Rajasthan Board RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 स्वास्थ्य शिक्षा: परिभाषा, महत्व एवं उद्देश्य
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य के सम्बन्ध में अरस्तू का कथन बताइये।
उत्तर:
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा निवास करती है।
प्रश्न 2.
आयुर्वेद की विचारधारा के अनुसार स्वस्थ किसे कहा है?
उत्तर:
आयुर्वेद की विचारधारा के अनुसार, वात, पित्त व कफ सम हो, न कोई कम हो, न अधिक हो। भोजन को पचाने वाली अग्नि ठीक हो और शरीर का तापमान उचित मात्रा में हो।”
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य की परिभाषा बताइये।
उत्तर:
स्वास्थ्य की परिभाषा – स्वास्थ्य का अर्थ केवल शरीर की रोगमुक्त अवस्था ही नहीं है वरन् वह शारीरिक, मानसिक और सामाजिक सम्पन्नता की स्थिति है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य की परिभाषा निम्न शब्दों में की है, “स्वास्. शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रसन्नता की अवस्था है। इसका तात्पर्य न तो रोगों का अभाव ही है और न अक्षमताओं की न्यूनता ही है।” एलोपैथिक विचारधारा के अनुसार, “कोई मनुष्य उसी समय तक स्वस्थ कहा जा सकता है जब तक कि उसके शरीर के सभी अंग या उपांग अपने कर्तव्यों का ठीक-ठाक पालन करते रहें। शरीर के अंगों में किसी प्रकार का विकार चाहे वह स्थायी हो या अस्थायी रोग कहलाता है।” आयुर्वेद की विचारधारा के अनुसार, “वात, पित्त व कफ सम हो-न कोई कम हो, न अधिक हो। भोजन को पचाने वाली अग्नि ठीक हो और शरीर का तापमान उचित मात्रा में हो।’
प्रश्न 2.
स्वास्थ्य को मानव जीवन में महत्त्व बताइये।
उत्तर:
स्वास्थ्य का मानव जीवन में महत्त्व – स्वास्थ्य के महत्त्व के सम्बन्ध में निम्नलिखित धारणा है कि स्वास्थ्य जीवन रूपी फूल में शहद के समान है। स्वास्थ्य मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है। स्वास्थ्य सुखी जीवन का सम्बल है। यह मानव की अमूल्य निधि है। स्वास्थ्य ही धन है, जीवन के खिलते पुष्प में स्वास्थ्य अमृत के समान है। प्रत्येक व्यक्ति का उसके स्वास्थ्य से इतना गहरा सम्बन्ध है, जो जन्म से लेकर मृत्यु तक सदा साथ रहता है। यदि स्वास्थ्य की देखभाल रखेंगे तो हमारा
जीवन सुखी रहेगी। दैनिक जीवनचर्या सुन्दर होगी, कभी बीमार नहीं होंगे और आयु भी लम्बी होगी। चेहरे पर तेज होने पर मुस्कान तथा कार्यकुशलता में स्फूर्ति रहेगी। स्वास्थ्य अच्छी रहने से शरीर के विभिन्न अंग, जैसे हृदय, फेफड़े, आमाशय, गुर्दे एवं विभिन्न संस्थान स्वाभाविक रूप से कार्य करते रहेंगे। स्वस्थ व्यक्ति स्वभाव एवं भावना से भी उत्साही, संतोषी, धैर्यवान, हँसमुख एवं मधुर व्यवहारी होता है। जीवन का सबसे बड़ा सुख निरोगी काया है, जिसमें समस्त सुखों का उपभोग प्रसन्नतापूर्वक करते हैं, क्योंकि बिना स्वस्थ काया के माया (धन) का सुख भी व्यर्थ रहता है। स्वामी विवेकानन्दजी के शब्दों में, “तन-मन से रोगी एवं निर्बल मानव को आत्मशान्ति के दर्शन नहीं हो सकते।”
वास्तव में स्वास्थ्य केवल एक व्यक्ति को प्रभावित नहीं करता बल्कि जिस समाज में वह रहता है, उस सम्पूर्ण समाज को। प्रभावित करता है अर्थात् जिस समाज में हम रहते हैं उस पर भी हमारे स्वास्थ्य का प्रभाव पड़ता है। यदि व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ नहीं रखेगा तो उसका जीवन खुशहाल नहीं होगा और समाज में वह अपने कर्तव्य को अच्छी तरह नहीं निभा पायेगा।
स्वास्थ्य के महत्त्व को स्वामी रामकृष्ण के शब्दों में बहुत बलपूर्वक कहा गया है-“वह व्यक्ति जो नरम तथा दुर्बल बुद्धियुक्त है, दूध में भीगे हुए चावलों की तरह किसी काम का नहीं होगा। वह कुछ विशेष नहीं पा सकता। परन्तु शक्तिशाली तथा पौरुषत्व रखने वाला व्यक्ति पराक्रमी होता है। वह जीवन में सब कुछ प्राप्त कर सकता है।” स्वामी रामकृष्ण का यह कथन इस बात पर बल देता है कि व्यक्ति यदि स्वस्थ न हो तो कोई कार्यदक्षता से नहीं कर सकता।
प्रश्न 3.
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक बताइये।
उत्तर:
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकव्यक्ति का स्वास्थ्य निम्न कारकों पर निर्भर करता है –
- पैतृक
- वातावरण के घटक
- परिवार का आर्थिक स्तर स्वास्थ्य सेवाएँ
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा क्या है तथा इसके लक्ष्य बताते हुए उनका वर्णन करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा – स्वास्थ्य शिक्षा वह शिक्षा है। जो व्यक्ति के जीवन को स्वस्थ रहने की शिक्षा देती है। वह व्यक्ति के रहन-सहन, खान-पान, सोच-विचार पर प्रभाव डालती है। व्यक्ति के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करने वाले सभी साधन स्वास्थ्य शिक्षा के अन्तर्गत आते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा उन सभी अनुभवों, आदतों, रुचियों व ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है जो कि विद्यार्थी, स्कूल, खेल के मैदान, पुस्तकालय, घर-पड़ोस व समाज से प्राप्त करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों की कमेटी के अनुसार, स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य जिन्दगी की ऐसी गुणवत्ता स्थापित करना है जो व्यक्ति को अधिक से अधिक जीवन जीने व बेहतरीन ढंग से समाज के काम आने के योग्य बना सके।”
स्वास्थ्य शिक्षा के लक्ष्य –
- स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालय कार्यक्रम।
- स्वस्थ वातावरण।
- भोजन एवं जल की व्यवस्था
- स्थूल वातावरण व सुविधाएँ, स्वच्छ जल, शौचालय।
- स्वास्थ्य को बनाये रखने के साधन।
- गुरु-शिष्य सम्बन्ध।
प्रश्न 2.
अच्छे स्वास्थ्य के लिए वांछित व अवांछित आदतें बताइये।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के लिए वांछित आदतें – प्रत्येक व्यक्ति को अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए निम्न आदतों को अपनाना चाहिए –
- सूर्योदय से पूर्व उठना।
- शीतल जल का सेवन करना।
- शौच जाना, दाँत व मुँह साफ करना।
- स्नान करना।
- नियमित उचित व्यायाम व प्रात:काल घूमना।
- तंग कपड़े न पहनना।
- श्वास नासिका से लेना।
- सीधा बैठना व सीधे खड़े रहना।
- सोते समय हल्के तथा कम से कम कपड़े पहनना।
- भोजन शांत चित्त से हाथ धोकर करना।
- भोजन चबा-चबा कर करना।
- जल्दी सोना।
- भोजन कम करना व सन्तुलित भोजन करना तथा समय पर करना।
- तेल मालिश करना।
- बड़ों को सम्मान व छोटों से प्यार करना।
अवांछित आदतें –
जिस प्रकार अच्छी आदतों को अपनाना आवश्यक है उसी प्रकार अवांछित आदतों को छोड़ना भी जरूरी है ।
- बीड़ी, सिगरेट पीना व तम्बाकू खाना शरीर के लिये नुकसानदायक है।
- शराब पीना व नशीली दवाइयों का उपयोग हानिकारक है।
- गुस्सा (क्रोध) नहीं करना चाहिये।
- जीवन के किसी कार्य में अनियमितता नहीं होनी चाहिये।
- किसी भी कार्य को जल्दबाजी में न करें।
- आलस्य नहीं रखें।
- समय के पाबन्द रहे।
- अखाद्य (गन्दी) वस्तुओं का उपयोग न करें।
प्रश्न 3.
विद्यालय स्वास्थ्य सेवाओं का उल्लेख करते हुए स्वास्थ्य शिक्षा के सिद्धान्त बताइये।
उत्तर:
विद्यालय स्वास्थ्य सेवाएँ –
- शारीरिक शिक्षा
- दोषों व रोगों का निदान तथा उपचार
- संक्रामक रोगों पर नियंत्रण एवं निदान
- स्वास्थ्य मूल्यांकन एवं परीक्षा
- मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा
- योग शिक्षा
- जनसंख्या नियंत्रण शिक्षा
- प्राथमिक उपचार व आकस्मिक दुर्घटनायें।
स्वास्थ्य शिक्षा के सिद्धान्त –
- स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम – बच्चों की रुचि, आदत, स्वास्थ्य के स्तर तथा वातावरण की आवश्यकता के अनुसार हो।
- स्वास्थ्य कार्यक्रम व्यावहारिक हों जिसमें बच्चे स्वयं भाग लें।
- स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम विद्यालय तक ही सीमित नहीं रहें।
- स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम रुचि के साथ मनोरंजक भी हों।
- स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम लिंग तथा आयु के अनुसार हों।
- स्वास्थ्य शिक्षा का तरीका साधारण तथा स्पष्ट हो।
- बच्चों की अच्छी आदतों की प्रशंसा हो तथा बुरी के बारे में उन्हें बताया जाये।
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
सुखी जीवन के लिए किसका होना आवश्यक
उत्तर:
उत्तम स्वास्थ्य का।
प्रश्न 2.
स्वास्थ्य संरक्षण के लिए काम करने वाली विश्वस्तरीय संस्था कौनसी है?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य के नियम कौन-कौन से हैं? लिखिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य के नियम-निम्न हैं –
- शरीर को शुद्ध हवा, प्रकाश और पानी मिले।
- शरीर को पौष्टिक आहार, जैसे विटामिन, लवण आदि प्राप्त हों।
- शरीर को व्यायाम व आराम देना।
- शरीर को सर्दी व गर्मी से बचाना।
- शरीर की समय-समय पर जाँच करवाना।
RBSE Class 9 Physical Education Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा के ध्येय कौन-कौन से हैं? समझाइए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के ध्येय-निम्न हैं –
- स्वास्थ्य सम्बन्धी स्तर निश्चित करना।
- शारीरिक विकास।
- मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य प्रदान करना।
- बच्चों में अच्छी स्वास्थ्य आदतों का विकास करना।
- स्वास्थ्य विकास के लिए विद्यालय, घर एवं समुदाय में सहयोग बढ़ाना।
- लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व प्रेरित करना।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी सही दृष्टिकोण का विकास।
- स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान का विकास।
- रोगों से कैसे बचा जा सकता है, की जानकारी देना।
- व्यक्तियों को ड्रग्स की जानकारी देना व बताना कि ड्रग्स से कौन-कौन से नुकसान होते हैं।
- बच्चों को बीमारियों के कारणों, लक्षणों व चिह्नों से अवगत कराना एवं रोकथाम के उपायों से परिचित करवाना।
- विद्यार्थियों को नशीली दवाइयों व द्रव्यों से अवगत कराना एवं उनसे होने वाले नुकसान बताना।
- शारीरिक कमियों का निरीक्षण करके उनका सुधार करना।
- बच्चों में स्वास्थ्य सम्बन्धी सूझबूझ व सही नजरिया विकसित करना।
- यह विद्यार्थियों को पारिवारिक नियंत्रण का ध्यान रखने की हिदायतें देकर उनके अन्दर जिम्मेदारी व आपसी सहयोग की भावना का विकास करती हैं।
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