Students must start practicing the questions from RBSE 10th Hindi Model Papers Set 3 with Answers provided here.
RBSE Class 10 Hindi Model Paper Set 3 with Answers
पूर्णाक : 80
समय : 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- प्रश्नों का अंकभार निम्नानुसार है –
खण्ड | प्रश्नों की संख्या | अंक प्रत्येक प्रश्न | कुल अंक भार |
खण्ड-अ | 1 (1 से 12), 2 (1 से 6),3 (1 से 12) | 1 | 30 |
खण्ड-ब | 4 से 16 = 13 | 2 | 26 |
खण्ड-स | 17 से 2014 | 3 | 12 |
खण्ड-द | 21 से 23 = 3 | 4 | 12 |
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए: (5 x 1 = 5)
पुस्तकालय से सबसे बड़ा लाभ है ज्ञानवृद्धि। मनुष्य को बहुत थोड़े शुल्क के बदले बहुत सारी पुस्तकें पढ़ने को मिल जाती हैं। वह चाहे तो एक ही विषय की अनेक पुस्तकें पढ़ सकता है। दूसरे, उसे किसी भी विषय की नवीनतम पुस्तक वहाँ से प्राप्त हो सकती है। तीसरे, उसे किसी भी विषय पर तुलनात्मक अध्ययन करने का अवसर मिल जाता है। चौथे, विश्व में प्रकाशित विभिन्न विषयों की पुस्तकें भी यहाँ मिल जाती हैं। यही कारण है कि उच्च कक्षा तथा किसी विषय में विशेष योग्यता प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अपना अधिकांश समय पुस्तकालय में ही व्यतीत करते हैं।
पुस्तकालय मनुष्य में पढ़ने की रुचि उत्पन्न करता है। यदि आप एक बार किसी पुस्तकालय में चले जाएँ, तो वहाँ की पुस्तकों को देखकर आप उन्हें पढ़ने के लिए लालायित हो जाएँगे। इस प्रकार पुस्तकालय आपकी रुचि को ज्ञान-वर्द्धन की ओर बदलता है। दूसरे, अवकाश के समय में पुस्तकालय हमारा सच्चा साथी है जो हमें सदुपदेश भी देता है और हमारा मनोरंजन भी करता है। शेष मनोरंजन के साधनों में धन अधिक खर्च होता है, जबकि यह सबसे सुलभ और सस्ता मनोरंजन है।
1. पुस्तकालय की सबसे बड़ी उपयोगिता है- (1)
(अ) मनुष्य का ज्ञान बढ़ाने में
(ब) मनुष्य को राजनीति का परिचय देने में
(स) मनुष्य की वैज्ञानिक ज्ञान वृद्धि में
(द) मनुष्य को भूगोल का परिचय देने में।
उत्तर :
(अ) मनुष्य का ज्ञान बढ़ाने में
2. मनुष्य के लिए पुस्तकालय का योगदान नहीं है (1)
(अ) पढ़ने की रुचि उत्पन्न करने में
(ब) अवकाश के क्षणों में सच्चा साथ देने में
(स) उपदेश और मनोरंजन के रूप में
(द) अमानवीय बुराइयों को उभारने के रूप में।
उत्तर :
(द) अमानवीय बुराइयों को उभारने के रूप में।
3. कौन-से छात्र अपना अधिकांश समय पुस्तकालय में बिताते हैं ? (1)
(अ) समय का दुरुपयोग करने वाले
(ब) समय का सदुपयोग करने वाले
(स) उच्च कक्षा एवं विशिष्ट योग्यता के इच्छुक
(द) खेलों में दक्षता के अभिलाषी।
उत्तर :
(स) उच्च कक्षा एवं विशिष्ट योग्यता के इच्छुक
4. अवकाश के समय हमारा सच्चा साथी है- (1)
(अ) खेल का मैदान
(ब) पुस्तकालय
(स) विद्यालय
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) पुस्तकालय
5. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है (1)
(अ) पुस्तकालय का महत्त्व
(ब) ज्ञान का भण्डार
(स) पुस्तकों की उपयोगिता
(iv) सच्चा साथी।
उत्तर :
(अ) पुस्तकालय का महत्त्व
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए :
आज की दुनियाँ विचित्र नवीन, प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन।
हैं बैंधे नर के करों में वारि, विद्युत, भाप, हुक्म पर चढ़ता उतरता है पवन का ताप
है नहीं बाकी कहीं व्यवधान, लाँघ सकता नर सरित्, गिरि, सिन्धु एक समान।
शीश पर आदेश कर अवधार्य प्रकृति के सब तत्व करते हैं मनुज के कार्य,
मानते हैं हुक्म मानव का महा वरुणेश, और करता शब्दगुण अम्बर वहन सन्देश।
नव्य नर की मुष्टि में विकराल, हैं सिमटते जा रहे दिक्काल।
यह प्रगति निस्सीम ! नर का यह अपूर्व विकास। चरण तल भूगोल! मुट्ठी में निखिल आकाश।
किन्तु है बढ़ता गया मस्तिष्क ही निःशेष, छूट कर पीछे गया है रह हृदय का देश;
नर मनाता नित्य नूतन बुद्धि का त्यौहार, प्राण में करते दु:खी हो देवता चीत्कार।
6. आज का संसार नवीन और विचित्र दिखाई देने का कारण है–
(अ) मनुष्य ने प्रगति की है
(ब) पहले की तुलना में संसार बड़ा हो गया है
(स) प्रकृति पर मनुष्य ने विजय प्राप्त कर ली है
(द) विज्ञान के क्षेत्र में विकास किया है।
उत्तर :
(स) प्रकृति पर मनुष्य ने विजय प्राप्त कर ली है
7. “छुटकर पीछे गया है रह हृदय का देश” पंक्ति का भावार्थ है
(अ) हृदय का देश पीछे छूट गया है
(ब) बुद्धि के क्षेत्र में निस्सीम प्रगति की है
(स) मनुष्य की प्रगति निस्सार है
(द) बौद्धिक दौड़ में हृदय या मन का संसार पीछे छूट गया है।
उत्तर :
(द) बौद्धिक दौड़ में हृदय या मन का संसार पीछे छूट गया है।
8. ‘बुद्धि का त्यौहार’ का क्या तात्पर्य है…
(अ) हर त्यौहार बुद्धिपूर्वक मनाता है …
(ब) त्यौहार के दिन नूतन बुद्धि होती है
(स) मनुष्य अपनी बुद्धि बल पर प्रसन्न होता है
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(स) मनुष्य अपनी बुद्धि बल पर प्रसन्न होता है
9. मनुष्य की मुट्ठी में है
(अ) पूरा आकाश
(ब) पृथ्वी
(स) संपत्ति
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(अ) पूरा आकाश
10. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए
(अ) प्रकृति पर विजय
(ब) विज्ञान और मनुष्य
(स) मानव का हुक्म
(द) बुद्धि का त्यौहार।
उत्तर :
(स) मानव का हुक्म
11. “लेखिका ने जब एक सिक्किमी युवती से पूछा” क्या सिक्किमी हो तो उसने क्या जवाब दिया?
(अ) मैं सिक्किमी हूँ
(ब) मैं बंगाली हूँ
(स) मैं इंडियन हूँ
(द) मैं गढ़वाली हूँ
उत्तर :
(स) मैं इंडियन हूँ
12. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ की लेखन विधा है
(अ) व्यंगात्मक
(ब) रेखाचित्र
(स) संस्मरण
(द) यात्रावृत्तांत
उत्तर:
(अ) व्यंगात्मक
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
1. जिस शब्द से किसी एक ही जाति की वस्तुओं का समान रूप से बोध होता है, उसको ……………………….. संज्ञा कहते हैं।
2. जो शब्दसंज्ञा के स्थान पर किसी वाक्य में प्रयुक्त होता है, उसे ……………………….. कहते हैं।
3. संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को ……………………….. कहते हैं।
4. कर्म के आधार पर क्रिया के ……………………….. भेद होते हैं।
5. ‘अधमरा’ शब्द में ……………………….. उपसर्ग शब्द है।
6. ‘धार्मिक, सामाजिक’ शब्दों में ……………………….. प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।
उत्तर :
1. जातिवाचक,
2. सर्वनाम,
3. विशेषण,
4. दो,
5. अध,
6. इक।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए उत्तर सीमा लगभग 20 शब्द है। (6 x 1 = 6)
1. यण सन्धि का सूत्र लिखिए तथा एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर :
सूत्र-‘इकोयणचि’।
उदाहरण-यदि + अपि = यद्यपि।
2. तत्पुरुष समास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
जिस समस्त पद का निर्माण किसी कारक चिह्न के लोप होने से होता है और जिसका उत्तर-पद प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
3. ‘घर का दीपक बुझना’ मुहावरे का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
अर्थ-एकमात्र सन्तान का मर जाना।
4. “एक म्यान में दो तलवान नहीं रहती’ लोकोक्ति का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
अर्थ-दो विरोधी वस्तु या प्राणी एक साथ नहीं रहते।
5. हालदार साहब के स्वभाव की कौन-सी विशेषताओं का परिचय मिलता
उत्तर :
हालदार साहब एक देशभक्त आदमी हैं। देशभक्तों के लिए उनके हृदय में बड़ा सम्मान है। नेताजी के प्रति उनके मन में गहरा आदर और सम्मान है।
6. क्या आप भी मानते हैं कि लेखिका मन्नू भंडारी को उपलब्धियाँ संयोगवश मिल गई हैं ?
उत्तर:
मैं यह नहीं मानता। उनकी सफलता प्रतिभा, चिंतन और मौलिक सृजन का परिणाम है। हिन्दी की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाना इसका प्रमाण है।
7. शहनाई बजाते समय शहनाई का प्याला कब और किस ओर तथा क्यों घुमा दिया जाता है ?
उत्तर :
ऐसा तब होता जब बिस्मिल्ला खाँ काशी से बाहर होते थे। इस तरह वह बाबा विश्वनाथ में अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।
8. गोपियाँ अपनी तुलना हारिल पक्षी से क्यों करती हैं ?
उत्तर :
हारिल पक्षी एक लकड़ी सदैव अपने पंजों में दबाए रहता है। वह किसी भी समय उस लकड़ी को नहीं छोड़ता। इसी प्रकार गोपियाँ भी सदैव श्रीकृष्ण को अपने हृदय में बसाए रहती हैं।
9. “मारतहूँ पा परिअ तुम्हारें” लक्ष्मण ने परशुराम से ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :
ऐसा कहने का कारण यह था कि परशुराम ब्राह्मण थे। उनको मारने से पाप लगता और हारने पर अपयश मिलता।
10. बादल को अनंत के घन कहने से कवि का तात्पर्य है?
उत्तर :
कवि का इससे तात्पर्य है कि बादल विस्तृत आकाश में दूर-दूर तक छा जाता है और धरती का ताप मिटा देता है।
11. चूहे के बिल से साँप निकलता देख बच्चों की क्या दशा हुई ?
उत्तर :
बच्चे डर से चीखते-चिल्लाते भागे। बेतहाशा भागने में अनेक बच्चे गिर गए। उनको चोटें आईं, पैरों में काँटे चुभ गए, उनके शरीर से खून बहने लगा।
12. ‘मूर्तिकार यों तो कलाकार था पर ज़रा पैसे से लाचार था।’ लेखक के इस कथन से मूर्तिकार के चरित्र पर क्या प्रकाश पड़ता है ?
उत्तर :
इस कथन में कलाकार कहे जाने वाले लोगों के चरित्र पर व्यंग्य किया गया है। पैसा मूर्तिकार के चरित्र की कमजोरी है।
खण्ड – (ब)
निर्देश-प्रश्न सं. 04 से 16 तक के लिए प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम उत्तर सीमा 40 शब्द है।
प्रश्न 4.
“वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए। (2)
उत्तर :
कैप्टन के प्रति पानवाले की यह टिप्पणी बहुत ही अशोभनीय थी। इससे उसकी संवेदन-शून्यता और देशभक्तों के प्रति उपेक्षा और उदासीनता की भावना उजागर होती है। यदि उसे देशभक्तों और देशभक्ति के महत्त्व का तनिक भी ज्ञान होता तो वह चश्मेवाले के प्रति ऐसे अशिष्ट शब्दों का प्रयोग कभी न करता। पानवाले की इस उदासीनतापूर्ण भावना की प्रशंसा कदापि नहीं की जा सकती।।
प्रश्न 5.
‘बालगोबिन का संगीत जाग रहा है, जगा रहा है’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अंधकार और वर्षा के भीषण कोलाहल से पूर्ण, भादों की आधी रात में गाँव के सारे लोग सो रहे हैं। लेकिन ऐसे विकट वातावरण में भी बालगोबिन की संगीत-साधना चल रही है। उनके संगीत के स्वर लोगों को चौंकाकर जगा रहे हैं। स्वयं जागने वाला यह भगत का गान, लोगों को साधारण नींद से ही नहीं अपितु सांसारिक माया-मोह की निद्रा से भी जागने की प्रेरणा दे रहा है।
प्रश्न 6.
नवाब साहब की खीरा सेवन की प्रक्रिया को देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया ?
उत्तर :
लेखक ने नवाब साहब के खीरे के उपभोग के विलक्षण ढंग को देखकर विचार किया कि खीरे के इस्तेमाल का यह ढंग सूक्ष्म या काल्पनिक तरीका तो माना जा सकता है लेकिन इस तरीके से पेट भरना कैसे सम्भव हो सकता है? पेट की तृप्ति तो तभी होती है जब कोई खाद्य पदार्थ मुँह से खाया जाकर पेट में पहुँचे।
प्रश्न 7.
‘नौबतखाने में इबादत’ नामक पाठ में लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
यह पाठ काशी के जन-जीवन के धार्मिक भाई-चारे, कला-प्रेम, यहाँ के कलासाधकों की ख्याति आदि का स्मरण कराता है। यह अनेकता में एकता का संदेश देता है। इस पाठ से हमें साधना के प्रति पूर्ण समर्पण की प्रेरणा मिलती है। यह पाठ प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचकर भी सादगी और निराभिमान बने रहने का आदर्श प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 8.
‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है ?
उत्तर :
प्रेम की मर्यादा है- परस्पर विश्वास और पूर्ण समर्पण। अविश्वास और स्वार्थ प्रेम के शत्रु हैं। छल, कपट, चतुराई और दुराव प्रेम की मर्यादा को भंग कर देते हैं। श्रीकृष्ण ने वचन तो तोड़ा ही, योग-संदेश भिजवाकर गोपियों के विश्वास को भी भंग कर दिया। वह प्रेम निभाने में पूरी तरह असफल सिद्ध हुए। ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से प्रेम की मर्यादा नष्ट होने की बात कही गई है।
प्रश्न 9.
लक्ष्मण के आचरण को सभा के लोगों ने अनुचित क्यों बताया?
उत्तर :
लक्ष्मण ने परशुराम के शील की हँसी उड़ाई, माता-पिता के ऋण चुकाने को लेकर उन पर तीखा व्यंग्य किया। ब्राह्मण होने के कारण वह बचे हुए हैं, ऐसा अपमानजनक आक्षेप किया। उनकी वीरता और यश को चुनौती दी। सभा के लोगों को लगा कि लक्ष्मण सीमा के बाहर जा रहे हैं। छोटा मुँह बड़ी बात जैसा दृश्य सामने आ रहा है। रक्तपात हो सकता है। इसी कारण सभी लोगों ने लक्ष्मण के आचरण को अनुचित बताया।
प्रश्न 10.
‘पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की।’ इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है, उसे शब्दबद्ध कीजिए। (2)
उत्तर :
इन पंक्तियों को पढ़कर हमारे मन में एक ऐसी सरल, भोली और भावुक लड़की की छवि उभरती है जो अपने विवाह के अस्पष्ट, मधुर सपनों में खोई हुई है। विवाह उसके लिए धूमधाम से पूर्ण उत्सव है। उसका वस्त्र-आभूषणों से सज-धजकर ससुराल जाना, उसकी सुन्दरता पर सभी का प्रसन्न होना,पति का प्रेम पाना आदि कल्पनाएँ लड़की के मन पर छाई हुई हैं। अभी वह विवाहित जीवन के कठोर यथार्थों से अपरिचित है।
प्रश्न 11.
फागुन में पक्षियों का व्यवहार कैसा होता है? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर लिखिए। (2)
उत्तर :
फागुन का मादक वातावरण पक्षियों को भी मस्त बना देता है। वासंती मस्ती से उड़ान भरते पक्षियों के कारण सारा आकाश पंखमय हो जाता है। पक्षी आनन्दित व प्रफुल्लित हो जाते है। वे अठखेलियाँ करते हुए डाल से डाल पर, वाटिका से वाटिका में, एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़ान भरते रहते हैं।
प्रश्न 12.
‘माता का अँचल’ पाठ से बाल-स्वभाव की किस विशेषता का पता चलता है ? (2)
उत्तर :
बच्चे स्वभाव से मस्त और निर्मल मन वाले होते हैं। उनका रोष और प्रसन्नता स्थायी नहीं होती। इच्छा के विरुद्ध काम होने पर वे रोने लगते हैं तो मनचाहा होने पर तुरंत हँसने लगते हैं। वे बड़े कल्पनाशील और बड़ों की नकल में प्रवीण होते हैं। वे अपनी मस्ती और खेल-कूद में किसी प्रकार की बाधा पसंद नहीं करते।
प्रश्न 13.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए ? (2)
उत्तर :
मूर्तिकार ने पत्थर की खोज में सारे भारत के पर्वतों और पत्थर की खानों का दौरा किया। स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों की मूर्तियों की नाकों की नाप-जोख की लेकिन सभी नाकें जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी निकली। अंत में किसी जीवित भारतीय की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति में लगा दी।
प्रश्न 14.
“दनादन फोटो खिंचवाने की बजाय मैं उस सारे परिदृश्य को अपने भीतर लगातार खींच रही थीं” ‘कटाओ’ के प्राकृतिक सौंदर्य से लेखिका किस प्रकार प्रभावित थी ?
उत्तर :
‘कटाओ’ अत्यन्त सुरम्य स्थल है। लेखिका के साथी उस दृश्य के लगातार फोटो खींच रहे थे। परन्तु लेखिका उस सौंदर्य को अपने अन्दर आत्मसात कर रही थी। उसे सम्पूर्णता का अनुभव हो रहा था और ये हिमशिखर उसे उसके आध्यात्मिक अतीत से जोड़ रहे थे। वह सोच रही थी कि हिमालय के दिव्य सौन्दर्य ने ही ऋषि-मुनियों को वेदों की रचना करने की प्रेरणा दी होगी।
प्रश्न 15.
‘मन्नू भंडारी’ का जीवन व कृतित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘यशपाल’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मॉडल 1 व 3 के प्रश्न 15 का उत्तर देखें।
प्रश्न 16.
‘ऋतुराज’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘गिरिजा कुमार माथुर’ का जीवन व कृतित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मॉडल 3 व 1 के प्रश्न 16 का उत्तर देखें।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
निम्नांकित पठित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)
बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम कर देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है। दुःखी हो गए। पंद्रह दिन बाद फिर उसी कस्बे से गुजरे। कस्बे में घुसने से पहले ही खयाल आया कि कस्बे की हृदयस्थली में सुभाष की प्रतिमा अवश्य ही प्रतिष्ठापित होगी, लेकिन सुभाष की आँखों पर चश्मा नहीं होगा। …… क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया। ……. और कैप्टन मर गया। सोचा, आज वहाँ रुकेंगे नहीं, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं, सीधे निकल जाएँगे। ड्राइवर से कह दिया, चौराहे पर रुकना नहीं, आज बहुत काम है, पान आगे कहीं खा लेंगे।
अथवा
आसमान बादल से घिरा: धूप का नाम नहीं। ठंडी पुरवाई चल रही। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है-यह कौन है ! यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अंगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर ! बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करनेवालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं ! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू !
उत्तर :
संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-2 में संकलित ‘नेताजी का चश्मा’ नामक पाठ से उद्धृत है। इसके लेखक ‘श्री स्वयं प्रकाश’ हैं। यहाँ हालदार की वेदना प्रकट हुई है।
व्याख्या-हालदार साहब जीप में बैठ कर चले तो सोचते जा रहे थे कि जिस देश के लोग, देश के लिए अपना घर-बार छोड़कर, अपनी जवानी और जिंदगी तक को दाँव पर लगा कर, अपना सर्वस्व बलिदान कर देने वाले देशभक्तों का मजाक बनाते हैं। हालदार साहब यह सोच-सोच कर बड़े दुखी थे। कुछ दिनों के बाद उन्हें फिर कस्बे से जाना था। कस्बे में प्रवेश करने के साथ ही उन्होंने निश्चय किया कि वह उस स्थान पर नहीं रुकेंगे और पान भी नहीं खाएँगे।
यहाँ तक कि नेताजी की मूर्ति की ओर देखेंगे भी नहीं क्योंकि चश्मे से रहित नेताजी की मूर्ति को देखने का साहस उनमें नहीं रहा था। अब उस मूर्ति पर कभी चश्मा नहीं लगने वाला था। मास्टर मोतीलाल तो चश्मा लगाना भूल गए थे और नेताजी का परमभक्त चश्मे वाला परलोक जा चुका था।
हालदार साहब ने निश्चय कर लिया था कि वह नेताजी की मूर्ति की ओर देखेंगे भी नहीं। उन्होंने अपनी जीप के ड्राइवर से भी कह दिया कि वह चौराहे पर न रुके क्योंकि उन्हें अनेक काम निपटाने थे।
प्रश्न 18.
निम्नांकित पठित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)
छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ ? क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ ? सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा ? अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।
अथवा
धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य ! चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य ! इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क देखते तुम इधर कनखी मार और होती जब कि आँखें चार तब तुम्हारी दंतुरित मुसकान मुझे लगती बड़ी ही छविमान !
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित, कवि नागार्जुन की कविता ‘यह दंतुरित मुसकान’ से लिया गया है। कवि यहाँ माँ और शिशु दोनों को ही धन्य मान रहा है।
व्याख्या- कवि शिशु को संबोधित करता हुआ कह रहा है कि शिशु और उसकी माँ दोनों ही धन्य हैं। शिशु अपनी बाल-चेष्टाओं और मोहक छवि के कारण धन्य है और माँ उसको जन्म देने और वात्सल्यपूर्ण लालन-पालन करने के कारण। कवि स्वयं को पराया और एक मेहमान जैसा अनुभव करता है।
बच्चा उसे कैसे पहचान पाता, क्योंकि वह उसके संपर्क में ही नहीं रहा। शिशु ने तो आज तक मधुर वात्सल्य बरसाने वाली माँ को ही जाना है। कवि शिशु से कहता है- तुम मुझे कनखियों से देखकर मुँह फेर लेते हो किन्तु जब मेरी और तुम्हारी आँखें परस्पर मिलती हैं तो मुझे तुम्हारी यह नन्हें दाँतों वाली मुसकान बड़ी सुन्दर लगती है।
प्रश्न 19.
गर्मियों की उमस भरी शाम को भी बालगोबिन भगत किस प्रकार शीतल और मनमोहक बना देते थे? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
अथवा
“लखनवी अंदाज’ पाठ का यह शीर्षक क्यों दिया गया?
उत्तर :
बालगोबिन एक सीधे सच्चे साधु-स्वभाव वाले व्यक्ति थे। उनका जीवन प्रभु को समर्पित था। वह लोगों पर प्रभाव जमाने या प्रशंसा पाने के लिए नहीं गाते थे। उनका संगीत तो उनकी ईश्वर-आराधना का एक अंग था। वह प्रभु के प्रेम में मस्त होकर, भक्ति-भाव से प्रेरित होकर गाते थे। इसीलिए वह अपने गायन के लिए प्रायः एकांत स्थान चुनते थे। गर्मी की उमस-भरी शाम को भगत अपने घर के आँगन में आसन लगा लेते।
उनके कुछ प्रेमी लोग भी इकट्ठे हो जाते। ये सभी बालगोबिन द्वारा गाई गई पंक्तियों को दुहराते थे। धीरे-धीरे स्वर ऊँचा होता जाता। तन-मन एक हो उठते और तभी भावावेश में भगत उठकर नाचने लगते। बाकी लोग भी उनके चारों ओर नाचने लगते थे।
प्रश्न 20.
‘ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी’ गोपियों द्वारा उद्धव को बड़भागी कहने का आशय क्या है ? इस पद द्वारा सूरदास क्या संदेश देना चाहते हैं ? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
अथवा
कवि निराला ने बादलों को बाल कल्पना के से पाले क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए। (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
उत्तर :
इस पद में गोपियों ने उद्धव को बड़भागी कहकर उन पर व्यंग्य किया है। ज्ञानी और योगी उद्धव प्रेम का क ख ग भी नहीं जानते। उनकी दृष्टि में प्रेम केवल एक मोह और मन की दुर्बलता है। वह प्रेम के अलौकिक आनंद से वंचित हैं। यह उनका दुर्भाग्य है। गोपियाँ उद्धव से कहती हैं कि प्रेम रूपी नदी में स्नान करना तो दूर आपने तो उसमें कभी पैर तक नहीं डुबोया। आपकी दृष्टि कभी किसी के रूप पर मुग्ध नहीं हुई।
ये तो हम ही भोली-भाली नारियाँ हैं जो श्रीकृष्ण के प्रेम-जाल में उसी प्रकार फैंसी पड़ी हैं जैसे मिठास की लोभी चींटियाँ गुड़ से चिपकी रह जाती हैं।” गोपियों द्वारा उन्हें बड़भागी कहे जाने का वास्तविक आशय उनको अभागा सिद्ध करना है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर 300-350 शब्दों में सारगर्भित निबन्ध लिखिए।
(अ) राष्ट्रीय सुरक्षा और विज्ञान
(i) प्रस्तावना
(ii) आग्नेय अस्त्रों का प्रयोग
(iii) राष्ट्रीय सुरक्षा में विज्ञान
(iv) राष्ट्र रक्षा और सेना
(v) उपसंहार
(ब) बेरोजगारी : समस्या और समाधान
(i) रोजगार की अनिवार्य आवश्यकता
(ii) बेरोजगारी बढ़ने के कारण
(iii) बेरोजगारी बढ़ने के दुष्परिणाम
(iv) बेरोजगारी दूर करने के उपाय
(v) उपसंहार
(स) विद्यार्थी और अनुशासन
(i) अनुशासन का अर्थ और महत्त्व
(ii) विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की आवश्यकता
(iii) विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति
(iv) उपसंहार
(द) मरुभूमि की जीवन धन : जल
(i) प्रस्तावना
(ii) जल-संकट के कारण
(iii) निवारण हेतु उपाय
(iv) उपसंहार
उत्तर :
(स) विद्यार्थी और अनुशासन :
(i) अनुशासन का अर्थ और महत्त्व – जिस जीवन में कोई नियम या व्यवस्था नहीं, जिसकी कोई आस्था और आदर्श नहीं, वह मानव जीवन नहीं पशु जीवन ही हो सकता है। ऊपर से स्थापित नियंत्रण या शासन सभी को अखरता है। इसीलिए अपने शासन में रहना सबसे सुखदायी होता है। बिना किसी भय या लोभ के नियमों का पालन करना ही अनुशासन है। विद्यालयों में तो अनुशासन में रहना और भी आवश्यक हो जाता है।
(ii) विद्यार्थी-जीवन में अनुशासन की आवश्यकता- वैसे तो जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन आवश्यक है किन्तु जहाँ राष्ट्र की भावी पीढ़ियाँ ढलती हैं उस विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है किन्तु आज विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति अत्यन्त शोचनीय है। अनुशासन में रहना आज के विद्यार्थियों को शायद अपनी शान के खिलाफ लगता है। अध्ययन के बजाय अन्य बातों में छात्रों की रुचि अधिक देखने में आती है।
छात्रों में बढ़ती अनुशासनहीनता न केवल इनके भविष्य को अंधकारमय बना रही है बल्कि देश की भावी तस्वीर को भी बिगाड़ रही है। आज चुनौती और प्रतियोगिता का जमाना है। हर संस्था और कम्पनी श्रेष्ठ युवकों की तलाश में है। इस स्थिति में नकल से उत्तीर्ण और अनुशासनहीन छात्र कहाँ ठहर पायेंगे ? आदमी की शान अनुशासन तोड़ने में नहीं उसका स्वाभिमान के साथ पालन करने में है। विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण में अनुशासन का प्रभाव स्पष्ट है। अनुशासित विद्यार्थी ही भविष्य में उत्तम नागरिक बन सकता है।
(iii) विद्यालयों में अनुशासन की स्थिति विद्यालयों में बढ़ती अनुशासनहीनता के पीछे मात्र छात्रों की उद्दण्डता ही कारण नहीं है सामाजिक परिस्थितियाँ और बदलती जीवन-शैली भी इसके लिए जिम्मेदार है। टीवी ने छात्र को समय से पूर्व ही युवा बनाना प्रारम्भ कर दिया है। उसे फैशन और आडम्बरों में उलझाकर उसका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। बेरोजगारी, उचित मार्गदर्शन न मिलना तथा अभिभावकों का जिम्मेदारी से आँखा चुराना भी अनुशासनहीनता के कारण हैं।
(iv) उपसंहार-आज का विद्यार्थी आँख बंद करके आदेशों का पालन करने वाला नहीं है। उसकी आँखें और कान, दोनों खुले हैं। समाज में जो कुछ घटित होगा वह छात्र के जीवन में भी प्रतिबिम्बित होगा। यदि समाज अपने आपको सँभाले तो छात्र स्वयं सँभल जायेगा। समाज के हर वर्ग को अनुशासन का पालन करना होगा तभी छात्रों से अनुशासित होने की अपेक्षा की जा सकती है।
प्रश्न 22.
आपके मोहल्ले में आए दिन चोरियाँ हो रही हैं। उनकी रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को गश्त बढ़ाने हेतु पत्र लिखिए।
अथवा
आपके पिताजी के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर आपके मित्र संभव ने आपकी बहुत सहायता की तथा आपको स्थिति का सामना करने का हौसला दिया, उसे धन्यवाद देते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
नागौर
दिनांक : 14 मार्च, 20_ _
सेवा में,
श्रीमान थानाध्यक्ष महोदय,
सिविल लाइंस,
नागौर।
विषय : मोहल्ले में अपराधों की रोकथाम हेतु।
महोदय,
मुझे बहुत ही खेद के साथ लिखने के लिए विवश होना पड़ रहा है कि पिछले एक माह से हमारे क्षेत्र में अपराधों की संख्या में एकाएक तेजी आ गई है। चोरी की घटनाएँ अत्यधिक बढ़ गई हैं, हर दिन कार, स्कूटर चोरी हो रहे हैं। हमारे क्षेत्र के कई घरों में चोरी की घटनाएँ हो चुकी हैं। दिन-दहाड़े चलते हुए राहगीरों को लूटा जा रहा है तथा विरोध करने पर गोली तक मार दी जाती है।
पिछले ही सप्ताह एक 65 वर्ष के बुजुर्ग से उनकी पेंशन के आठ हजार रुपये लूटकर उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया गया। महिलाओं के गले से चेन खींचने और पर्स आदि छीनकर भागने की घटनाएँ तो आम हो गई हैं। इन सबसे हमारे क्षेत्र में बुरी तरह भय व्याप्त हो गया है। आपसे विनम्र निवेदन है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए मोहल्ले की निवासियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा का प्रबंध करें और इस क्षेत्र में पुलिस की गश्त बढ़वाने की कृपा करें, ताकि बढ़ते हुए अपराधों पर रोग लगाई जा सके।
धन्यवाद सहित।
प्रार्थी
क, ख, ग
प्रश्न 23.
आपके शहर में एक नया वाटर पार्क खुला है जिसमें पानी के खेल, रोमांचक झूलों, मनोरंजक खेलों और खानपान की व्यवस्था है। इसके लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
आपके पिताजी अपनी पुरानी कार बेचना चाहते हैं। इसके लिए पूरा विवरण देते हुए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर :
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