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RBSE 10th Hindi Model Paper Set 5 with Answers

March 24, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 10th Hindi Model Papers Set 5 with Answers provided here.

RBSE Class 10 Hindi Model Paper Set 5 with Answers

पूर्णाक : 80
समय : 2 घण्टा 45 मिनट

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
  • प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
  • प्रश्नों का अंकभार निम्नानुसार है –
खण्ड प्रश्नों की संख्या अंक प्रत्येक प्रश्न कुल अंक भार
खण्ड-अ 1 (1 से 12), 2 (1 से 6),3 (1 से 12) 1 30
खण्ड-ब 4 से 16 = 13 2 26
खण्ड-स 17 से 2014 3 12
खण्ड-द 21 से 23 = 3 4 12

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खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए : (5 x 1 = 5)

साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिन्ता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है।

अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना, यह साधारण जीव का काम है। क्रान्ति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं। साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है जिन सपनों का कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है।

1. लेखक के अनुसार किस प्रकार की जिन्दगी सबसे बड़ी जिन्दगी कही जाती है ?
(अ) समझौतावादी जिन्दगी
(ब) साहस की जिन्दगी
(स) सादगीपूर्ण जिन्दगी
(द) अवसरवादी जिन्दगी।
उत्तर :
(स) सादगीपूर्ण जिन्दगी

2. साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह
(अ) सदा आगे बढ़ता जाता है।
(ब) लोगों की सोच की परवाह नहीं करता
(स) बिल्कुल लापरवाही नहीं करता
(द) बाधाओं से नहीं घबराता।
उत्तर :
(ब) लोगों की सोच की परवाह नहीं करता

3. दुनिया की असली ताकत किस प्रकार के लोग होते हैं ?
(अ) लोगों की उपेक्षा करके जीने वाले
(ब) सब लोगों की सलाह मानने वाले
(स) पृथकता को महत्त्व देने वाले
(द) पड़ोसी की बात सिर झुकाकर मानने वाले।
उत्तर :
(अ) लोगों की उपेक्षा करके जीने वाले

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4. निडर तथा बेखौफ जिन्दगी होती है
(अ) मनुष्य की
(ब) साहस की
(स) देवता की
(द) खतरों की
उत्तर :
(ब) साहस की

5. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक छाँटिए—
(अ) जिन्दगी
(ब) मनुष्यता
(स) साहस की जिन्दगी
(iv) साहसी।
उत्तर :
(स) साहस की जिन्दगी

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए :

शांति नहीं तब-तक, जब तक, सुख भाग न नर का सम हो,
नहीं किसी को बहुत अधिक हो, नहीं किसी को कम हो।
ऐसी शांति राज्य करती है, तन पर नहीं हृदय पर,
नर के ऊँचे विश्वासों पर, श्रद्धा, भक्ति प्रणय पर।
न्याय शांति का प्रथम न्यास है, जब तक न्याय न आता,
जैसा भी हो महल शांति का सुदृढ़ नहीं रह पाता।
कृत्रिम शांति सशंक आप, अपने से ही डरती है,
खड्ग छोड़ विश्वास किसी का, कभी नहीं करती है।
और जिन्हें इन शान्ति व्यवस्था, में सुख-भाग सुलभ है,
उनके लिये शांति ही जीवन-सार, सिद्धि दुर्लभ है।
पर, जिनकी अस्थियाँ चबाकर, शोणित पीकर तन का,
जीती है यह शांति, दाह समझो कुछ उनके मन का।
स्वत्व माँगने से न मिलें, तो लड़ के,
तेजस्वी छीनते समर को जीत, या कि खुद मर के।
किसने कहा, पाप है समुचित, स्वत्व-प्राप्ति-हित लड़ना?
उठा न्याय का खड्ग समर में, अभय मारना-मरना ?
क्षमा, दया, तप, तेज, मनोबल, की दे वृथा दुहाई, धर्मराज,
व्यंजित करते तुम, मानव की कदराई,
हिंसा का आघात तपस्या ने, कब कहाँ सहा है ?
देवों का दल सदा दानवों, से हारता रहा है।

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6. मनुष्य को स्थाई शान्ति कब प्राप्त होती है ?
(अ) प्रत्येक के भाग का असमान वितरण हो
(ब) मनुष्य ताकत के बल से शान्ति प्राप्त करता है
(स) सिद्धियाँ प्राप्त होने के बाद
(द) प्रत्येक मनुष्य की सुख-सुविधाओं का न्यायपूर्ण वितरण हो।
उत्तर :
(द) प्रत्येक मनुष्य की सुख-सुविधाओं का न्यायपूर्ण वितरण हो।

7. “स्वत्व माँगने से न मिलें, तो लड़ के” पंक्ति का आशय है
(अ) अधिकार लड़कर नहीं शान्ति से प्राप्त करें
(ब) अपने अधिकार माँगकर नहीं मिलते हैं
(स) माँगने से अधिकार न मिले तो वीर पुरुष लड़कर प्राप्त करते हैं
(द) लड़कर अपने अधिकार प्राप्त करें।
उत्तर :
(स) माँगने से अधिकार न मिले तो वीर पुरुष लड़कर प्राप्त करते हैं

8. अपना अधिकार पाने के लिए युद्ध करना कवि के अनुसार–
(अ) पाप है
(ब) पुण्य है।
(स) वीरोचित है
(द) पाप नहीं।
उत्तर :
(द) पाप नहीं।

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9. “नहीं किसी को कम हो” क्या कम नहीं होना चाहिए :
(अ) सुख भाग
(ब) दुख भाग
(स) धन भाग
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(अ) सुख भाग

10. पद्यांश का उचित शीर्षक है
(अ) स्वत्व की लड़ाई
(ब) हिंसा का आघात
(स) स्थाई शान्ति का आधार
(द) न्याय का खड्ग।
उत्तर :
(स) स्थाई शान्ति का आधार

11. ‘जार्ज पंचम की नाक’ रचना के रचनाकार हैं
(अ) मधु कांकरिया
(ब) कमलेश्वर
(स) शिवपूजन सहाय
(द) अज्ञेय
उत्तर :
(ब) कमलेश्वर

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12. ‘बुढ़वा बेईमान माँगे करेला का चोखा’ कहकर बच्चों ने किसको चिढ़ाया था?
(अ) बूढ़े दूल्हे को
(ब) स्कूल के हेडमास्टर को
(स) मूसन तिवारी को
(द) मुखिया जी को
उत्तर :
(स) मूसन तिवारी को

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए

1. गुण, दशा, व्यापार और भावों को प्रकट करने वाले शब्दों को ………………………… संज्ञा कहते हैं।
2. किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध कराने वाले सर्वनाम ………………………… सर्वनाम कहलाते हैं।
3. जो सर्वनाम शब्द संज्ञा के पहले प्रयुक्त होकर संज्ञा की विशेषता बताते हैं, वे ………………………… कहते हैं। 1
4. वाक्य में प्रयुक्त जिस क्रिया का कर्म नहीं होता, उसे ………………………… क्रिया कहते हैं।
5. वे उपसर्ग जो संस्कृत से लिए गए हैं ………………………… उपसर्ग कहलाते हैं।
6. वे शब्दांश जो किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में कुछ परिवर्तन कर देते हैं या अर्थ को बदल देते हैं ………………………… कहलाते हैं।
उत्तर :
1. भाववाचक,
2. निश्चयवाचक/संकेतवाचक,
3. सार्वनामिक विशेषण,
4. अकर्मक,
5. तत्सम,
6. प्रत्यय।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए उत्तर सीमा लगभग 20 शब्द है। (6 x 1 = 6)

1. दीर्घ सन्धि की परिभाषा उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर :
जब किसी ह्रस्व अथवा दीर्घ स्वर के आगे कोई ह्रस्व अथवा दीर्घ समान स्वर आता है तो उनका दीर्घ हो जाता है। जैसे – हिम + आलय = हिमालय।

2. द्वन्द्व समास को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर :
परिभाषा-जिस समस्त पद में दोनों पदों की प्रधानता हो, तो वहाँ द्वन्द्व समास होता है। जैसे- भाई-बहिन, माता-पिता, रात-दिन आदि।

3. ‘दाँत से कौड़ी पकड़ना’ मुहावरे का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
अर्थ-बहुत कंजूस होना।

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4. ‘ऊँची दुकान फीके पकवान’ लोकोक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अर्थ-दिखावा अधिक वास्तविकता कम।

5. मूर्ति पर चश्मा न लगा होने के बारे में हालदार साहब ने क्या कल्पना की ?
उत्तर :
हालदार साहब ने कल्पना की है कि पारदर्शी काँच का चश्मा पत्थर से बनाना संभव नहीं था। मूर्तिकार ने पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा।

6. मन्नू भंडारी का जन्म कहाँ हुआ था ? उनको अपने बचपन की याद कब से है ?
उत्तर :
मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में हुआ था, लेकिन उनके बचपन की यादें अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले के दो-मंजिला मकान से शुरू होती हैं।

7. ‘मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी’-का निहितार्थ क्या है ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ गंगा मैया, बाबा विश्वनाथ, बालाजी मंदिर से दूर होने की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। इसी कारण उन्हें काशी छोड़कर कहीं और जाना स्वीकार नहीं था।

8. गोपियों ने स्वयं को ‘अबला’ और ‘भोली’ बताकर उद्धव पर क्या क
उत्तर :
गोपियाँ स्वयं को ‘अबला’ और ‘भोली’ कहकर उद्धव के ज्ञान-अभिमान पर व्यंग्य प्रहार कर रही हैं। सरल हृदय व्यक्ति ही श्रीकृष्ण के प्रेम का पात्र हो सकता है।

9. “ऐहि धनु पर ममता केहि हेतू” लक्ष्मण के यह पूछने पर परशुराम को क्रोध क्यों आया?
उत्तर :
परशुराम के क्रोध का कारण यह था कि लक्ष्मण साधारण धनुषियों से उनके गुरु शिव के धनुष की तुलना कर रहे थे।

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10. कवि ने बादल को ‘नव जीवन’ वाले क्यों कहा है ?
उत्तर :
कवि कविता द्वारा लोगों को नवीन जीवन की प्रेरणा देता है। बादल भी वर्षा कर पौधों को नई जिन्दगी देता है।

11. लेखक के पिता उसे भोलानाथ’ कहकर क्यों पुकारते थे ?
उत्तर :
सिर पर लम्बी जटाओं जैसे बाल और मस्तक पर त्रिपुंड लग जाने से उसका रूप भगवान शंकर जैसा लगता था। इसीलिए उसके पिता उसे ‘भोलानाथ’ कहकर पुकारते थे।

12. लेखिका मधु कांकरिया को कंचनजंघा के दर्शन क्यों नहीं हो सके ?
उत्तर :
सुबह आँख खुलते ही लेखिका बालकनी की ओर भागी। परन्तु बादल होने के कारण लेखिका को कंचनजंघा दिखाई नहीं दी।

खण्ड – (ब)

निर्देश-प्रश्न सं. 04 से 16 तक के लिए प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम उत्तर सीमा 40 शब्द है।

प्रश्न 4.
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर :
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के प्रति चश्मे वाले का अत्यन्त सम्मान-भाव देखकर लोगों ने आदर या व्यंग्य से उसे कैप्टन कहना शुरू कर दिया होगा। आज़ाद हिन्द फौज में रहे अनेक सेनानी कैप्टन कहकर पुकारे जाते थे, यथा कैप्टन ढिल्लन, कैप्टन लक्ष्मी, कैप्टन शाहनबाज आदि, इसी ढर्रे पर लोगों ने चश्मेवाले को भी विनोदवश कैप्टन उपनाम दे दिया होगा।

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प्रश्न 5.
बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी ?
उत्तर :
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करने, खेतों में काम करने, परिवार का पालन करने, अपने मंदबुद्धि कमजोर पुत्र का विशेष ख्याल रखने आदि के कार्य वह लगनपूर्वक किन्तु तटस्थ भाव से करते थे। उनकी दिनचर्या में कोई व्यवधान नहीं होता था। उनकी दिनचर्या इसी कारण लोगों को अचरज में डाल देती थी।

प्रश्न 6.
बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है ? यशपाल के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
उत्तर :
यशपाल स्वयं एक कहानीकार हैं। वह कहानी की रचना के शिल्प और प्रक्रिया से भली-भाँति परिचित हैं। हम उनके इस विचार से सर्वथा सहमत हैं कि बिना विचार, घटना और पात्रों के कहानी की रचना संभव नहीं। अतः विचार, घटना और पात्र-रहित रचना को लीक से हटकर कुछ लिखने का कौतुक ही कहा जा सकता है, उसे कहानी नहीं कहा जा सकता।

प्रश्न 7.
काशी में हो रहे कौन-से परिर्वतन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे ?
उत्तर :
खाँ साहब देख रहे थे कि बाजार से मलाई बरफ बेचने वाले गायब हो गए। देशी घी से बनी कचौड़ी-जलेबी में पहले वाला स्वाद नहीं रहा। गायक लोग संगत करने वालों का उचित सम्मान नहीं करते। घंटों रियाज़ करने वाले संगीतकारों की पछ नहीं रही और काशी से संगीत, साहित्य और अदब की अनेक भव्य परंपराएँ भी लुप्त हो गईं। इन्हीं परिवर्तनों को देखकर उनके मन को व्यथा होती थी।

प्रश्न 8.
गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
संकलित पदों में गोपियों के उद्धव के साथ जो संवाद प्रस्तुत हुए हैं उनसे गोपियों के वाक्चातुर्य, विदग्धता और प्रगल्भता में कोई संदेह नहीं रह जाता। उद्धव गोपियों के आरोपों, व्यंग्यों और कटाक्षों का प्रतिरोध करते या तर्क देते नहीं दिखाई देते हैं। उनके पास गोपियों के तर्कों और शंकाओं का कोई समाधान नहीं है। उद्धव ज्ञानी हैं, योगी हैं, लेकिन गोपियों के तर्क और मार्मिकता से पूर्ण संवाद उनको निरुत्तर कर देते हैं।

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प्रश्न 9.
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए ?
उत्तर :
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के कारण बताते हुए निम्नलिखित तर्क दिएलक्ष्मण ने कहा कि धनुष बहुत पुराना था, वह तो राम के छूते ही टूट गया। इसमें राम का कोई दोष नहीं है। वैसे भी एक पुराने और अनुपयोगी धनुष को तोड़ने से हमें क्या लाभ हो सकता है और आपकी क्या हानि हो गई ? राम ने तो धनुष को नया जानकर परखा था। उनका धनुष तोड़ने का कोई विचार नहीं था।

प्रश्न 10.
माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी’ क्यों लग रही थी ? (2)
उत्तर :
माँ परिवार में बेटी के साथ अपना सुख-दुख, अपनी मनोभावनाएँ जितनी सहजता, गोपनीयता और विश्वसनीयता से साझा कर पाती है उतना किसी अन्य सदस्य के साथ नहीं। यही कारण था कि माँ बेटी से बिछुड़ने के कष्ट को सहन नहीं कर पा रही थी। उसे लग रहा था कि बेटी के जाने के बाद उसके जीवन में शून्यता आ जाएगी। बेटी उसकी अंतिम पूँजी थी जो उससे छिनने जा रही थी।

प्रश्न 11.
“तप्त धरा, जल से फिर शीतल कर दो- बादल गरजो।” इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
उत्तर :
वर्षा ऋतु आने पर बादल अपने शीतल जल से धरती का ताप शान्त करता है। इसलिए कवि ने बादल से ‘तप्त धरा’ को शीतल करने की बात कही है। इसके अतिरिक्त ‘तप्त धरा’ से कवि का आशय नाना प्रकार के कष्टों से दुःखी जनता भी है। बादल में नवजीवन प्रदान करने की क्षमता है। अतः कवि ने बादल से जगत के दुःखी प्राणियों को नव-जीवन से भरने का भी अनुरोध किया है।

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प्रश्न 12.
‘माता का अँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
उत्तर :
रचना के शीर्षक का संबंध उसकी मुख्य घटना या उसके संदेश से हुआ करता है। पिता से अत्यन्त लगाव होने पर भी बच्चे को माँ की गोद ही सबसे सुरक्षित और शांतिदायक स्थान लगती है। पिता पुकारते रह जाते हैं और बच्चा भागता हुआ माँ के अंचल में जा छिपता है। यही इस पाठ की प्रमुख घटना है और इसी में पाठ का संदेश भी निहित है। अतः यह शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है। अन्य शीर्षक ‘मेरा बचपन’ हो सकता है।

प्रश्न 13.
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है ?
उत्तर :
‘नाक’ का अर्थ सम्मान और प्रतिष्ठा है। यह बताते हुए लेखक ने संकेत किया है कि स्वतंत्रता और आत्म-सम्मान के लिए त्याग और बलिदान करने वाले भारतीय नेताओं और बच्चों का सम्मान और प्रतिष्ठा जॉर्ज पंचम जैसे गुलामी और दमन के प्रतीक से कहीं ज्यादा है। उनकी नाकें जॉर्ज की नाक से बड़ी हैं अर्थात् वे अधिक सम्मानीय हैं। लेखक का संकेत इसी ओर है।

प्रश्न 14.
गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ क्यों कहा गया ?
उत्तर :
सिक्किम एक पहाड़ी प्रदेश है। गंतोक वहाँ की राजधानी है। वहाँ के निवासियों को जीवन-यापन के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता है, फिर भी अपनी परिस्थितियों से उन्हें कोई शिकायत नहीं होती। सारी असुविधाओं के बीच भी वे अपना जीवन एक शाही अंदाज में बिताते हैं। उनके चेहरों पर कहीं से भी दीनता या हीनता नहीं झलकती। इसी कारण लेखिका ने गंतोक को ‘मेहनतकश बादशाहों का शहर’ कहा है।

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प्रश्न 15.
‘यतीन्द्र मिश्र’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘मन्नू भंडारी’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मॉडल 4 व 1 के प्रश्न 15 का उत्तर देखें।

प्रश्न 16.
‘नागार्जुन’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
तुलसीदास’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1532 में बाँदा (उ.प्र.) जिले के राजापुर गाँव में हुआ था। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान- एटा (उ.प्र.) जिले के सोरों नामक स्थान को भी मानते हैं। इनकी माता का नाम हलसी तथा पिता का नाम आत्माराम दुबे था। बाल्यकाल में ही माता-पिता का निधन होते ही ये अनाथ हो गए। नरहरिदास ने इनको रामभक्ति में प्रेरित किया।

संसार को रामचरितमानस जैसा अमूल्य साहित्य रत्न प्रदान करने वाले इस महाकवि का देहावसान सन् 1623 में काशी में हो गया था। प्रमुख-रचनाएँ-रामचरितमानस, कवितावली, गीतावली, दोहावली, कृष्ण गीतावली तथा विनयपत्रिका आदि। रामचरितमानस कवि की अनन्य रामभक्ति तथा सृजनात्मक कौशल का अनुपम उदाहरण है।

खण्ड – (स)

प्रश्न 17.
निम्नांकित पठित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)

काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, विद्याधरी हैं, बड़े रामदास जी हैं, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होने वाला अपार जन-समूह है। यह एक अलग काशी है, जिसकी अलग तहज़ीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं, अपना गम। अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा।

अथवा एक बार कॉलिज से प्रिंसिपल का पत्र आया कि पिताजी आकर मिलें और बताएँ कि मेरी गतिविधियों के कारण मेरे खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए ? पत्र पढ़ते ही पिताजी आग-बबला। “यह लड़की मझे कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रखेगी… पता नहीं क्या-क्या सुनना पड़ेगा वहाँ जाकर ! चार बच्चे पहले भी पढ़े, किसी ने ये दिन नहीं दिखाया।” गुस्से से भन्नाते हुए ही वे गए थे। लौटकर क्या कहर बरपा होगा, इसका अनुमान था, सो मैं पड़ोस की एक मित्र के यहाँ जाकर बैठ गई।
उत्तर :
संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्य पुस्तक ‘क्षितिज भाग-2’ में संकलित यतीन्द्र मिश्र लिखित पाठ ‘नौबतखाने में इबादत’ से लिया गया है। इस अंश में लेखक काशी के सांस्कृतिक महत्व का परिचय करा रहा है।

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व्याख्या-काशी को भारतीय संस्कृतियों का संग्रहालय कहा जा सकता है। शास्त्रों में काशी की ‘आनन्द कानन’ अर्थात आनन्द प्रदान करने वाला वन कहा गया है। काशी में कलाधर हनुमान और नृत्य विश्वनाथ जैसे दर्शनीय मंदिर हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ जैसे महान संगीतज्ञ हुए हैं। काशी नगरी का भारत के हजारों वर्ष प्राचीन ग्रन्थों में वर्णन मिलता है।

काशी के महत्व को दर्शाने वाली विभूतियों में कंठे महाराज, विद्याधरी, बड़े रामदास और मौजुद्दीन जैसे कलामर्मज्ञ और रसिक लोग रहते आए हैं। इस काशी में निवास करने वालों की सभ्यता, शिष्टता और बोली सभी भिन्न हैं। इन लोगों के त्योहार, शोक प्रदर्शन के रूप तथा गाए जाने वाले लोकगीत भी अपनी विशेषताओं से युक्त हैं।

प्रश्न 18.
निम्नांकित पठित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)

तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार-बार मोहि लागि बोलावा।।
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालकु बधजोगू।।
बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा। अब येहु मरनिहार भा साँचा।।
कौसिक कहा छमिअ अपराधू। बाल दोष गुन गनहिं न साधू।।
खर कुठार मैं अकरुन कोही। आगे अपराधी गुरुद्रोही।।
उतर देत छोडौं बिन मारे। केवल कौसिक सील तुम्हारे।।
न त येहि काटि कुठार कठोरे। गुरहि उरिन होतेउँ श्रम थोरे।।
गाधिसूनु कह हृदय हसि, मुनिहि हरियरे सूझ।।
अयमय खाँड़ न ऊखमय, अजहुँ न बूझ अबूझ।।

अथवा

तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि-धूसर तुम्हारे ये गात
छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात
परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल ?
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित कवि नागार्जुन की रचना ‘यह दंतुरित मुसकान’ से लिया गया है। कवि ने यहाँ अपने शिशु पुत्र की मनोहर मुसकान का चित्रण किया है।

व्याख्या- कवि अपने शिशु पुत्र की नएनए दाँतों वाली मुसकान देखकर भाव-विभोर है। वह कहता है- हे शिशु! तुम्हारी यह नए दाँतों वाली मुसकान मुर्दो में भी जान डाल सकती है। तुम्हारे धूल से सने अंग देखकर लगता है मानो कमल तालाब को छोड़कर मेरी कुटिया में खिल गया है।

तुम्हारा स्पर्श इतना कोमल है कि कठोर पत्थरों को भी पिघलाकर पानी बना सकता है। तुम्हें छूते ही मुझे शेफाली के फूलों जैसी कोमलता का अनुभव हो रहा है। मैं तो बाँस और बबूल’ के समान नीरस और कँटीला व्यक्ति था। तुम्हारे जादू भरे स्पर्श ने मुझे फूलों जैसी मृदुता और सरसता से भर दिया।

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प्रश्न 19.
आपकी समझ में बालगोबिन भगत साधु थे या गृहस्थ। पाठ के आधार पर अपने मत को सिद्ध कीजिए। (3) (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द)
अथवा
‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा ? (3)
उत्तर :
लेखक इस कथन द्वारा बताना चाहता है कि एक साधु के जो लक्षण और गुण माने गए हैं वे सभी बालगोबिन में विद्यमान थे। सत्य भाषण, खरा व्यवहार, शांतिप्रियता, अपने इष्ट में दृढ़ आस्था, निराभिमानता आदि गुणों को धारण करने के कारण वह निश्चय ही साधु पुरुष थे। उनका गृहस्थ होना उनकी साधुता में कहीं बाधक दिखाई नहीं पड़ता। लेखक का तर्क यह है कि साधु होने में विशेष वेशभूषा धारण करना, घर-परिवार का त्याग करना कोई अनिवार्य नहीं है।

बालगोबिन के जीवन के आधार पर देखें तो एक कंबीरपंथी गृहस्थी में रहते हुए भी साधु-संत जैसा जीवन बिता सकता है। उसे साधु जैसी वेशभूषा पर जोर न देकर अपने आचरण में साधु के लक्षणों को उतारना चाहिए। सत्य भाषण, सादा जीवन, खरा व्यवहोर, साहब को सर्वस्व समर्पण, सब प्रकार के लोभ-मोह से दूर रहना, यह ही एक कबीरपंथी साधु की जीवन शैली होनी चाहिए।

प्रश्न 20.
गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं ? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (3)
अथवा
‘अट नहीं रही है’ कविता में चित्रित फाल्गुन के सौन्दर्य के विभिन्न चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए। (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (3)
उत्तर :
गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं:

  • गोपियों ने उद्धव से कहा कि उनकी प्रेम भावनाएँ मन की मन में ही दबकर रह गईं। श्रीकृष्ण के व्यवहार ने उनके सारे सपने चूर कर दिए।
  • गोपियाँ कहती हैं – अब तक हम श्रीकृष्ण द्वारा दी गई मथुरा से लौटने की अवधि पूरा होने पर उनके आगमन की आशा में वियोग की व्यथा सहन कर रही थीं किन्तु आपके इन योग-संदेशों ने तो हमारी विरहाग्नि को और दहका दिया है।
  • श्रीकृष्ण ने प्रजा की रक्षा का धर्म भुलाकर योग-संदेश की धारा बहाकर हमें कष्ट दिया है। आपने भी अपने मित्र को सही परामर्श नहीं दिया।
  • राज-धर्म तो यही है कि प्रजा को सताया न जाए। फिर आप अपने मित्र श्रीकृष्ण को क्यों नहीं बताते कि वह हम (गोपियों) को क्यों सता रहे हैं ?

खण्ड – (द)

प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर 300-350 शब्दों में सारगर्भित निबन्ध लिखिए।
(अ) स्वच्छ भारतः स्वस्थ भारत
(i) स्वच्छता क्या है?
(ii) स्वच्छता के प्रकार
(iii) स्वच्छता के लाभ
(iv) स्वच्छताः हमारा योगदान
(v) उपसंहार

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(ब) बालश्रम से जूझता बचपन
(i) बाल श्रमिक कौन
(ii) बाल श्रमिक की दिनचर्या
(iii) गृहस्वामियों व उद्यमियों द्वारा शोषण
(iv) सुधार हेतु सामाजिक एवं कानूनी प्रयास
(v) उपसंहार

(स) बढ़ती महँगाई : दुखद जीवन
(i) महँगाई का ताण्डव
(ii) महँगाई के कारण व प्रभाव
(iii) महँगाई रोकने के उपाय
(iv) उपसंहार

(द) बढ़ता भूमण्डलीय तापः संकट की पदचाप
(i) तापमान में वृद्धि के कारण
(ii) तापमान बढ़ने के दुष्परिणाम
(iii) नियंत्रण के उपाय
(iv) उपसंहार
उत्तर :
(अ) स्वच्छ भारतः स्वस्थ भारत

(i) स्वच्छता क्या है?- निरंतर प्रयोग में आने पर या वातावरण के प्रभाव से वस्तु या स्थान मलिन होता रहता है। धूल, पानी, धूप, कूड़ा-करकट की पर्त को साफ करना, धोना, मैल और गंदगी को हटाना ही स्वच्छता कही जाती है। अपने शरीर, वस्त्रों, घरों, गलियों, नालियों, यहाँ तक कि अपने मोहल्लों और नगरों को स्वच्छ रखना हम सभी का दायित्व है।

(ii) स्वच्छता के प्रकार- स्वच्छता को मोटे रूप में दो प्रकार से देखा जा सकता है- व्यक्तिगत स्वच्छता और सार्वजनिक स्वच्छता। व्यक्तिगत स्वच्छता में अपने शरीर को स्नान आदि से स्वच्छ बनाना, घरों में झाडू-पोंछा लगाना, स्नानगृह तथा शौचालय को विसंक्रामक पदार्थों द्वारा स्वच्छ रखना। घर और घर के सामने से बहने वाली नालियों की सफाई, ये सभी व्यक्तिगत स्वच्छता के अंतर्गत आते हैं। सार्वजनिक स्वच्छता में मोहल्ले और नगर की स्वच्छता आती है जो प्रायः नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों पर निर्भर रहती है। सार्वजनिक स्वच्छता भी व्यक्तिगत सहयोग के बिना पूर्ण नहीं हो सकती।

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(iii) स्वच्छता के लाभ- ‘कहा गया है कि स्वच्छता ईश्वर को भी प्रिय है।’ ईश्वर का कृपापात्र बनने की दृष्टि से ही नहीं अपितु अपने मानव जीवन को सुखी, सुरक्षित और तनावमुक्त बनाए रखने के लिए भी स्वच्छता आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है। मलिनता या गंदगी न केवल आँखों को बुरी लगती है, बल्कि इसका हमारे स्वास्थ्य से भी सीधा संबंध है। गंदगी रोगों को जन्म देती है। प्रदूषण की जननी है और हमारी असभ्यता की निशानी है।

अतः व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्वच्छता बनाए रखने में योगदान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। स्वच्छता के उपर्युक्त प्रत्यक्ष लाभों के अतिरिक्त इसके कुछ अप्रत्यक्ष और दूरगामी लाभ भी हैं। सार्वजनिक स्वच्छता से व्यक्ति और शासन दोनों लाभान्वित होते हैं। बीमारियों पर होने वाले खर्च में कमी आती है तथा स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय होने वाले सरकारी खर्च में भी कमी आती है। इस बचत को अन्य सेवाओं में उपयोग किया जा सकता है।

(iv) स्वच्छता : हमारा योगदान- स्वच्छता केवल प्रशासनिक उपायों के बलबूते नहीं चल सकती। इसमें प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी परम आवश्यक होती है। हम अनेक प्रकार से स्वच्छता से योगदान कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैंघर का कूड़ा-करकट गली या सड़क पर न फेंकें। उसे सफाईकर्मी के आने पर उसकी ठेल या वाहन में ही डालें। कूड़े-कचरे को `नालियों में न बहाएँ। इससे नालियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं।

गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है। पालीथिन का बिल्कुल प्रयोग न करें। यह गंदगी बढ़ाने वाली वस्तु तो है ही, पशुओं के लिए भी बहुत घातक है। घरों के शौचालयों की गंदगी नालियों में न बहाएँ। खुले में शौच न करें तथा बच्चों को नालियों या गलियों में शौच न कराएँ। नगर पालिका के सफाईकर्मियों का सहयोग करें।

(v) उपसंहार- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है। इसका प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से निरंतर किया जा रहा है। अनेक जन प्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी, सेलेब्रिटीज (प्रसिद्ध लोग) इसमें भाग ले रहे हैं। जनता को इसमें अपने स्तर से पूरा सहयोग देना चाहिए। इसके साथ गाँवों में खुले में शौच करने की प्रथा को समाप्त करने के लिए लोगों को घरों में शौचालय बनवाने के प्रेरित किया जा रहा है। उसके लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की जा रही है। इन अभियानों में समाज के प्रत्येक वर्ग को पूरा सहयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 22.
दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर अवकाश हेतु प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना पत्र लिखिए।
अथवा
जैसलमेर से आपके मित्र नरेन्द्र ने आपको अपनी बहन की शादी पर आमंत्रित किया है, आप परीक्षाओं में व्यस्त होने के कारण जाने में असमर्थ हैं। अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए नरेन्द्र को एक बधाई पत्र लिखें।
उत्तर :
धौलपुर
दिनांक : 16 मार्च 20–
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
सरोजिनी स्मृति विद्यालय,
धौलपुर।
विषय-अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।

महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में दसवीं ‘अ’ का विद्यार्थी हूँ। कल मैं घर के किसी काम से बाहर गया था। आते समय बस से गिर जाने के कारण मेरे पैर में काफी चोट लग गई और मैं चल पाने की स्थिति में नहीं था। पिताजी को सूचना मिली तो वे मुझे डॉक्टर को दिखाने ले गए। एक्सरे व अन्य जाँच करने पर डॉक्टर ने बताया कि मेरे पैर की हड्डी टूट चुकी है। इसका प्लास्टर करना पड़ेगा। डॉक्टर का कहना है कि यह प्लास्टर कम-से-कम तीन सप्ताह के बाद खुलेगा।

अतः आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय आने में मेरी असमर्थता को देखते हुए मुझे एक महीने का चिकित्सा हेतु अवकाश प्रदान किया जाए। इसके लिए मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा।

सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क, ख, ग
कक्षा-दसवीं ‘अ’

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प्रश्न 23.
किसी राज्य के पर्यटन विभाग की ओर से राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
सूती वस्त्र तैयार करने वाली कंपनी ‘क-ख-ग पैरहन’ की ओर से दी जा रही छूट का उल्लेख करते हुए एक विज्ञापन का आलेख 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर :
RBSE 10th Hindi Model Paper Set 5 with Answers 1

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