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Rajasthan Board RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरण रूप-प्रकरणम्
1.संज्ञा शब्द
शब्दरूप प्रकरण को तीन भागों में बाँटा गया है-
- पुल्लिंग शब्दरूप (संज्ञा)
- स्त्रीलिंग शब्दरूप (संज्ञा)
- नपुंसकलिंग शब्द रूप (संज्ञा)।
रूपों की आवश्यकता हिन्दी वाक्यों से संस्कृत वाक्यों के बनाने में होती है। अतः आप इन सभी दिये हुए संज्ञा-शब्द रूपों को समझकर कण्ठाग्र करें एवं इनका अपने स्वयं के वाक्यों में प्रयोग करने का अभ्यास करें।
(1) अकारान्त’राम’ पुल्लिंग शब्द
नोट -इसी प्रकार ह्रस्व ‘अ’ पर समाप्त होने वाले पुल्लिंग संज्ञा शब्द- मोहन, शिव, नृप (राजा), बालक, सुत (बेटा), गज (हाथी) पुत्र, कृष्ण, जनक (पिता), पाठ, ग्राम, विद्यालय, अश्व (घोड़ा), ईश्वर (ईश या स्वामी), बुद्ध, मेघ (बादल), नर (मनुष्य), युवक (जवान), जन (मनुष्य), पुरुष, वृक्ष, सूर्य, चन्द्र (चन्द्रमा), सज्जन, विप्र (ब्राह्मण), क्षत्रिय, दुर्जन (दुष्ट पुरुष), प्राज्ञ (विद्वान्), लोक (संसार), उपाध्याय (गुरु), वृद्ध (बूढ़ा), शिष्य, प्रश्न, सिंह (शेर), वेद, क्रोश (कोस), धर्म , सागर (समुद्र), कृषक (किसान), छात्र (विद्यार्थी), मानव, भ्रमर, सेवक, समीर (हवा), सरोवर और यज्ञ आदि के रूप चलते हैं। ‘रामाणाम्’ रूप बने हैं, किन्तु ‘बालक’ शब्द में र, ऋ अथवा ५ न होने से ‘बालकेन’ व ‘बालकानाम्’ रूप बनते हैं।
(2) इकारान्त पुल्लिंग ‘हरिः’ शब्द
नोट-इस प्रकार ह्रस्व ‘इ’ पर समाप्त होने वाले सभी पुल्लिंग संज्ञा शब्द-कवि, बह्नि (आग), यति, (संन्यासी), नृपति (राजा), भूपति (राजा), गणपति (गणेश), प्रजापति (ब्रह्मा), रवि (सूर्य), कपि (बन्दर), अग्नि (आग), मुनि,
जलधि (समुद्र), ऋषि, गिरि (पहाड़), विधि (ब्रह्मा), मरीचि (किरण), सेनापति, धनपति (सेठ), विद्यापति (विद्वान्), असि (तलवार), शिवि (शिवि नाम का राजा), ययाति (ययाति नाम का राजा) और अरि (शत्रु) आदि के रूप चलते हैं।
(3) उकारान्त पुल्लिग’ भानु’ शब्द
नोट-इसी प्रकार गुरु, साधु, शिशु, इन्दु, रिपु, शत्रु, शम्भु, विष्णु आदि शब्दों के रूप चलते हैं।
(4) ऋकारान्त पुल्लिग ‘पितृ’ (पिता) शब्द
नोट-इसी प्रकार ह्रस्व (छोटी) ‘ऋ’ से अन्त होने वाले अन्य पुल्लिग शब्दों-भ्रातृ (भाई) और जामातृ (जमाई, दामाद) आदि के रूप चलेंगे।
(5) ‘विद्वस्’ (विद्वान्) शब्द पुल्लिंग
(6) नकारान्त आत्मन् (आत्मा) शब्द पुल्लिंग
(7) तकारान्त पुल्लिंग’गच्छत्’ (जाता हुआ) शब्द
2. संज्ञा शब्द स्त्रीलिंग
(1) आकारान्त स्त्रीलिंग’रमा’ शब्द
नोट-इसी प्रकार दीर्घ (बड़े) ‘आ’ से अन्त होने वाले अन्य स्त्रीलिंग शब्दों-बाला (लड़की), लता, कन्या (लड़की), रक्षा, कथा (कहानी), क्रीडा (खेल), पाठशाला (विद्यालय), शीला, लीला, सीता, गीता, विमला, प्रमिला, प्रभा, विभा, सुधा (अमृत), चेष्टा (यत्न), विद्या, कक्षां, व्यथा (कष्ट) और बालिका (लड़की) आदि के रूप चलते हैं।
(2) इकारान्त स्त्रीलिंग ‘मति’ (बुद्धि) शब्द
नोट-इसी प्रकार ह्रस्व (छोटी) ‘इ’ से अन्त होने वाले स्त्रीलिंग शब्दों-प्रकृति (स्वभाव), शक्ति (सामर्थ्य), तिथि, भीति (भय), गति (दशा), कृति (रचना), वृत्ति (पेशा), बुद्धि, सिद्धि, सृष्टि (उत्पत्ति), श्रुति (वेद), स्मृति (यादगार), भूमि (पृथ्वी), प्रीति (प्रेम), भक्ति और सूक्ति (सुभाषित) आदि के रूप चलते हैं।
(3) ईकारान्त स्त्रीलिंग ‘नदी’ शब्द
नोट-इसी प्रकार दीर्घ (बड़ी) ‘ई’ से अन्त होने वाले स्त्रीलिंग शब्दों-देवी, भगवती, सरस्वती, श्रीमती, कुमारी (अविवाहिता), गौरी (पार्वती), मही (पृथ्वी), पुत्री (बेटी), पत्नी, राज्ञी (रानी), सखी (सहेली), दासी (सेविका), रजनी (रात्रि), महिषी (रानी, भैंस), सती, वाणी, नंगरी, पुरी, जानकी और पार्वती आदि शब्दों के रूप चलते हैं।
(4) मातृ (माता) ऋकारान्त स्त्रीलिंग शब्द
इसी प्रकार ह्रस्व (छोटी) ‘ऋ’ से अन्त होने वाले अन्य सभी स्त्रीलिंग शब्दों-दुहितु (पुत्री) और यातृ (देवरानी) आदि के रूप चलेंगे।
नोट-‘मातृ’ शब्द के द्वितीया विभक्ति के बहुवचन के ‘मातृः’ इस रूप को छोड़कर शेष सभी रूप ‘पितृ’ शब्द के समान ही चलते हैं।
3.संज्ञा शब्द नपुंसक लिंग
(1) अकारान्त नपुंसकलिंग’फल’ (परिणाम शब्द)
नोट-इस ‘फल’ शब्द के तृतीया विभक्ति’ के एकवचन से लेकर ‘सम्बोधन विभक्ति’ के एकवचन तक के ये 16 (सोलह) रूप ‘बालक’ शब्द के रूपों के समान ही चलते हैं।
इसी प्रकार पुस्तक, कमल, नगर (शहर), पुर (शहर), गृह (घर), पुष्प (फूल), पत्र (पत्ता, चिट्ठी), हृदय, सुख, दुःख, जल (पानी), ज्ञान (जानकारी), गमन (जाना) आदि अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों के रूप चलेंगे। जिन शब्दों में र, ऋ अथवा ष् होगा उनके प्रथमा विभक्ति के बहुवचन में तथा द्वितीया विभक्ति के बहुवचन के रूपों में नि’ के स्थान पर ‘णि’ हो जायेगी। जैसे-गृहम्, गृहे, गृहाणि (प्रथमा में) तथा गृहम् गृहे, गृहाणि (द्वितीया में) इसी प्रकार षष्ठी विभक्ति के बहुवचन में भी गृहाणाम् रूप बनेगा। इसी प्रकार ‘सम्बोधन’ विभक्ति के बहुवचन में भी ‘हे गृहाणि’ रूप ही बनेगा।
(2) उकारान्त नपुंसकलिंग’मधु’ (शहद)
2. सर्वनाम शब्द रूप
1. तत्/तद् (वह) पुल्लिंग शब्द
नोट-प्रथमा विभक्ति एकवचन को छोड़कर सभी रूपों का आधार ‘त’ अक्षर है तथा ‘सर्व’ शब्द के समान रूप हैं।
2. तत् / तद् (वह) स्त्रीलिंग शब्द
3. तत् / तद् (वह) नपुंसकलिंग
नोट-‘तद्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के ये सभी रूप ‘तद्’ पुल्लिग के समान चलते हैं।
4. इदम् (य) पुल्लिंग
5. इदम् (यो नपुंसकलिंग
नोट-शेष सभी विभक्तियों में ‘इदम्’ के ये रूप पुल्लिग ‘इदम्’ के समान ही चलेंगे।
6. इदम् (यह) स्त्रीलिंग
7. किम् (कौन) पुल्लिंग शब्द
नोट-‘किम्’ शब्द के रूपों का मूल आधार सभी लिंगों एवं विभक्तियों में ‘क’ होता है तथा इसके रूप ‘सर्व’ शब्द के समान ही चलते हैं।
8. किम् (कौन) स्त्रीलिंग शब्द
9. किम् (कौन) नपुंसकलिंग शब्द
नोट-‘किम्’ शब्द के नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सभी रूप ‘किम्’ पुल्लिंग के समान ही चलते हैं।
10. अस्मद् (मैं) शब्द
नोट- अस्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते कानि हैं।
11. युष्मद् (तुम) शब्द
नोट-‘युष्मद्’ शब्द के रूप तीनों लिंगों में समान होते
12. भवत् (आप-प्रथम पुरुष) पुल्लिंग
(नोट-सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता है।) ‘भवत्’ के साथ सदैव प्रथम पुरुष की क्रिया प्रयोग की जाती है।
13. भवत् (आप) नपुंसकलिंग
नोट-शेष सभी विभक्तियों में ‘ भवत्’ के ये रूप पुल्लिंग ‘भवत्’ के समान ही चलेंगे।
14. भवत् (आप) स्त्रीलिंग
नोट- भवत्+ई =भवती के सम्पूर्ण रूप ‘नदी’ (दीर्घ ईकारान्त स्त्रीलिंग) के समान चलते हैं।
15. सर्व (सब) पुल्लिंग शब्द
16. सर्व (सब) स्त्रीलिंग शब्द
17. सर्व (सब) नपुंसकलिंग शब्द
नोट-शेष विभक्तियों के रूप पुल्लिंग ‘सर्व’ की तरह चलेंगे।
18. यत् (जो) पुल्लिग शब्द
नोट-इस ‘यत्’ शब्द का सभी लिंगों में, सभी विभक्तियों के रूप में ‘य’ आधार रहेगा तथा इसके ‘सर्व’ के समान ही रूप चलेंगे।
19. यत् (जो) स्त्रीलिंग शब्द
20. यत् (जो) नपुंसकलिंग शब्द
नोट-‘यत्’ नपुंसकलिंग के तृतीया विभक्ति से सप्तमी विभक्ति तक के सम्पूर्ण रूप ‘यत्’ पुल्लिंग के समान ही चलेंगे।
21. एतत्’ (यह) पुल्लिंग शब्द
नोट- एतत् ‘ के सभी रूप ‘तत्’ शब्द में पूर्व में ‘ए’ जोड़कर ‘तत्’ के रूपों के समान ही चलते हैं।
22. एतत्’ (यह) शब्द स्त्रीलिंग
23. ‘एतत्’ (यह) शब्द नपुंसकलिंग
नोट-शेष सभी विभक्तियों में रूप पुल्लिंग ‘एतत्’ की भाँति ही चलेंगे।
3. धातु शब्द रूप
परस्मैपदी धातुएँ
(1) भू(होना) धातु (वर्तमान काल)
(2) हस् (हँसना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(3) पठ्(पढ़ना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(4) नम् (झुकना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(5) गम् (गच्छ्) (जाना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(6) अस् (होना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(7) इष् (इच्छु) (इच्छा करना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(8) प्रच्छ (पृच्छ्) (पूछना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(9) हन् (मारना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(10) नृत् (नाचना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(11) कृ(कर) (करना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(12) चिन्त् (चिन्तय्) (सोचना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(13) क्रुध्(क्रुध्य्) (क्रोध करना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(14) नश् (नश्य्) (नष्ट होना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(15) ज्ञा (जान्) (जानना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
16 भक्ष् (भक्षय्) (खाना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
आत्मनेपदी धातुएँ
(18) लभ् (पाना) धातु आत्मनेपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(19) रुच्(रोच्) (चमकना और रुचना, अच्छा लगना)
धातु आत्मनेपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(20) मुद् (मो) (प्रसन्न होना) धातु आत्मनेपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(21) याच् (याचना करना, माँगना) धातु परस्मैपदी
लट्लकार (वर्तमान काल)
(22) याच् (याचना करना, माँगना) धातु आत्मनेपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(23) नी (नय्) (ले जाना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(24) नी (नय्) (ले जाना) धातु आत्मनेपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(25) हृ (हर) (हरण करना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(26) हृ(हर) (हरण करना) धातु आत्मनेपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(27) भज् (सेवा करना,भजन करना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(28) भज्(सेवा करना, भजन करना) धातु आत्मनेपदी
लट्लकार (वर्तमान काल)
(29) पच् (पकाना) धातु परस्मैपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
(30) पच् (पकाना) धातु आत्मनेपदी
लट् लकार (वर्तमान काल)
अभ्यास 1
प्रश्न 1.
कोष्ठके प्रदत्तं निर्देशानुसारम् उचित विभक्तिपदेन रिक्तस्थानानि पूर्तिं कुरुत
- ……………………………….. पत्रं पतति। (वृक्ष-पञ्चमी)
- ……………………………….. हरीशः विनम्रः। (छात्र-सप्तमी)
- भो ……………………………….. पत्रं पठतु। (महेश-सम्बोधन)
- ……………………………….. किं हसन्ति? (भवान्-प्रथम)
- ……………………………….. शनैः शनैः लिखति मा। (केशव-प्रथमा)
- गोपालः जलेन ……………………………….. प्रक्षालयति। (मुख-द्वितीया)
- सेवकः स्कन्धेन ……………………………….. वहति। (भार-द्वितीया)
- सः ……………………………….. कोमलः। (स्वभाव-तृतीया)
- कोऽर्थः ……………………………….. यो न विद्वान् न धार्मिकः। (पुत्र-तृतीया)
- भक्त ……………………………….. हरि भजति। (मुक्ति-चतुर्थी)
उत्तर:
- वृक्षात्
- छात्रेषु
- महेश!
- भवन्तः
- केशवः
- मुखं
- भारं
- स्वभावेन
- पुत्रेण
- मुक्तये
प्रश्न 2.
कोष्ठकात् उचितविभक्तियुक्तं पदं चित्वा वाक्यपूर्तिः क्रियताम्
- ……………………………….. पुरोहितः अकथयत्। (शुद्धोदनाय, शुद्धोदनस्य, शुद्धोदने)
- मम ……………………………….. स्वां दुहितरं यच्छ। (पिता, पित्रा, पित्रे)
- शान्तनुः ……………………………….. वरम् अयच्छत् (भीष्माय, भीष्मे, भीष्मात्)
- अयि ……………………………….. मम मित्रं भविष्यति। (चटकपोत चटकपोतं, चटकपोतै:)
- अस्मिन् ……………………………….. प्रत्येक स्व-स्वकृत्ये निमग्नो भवति (जगत्, जगता, जगति)
- कस्मिंश्चिद् ……………………………….. एका निर्धना वृद्धा स्त्री न्यवसत्। (ग्रामेन, ग्रामे, ग्रामस्य)
- सा ……………………………….. बहिः आगन्तव्यम्। (ग्रामात्, ग्रामे, ग्रामान्)
- लुब्धया ……………………………….. लोभस्य फलं प्राप्तम् (बालिका, बालिकया, बालिकायाः)
- इन्दुः ……………………………….. प्रकाशं लभते (भानुना, भानोः, भानवे)
- ……………………………….. गङ्गा सर्वश्रेष्ठा।(नद्याम्, नद्याः नदीषु)
उत्तर:
- शुद्धोदनस्य
- पित्रे
- भीष्माय
- चटकपोत!
- जगति
- ग्रामे
- ग्रामात्
- बालिकया
- भानुना
- नदीषु।
प्रश्न 3.
समुचितं विभक्तिप्रयोगं कृत्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
- ……………………………….. कुत्र गच्छति? (भवत्)
- ……………………………….. मोदकं रोचते। (बालक)
- ……………………………….. अभितः वनं अस्ति। (ग्राम)
- कर्ण: ……………………………….. सह नगरं गच्छति। (पिता)
- गङ्गा ……………………………….. उद्भवति। (हिमालय)
उत्तर:
- भवान्
- बालकाय
- ग्रामम्
- पित्रा
- हिमालयात्
अभ्यास 2
प्रश्न 1.
कोष्ठके प्रदत्तं निर्देशानुसारम् उचितविभक्तिपदेन रिक्तस्थानानां पूर्तिं कुरुत
- ……………………………….. चे एका दुहिता आसीत्। (तत्-स्त्रीलिंग षष्ठी)
- ……………………………….. विस्मयं गता।(तत्-स्त्रीलिंग प्रथमा)
- ……………………………….. मम श्वश्रुः सदैव मर्मघातिभिः कटुवचनैराक्षिपति माम्। (इदम्-स्त्रीलिंग प्रथम)
- ……………………………….. काकिणी अपि न दत्ता (यत्-पुल्लिग तृतीया)
- ……………………………….. तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता (तत्-पुल्लिंग पंचमी)
- ……………………………….. मरालैः सह विप्रयोगः। (यत्-पुल्लिग षष्ठी)
- ……………………………….. अनुकूले स्थिते शक्रोऽपि नास्मान् बाहि तुं शक्नुयात्। (इदम्-पुल्लिंग सप्तमी)
- तत् ……………………………….. अस्मात् मनोरथमभीष्टं साधयामि। (अस्मद्-प्रथमा)
- किन्तु ……………………………….. सह केलिभिः कोऽपि न उपलभ्यमानः आसीत्। (तत्-पुल्लिंग तृतीया)
- अयि चटकपोत! ……………………………….. मित्रं भविष्यसि। (अस्मद्-षष्ठी)
- अपूर्वः इव ते हर्षों ब्रूहि ……………………………….. असि विस्मितः। (किम्-पुल्लिंग तृतीया)
- ……………………………….. कुले आत्मस्तवं कर्तुमनुचितम्। (अस्मद्-षष्ठी)
- तां च ……………………………….. चित् श्रेष्ठिनो गृहे निक्षेपभूतां कृत्वा देशान्तरं प्रस्थितः। (किम्-पुल्लिंग षष्ठी)
- वत्स! पितृव्योऽयं ……………………………….. (युष्मद्-षष्ठी)
- ……………………………….. अस्मि तपोदत्तः। (अस्मद्-प्रथमा)
- गुरुगृहं गत्वैव विद्याभ्यासो ……………………………….. करणीयः। (अस्मद्-तृतीया)
- ……………………………….. शब्दमवसुप्तस्तु जटायुरथ शुश्रुवे। (तत्-पुल्लिंग द्वितीया)
- वृद्धोऽहं ……………………………….. युवा धन्वी सरथः कवची शरी। (युष्मद्-प्रथमा)
- यत: ……………………………….. स्थलमलापनोदिनी जलमलापहारिणश्च। (तत्-पुल्लिग प्रथमा)
- ……………………………….. सर्वान् पुष्णाति विविधैः प्रकारैः। (इदम्-स्त्रीलिंग प्रथमा)
उत्तर:
1. तस्याः 2. सी 3. इयम् 4. येन 5. तस्मात्। 6. येषाम् 7. अस्मिन् 8. अहम् 9. तेन 10. मम 11. केन 12. अस्माकं 13. कस्य 14. तव 15. अहम् 16. मया
17. तम् 18. त्वम् 19. सः 20. इयम्।
प्रश्न 2.
कोष्ठकात् अचितविभक्तियुक्तं पदं चित्वा वाक्यपूर्तिः क्रियताम्–
- नाऽहं जाने ……………………………….. कोऽस्ति भवान्। (यत्, याभ्याम्, याः)
- सिकताः जलप्रवाहे स्थास्यन्ति ………………………………..? (किम्, कानि, काषु)
- विषाक्तं जलं नद्यां निपात्यते ……………………………….. मत्स्यादीनां जलचराणां च नाशो जायते। (येन, याभ्यां, याषु)
- प्रकृतिरेव ……………………………….. विनाशकत्र सजाता। (तस्य, तयोः, तेषां)
- ……………………………….. सर्वमिदान चिन्तनीयं प्रतिभाति। (तत्, ते, तानि)
- भगवन्! प्रष्टुमिच्छामि किम् ……………………………….. मनः? (इयं, अयं, इदम्)
- अशितस्यान्नस्य योऽणिष्ठः ……………………………….. मनः। (तत्, तम्, तासाम्)
- बालिका ……………………………….. निवारयन्ती। (तस्मै, ताभ्याम्, तम्)
- परं ……………………………….. माता एकाकिनी वर्तते। (तव, तयोः, तेषु)
- ……………………………….. अपि चायपेयस्य नास्ति। (इदम्, इदानीम्, अयम्)
उत्तर:
1. यत् 2. किम् 3. येन 4. तेषां 5. तत् 6. इदम् 7. तत् 8. तम् 9. तव 10. इदानीम्।
अभ्यास 3
प्रश्न 1.
उचितधातुरूपैः वाक्यानि पूरयत
- सः भोजनं ……………………………….. (पच्-लुट् लकारे)
- विद्यार्थी ज्ञानं ……………………………….. (लभ्लट्लकारे, आत्मनेपदी)
- आवां संस्कृतम् ……………………………….. (वद्-लङ्लकारे)
- यूयं पुस्तकानि ……………………………….. (नी-लुट्लकारे)
- छात्राः नित्यम् ईश्वरं ……………………………….. (भज्-विधिलिङ् लकारे)
- शिष्यः गुरून् ……………………………….. (सेव्-लोट्लकारे)
- शिक्षकः छात्राय ……………………………….. (क्रुध्-लट्लकारे)
- रीना शीघ्रम् उन्नतिं ……………………………….. (कृ-लट्लकारे)
- तौ गुरुम् ……………………………….. (सेव्-लट्लकारे)
- वयं विद्यालयं ……………………………….. (गम्- लुट्लकारे)
उत्तर:
1. पक्ष्यति 2. लभते 3. अवदाव 4. नेष्यथ 5. भजेयुः 6. से वताम् 7. क्रुध्यति 8. करोति 9. सेवेते 10. गमिष्यामः
प्रश्न 2.
उचितधातुरूपैः वाक्यानि पूरयत
- रमा सीता च श्वः तत्र ……………………………….. (गम्)
- वयं श्वः फलानि ……………………………….. (भक्ष्)
- सः प्रात: व्यायाम ……………………………….. (कृ)
- मह्यम् आम्रफलं ……………………………….. (रुच्)
- त्वं मम मित्रम् ……………………………….. (अस्)
- ह्यः अहं विद्यालयम् ……………………………….. (गम्)
- मोहनः सदा प्रातः पञ्चवादने ……………………………….. (उत्तिष्ठ)
- अहं गुरून् ……………………………….. (नम्)
- सीता ह्यः मातुः पत्रम् ……………………………….. (लभ्)
- भारते कोऽपि शिक्षाविहीनः न ……………………………….. (अस्)
उत्तर:
- गमिष्यतः
- भक्षयिष्यामः
- करोति
- रोचते
- असि
- अगच्छम्
- उत्तिष्ठति
- नमामि
- अलभत
- स्यात्।
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