Students must start practicing the questions from RBSE 10th Hindi Model Papers Set 2 with Answers provided here.
RBSE Class 10 Hindi Model Paper Set 2 with Answers
पूर्णाक : 80
समय : 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- प्रश्नों का अंकभार निम्नानुसार है –
खण्ड | प्रश्नों की संख्या | अंक प्रत्येक प्रश्न | कुल अंक भार |
खण्ड-अ | 1 (1 से 12), 2 (1 से 6),3 (1 से 12) | 1 | 30 |
खण्ड-ब | 4 से 16 = 13 | 2 | 26 |
खण्ड-स | 17 से 2014 | 3 | 12 |
खण्ड-द | 21 से 23 = 3 | 4 | 12 |
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए : (5 x 1 = 5)
जल और मानव-जीवन का सम्बन्ध अत्यन्त घनिष्ठ है। वास्तव में जल ही जीवन है। विश्व की प्रमुख संस्कृतियों का जन्म बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे ही हुआ है। बचपन से ही हम जल की उपयोगिता, शीतलता और निर्मलता के कारण उसकी ओर आकर्षित होते रहे हैं। किन्तु नल के नीचे नहाने और जलाशय में डुबकी लगाने में जमीन-आसमान का अन्तर है। हम जलाशयों को देखते ही मचल उठाते हैं, उनमें तैरने के लिए।
आज सर्वत्र सहस्रों व्यक्ति प्रतिदिन सागरों, नदियों और झीलों में तैरकर मनोविनोद करते हैं और साथ ही अपना शरीर भी स्वस्थ रखते हैं। स्वच्छ और शीतल जल में तैरना तन को स्फूर्ति ही नहीं, मन को शान्ति भी प्रदान करता है। तैरने के लिए आदिम मनुष्य को निश्चय ही प्रयत्न और परिश्रम करना पड़ा होगा, क्योंकि उसमें अन्य प्राणियों की भाँति तैरने की जन्म-जात क्षमता नहीं है।
जल में मछली आदि जलजीवों को स्वच्छंद विचरण करते देख मनुष्य ने उसी प्रकार तैरना सीखने का प्रयत्न किया और धीरे-धीरे उसने इस कार्य में इतनी निपुणता प्राप्त कर ली कि आज तैराकी एक कला के रूप में गिनी जाने लगी। विश्व में जो भी खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं, उनमें तैराकी प्रतियोगिता अनिवार्य रूप से सम्मिलित की जाती है।
1. तैराकी के द्वारा कौन-से लाभ प्राप्त होते हैं ?
(अ) मनोविनोद, शारीरिक स्फूर्ति व मानसिक शान्ति
(ब) शीतलता और निर्मलता
(स) शीतल जल के सान्निध्य का सुख
(द) मछलियों-सा अनुभव।
उत्तर :
(अ) मनोविनोद, शारीरिक स्फूर्ति व मानसिक शान्ति
2. आदिमानव को तैराकी की प्रेरणा कहाँ से मिली ?
(अ) नभचरों से
(ब) निशाचरों से
(स) जलचरों से
(द) थलचरों से।
उत्तर :
(स) जलचरों से
3. मनुष्य के लिए तैराकी है
(अ) जन्मजात क्षमता
(ब) भाग्य से प्राप्त क्षमता
(स) अनायास प्राप्त हुई क्षमता
(द) निरन्तर अभ्यास से प्राप्त क्षमता।
उत्तर :
(द) निरन्तर अभ्यास से प्राप्त क्षमता।
4. विश्व की प्रमुख संस्कृतियों का जन्म हुआ है
(अ) समुद्र के किनारे
(ब) नदियों के किनारे
(स) जंगलों में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) नदियों के किनारे
5. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा
(अ) शीतल जल का महत्त्व
(ब) जल ही जीवन है
(स) तैराकी : एक कला
(स) शीतलता और निर्मलता।
उत्तर :
(स) तैराकी : एक कला
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए :
“मारा जिन्होंने युद्ध में अभिमन्यु को अन्याय से, सर्वस्व मानी है हमारा हर लिया दुरुपाय से। हे वीरवर! इस पाप को फल क्या उन्हें दोगे नहीं ? इस बैर का बदला कहो, क्या शीघ्र तुम लोगे नहीं ?” श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्रोध से जलने लगे, “संसार देखो अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े ,” करते हुये यह घोषणा वे हो गये उठकर खाई ।। उस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा; मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
मुख बाल-रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ, सब शोक अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे। युग-नेत्र उनके जो कभी थे पूर्ण जल की धार से, अब रोष के मारे हुये वे दहकते अंगार-से। निश्चय अरुणिमा-मिस अनल की जल उठी वह ज्वाल ही, तब तो दृगों का जल गया शोकाश्रु तत्काल ही।।
करतल परस्पर शोक से उनके स्वयं घर्षित हुये, तब विस्फुरित होते हुये भुजदण्ड यों दर्शित हुयेदो पदम शंडों में लिये दो शुंडवाला गज कहीं, मर्दन करे उनको परस्पर तो मिले उपमा वहीं!
6. शत्रुओं से अभिमन्यु वध का बदला लेने के लिये अर्जुन को किसने प्रेरित किया ?
(अ) युधिष्ठिर ने
(ब) श्रीकृष्ण ने
(स) विदुर ने
(द) भीष्म ने।
उत्तर :
(ब) श्रीकृष्ण ने
7. अर्जुन ने क्या घोषणा की?
(अ) वह अभिमन्यु वध का बदला लेगा
(ब) संसार उसको शत्रुओं को मारता हुआ देखेगा
(स) उसके शत्रु युद्ध में मरे पड़े हैं, यह संसार देखेगा
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(स) उसके शत्रु युद्ध में मरे पड़े हैं, यह संसार देखेगा
8. “मुख बाल-रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।” पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए –
(अ) सूर्य का मुख लाल होकर ज्वाला-सा जलने लगा
(ब) उगते बाल-सूर्य का मुँह लाल दिखाई देता है।
(स) अर्जुन का मुँह लाल-लाल हो रहा था
(द) क्रोध से अर्जुन का मुंह बाल-रवि के समान लाल होकर ज्वाला की तरह हो गया।
उत्तर :
(द) क्रोध से अर्जुन का मुंह बाल-रवि के समान लाल होकर ज्वाला की तरह हो गया।
9. ‘उस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।’ रेखांकित शब्द आया है
(अ) कृष्ण के लिए
(ब) कर्ण के लिए
(स) अभिमन्यु के लिए
(द) अर्जुन के लिए
उत्तर :
(द) अर्जुन के लिए
10. उपर्युक्त पद्यांश का उचित शीर्षक है
(अ) जून की प्रतिज्ञा
(ब) अभिमन्यु वध
(स) महाभारत का युद्ध
(द) चक्रव्यूह बन्धन।
उत्तर :
(अ) जून की प्रतिज्ञा
11. पहली बार दरवाजा बंद करके मूर्तिकार ने क्या सुझाव दिया?
(अ) नेताओं की मूर्ति से नाक उखाड़कर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगाने का
(ब) नकली नाक लगाने का
(स) प्लास्टिक की नाक लगाने का
(द) अजायबघर में पड़ी मूर्ति की नाक इस पर लगाने का
उत्तर :
(अ) नेताओं की मूर्ति से नाक उखाड़कर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगाने का
12. जितेन ने देवी-देवताओं के निवास वाली जगह का क्या नाम बताया?
(अ) यूमथांग
(ब) खेदुम
(स) पहाड़
(द) भेटुला
उत्तर :
(ब) खेदुम
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
1. जिस शब्द से किसी पदार्थ अथवा नाप-तोल वाली वस्तु का बोध हो, उसको ……………………………….. संज्ञा कहते हैं। (1)
2. जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध न हो, वे ……………………………….. सर्वनाम कहलाते हैं। (1)
3. जब सर्वनाम शब्द किसी संज्ञा शब्द के पहले विशेषण की तरह प्रयुक्त होता है, तो वह ……………………………….. विशेषण होता (1)
4. जब कर्ता एक क्रिया समाप्त करके दूसरी क्रिया करता है, तो पहले समाप्त हुई क्रिया ……………………………….. कहलाती है। (1)
5. ……………………………….. उपसर्ग का प्रयोग प्रायः ‘पीछे’, ‘बाद में’ या ‘गौण’ अर्थ में होता है। (1)
6. ‘बढ़िया, घटिया’ शब्दों में ……………………………….. प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।
उत्तर :
1. द्रव्यवाचक,
2. अनिश्चयवाचक,
3. सार्वनामिक,
4. पूर्वकालिक,
5. अनु,
6. इया।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए उत्तर सीमा लगभग 20 शब्द है। (6 x 1 = 6)
1. सन्धि विच्छेद से क्या आशय है? (1)
उत्तर :
व्याकरण के नियमों को ध्यान रखते हुए जब सन्धि युक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखा जाता है, तो उसे सन्धि-विच्छेद कहते है।
2. कर्मधारय समास की परिभाषा दीजिए। (1)
उत्तर :
जिस समास के दोनों पदों में विशेषण और विशेष्य का सम्बन्ध होता है, वह कर्मधारय समास कहलाता है।
3. ‘हाथ-पाँव फूल जाना’ मुहावरे का अर्थ लिखिए। (1)
उत्तर:
हाथ-पाँव फूल जाना- घबरा जाना।
4. लोकोक्ति किसे कहते हैं? (1)
उत्तर :
लोक में प्रचलित परम्परागत कहावतें लोकोक्ति कहलाती हैं। ये अपने आप में पूर्ण अर्थ वाली तथा लाक्षणिक भाषा से सम्पन्न होती है।
5. हालदार साहब की आँखें भर आने का कारण क्या था ? (1)
उत्तर :
हालदार साहब ने देखा कि मूर्ति बिना चश्मे के नहीं थी। उसने एक सरकंडे का बना चश्मा पहन रखा था। यह देख भावुक हालदार साहब की आँखें भर आईं।
6. ‘सब कुछ मुझे तुक्का ही लगता है।’ ऐसा कहने से लेखिका मन्नू भंडारी का क्या तात्पर्य है ? (1)
उत्तर :
बचपन में उत्पन्न हुई हीनता की भावना के कारण मन्नू भंडारी को अपने श्रम तथा लेखिकीय कौशल की सफलता को अनायास प्राप्त सफलता समझ बैठती हैं।
7. डुमराँव और शहनाई का पास्परिक संबंध क्या है ? (1)
उत्तर :
डुमराँव बिस्मिल्ला खाँ की जन्मभूमि है। इसके अतिरिक्त डुमराँव में सोन नदी के किनारों पर नरकट नाम की घास मिलती है जिससे शहनाई बजाने में प्रयुक्त होने वाली रीड बनती है।
8. गोपियों के अनुसार पुराने जमाने के लोग क्या करते थे ? (1)
उत्तर :
गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि पुराने जमाने के लोग दूसरों की भलाई करने के लिए निरन्तर प्रयत्न करते थे तथा इधर-उधर आते-जाते थे।
9. “इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं ” कहने से लक्ष्मण का आशय क्या है? (1)
उत्तर :
लक्ष्मण का आशय यह है कि वह कोई डरपोक व्यक्ति नहीं हैं जो किसी की जरा-सी धमकी देने पर घबरा जायेंगे।
10. बादल नवीन परिवर्तन तथा क्रांति का प्रतीक है। क्यों? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर लिखिए। (1)
उत्तर :
बादल अपने गर्जन-तर्जन द्वारा पुराने वृक्षों को उखाड़ फेंकता है और नये पौधों को अपने जल से सींचकर नई सृष्टि को रचता है।
11. ‘माता का अँचल’ कैसी रचना है ? इसका वर्ण्य विषय क्या है? (1)
उत्तर :
‘माता का अँचल’ एक आंचलिक एवं संस्मरणात्मक रचना है। इसका वर्ण्य-विषय लेखक के बचपन के ग्रामीण परिवेश का अंकन है।
12. एक यात्रा-वृत्तांत के रूप में ‘साना साना हाथ जोड़ि’ आपको कैसा लगता है? (1)
उत्तर :
इस रचना से हमें प्राकृतिक पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक होने की प्रेरणा मिलती है।
खण्ड – (ब)
निर्देश-प्रश्न सं. 04 से 16 तक के लिए प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम उत्तर सीमा 40 शब्द है।
प्रश्न 4.
कैप्टन मूर्ति पर चश्मा बार-बार क्यों बदल देता था? (2)
उत्तर:
पानवाले ने हालदार साहब को बताया कि कैप्टन एक चश्मे बेचने वाला है। उसके पास जब कोई ग्राहक मूर्ति पर लगे फ्रेम जैसा फ्रेम माँगने आता है तो वह उसे मूर्तिवाला फ्रेम देकर उसकी जगह दूसरा फ्रेम लगा देता है। अब हालदार साहब को असली बात समझ में आई। इसके पीछे कैप्टन चश्मेवाले की मजबूरी यह थी कि उसके पास सीमित मात्रा में फ्रेम थे और नेताजी की मूर्ति को वह बिना चश्मे के नहीं रहने देना चाहता था।
प्रश्न 5.
‘गोदी में पियवा, चमक उठे सखिया” पंक्ति का भाव क्या है ? (2)
उत्तर :
पंक्ति का शब्दार्थ है कि प्रियतम तो गोद में है लेकिन भ्रमवश स्वयं को अकेली समझकर प्रिया बार-बार चौंक और चिंहुक रही है। अध्यात्म पक्ष में इसका भाव यह है कि परमात्मा तो प्रतिक्षण आत्मा में निवास करता है। वह आत्मा से अभिन्न है लेकिन अज्ञानवश आत्मारूपी प्रिया परमात्मारूपी प्रियतम को स्वयं से अलग समझकर चिंतित और विरह में व्याकुल रहती है।
प्रश्न 6.
‘ये हैं नई कहानी के लेखक’ लेखक को नवाब साहब के लखनवी अंदाज़’ और नई कहानी के लेखकों की मान्यता में क्या समानता दिखाई दी ? (2)
उत्तर :
लेखक ने नवाब साहब द्वारा खीरे के इस्तेमाल की पूरी प्रक्रिया देखी और उन्हें पेट भर जाने की सूचक डकार लेते भी सुना। यह देखकर लेखक को नई कहानी के लेखकों का ध्यान आ गया। उसने सोचा कि जब खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना मात्र से पेट भर जाने की डकार आ सकती है तो बिना विचार, घटना और पात्रों के, केवल लेखक की इच्छा मात्र से, नई कहानी भी लिखी जा सकती है। लेखक ने दोनों के प्रयासों को लखनवी अंदाज़’ बताकर व्यंग्य किया है।
प्रश्न 7.
कैसे कहा जा सकता है कि बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे? (2)
उत्तर :
इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि बिस्मिल्ला खाँ संगीत-कला के अनन्य उपासक थे। देश-विदेश में सम्मान पाकर भी वह अपनी कला की परिपूर्णता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते रहते थे। अस्सी बरस तक वह मालिक से सच्चे सुर की याचना करते रहे। उनकी दिली इच्छा रहती थी कि श्रोता उनके शहनाईवादन से सहज और सच्चा आनंद प्राप्त करें। उन्होंने शहनाई को अपने परिश्रम और प्रतिभा से असाधारण लोकप्रियता प्रदान की।
प्रश्न 8.
गोपियों ने श्रीकृष्ण को ‘राजनीति पढ़ आए’ क्यों कहा है ? (2)
उत्तर :
श्रीकृष्ण मथुरा जाने के बाद वापस नहीं आ सके तो उन्होंने गोपियों के लिए उद्धव के द्वारा संदेश भेजा था। उद्धव के द्वारा योग का संदेश भिजवाए जाने से श्रीकृष्ण की छवि गोपियों की दृष्टि में एक चतुर राजनीतिज्ञ जैसी हो गई है जो भावुक प्रेमी न होकर एक व्यावहारिक व्यक्ति बन चुके हैं। इससे व्यथित होकर उन्होंने ‘श्रीकृष्ण के राजनीति पढ़ आने की बात कही।
प्रश्न 9.
साहस और शक्ति के साथ विनम्रता हो तो बेहतर है। लक्ष्मण-परशुराम संवाद के संदर्भ में इस कथन पर अपने विचार लिखिए। (2)
उत्तर:
साहस और शक्ति वीरता के भूषण हैं। यदि इनके साथ व्यक्ति में विनम्रता भी हो तो सोने में सुहाग जैसी बात है। वह मनुष्य को अहंकारी और निरंकुश होने से बचाती है। लक्ष्मण और परशुराम दोनों में साहस और शक्ति की कमी नहीं है किन्तु विनम्रता के अभाव में दोनों अहंकारी और निरंकुश हो गये हैं। श्रीराम साहस और शक्ति में दोनों से कम नहीं हैं। किन्तु वह अपनी विनम्रता के कारण सारी सभा की प्रशंसा के पात्र हैं।
प्रश्न 10.
‘छाया’ शब्द ‘छाया मत छूना’ कविता में किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है ? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है? (2)
उत्तर :
कवि ने यहाँ ‘छाया’ शब्द का प्रयोग अतीत की सुखद स्मृतियों के लिए किया है। पुरानी स्मृतियों की छाया अर्थात् सुख के दिनों की याद करने से वर्तमान के दु:ख और भी कष्टदायक हो जाएँगे इसीलिए कवि इन छायाओं से दूर रहने को कहता है। पुराने सुखों की याद के सहारे वर्तमान जीवन की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 11.
शिशु का नाम भोलानाथ कैसे पड़ा ? ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तर :
‘माता का अँचल’ पाठ के लेखक शिवपूजन सहाय का वास्तविक नाम ‘तारकेश्वरनाथ’ था। पूजा के समय लेखक उनसे अपने माथे पर भभूत का त्रिपुंड लगाने की हठ करता था। सिर पर लम्बी जटाओं जैसे बाल और मस्तक पर त्रिपुण्ड लग जाने से उसका रूप भगवान शंकर जैसा लगता था। इसीलिए उसके पिता उसे ‘भोलानाथ’ कहकर पुकारते थे।
प्रश्न 12.
मणि ने कटाओ के हिम-शिखरों के प्रति किस प्रकार कृतज्ञता प्रकट की ? उसका कथन हमारे हृदय में क्या भाव जगाता है ? (2)
उत्तर :
मणि ने श्रद्धापूर्वक मस्तक झुकाकर हिम-शिखरों को प्रणाम किया। उसने कहा कि मानव समाज पर इन शिखरों और इनसे प्रवाहित होने वाली नदियों का अपार ऋण था। ये हिम-शिखर गर्मियों में पिघलकर नदियों का रूप लेते थे और जनता की प्यास बुझाते थे। मणि का कथन हमें प्रेरणा देता है कि हमें प्रकृति के स्वाभाविक स्वरूप की रक्षा करनी चाहिए।
प्रश्न 13.
रानी एलिजाबेथ के भारत आने के समय लंदन और भारत के समाचार पत्रों में क्या खबरें छप रही थीं ? (2)
उत्तर :
रानी के भारत आने के समय लंदन के अखबार रानी के शाही दौरे की तैयारियों की छोटी-से-छोटी खबर छाप रहे थे। लंदन के अखबारों की ये खबरें भारत के अखबारों में ज्यों-की-त्यों छापी जा रही थीं। रानी के सूट का रंग, उसकी कीमत, रानी की जन्मपत्री, उनके पति फिलिप्स के कारनामे, यहाँ तक कि रानी के नौकरों, खानसामों, बावरचियों और अंगरक्षकों की जीवनियाँ तथा रानी के महल में पलने वाले कुत्तों की तस्वीरें भारत के अखबारों में छप रही थीं।
प्रश्न 14.
“शायद मनुष्य की इसी असमाप्त खोज का नाम सौन्दर्य है”-लेखिका मधु कांकरिया का यह कथन किस संदर्भ में है? (2)
उत्तर :
जितेन ने लेखिका को बताया कि यूमथांग पहले पिकनिक स्थल नहीं था। सिक्किम के भारत में मिलने के कई वर्षों बाद भारतीय सेना के कप्तान शेखर दत्ता ने इसे पिकनिक स्पॉट बनाने के बारे में सोचा। उसने कहा”देखिए, अभी भी रास्ते बन रहे हैं।”
यह सुनकर लेखिका सोचने लगी- हाँ, रास्ते अभी भी बन रहे हैं। नए-नए स्थानों की खोज जारी है। शायद कभी न समाप्त होने वाली इस खोज का नाम सौन्दर्य है।
प्रश्न 15.
‘मनू भंडारी’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए। (2)
अथवा
‘यशपाल’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
व्याकरण के नियमों को ध्यान रखते हुए जब सन्धि युक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखा जाता है, तो उसे सन्धि-विच्छेद कहते है।
हाथ-पाँव फूल जाना- घबरा जाना।
प्रश्न 16.
‘जयशंकर प्रसाद’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए। (2)
अथवा
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
व्याकरण के नियमों को ध्यान रखते हुए जब सन्धि युक्त शब्दों को अलग-अलग करके लिखा जाता है, तो उसे सन्धि-विच्छेद कहते है।
लोक में प्रचलित परम्परागत कहावतें लोकोक्ति कहलाती हैं। ये अपने आप में पूर्ण अर्थ वाली तथा लाक्षणिक भाषा से सम्पन्न होती है।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
निम्नांकित पठित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)
किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, “बाबा ! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फ़टी तहमद में सबसे मिलते हैं।” खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है , लुंगिया पे नाहीं। तुम लोगों की तरह बनाव सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई।” तब क्या खाक रियाज़ हो पाता। ठीक है बिटिया, आगे से नहीं पहनेंगे, मगर इतना बताए देते हैं कि मालिक से यही दुआ है, “फटा सुर न बख्शे। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।”
अथवा
पर, यह पितृ-गाथा मैं इसलिए नहीं गा रही कि मुझे उनका गौरव-गान करना है, बल्कि मैं तो यह देखना चाहती हूँ कि उनके व्यक्तित्व की कौन-सी खूबी और खामियाँ मेरे व्यक्तित्व के ताने-बाने में गुँथी हुई हैं या कि अनजाने-अनचाहे किए उनके व्यवहार ने मेरे भीतर किन ग्रन्थियों को जन्म दे दिया। मैं काली हूँ। बचपन में दुबली और मरियल भी थी। गोरा रंग पिताजी की कमजोरी थी सो बचपन में मुझसे दो साल बड़ी, खूब गोरी, स्वस्थ और हँसमुख बहिन सुशीला से हर बात में तुलना और फिर उसकी प्रशंसा ने ही, क्या मेरे भीतर ऐसे गहरे हीन-भाव की ग्रंथि पैदा नहीं कर दी कि नाम, सम्मान और प्रतिष्ठा पाने के बावजूद आज तक मैं उससे उबर नहीं पाई ?
उत्तर :
संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश ‘क्षितिज भाग-2’ में संकलित, यतीन्द्र मिश्र लिखित पाठ ‘नौबतखाने में इबादत’ से लिया गया है। यहाँ बिस्मिल्ला खाँ की सादगी और ‘बनाव सिंगार’ से दूरी का परिचय कराया है।
व्याख्या-खाँ साहब की एक मात्र लुंगी (तहमद), निरंतर पहने जाने से फट चुकी थी। एक बार उनकी किसी शिष्या ने डरते-डरते उन्हें इस बात पर टोका। उसने खाँ साहब से कहा कि उनसे मिलने बड़े-बड़े लोग आते थे। उनकी समाज में प्रतिष्ठा थी। उन्हें तब तक भारत रत्न जैसा उच्चतम सम्मान भी दिया जा चुका था। अतः वह उसी फटी तहमद को न पहना करें। यह अच्छा नहीं लगता था।
यह सुनकर खाँ साहब मुस्कराए और उस शिष्या पर लाड़ जताते हुए कहा, कि वह पगली है। भारतरत्न सम्मान उन्हें शहनाई वादन के लिए मिला था, उस लुंगी पर नहीं। खाँ साहब ने मधुर व्यंग्य किया कि यदि वह भी उन जैसे युवाओं की तरह बनाव-सिंगार पर ध्यान देते तो सारी उम्र निकल जाती और शहनाई में उन्हें वैसी सफलता और सम्मान नहीं मिल पाता सारा समय बनाव सिंगार पर ध्यान देते तो अब की तरह शहनाई का घण्टों रियाज कैसे कर पाते? आखिर खाँ साहब ने शिष्या का अनुरोध स्वीकार कर लिया और कहा कि वह आगे से फटी लुंगी नहीं पहना करेंगे।
साथ ही उन्होंने कहा कि वह ईश्वर से यही माँगते थे कि उनके सुर को सुरीला बनाए रखे। शहनाई वादन में कोई कमी न आने पाए। लुंगी का क्या है वह यदि फट गई थी तो सिल जाएगी। लेकिन सुर बिगड़ा तो उनकी जीवन भर की कमाई फिर दोबारा नहीं मिलेगी।
प्रश्न 18.
निम्नांकित पठित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द)
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी।। पुनि-पुनि मोहि देखाव कुठारू। चहत उड़ावन फँकि पहारू।। इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं।। देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।। भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी।। सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।। बधे पापु अपकीरति हारें। मारतहू पा परिअ तुम्हारें।। कोटि कुलिस सम बचन तुम्हारा। व्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा।। जो बिलोकि अनुचित कहेउँ, छमहु महामुनि धीर। सुनि सरोष भृगुबंसमनि, बोले गिरा गंभीर।।
अथवा
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया; जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया। प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना।
उत्तर :
सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज में संकलित कवि गिरिजाकुमार माथुर की कविता ‘छाया मत छूना’ से लिया गया है। कवि यहाँ जीवन के कठोर सत्यों का सामना करने की कह रहा है।
व्याख्या- कवि कहता है- यश, धन-वैभव या पूँजी ये सभी मनुष्य को भ्रमित करने वाले हैं। इनके पीछे मनुष्य जितना भागता है उतना ही अधिक भ्रम में पड़ जाता है। संसार में प्रभुता या बड़प्पन पाने की लालसा केवल एक धोखा है। यह कभी पूरी नहीं होती। यहाँ हर चाँदनी के पीछे एक काली रात छिपी है अर्थात् हर सुख के साथ एक दु:ख जुड़ा हुआ है। इसलिए यश-वैभव, प्रभुता और सुख के पीछे भागना छोड़कर जीवन के कठोर सत्यों का सामना कर। यथार्थ को स्वीकार और शिरोधार्य करके जीवन बिता। कल्पनाओं में जीते रहने और भ्रम के पीछे दौड़ने से तेरे दुःख और दूने हो जाएँगे।
प्रश्न 19.
‘बालगोबिन सचमुच एक ज्ञानी पुरुष थे। पुत्र की मृत्यु पर उनके संवाद इसका प्रमाण देते हैं। इस कथन पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए। (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
अथवा
क्या आप नवाब साहब को लेखक की तुलना में अधिक शिष्ट और सामाजिक प्रकृति का व्यक्ति मानते हैं ? अपने विचार लिखिए। 3
उत्तर :
नवाब साहब और लेखक के व्यवहार और उनकी प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दें तो ऊपरी तौर पर नवाब साहब का पलड़ा मिलनसारिता और शिष्टाचार में लेखक से भारी प्रतीत होता है। लेकिन उनका सारा शिष्टाचार और मिलनसारिता केवल प्रदर्शन है। लेखक एक बुद्धिजीवी और भद्रपुरुष है। वह नवाब साहब के शिष्टाचार में छिपी इस वास्तविकता को भाँप लेता है और नवाब साहब की नवाबी शान के जवाब में अपने आत्मसम्मान को खड़ा कर देता है।
हमारे विचार से नवाब साहब तथा लेखक दोनों ही शिष्टता और सामाजिकता से दूर हैं। हर मनुष्य में कुछ स्वाभाविक दुर्बलताएँ होती हैं। शिष्टता और सभ्यता के नाम पर वह उन्हें छिपाने की कोशिश करता है। नवाब साहब और लेखक भी इससे अछूते नहीं हैं।
प्रश्न 20.
संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए। (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
अथवा
‘आत्मकथ्य’ कविता पढ़ने पर आपको क्या प्रेरणा मिलती है ? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
उत्तर :
भ्रमरगीत प्रसंग सूरदास जी की एक ऐसी अनूठी योजना है जिसने सैकड़ों वर्षों से काव्यप्रेमियों को आनंदित किया है। इस प्रसंग की प्रमुख विशेषताएँ अग्र प्रकार हैं –
- उद्धव और कृष्ण को अपने व्यंग्य और कटाक्षों का निशाना बनाया है। इस कारण इस प्रसंग को ‘भ्रमरगीत’ नाम दिया गया है।
- भ्रमरगीत में सूरदास जी का उद्देश्य ज्ञान और योग पर प्रेमाश्रित भक्ति-भावना की सुगमता और श्रेष्ठता सिद्ध करना रहा है।
- भ्रमरगीत में वियोग शृंगार रस की उत्कृष्ट और मनोहारी व्यंजना हुई है। गोपियों की विरह-व्यथा के साथ ही उनके वाक्चातुर्य, प्रगल्भता, व्यंग्य, कटाक्ष, आरोप, आशा, निराशा, विवशता, उपालम्भ, अनुरोध आदि विविध मनोभावों का हृदयस्पर्शी चित्रण हुआ है।
- भ्रमरगीत की भाषा सरस साहित्यिक ब्रजभाषा है। लोकोक्तियों और मुहावरों के। प्रयोग से वह सशक्त हो गई है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर 300-350 शब्दों में सारगर्भित निबन्ध लिखिए।
(अ) इंटरनेट : ज्ञान का भण्डार
(i) इंटरनेट का परिचय और व्यापकता
(ii) इंटरनेट की कार्यविधि
(iii) इंटरनेट से हानि एवं लाभ
(iv) इंटरनेट का भविष्य
(v) उपसंहार
(ब) गणतंत्र दिवस
(i) भारत की स्वतन्त्रता
(ii) गणतंत्र की स्थापना
(iii) देश तथा दिल्ली में मनाया जाना
(iv) गणतंत्र दिवस का संदेश
(v) उपसंहार
(स) राजस्थान के लोकगीत
(i) लोक गीतों की परंपरा
(ii) लोक गीतों का स्वरूप
(iii) लोक गीतों में राजस्थानी लोक जीवन
(iv) उपसंहार
(द) जनतंत्र और मीडिया
(i) प्रस्तावना
(ii) मीडिया का स्वरूप
(iii) मीडिया के दायित्व
(iv) उपसंहार
उत्तर :
(ब) गणतंत्र दिवस
(i) भारत की स्वतन्त्रता- स्वतंत्रता मानवमात्र का जन्मसिद्ध अधिकार है। पशु-पक्षी भी बंधन और परतंत्रता में दु:खी रहते हैं। हमारा देश समय-चक्र और हमारी भूलों के कारण परतंत्र हो गया। सैकड़ों वर्षों तक हमें पराधीनता का अपमानजनक जीवन बिताना पड़ा। किन्तु देश-भक्तों के संघर्ष और बलिदान ने परतंत्रता की जंजीरें तोड़ डालीं और 15 अगस्त, 1947 को हमारा प्यारा भारत स्वतंत्र हो गया।
(ii) गणतंत्र की स्थापना- 15 अगस्त को हम स्वतंत्र तो हो गये लेकिन देश में विदेशियों के बनाए विधान और कानून बने रहे। अतः 26 जनवरी, 1950 को हमारे देश में अपना संविधान लागू किया गया। हमने देश में पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न लोकतंत्रात्मक गणतंत्र की स्थापना की। 26 जनवरी, 1929 को ही हमारे नेताओं और जनता ने रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प लिया था। इसी कारण 26 जनवरी को ही गणतंत्र स्थापना का दिन निश्चित किया गया।
(iii) देश में तथा दिल्ली में मनाया जाना- 26 जनवरी को पूरे देश में गणतंत्र दिवस बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन दिल्ली में इसका आयोजन बड़ी धूमधाम और भव्यता से होता है। इस दिन प्रातः काल प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर जाकर देश के शहीदों के प्रति पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। विजय-चौक पर मुख्य आयोजन होता है। राष्ट्रपति के आयोजन स्थल पर आने पर प्रधानमंत्री उनका स्वागत करते हैं।
किसी देश के प्रमुख को इस दिन मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। राष्ट्रपति राष्ट्रीय-ध्वज फहराते हैं और आयोजन आरम्भ हो जाता है। सेना के तीनों अंग तथा पुलिस बल राष्ट्रपति को सलामी देते हुए गुजरते हैं। सेना के प्रमुख अस्त्रशस्त्रों का प्रदर्शन किया जाता है। विद्यालयों के बच्चे तथा विभिन्न राज्यों से आए लोक-कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
वीरतापूर्ण कार्यों के लिए पुरस्कार प्राप्त बच्चे हाथी पर बैठकर राष्ट्रपति को अभिवादन करने निकलते हैं। अंत में देश के सभी राज्यों की विविध झांकियाँ निकलती हैं। रात को सरकारी भवनों तथा राष्ट्रपति भवन को बिजली की बत्तियों से सजाया जाता है। दिल्ली के साथ ही देश के सभी राज्यों के सरकारी विभागों में तथा विद्यालयों में गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
(iv) गणतंत्र दिवस का संदेश- गणतंत्र दिवस हमें देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान होने वाले वीर सपूतों की याद दिलाता है और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने का संदेश देता है। गणतंत्र दिवस हमें याद दिलाता है कि गणतंत्र में जनता ही महत्वपूर्ण होती है। वह स्वयं ही अपनी शासक होती है। अपनी प्रगति के लिए योजना बनाने तथा उसको लागू करने का अधिकार भी जनता का ही होता है। वह अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा ही शासन करती है।
अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के भ्रष्ट और स्वेच्छाचारी होने पर उनको हटाने तथा नये प्रतिनिधि चुनने का अधिकार भी जनता का ही होता है। गणतंत्र दिवस हमें बताता है कि हमें मताधिकार का प्रयोग सावध रानीपूर्वक करना चाहिए।
(v) उपसंहार- राष्ट्रीय पर्वो का हमारे लिए अत्यन्त महत्त्व है। ये दिवस हमें राष्ट्रीय गौरव से ओत-प्रोत करते हैं और देश-भक्ति की भावना जगाते हैं। हम सभी को इनमें उत्साह के साथ भाग लेना चाहिए।
प्रश्न 22.
अपने क्षेत्र की नालियों तथा सड़कों आदि की समुचित सफाई न होने पर स्वास्थ्य अधिकारी को एक शिकायती पत्र लिखिए।
अथवा
फैशन में समय और धन का अपव्यय करने वाली छोटी बहन को उसके दुष्प्रभाव समझाते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
सुषमा
प्रताप नगर
भीलवाड़ा
मार्च 15, 20_ _
प्रिय रश्मि!
स्नेह! कैसी हो? आशा है, अपने स्वभाव के अनुसार प्रसन्न होगी। छात्रावास में तुम्हारा समय अच्छा बीत रहा होगा। तुम मन लगाकर पढ़ाई कर रही होगी।
एक बात कहना चाहती हूँ। मैंने देखा है, तुम फैशन पर बहुत ध्यान देती हो। अपने आपको सजाना और सुंदर बनाना एक गुण है। परन्तु यदि उसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाए तो वह हमारी उन्नति में बाधक बन जाता है। फैशन जीवन में पहली चीज नहीं है। पहली चीज है हमारा व्यक्तित्व, हमारे गुण, हमारा स्वभाव। यदि यह अच्छा हो तो हम किसी के भी मन में समा जाते हैं। लोग हमारे गुणों के कारण हमें चाहते हैं, बाहरी रूप सुंदरता के कारण नहीं।
आजकल रेडियो, दूरदर्शन और फिल्मों में इतनी चकाचौंध है, फेशन की इतनी दीवानगी है कि हम उसी को सच मान बैठते हैं। अतः मैं तुम्हें सलाह देती हूँ कि फैशन पर ध्यान कम ही देना। अपनी मर्यादा को पहले स्थान पर रखना। वैसे तो बड़े होते-होते तुम स्वयं समझदार होती जा रही हो। इसलिए आशा है, मेरी सलाह को आचरण में उतारोगी।
छुट्टियों में घर जरूर आना। तुम्हारे लिए मैंने एक स्वेटर और मफलर बुन रखा है।
तुम्हारी बहन
सुषमा
प्रश्न 23.
रूपा गीजर (वाटर हीटर) कंपनी की ओर से 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। 4
अथवा
दिल्ली पुस्तक मेले में भाग ले रहे क-ख-ग प्रकाशन’ की ओर से लगभग 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर :
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