RBSE Solutions for Class 9 Science Chapter 6 सजीव की संरचना are part of RBSE Solutions for Class 9 Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 6 सजीव की संरचना
Board | RBSE |
Textbook | SIERT, Rajasthan |
Class | Class 9 |
Subject | Science |
Chapter | Chapter 6 |
Chapter Name | सजीव की संरचना |
Number of Questions Solved | 60 |
Category | RBSE Solutions |
Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Chapter 6 सजीव की संरचना
पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका के किस कोशिकांग को आत्मघाती थैली के नाम से जाना जाता है ?
(अ) माइटोकॉण्डिया
(ब) लाइसोसोम
(स) राइबोसोम्
(द) गॉल्जीकाय।
उत्तर:
(ब) लाइसोसोम
प्रश्न 2,
कोशिका के किस कोशिकांग को कोशिका का शक्तिगृह कहते हैं ?
(अ) माइटोकॉण्ड्रिया
(ब) लाइसोसोम
(स) राइबोसोम
(द) केन्द्रक।
उत्तर:
(अ) माइटोकॉण्ड्रिया
प्रश्न 3.
केन्द्रक की खोज किस वैज्ञानिक ने की थी ?
(अ) राबर्ट ब्राउने
(ब) राबर्ट हुक
(स) ल्यूवेनहॉक।
(द) अलीडेन।
उत्तर:
(अ) राबर्ट ब्राउने
प्रश्न 4.
कोशिका चक्र की किस प्रावस्था में DNA का संश्लेषण होता है ?
(अ) प्रावस्था
(ब) S प्रावस्था
(स) M प्रावस्था
(द) G-2 प्रावस्था।
उत्तर:
(ब) S प्रावस्था
5. पादपों में लचकमय दृढ़ता प्रदान करने वाला ऊतक
(अ) मृदूतक
(ब) स्थूलकोण ऊतक
(स) दृढ़ोतक
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) स्थूलकोण ऊतक
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 6.
सर्वप्रथम जीवित कोशिका का अवलोकन करने वाले वैज्ञानिक का नाम लिखिए।
उत्तर:
एन्टॉन वॉन ल्यूवेनहॉक।
प्रश्न 7.
किन्हीं दो एककोशिकीय जीवों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) अमीबा (Amoeba),
(ii) यूग्लीना (Englena)
प्रश्न 8.
मानव शरीर की सबसे लम्बी कोशिका का नाम लिखिए।
उत्तर:
तन्त्रिका कोशिका (Neuron)।
प्रश्न 9,
पादप कोशिका में कोशिका भित्ति का क्या कार्य है ?
उत्तर:
कोशिका को आकार, दृढ़ता और साथ ही सुरक्षा प्रदान करना।
प्रश्न 10.
वर्णक के आधार पर पादपों में कौन-कौन से लवक पाये जाते हैं ?
उत्तर:
(i) हरे वर्णक (क्लोरोफिल) वाले हरित लवक (Chloroplast)
(ii) रंगीन वर्णक वाले वर्णी लवक (Chromoplast)
(iii) रंगहीन (वर्णक विहीन) अवर्णी लवक (Leucoplast)
प्रश्न 11.
कोशिका में राइबोसोम का क्या कार्य है?
उत्तर:
राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण में मदद करते हैं।
प्रश्न 12.
जीवों की कायिक कोशिका में किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है ?
उत्तर:
समसूत्री कोशिका विभाजन (Mitosis)।
प्रश्न 13.
अर्धसूत्री विभाजन को न्यूनकारी विभाजन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन में जनक कोशिका के विभाजन से बनने वाली 4 पुत्री कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या, जनक कोशिका की गुणसूत्र संख्या की आधी हो जाती है। अत: यह अर्धसूत्री विभाजन (Reduction division) कहलाता
प्रश्न 14.
पादपों में कोशिका विभाजन के दौरान कोशिका द्रव्य विभाजन किस विधि द्वारा होता है ?
उत्तर:
कोशिका पट्ट (Cell plate) निर्माण द्वारा।
प्रश्न 15.
स्थूल कोण ऊतक की कोशिकाओं की कोशिका भित्ति पर किस पदार्थ का निक्षेपण होता है ?
उत्तर:
सेल्यूलोज व पेक्टिन का निक्षेपण होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एककोशिकीब व बहुकोशिकीय जीव किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जिन जी का शरीर केवल एक कोशिका से बना होता है वह एककोशिकीय जीव (Unicellular Organisms) कहलाते हैं, जैसे-अमोबा, यूग्लीना, पैरामीशियम, क्लेमाइडोमोनास, जीवाणु आदि। बहुकोशिकीय जीवों का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इनके शरीर में कोशिकाओं में श्रम विभाजन (division of labour) पाया जाता है। कृमि, कीट, पक्षी, पेड़ पौधे बहुकोशिकीय जीव हैं।
प्रश्न 2.
कोशिका सिद्धान्त को समझाइए।
उत्तर:
जर्मनी के वैज्ञानिक श्लीडेन (Schleiden) ने विभिन्न प्रकार के पादप ऊतकों का तथा धियोडोर श्वान (Theodore Schwann) ने अनेक प्रकार की जन्तु कोशिकाओं के अध्ययन के पश्चात् निष्कर्ष निकाला कि सभी पादपों व जन्तुओं का शरीर कोशिकाओं व कोशिकाओं के उत्पादों का बना होता है। इसी को कोशिका सिद्धान्त (Cell theory) नाम दिया गया। इसके अनुसार
- सभी जीवधारियों का शरीर कोशिकाओं व कोशिकाओं के उत्पादों से बना होता है।
- सभी कोशिकाओं की उत्पत्ति पूर्ववर्ती कोशिकाओं से होती है।
- कोशिकाएँ जीव की कार्यात्मक व संरचनात्मक इकाई हैं। सभी कोशिकाएँ रासायनिक संघटन व उपापचयी क्रियाओं में मौलिक समानता प्रदर्शित करती हैं।
- कोशिकाएँ शरीर की आनुवंशिक इकाई भी होती हैं। क्योंकि आनुवंशिक पदार्थ इन्हीं में होता है।
प्रश्न 3,
माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना व कार्य समझाइए।
उत्तर:
माइटोकॉन्ड्यिा की संरचना (Structure of Mitochondria)- माइटोकॉन्ड्यिा यूकैरियोटिक कोशिकाओं
में पाये जाने वाले दोहरी झिल्ली (double membrane) से घिरे महत्वपूर्ण अंगक (organelle) हैं। अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं में इनके आकार अलग-अलग होते हैं। सक्रिय कोशिकाओं में इनकी संख्या अधिक होती है। दोनों कलाओं के बीच के स्थान को बाह्य कोष्ठक (outer compartment) कहा जाता है। बाह्य कला चिकनी होती है।
आन्तरिक कला एक केन्द्रीय गुहा या आन्तरिक कोष्ठ को घेरे रहती है जिसे आधात्री (rriatrix) कहा जाता है। इस आन्तरिक कला के अनेक वलन (folds) आधात्री में पैंसे रहते हैं इन वलनों को क्रिस्टी (ristae) कहा जाता है। क्रिस्टी आन्तरिक कला का संतही क्षेत्र बढ़ा देते हैं। माइटोकॉन्ड्रिया की आधात्री श्वसन के एंजाइमों से भरी रहती हैं।
आधात्री में डी.एन.ए. व राइबोसोम भी पाये जाते हैं। कार्य (Functions) माइटोकॉन्ड्यिा प्रमुख रूप से ऑक्सी श्वसन व ए.टी.पी. (ATP) उत्पादन के लिए उत्तरदायी होते हैं। ए.टी.पी. कोशिका की ऊर्जा मुद्रा (करेंसी) है। चूँकि माइटोकॉन्ड्रिया में ऊर्जा का उत्पादन होता है अतः इन्हें कोशिका का पावर हाउस (power house) कहा जाता हैं। डी.एन.ए. व राइबोसोम की उपस्थिति के कारण माइटोकॉन्ड्रिया अपनी प्रति (copy) बनाने में सक्षम होते हैं अत: अर्धस्वशासी कोशिकांग (semi-autonomous organelle) कहलाते हैं।
प्रश्न 4. जन्तु कोशिका व पादप कोशिका में चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
जन्तु कोशिका व पादप कोशिका में अन्तर
प्रश्न 5,
लाइसोसोम को आत्मघाती थैलियाँ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
लाइसोसोम एकल कला से घिरे कोशिका के ऐसे अंगक हैं जिनमें जल अपघटनी या हाइड्रोलिटिक (Hydrolytic) एंजाइम भरे रहते हैं। यह कोशिका के टूटेफूटे या जीर्ण अंगकों को पचाकर स्वांगीकृत कर लेते हैं। कोशिका के सभी लाइसोसोम एक साथ फटकर पूरी कोशिका के अवयवों का पाचन कर सकते हैं इसीलिए इन्हें आत्मघाती थैलियाँ (Suicidal bags) कहा जाता है।
प्रश्न 6,
केन्द्रक की संरचना, व कार्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
केन्द्रक की संरचना (Structure of Nucleus)कोशिका के सबसे महत्वपूर्ण अंगक केन्द्रक के चारों ओर
दोहरी केन्द्रक कला (Nuclear membrane) पायी जाती हैं। केन्द्रक झिल्ली में सूक्ष्म छिद्र होते हैं जो केन्द्रक छिद्र (Nuclear pore) कहलाते हैं। केन्द्रक के अन्दर भरा पदार्थ केन्द्रक द्रव्य (nucleoplasin) कहा जाता है। केन्द्रक छिद्रों द्वारा केन्द्रक द्रव्य, कोशिका द्रव्य के सम्पर्क में रहता है तथा यही छिद्र इनके बीच पदार्थों का आदान-प्रदान सम्भव बनाते हैं। केन्द्रक द्रव्य में पतले धागे सदृश्य संरचनाओं का जाल पाया जाता हैं। जिसे क्रोमेटिन जाल कहते हैं। केन्द्रक दुव्य में एक या अधिक गोलाकार संरचनाएँ पाई जाती हैं जो केन्द्रिक या केन्द्रका (nucleplus) कहलाती हैं। दोनों केन्द्रक कलाओं के बीच का परिनाभिकीय अवकाश (Perinuclear space) खुरदरी अन्तर्द्रयी जालिका की गुहिका से जुड़ा रहता है।
केन्द्रक के कार्य (Functions of Nucleus) केन्द्रक कोशिका का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। इसके दो महत्वपूर्ण कार्य हैं
- केन्द्रक सभी कोशिकीय गतिविधियों के नियन्त्रण हेतु सूचना रखता है।
- इसमें प्रजनन, विकास, उपापचय व जीव के व्यवहार से सम्बन्धित आनुवंशिक सूचना निहित होती है। यह इस सूचना के द्विगुणन व अगली पीढ़ी में संचरण हेतु भी उत्तरदायी होता है।
प्रश्न 7,
कोशिका चक्र को समझाइए।
उत्तर:
विभाजन में सक्षम प्रत्येक कोशिका एक नियत चक्र का पालन करती है जो कोशिका चक्र (Cell cycle) कहलाता है। एक वर्षी कोशिका का कोशिका चक्र एक लम्बी अन्तरावस्था (intephase) व उसके बाद आने वाली छोटी समसूत्री (rmitotic) या विभाजन प्रावस्था का बना होता है।
अन्तरावस्था में निम्न तीन भाग पाये जाते हैं
- पहली वृद्धि प्रावस्था G1 प्रावस्था-इस प्रावस्था में कोशिका के आकार में वृद्धि तथा आर.एन.ए. व प्रोटीन्स का सक्रिय संश्लेषण होता है।
- संश्ले भी प्रावस्था S प्रावस्था-इस प्रावस्था में डी.एन.ए. का संश्लेषण होता है।
- G2 प्रावस्था-इस प्रावस्था में आर.एन.ए. व प्रोटीन को संश्लेषण जारी रहता है। (यहाँ G अक्षर का अर्थ गैप (Gap) है, वृद्धि नहीं)
प्रश्न 8.
पादप व जन्तु कोशिका में कोशिका द्रव्य विभाजन की विधियों को समझाइए।
उत्तर:
जन्तु को शिका में कोशिका द्रव्य विभाजन (Cytokinesis) एक विदलन खाँच (Cleavage furrow) के रूप में परिधि में केन्द्र को और बढ़ता है। यह गहरा होकर जनक कोशिका को दो पुत्री कोशिकाओं में विभक्त कर देता है।
पादप कोशिका में कोशिका दुव्य विभाजन कोशिका पट्ट (Cell plate) निर्माण द्वारा होता है। इस विधि में कैल्शियम पेक्टेट व अन्य पदार्थों के जमा होने से जनक कोशिका के मध्य में एक पटलिका बनने लगती है जो केन्द्र से परिधि की ओर बढ़ती है। इस पटलिका के दोनों ओर सेल्यूलोज जमा होने से कोशिका भित्ति बन जाती हैं।
प्रश्न 9,
समसूत्री विभाजन की मध्यावस्था का चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर:
पध्यावस्था (Metaphase)-गुणसूत्रों का कोशिका के तर्क (Spindle) के मध्यवर्ती क्षेत्र में विन्यसित होना मध्यावस्था की विशेषता है। इस अवस्था में गुणसूत्र
सर्वाधिक संघनित व मोटे होते हैं। प्रत्येक गुणसूत्र अपने सेंट्रोमियर (Centromere) या गुणसूत्र बिन्दु द्वारा त तन्तु (Spirndle fibre) से जुड़ा रहता है। गुणसूत्रों के सेंटीमियर मध्यवर्ती भाग में तथा गुणसूत्र की भुजाएँ ध्रुवों (poles) की ओर विन्यसित रहती हैं।
प्रश्न 10.
कोशिका विभाजन के सन्दर्भ में पश्चावस्था अभिगमन को समझाइए।
उत्तर:
कोशिका विभाजन की पश्चावस्था (Anaplikase) में प्रत्येक गुणसूत्र बिन्दु या सेंट्रोमियर विभाजित होता है। इस विभाजन से गुणसूत्र के दोनों अर्द्धगुणसूत्र (क्रोमेटिड) पृथक हो जाते हैं। यह पुत्री गुणसूत्र (क्रोमेटिड) एक-दूसरे से पृथक होकर विपरीत ध्रुव की ओर अभिगमन करते हैं। उनका विपरीत भुर्यों की ओर जाना ही पश्चावस्था अभिगमन (Anaphasic rnoverment) कहलाता है। इसके लिए शक्ति व दिशा तर्क तन्तुओं (Spindle fibre) के संकुचन से प्राप्त होती है।
समसूत्री विभाजन में इस प्रकार संतति कोशिकाओं में क्रोमोसोम की द्विगुणित संख्या समान बनी रहती है। अर्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था में सेंट्रोमियर का विभाजन नहीं होता। अत: पूरा गुणसूत्र विपरीत ध्रुव की ओर गति करता है। इससे संतति कोशिका में गुणसूत्र संख्या आधी हो जाती है।
प्रश्न 11,
अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व लिखिए।
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व-(i) लैंगिक प्रजनन के समय बनने वाले नर व मादा अगुणित युग्मको (haploid garmetes) का निर्माण अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा ही सम्भव हो पाता है। अगर अर्द्धसूत्री विभाजन न हो तो निषेचन (fertilization) के कारण बनने वाले युग्मनज (Zygote) में गुणसूत्रों की संख्या बढ़ जायेगी। इससे किसी प्रजाति में गुणसूत्रों की संख्या पीढ़ी दर पीढ़ी निश्चित बनी रहती हैं। (ii) क्रॉसिंग ओवर (crossing over) के समय समजात गुणसूत्रों में जोन विनिमय (exchange of genes) होता है जिससे चार आनुवंशिक रूप से भिन्न प्रकार की कोशिकाएँ बनती हैं। यह जनक कोशिका से भी भिन्न होती है। (iii) इस प्रकार उत्पन्न आनुवंशिक भिन्नता (genetic variation) ही जैव विकास (Organic evolution) का आधार
प्रश्न 12.
जाइलम की संरचना व कार्य को समझाइए।
उत्तर:
जाइलम की संरचना (Structure of Xylen)-जाइलम पादपों का एक अटिल स्थायी ऊतक (coriplex Mermanent tissue) है। जाइलम चार प्रकार की कोशिकाओं (घटकों) के मिलने से बनता है
- वाहिनिकाएँ (Tractheids)
- वाहिका (Trachea)
- जाइलम तन्तु (Xylem fibre)
- जाइलम मृदूतक (Xylem parenchyma)।
जाइलम का अधिकांश। द्रित परिटका भाग मृत कोशिकाओं से बना होता है। उपर्युक्त चार प्रकार की कोशिकाओं में से केवल जाइलम मृदूतक ही जीवित कोशिकाएँ हैं। शैश तीनों प्रकार की कोशिकाएँ वाहिनिकाएँ, वाहिका व जाइलम तन्तु मृत कोशिकाएँ हैं। वाहिनिका, वाहिका व जाइलम तन्तु की द्वितीयक कोशिका भित्ति आलम तन्तु लिग्निन् (lignin) के चित्र=जाइलम जमाव या निक्षेपण के कारण जल का आवागमन रोक देतो है अतः कोशिकाएँ मर जाती हैं। जाइलम तन्तु में गुहिका (lumen) अत्यल्प या अनुपस्थित होती है। इन सभी कोशिकाओं में जीवद्रव्य नहीं होता। वाहिनिका व वाहिका जाइलम का संवहनी (conducting) भाग बनाती है।
वाहिनिका नुकीले सिरे वालो कोशिका है। वाहिका बेलनाकार व चौड़ी गुहा वाली कोशिका है जोवाप। एक-दूसरे से जुड़कर नलिकाकार संरचना बनाती है। इन दोनों की भित्ति लिग्नीकृत (lignified) व स्थूलित होती है। वाहिका के सिरों पर छिद्रित पट्टिका (perforated crid plate) पायी जाती है। कार्य (Functions) जाइलम का प्रमुख कार्य जल व खनिज लवण का संवहन (conduction) करना है। अत: जाइलम संवहन ऊतक (Vascular tissue) है।
प्रश्न 13.
तन्त्रिका कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 14,
जन्तुओं में पाई जाने वाली विभिन्न पेशियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जन्तुओं में तीन प्रकार की पेशियाँ पाई जाती हैं
- रेखित पेशी,
- अरेखित पेशी,
- हृदयी पेशी।
1. रेखित पेशी (Striated muscle) या कंकाल पेशी (Skeletal muscle)-अस्थियों से जुड़े होने के कारण यह पेशी, कंकाल पेशी कहलाती है। एकान्तरित क्रम में गहरे व हल्के रंग की धारियों के पड़े होने के कारण यह रेखित पेशी कही जाती है। इन पेशियों को जन्तु अपनी इच्छा से संकुचित कर सकता है। अतः इन्हें ऐच्छिक पेशी (voluntary muscle) भी कहा जाता है। ये शरीर की गति व चलन में मदद करती हैं, जैसे-हाथ को बाइसैप्स, ट्राईसैंप्स।
2. अरेखित पेशी (Unsiriated muscle) या चिकनी पेशी (Smooth rmuscle) गहरी व हल्की धारियों की अनुपस्थिति के कारण यह अरेखित पेशी कहलाती है। इनके संकुचने पर जीव की इच्छा का सीधा नियन्त्रण नहीं होता। अतः यह अनैच्छिक पेशी (Involuntary muscle) कही जाती हैं। इस प्रकार की पेशियाँ शरीर के आन्तरिक अंगों, जैसे-आहारनाल, जनन मार्ग की भित्ति में स्थित होती हैं।
3. हृदयी पेशी (Cardiac muscle) इस प्रकार की पेशी केवल हृदय की दीवार बनाती है। धारियों की उपस्थिति के कारण यह रेखित प्रकार की होती है लेकिन ऐच्छिक नियन्त्रण में न होने के कारण यह अनैच्छिक पेशी है। इसकी कोशिकाएँ शाखित होती हैं।
प्रश्न 15.
वाइरस की संरचना समझाइए तथा जीवाणु भोजी का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
विषाणु (Virus)-विषाणु या वाइरस कोशिका रहित जीव हैं। यह इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की मदद से देखा जा सकता है। आकार में यह 30 nn से 300 pm तक होते हैं। प्रत्येक विषाणु कण
विरिआन (Virion) कहलाता है। यह दो भागों से मिलकर बना होता है
- बाह्य आवरण या कॅसिड (capsid) यह प्रोटीन का बना खोल है, जो अनेक छेटी छेटी इकाइयों से बना हो सकता है।
- नाभिकीय अम्ल (डी.एन.ए, अथवा आर.एन.ए.) प्रोटीन खोल के अन्दर केवल एक प्रकार का नाभिकीय अम्ल डी. एन.ए, अथवा आर.एन.ए, उपस्थित होता है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पादप कोशिका का नामांकित चित्र बनाकर इसके निम्न कोशिकांगों की संरचना व कायों का वर्णन कीजिए
(अ) हरित लवक
(ब) अन्तर्दुव्यी जालिका
(स) माइटोकॉन्ड्रिया
(द) केन्द्रक।
उत्तर:
(अ) हरित लवक (Chloroplast)- हरित लवक पादप कोशिकाओं में पाया जाने वाला देहरी झिल्लीयुक्त (double rnmbrane bourid) कोशिकांग है। इन झिल्लियों को क्रमशः बाह्य झिल्ली (outer membrane) व अन्त: झिल्ली (inner imembrance) कहा जाता है। हरित लवक के बीच का अन्त: झिल्ली से घिरा स्थान पीठिका या स्ट्रोमा (stroma) कहलाता है। स्ट्रमा रंगहीन प्रोटीनयुक्त पदार्थ का बना होता है। स्ट्रोमा में एक ओटा वर्तुल, डी. एन.ए,, राइबोसोम व अनेक एंजाइम पाये जाते हैं।
स्ट्रोमा में अनेक चपटी कलायुक्त (झिल्ली से बन्द) संरचनाएँ पाई जाती हैं जिन्हें थाइलेकॉइड (Thylakoid) कहा जाता है। लगभग 20-50 थाइलेकॉइड सिक्कों के चट्टे की तरह एक के ऊपर एक रूप में व्यवस्थित होकर एक ग्रेनम (ranurm) बनाते हैं। एक हरित लवक में ऐसे अनेक ग्रेना (grana) पाये जाते हैं। कुछ नलिकाकार संरचनाएँ, इन्टरप्रेनम (intergratum) या स्ट्रोमा लेमिली ग्रेना के चाइलेकोइड को आपस में जोड़ती है।
कार्य (Functions)
हरित लवक का कार्य सौर ऊर्जा को ग्रहण कर उसे खाद्य पदार्थ की रासायनिक ऊर्जा में बदलने की क्रिया अर्थात् प्रकाश संश्लेषण करना है।
(ब) अन्तर्दयी जारिनका (Endoplasmic reticulum) अन्तव्य जालिका आपस में जुड़ी हुई सूक्ष्म नलिकाओं व झिल्लीदार थैलियों से बनी जालिका है। इसकी भित्ति एक झिल्ली (single meinbrane) की बनी होती है। यह कोशिका कला व केन्द्रक के बीच के स्थान में कोशिका द्रव्य में एक परिवहन तन्त्र बनाती है। एक ओर यह केन्द्रक कला से तो दूसरी ओर गॉल्जीकाय व कोशिका कला से सम्बन्धित रहती है। यह दो प्रकार की होती है|
- खुरदरी अन्तव्य ज्ञालिका (Rough Endoplasmic Reticulturfi RER)-इसकी थाह सतह से राइबोसोम लगे रहते हैं। अत: यह खुरदरी अन्तर्द्रव्यी जालिका कहलाती हैं।
- चिकनी अन्तर्दयी जालिका (Smooth Endoplasmic Reticulum SER)-राइबोसोम की अनुपस्थिति के कारण इसकी सतह चिकनी होती है।
कार्य (Functions) खुरदरी अन्तव्यी जालिका का कार्य स्रावी व कला प्रोटीन का निर्माण करना है। चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका लिपिड व स्टीरॉल का संश्लेषण करती हैं। सम्मिलित रूप से यह कोशिकांग कोशिका के परिवहन तन्त्र का कार्य करता है।
(स) माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)- माइटोकॉन्ड्यिा यूरियोटिक कोशिकाओं में पाये जाने वाले दोहरी झिल्ली
(double membrane) से घिरे महत्वपूर्ण अंगक (orgarielle) हैं। दोनों झिल्लियों के बीच का स्थान थाहा कोष्ठक कहा जाता है। बाह्य कला चिकनी होती है जबकि आन्तरिक कला अंगुली सदृश प्रवर्ध क्रिस्टी बनाती है। बीच के स्थान को आधात्री कहा जाता है।
कार्य (Functions) माइटोकॉन्डुि या प्रमुख्य रूप से ऑक्सी श्वसन व ए.टी.पी. (ATP) उत्पादन के लिए उत्तरदायी होते हैं। ए.टी.पी. कोशिका की ऊर्जा मुद्रा (करेंसी) है। चूंकि माइटोकॉन्ड्रिया में ऊर्जा का उत्पादन होता है अत: इन्हें कोशिका का पावर हाउस (power lhouse) कहा जाता है। डी.एन.ए, व राइबोसोम की उपस्थिति के कारण माइटोकॉन्ड्रिया अपनी प्रति (copy) बनाने में सक्षम होते हैं अत: अर्धस्वशासी कोशिकांग (semi-autonormous organelle) कहलाते हैं।
(द) केन्द्रक-(NLucleus)- कोशिका के सबसे महत्वपुर्ण अंगक केन्द्रक के चारों ओर दोहरी केन्दुक कला (Nuclear rmembrane) पायी जाती है। केन्द्रक झिल्ली में सूक्ष्म छिद्र होते हैं जो केन्द्रक छिद्र (Nuclear pore) कहलाते हैं। केन्द्रक के अन्दर भरा पदार्थ केन्द्रक द्रव्य (nucleoplasm) कहा जाता है। केन्द्रक छिद्रों द्वारा केन्द्रक द्रव्य, कोशिका द्रव्य के सम्पर्क में रहूता है तथा यही छिद्र इनके बीच पदार्थों का आदान-प्रदान सम्भव बनाते हैं। केन्द्रक द्रव्य में पतले धागे सदृश्य संरचनाओं का जाल पाया जाता है जिसे मैटिन जाल कहते हैं। कोशिका विभाजन के समय क्रोमेटिन धागे संघनित होकर अपेक्षाकृत मोटे गुणसूत्रों (Chromosormes) के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। केन्द्रक द्रव्य में एक या अधिक गोलाकार संरचनाएँ पाई जाती हैं जो केन्द्रिक या केन्द्रकाभ (nucleolus) कहलाती हैं। दोनों केन्द्रक कलाओं के बीच का परिनाभिकीय अवकाश (Perinuclear space) खुरदरी अन्तव्य जालिका की गुहिका से जुड़ा रहता है।
कार्य (Functions) केन्द्रक कोशिका का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंगक हैं। इसके दो महत्वपूर्ण कार्य हैं
- केन्द्रक सभी कौशिकीय गतिविधियों के नियन्त्रण हेतु सूचना रखता है।
- इसमें प्रजनन, विकास, उपापचय व जीव के व्यवहार से सम्बन्धित आनुवंशिक सूचना निहित होती है। यह इस सूचना के द्विगुणन व अगली पीढ़ी में संचरण हेतु भी उत्तरदायी होता है।
प्रश्न 2.
समसूत्री विभाजन क्या हैं ? समसूत्र विभाजन की विभिन्न प्रावस्थाओं का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन (Mitosis)- कायिक या वर्षी कोशिकाओं (Somatic cells) में होने वाला कोशिका विभाजन, जिसमें जनक कोशिका दो समान सन्तति कोशिकाओं (daughter cells) में विभाजित हो जाती हैं। तथा प्रत्येक सन्तति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका की गुणसूत्र संख्या के समान होती हैं, सूत्री विभाजन या समसूत्री विभाजन (Mitosis) कहलाता है। सन्तति कोशिकाएँ आनुवंशिक रूप से जनक कोशिका के समान होती हैं। समसूत्री विभाजन में निम्न प्रावस्थाएँ पायी जाती हैं
(A) अन्तरावस्था (Interphase)
(B) केन्द्रकीय विभाजन (Karyokinesis)
(C) कोशिकाद्रव्य विभाजन (Cytokinesis)
(A) अन्तरावस्था (Interphase)- यह दो क्रमिक विभाजनों के मध्य को वह अवधि हैं जिसमें कोशिका स्वयं को विभाजन के लिए तैयार करती है।
(B) केन्द्रकीय विभाजन (Karyokinesis)- केन्द्रकीय विभाजन को पुन: निम्न प्रावस्थाओं में बाँटा जा सकता हैपूर्वावस्था, मध्यावस्था, पश्चावस्था व अन्त्यावस्था। पूर्वावस्था (Prophase)-यह समसूत्री विभाजन की पहली प्रविस्था है। इसमें निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं
- क्रोमेटिन पदार्थ के संघनन के कारण यह स्पष्ट पतले | धागों के रूप में परिवर्तित हो जाता है। यह धागे लम्बाई में छोटे व अधिक मोटे हो जाते हैं तथा गुणसूत्र कहलाते हैं।
- गुणसूत्र के दोनों अर्द्ध गुणसूत्र (क्रोमेटिड) स्पष्ट होने लगते हैं। यह सेंट्रोमियर पर आपस में जुड़े होते हैं।
- केन्द्रक कला अन्तत: विलुप्त हो जाती है। केन्द्रिक या न्यूक्लिओलस भी विलुप्त हो जाता है।
- जन्तु कोशिका में तारककाय दो पुत्री तारककाय बना देता है जो ध्रुव का निर्धारण करते हैं।
मध्यावस्था (Metaphase)
- गुणसूत्र तर्क के मध्यवर्ती क्षेत्र में विन्यस्त हो जाते हैं।
- तर्क रेशों का निर्माण पूर्ण हो जाता है।
पश्चावस्था (Anaphase)
- प्रत्येक गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर से विभाजित हो जाता है जिससे गुणसूत्र के दोनों अर्द्ध गुणसूत्र (क्रोमेटिड) अलग हो जाते हैं।
- पुत्री गुणसूत्र विपरीत ध्रुवों की ओर गमन करते हैं। इनकी विपरीत ध्रुवों की और गति पश्चावस्था अभिगमन (Anaphasic moverment) कहलाती हैं।
अन्त्यावस्था (Telophase)
यह अवस्था पूर्वावस्था से ठीक विपरीत परिस्थितियों को जन्म देती है।
- पुत्री गुणसूत्र अकुंडलित व विरल होकर क्रोमेटिन जालिका बनाते हैं।
- प्रत्येक ध्रुव पर पुत्री गुणसूत्रों का एक-एक समूह बन जाता है अत: दो स्पष्ट केन्द्रक बनने लगते हैं।
- केन्द्रिक व केन्द्रक कला फिर से प्रकट हो जाते हैं।
(C) कोशिकाद्रव्य विभाजन (Cytokinesis)-जन्तु कोशिका में केन्द्रक द्रव्य विभाजन विदलन खाँच (cleavage furow) के निर्माण द्वारा होता है। अतः कोशिकाओं का बनना परिधि से केन्द्र की ओर होता है। पादप कोशिका में केन्द्रक द्रव्य विभाजन केन्द्र से परिधि की और कोशिका पटलिका (cell plate) निर्माण द्वारा होता है।
प्रश्न 3.
ऊतक किसे कहते हैं ? पादपों में पाये जाने वाले सरल ऊतकों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऊतक (Tissue)-कोशिकाओं का समूह जिसकी उत्पत्ति (origin), परिवर्धन (development) व कार्य समान हो, ऊतक कहलाता है।
- मृदूतक,
- स्थूलकोण ऊतक,
- दृढ़ोतक।
(1) मृदूतक (ParenchyTna)-पादपों के भरण ऊतक (ground tissue) में बहुतायत से पाये जाने वाला यह सरल ऊतक समव्यासी (isodiamatric) व गोलाकार कोशिकाओं से बना होता है। कोशिकाओं के बीच पर्याप्त अन्तरकोशिकीय अवकाश (inter cellular s[ices) पाये जाते हैं। यह जीवित कोशिकाओं से बना ऊतक है जिनकी भित्ति पतली व सेल्यूलोज की बनी होती है। ये खाद्य संचय का कार्य करते हैं। मृदूतक अनेक प्रकार के होते हैं, जब इनमें क्लोरोफिल पाया जाता है, तब यह प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है। इस प्रकार का मृदूतक क्लोरेनकाइमा (chlorenchyma) कहलाता है।
2. स्थलकोण ऊतक (Collenchyma)- यह ऊतक भी मृतक के समान जीवित कोशिकाओं से बना होता है।
इस ऊतक में कोशिकाओं के कोणों पर सेल्यूलोज व पैक्टिन का स्थूलन पाया जाता है अर्थात् कोनों पर कोशिका भित्ति मोटी होती हैं। अत: अन्तराकोशिकीय अवकाश नहीं पाये जाते। यह ऊतक पादप अंगों को लचकमय दृढ़ता (flexible strength) प्रदान करता है। यह उपत्वचीय ऊतक के ठीक नीचे पाया जाता है।
3. तक (Sclerenchyma)- इस ऊतक की कोशिकाएँ प्रायः लम्बी, संकरी व नुकीले सिरों वाली होती हैं। इनकी कोशिका भित्ति पर लिग्निन (ligrlin) का जमाव पाया जाता है। लिग्नीकृत होने के कारण प्रौढ़ कोशिका में जीवद्रव्य नहीं रहता अत: यह मृत ऊतक है। यह ऊतक पौधे के भागों को यान्त्रिक सामर्थ्य (mechanical support) प्रदान करता है। दृढ़ोतक की कुछ कोशिकाएँ आकार में गोल होती हैं तथा स्टोन कोशिका (stone cell) कहलाती हैं।
प्रश्न 4.
जन्तुओं में पाये जाने वाले विभिन्न ऊतकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जन्तु ऊतक (Animal Tissue)- बहुकोशिकीय जन्तुओं में मुख्यत: 4 प्रकार के ऊतक पाये जाते हैं
- उपकला या एपीथीलियम ऊतक,
- संयोजी ऊतक
- पेशी ऊतक,
- तन्त्रिका ऊतक।
1. उपकला ऊतक या एपीथीलियम (Epithelium)- एपीथीलियम ऊतक जन्तुओं के शरीर के बाहा आवरण य खोखले आन्तरिक अंगों की आन्तरिक सतह का निर्माण करता है। इसको कोशिकाएँ एक-दूसरे से सटी होती हैं। इनमें अन्तर कोशिकीय अवकाश नहीं पाये जाते तथा रक्त वाहिनियों का अभाव होता है। ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
(a) सरल एपीथीलियम (Simple Epithelium)- यह कोशिकाओं के केवल एक स्तर (One liyer) का बना होता हैं। कोशिकाओं के आकार-प्रकार के आधार पर यह निम्नलिखित अलग-अलग प्रकार का होता हैं
- शल्की एपीथीलियम (Squamous epithelium) चपटी कोशिकाओं के बने होते हैं।
- घनाकार एपीथीलियम (Cuboidal epithelium) इनको कोशिकाएँ घन के आकार की होती हैं।
- स्तम्भकार एपीथीलियम (Colunnar epithe-liurm) लम्बी व पतली स्तम्भ के आकार की कोशिकाओं के बने होते हैं।
घनाकार व स्तम्भकार एपीथीलियम की मुक्त सतह पर पक्ष्माभ (cilia) या रसांकुर (Inicrovilli) भी उपस्थित हो सकते हैं।
(b) संयुक्त एपीथीलियम (Compound epithelium)- यह कोशिकाओं के दो या अधिक स्तरों से मिलकर बना होता है। जन्तुओं की त्वचा व मुखगुहा का आन्तरिक स्तर संयुक्त उपकला ऊतकों का बना होता है। एपीथीलियम के कार्य है-सुरक्षा आवरण, स्रावण, अवशोषण, पदार्थों का विनिमय आदि।
2. संयोजी ऊतक (Corinective tissue)-संयोजी ऊतक शरीर के अन्य ऊतकों व अंगों को आपस में जोड़ने वाला ऊतक है। ऊतक की कोशिकाएँ आधारी पदार्थ मैट्रिक्स (matrix) की उपस्थिति के कारण एक-दूसरे से दूर-दूर होती हैं। मैट्रिक्स की प्रकृति अलग-अलग ऊतकों में अलग अलग प्रकार की होती है। संयोजी ऊतक अनेक प्रकार के होते हैं-कोमल संयोजी ऊतक, उपास्थि, अस्थि, रक्त, वसीय ऊतक आदि विभिन्न प्रकार के संयोजी ऊतक हैं। रक्त में आधारी पदार्थ तरल होता है, जबकि अस्थि व उपास्थि में मैट्रिक्स ठोस होती हैं। अन्य ऊतकों में यह अर्धतरल के रूप में पायी जाती है। रक्त को छोड़कर सभी संयोजी ऊतकों में कुछ कोशिकाएँ कोलेजन तन्तु नामक संरचनात्मक प्रोटीन स्रावित करती हैं।
कोलेजन तन्तु (Collagen filiral) ऊतक को प्रत्यास्थता व लचीलापन प्रदान करते हैं। इस ऊतक में भक्षका (phagocytes) भी पाये जाते हैं। उपास्थि एक लचीला मगर ठोस संयोजी ऊतक है जो मनुष्य के बाह्य कर्ण नाक, अस्थि सन्धि स्थलों व किया आदि स्थानों पर पाया जाता है। अस्थि में आधारी पदार्थ खनिज पदार्थों के जमाव के कारण ठोस होता है। यह शरीर के कोमल अंगों को सुरक्षात्मक कवच बनाता है, संरचनात्मक ढाँचा बनाता है तथा गति छ चलन में मदद करता है।
रक्त तरल संयोजी ऊतक हैं जिसमें तरल आधारी पदार्थ प्लाज्मा (plasma) में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ (RBC, WBC व प्लेटलेट्स) निलम्बित रहती हैं। यह शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीजन व पोषक पदार्थों के पहुँचाने का कार्य करता है। वसा ऊतक (Alips tissue) एक द्वीला संयोजी ऊतक है। जो त्वचा के नीचे स्थित होता है। नाम के अनुसार इसकी कोशिका में वसा का संग्रह होता है। यह ऊष्मारोधी होता हैं।
3. पेशी ऊतक (Muscular Tissue)- पेशी ऊतक पेशीय कोशिका (muskele cell/rnuscle fibre) का बना होता है। इस प्रकार की कोशिका उद्दीपित (stimuliate) होने पर संकुचन (contraction) के रूप में प्रतिक्रिया प्रदर्शित करती हैं। प्रत्येक पेशी तन्तु अनेक पेशी तन्तुक या मायोफाइब्रिल (Myofibril) का बना होता है। मायोसीन व एक्टिन जैसी संकुचनशील प्रोटीन की उपस्थिति पेशी कोशिका की विशेषता है।
जन्तुओं में तीन प्रकार की पेशियाँ पाई जाती हैं
- रेखित पेशी,
- अरेखित पेशी,
- हदयी पेशी।
4. तन्त्रिका ऊतक (Nervous Tissue)- तन्त्रका ऊतक उद्दीपन को ग्रहण करने तथा उसके फलस्वरूप शरीर की अनुक्रिया (response) के नियन्त्रण के लिए उत्तरदायी होता है। मस्तिष्क तथा परिधीय तन्त्रिका तन्त्र में पाया जाने वाला यह ऊतक तन्त्रिका कोशिकाओं (neuroris) से बना होता है। ये उद्दीपन को ग्रहण कर उसका संचरण करते हैं।
प्रत्येक तन्त्रिका कोशिका एक कोशिकाकाय, एक तन्त्रिकाक्ष या एक्सान (Axon) व अनेक माश्म या डेन्ड्रान (Dendroris) से मिलकर बना होता है। दीपन को डेन्ड्रान द्वारा ग्रहण किया जाता है जो विद्युत रासायनिक संकेत (Electrochemical signals) के रूप में सूचना को कोशिका काय की और संचरित करते हैं। इसे आवेग (impulse) कहते हैं।
तन्त्रिका कोशिका आपस में एक दूसरे से जुड़ी होती है। तन्त्रिकीय आवेग हमेशा डेन्ड्रोन से कोशिका काय, कोशिका काय से एक्सॉन व एक्सॉन से दूसरी तन्त्रिका कोशिका के डेन्ड्रान की और गति करता है। एक्सॉन कुछ दूरी पर मायलिन आवरण से ढका रहता है।
प्रश्न 5.
टिप्पणी लिखिए
- संवहन बंडल
- तन्त्रिका कोशिका
- जीवाणुभोजी
- दृयेतक।
उत्तर:
1. संवहन बंडल (Vascular Bundle)- संवहन बंडल, संवहनी ऊतक तन्त्र (Vascular tissue System) का निर्माण करते हैं। ये भरण ऊतक के बीच में पाये जाते हैं। प्रत्येक संवहन बंडल जाइलम व फ्लोयम् का बना होता हैं। जाइलम जल व खनिज लवणों के रसारोहण (Ascent of Sap) के लिए उत्तरदायी होता है, जबकि फ्लोयम कार्बनिक भोज्य पदार्थों का संवहन करता हैं।
2. तन्त्रिका कोशिका —
तंत्रिका कोशिका- तंत्रिका कोशिका, तंत्रिका ऊतक की इकाई है। प्रत्येक तंत्रिका कोशिका एक कोशिका काय या साइटान, तंत्रिकाक्ष (एञ्जॉन) तथा द्रुमाश्म (डेन्ड्रान) से मिलकर बनी होती हैं। इनका केन्द्रक बड़ा व कोशिका द्रव्य सघन होता है। तंत्रिकाक्ष पर माइलिन आच्छद पाया जाता है। तंत्रिका कोशिका किसी उद्दीपन के ग्रहण करने उसके तंत्रिका आवेग के रूप में संचरण व इसके प्रति होने वाली अनुक्रिया हेतु उत्तरदायी होती हैं।
3. जीवाणु भोजी (Bacteriophage)- जीवाणु के परजीवी विषाणुओं को जीवाणु भौजी कहा जाता है। जीवाणुभोजी में आनुवंशिक पदार्थ DNA होता है। T4 नामक जीवाणुभौजी, जीवाणु एश्चीरिचिया कोलाई (Escherichia coli) का परजीवी इसमें एक षटभुजाकार सिर, एक छोटी ग्रीवा, एक कॉलर तथा एक लम्बी बेलनाकार पूँछ पायी जाती है। सिर में द्विवलीय चक्रीय DNA पाया जाता है।
4. दृढ़ोतक (Sclerenchymia)-इस ऊतक की कोशिकाएँ प्रायः लम्बी, सकरी व नुकोले सिरों वाली होती हैं। इनकी कोशिका भित्ति पर लिग्निन (lignin) का जमाव पाया जाता है। लिग्नीकृत होने के कारण प्रौढ़ कोशिका में जीवद्रव्य नहीं रहता अत: यह मृत ऊतक है। यह ऊतक पौधे के भागों को यान्त्रिक सामर्थ्य (mechanical support) प्रदान करता है। दृढ़ोतक की कुछ कोशिकाएँ आकार में गोल होती हैं तथा स्टोन कोशिका (stone cell) कहलाती हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उनके उत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सुस्पष्ट केन्द्रक नहीं पाया जाता है
(अ) हरे-नीले शैवालों में
(ब) अमीबा में
(स) लाल शैवालों में
(द) सभी एककोशिकीय जीवों में।
उत्तर:
(अ) हरे-नीले शैवालों में
प्रश्न 2.
80S व 70s किसके प्रकार हैं
(अ) रिक्तिका
(ब) लाइसोसोम
(स) तारककाय
(द) राइबोसोम।
उत्तर:
(द) राइबोसोम।
प्रश्न 3.
टोनोप्लास्ट किस कोशिकांग से सम्बन्धित है
(अ) खुरदरी अन्तर्दयी जालिका
(ब) चिकनी अन्तर्रव्यी जालिका
(स) रिक्तिका
(द) गॉल्जीकाय।
उत्तर:
(स) रिक्तिका
प्रश्न 4.
पादपों में सामान्य संचित खाद्य हैं
(अ) ग्लाइकोजन
(ब) स्टार्च
(स) सेल्यूलोज
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ब) स्टार्च
प्रश्न 5.
कोशिका चक्र की अन्तरावस्था की प्रावस्थाओं का सी क्रम हैं
(अ) G1, S, G2
(ब) G1, G2, S
(स) S, G1, G2
(द) G2, G1, S.
उत्तर:
(अ) G1, S, G2
प्रश्न 6.
अमीबा में कोशिकाद्रव्य विभाजन होता है
(अ) विलन विधि से
(ब) कोशिका पटलिका विधि से
(स) उपर्युक्त दोनों विधियों से
(द) कोशिका द्रव्य विभाजन नहीं होता।
उत्तर:
(अ) विलन विधि से
प्रश्न 7.
वाइरस में पाया जाने वाला नाभिकीय अम्ल है
(अ) DNA
(ब) RNA
(स) DNA या RNA
(द) DNA व RNAT
उत्तर:
(स) DNA या RNA
प्रश्न 8.
स्तम्भ व जड़ की मोटाई में वृद्धि होती है
(अ) शीर्षस्थ विभज्योतक द्वारा ।
(ब) पाश्र्वीय विभज्योतक द्वारा
(स) (अ) व (ब) दोनों द्वारा
(द) अन्तर्वेशी विभज्योतक द्वारा।
उत्तर:
(ब) पाश्र्वीय विभज्योतक द्वारा
प्रश्न 9.
कोलेजन तन्तु व भक्षकाणु किस प्रकार के जन्तु ऊतक में पाये जाते हैं
(अ) पेशी ऊतक
(ब) तन्त्रिकीय ऊतक
(स) एपीथीलियम
(द) संयोजी ऊतक
उत्तर:
(द) संयोजी ऊतक
सुमेलित कीजिए
निम्नलिखित स्तम्भ A व B के मदों में मिलान कीजिए
उत्तर:
1. (i) → (d),
(ii)→ (f),
(iii) → (a),
(iv) → (e),
(v) → (b),
(vi) → (c).
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1,
उस कोशिका का नाम बताइए जिसका व्यास 15 सेमी तक होता है।
उत्तर:
शुतुरमुर्ग (Ostrich) का अण्डा।
प्रश्न 2.
किस प्रकार के जीवों में प्रोकैरियोटिक कोशिका पायी जाती है ?
उत्तर:
जीवाणु व नीलहरित शैवाल में।
प्रश्न 3, कोशिका कला की मोटाई कितनी होती है ?
उत्तर:
75 से 105A
प्रश्न 4.
किस कोशिकांग में जल अपघटनी एंजाइम पाये जाते हैं ?
उत्तर:
लाइसोसोम में।
प्रश्न 5.
तारककाय का क्या कार्य है ?
उत्तर:
तारककाय जन्तु कोशिकाओं में कोशिका विभाजन के समय त तन्तुओं का निर्माण करती है। ये शुक्राणु की पूँछ का निर्माण करते हैं तथा एककोशिकीय जीवों के चलन अग (locomotory organs) जैसे कशामिका व पक्ष्मा का आधार बिन्दु बनाते हैं।
प्रश्न 6,
संचित खाद्य की प्रकृति के आधार पर पादप कोशिका जन्तु कोशिका से किस प्रकार भिन होती है ?
उत्तर:
पादप कोशिका में संचित भोजन मण्डू (starch) के रूप में पाया जाता है। जबकि जन्तु कोशिका में वह ग्लाइकोजन (glycogen) के रूप में संचित रहता है।
प्रश्न 7,
अन्तरावस्था का कोशिका चक्र में क्या महत्व है ?
उत्तर:
अन्तरावस्था कोशिका विभाजन की तैयारी की प्रावस्था हैं। इसमें DNA संश्लेषण के लिए आवश्यक प्रोटीन व RNA के संश्लेषण के साथ-साथ DNA का संश्लेषण होता हैं, जो विभाजन हेतु अत्यावश्यक हैं क्योंकि DNA द्विगुणन से ही संतति कोशिका में आनुवंशिक पदार्थ की मात्रा समान रहती हैं।
प्रश्न 8,
कोशिका विभाजन की किस प्रावस्था में गुणसूत्र सर्वाधिक मोटे होकर तर्क के मध्यवर्ती क्षेत्र में व्यवस्थित हो जाते हैं ?
उत्तर:
मध्यावस्था (Metaphase) में।
प्रश्न 9.
पादप व जन्तु कोशिका के कोशिका द्रव्य विभाजन विधि में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
पादपों में कोशिकाद्रव्य विभाजन कोशिका पट्टिका (Cell plate) निर्माण द्वारा होता है जबकि जन्तु कोशिका में यह विदलन खाँच (cleavage furrow) के निर्माण से होता है।
प्रश्न 10.
ऐसे जीवों का नाम लिखिए जो हमेशा अन्तः कोशिकीय, अविकल्प परजीवी होते हैं।
उत्तर:
वाइरस हमेशा अन्त: कोशिकीय, अविकल्पी परजीवी (Intracellular obligate parasite) होते हैं।
प्रश्न 11.
जन्तु वाइरस व पादप वाइरस में क्या प्रमुख अन्तर है ?
उत्तर:
जन्तु वाइरस का आनुवंशिक पदार्थ प्रायः DNA तथा पादप वाइरस का आनुवंशिक पदार्थ प्राय: RNA होता है।
प्रश्न 12.
विभज्योतक की कोशिकाओं की विभाजन की क्षमता के अतिरिक्त कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- कोशिकाओं का जीवद्रव्य सघन, रिक्तिका विहीन होता है। केन्द्रक बड़ा होता है।
- कोशिकाओं के बीच अन्तर कोशिकीय अवकाश नहीं पाये जाते।
प्रश्न 13,
घास व बाँस के पौधों की तीव्र वृद्धि के लिए उत्तरदायी ऊतक का नाम लिखिए।
उत्तर:
अन्तर्वेशी विभज्योतक (Intercalary meristem)
प्रश्न 14.
रक्त के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
- ऑक्सीजन व विभिन्न पदार्थों का परिवहन।
- रोगों से सुरक्षा प्रदान करना।
प्रश्न 15.
रेखित व चिकनी कोशिकाओं में दो प्रमुख अन्तर लिखिए।
उत्तर:
- रेखित पेशी कोशिका बेलनाकार व चिकनी जबकि पेशी कोशिका तर्क रूप होती है।
- रेखित पेशी कोशिका बहुकेन्द्रकीय व चिकनी पेशी कोशिका एककेन्द्रकीय होती हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
यूकैरियोटिक कोशिका किसे कहते हैं ? यह प्रोकैरियोटिक कोशिका से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:
ऐसी कोशिका जिसमें सुस्पष्ट व पूर्ण विकसित केन्द्रक पाया जाता हैं, जो केन्द्रक कला से घिरा रहता है यूकैरियोटिक कोशिका कहलाती है। इसमें झिल्ली (membrane) से घिरे कोशिकांग भी पाये जाते हैं। सभी पादपों, जन्तुओं व कवकों में यूकैरियोटिक कोशिकाएँ पायी जाती हैं। प्रोकैरियोटिक (Prokaryotic) कोशिका में अविकसित या आद्य प्रकार का केन्द्रक पाया जाता हैं जो केन्द्रका (nucleoid) कहलाता है। इस केन्द्रक में केन्द्रक कला (nuclear membrane) का अभाव होता है, जैसे-जीवाणु व नील हरित शैवाल की कोशिकाएँ। इनमें केवल एक गुणसूत्र पाया जाता है।
प्रश्न 2.
कुछ जन्तु कोशिकाओं में पाये जाने वाले सूक्ष्मांकुर (microvilli) क्या हैं? इनका क्या महत्व है ?
उत्तर:
सूक्ष्मांकुर (microvilli)-कुछ जन्तु कोशिकाओं में पाये जाने वाले कोशिका कला के अँगुली सदृश्य प्रवर्ध (extension) या उभार हैं। ये कोशिका कला का सराही क्षेत्र (Surface area) बढ़ा देते हैं। सूक्ष्मांकुर उन कोशिकाओं व
ऊतकों में प्रमुखत: पाये जाते हैं जिनका कार्य पदार्थों का अवशोषण करना होता है। ओटी आँत की आन्तरिक सतह बनाने वाली उपकला (epithelium) इसी प्रकार की कोशिकाओं की बनी होती है।
प्रश्न 3,
कोशिका को जीव की कार्यात्मक व संरचनात्मक इकाई क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
सभी जीवधारियों का शरीर कोशिकाओं व कोशिकाओं के उत्पाद का बना होता हैं। अत: कोशिका को जीव की रचनात्मक इकाई (Stra1aura! !!nit) कहा जाता है। जीवों के शरीर में होने वाली समस्त क्रियाएँ, जैसे- उपापचय, श्वसन, पोषण उत्सर्जन आदि कोशिकाओं द्वारा ही सम्पन्न होती हैं। एककोशिकीय जीवों में तो समस्त जैविक क्रियाएँ एक ही कोशिका द्वारा सम्पन्न की जाती हैं। अत: कोशिका को जीव को कार्यात्मक इकाई (Functional Unit) भी कहा जाता है।
प्रश्न 4.
कोशिका कला को चयनात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
कोशिका कला कुछ पदार्थों के लिए विभिन्न अंशों तक पारगम्य (permeable) व कुछ के लिए अपारगम्य (impermeable) होती हैं। अर्थात् कोशिका कला कुछ पदार्थों को एक सीमा के अन्दर, कोशिका के अन्दर व बाहर जाने देती हैं व अन्य पदार्थों के विनिमय को रोक देती है। अतः इसे चयनात्मक पारगम्य (Selectively permeable) कहा जाता है।
प्रश्न 5.
कोशिका में रिक्तिका द्वारा किये जाने वाले किन्हीं तीन कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- पादप कोशिका में रिक्तिका अतिरिक्त जल व उत्सर्जी पदार्थों का संचय करती हैं।
- पादप कोशिका में रिक्तिका उचित स्फीत अवस्था (turgidity) बनाये रखती है।
- कुछ एककोशिकीय जीवों में संकुचनशील रिक्तिका जल की अतिरिक्त मात्रा को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करती है।
प्रश्न 6,
कोशिका भित्ति का क्या महत्व है ?
उत्तर:
- कोशिका भित्ति पादप कोशिकाओं, कवकों व जीवाणु कोशिकाओं का दृढ़ सुरक्षात्मक आवरण बनाती है।
- यह पादप कोशिका को निश्चित आकृति व आकार प्रदान करती है।
- अधिकांश पदार्थों के लिए पारगम्य होने के कारण यह कोशिका कला के कार्यों को प्रभावित नहीं करती।
- पौधे अचल होते हैं। अत: वातावरणीय परिवर्तन से बचने को पलायने नहीं कर सकते। कोशिका भित्ति की उपस्थिति के कारण पादप कोशिका पर्यावरणीय परिवर्तन को जन्तु कोशिका की अपेक्षा आसानी से सहन कर लेती हैं।
- कोशिका भित्ति में पाये जाने वाले महीन छिद्र आस-पास की कोशिकाओं से सम्पर्क बनाने में मदद करते हैं।
- यह कोशिका का परासरणी दाब बनाये रखने में मदद करती है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में एक-एक अन्तर बताइए
(a) कोशिका द्रव्य व केन्द्रक द्रव्य।
(b) क्रोमेटिन व क्रोमोसोम।
(e) अवर्णलवक व वर्गीलवक।
(d) कशाभिका का पक्ष्माभ।
उत्तर:
(a) कोशिका दृव्य व केन्द्रक द्रव्य- कोशिका कला व केन्द्रक के बीच के स्थान का जैली जैसा पदार्थ कोशिका द्रव्य (cytoplasm) कहलाता है जबकि केन्द्रक कला से इका केन्द्रकीय द्रव केन्द्रक द्रव्य कहा जाता है।
(b) क्रोमेटिन व क्रोमोसोम- जन कोशिका विभाजन नहीं कर रही होती तब इसका आनुवंशिक पदार्थ पतले, महीन धार्गों से बने क्रोमेटिन जालक (Chromatin network) के रूप में पाया जाता है। विभाजन के समय यही क्रोमेटिन धागे संघनित होकर मोटे हो जाते हैं व क्रोमोसोम का रूप ले लेते हैं। (c) अवर्णी लवक व वर्णी लवक- अवर्णी लवक (leucoplast) पादप कोशिकाओं में पाये जाने वाले रंगहीन लवक (plastids) हैं। ये जड़ व तने की कोशिकाओं में पाये जाते हैं। वर्णीलवक (chronioplast) रंगीन लवक हैं। जो लाल, पीले या नारंगी रंग के हो सकते हैं।
(d) कशाभिका व पक्ष्माभ- कशाभिका व पक्ष्माभ दोनों ही एककोशिकीय जीवों के चलन अंग (locomotory organs) हैं। कशाभिका (flapella) लम्बे, चाबुक सदृश व संख्या में कम होते हैं। पक्ष्माभ (cilia) छोटे, नाव के पुतयार के समान गति प्रदर्शित करने वाले व संख्या में अधिक होते हैं।
प्रश्न 8.
पादपों के उस जटिल ऊतक की संरचना का वर्णन कीजिए जो पौधों में कार्बनिक भोज्य पदार्थों के परिवहन के लिए उत्तरदायी होता है।
उत्तर:
पौधों में भोज्य पदार्थ का संवहन फ्लोयम (Piloem) नामक संवहन ऊतक द्वारा किया जाता है। फ्लोयम की संरचना । फ्लोयम चार प्रकार की कोशिकाओं से बना संवहन ऊतक हैं
- चालनी नलिकाएँ
- सहकोशिकाएँ।
- फ्लोयम मृदूतक
- फ्लोयम रेशे।
चालनी नलिकाएँ (Sieve tubes)- पतली कोमल भित्ति वाली च बड़ी कोशिका गुहा वाली जीवित कोशिका है। लम्बाई अधिक होने के कारण यह नलिका सदृश्य संरचना बना देती है। इन कोशिकाओं के सिरे की भित्ति छिद्रित होती है। अनेक छिद्रों की उपस्थिति के कारण इन पट्टिकाओं को चालन पट्टिका (sieve plate) कहा जाता है। ऐसी कोशिका एक के ऊपर एक स्थित होकर एक लम्बी नली का रूप ले लेती हैं। इन कोशिकाओं में केन्द्रक नहीं पाया जाता। इनसे सटी कोशिकाएँ सह कोशिकाएँ (companion cell) कहलाती हैं। इन कोशिकाओं को बड़ा । केन्द्रक चालनी नलिकाओं पर भी नियन्त्रण रखता है। फ्लोयम में फ्लोयम मृदूतक भी पाया जाता है। तीनों प्रकार की कोशिकाएँ (चालनी नलिका, सहकोशिका व फ्लोयम मदूतक) जीवित होती हैं। अत: जाइलम के विपरीत फ्लोयम प्रमुखत: जीवित ऊतक हैं।
फ्लोयम में दृढ़ोतक रेशे (Phloem fibres) भी पाये जाते हैं, जिनकी भित्ति लिग्नीकृत होने के कारण ये मृत कोशिकाएँ हैं। ये यान्त्रिक शक्ति प्रदान करती हैं।
प्रश्न 9.
रेखित व चिकनी पेशी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रेखित व चिकनी पेशी में अन्तर
प्रश्न 10.
निम्न में से कौन से अंगक केवल पादप कोशिका में, कौन से केवल जन्तु कोशिका में व कौन से दोनों प्रकार की कोशिका में पाये जाते हैं ?
(i) केन्द्रक,
(ii) तारककाय,
(iii) कोशिका भित्ति,
(iv) राइबोसोम,
(v) अवलवक,
(vi) माइटोकॉन्डिया,
(vii) अन्त:द्रयी जालिका।
उत्तर:
केवल पादप कोशिका में -कोशिका भित्ति, अवर्गीलवक। केवल जन्तु कोशिका में-तारककाय। पादप व जन्तु कोशिका दोनों में केन्द्रक, राइबोसोम माइटोकॉन्ड्रिया अन्त:व्यी जालिका।
प्रश्न 11.
गॉल्जीकाय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गॉल्जीकाय प्रमुखत: जन्तु कोशिका में विकसित रूप में पाया जाने वाला एक झिल्ली युक्त कोशिकांग है। इसकी खोज कैमिलो गॉल्जी ने 1898 में की थी। गॉल्जीकाय आशय (vesicle) चपटी थैली (cisterinae) व कुण्डिकाओं के रूप में केन्द्रक के पास पाया जाता है। 4 से 8 चपटी कटौरीनुमा रचनाओं से बना यह अंगक शर्करा प्रोटीन व अन्य पदार्थों के संश्लेषण, पैकेजिंग व स्रावण में मदद करता है। यह लाइसोसोम का भी निर्माण करता है।
प्रश्न 12.
जीवों में समसूत्रीं विभाजन की क्या उपयोगिता
उत्तर:
(i) बहुकोशिकीय जीवों में समसूत्रों विभाजन जीव की वृद्धि हेतु उत्तरदायी होता है।
(ii) अनेक जीवों में यह अलैंगिक जनन की प्रमुख विधि हैं।
(iii) बहुकोशिकीय जीवों में पुनरुद्भवन (regeneration) चोट की मरम्मत आदि समसूत्री विभाजन से होता है।
(iv) इस विधि द्वारा किसी जीव के आनुवंशिक गुण पीढ़ी दर पीढ़ी समान बने रहते हैं।
(V) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay type Questions)
प्रश्न 1.
अर्द्धसूत्री विभाजन की विभिन्न प्रावस्थाओं के केवल नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
विभज्योतक से आप क्या समझते हैं ? इनकी कोशिकीय संरचना, स्थिति व कार्य का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
योतक (Meristematic tissue) विशेष स्थितियों पर पाया जाने वाला जीवित कोशिकाओं का समूह है जिनमें विभेदन पूर्ण नहीं होता। इनकी कोशिकाएँ विभाजन क्षमता युक्त होती हैं व बार-बार विभाजित होकर नई कोशिकाएँ बनाती हैं।
विभज्योतक कोशिकाओं की संरचनात्मक विशेषताएँ
- कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार य बहुभुजी होती हैं, जिनके । बीच में अन्तराकोशिकीय अवकाश (Intercellular spaces) नहीं पाये जाते।
- कोशिकाओं का जीवद्रव्य सघन व केन्द्रक बड़ा व सक्रिय होता है।
- कोशिकाओं की भित्ति पतली होती है व इन कोशिकाओं में रिक्तिकाएँ (Vacuoles) अनुपस्थित होती हैं।
- कोशिकाओं में विभाजन क्षमता होती है। पादपों में स्थिति के आधार पर विभज्योतक तीन प्रकार के होते हैं
शीर्षस्थ विभज्योतक, अन्तर्वेशी विभज्योतक व पाश्र्वीय विभज्योतक।
(a) शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical Meristem)-इस प्रकार का विभज्योतक स्तम्भ व मूल के शीर्ष भाग पर पाया जाता है। कार्य-इस ऊतक की सक्रियता से पादप की लम्बाई में वृद्धि होती है।
(b) अन्तर्वेशी विभज्योतक (Intercalary Meristem)-शीर्षस्थ विभज्योतक का ही भाग है जो स्थायी ऊतकों के बीच में आ जाने से शीर्ष विभज्योतक से अलग हो जाता है। इस प्रकार का अन्तर्वेशी विभज्योतक एकबीज पत्री पौधों जैसे घास व बाँस आदि की पर्व (internode) के आधार पर स्थित होता है। कार्य इस ऊतक की सक्रियता से पादप की लम्बाई में तीव्र वृद्धि होती है।
(c) पाश्र्वीय विभज्योतक (Lateral Meristem)-यह विभज्योतक स्तम्भ व जड़ के पाश्र्व (lateral side) में या तो हमेशा ही स्थित होते हैं या द्वितीयक वृद्धि अर्थात् मोटाई में वृद्धि के समय निर्मित होकर सक्रिय हो जाते हैं। इनकी सक्रियता से स्तम्भ व मूल की मोटाई में वृद्धि होती है।
प्रश्न 3,
समसूत्री विभाजन व अर्द्धसूत्री विभाजन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन व अर्द्धसूत्री विभाजन में अन्तर
समसूत्री विभाजन | अर्द्धसूत्री विभाजन |
1. यह विभाजन कायिक या वर्षी कोशिकाओं में पाया जाता हैं। |
जनन कोशिकाओं में पाया। जाता है। |
2 एक जनक कोशिका के विभाजन से दो सन्तति कोशिकाओं का निर्माण होता है। | एक जनक कोशिका के विभाजन से चार सन्तति कोशिकाओं का निर्माण होता है। |
3. सन्तति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका की गुणसूत्र संख्या के समान होती है। |
सन्तति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिकाओं की गुणसूत्र संख्या की आधी होती हैं। |
4. सन्तति कोशिकाएँ आनु वंशिक गुणों में आपस में व जनक कोशिकाओं के पूर्णत: समान होती | सन्तति कोशिकाएँ आनुवंशिक गुणों में आपस में व जनक कोशिका से भिन्नता प्रदर्शित करती हैं। |
5. यह विभाजन सरल समसूत्री होने के कारण एक बार में समाप्त होता |
विभाजन में सभी प्रावस्थाएँ दो बार दोहराई जाती हैं। पहला विभाजन अर्धसूत्री प्रकार का तथा द्वितीय विभाजन समसूत्री होता है। |
6 पूर्वावस्था सरल होती हैं। | पूवांथस्था अनेक उपप्रावस्थाओं से मिलकर बनी होने के कारण जटिल होती। |
7. जीन विनिमय नहीं होता। | जीन विनिमय होता हैं। |
5. समजात गुणसूत्रों का | युग्मन नहीं होता। | समजात गुणसूत्रों का युग्मन होता है। |
9. पश्चावस्था में सेन्ट्रीमियर ( गुणसूत्र बिन्दु) टूट जाता है व अर्द्ध गुणसूत्र या क्रोमेटिड विपरीत ध्रुवों की और गति करते | पश्चावस्था में सेन्ट्रोमियर नहीं टूटता। समजात जोड़े का पूरा गुणसूत्र ही विपरीत ध्रुवों की ओर गति करता |
10. जैव विकास में अल्पयोगदान। | जैव विकास हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण। |
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए
(i) जाइलम व फ्लोयम्।
(ii) मृदक व दृढ़ोतक।
उत्तर:
(i) जाइलम व फ्लोयम् में अन्तर
जाइलम | फ्लोयम् |
1, जाइलम अधिकांश मृत कोशिकाओं से बना जटिल स्थायी ऊतक है। इसके घटक हैं-वाहिनिका, वाहिका जाइलम रेशे व जाइलम मृदुतक। | 1. फ्लोयम अधिकांश जीवित कोशिकाओं से बना जटिल स्थायी ऊतक हैं। इसके घटक हैं चालनी नलिका, सहकोशिकाएँ, फ्लोयम मृदूतक व फ्लोएम रेशे। |
2. वाहिनिका, वाहिका थे जाईलम्। लिग्नीकृत (lignified) होने के कारण मृत होते हैं। | 2 चालनी नलिका, सह- कोशिकाएँ व फ्लोया मृदूतक जीवित कोशिकाएँ। |
3. वाहिनिका व वाहिका प्रमुख संवहन घटक हैं। | 3. चालनी नलिका प्रमुख संवहन घटक है। |
4. इसका कार्य हैं जल व खनिज लवणों-का संवहन। | 4. इसका कार्य हैं। कार्बनिक खाद्य पदार्थों का परिवहन। |
(ii) मृदक व दृढ़ोतक में अन्तर
मृतक | दृढ़ोतक |
1. मृतक जीवित सरल स्थायी ऊतक है। | 1. दो तक की वयस्क कोशिकाएँ मृत होती हैं। अत: यह मृत सरल स्थायी ऊतक है। |
2. कोशिका भित्ति पतली व सेल्यूलोज की बनी होती है। | 2. सेल्यूलोज की कोशिका भित्ति पर लिग्निन के जमाव के कारण यह मोटी होती है। |
3 कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार या बहुभुजी कार्य भोजन का संचय। | 3. को शिकाएँ लम्बी व संकरी रेशे जैसी यान्त्रिक दृढ़ता प्रदान करना। |
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