.
पारिवारिक एवं नातेदारी सम्बन्धों में बदलाव के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
पारिवारिक एवं नातेदारी सम्बन्धों में बदलाव के कारण हैं-

  1. पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति का बढ़ता प्रभाव
  2. बिखरते संयुक्त परिवार
  3. नगरीयकरण तथा
  4. औद्योगीकरण आदि

प्रश्न 4.
“बाजारीकरण के प्रभाव से भारतीय लोगों के रहन-सहन और जीवन शैली में परिवर्तन आ रहा है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बाजारीकरण का प्रभाव – बाजारीकरण के प्रभाव से भारतीय लोगों के रहन-सहन और जीवन-शैली में निम्नलिखित परिवर्तन आ रहे हैं-

  1. उपभोक्तावादी जीवन – शैली-समाज में बाजारवाद के दबाव में उपभोक्तावाद बढ़ता जा रहा है। उपभोक्तावादी जीवन शैली में घर-सजाना, कपड़े पहनना, मनोरंजन, शादीसमारोह, उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के मॉडल आदि सभी समाज में उनकी प्रस्थिति और प्रतिष्ठा से जुड़ गये हैं।
  2. अधिकाधिक वस्तुओं का क्रय, उपभोग व प्रदर्शन – अधिक से अधिक वस्तुओं को खरीदना, उनका उपभोग व प्रदर्शन करना आदि लोगों की जीवन-शैली बन चुकी है।
  3. संस्कृति पर प्रभाव – संस्कृति भी बाजार का हिस्सा बन चुकी है। भारतीय संस्कृति के गौरव योग, आयुर्वेद और पुष्कर जैसे मेले पर बाजारीकरण का प्रभाव इसके उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
”भारतीय समाज का स्वरूप अब ग्रामीण की बजाय नगरीय होता जा रहा है।” उदाहरण सहित समझाइये।
अथवा
भारतीय समाज का स्वरूप ग्रामीण से नगरीय कैसे होता जा रहा है? उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
1. बढ़ता शहरीकरण – 20वीं सदी के प्रारम्भ में भारत की कुल जनसंख्या की मात्र 11 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती थी, किन्तु 21वीं सदी में (2011 की जनगणना में) भारत की 31.16 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहने लग गई है।

2. कृषि आधारित ग्रामीण जीवन – शैली का घटता महत्त्व-कृषि आधारित ग्रामीण जीवन शैली का आर्थिक| सामाजिक महत्त्व घटता जा रहा है और उद्योग आधारित नगरीय जीवन शैली का प्रभाव समाज में बढ़ता जा रहा है। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान घटकर एकचौथाई रह गया है। गाँवों के रहने वाले अधिक से अधिक लोग खेती से भिन्न व्यवसायों को अपनाते जा रहे हैं तथा काफी संख्या में गाँव के लोग रोजाना रोजगार हेतु नजदीकी कस्बे या शहर में जाते हैं।

3. नगरीय जीवन – शैली का आकर्षण-ग्रामीण लोग। नगरीय तड़क-भड़क और सुख-सुविधाओं से परिचित हो रहे हैं और उनमें भी वैसा ही जीवन जीने की लालसा उत्पन्न हो जाती है।

4.  ग्रामीण तथा नगरीय जीवन की खाई का कम होना –
बाजार की ताकतें, गाँव-कस्बों-नगरों में बढ़ते जन संक्रमण, टेलीविजन आदि संचार के साधन निरन्तर ग्रामीण एवं नगरीय जीवन के बीच की खाई को पाटते जा रहे हैं।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

बहुविकल्पात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
2011 की जनगणना में भारत में शहरी जनसंख्या का प्रतिशत है
(अ) 11
(ब) 31.16
(स) 68.84
(द) 89
उत्तर:
(ब) 31.16

प्रश्न 2.
जाति के निम्न में से कौनसे आधार समाप्त हो रहे हैं-
(अ) धार्मिक आधार
(ब) सामाजिक आधार
(स) राजनैतिक आधार
(द) संगठनात्मक आधार
उत्तर:
(अ) धार्मिक आधार

प्रश्न 3.
जाति प्रथा के परम्परागत स्वरूपों के दुर्बल होने का कारण है-
(अ) नगरीकरण
(ब) औद्योगीकरण
(स) शिक्षा का प्रसार
(द) उपयुक्त सभी
उत्तर:
(द) उपयुक्त सभी

प्रश्न 4.
भारत में पुरुष साक्षरता है
(अ) 80.90 प्रतिशत
(ब) 65.46 प्रतिशत
(स) 79.02 प्रतिशत
(द) 52.10 प्रतिशत
उत्तर:
(अ) 80.90 प्रतिशत

प्रश्न 5.
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात
(अ) 1000 : 943
(ब) 1000 : 953
(स) 1000 : 923
(द) 1000 : 963
उत्तर:
(अ) 1000 : 943

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. वर्तमान में………. जीवन शैली की प्रधानता बढ़ रही (शहरी/ग्रामीण)
2. समाज में…….के दबाव में उपभोक्तावाद बढ़ता जा रहा है। (बाजारवाद/आधुनिकीकरण)
3. कृषि आधारित ग्रामीण जीवन शैली का आर्थिक और सामाजिक महत्त्व… जा रहा है। (बढ़ता/घटता)
4. उद्योग आधारित नगरीय जीवन शैली का प्रभाव समाज में…….. जा रहा है। (घटता/बढ़ता)
5. राजस्थान में महिला साक्षरता …….. प्रतिशत है। (64.60/52.10)
उत्तर:
1. शहरी
2. बाजारवाद
3. घटता
4. बढ़ता
5. 52.10

निम्न में से सत्य और असत्य कथन छाँटिए
1. साक्षरता से स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आती है।
2. भारतीय समाज का स्वरूप अब नगरीय की बजाय ग्रामीण होता जा रहा है।
3. भारतीय समाज में अब उद्योग आधारित नगरीय जीवन शैली का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
4. अन्तर्जातीय खान-पान के निषेध कमजोर हो रहे हैं।
5. शहरों में सामूहिक रहन-सहन की परिस्थितियों ने जातिबन्धन के विभिन्न स्वरूपों को सबल किया है
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. सत्यं
4. सत्य
5. असत्य

निम्नलिखित स्तम्भ ‘अ’ को स्तम्भ ‘ब’ से सुमेलित कीजिए
प्रश्न 1.

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) कृषि आधारित ग्रामीण जीवन शैली बढ़ता सामाजिक-आर्थिक महत्त्व
(ii) उद्योग आधारित नगरीय जीवन शैली घटता सामाजिक-आर्थिक महत्त्व
(iii) कार्यशील जनसंख्या 928
(iv) राजस्थान में लिंगानुपात 15 से 59 वर्ष

उत्तर:

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) कृषि आधारित ग्रामीण जीवन शैली घटता सामाजिक-आर्थिक महत्त्व
(ii) उद्योग आधारित नगरीय जीवन शैली घटता सामाजिक-आर्थिक महत्त्व
(iii) कार्यशील जनसंख्या 15 से 59 वर्ष
(iv) राजस्थान में लिंगानुपात 928

प्रश्न 2.

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) कृषि नगरीय क्षेत्र
(ii) उद्योग पवित्र संस्कार
(iii) विवाह रेडियो, टेलीविजन
(iv) जनसंचार साधन ग्रामीण क्षेत्र

उत्तर:

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) कृषि ग्रामीण क्षेत्र
(ii) उद्योग नगरीय क्षेत्र
(iii) विवाह पवित्र संस्कार
(iv) जनसंचार साधन रेडियो, टेलीविजन

प्रश्न 3.

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) बाजारवाद 80.90 प्रतिशत
(ii) अतिवादी जातीय व्यवहारों से दूर 79.02 प्रतिशत
(iii) भारत में पुरुष साक्षरता उपभोक्तावाद
(iv) राजस्थान में पुरुष साक्षरता शिक्षित वर्ग

उत्तर:

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
(i) बाजारवाद उपभोक्तावाद
(ii) अतिवादी जातीय व्यवहारों से दूर शिक्षित वर्ग
(iii) भारत में पुरुष साक्षरता 80.90 प्रतिशत
(iv) राजस्थान में पुरुष साक्षरता 79.02 प्रतिशत

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय सामाजिक व्यवस्था में विवाह क्या माना जाता है?
उत्तर:
एक पवित्र संस्कार।

प्रश्न 2.
भारत में वर्तमान में किस प्रकार की जीवन-शैली की प्रधानता बढ़ रही है?
उत्तर:
शहरी जीवन शैली की।

प्रश्न 3.
भारत में किस रूप से संयुक्त परिवार अब भी प्रचलित हैं?
उत्तर:
कार्यात्मक रूप से।

प्रश्न 4.
भारतीय समाज में कौनसी कुप्रथा का उन्मूलन हो चुका है?
उत्तर:
सती प्रथा का

प्रश्न 5.
भारतीय विवाह आदि समारोहों में किस प्रकार की कुप्रथा को बढ़ावा मिल रहा है?
उत्तर:
विवाह आदि समारोहों में फिजूलखर्ची और दिखावे को बढ़ावा मिल रहा है।

प्रश्न 6.
आज भारत में किस प्रकार की विचारधाराओं का महत्त्व बढ़ा है?
उत्तर:
वर्तमान में भारत में व्यक्तिवादिता, समानता और न्याय की विचारधाराओं का महत्त्व बढ़ा है।

प्रश्न 7.
वर्तमान में किस तथ्य ने जातीय सद्भाव को ठेस पहुँचायी है?
उत्तर:
जातीय राजनैतिक वर्चस्व स्थापित करने की होड़ ने जातीय सद्भाव को ठेस पहुँचायी है।

प्रश्न 8.
शहरों में किन परिस्थितियों ने जाति-बन्धन के विभिन्न स्वरूपों को दुर्बल बनाया है?
उत्तर:
शहरों में सामूहिक रहन-सहन की परिस्थितियों ने जाति-बन्धन के विभिन्न स्वरूपों को दुर्बल बनाया है।

प्रश्न 9.
राजस्थान में लिंगानुपात क्या है?
उत्तर:
राजस्थान में लिंगानुपात 928 है।

प्रश्न 10.
भारत में लिंगानुपात बढ़ाने के लिए चलाये जा रहे किसी एक अभियान का नाम लिखिए।
उत्तर:
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना’ एक ऐसा ही अभियान है।

प्रश्न 11.
ग्रामीण लोग नगरीय तड़क-भड़क और सुखसुविधाओं से किन साधनों द्वारा सुपरिचित हो रहे हैं?
उत्तर:
ग्रामीण लोग नगरीय तड़क-भड़क और सुखसुविधाओं से रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्र जैसे जनसम्पर्क एवं जनसंचार के साधनों द्वारा सुपरिचित हो रहे हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘हिन्दू विवाह एक पवित्र संस्कार से समझौते की। स्थिति में आ गया है। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
भारत में वर्तमान में विवाह के स्वरूप में क्या परिवर्तन आ रहा है?
उत्तर:
भारत में वर्तमान में विवाह एक पवित्र संस्कार से सामाजिक समझौते की स्थिति में आ गया है। विवाह सम्बन्धों में स्थायित्व की कमी देखी जा रही है। हिन्दू समाज में भी विशेषकर शहरी क्षेत्रों में तलाक का प्रचलन प्रारम्भ हो गया है तथा बढ़ भी रहा है।

प्रश्न 2.
भारत में वर्तमान में विवाह के स्वरूप में आ रहे। परिवर्तनों के पीछे उत्तरदायी कारक कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
भारत में विवाह के स्वरूप में आ रहे परिवर्तनों के पीछे ये कारण उत्तरदायी हैं-

  1. पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति का बढ़ता प्रभाव
  2. बिखरते संयुक्त परिवार
  3. नगरीकरण और
  4. औद्योगीकरण

प्रश्न 3.
संयुक्त परिवारों के बिखरने के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. वर्तमान में शहरी जीवन-शैली के बढ़ते महत्त्व तथा शहरी रहन-सहन ने संयुक्त परिवार के स्वरूप को कमजोर किया है। वहाँ एकल परिवारों का जोर बढ़ता जा रहा है।
  2. नगरों में रिश्तेदारी सम्बन्ध सीमित होते जा रहे हैं।
  3. परिवार के परम्परागत कार्यों में परिवर्तन होने से भी संयुक्त परिवार बिखर रहे हैं।

प्रश्न 4.
परिवार के परम्परागत कार्यों में किस प्रकार का परिवर्तन आ रहा है?
उत्तर:

  1. परम्परागत व्यवसाय के स्थान पर नये कामधन्धे अपनाये जाने लगे हैं।
  2. शिक्षा प्राप्त कर अनेक युवा नया व्यवसाय करते हैं। जिनके अवसर प्रायः उनके पैतृक स्थानों पर उपलब्ध नहीं होते।
  3. बहुत से ग्रामीण युवा बड़े शहरों में जाकर काम-धन्धी करने लग जाते हैं।

प्रश्न 5.
“अभी भी कार्यात्मक रूप से संयुक्त परिवार प्रचलित है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः यह बात अभी भी विद्यमान है कि परिवार चाहे अलग-अलग स्थानों पर रह रहे हों, परन्तु माता-पिता तथा सगे-सम्बन्धियों के प्रति सामाजिक कर्तव्यों को आज भी निभाने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकार कार्यात्मक रूप से अभी भी संयुक्त परिवार प्रचलित हैं।

प्रश्न 6.
“आज बाजारीकरण विस्तृत होता जा रहा है?” इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आज बाजारीकरण विस्तृत होता जा रहा है। उदाहरण के लिए|

  1. अब विवाह जैसे पारिवारिक व सामाजिक कार्य भी ‘व्यावसायिक विवाह ब्यूरो’ द्वारा फीस लेकर तय एवं सम्पन्न करवाए जाने लगे हैं।
  2. कौशल और शिष्टाचार के लिए अब व्यावसायिक संस्थान ‘व्यक्तित्व संवारने’ के पाठ्यक्रम चला रहे हैं।
  3. पानी का बाजारीकरण इसका जीता-जागता उदाहरण

प्रश्न 7.
सामाजिक व राजनीतिक संस्था के रूप में जाति किस प्रकार मजबूत हो रही है?
उत्तर:
सामाजिक व राजनैतिक संस्था के रूप में जाति मजबूत हो रही है क्योंकि-

  1. जातीय संगठन मजबूत हुए हैं। वर्चस्व स्थापित करने की होड़ में जातीय सद्भाव को ठेस पहुँचायी जाती है।
  2. राजनीतिक रूप से जातिवाद में बढ़ोतरी हुई है। जाति चुनावी राजनीति का आधार बन गई है। बहुसंख्यक जातियाँ अब राजनीतिक व्यवस्था में निर्णायक भूमिका अदा कर रही हैं।

प्रश्न 8.
भारत में साक्षरता सम्बन्धी विषमता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में विभिन्न सामाजिक समूहों में साक्षरता सम्बन्धी स्थिति में बहुत भिन्नता पायी जाती है। देश में जहाँ पुरुष साक्षरता 80.90 प्रतिशत है, वहीं महिला साक्षरता 64.60 प्रतिशत है। राजस्थान में पुरुष और महिला साक्षरता क्रमशः 79.02 प्रतिशत तथा 52.10 प्रतिशत ही है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की महिलाएँ साक्षरता में अधिक पिछड़ी हुई हैं।

प्रश्न 9.
भारत में लिंगानुपात की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में लिंगानुपात। भारत में लिंगानुपात में भारी विषमता है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में प्रति एक हजार पुरुषों की आबादी पर 943 महिलाएँ हैं। यह स्थिति समाज व परिवार में बालिकाओं के प्रति भेदभावपूर्ण मानसिकता तथा भ्रूण लिंग परीक्षण के कारण पैदा हुई है। सरकार ने भ्रूण लिंग परीक्षण पर नियंत्रण के लिए कानून बनाकर इसे दण्डात्मक अपराध घोषित कर दिया है तथा लिंगानुपात सुधार के लिए ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे अभियान चला रखे हैं। लेकिन जब तक समाज की मानसिकता में परिवर्तन नहीं आयेगा, तब तक इसमें अपेक्षित सुधार नहीं हो पायेगा।

प्रश्न 10.
भारतीय समाज पर शिक्षा ने क्या प्रभाव डाला
उत्तर:
शिक्षा ने देश के लोगों का दृष्टिकोण विकसित किया है। तर्कसंगत भावना का विकास हुआ है। अपने अधिकारों एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का विचार बढ़ा है। लोगों में रहनसहन का स्तर ऊंचा उठाने तथा भौतिक कल्याण प्राप्त करने की आकांक्षा बढ़ी है। व्यक्तिवादिता, समानता और न्याय की विचारधाराओं का महत्त्व बढ़ा है तथा महिलाएँ शिक्षा प्राप्त कर स्वतंत्रता अर्जित कर रही है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय समाज की जीवन-शैली में आ रहे परिवर्तनों की सकारण व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज की जीवन-शैली में आ रहे परिवर्तनों के कारण भारतीय समाज की जीवन-शैली में आ रहे परिवर्तनों के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

  1. दृष्टिकोण का व्यापक होना – शिक्षा ने देश के लोगों का दृष्टिकोण विस्तृत किया है। उनमें अपने अधिकारों एवं व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का विचार बढ़ा है। तर्कसंगत भावना का विकास हुआ है। व्यक्तिवादिता, समानता और न्याय की विचारधाराओं का महत्त्व बढ़ा है।
  2. जीवन – स्तर को ऊँचा उठाने की लालसा-वैज्ञानिक नवाचारों की सामाजिक स्वीकृति ने रहन-सहन के स्तर को ऊँचा उठाने और लोगों में भौतिक कल्याण प्राप्त करने की आकांक्षाओं को बढ़ावा दिया है।
  3. सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन – औद्योगीकरण और मध्यम वर्ग के उदय से समाज के मूल्यों में परिवर्तन हुए
  4. बाजारीकरण का विस्तार – बाजारीकरण विस्तृत होता जा रहा है। व्यावसायिक विवाह ब्यूरो, व्यक्तित्व संवारने के पाठ्यक्रम, पानी का बाजारीकरण इसके स्पष्ट उदाहरण हैं। संस्कृति भी बाजार का हिस्सा बन चुकी है।
  5. बढ़ता उपभोक्तावाद-उपभोक्तावादी जीवन – शैली बढ़ती जा रही है। घर-सजाना, फैशन, मनोरंजन, शादीसमारोह आदि बातें लोगों की सामाजिक प्रस्थिति और प्रतिष्ठा से जुड़ गई हैं आदि।

प्रश्न 2.
‘भारतीय समाज एक जीवन्त व गतिशील समाज है।’ इस कथन को स्पष्ट कीजिये।
अथवा
भारतीय समाज की समकालीन प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज की जीवन्तता एवं गतिशीलता या भारतीय समाज की समकालीन प्रवृत्तियाँ भारतीय समाज एक जीवन्त वे गतिशील समाज है। यहाँ समाज में परिवर्तनशीलता के साथ-साथ निरन्तरता भी देखने को मिलती है। भारतीय जनमानस आधुनिकता के साथसाथ ही अनेक परम्परागत संस्थाओं एवं मूल्यों में विश्वास करता है। इसे निम्नलिखित समकालीन प्रवृत्तियों के अन्तर्गत देखा जा सकता है-
1. विवाह संस्था में निरन्तरता व परिवर्तन – भारतीय सामाजिक व्यवस्था में विवाह एक पवित्र संस्कार माना जाता रहा है। किन्तु वर्तमान में पाश्चात्य शिक्षा एवं संस्कृति, नगरीयकरण एवं औद्योगीकरण के प्रभाव स्वरूप विवाह एक पवित्र संस्कार से समझौते की स्थिति में आ गया है।

2. परिवार संस्था में निरन्तरता व परिवर्तन – शहरी जीवन शैली के प्रभाव स्वरूप भारत में परम्परागत संयुक्त परिवार विघटित होकर एकल परिवारों या प्रकार्यात्मक रूप में संयुक्त परिवार व्यवस्था में परिवर्तित हो रहे हैं। परिवार के परम्परागत कार्यों में परिवर्तन होता जा रहा है। अब परम्परागत व्यवसाय के स्थान पर नये काम-धन्धे अपनाये जा रहे हैं। नगरों में नातेदारी व्यवस्था का प्रभाव घट रहा

3. सामाजिक प्रथाओं में निरन्तरता व परिवर्तन – समाज में सती प्रथा का उन्मूलन हो चुका है, लेकिन दहेज प्रथा और बाल-विवाह प्रथा अभी भी विद्यमान है। बाजार एवं आधुनिकता के प्रभाव स्वरूप सामाजिक प्रथाओं, रीति-रिवाजों तथा त्यौहारों के तौर-तरीकों में परिवर्तन आ रहा है।

4. शिक्षा, बाजारीकरण एवं उपभोक्तावाद के प्रभावस्वरूप लोगों के दृष्टिकोण तथा जीवन – शैली में परिवर्तन-शिक्षा ने लोगों के दृष्टिकोण को विस्तृत किया है। तर्कसंगत भावना का उदय हुआ है। व्यक्तिवादिता, स्वतंत्रता, समानता और न्याय की विचारधाराओं का समाज में महत्त्व बढ़ा है। औद्योगीकरण और मध्यम वर्ग के उदय से सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। समाज में पारिवारिक व सामाजिक कार्यों पर बाजारीकरण का प्रभाव बढ़ रहा है। तथा उपभोक्तावाद बढ़ता जा रहा है।

5. जाति प्रथा में परिवर्तन – जाति के धार्मिक आधार समाप्त हो रहे हैं। लेकिन जाति सामाजिक संस्था के रूप में मजबूत हो रही है। राजनीतिक रूप से जातिवाद में बढ़ोतरी हुई है तथा जातीय संगठन मजबूत हुए हैं तथा जाति चुनावी राजनीति का आधार बन गई है। दूसरी तरफ शहरी शिक्षित उच्च मध्यम वर्ग ने अतिवादी जातीय व्यवहारों को छोड़ना प्रारंभ कर दिया है। अन्तर्जातीय विवाह बढ़ रहे हैं। समान आर्थिक-सामाजिक आधार वाली जातियाँ नजदीक आई हैं। तथा जातीय खान-पान के निषेध कमजोर हुए हैं।

6. शहरी जीवन शैली का बढ़ता महत्त्व – वर्तमान में भारतीय समाज में कृषि आधारित ग्रामीण जीवन शैली का महत्त्व घटता जा रहा है और नगरीय जीवन शैली का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। उपर्युक्त तथ्यों से सिद्ध होता है कि भारतीय समाज एक जीवन व गतिशील समाज है। वह समय के साथ-साथ परिवर्तित होता रहा है।

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