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RBSE Solutions for Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 दीपदान

May 21, 2019 by Safia Leave a Comment

You can Download RBSE Solutions for Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 दीपदान Guide Pdf, help you to revise the complete Syllabus and score more marks in your examinations.

Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 दीपदान

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
‘चित्तौड़ का राजकुमार पत्तले ओढ़कर सोएगा, कौन जानता था।’ वह राजकुमार कौन है ?
(क) कीरत
(ख) उदयसिंह
(ग) बनवीर
(घ) चन्दन
उत्तर:
(ख) उदयसिंह।

प्रश्न 2.
‘मेरे लिए दीपदान देखने की बात नहीं है, करने की बात है।’ पंक्ति में दीप से आशय है
(क) दीपक
(ख) बनवीर
(ग) चन्दन
(घ) उदयसिंह
उत्तर:
(ग) चन्दन

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 3.
महाराणा साँगा के सबसे छोटे पुत्र का क्या नाम था? लिखिए।
उत्तर:
महाराणा साँगा के सबसे छोटे पुत्र का नाम उदयसिंह था।

प्रश्न 4.
“तुम तो चित्तौड़ के सूरज हो’ इस वाक्य में किसने, किसको चित्तौड़ का सूरज’ कहा है? लिखिए।
उत्तर:
इस वाक्य में पन्ना ने उदयसिंह को चित्तौड़ का सूरज कहा है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 5.
“चित्तौड़ राग-रंग की भूमि नहीं है, यहाँ आग की लपटें नाचती हैं,” पंक्ति का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सोना राग-रंग में मस्त होकर पन्ना पर व्यंग्य करती है। उसे अरावली पर्वत की तरह राग-रंग की धारा के बहने में बाधा बनी हुई बताती है। पन्ना उस पर पलटवार करती हुई कहती है कि यह चित्तौड़ वीरभूमि है, यहाँ शूरवीर रणभूमि में प्रलय का नृत्य करते हैं। यहाँ विलासियों और षड्यंत्रकारियों के कपट भरे उत्सव नहीं होते। उसके जैसी यौवन में मतवाली छोकरियों के नाच-कूद नहीं होते। यहाँ वीरता की आग दहकती है।

प्रश्न 6.
‘दीपदान’ एकांकी के नामकरण की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
नदियों, तालाबों तथा कुण्डों आदि में जलते दीपकों को तैराना दीपदान कहा जाता है। इस एकांकी में दीपदान दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। आरम्भ में मयूर पक्ष कुण्ड में दीपदान का उत्सव मनाया जा रहा है और अंत में पन्ना के कुलदीपक चंदन का राजवंश की रक्षा के लिए माता पन्ना द्वारा ही दान कर दिया जाता है। क्रूर बनवीर भी उदयसिंह के धोखे में चंदन की हत्या को यमराज को किया गया दीपदान ही कहता है। इस प्रकार एकांकी की सारी कथा ‘दीपदान’ को केन्द्र में रखकर ही बुनी गई है। अतः एकांकी का ‘दीपदान’ नामकरण सर्वथा उचित प्रतीत होता है।

प्रश्न 7.
निम्न मुहावरों का अर्थ स्पष्ट कर, वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
1. आँख का तारा
2. बाल भी बाँका न होना
3. आँखों में पानी आना।
उत्तर:

  1. आँख का तारा (बहुत प्यारा)-राम महाराज दशरथ की आँखों के तारे थे।
  2. बाल भी बाँका न होना (शत्रुओं द्वारा बहुत प्रयत्न करने पर भी हानि न पहुँचना)-विरोधियों ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अनेक षड्यंत्र रचे लेकिन उनका बाल भी बाँका न हो सका।
  3. आँखों में पानी आना (दुखी होने पर आँसू ओ जाना)सड़क दुर्घटना में बस यात्रियों की करुण चीत्कार सुनकर देखने वालों की आँखों में पानी आ गया।

प्रश्न 8.
बनवीर कौन था? परिचय दीजिए।
उत्तर:
राणा साँगा के भाई पृथ्वीराज की दासी से उत्पन्न एक पुत्र था, जिसका नाम बनवीर था। उसे राजकुमार उदयसिंह की रक्षा का भार सौंपा गया था। बनवीर के मन में चित्तौड़ के सिंहासन पर अधिकार करने की लालसा जाग उठी। उसने विक्रमादित्य के शासन से असंतुष्ट सरदारों, सामंतों और सैनिकों को अपने पक्ष में कर लिया। एक रात राजमहल में बनवीर ने नृत्य-संगीत का उत्सव कराया और धोखे से विक्रमादित्य की हत्या कर दी। वह उदयसिंह को भी मारना चाहता था, किन्तु पन्ना धाय की स्वामिभक्ति और बुद्धिमत्ता ने उदयसिंह को बचा लिया।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 9.
पन्ना धाय इतिहास में क्यों प्रसिद्ध है ? लिखिए।
उत्तर:
राणी साँगा की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र रतनसिंह चित्तौड़ का राजा बना किन्तु तीन वर्ष बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। छोटे पुत्र उदयसिंह की आयु बहुत कम थी। अतः राणा के भाई विक्रमादित्य को शासन का भार सौंपा गया। राणा के भाई पृथ्वीराज की दासी से उत्पन्न पुत्र बनवीर था। उसे उदयसिंह की रक्षा का भार दिया गया। किन्तु बनवीर ने राज्य पर अधिकार करने के लिए विक्रमादित्य की धोखे से हत्या कर दी और उदयसिंह को भी मारना चाहा। उदयसिंह का लालन-पालन करने वाली धाय पन्ना ने अपने पुत्र का बलिदान करके उदयसिंह को बचा लिया। इस स्वामिभक्ति और अपूर्व त्याग के कारण ही इतिहास में पन्ना धाय का नाम प्रसिद्ध है।

प्रश्न 10.
‘महल में धाय माँ अरावली बनकर बैठ गई है।’ वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पन्ना धाय पर राजकुमार उदयसिंह के लालन-पालन और सुरक्षा का भार था। किशोरी सोना के अनुसार पन्ना धाय अपने पुत्र चन्दन की अपेक्षा कुँवर उदयसिंह का विशेष ध्यान रखती थी। दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ के सिंहासन पर बैठने के लिए बहुत आतुर था। वह विलासी और क्रूर था। उसने अनेक सामंतों और सैनिकों को अपने पक्ष में कर लिया था। वह उदयसिंह को अपने मार्ग का काँटा समझता थाऔर उसे समाप्त कर देना चाहता था, लेकिन पन्ना धाय के आगे उसकी एक न चलती थी। पन्ना धाय की सतर्कता के कारण उसकी योजना सफल नहीं हो पा रही थी। इसी कारण उसने उपर्युक्त बात कही थी।

प्रश्न 11.
“बलवीर की आग की कलियो, तुम्हारे पीछे काली राख है-यह मत भूल जाना।” इस पंक्ति की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रसंग-प्रस्तुत पंक्ति डॉ. रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित ‘दीपदान’ एकांकी से उद्धृत है। पन्ना ने सोना को फटकारते हुए यह बात कही है। व्याख्या-सोना षड्यंत्रकारी बनवीर द्वारा आयोजित नृत्य-संगीत और दीपदान के उत्सव में बड़ी मगन हो रही थी। वह उदयसिंह और पन्ना को भी उस उत्सव में ले जाना चाहती थी, लेकिन पन्ना बनवीर की चालों से सशंकित थी। इसी कारण उसने सोना को फटकारते हुए उपर्युक्त बात कही। उसने सोना को सचेत कर दिया कि बनवीर ने जो षड्यंत्र और विश्वासघात की आग लगाई है, उसमें एक दिन वह भी जलकर राख हो जाएगी। इसलिए वह चित्तौड़ और उदयसिंह पर आये संकट को समझे और राग-रंग भूलकर मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करे।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बनवीर द्वारा आयोजित नृत्य-गीत का उत्सव पन्ना को क्यों अच्छा नहीं लग रहा था ?
उत्तर:
पन्ना को इस उत्सव के पीछे बनवीर के किसी षड्यंत्र की आशंका थी और वैसे भी यह नाच-गाने वीरों को शोभा नहीं देता था।

प्रश्न 2.
बनवीर पन्ना को महल में अरावली पहाड़ की तरह बैठी क्यों मानता था?
उत्तर:
क्योंकि वह उदय की सुरक्षा करने के कारण, बनवीर की मेवाड़ का राजा बनने की योजना में बाधक थी।

प्रश्न 3.
“चित्तौड़ का राजकुमार पत्तल ओढ़ के सोएगा, कौन जानता था?” पन्ना ने यह बात किस प्रसंग में कही?
उत्तर:
कुंवर उदयसिंह की बनवीर से रक्षा करने को पन्ना ने कीरतबारी की टोकरी में उसे जूठी पत्तलों के नीचे छिपाकर भेजने की योजना बनाई। उसने इसी प्रसंग में यह बात कही।

प्रश्न 4.
पन्ना ने अपने भोले बच्चे के साथ क्या कपट किया?
उत्तर:
पन्ना ने उससे सचाई छिपाकर उसे कुंवर उदयसिंह के पलंग पर सुला दिया जहाँ बनवीर के हाथों उसकी हत्या होना निश्चित था।

प्रश्न 5.
“सर्प की तरह उसकी भी दो जीनें हैं, जो एक रक्त से नहीं बुझेगी। उसे दूसरा रक्त भी चाहिए”-सामली के इस कथन का तात्पर्य क्या है ?
उत्तर:
इस कथन का तात्पर्य यह है कि बनवीर विक्रमादित्य के बाद कुँवर उदयसिंह की भी हत्या करेगा।

प्रश्न 6.
‘एक तिनके ने राजसिंहासन को सहारा दिया है’-पन्ना के इस कथन का आशय क्या है?
उत्तर:
यह बात पन्ना ने कीरत बारी से कही है। आशय यह है उस जैसा छोटा व्यक्ति आज चित्तौड़ के उत्तराधिकारी की रक्षा कर रहा है।

प्रश्न 7.
‘यमराज ! लो इस दीपक को। यह मेरा दीपदान है’। यह कथन किसका तथा कब कहा गया है ?
उत्तर:
यह कथन बनवीर का है। कुंवर उदयसिंह के धोखे में चंदन की हत्या करते समय कहा गया है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
चारों तरफ जहरीले सर्प घूम रहे हैं” पन्ना के इस कथन का आशय क्या था?
उत्तर:
दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ की गद्दी पर बैठना चाहता था। उसने विक्रमादित्य की हत्या करने के लिए राजभवन में एक रात दीपदान उत्सव कराया। उसे उत्सव में अनेक लड़कियाँ नृत्य कर रही थीं। राजकुमार उदयसिंह ने पन्ना से हठ किया कि वह भी चलकर दीपदान उत्सव को देखे। पन्ना के मना करने पर उदयसिंह अकेले ही वहाँ जाने लगा तो पन्ना ने उपर्युक्त बात कही। जहरीले सर्पो से पन्ना का आशय दुष्ट बनवीर और उसके खरीदे हुए लोगों से था।

प्रश्न 2.
“चित्तौड़ राग-रंग की भूमि नहीं है, यहाँ आग की लपटें नाचती हैं।” इस पंक्ति का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बनवीर की कृपा और उपहारों को पाकर फूली न समा रही सोना को उसकी मूर्खता पर फटकारते और सचेत करते हुए पन्ना सोना को याद दिलाती है कि चित्तौड़ वीरों और बलिदानियों की भूमि है। संकट की घड़ी में राग-रंग मनाना चित्तौड़वासियों को शोभा नहीं देता। वीरों को तो रणचण्डी का नृत्य शोभा देता है। यही चित्तौड़ की परंपरा है। उसकी वीरांगनाएँ या तो रणभूमि में अग्नि की ज्वाला बनकर नाचती हैं या फिर जौहर की ज्वाला को गले लगाती हैं। सोना जैसी यौवन के मद में पागल होकर नाचने वाली लड़कियों का चित्तौड़ की पावन भूमि में कोई स्थान नहीं।

प्रश्न 3.
“तोड़ो ये नुपूर। यहाँ का त्योहार आत्म-बलिदान है। यहाँ का गीत मातृभूमि की वेदना का गीत है। उसे सुनो और समझो।’ ‘दीपदान’ में पन्ना धाय के इस कथन का क्या आशय है?
उत्तर:
सोना बनवीर की समर्थक है। उसने दीपदान के उत्सव पर नाच-गाने में भाग लिया है। वह पन्ना से भी बनवीर का सहयोग करने और उत्सव में भाग लेने को कहती है। पन्ना को यह सब समय के अनुसार अनुचित लगता है। अत: वह सोना से मुँघरू (नूपुर) तोड़कर फेंक देने को कहती है। चित्तौड़ वीरों की भूमि है। इस समय देश और राजवंश पर संकट छाया है। अतः देश के लिए स्वयं को बलिदान करना ही यहाँ का त्योहार है। यहाँ मौज-मस्ती के गीत नहीं, मातृभूमि की पीड़ा के गीत गाने चाहिए।

प्रश्न 4.
“आज मैंने भी दीपदान किया है।” पन्ना के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पन्ना ने उदयसिंह की शय्या पर अपने पुत्र चंदन को सुला देने का निश्चय कर लिया था। एक ममतामयी माँ के लिए ऐसा निर्णय लेना अत्यन्त कठिन था। लेकिन पन्ना ने अपना हृदय वज्र जैसा कठोर बना लिया था। वह सोच रही थी कि चंदन के अँगूठे से बहने वाला रक्त उसने पट्टी बाँधकर रोक दिया, लेकिन अभी क्रूर बनवीर कुंवर के धोखे में जब उसके लाल के कोमल हृदय में तलवार चुभोएगा तो इस रक्त की धारा को वह नहीं रोक पाएगी। उसने मन ही मन बेटे से कहा कि वह अपने पवित्र रक्त की धार अपनी मातृभूमि मेवाड़ पर चढ़ए। यही उसको दीपदान होगा। जल के बजाय उसने अपना कुलदीपक रक्त की धार पर तैरा दिया था।

प्रश्न 5.
दीपदान’ एकांकी ने आपके मन पर क्या प्रभाव छोड़ा है? अपनी भावनाएँ संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
राजस्थान की भूमि सदा से वीरों और वीरांगनाओं की जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है। यदि वीरों ने रणभूमि में शूरता के मानदंड गढ़े हैं, तो वीरांगनाओं ने त्याग, आत्मबलिदान और अतुलनीय आत्मबल के कीर्तिमान स्थापित किए हैं। ‘दीपदान’ एकांकी पन्नाधाय के महान त्याग के माध्यम से, हमें संदेश देता है कि कर्तव्य की रक्षा के लिए अपनी सबसे प्रिय और मूल्यवान वस्तु को भी दाव पर लगाने से पीछे मत हटो। पन्ना ने राजवंश के नमक का ऋण अपनी अमूल्य मणि, अपने पुत्र को बलिदान कर चुकाया। यह एकांकी हमें अन्याय के सामने दृढ़ता से खड़े हो जाने की प्रेरणा देता है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 7 निबन्धात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“मेरे महाराणा का नमक मेरे रक्त से भी महान है” इस कथन के प्रकाश में पन्ना के चरित्र की किन्हीं दो विशेषताओं का परिचय कराइए।
उत्तर:
यह कथन पन्ना का है। जब सामली उसे बताती है। कि विक्रमादित्य की हत्या करके बनवीर उदयसिंह की हत्या करने आ रहा है, तो वह व्याकुल हो जाती है। वह कहती है कि वह कुँवर को लेकर रात के अँधेरे में ही कुम्भलगढ़ चली जाएगी। सामली उससे पूछती है कि चन्दन कहाँ रहेगा, तब पन्ना उपर्युक्त बाते कहती है। कथन के आधार पर पन्ना के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता, उसकी स्वामिभक्ति सामने आती है। उसे चित्तौड़ राजवंश के अंतिम उत्तराधिकारी उदयसिंह की रक्षा का भार सौंपा गया है।

वह स्वामी के नमक से बने अपने रक्त (पुत्र) को स्वामी की संतान की रक्षा में अर्पित करने को प्रसन्नता से तैयार है। पन्ना के चरित्र की दूसरी विशेषता उसका अपूर्व त्याग है। पन्ना भी चाहती तो बनवीर के प्रलोभन को स्वीकार करके जागीर की स्वामिनी बन सकती थी, किन्तु उसने स्वामी के पुत्र की रक्षा करने के लिए अपनी ममता का बलिदान करने का निश्चय किया। ऐसे त्याग और बलिदान का संसार में पन्ना धाय के रूप में एक ही उदाहरण है।

प्रश्न 2.
‘दीपदान’ एकांकी के शीर्षक के औचित्य पर विचार कीजिए।
उत्तर:
‘दीपदान’ एकांकी का शीर्षक संदेशपूर्ण तथा उद्देश्ययुक्त है। किसी रचना का शीर्षक उसके कथानक की किसी प्रमुख घटना, किसी प्रमुख पात्र के नाम अथवा उसके गुण के आधार पर रखा जाता है। शीर्षक आकर्षक तथा कौतूहल वर्धक होना चाहिए। ‘दीपदान’ एकांकी का शीर्षक कथानक की प्रमुख घटना पर आधारित है। बनवीर अपने षड्यन्त्र को सफल बनाने तथा अपने दुष्कर्म को छिपाने के लिए दीपदान उत्सव का आयोजन करता है। पन्ना धाय कुँवर की बनवीर से रक्षा करने के लिए अपने कुल के दीपक चंदन को मृत्यु को दान कर देती है।

बनवीर भी चन्दन की हत्या करके कहता है-यमराज ! यह मेरा दीपदान है। इस सबसे दीपदान की महत्ता प्रकट होती है। पन्ना का ‘दीपदान’ राष्ट्रहित में व्यक्ति के हित के परित्याग का सूचक है।। ‘दीपदान’ शीर्षक कथावस्तु के अनुरूप है तथा उद्देश्यपूर्ण है। इसमें स्वामिभक्ति और जनहित को सर्वोपरि मानकर उसके लिए त्याग करने का संदेश भी है। दीपदान शीर्षक आकर्षक तथा कौतूहलवर्धक है। यह सब तरह उचित तथा सार्थक शीर्षक है।

-डॉ. रामकुमार वर्मा

पाठ-परिचय

राजस्थान की धरती ने त्याग और बलिदान के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। पन्ना धाय का त्याग भी राजस्थानी इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इस एकांकी में लेखक ने पन्ना धाय द्वारा स्वामी के पुत्र की रक्षा के लिए अपने पुत्र को बलिदान करने की गाथा को प्रस्तुत किया है।

शब्दार्थ-परिचारिका = सेविका, नौकरानी। कड़ख = एक बाजा, ध्वनि। कंकड़ = कंगन, आभूषण। रंक = गरीब। राव = छोटा राजा। काँई = कोई। त्रियां = स्त्री। प्रस्थान = जाना। उद्यत = उतावला। नूपुरनाद = धुंघरुओं की ध्वनि। मेघ = बादल। भवसागर = संसार। उमंग = उत्साह। प्रवाह = बहाव। अनुग्रह = कृपा। आत्मीयता = अपनापन। प्रलाप = व्यर्थ की बातें, बकवास। अतृप्त = संतुष्ट न होने वाला। निष्कंटक = बिना किसी बाधा के। पैसारा = प्रवेश। जहान = संसार। बन्दगी = वंदना, प्रणाम। दाखिल = प्रवेश। मर्यादा = आन, नियम। बाटड़ली = बाट, इंतजार। डमडब भरिया = आँसुओं से भरना। दिरिघड़ा = बड़े-बड़े। रक्त की नदी पार करना = मारा जाना। नराधम = नीच व्यक्ति। नारकी = नरक का वासी।

प्रश्न 1.
डॉ. रामकुमार वर्मा का जीवन परिचय संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
लेखक परिचय जीवन-परिचय-डॉ. रामकुमार वर्मा का जन्म 1905 ई. में हुआ था। उनकी मृत्यु 1990 ई. में हुई थी। ये आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि, एकांकीकार एवं नाटककार तथा आलोचक हैं। इनका व्यक्तित्व कवि की अपेक्षा नाटककार के रूप में अधिक शक्तिशाली है। ये आधुनिक हिन्दी एकांकी के जनक कहे जाते हैं। साहित्यिक विशेषताएँ-डॉ. रामकुमार वर्मा की रचनाओं में एक विशेष धारा एतिहासिक एकांकियों की विकसित हुई। उसमें इन्होंने सांस्कृतिक और साहित्यिक एकांकियों का।

सुन्दरतम समन्वय किया है। इनके एकांकियों में भारतीय आदर्शों एवं शाश्वत मूल्यों- त्याग, करुणा, स्नेह, परोपकार इत्यादि का सुन्दर सन्निवेश (प्रवेश होना) हुआ है। रचनाएँ-काव्य-वीर हमीर, चित्तौड़ की चिता, चित्ररेखा, जौहर। एकांकी-पृथ्वीराज की आँखें, रेशमी टाई, चारुमित्रा, सप्त-किरण, कौमुदी महोत्सव, दीपदान, ऋतुराज, इन्द्रधनुष, रूपरंग, रिमझिम। आलोचना-कबीर का रहस्यवाद, साहित्य समालोचना, हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास।

महत्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

1. धाय माँ, तुम्हारे पहाड़ बनने से क्या होगा? राजमहल पर बोझ बनकर रह जाओगी, बोझ। और नदी बनो तो तुम्हारा बहता हुआ बोझ, पत्थर भी अपने सिर पर धारण करेंगे, पत्थर भी। आनन्द और मंगल तुम्हारे किनारे होंगे, जीवन का प्रवाह होगा, उमंगों की लहरें होंगी, जो उठने में गीत गायेंगी, गिरने से नाच नाचेंगी। गीत और नाच, धाय माँ; गीत और नाच जैसे सुख और सुहाग एक साथ हँस रही हो और जब दीपदान का दीपक अपने मस्तक पर लेकर चलेगी, धाय माँ, तो ज्ञात होगा, धाय माँ, जैसे शुक्र तारे को मस्तक पर रखकर उषा आ रही हो। (पृष्ठ-40)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश डॉ० रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित एकांकी ‘दीपदान’ से उधृत है। प्रस्तुत एकांकी हमारी पाठ्यपुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ में संकलित है। यहाँ सोना पन्ना पर व्यंग्य कर रही है कि बनवीर की योजनाओं में बाधक बनकर वह कुछ लाभ नहीं पाएगी। व्याख्या- सोना बनवीर की कृपा पाकर प्रसन्नता से पागल थी। वह चाहती थी कि पन्ना भी बनवीर का साथ दे। वह कहती है कि पन्ना यदि बनवीर के मार्ग में बाधा खड़ी करेगी तो उसे राजपरिवार के लोग बोझ समझेंगे। उससे छुटकारा पाना चाहेंगे। यदि वह समय के साथ चलेगी तो सबकी प्रिय बन जाएगी, उसे जीवन में सारे सुख प्राप्त होंगे। उसका जीवन मंगलमय हो जाएगा, उत्साह, नृत्य, संगीत से पूर्ण हो जाएगा। सोना कहती है कि गीत और नाच से परिपूर्ण जीवन कितने आनंद की बात होगी। उसके जीवन में सुख और सौभाग्य-पूर्ण हँसी छा जाएगी। यदि वह भी उस दीपदान में भाग लेते हुए दीपदान के दीपक को सिर पर धारण करके चलेगी तो ऐसा लगेगा जैसे साक्षात् उषा ही शुभ्र शुक्र तारे को सिर पर सजाए चली आ रही हो।

विशेष-
1.भाषा साहित्यिक और पात्रानुकूल है।
2. शैली आलंकारिक और नाटकीय है।

2. आँधी में आग की लपट तेज ही होती है, सोना! तुम भी उसी आँधी में लड़खड़ाकर गिरोगी। तुम्हारे ये सारे नूपुर बिखर जाएँगे। न जाने किस हवा को झोंको तुम्हारे इन गीतों की लहरों को निगल जाएगा? यह सुख और सुहाग पास-पास उठे हुए दो बुलबुलों की तरह बिना सूचना दिये फूट जाएगा। चित्तौड़ राग-रंग की भूमि नहीं है। यहाँ आग की लपटें नाचती हैं, सोना जैसी रावल की लड़कियाँ नहीं। (पृष्ठ-41)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश डॉ. रामकुमार वर्मा द्वारा लिखित एकांकी ‘दीपदान’ से उद्धृत है। प्रस्तुत एकांकी हमारी पाठ्यपुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ में संकलित है। सोना द्वारा विद्रोह का आरोप लगाए जाने से उत्तेजित पन्ना उसे आने वाले दुष्परिणाम की आँधी से सतर्क कर रही है।

व्याख्या-पन्ना जब भी बनवीर द्वारा विक्रमादित्य का अनिष्ट किए जाने की आशंका प्रकट करती है तो सोना उसे विद्रोहिणी बताती है। पन्ना कहती है कि जब अत्याचार की आँधी चलेगी तो विद्रोह की लपटें तेज ही होंगी। पन्ना सोना को सावधान करती है कि बनवीर के दुष्कर्मों की आँधी उसे भी नष्ट कर देगी। उसका नृत्य-संगीत का पागलपन समाप्त हो जाएगा। वह यौवन के मद में मत्त होकर आज भले गा ले, लेकिन ये गीत किसी भी क्षण बनवीर की क्रूरता और कुटिलता की भेंट चढ़ जाएँगे। आज वह जिस सुख और सौभाग्य पर इतरा रही है, उनकी जिन्दगी पानी के बुलबुले के समान क्षण भर की है, क्योंकि चित्तौड़ की भूमि वीरभूमि है। यहाँ वीरता और साहस के नृत्य होते हैं, उस जैसी यौवन से मत्त लड़कियों के नहीं। अतः उसे समय रहते बनवीर के षड्यंत्र से सचेत हो जाना चाहिए।

विशेष-
1. भाषा में लाक्षणिकता और प्रवाह है।
2. शैली नाटकीय और भावात्मक है।

3. तुम्हारे अँगूठे से रक्त की धारा बही। अब हृदय से रक्त की धारा बहेगी तो मैं कैसे रोक सकेंगी मेरे लाल! मेरे चन्दन! जाओ ये रक्तधारा अपनी मातृभूमि पर चढ़ा दो। आज मैंने भी दीपदान किया है, दीपदान आज जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है। एक बार तुम्हारा मुख देख लँ। कैसा सुंदर और भोला मुख है। (पृष्ठ-53)

सन्दर्भ तथा प्रसंग-यह गद्यावतरण डॉ. रामकुमार वर्मा के प्रसिद्ध एकांकी ‘दीपदान’ से अवतरित है। पन्ना ने पुत्र चन्दन के बलिदान की पूरी तैयारी कर ली है। उसे राजकुमार उदयसिंह के बिस्तर पर सुला दिया है। एक माँ का हृदय बेटे की अवश्य होने वाली हत्या से सिहर उठता है। व्याख्या-कुछ देर पहले चन्दन के पैर के अँगूठे में चोट लगने से रक्त बहा। माँ को बहुत कष्ट हुआ। अँगूठे से बहता रक्त तो पट्टी से बाँधकर रोक दिया गया। अब बनवीर चन्दन के सीने में तलवार भोंकेगा। उसके हृदय से जो रक्त बहेगा, उसे माँ कैसे रोकेगी? माँ सोते हुए चन्दन को सम्बोधि त करती हुई कहती है-बेटा चन्दन! तुम अपना पवित्र रक्त अपनी मातृभूमि की रक्षा में अर्पित कर दो। आज चितौड़ के दीपदान का उत्सव हुआ है। रात में पन्ना अपने दीपक (पुत्र) का दान राजकुमार की रक्षा के लिए कर रही है। यह दीपक चन्दन जल की धारा पर नहीं, रक्त की धारा पर तैरेगी। ऐसा पीड़ादायक दीपदाने आज तक किसी माता को नहीं करना पड़ा होगा। वह अंतिम बार एक बार फिर अपने पुत्र के सुंदर
और भोले मुख को देखना चाहती है।

विशेष-
1. संवाद का हर शब्द माँ की ममता में पगा हुआ है।
2. शैली भावात्मक और भाषा तत्सम शब्दों से युक्त खड़ी बोली है।

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