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RBSE Solutions for Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 गिल्लू

May 21, 2019 by Safia Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 9 Hindi Chapter 6 गिल्लू are part of RBSE Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi Solutions Chapter 6 गिल्लू.

Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 गिल्लू

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
“आज उस लघुप्राण की खोज है।” महादेवी ने लघुप्राण किसे कहा है?
(क) पीली कली।
(ख) सोनजुही
(ग) गिल्लू
(घ) कौवा
उत्तर:
(ग) गिल्लू

प्रश्न 2.
मरणासन्न शब्द का अर्थ बताइए।
(क) मरने के लिए आसन
(ख) मरने के बाद का आसन
(ग) मृत्यु
(घ) मृत्यु के निकट होने की स्थिति
उत्तर:
(घ) मृत्यु के निकट होने की स्थिति।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 3.
‘कौवे’ का आह्वान कब किया जाता है और क्यों?
उत्तर:
कौवे का आह्वान पितृपक्ष में, अन्न की बलि देकर पितरों को संतुष्ट करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 4.
जातिवाचक से व्यक्तिवाचक रूप देने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गिलहरी जातिवाचक संज्ञा है। इससे सभी गिलहरियों का बोध होता है। लेकिन गिल्लू एक खास गिलहरी का नाम है। अत: यह व्यक्तिवाचक संज्ञा बन गई।

प्रश्न 5.
लेखिका ने नन्हे से घायल गिलहरी के बच्चे की जाने कैसे बचाई?
उत्तर:
लेखिका उसे उठाकर कमरे में ले गई। उसके घावों को साफ करके उन पर पेंसिलिन दवा लगाई और रूई से दूध पिलाकर उसे पाला।

प्रश्न 6.
नन्हा-सा गिल्लू गिलहरियों के झुण्ड का नेता कैसे बना?
उत्तर:
लेखिका ने खिड़की की जाली में से बाहर जाने का रास्ता बना दिया और गिल्लू बाहर जाकर डालियों पर अन्य गिलहरियों के साथ दौड़ लगाने लगा और उनका नेता बन गया।

प्रश्न 7.
विपरीतार्थक शब्द लिखिए
सुलभ, निश्चेष्ट, आवश्यक, लघुप्राण।
उत्तर:
Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 गिल्लू 1

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 8.
“उसकी समझदारी और कार्यकलाप पर सबको आश्चर्य होता था।” गिल्लू के वे कार्यकलाप कौन से थे?
उत्तर:
गिल्लू छोटा-सा गिलहरी का बच्चा था लेकिन वह बड़ा समझदार था। लेखिका को चौंकाने और प्रसन्न करने के लिए वह पर्दे पर ऊपर-नीचे दौड़ लगाता था। लेखिका की थाली के पास बैठकर बड़े ढंग से एक-एक चावल उठाकर खाता था। लेखिका के अस्वस्थ होने पर उसके सिरहाने बैठकर सिर और बालों को बड़े धीरे-धीरे सहलाता था। इन्हीं कामों को देखकर सबको आश्चर्य होता था।

प्रश्न 9.
गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों हुई?
उत्तर:
बसंत ऋतु आने पर नीम और चमेली की गंध लेखिका के कमरे में आने लगी और अन्य गिलहरियाँ उनकी खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक आवाज करने लगीं। गिल्लू उनको बड़े अपनेपन से देखता था। यह देखकर लेखिका ने समझ लिया कि अब गिल्लू को बाहर जाने की छूट दे देनी चाहिए।

प्रश्न 10.
लेखिका के साथ हुई दुर्घटना के बाद गिल्लू ने अपनी आत्मीयता किस प्रकार प्रकट की?
उत्तर:
लेखिका के बीमार हो जाने पर गिल्लू उनके सिरहाने रखे तकिए पर बैठ जाता और उनके सिर और बालों को एक समझदार व्यक्ति के समान बड़े धीरे-धीरे सहलाता रहता था। उसका यह कार्य लेखिका के प्रति उसके गहरे अपनेपन और लगाव का प्रमाण था।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 11.
सोनजुही के पीताभ फूल महादेवी वर्मा को क्या रमरण कराते हैं और क्यों ?
उत्तर:
सोनजुही लता से गिल्लू को बहुत अधिक प्यार था। वह लेखिका को चौंकाने के लिए उसी की पत्तियों में छिपकर बैठ जाता था। उसकी मृत्यु के बाद लेखिका ने उसे सोनजुही की जड़ के पास धरती में दबा दिया। अब सोनजुही पर जब कोई पीला फूल आता था तो लेखिका को गिल्लू की सभी शरारतें और उसका लगाव याद आ जाता था। पीले फूल में उन्हें गिल्लू की ही छवि दिखाई देती थी।

प्रश्न 12.
वन्य जीवों के संरक्षण के लिए आप क्या करेंगे, अपने शब्दों में लिखिए?।
उत्तर:
वन्य जीव वन की शोभा होते हैं। उनकी सुरक्षा करना सभी का कर्तव्य होता है। एक छात्र के रूप में मैं कुछ अधिक तो नहीं कर सकता लेकिन लोगों में जागरूकता फैलाने का काम, अपने साथियों के सहयोग से अवश्य कर सकता हूँ। सबसे पहले मैं यह संकल्प लँगा कि मैं कभी किसी वन्यजीव को हानि नहीं पहुँचाऊँगा। इसके बाद अपने शिक्षकों के मार्गदर्शन में छात्रों की टोली बनाऊँगा। हम लोगों के बीच जाकर वन के जीवों के महत्व को समझाएँगे । मनोरंजन या और किसी उद्देश्य से किसी भी वन-जीव की हिंसा न करने और उन्हें कष्ट न पहुँचाने का अनुरोध करेंगे। यदि कोई वन्य जीव भटककर हमारे नगर या गाँव में आ जाए, तो उसे हानि पहुँचाने के बजाय उसकी सूचना वन-विभाग के अधिकारियों को दें, यह बात समझाएँगे। वन्य-जीवों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए अनेक बड़े-बड़े पार्क और क्षेत्र सरकार ने बनाए हैं। ऐसी योजनाओं में हमें सहयोग करना चाहिए।

प्रश्न 13.
अपने पड़ोस के किसी पालतू पशु या पक्षी की आदतों का अवलोकन कर लिखिए।
उत्तर:
हमारे पड़ोस में श्री सुरेश जी ने एक तोता पाला है। वे उसको पिंजड़े में रखते हैं। जब उसको भूख-प्यास लगती है, तो टें दें की आवाज करता है। किसी परिचित के आने पर वह ‘वेलकम-वेलकम’ की आवाज निकालता है। अजनवी को देखकर वह जोर-जोर से टें-टें की आवाज करता है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लेखिका जब सोनजुही लता के पास पहुँचती थी तो गिल्लू क्या करता था?
उत्तर:
पत्तियों में छिपा गिल्लू अचानक लेखिका के कंधे पर कूदकर उसे चौंका देता था।

प्रश्न 2.
कौवे के बोलने में किसके आने की सूचना मानी जाती है?
उत्तर:
घर के आसपास कौआ बोले तो इसे किसी मेहमान के आने का संकेत माना जाता है।

प्रश्न 3.
लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या उपाय अपनाता था?
उत्तर:
वह लेखिका के पैर तक आता था और तेजी से परदे पर चढ़ जाता था। उसी तेजी से वह नीचे उतरता था।

प्रश्न 4.
कई दिनों तक काजू न मिलने पर गिल्लू क्या-क्या करता था?
उत्तर:
जब गिल्लू को कई दिनों तक खाने में काजू नहीं मिलते थे तो वह खाने की अन्य वस्तुएँ लेना बंद कर देता था या उन्हें झूले से नीचे फेंक देता था। प्रश्न 5. गिल्लू ने मुक्ति की साँस कब ली? उत्तर-लेखिका ने खिड़की की कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। इस रास्ते से बाहर जाने पर गिल्लू ने जैसे मुक्ति की साँस ली।

प्रश्न 6.
गिल्लू’ शीर्षक संस्मरण के माध्यम से महादेवी जी ने क्या अभिव्यजित किया है ?
उत्तर:
गिल्लू’ शीर्षक संस्मरण के माध्यम से महादेवी जी ने जीव-जन्तुओं की समझ और संवेदना को अभिव्यंजित किया है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“गिल्लू इनमें अपवाद था।” लेखिका ने यह बात किस संदर्भ में कही और क्यों?
उत्तर:
लेखिका के घर में अनेक पालतू पशु-पक्षी थे। लेखिका सभी से प्रेम करती थी। किन्तु इनमें से किसी भी जीव की ऐसी हिम्मत नहीं हुई थी कि वहे लेखिका के साथ उसकी थाली में खाए। लेकिन गिल्लू इन सबसे अलग था। वह लेखिका के भोजन-कक्ष में पहुँचते ही खिड़की के रास्ते सीधा मेज पर जा पहुँचता और थाली में बैठ जाना चाहता था। लेखिका ने बड़ी कठिनाई से उसे थाली के पास बैठकर खाना सिखाया।

प्रश्न 2.
लेखिका के दुर्घटना में घायल होकर कुछ दिन अस्पताल में रहने पर गिल्लू के व्यवहार में क्या और क्यों अंतर आ गया?
उत्तर:
गिल्लू को लेखिका से देर तक दूर रहना सहन नहीं होता था। जब लेखिका का अस्पताल में भर्ती रहने के कारण कई दिन तक नहीं आई तो गिल्लू माँ से बिछुड़े बच्चे की तरह व्याकुल और उदास हो गया। उसका व्यवहार बदल-सा गया। जब कोई कमरे में आता तो वह झूले से उतरकर दौड़ता हुआ देखने जाता लेकिन किसी अन्य को देखकर वापस झूले में जा बैठता। उसने अपने प्रिय काजू खाना भी बहुत कम कर दिया था। इसका कारण यही था कि वह लेखिका के दिखाई न पड़ने से बेचैन और उदास था।

प्रश्न 3.
महादेवी वर्मा ने कौए को विचित्र पक्षी क्यों कहा है ?
उत्तर:
महादेवी वर्मा के अनुसार कौआ एक विचित्र पक्षी है। कभी लोग इसका आदर करते हैं, तो कभी इसे दूर भगाते हैं। कभी इसका बड़ा सम्मान होता है, तो कभी बड़ा अपमान भी होता है। पितृपक्ष के समय यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। लोग इसे बलि का अन्न आदि देने के लिए खोजते हैं। लेकिन वही कौवा जब काँव-काँव की कर्कश (कठोर) आवाज करता है, तो यह भगा दिया जाता है।

प्रश्न 4.
‘गिल्लू’ संस्मरण से क्या संदेश प्राप्त होता है? संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
‘गिल्लू’ संस्मरण से हमें जीव-जन्तुओं के प्रति उदार और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने की प्रेरणा मिलती है। संकट में पड़े किसी असहाय जीव के प्राण बचाना अथवा उसकी भूख-प्यास शांत करने का उपाय करना, उससे आत्मीय संबंध बनाना, परिवार के सदस्य जैसा व्यवहार करना आदि का मानवीय संदेश यह संस्मरण दे रहा है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न:
‘गिल्लू’ शीर्षक संस्मरण से महादेवी जी के जीव-जन्तुओं के प्रति कैसे व्यवहार का परिचय मिलता
उत्तर:
महादेवी वर्मा द्वारा रचित संस्मरण ‘गिल्लू’ एक गिलहरी के बच्चे से सम्बन्धित है। महादेवी जी ने कुछ और पशु भी पाल रखे थे। सोना हरिणी तथा नीलू कुत्ते के सम्बन्ध में भी उनके प्रभावपर्ण संस्मरण लिखे हैं। इससे पता चलता है कि महादेवी को पशु-पक्षियों से गहरा लगाव था। वह अपने पालतू पशुओं की अच्छी तरह देखभाल करती थीं तथा उनके खाने-पीने को भी पूरा ध्यान रखती थीं। घायल गिल्लू को उठाकर अपने कमरे में लाने, उसके घावों का उपचार करने तथा उसको दूध पिलाने का उनका प्रयास उनके इसी सद्गुण को प्रकट करता है।

महादेवी वर्मा अपनी बात बोलकर बतलाने में असमर्थ जीवों के मन की भी गहरी समझ रखती थीं। गिल्लू के प्रिय खाद्य के बारे में वह जानती र्थी। उसको थाली से बाहर बैठकर खाना उन्होंने प्रयत्नपूर्वक सिखाया था। गिल्लू जब चिक चिक करता था, तो वह समझ जाती थीं कि उसको भूख लगी है। गिल्लू खिड़की की जाली के अन्दर रहकर बाहर से आने वाली गिलहरियों को चिक चिक करते देखता था तो उन्होंने जान लिया था कि वह बाहर जाकर उनके बीच घूमना चाहता है। उन्होंने जाली को एक ओर से हटाकर रास्ता बना दिया था।

-महादेवी वर्मा

पाठ परिचय

‘गिल्लू’ महादेवी वर्मा द्वारा लिखित एक संस्मरण है जिसमें लेखिका ने एक गिलहरी के बच्चे से संबंधित अपनी सुखद यादों को सँजोया है। लेखिका एक दिन कमरे से बाहर आई तो उसने एक गमले और दीवार की संधि में पड़े गिलहरी के एक बहुत छोटे बच्चे को देखा जिसे कौए खा जाने के प्रयास में थे। बच्चा घायल था। लेखिका ने उसे कमरे में लिटाकर घावों पर दवा लगाई और उसे दूध पिलाया। स्वस्थ होकर वह लेखिका से बहुत हिल-मिल गया। गिलहरियों की उम्र दो वर्ष के लगभग होती है। गिल्लू का भी अंत समय आ पहुँचा। अंतिम दिन वह लेखिका की अंगुली मुँह में दबाए हुए संसार से विदा हो गया।

शब्दार्थ-हरीतिमा = हरियाली। लघुप्राण = छोटा- सा जीव। काकभुशुण्डि = कौआ। समादरित = सम्मानित। अनादरित = आदर न पाने वाला। कर्कश = तीखा, कठोर। अवमानना = अपमान, उपेक्षा। काकद्वय = दो कौए। निश्चेष्ट = चुपचाप। अपवाद =सब से भिन्न होना।

प्रश्न 1.
प्रसिद्ध लेखिका महादेवी वर्मा का जीवन परिचय संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
लेखिका परिचय जीवन परिचय-महादेवी वर्मा का जन्म 1907 ई. में तथा मृत्यु 1995 ई. में हुई थी। उनके बालमन पर उनकी धर्मपरायण माता हेमरानी देवी का गहरा प्रभाव पड़ा। साहित्यिक विशेषताएँ-महादेवी वर्मा छायावाद के चार स्तम्भों में से एक थीं। उनका कोमल हृदय नारी और रहस्यवादी भावना से ओत-प्रोत था। उन्होंने अपनी रचनाओं में काव्यात्मक अनुभूति के समान ही गद्य में भी अपनी संवेदना का सजीव चित्रण किया है। अपनी जीवन यात्रा में सम्पर्क में आने वाली प्रत्येक चेतना को अपने साहित्य में स्थान दिया है। इसी अभिव्यंजना में संस्मरणात्मक-रेखाचित्र’ का सहज सृजन आपकी लेखनी से हुआ। रचनाएँ-काव्य-नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, माया। गद्य-स्मृति की रेखाएँ, अतीत के चलचित्र, पथ के साथी।

महत्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
1. सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुँचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी पर आज उस लघुप्राण की खोज है। परन्तु वह तो अब तक इस सोनजुही की जड़ में मिट्टी होकर मिल गया होगा। कौन जाने स्वर्णिम कली के बहाने वही मुझे चौंकाने ऊपर आ गया हो। (पृष्ठ-30-31)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ के गिल्लू’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखिका को सोनजुही नाम की लता में एक पीली कली लगी देखकर अपने प्रिय पालतू गिल्लू का स्मरण हो आया और उसकी शरारतों में खो गई है।

व्याख्या-लेखिका महादेवी वर्मा ने देखा कि उसके बगीचे में उठी हुई सोनजुही पर एक पीली कली आ गई है। उस कली को देखकर उन्हें उस छोटे से गिलहरी के बच्चे की याद आ गई जो इस लता के घने पत्तों में छिपकर बैठ जाता था और जब लेखिका लता के पास पहुँचती तो अचानक उसके कंधे पर कूदकर उसे चौंका देता था। उस समय लेखिका लता में कली ढूँढ़ने जाया करती थी किन्तु अब उसे उस छोटे से प्राणी की खोज है। उसे लगता है कि वह अभी लता से कूदकर उसके कंधे पर आ बैठेगा। परन्तु वह तो कब का लता की जड़ की मिट्टी में मिलकर मिट्टी बन गया होगा। आज लेखिका को लगा कि सुनहली कली के रूप में वही उन्हें फिर से चौंकाने आ गया है।

विशेष-
(1) भाषा सरल और सरस है।
(2) शैली संस्मरणात्मक और भावात्मक है।

2. मेरी अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से मेरे सिर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कि उसका हटना, एक परिचारिका के हटने के समान लगता। गर्मियों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो गिल्लू न बाहर जाता न अपने झूले में बैठता। उसने मेरे निकट रहने के साथ गरमी से बचने का एक सर्वथा नया उपाय खोज निकाला था। वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठंडक में भी रहता। (पृष्ठ-33)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ के पाठ ‘गिल्लू’ से अवतरित है। इस अंश में पालतू जीवों की समझदारी और प्रेम करने वाले के प्रति गहरे लगाव का चकित करने वाला विवरण है।

व्याख्या-गिल्लू में मनुष्यों जैसी, अवसर के अनुसार समझदारी और व्यवहार चकित करने वाला था। जब लेखिका बीमारी में बिस्तर पर लेटी होती तो गिल्लू उनके सिरहाने तकिए पर बैठकर उनके सिर और बालों को एक निपुण व्यक्ति के समान बड़े धीरे-धीरे सहलाया करता था। उसके द्वारा सहलाना बंद कर देने पर लेखिका को ऐसा लगता मानो कोई परिचारिका (नर्स) थी जो हट गई है। गर्मियों में जब लेखिका अपने लेखन कार्य में लगी होती तो गिल्लू न तो बाहर जाता और न अपने झूले में ही बैठता था। गर्मी से भी बचाव हो जाय और लेखिका का साथ भी न छूटे, इसका बड़ा अनोखा उपाय उसने निकाल लिया था। वह लेखिका के पास रखी सुराही पर आकर लेट जाया करता। इससे सुराही की ठंडक भी मिलती रहती और लेखिका के पास रहने का भी लाभ मिलता।

विशेष-
(1) भाषा सरल है, किन्तु भाव-प्रकाशन में सहज समर्थ है।
(2) शैली संस्मरणात्मक है।

3. उसका झूला उतारकर रख दिया गया है और खिड़की की जाली बंद कर दी गई है, परन्तु गिलहरियों की नई पीढ़ी जाली के उस पार चिक-चिक करती ही रहती है और सोनजुही पर बसंत आता ही रहता है।

सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गई है-इसीलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी-इसलिए भी कि इस लघुगात का, किसी वासंती दिन, जुही के पीताभ छोटे फूल में खिल जाने का विश्वास, मुझे संतोष देता है। (पृष्ठ-33)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ के ‘गिल्लू’ नामक पाठ से लिया गया है। गिल्लू की मृत्यु के बाद लेखिका के घर में एक सूनापन-सा छा गया है। गिल्लू की प्रिय वस्तुएँ लेखिका को उसकी याद दिला रही हैं।

व्याख्या-गिल्लू के न रहने से उसका झूला सूना लगता था। अतः उसे उतारकर रख दिया गया। गिल्लू द्वारा प्रयोग किए जाने वाले खिड़की की जाली में से बनाया गया रास्ता भी बंद कर दिया गया है। लेकिन खिड़की के बाहर गिलहरियों की नई पीढ़ी पहले की तरह चिक-चिक करती रहती है और हर बसंत में सोनजुही पर पीले फूल खिलते रहते हैं। सब कुछ पहले जैसा चल रहा है। गिल्लू को सोनजुही लता के नीचे धरती में दबा दिया गया है। एक तो इसलिए कि वह लता गिल्लू को बहुत प्रिय लगती थी, दूसरे लेखिका को ऐसा विश्वास है कि एक न एक बसंत में गिल्लू पीला फूल बनकर सोनजुही पर अवश्य खिलेगा।

विशेष-
(1) अब गिल्लू की अठखेलियाँ और समझदारी भरे काम लेखिका के मन में केवल यादें बनकर रह गए हैं। प्रकृति के सारे कार्य पूर्ववत् चल रहे हैं। जीवन की यही रीति है।
(2) भाषा साहित्यिक है और शैली भावात्मक है।

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