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RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 1 विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ

February 20, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 9 Social Science Chapter 1 विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ are part of RBSE Solutions for Class 9 Social Science. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 1 विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 9
Subject Social Science
Chapter Chapter 1
Chapter Name विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ
Number of Questions Solved 71
Category RBSE Solutions

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Chapter 1 विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता का कौन-सा पुरातात्विक स्थल पाकिस्तान में है
(अ) हड़प्पा
(ब) रंगपुर
(स) कालीबंगा
(द) धोलावीरा
उत्तर:
(अ) हड़प्पा

प्रश्न 2.
वैदिक सभ्यता का ज्ञान कराने वाले ग्रंथ कौन से हैं ?
(अ) वेद
(ब) उपनिषद्
(स) आरण्यक
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
मिस्र की सभ्यता कौन-सी नदी की घाटी में स्थित है ?
(अ) नील
(ब) सिन्धु
(स) हवांग्हो
(द) दजला व फरात
उत्तर:
(अ) नील

प्रश्न 4.
विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ इलियड व ओडेसी के रचनाकार थे-
(अ) हेरोडोटस
(ब) ट्यूसीडिडीज
(स) होमर
(द) पाइथागोरस
उत्तर:
(स) होमर

प्रश्न 5.
जोते गए खेत के प्राचीनतम साक्ष्य कहाँ से मिले हैं ?
(अ) कालीबंगा
(ब) आहड़
(स) चन्द्रावती
(द) मोहनजोदड़ो
उत्तर:
(अ) कालीबंगा

प्रश्न 6.
धूलकोट अथवा ताम्रवती नगरी के नाम से कौन-सी सभ्यता प्रसिद्ध है
(अ) बालाथल
(ब) चन्द्रावती
(स) आहड़
(द) सिन्धु
उत्तर:
(स) आहड़

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के दो प्रमुख केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो।

प्रश्न 2.
मोहनजोदड़ो का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
मोहनजोदड़ो का अर्थ है-‘मुर्दो का टीला।’

प्रश्न 3.
आश्रम कौन-कौन से हैं ? नाम बताइए।
उत्तर:

  1. ब्रह्मचर्य आश्रम
  2. गृहस्थ आश्रम
  3. वानप्रस्थ आश्रम
  4. संन्यास आश्रम

प्रश्न 4.
मेसोपोटामिया शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया शब्द को अर्थ है-‘दो नदियों के मध्य की भूमि।

प्रश्न 5.
उपजाऊ अर्द्धचन्द्र किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया को उपजाऊ अर्द्धचन्द्र कहा जाता है।

प्रश्न 6.
पिरामिडों में रखे शवों को क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
पिरामिडों में रखे शवों को ‘ममी’ कहा जाता था।

प्रश्न 7.
क्या आर्य भारत के बाहर से आये थे ?
उत्तर:
नहीं, आर्य मूलतः भारत के ही निवासी थे।

प्रश्न 8.
चीनी स्थापत्य कला का विश्व प्रसिद्ध नमूना किसको कहा जाता है ?
उत्तर:
चीन की दीवार को चीनी स्थापत्य कला का विश्व प्रसिद्ध नमूना कहा जाता है।

प्रश्न 9.
कौनसी सभ्यता में सैनिक होना अपमानजनक माना जाता है ?
उत्तर:
चीन की सभ्यता में सैनिक होना अपमानजनक माना जाता है।

प्रश्न 10.
यूनान की सभ्यता के प्रमुख नगर-राज्य कौन-कौन से थे ?
उत्तर:

  1. एथेंस
  2. स्पार्टा

प्रश्न 11.
आहड़ (बेड़च) नदी के किनारे कौन-सी सभ्यता थी ?
उत्तर:
आहड़ सभ्यता

प्रश्न 12.
घग्घर नदी का प्राचीन नाम क्या था ?
उत्तर:
सरस्वती नदी

प्रश्न 13.
माउण्ट आबू की तलहटी में कौन-सी सभ्यता के अवशेष मिले हैं ?
उत्तर:
चन्द्रावती सभ्यता के

प्रश्न 14.
बालोथल सभ्यता कहाँ स्थित है ?
उत्तर:
बालाथल सभ्यता उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के बालाथल गाँव में स्थित है।

प्रश्न 15.
कालीबंगा सभ्यता का सम्बन्ध किस सभ्यता से है ?
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता से।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वैदिक सभ्यता के सामाजिक जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिक सभ्यता काल में समाज में वर्ण व्यवस्था, प्रचलित थी। वर्ण चार माने जाते थे-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। यह वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित थी। समाज की मूल इकाई परिवार थी। इस काल में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित थी। परिवार का सबसे बड़ा पुरुष मुखिया होता था। स्त्रियों को पर्याप्त सम्मान दिया जाता था। इस सभ्यता में मानव की आदर्श आयु 100 वर्ष की मानकर जीवन को चार भागों-ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम एवं संन्यास आश्रम में विभाजित किया गया था। व्यक्ति के जीवन में श्रेष्ठ गुणों को उत्पन्न करने के लिए उस काल में 16 संस्कारों का विधान था। इस सभ्यता के लोग भोजन में गेहूँ, जौ, चावल, उड़द, दही, दूध आदि का प्रयोग करते थे। रथदौड़, घुड़दौड़, शिकार करना, मल्लयुद्ध, संगीत व नृत्य मनोरंजन के प्रमुख साधन थे।

प्रश्न 2.
सिन्धु सभ्यता के नगरीय जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिंधु सभ्यता में नगर एक निश्चित योजना के अनुसार बसाए जाते थे। इस सभ्यता काल के भारतवासी पहले योजना बनाकर अपने नगरों और नगरों में निर्मित किए जाने वाले भवनों व आवासों का निर्माण करते थे। इनका भवन निर्माण कला सम्बन्धी ज्ञान उच्चकोटि का था। इस काल के नगरों की सुव्यवस्थित सड़क प्रणाली थी। सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं, जहाँ चौराहे बने हुए थे। सड़कों के किनारों पर स्थान-स्थान पर कूड़ा-कचरा डालने के लिए कूड़ेदान रखे रहते थे। मकानों के बीच में खुला आंगन रखा जाता था तथा इसके चारों ओर कमरे बनाए जाते थे। मकानों में शौचालय व स्नानागार भी होते थे। मकानों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता था।

प्रश्न 3.
मिस्र की सभ्यता में नील नदी का क्या योगदान है ?
उत्तर:
मिस्र की सभ्यता विश्व की सभी सभ्यताओं में सर्वाधिक प्राचीन मानी जाती है। मिस्र की सभ्यता के विकास में यहाँ बहने वाली नील नदी का बहुत बड़ा योगदान है। इस नदी के किनारे ही मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ था। इस नदी ने मिस्र काल में यहाँ की धरती को एक उर्वर भूमि के रूप में बदल दिया। यह नदी मिस्र के निवासियों के लिए प्राचीनकाल से ही सुख और समृद्धि का कारण रही है। मिस्र के लोग हमारे देश में गंगा नदी की भाँति इसे अपने देश में पवित्र मानते हैं। मिस्र देश के लिए यह एक जीवनदायनी नदी सिद्ध हुई है। इसलिए आज भी नील नदी को मिश्र के लिए वरदान कहा जाता है।

प्रश्न 4.
ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में मेसोपोटामिया की सभ्यता की क्या देन है ?
उत्तर:
ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में मेसोपोटामिया की सभ्यता की देन अद्वितीय है। इस सभ्यता काल में खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बहुत अधिक उन्नति हुई। इस काल में लोगों ने सूर्योदय व सूर्यास्त एवं चन्द्रोदय व चन्द्रास्त का ठीक समय मालूम कर लिया था। उन्होंने दिन और रात्रि के समय को हिसाब लगाकर पूरे दिन को 24 घण्टों में विभाजित किया था। इस सभ्यता के लोगों ने साठ सेकेण्ड का मिनट तथा साठ मिनट के एक घण्टे के बारे में सर्वप्रथम जानकारी प्रदान की थी। रेखागणित के वृत्त को उन्होंने ही 360° में विभाजित करना आरम्भ किया था।

प्रश्न 5.
स्पार्टा का सैनिक शासन कैसा था ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्पार्टा यूनानी सभ्यता काल का एक प्रमुख नगर-राज्य था। स्पार्टी में सैनिक शासन था जो स्वेच्छाचारी था। इस नगर-राज्य को हमेशा पड़ोसी देशों के आक्रमण का भय बना रहता था इसीलिए यहाँ सैनिक शासन स्थापित हुआ। इस नगर-राज्य का प्रथम व्यवस्थापक और विधान निर्माता लाइकर्मस था। इसने स्पार्टा के निवासियों के लिए कठोर अनुशासन में रहने की व्यवस्था की। बच्चों को कठिनाइयों का सामना करने की शिक्षा दी जाती थी। यहाँ के सैनिक साहसी व योद्धा थे जो आँखें मूंदकर शासक की आज्ञापालन करते थे तथा आज्ञापालक नागरिक भी तैयार करते थे।

प्रश्न 6.
यूनानी सभ्यता में पेराक्लीज का क्या योगदान
उत्तर:
यूनानी सभ्यता में पेराक्लीज का बहुत अधिक योगदान है। वह एथेंस का एक जनतांत्रिक शासक था। इसने अपने सुधारवादी उपायों द्वारा एथेंस के प्रजातंत्र को व्यापक और मजबूत बनाया था। इसके शासनकाल में कला, साहित्य, संगीत एवं दर्शन को बहुत अधिक विकास हुआ तथा एथेंस में दुखांत व सुखांत नाटकों के साथ-साथ संगीत के कई कार्यक्रमों का भी आयोजन होता था। इसके शासनकाल में समस्त प्रजाजनों को न्याय का समान अधिकार था। इसके समय में ही होमर की विश्व प्रसिद्ध रचनाएँ इलियड व ओडेसी लिखी गर्थी। इसके अतिरिक्त यहाँ गणित, ज्योतिष व दर्शन की भी शिक्षा दी जाती थी। सुकरात, प्लेटो व अरस्तू भी इसके समय में ही हुए थे। इसी कारण पेराक्लीज के युग को यूनान के इतिहास में स्वर्ण युग’ के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 7.
कालीबंगा से प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल है। यहाँ से सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहाँ पर 12 मीटर ऊँचे और आधा किलोमीटर क्षेत्र में दो टीलों की खुदाई की गयी है। यहाँ से एक दुर्ग, जुते हुए खेत, सड़कें, बस्ती, गोल कुओं, नालियों, मकानों व धनी लोगों के आवासों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। कमरों में ऊपर की ओर छेद किए किवाड़ व मुद्रा पर व्याघ्र का अंकन एक मात्र इसी पुरातात्विक स्थल पर मिला है। यहाँ से सात अग्निवेदियाँ प्राप्त हुई है। खुदाई में विचित्र बर्तन भी मिले हैं जिन पर फूल, पत्ती, चौपड़, पक्षी, खजूर व पशुओं के चित्र खड़िया मिट्टी से चित्रित हैं। यहाँ पर मिट्टी की मोहरें भी मिली हैं जिन पर सैन्धव लिपि अंकित पाई गयी है। यहाँ पर तीन प्रकार की कड़ें भी मिली हैं जो आयताकार, गोलाकार व हंडिया के आकार की हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता के सामाजिक व धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
अथवा
हड़प्पा-मोहनजोदड़ो की सभ्यता के सामाजिक एवं धार्मिक जीवन की विशेषताओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती सभ्यता एक प्राचीन सभ्यता है। इसे हड़प्पा-रोहनजोदड़ो सभ्यता के नात्र से भी जाना जाता है। सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सामाजिक जीवनसिंधु-सरस्वती सभ्यता से सम्बन्धित विभिन्न स्थलों की खुदाई में ऐसी कई वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं जिनसे यह पता चलता है कि इस काल में समाज मातृ सत्तात्मक था तथा नारी को सम्मान प्राप्त था। लोग कई प्रकार के काम धन्धे करते थे। धार्मिक, प्रशासनिक, चिकित्सा, सुरक्षा व उत्पादन पमुख कार्य थे। इस सभ्यता के लोगों को मुख्य भोजन गेहूँ, जौ, चावल, बाजरा, तिल, चना, दूध, दाल आदि था।

इसके अतिरिक्त इस सभ्यता के लोग विभिन्न जानवरों, जैसे-भेड़, बकरी, भैंस, सूअर, हिरण आदि का मांस वं मछली का भी सेवन करते थे। इन लोगों को आभूषण पहनने व नाचने-गाने का भी शौक था। मुर्गियों के खेल, रथ दौड़, बैलों की दौड़, पाँसे का खेल आदि इस सभ्यता के निवासियों के प्रमुख खेल थे। खेलों के माध्यम से वे अपना स्वास्थ्य अच्छा रखते थे।इस सभ्यता में महिलाओं के प्रति आदरभाव रखा जाता था। पद प्रथा प्रचलित नहीं थी। स्त्रियाँ चाँदी व ताँबे के आभूषण पहनती थीं। लोग सूती वस्त्र पहनते थे। इस सभ्यता के समाज का विदेशी व देशी सभ्यताओं से उच्च स्तरीय सम्बन्ध व सांस्कृतिक सामंजस्य था। सिंधु-सरस्वती सभ्यता का धार्मिक जीवन-इस सभ्यता के लोग धार्मिक विचारों के थे। वे प्राकृतिक शक्तियों के उपासक थे। पृथ्वी, नीम, पीपल, जल सूर्य व अग्नि आदि को दैवीय शक्ति मानकर उनकी उपासना करते थे।

ये मातृदेवी के साथ-साथ शिव की भी पूजा करते थे। इस ‘सभ्यता के लोग शेर, बैल, बकरी, गैंडा, मगरमच्छ व साँपों की भी पूजा करते थे। इस सभ्यता के कालीबंगा, लोथल, बनवाली व राखीगढ़ी आदि स्थलों से प्राप्त अग्नि वेदिकाओं से पता चलता है कि यहाँ यज्ञों व अग्नि पूजा का भी प्रचलन था। मूर्तियों की उपासना के लिए धूपबत्ती भी जलाई जाती थी। कुछ पुरातत्वविदों के अनुसार इस सभ्यता के लोग जादुई शक्तियों, बलि प्रथा और भूत-प्रेत में भी विश्वास करते थे। उत्खनन में बहुत से ताबीज प्राप्त हुए हैं। भूत-प्रेतों के प्रकोप से बचने के लिए लोग इन ताबीजों को पहनते थे। मृतक संस्कार शव को गाड़कर अथवा दहि-कर्म करके किया जाता था।

प्रश्न 2.
मेसोपोटामिया की सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। उत्तर-मेसोपोटामिया की सभ्यता (दजला-फरात की सभ्यता) की प्रमुख विशेषताएँ/लक्षण-मेसोपोटामिया को सभ्यता का विकास वर्तमान ईराक देश में दजला और फरात नामक नदियों के मध्य हुआ था। इसलिए इसे दजला-फरात की सभ्यता भी कहते हैं। इसकी प्रमुख विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं

1. हम्मुराबी की विधि संहिता-मेसोपोटामिया सभ्यता के शासकों में हम्मूराबी (2123 ई. पू. से 2081 ई. पू.) शक्तिशाली एवं योग्य शासक था। सम्राट हम्मुराबी ने अपनी प्रजा के हितों के लिए एक विधि संहिता का निर्माण किया। हम्मुराबी ने इसे एक आठ फुट ऊँची पत्थर की शिला पर उत्कीर्ण कराया था। हम्मूराबी का दण्ड विषयक सिद्धान्त यह था कि “जैसे को तैसा और खून का बदला खून।’

2. सामाजिक जीवन-मेसोपोटामिया की सभ्यता में राजा पृथ्वी पर देवताओं का प्रतिनिधि माना जाता था। इसके पश्चात् दूसरा स्थान पुरोहित वर्ग का था जो संभवत: राजतंत्र की प्रतिष्ठा से पूर्व शासक रहे थे। मध्यम वर्ग में व्यापारी, जमींदार एवं दुकानदार थे। समाज में दासों की स्थिति सबसे निम्न थो। युद्धों के निरन्तर होते रहने के कारण समाज में सेना का एक महत्वपूर्ण स्थान था।

3. धार्मिक जीवन-मेसोपोटामिया के लोग धार्मिक थे। ये लोग अनेक देवताओं में विश्वास करते थे। प्रत्येक नगर का अपना संरक्षक देवता होता था। उसे ‘जिगुरात’ कहते थे जिसका अर्थ है ‘स्वर्ग की पहाड़ी।’ इस सभ्यता के लोग परलोक की अपेक्षा इस लोक के जीवन में अधिक रुचि रखते थे।

4. आर्थिक जीवन-मेसोपोटामिया सभ्यता के लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था। हलों से जुताई हेतु पशुओं का उपयोग करते थे। यह एक व्यावसायिक सभ्यता थी। यहाँ के लोगों का भारत की सिन्धु-सरस्वती सभ्यता से व्यापारिक सम्बन्ध था। यहीं सर्वप्रथम बैंक प्रणाली का विकास हुआ।

5. स्थापत्य कला-इस सभ्यता के कलाकारों ने मेहराब का भी आविष्कार किया। मेहराब स्थापत्य कला की एक महत्वपूर्ण खोज थी क्योंकि यह बहुत अधिक वजन सँभाल सकती थी और देखने में आकर्षक लगती थी।

6. ज्ञान-विज्ञान-ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में यहाँ के लोगों की उपलब्धियाँ महत्वपूर्ण थीं। इन्होंने सूर्योदय, सूर्यास्त तथा चन्द्रोदय और चन्द्रास्त का ठीक समय मालूम कर लिया था। उन्होंने दिन और रात के समय का हिसाब लगाकर पूरे दिन को 24 घण्टों में विभाजित किया तथा साठ सेकण्ड का एक मिनट और साउ मिनट के एक घण्टे का ज्ञान सबसे पहले इन्होंने ही दिया था। रेखागणित के वृत को इन्होंने ही 360° में विभाजित किया था।

7. कीलाक्षर लिपि का विकास-मेसोपोटामिया की सभ्यता की पृथक् लिपि का विकास सुमेर राज्य में हुआ था। यहाँ के व्यापारियों ने अपना हिसाब-किताब रखने के लिए कील जैसे चिन्ह बनाकर लेखन कला का विकास किया। इसे कूनीफार्म या कीलाक्षर कहते हैं।

प्रश्न 3.
चीनी सभ्यता पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
चीनी सभ्यता (हवांग्हो और याग्टीसीक्यांग की सभ्यता) को विकास-चीनी सभ्यता का विकास वर्तमान चीन देश में हवांग्हो और याग्टीसीक्यांग नदियों की घाटियों में हुआ था। मंगोल जाति के लोगों ने इस सभ्यता को जन्म दिया और इसके विकास में सहयोग दिया। चीनी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ-चीनी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1. सामाजिक जीवन-चीनी सभ्यता के लोगों का प्राचीन समाज मंडारिन, कृषक, कारीगर, व्यापारी तथा सैनिक वर्ग में विभाजित थी। सेना में भर्ती होने वाले लोग या तो अत्यन्त निर्धन, अपरिश्रमी या समाज में अवांछनीय चरित्र के माने जाते थे। चीनी सभ्यता में संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलित थी। परिवार का मुखिया वयोवृद्ध व्यक्ति होता था। वहाँ के जीवन में नैतिकता पर विशेष बल दिया जाता था। समाज में स्त्रियों को कोई गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं था। पर्दा व तलाक प्रथा भी प्रचलित थी।

2. धार्मिक जीवन-इस सभ्यता के लोग प्रकृति की पूजा करते थे। वे सूर्य, आकाश, पृथ्वी वे वर्षा को भी पूजते थे। वे जादू-टोना व बलि में भी विश्वास करते थे। इस सभ्यता में राजा को ईश्वर का पुत्र माना जाता था।

3. आर्थिक जीवन-चीनी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। ये नहरों से अपने खेतों को सींचते थे। भेड़, सुअर, गाय, बैल व कुत्ते इनके पालतू पशु थे। यहाँ के लोग कई प्रकार का व्यापार करते थे। चीन से नमक, मछली, लोम, सूती तथा रेशमी कपड़ों का व्यापार बड़े पैमाने पर होता था।

4. ज्ञान विज्ञान-चीनी सभ्यता में ज्ञान-विज्ञान का बहुत अधिक विकास हुआ। कागज, छापाखाना, बारूद, स्याही, चित्रकला तथा दिशासूचक यंत्र का आविष्कार सर्वप्रथम चीन में ही हुआ था। कन्फ्यूशियस और लाओत्से चीन के महान विचारक थे। लीयो वहाँ का प्रसिद्ध कवि था।

5. स्थापत्य कला-चीन की दीवार प्राचीन चीनी स्थापत्य कला का विश्व प्रसिद्ध नमूना है। यह दीवार 1800 मील लम्बी व 20 फीट चौड़ी तथा 20 फीट ऊँची है। इस दीवार पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बुर्ज जैसे-छोटे-छोटे किले बने हुए हैं। इसका निर्माण चीन के शासक शीहवांगती द्वारा हूणों के लगातार होते आक्रमणों से रक्षा के लिए करवाया गया था।

प्रश्न 4.
मिस्र की सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मिस्र की सभ्यता (नील नदी की सभ्यता) की प्रमुख विशेषताएँ-मिस्र की सभ्यता का विकास वर्तमान अफ्रीका महाद्वीप में नील नदी की घाटी में हुआ था। इसलिए इसे नील नदी की सभ्यता भी कहते हैं।
इस सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ (लक्षण) निम्नलिखित हैं-

1. सामाजिक जीवन-प्राप्त अवशेषों तथा लिखित दस्तावेजों से ज्ञात होता है कि मिस्र में एक संगठित शक्तिशाली राजनीतिक जीवन का श्रीगणेश हो चुका था जिसका प्रमुख राजा होता था जिसे मिस्रवासी ‘फराओ’ कहते थे। जनता उसे ईश्वर का प्रतिनिधि मानती थी। उच्च वर्ग में सामन्त व पुरोहित, मध्य वर्ग में व्यापारी, व्यवसायी तथा निम्न वर्ग में कृषक व दास सम्मिलित थे। उच्च वर्ग के लगभग समस्त लोग आभूषण पहनते थे। संगीत, नृत्य, नटबाजी, जुआ आदि मनोरंजन के प्रमुख साधन थे।

2. धार्मिक जीवन-मिस्र की सभ्यता के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के थे। यहाँ के प्रमुख देवता रा (सूर्य), ओसरिम (नील नदी) एवं सिन (चन्द्रमा) थे। इनके देवता प्राकृतिक शक्तियों के प्रतीक थे।

3. आर्थिक जीवन-मिस्र की सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। यहाँ के लोग वर्ष में तीन बार फसलें लेते थे। जौ, प्याज, कपास व बाजरा प्रमुख फसलें थीं। बकरी, गधा, कुत्ता, गाय, ऊँट एवं सूअर आदि प्रमुख पालतू पशु थे। मिस्र में लोग धातु, लकड़ी, मिट्टी, काँच, कागज एवं कपड़े पर कुशल कारीगरी करते थे। यहाँ के लोग वस्तु विनिमय द्वारा व्यापार करते थे। अरब व इथोपिया से यहाँ के लोगों के व्यापारिक सम्बन्ध थे।

4. ज्ञान-विज्ञान-मिस्र के लोग ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में भी बहुत अधिक रुचि रखते थे। यहाँ के लोगों ने तारों व सूर्य के आधार पर अपना कलेण्डर बनाया और वर्ष के 360 दिन की गणना कर ली थी इन्होंने धूप घड़ी का भी आविष्कार किया। इस सभ्यता के लोगों ने अपनी वर्णमाला का विकास करके पेपीरस वृक्ष से कागज का भी निर्माण किया था।

5. स्थापत्य कला-मिस्रवासी यह मानते थे कि मृत्यु के पश्चात् शव में आत्मा निवास करती है। शवों की सुरक्षा के लिए समाधियाँ बनाई जाती थीं जिन्हें वे लोग ‘पिरामिड कहते थे। मिस्र के पिरामिडों में ‘गिजे का पिरामिड’ प्राचीन स्थापत्य कला की दृष्टि से एक सर्वश्रेष्ठ कलाकृति है।

प्रश्न 5.
आहड़ सभ्यता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आहड़ सभ्यता का उद्भव एवं विकास-वर्तमान उदयपुर जिले में स्थित आहड़ दक्षिण-पश्चिम राजस्थान की कांस्ययुगीन संस्कृति का एक प्रमुख केन्द्र था। यह संस्कृति बेड़च-बनास नदियों की घाटियों में लगभग पाँच हजार वर्ष पूर्व विकसित हुई थी। विभिन्न उत्खननों के द्वारा यह जानकारी मिलती है कि प्रारम्भिक बसावट से लेकर 18वीं सदी तक यहाँ कई बार बस्तियाँ बस और उजड़ीं। इस संस्कृति का ज्ञान सर्वप्रथम उदयपुर नगर के पूर्व में स्थित आहड़ नामक ग्राम से हुआ, इसलिए इसे आहड़ संस्कृति कहा गया।

इसी प्रकार इस संस्कृति के अनेक पुरास्थल बनास नदी के तटवर्ती क्षेत्रों में मिले हैं जिसके कारण इसे ‘बनास संस्कृति’ के नाम से भी जाना जाता है। इस संस्कृति की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं। प्रथम ये लोग ताम्र धातुकर्मी थे, द्वितीय-ये काले व लाल रंग के मृपात्रों के उपयोगकर्ता थे। इस संस्कृति के प्रमुख स्थल आहड़ को पुरातत्ववेत्ता रत्नचन्द्र अग्रवाल ने 1954 ई. में खोजा था। सामाजिक जीवन-आहड़ सभ्यता की संस्कृति ग्रामीण थी। उत्खनन से यह स्पष्ट होता है कि 2000 ई. पू. के लगभग ये लोग इस स्थान पर आए और स्थानीय तौर पर उपलब्ध प्रस्तरादि से नींव डालकर आवासों का निर्माण किया।

इनकी दीवारें ईंटों की बनायी गयी थीं तथा कुछ दीवारें बाँस की चटाइयों के दोनों ओर मिट्टी का लेप करके बनायी गयी थीं। फर्श काली चिकनी मिट्टी को कूट-कूट कर बनाया जाता था। आवास पर्याप्त लम्बे होते थे। जिन्हें बीच में दीवारें खड़ी करके अनेक खण्डों में बाँट लिया जाता था। एक ओर के खण्ड को रसोई के रूप में प्रयोग किया जाता था। इस सभ्यता के लोग गेहूँ, ज्वार व चावल का खाद्यानों के रूप में प्रयोग करते थे। इनके भवनों से मछली, कछुआ, भेड़, बकरी, भैंसा, मुर्गी, हिरन व सूअर आदि जानवरों की हड्डियाँ भी प्राप्त हुई हैं। इस प्रकार इन्हें शाकाहार के साथ मांसाहार भी प्रिय था। यहाँ के लोग आभूषण भी पहनते थे। धार्मिक जीवन-उत्खनित सामग्री से आहड़ सभ्यता के निवासियों के धार्मिक जीवन के बारे में कोई विशेष जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।

उत्खनन में प्राप्त दीयों से यह संकेत मिलता है कि पूजा का मुख्य अनुष्ठान दीपक जलाना रहा होगा। मातृदेवी व बैल की मृणमूर्ति की प्राप्ति से उनका भी विशिष्ट महत्व स्थापित होता है। आर्थिक जीवन-आहड़ निवासियों के आर्थिक जीवन में कृषि, पशुपालन, ताम्रकला, मृदपात्र कला, व्यापार और वाणिज्य आदि समस्त कार्यों का महत्व था। आहड़ सभ्यता के लोग गेहूँ, ज्वार व चावल की खेती करते थे तथा कृषि उपकरणों में ताँबे की कुल्हाड़ियाँ उपलब्ध हुई हैं। पशुओं में गाय, भैंस, बैल, बकरी, भेड़ आदि पालते थे। ये लोग हाथी, घोड़े से भी परिचित थे।

अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सिंधु-सरस्वती नदियों के किनारे विकसित सभ्यता थी
(अ) सिंधु-सरस्वती सभ्यता
(ब) वैदिक सभ्यता
(स) मिस्र की सभ्यता
(द) चीनी सभ्यता
उत्तर:
(अ) सिंधु-सरस्वती सभ्यता

प्रश्न 2.
सिंधु-सरस्वती सभ्यता का कौन-सा पुरातात्विक स्थल भारत में है-
(अ) हड़प्पा
(ब) मोहनजोदड़ो
(स) कोटदीजी
(द) कालीबंगा
उत्तर:
(द) कालीबंगा

प्रश्न 3.
वर्तमान में निम्न में से कौन-सी नदी भौतिक रूप से अस्तित्व में नहीं है-
(अ) सिंधु नदी
(ब) घग्घर नदी
(स) सरस्वती नदी
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(स) सरस्वती नदी

प्रश्न 4.
निम्न में से किस पुरातत्ववेत्ता ने हड़प्पा की खोज की-
(अ) रायबहादुर दयाराम साहनी
(ब) राखलदास बनर्जी
(स) वी.वी. लाल
(द) सर जॉन मार्शल
उत्तर:
(अ) रायबहादुर दयाराम साहनी

प्रश्न 5.
निम्न में किस प्राचीन सभ्यता का नगर नियोजन सर्वश्रेष्ठ था-
(अ) मिस्र की सभ्यता
(ब) सिंधु-सरस्वती सभ्यता
(स) यूनानी सभ्यता
(द) चीनी सभ्यता
उत्तर:
(ब) सिंधु-सरस्वती सभ्यता

प्रश्न 6.
कन्फ्यूशियस नामक विचारक का सम्बन्ध किस देश से है
(अ) भारत
(ब) चीन
(स) मिस्र
(द) इराक।
उत्तर:
(ब) चीन

प्रश्न 7.
अग्निवेदियों के साक्ष्य कहाँ से मिले हैं}
(अ) कालीबंगा
(ब) आहड़
(स) बालाथल
(द) चन्द्रावती।
उत्तर:
(अ) कालीबंगा

प्रश्न 8.
किस सभ्यता स्थल से प्राप्त मूर्तियाँ माउंट आबू के संग्रहालय में सुरक्षित हैं
(अ) चन्द्रावती
(ब) आहड़
(स) लोथल
(द) कालीबंगा
उत्तर:
(अ) चन्द्रावती

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हड़प्पा पुरातात्विक स्थल की खोज कब व किसने की थी ?
उत्तर:
सन् 1921 में राय बहादुर दयाराम साहनी ने।

प्रश्न 2.
मोहनजोदड़ो नामक टीले की खोज किसने व कब की थी ?
उत्तर:
सन् 1922 में राखलदास बनर्जी ने।

प्रश्न 3.
किस सभ्यता में गौवंश का महत्व बहुत अधिक था ?
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती सभ्यता में

प्रश्न 4.
गुजरात के किस स्थान की खुदाई से बंदरगाह के अवशेष प्राप्त हुए हैं ?
उत्तर:
लोथल की।

प्रश्न 5.
किस कारण सिंधु-सरस्वती सभ्यता को व्यापार प्रधान सभ्यता कहा जाता है ?
उत्तर:
व्यापार की उन्नत अवस्था के कारण सिंधु- सरस्वती सभ्यता को व्यापार प्रधान सभ्यता कहा जाता है।

प्रश्न 6.
वेद कौन-कौन से हैं ? नाम बताइए।
उत्तर:

  1. ऋग्वेद
  2. सामवेद
  3. यजुर्वेद
  4. अथर्ववेद

प्रश्न 7.
किस सभ्यता काल के समाज में वर्ण व्यवस्था प्रचलित थी ?
उत्तर:
वैदिक सभ्यता काल के समाज में वर्ण व्यवस्था प्रचलित थी।

प्रश्न 8.
वर्ण कौन-कौन से थे ? नाम बताइए।
उत्तर:

  1. ब्राह्मण
  2. क्षत्रिय
  3. वैश्य
  4. शूद्र।

प्रश्न 9.
वैदिक सभ्यता से सम्बन्धित किन्हीं दो विदुषी महिलाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. गार्गी
  2. मैत्रेयी।

प्रश्न 10.
मेसोपोटामिया सभ्यता का विकास किन-किन नदियों के किनारे हुआ था ?
उत्तर:
दजला और फरात नदियों के किनारे।

प्रश्न 11.
सुमेरियन लोगों ने किन-किन नगर-राज्यों की स्थापना की ?
उत्तर:
उर, लगाश, एरेक व एरिडू नगर-राज्यों की।

प्रश्न 12.
बेबीलोन के किस सम्राट ने अपनी प्रजा के लिए एक विधि संहिता बनाई थी ?
उत्तर:
सम्राट हम्मूराबी ने

प्रश्न 13.
सम्राट हम्मूराबी को दण्ड विषयक सिद्धांत क्या था ?
उत्तर:
सम्राट हम्मूराबी का दण्ड विषयक सिद्धान्त था कि “जैसे को तैसा और खून का बदला खून।’

प्रश्न 14.
मेसोपोटामिया में प्रत्येक नगर के संरक्षक देवता को किस नाम से जाना जाता था ?
उत्तर:
जिगुरात

प्रश्न 15.
किस सभ्यता के लोग परलोक की अपेक्षा इस लोक के जीवन में अधिक रुचि रखते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता के लोग।

प्रश्न 16.
कूनीफार्म या कीलाक्षर क्या है ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के सुमेरियन व्यापारियों ने अपना हिसाब-किताब रखने के लिए कीली जैसे चिह्न बनाकर लेखन कला का विकास किया, जिसे कूनीफार्म या कीलाक्षर कहते हैं।

प्रश्न 17.
मिस्र की सभ्यता का विकास किस नदी घाटी में हुआ था ?
उत्तर:
नील नदी की घाटी में

प्रश्न 18.
मिस्र के शासक क्या कहलाते थे ?
उत्तर:
फराओ।

प्रश्न 19.
प्राचीन वास्तुकला की दृष्टि से कहाँ के पिरामिड सर्वश्रेष्ठ कलाकृति हैं ?
अथवा
प्राचीन मिस्र की सभ्यता में वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण किसे माना जाता है ?
उत्तर:
गिजे (मिस्र) का पिरामिड।

प्रश्न 20.
स्फिंक्स क्या है ?
उत्तर:
गिजे के पिरामिड के बाहर पत्थर की एक विशालकाय नृसिंह की मूर्ति बनी हुई है जिसे स्पिंक्स कहा जाता है।

प्रश्न 21.
चीन की सभ्यता का विकास किन-किन नदियों की घाटियों में हुआ था ?
उत्तर:
हवांग्हो वे चांग जियांग (याग्टीसीक्यांग) नदियों की घाटियों में।

प्रश्न 22.
चीन की दीवार का निर्माण किसने एवं क्यों करवाया था ?
उत्तर:
चीन की दीवार को निर्माण चीन के शासक शीहवांगती द्वारा हूणों के निरन्तर आक्रमणों से रक्षा के लिए करवाया गया था।

प्रश्न 23.
यूनान को महान जनतांत्रिक नेता कौन था?
उत्तर:
पेराक्लीज।

प्रश्न 24.
बालाथल सभ्यता स्थल राजस्थान के किस जिले में स्थित है ?
उत्तर:
उदयपुर जिले में।

प्रश्न 25.
राजस्थान के किस सभ्यता स्थल से पाषाणकालीन उपकरण व शैल चित्र प्राप्त हुए हैं ?
उत्तर:
चन्द्रावती सभ्यता स्थल से।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यताकालीन परिवार व्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता में समाज की प्रमुख इकाई परिवार था। इस सभ्यता स्थल पर बहुत अधिक संख्या में नारियों की मूर्तियाँ मिलने का कारण यह माना जाता है कि इस काल के समाज और परिवार में नारी को सम्मानजनक स्थान प्राप्त था। समाज में पर्दा प्रथा प्रचलित नहीं थी। नारियाँ चाँदी व ताँबे के आभूषण पहनती थीं। ये लोग सूती वस्त्र पहनते थे। इन्हें अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान भी था। संगीत, नृत्य एवं शिकार मनोरंजन के प्रमुख साधन थे। इस सभ्यता के लोग भोजन में गेहूँ, चावल, दूध और माँसाहार को उपयोग करते थे।

प्रश्न 2.
आप किन आधारों पर यह कह सकते हैं कि सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के लोग सफाई पसंद थे ?
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता (सिन्धु घाटी सभ्यता/हड़प्पाई संस्कृति) के लोग नगरों एवं नगरों के मकानों में स्वच्छता वे सफाई की समुचित व्यवस्था करते थे। दैनिक जीवन में कूड़ा-कचरा डालने के लिए सड़कों पर जगह-जगह कूड़ापात्र रखे जाते थे। गन्दे पानी के निकास की उचित व्यवस्था थी। गलियों की नालियाँ ढकी हुई थीं जिनकी नियमित रूप से सफाई होती थी। सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के नगरों में निजी मकानों में सार्वजनिक सफाई और स्वच्छता का जो प्रमाण मिलता है उससे यह स्पष्ट होता है कि इस सभ्यताकाल में भारतवासियों का जीवन उच्च स्तर का था। वे शोभा और दिखावे के स्थान पर सुविधा व उपयोगिता को अधिक महत्व देते थे और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक थे।

प्रश्न 3.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के बारे में बताइए।
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता मूलत: कृषि आधारित थी। कालीबंगा में जुते हुए खेत के अवशेष इसके प्रमाण हैं। यहाँ से प्राप्त वस्तुओं पर बने चित्रों के आधार पर पता चलता है। कि सिन्धु-सरस्वती सभ्यता काल के लोग गेहूँ, जौ, चावल, तिल आदि की खेती करते थे। यहाँ के लोगों का दूसरा प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था। पालतू पशुओं में गौ-वंश का महत्व सर्वाधिक था। यहाँ के निवासी तांबे, कांसे के बर्तन तथा औजार बनाने के साथ-साथ ही मिट्टी के बर्तन व मटके बनाने की कला में भी निपुण थे। चहूदड़ों व कालीबंगा की खुदाई में तोल के अनेक बांट मिले हैं। गुजरात में लोथल स्थान पर खुदाई में निकली एक गोदी (बन्दरगाह) के अवशेषों से पता चलता है कि यह समुद्री यातायात का प्रमुख केन्द्र था। मिस्र, सीरिया व सुमेर आदि दूर-दूर के देशों से इनके व्यापारिक सम्बन्ध थे।

प्रश्न 4.
वैदिक सभ्यता में लोगों का धार्मिक जीवन कैसा था ? बताइए।
उत्तर:
वैदिक सभ्यता काल में लोग प्रकृति के उपासक थे और विभिन्न दैवीय शक्तियों की उपासना करते थे। इस सभ्यता के लोगों को जिन प्राकृतिक शक्तियों से जीवन शक्ति व प्रेरणा प्राप्त होती थी, उनको उन्होंने अपने देवता के रूप में स्वीकार कर लिया। ऐसे देवताओं में इन्द्र, सूर्य, अग्नि, वायु, वरूण आदि प्रमुख थे। वैदिक युग के लोग प्रार्थना, स्तुति एवं यज्ञों के माध्यम से देवताओं को प्रसन्न करने का प्रयास करते थे। इनका धार्मिक जीवन सरल व आडम्बर रहित था।

प्रश्न 5.
मेसोपोटामियाई समाज के आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया सभ्यता का विकास वर्तमान ईराक में दजला व फरात नदियों के मध्य हुआ था। इस सभ्यता के लोगों का प्रमुख कार्य कृषि था। यहाँ के निवासी भूमि की जुताई हलों से करते थे तथा जुताई में पशुओं का उपयोग करते थे। खेतों में बीजों की बुआई के लिए कीप का उपयोग करते थे। नदियों के पानी को बड़े-बड़े बांधों में एकत्रित कर उस पानी से खेतों की सिंचाई की जाती थी। इस समाज में पशुओं की नस्ल सुधार के लिए उनका प्रजनन भी कराया जाता था। यहाँ का समाज मूलतः व्यावसायिक था। इस समाज में देवता का मंदिर एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ एक व्यावसायिक केन्द्र भी था। यहीं सर्वप्रथम बैंकिंग प्रणाली का विकास हुआ था। इस सभ्यता के लोगों के सिंधु-सरस्वती सभ्यता से व्यापारिक सम्बन्ध थे।

प्रश्न 6.
मिस्र की सभ्यता के सामाजिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मिस्र की सभ्यता का विकास नील नदी की घाटी में हुआ था। मिस्र की सभ्यता में एक संगठित शक्तिशाली राजनीतिक जीवन था। यहाँ का प्रमुख राजा होता था जिसे फराओं के नाम से जाना जाता था। जनता उसे ईश्वर का प्रतिनिधि मानती थी। समस्त जनता उसकी आज्ञाओं का पालन करती थी। फराओं की आज्ञा ही विधि और न्याय माना जाता था। इस सभ्यता में उच्च वर्ग में सामन्त व पुरोहित, मध्यम वर्ग में व्यापारी व व्यवसायी, कृषक व निम्नवर्ग में दास सम्मिलित थे। स्त्री और पुरुषों में उच्च वर्ग के लोग आभूषण पहनते थे। संगीत, नृत्य, नटबाजी, जुआ आदि मनोरंजन के प्रमुख साधन थे। सामन्तों के भवनों में हाथी दांत जड़ित मेज, कुर्सियाँ एवं बहुमूल्य पर्दे व कालीन मिलती थीं।

प्रश्न 7.
चीनी सभ्यता का सामाजिक जीवन कैसा था ? समझाइए।
उत्तर:
चीनी सभ्यता के लोगों का प्राचीन समाज मंडारिन, कृषक, कारीगर, व्यापारी एवं सैनिक वर्ग में विभाजित था। इस सभ्यता में सेना में भर्ती होने वाले लोगों को हेय दृष्टि से देखा जाता था। यहाँ सेना में भर्ती होने वाले लोग या तो अत्यन्त निर्धन, अपरिश्रमी या समाज में अवांछनीय चरित्र के माने जाते थे। चीनी सभ्यता में संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलित थी। परिवार का मुखिया वयोवृद्ध व्यक्ति होता था। इस सभ्यता में जीवन में नैतिकता पर बहुत अधिक बल दिया जाता था। समाज में स्त्रियों का कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं था। तत्कालीन चीनी समाज में पर्दा प्रथा एवं तलाक प्रथा का भी प्रचलन था।

प्रश्न 8.
बालाथल सभ्यता स्थल कहाँ स्थित है ? इससे प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बालाथल सभ्यता स्थल राजस्थान के उदयपुर शहर से लगभग 42 किलोमीटर दूर वल्लभनगर तहसील में स्थित है। इस सभ्यता स्थल से ताम्रपाषाणकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं। डॉ. वी. एस. एन. मिश्रा के नेतृत्व में उत्खनित इस क्षेत्र से पत्थर की ओखली, कर्णफूल, हार, मृण्मूर्तियाँ, ताँबे के आभूषण, ताँबे से बनी कुल्हाड़ी, चाकू, छैनी, उस्तरा व बाण के फलक, पत्थर के औजार, चमकदार मिट्टी के बर्तन आदि प्राप्त हुए हैं। इस सभ्यता स्थल से विशेष आकार के चमकदार मिट्टी के बर्तन भी प्राप्त हुए हैं। काले, लाल, गहरे रंग लिए इन बर्तनों के बाहर व भीतर चमकदार लेप किया हुआ मिला है। काले व लाल बर्तनों पर सफेद रंग के चित्र मिले हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिन्धु-सरस्वती सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ

1. नगर नियोजन–सिन्धु-सरस्वती सभ्यता में नगर एक निश्चित योजना के अनुसार बनाए जाते थे। इस सभ्यता के प्रमुख स्थलों-हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, राखीगढ़ी, धौलावीरा व लोथल आदि से प्राप्त अवशेषों से यह जानकारी मिलती है कि इस सभ्यता काल में लोग पहले योजना बनाकर अपने नगरों व नगरों में निर्मित किए जाने वाले भवनों व आवासों का निर्माण करते थे।

  • नगर की आवास योजना-इस सभ्यता के वास्तुशिल्पी आवासीय नियोजन में सुव्यवस्थित गृह स्थापत्य कला का पूरा ध्यान रखते थे। आवास एक निश्चित योजना के अनुसार बनाए जाते थे। प्रत्येक मकान में एक स्नानघर, आंगन और आंगन के चारों ओर कमरे हुआ करते थे। मकानों के निर्माण में प्रायः पक्की ईटों को प्रयोग होता था।
  • सड़क व्यवस्था-इस सभ्यता के नगरों की सड़कें तथा सम्पर्क मार्ग व गलियाँ एक सुनिश्चित योजना के अनुसार निर्मित थीं। सड़कें व गलियाँ ग्रिड-पद्धति में निर्मित थीं। सड़कें सीधी व चौड़ी थीं।
  • नियोजित जल निकास प्रणाली-इस उभ्यता में जल निकासी की उचित व्यवस्था थी। प्रत्येक घर में गन्दे पानी के निकास के लिए नालियाँ थी। नालियों को ईंटों व पत्थरों से ढका जाता था। सफाई के दौरान इनको हटाकर पुनः ढक दिया जाता था। नानियों का पानी आगे जाकर बड़ी नाली में गिरता था जो गंदे पानी को शहर के बाहर ले जाती थी।
  • नगर की सफाई व्यवस्था-इस सभ्यता में दैनिक कूड़ा-कचरा डालने के लिए सड़कों पर स्थान-स्थान पर कूड़ेदान रखे जाते थे। सफाई पर विशेष जोर दिया जाता था।

2. सामाजिक जीवन–सिन्धु-सरस्वती सभ्यताकालीन समाज की प्रमुख इकाई परिवार था। समाज में नारी को सम्मानजनक स्थान प्राप्त था। पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था। इस सभ्यता के लोग गेहूँ, जौ, चावल, दूध तथा मांसाहार का भोजन में उपयोग करते थे। संगीत, शिकार व नृत्य मनोरंजन के प्रमुख साधन थे। ये लोग सूती वस्त्र पहनते थे तथा इन्हें अस्त्र-शस्त्र का भी ज्ञान था।

3. आर्थिक जीवन–सिन्धु-सरस्वती सभ्यता काल में लोग खेती करते थे ! पशुपालन भी इनका एक प्रमुख व्यवसाय था। पालतू पशुओं में गौवंश को बहुत अधिक महत्व था। इस काल में लोग गेहूँ, जौ, चावल व तिल आदि की खेती करते थे। यहाँ के निवासी ताँबे व कांसे के बर्तन व औजार के साथ-साथ मिट्टी के बर्तन व मटके बनाने की कला में निपुण थे। मिस्र, सुमेर, सीरिया आदि दूरवर्ती देशों से इनके व्यापारिक सम्बन्ध थे। व्यापार की उन्नत अवस्था के कारण ही इस सभ्यता को ‘व्यापार प्रधान सभ्यता’ भी कहा जाता है।

4. धार्मिक जीवन–सिन्धु-सरस्वती सभ्यता काल के लोग प्राकृतिक शक्तियों यथा पृथ्वी, पीपल, नीम, जल, सूर्य, अग्नि आदि की पूजा करते थे। ये लोग बलि प्रथा व जादू-टोना में भी विश्वास करते थे। मृतक संस्कार शव को गाड़कर अथवा दाह कर्म करके किया जाता था।

प्रश्न 2.
वैदिक सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं (लक्षणों) का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वैदिक सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ (लक्षण)

1. सामाजिक जीवन

  • वर्ण व्यवस्था–वैदिक काल के समाज में वर्ण व्यवस्था प्रचलित थी। वर्ण चार माने गये हैं-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। यह वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित न होकर कर्म आधारित थी।
  • परिवार समाज की मूल इकाई परिवार मानी जाती थी। इस काल में संयुक्त परिवार की प्रधानता थी। परिवार का सबसे बड़ा व्यक्ति मुखिया होता था। उसे गृहपति कहा जाता था। वैदिक समाज में स्त्री को बहुत अधिक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था।
  • आश्रम व संस्कार व्यवस्था-वैदिक काल में सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए वर्णाश्रम व्यवस्था का समाज में प्रचलन था। मानव की आदर्श आयु 100 वर्ष की मानकर जीवन के चार काल थे-ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और संन्यास आश्रम। आदर्श व्यक्ति के जीवन में श्रेष्ठ गुणों को पैदा करने के लिए उसे काल में 16 संस्कारों का विधान था।

2. भोजन, वेशभूषा व मनोरंजन-वैदिक सभ्यता काल के लोग अपने भोजने में दूध, दही, चावल, गेहूँ, उड़द, जौ का बहुत अधिक उपयोग करते थे। वेशभूषा के रूप में रेशमी, सूती एवं ऊनी वस्त्रों का उपयोग किया करते थे। महिला और पुरुष दोनों ही आभूषण पहना करते थे जिनमें कंगन, कण्ठहार, कर्ण-फूल आदि प्रमुख थे। मनोरंजन के प्रमुख साधनों में रथदौड़, मल्लयुद्ध, घुड़दौड़, शिकार, संगीत व नृत्य आदि प्रमुख थे।

3. आर्थिक जीवन-वैदिक सभ्यता काल में लोग अपना जीवनयापन करने के लिए पशुपालन, कृषि, घरेलू उद्योग-धन्धे व्यापार और वाणिज्य आदि करते थे। कृषि कार्य में हल व बैलों की प्रयोग किया जाता था। प्रमुख पालतू पशुओं में गाय, हाथी, घोड़ा, भैंस, हिरण, भेड़, बकरी, गधा आदि थे। वस्तु विनिमय का प्रचलन था। गाय को समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। इस सभ्यता के लोग जल तथा थल दोनों मार्गों से अन्य देशों से व्यापार करते थे। इस काल में वस्त्र उद्योग काफी उन्नत अवस्था में था।

4. राजनैतिक संगठन-वैदिक सभ्यता काल के राजनैतिक जीवन का आधार परिवार थे। कई परिवारों से मिलकर ग्राम और कई ग्रामों से मिलकर जन बनता था। जन के नेताओं को गोप, रक्षक या राजन कहा जाता था। राजन का चुनाव प्रजा करती थी। यह शासन का सर्वोच्च अधिकारी होता था।

5. धार्मिक जीवन-वैदिक सभ्यता के लोग मूल रूप से प्रकृति की पूजा करते थे। ये इन्द्र, सूर्य, अग्नि, वायु व वरूण आदि को पूजते थे। ये लोग प्रार्थना, स्तुति व यज्ञों द्वारा देवताओं को प्रसन्न करते थे।

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