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RBSE Class 10 Hindi Model Paper Set 6 with Answers
पूर्णाक : 80
समय : 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- प्रश्नों का अंकभार निम्नानुसार है –
खण्ड | प्रश्नों की संख्या | अंक प्रत्येक प्रश्न | कुल अंक भार |
खण्ड-अ | 1 (1 से 12), 2 (1 से 6),3 (1 से 12) | 1 | 30 |
खण्ड-ब | 4 से 16 = 13 | 2 | 26 |
खण्ड-स | 17 से 2014 | 3 | 12 |
खण्ड-द | 21 से 23 = 3 | 4 | 12 |
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए: (5 x 1 = 5)
सत्य से आत्मा का सम्बन्ध तीन प्रकार का है। एक जिज्ञासा का सम्बन्ध है, दूसरा प्रयोजन का सम्बन्ध है और तीसरा आनन्द का। जिज्ञासा का सम्बन्ध दर्शन का विषय है, प्रयोजन का सम्बन्ध विज्ञान का विषय है और साहित्य का विषय केवल आनन्द का सम्बन्ध है। सत्य जहाँ आनन्द स्रोत बन जाता है, वहीं वह साहित्य हो जाता है। जिज्ञासा का सम्बन्ध विचार से है, प्रयोजन का सम्बन्ध स्वार्थ-बुद्धि से तथा आनन्द का सम्बन्ध मनोभावों से है। साहित्य का विकास मनोभावों द्वारा ही होता है। एक ही दृश्य घटना या कांड को हम तीनों ही भिन्न-भिन्न नजरों से देख सकते हैं।
हिम से ढके हुए पर्वत पर उषा का दृश्य दार्शनिक के गहरे विचार की वस्तु है, वैज्ञानिक के लिए अनुसन्धान की और साहित्यिक के लिए विह्वलता की। विह्वलता एक प्रकार का आत्म-समर्पण है। यहाँ हम पृथकता का अनुभव नहीं करते। यहाँ ऊँच-नीच, भले-बुरे का भेद नहीं रह जाता। श्री रामचन्द्र शबरी के जूठे बेर क्यों प्रेम से खाते हैं, कृष्ण भगवान विदुर के शाक को क्यों नाना व्यंजनों से रुचिकर समझते हैं?
इसीलिए कि उन्होंने इस पार्थक्य को मिटा दिया है। उनकी आत्मा विशाल है। उसमें समस्त जगत् के लिए स्थान है। आत्मा, आत्मा से मिल गयी है। जिसकी आत्मा जितनी ही विशाल है, वह उतना ही महान् पुरुष है। यहाँ तक कि ऐसे महान् पुरुष भी हो गये हैं, जो जड़ जगत् से भी अपनी आत्मा का मेल कर सके हैं।
1. सत्य से आत्मा के साथ कैसा सम्बन्ध है
(अ) जिज्ञासा का.
(ब) प्रयोजन का
(स) आनन्द का
(द) उपर्युक्त तीनों प्रकार का।
उत्तर :
(द) उपर्युक्त तीनों प्रकार का।
2. महान होने के लिए किसी पुरुष में कौन-कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए
(अ) आत्मा की विशालता
(ब) आत्मा की उदारता
(स) पक्षपात व भेदभावरहित
(द) इनमें से सभी।
उत्तर :
(द) इनमें से सभी।
3. किसी पुरुष की विशालता किसके आधार पर मापी जाती है ?
(अ) उसकी सम्पन्नता के आधार पर
(ब) उसके हृदय की विशालता के आधार पर
(स) उसके आतंक के आधार पर
(द) उसकी प्रतिष्ठा के आधार पर।
उत्तर :
(ब) उसके हृदय की विशालता के आधार पर
4. ‘आनन्द’ का संबंध है
(अ) व्यक्ति से
(ब) मनोभावों से
(स) समाज से
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) मनोभावों से
5. उपर्युक्त गद्यांश का समुचित शीर्षक बताइए
(अ) सत्य से जिज्ञासा का सम्बन्ध
(ब) जिज्ञासा और प्रयोजन
(स) सत्य से आनन्द का सम्बन्ध
(द) सत्य से आत्मा का सम्बन्ध।
उत्तर :
(द) सत्य से आत्मा का सम्बन्ध।
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए :
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया।
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गये फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है।
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब मधुवन शोर मचाता है ?
जो बीत गई सो बात गई।
6. ‘जो बीत गई सो बात गई’ कवि का उक्त कथन से क्या आशय है ?
(अ) जो बीत चुका उसे बीत जाने दो
(ब) जो बात बीत गई, वह चली गई
(स) बीती बातों को ध्यान में रखो
(द) बीती बातों पर चिन्तित व दु:खी न होकर भविष्य का विचार करना।
उत्तर :
(द) बीती बातों पर चिन्तित व दु:खी न होकर भविष्य का विचार करना।
7. आकाश से टूटते तारों को देखकर क्या प्रेरणा मिलती है ?
(अ) रात में टूटते सितारे बहुत सुन्दर लगते हैं
(ब) आकाश से टूटते सितारे हमें दुःखी और निराश करते हैं
(स) तारे टूटने का आकाश शोक नहीं करता है, उसी प्रकार प्रियजन के विछोह का हमें शोक नहीं करना चाहिए।
(द) आकाश में बहुत-से तारे हैं, एक-दो तारे टूटने से वह शोक नहीं मनाता।
उत्तर :
(स) तारे टूटने का आकाश शोक नहीं करता है, उसी प्रकार प्रियजन के विछोह का हमें शोक नहीं करना चाहिए।
8. ‘जीवन में वह था एक कुसुम’ यहाँ ‘कुसुम’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया है ?
(अ) फूल के लिए
(ब) प्रियजन के लिए
(स) मधुवन के लिए
(द) वल्लरियों के लिए।
उत्तर :
(ब) प्रियजन के लिए
9. अंबर किस पर शोक नहीं मनाता
(अ) सूर्य पर
(ब) टूटे तारों पर
(स) बादल पर
(द) तूफानों पर
उत्तर :
(ब) टूटे तारों पर
10. उपर्युक्त पद्यांश का उचित शीर्षक है
(अ) जो बीत गई सो बात गई
(ब) अंबर का आनन
(स) मधुवन
(द) सन्तोष।
उत्तर :
(अ) जो बीत गई सो बात गई
11. गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर क्यों कहा जाता है?
(अ) वहाँ बादशाह रहते हैं
(ब) लोगों के परिश्रम के कारण
(स) लोगों ने कठिन परिश्रम से शहर को खूबसूरत बनाया है।
(द) यहाँ के लोग बहुत बहादुर होते हैं।
उत्तर :
(स) लोगों ने कठिन परिश्रम से शहर को खूबसूरत बनाया है।
12. मूर्ति के आसपास के तालाब में पानी क्यों भरा गया?
(अ) ताकि नाक सूखने न पाए
(ब) ताकि कोई नाक तक पहुँचने न पाए
(स) ताकि नाक दूर से स्पष्ट दिखाई न दे
(द) ताकि उनकी पोल न खुल जाए
उत्तर :
(अ) ताकि नाक सूखने न पाए
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
1. बालक जाता है। वाक्य में बालक …………………………………………. संज्ञा है।
2. प्रश्न का बोध कराने वाले सर्वनाम शब्दों को …………………………………………. सर्वनाम कहते हैं।
3. व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना करके एक की अधिकता या न्यूनता …………………………………………. अवस्था में बताई जाती है।
4. काल का बोध कराने वाली क्रिया …………………………………………. कहलाती है।
5. ‘प्रतिनियुक्ति’ शब्द में …………………………………………. उपसर्ग का प्रयोग हुआ है।
6. ‘घुड़की, धमकी’ शब्दों …………………………………………. प्रत्यय प्रयुक्त हुआ है।
उत्तर :
1. जातिवाचक,
2. प्रश्नवाचक,
3. उत्तर,
4. सहायक,
5. प्रति,
6. ई।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए उत्तर सीमा लगभग 20 शब्द है। (6 x 1 = 6)
1. वृद्धि सन्धि के दो उदाहरण लिखकर उनका सन्धि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर :
वृद्धि सन्धि-
- एकैक = एक + एक।
- सदैव = सदा + एव।
2. अव्ययीभाव समास का लक्षण क्या है?
उत्तर :
जिस समस्त पद का एक भाग अव्यय होता है, वह अव्ययीभाव समास कहा जाता
3. ‘रंग जमन
अर्थ बताइए।
उत्तर :
अर्थ-प्रभाव होना, धाक जमना।
4. ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा।’ लोकोक्ति का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
पराजित टीम के कप्तान ने सारा दोष पिच पर डाल दिया तो दर्शक कहने लगे, नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
5. ‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो.’ नारे किसने दिए।
उत्तर :
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजादी के आन्दोलन के समय ये नारे जनता को दिए थे। उनके ये दोनों नारे अत्यन्त लोकप्रिय हैं।
6. लेखिका मन्नू भंडारी के सभी भाई-बहिनों का किससे लगाव था?
उत्तर :
लेखिका और उसके सभी भाई-बहिनों का लगाव अपनी माँ से ही रहा। इसका मूल कारण था पिता की ज्यादतियों को वह थरथराते हुए चुपचाप सहन कर लेती थीं।
7. शहनाई कैसा वाद्य है तथा उसका प्रयोग कब होता है ?
उत्तर :
शहनाई ‘सुषिर’ वाद्य है तथा मंगलकारी अवसरों पर इसका प्रयोग होता है।
8. सूर की गोपिकाओं के अनुसार राजधर्म क्या है ?
उत्तर:
सूर की गोपिकाओं के अनुसार राजधर्म है प्रजा को न सताया जाना। गोपियाँ स्वयं को प्रजा और कृष्ण को राजा मानती हैं।
9. परशुराम ने लक्ष्मण को अपने स्वभाव के बारे में क्या बताया?
उत्तर :
परशुराम ने कहा कि वह बहुत क्रोधी और क्षत्रियों को अपना शत्रु मानने वाले हैं।
10. कवि बादल से क्या अनुरोध कर रहा है ?
उत्तर :
कवि बादल से अनुरोध कर रहा है कि वह गर्जन के साथ-साथ शीतल जल की वर्षा से जगत के प्राणियों के संताप को दूर कर दे।
11. लेखक की माँ उसे पकड़कर कौनसा तेल उसके सिर पर डाल देती थी? ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
लेखक की माँ उसे पकड़कर सरसों का तेल उसके सिर पर डाल देती थी।
12. गंतोक में सुबह आँख खुलते ही लेखिका बालकनी की ओर क्यों दौड़ी?
उत्तर :
गंतोक में सुबह आँख खुलते ही लेखिका बालकनी की ओर कंचनजंघा देखने के लिए दौड़ी।
खण्ड – (ब)
निर्देश-प्रश्न सं. 04 से 16 तक के लिए प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम उत्तर सीमा 40 शब्द है।
प्रश्न 4.
हालदार साहब द्वारा कैप्टन के बारे में पूछने पर पान वाला अपनी आँखें क्यों पोंछने लगा?
उत्तर :
हालदार के पूछने पर पानवाला उदास होकर बोला कि कैप्टन मर गया। उसे कैप्टन की मृत्यु पर दुःख हो रहा था। भले ही उसे कैप्टन का मूर्ति को चश्मा पहनाना एक अजीब और सनक जैसा कार्य लगता था और वह कैप्टन का मजाक भी उड़ाता था लेकिन उसकी मृत्यु ने उसके दैनिक जीवन में एक सूनापन-सा उत्पन्न कर दिया था।
प्रश्न 5.
बालगोबिन भगत के अंतिम दिन किस प्रकार बीते ?
उत्तर :
बालगोबिन भगत बहुत वृद्ध हो चुके थे लेकिन उन्होंने अपनी दिनचर्या और नियमों को नहीं बदला। गंगा-स्नान से लौटने पर वह अस्वस्थ हो गए, बुखार रहने लगा। लेकिन उनका स्नान, ध्यान, गान और खेतीबारी वैसे ही चलती रही। शरीर दिन-दिन छीजता गया। मृत्यु के दिन भी संध्या में उन्होंने गीत गाए। जब सबेरे उनका संगीत लोगों के कानों में नहीं पड़ा तो उन्होंने जाकर देखा तो पाया कि भगत की आत्मा परमात्मा में लीन हो गई थी।
प्रश्न 6.
‘लखनवी अंदाज’ पाठ में लेखकों के स्वभाव की क्या विशेषताएँ सामने आती हैं ?
उत्तर :
इस पाठ से लेखकों के स्वभाव की कई विशेषताएँ सामने आती हैं। लेखक प्रायः कल्पनाशील होते हैं। उनमें लोगों के हाव-भाव से उनके मनोभावों को पढ़ लेने की विशेष क्षमता होती है। ये लोग अपने आस-पास के परिवेश और व्यक्तियों में गहरी रुचि लेते हैं। ये स्वाभिमानी प्रकृति के होते हैं। ये लोग अपनी रचनाओं के लिए नई सामग्री की तलाश में रहते हैं। अपनी कहानी का स्रोत अपने आस-पास के वातावरण से ही निकालते हैं।
प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ के सिनेमा और सुलोचना के प्रति जुनून को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
युवावस्था में बिस्मिल्ला खाँ को सिनेमा देखने का भारी शौक था। वह अपने मामू, मौसी और नानी से दो-दो पैसे लेकर सिनेमा देखने चल देते थे। वह अभिनेत्री सुलोचना के रूप-रंग और अभिनय पर फिदा थे। उनकी कोशिश रहती थी कि सुलोचना की कोई नई फिल्म देखने से छूट न जाए। बालाजी मंदिर पर शहनाई बजाने से मिलने वाली अठन्नी (आज के पचास पैसे) लेकर वह सुलोचना की फिल्म देखने चल पड़ते थे।
प्रश्न 8.
गोपियों को उद्धव द्वारा दिया गया योग का संदेश कैसा लगता है और क्यों ?
उत्तर :
गोपियों को उद्धव का योग-संदेश कड़वी ककड़ी जैसा अप्रिय और कष्टदायक लगता है। वे तो श्रीकृष्ण के मधुर साकार स्वरूप की उपासिका हैं। योग-साधना तो श्रीकृष्ण से वियोग कराने वाली और कष्टसाध्य है। जिस प्रकार कड़वी ककड़ी मुँह में जाते ही उसे कड़वाहट से भर देती है और मनुष्य उसे तुरन्त थूक देता है, उसी प्रकार योग का संदेश गोपियों के मन को निराशा और कष्ट से भर रहा है। वे उसे स्वीकार नहीं कर पा रहीं।
प्रश्न 9.
लक्ष्मण ने परशुराम की अवज्ञा करते हुए, धनुष तोड़े जाने के बारे में क्या कहा और परशुराम ने क्रोधित होकर क्या उत्तर दिया?
उत्तर :
लक्ष्मण ने परशुराम का उपहास करते हुए कहा कि उन्होंने बचपन में अनेक धनुषियाँ तोड़ डाली थीं तब परशुराम ने क्रोध क्यों नहीं किया? इस धनुष से उनको इतनी ममता क्यों है। इस पर परशुराम क्रुद्ध होकर बोले-अरे राजकुमार! तू बिना सोचे-समझे बोल रहा है। लगता है तू काल के वशीभूत हो गया है। भला सारे संसार में प्रसिद्ध शिव का धनुष उन साधारण धनुषियों के समान हो सकता है?
प्रश्न 10.
एक कन्या के मन में वैवाहिक जीवन की प्रायः कैसी कल्पनाएँ रहती हैं ? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
विवाह से पूर्व कन्या प्रायः एक सरल और भोली किशोरी होती है। उसके मन में विवाह को लेकर अस्पष्ट किन्तु मधुर कल्पनाएँ रहती हैं। विवाह उसके लिए सजधज, धूमधाम, गहने, वस्त्र और मधुर अलापों से पूर्ण उत्सव होता है। वह आनन्द से परिपूर्ण होता है। उसकी कल्पना में वैवाहिक जीवन अत्यन्त सुखद तथा सुन्दर होता है।
प्रश्न 11.
‘उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क’ का आशय स्पष्ट कीजिए। ‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
मधुपर्क दूध, दही, शहद, घी तथा जल के मिश्रण से बनाया जाने वाला पदार्थ है। प्राचीन समय में अतिथि का स्वागत मधुपर्क अर्पित करके किया जाता था। इस अंश में इस शब्द का सांकेतिक अर्थ है- माता द्वारा मधुर वात्सल्य भाव से शिशु का लालन-पालन किया जाना। पिता (कवि) लम्बे समय तक घर से बाहर रहा है। शिशु को अपनी माँ का ही स्नेह तथा लालन-पालन प्राप्त हुआ है।
प्रश्न 12.
‘माता का अँचल’ पाठ के प्रारंभ में भोलानाथ के बाबूजी पूजा के उपरान्त और क्या धार्मिक क्रिया सम्पन्न करते थे ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
भोलानाथ के बाबूजी पूजा के उपरान्त एक हजार बार ‘राम राम’ लिखते थे और रामनामी बही में बाँधकर रख देते थे। वे कागज के छोटे टुकड़ों पर पाँच सौ बार ‘राम राम’ लिखते और उनको आटे में लपेटकर छोटी गोलियाँ बनाते थे। बाद में गंगा के किनारे जाकर उन गोलियों को मछलियों को खिला देते थे।
प्रश्न 13.
जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक का न होना सरकारी तंत्र के लिए विकट समस्या क्यों बन गया था? (2)
उत्तर :
भारत के तत्कालीन शासकों में स्वाधीनता के संस्कार नहीं आ सके थे। वे मानसिक गुलामी से मुक्त नहीं हो पाए थे। अतः वे चाहते थे कि इंग्लैण्ड की रानी के सामने कोई ऐसा दृश्य न आए जो उसे बुरा लगे। जॉर्ज पंचम की टूटी नाक को लगवाना उनके लिए एक विकट समस्या बन गया था।
प्रश्न 14.
गंतोक के प्राकृतिक सौन्दर्य के कौन-से दृश्य लेखिका को झकझोर गए?
उत्तर :
रात के समय रोशनियों से जगमगाता गंतोक नगर बहुत मनमोहक लगता है। दूर ऊंचाई से देखने पर ऐसा लगता है मानो वहाँ आकाश उलट गया हो और आकाश के तारे जमीन पर बिखरकर दमक रहे हों। कहीं रोशनियाँ तारों के गुच्छे जैसी और कहीं सितारों की झालर जैसी प्रतीत होती हैं। इन सुंदर प्राकृतिक दृश्यों ने लेखिका को झकझोर दिया।
प्रश्न 15.
‘यतीन्द्र मिश्र’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा ‘मन्नू भंडारी’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मॉडल 4 व 1 के प्रश्न 15 का उत्तर देखें।
प्रश्न 16.
‘ऋतुराज’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘सूरदास’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
साहित्य जगत में ‘बाबा’ नाम से प्रख्यात नागार्जुन का जन्म सन् 1911 में गोकुलनाथ मिश्र के यहाँ बिहार के दरभंगा जिले के तरौनी गाँव में हुआ था। इनके बचपन का नाम वैद्यनाथ मिश्र था। सन् 1998 में आपका देहावसान हो गया। ‘बाबा’ नागार्जुन फक्कड़ और घुमक्कड़ स्वभाव के साहित्यकार थे।
आपने प्रगतिशील और जनवादी आन्दोलनों से प्रभावित साहित्य की रचना की। रचनाएँ-नागार्जुन की प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं-युगधारा, प्यासी पथराई आँखें, सतरंगे पंखों वाली हजार-हजार बाँहों वाली, तुमने कहा था, पुरानी जूतियों का कोरस, आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने, ऐसे भी हम क्या, ऐसे भी तुम क्या, मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ा, भस्मांकुर आदि।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
निम्नांकित पठित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)
बालगोबिन भगत मँझोले कद के गोरे-चिट्टे आदमी थे। साठ से ऊपर के ही होंगे। बाल पक गए थे। लम्बी दाढ़ी या जटाजूट तो नहीं रखते थे, किन्तु हमेशा उनका चेहरा सफेद बालों से ही जगमग किए रहता। कपड़े बिलकुल कम पहनते। कमर में एक लंगोटी-मात्र और सिर में कबीरपंथियों की-सी कनफटी टोपी आता, एक काली कमली ऊपर से ओढे रहते। मस्तक पर हमेशा चमकता हआ रामानंदी चंदन, जो नाक के एक छोर से ही, औरतों के टीके की तरह, शुरू होता। गले में तुलसी की जड़ों की एक बेडौल माला बाँधे रहते।
अथवा ठाली बैठे, कल्पना करते रहने की पुरानी आदत है। नवाब साहब की असुविधा और संकोच के कारण का अनुमान करने लगे। संभव है, नवाब साहब ने बिलकुल अकेले यात्रा कर सकने के अनुमान में किफ़ायत के विचार से सेकंड क्लास का टिकट खरीद लिया हो और अब गवारा न हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें मैंझले दर्जे में सफर करता देखे। अकेले सफर का वक्त काटने के लिए ही खीरे खरीदे होंगे और अब किसी सफेदपोश के सामने खीरा कैसे खाएँ ?
उत्तर :
संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज भाग-2’ में संकलित रेखाचित्र ‘बालगोबिन भगत’ से लिया गया है। इसके लेखक ‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ हैं। लेखक ने इस अंश में बालगोबिन भगत के कद, आयु, वेश-भूषा आदि का जीता-जागता.शब्द-चित्र अंकित कर दिया है।
व्याख्या-बेनीपुरी’ जी ने बालगोबिन भगत के बाहरी और आंतरिक व्यक्तित्व का सूक्ष्मता से निरीक्षण किया होगा। तभी तो उन्होंने इस अंश में उनका शब्दचित्र बड़ी परिपूर्णता से अंकित किया है। बालगोबिन का कद न लम्बा था न ठिगना। उनका रंग खूब गोरा था। उनकी आयु साठ वर्ष से ऊपर थी।
उनके सिर के बाल सफेद हो चुके थे। वह साधुओं की भाँति लम्बी दाढ़ी और जटाएँ नहीं रखते थे। उनके चेहरे पर उगे सफेद बालों से मुख जगमगाता रहता था। बालगोबिन बहुत कम वस्त्र धारण करते थे। कमर में लंगोटी रहती थी और सिर पर कबीरपंथ के संतों जैसी कनफटी टोपी लगा लेते थे।
शीत ऋतु आने पर वह केवल एक हलका सा का कंबल ओढ़ लिया करते थे। माथे पर वह रामानंदी सम्प्रदाय के संतों द्वारा लगाए जाने वाले चंदन का टीका लगाते थे। यह टीका स्त्रियों के द्वारा लगाए जाने वाले टीके की तरह ही नाक के सिरे से आरंभ होता था। उनके गले में तुलसी की जड़ों से बनी एक अनगढ़ सी माला बँधी रहती थीं। उनकी वेश-भूषा में कोई दिखावा नहीं होता था।
प्रश्न 18.
निम्नांकित पठित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)
माँ ने कहा पानी में झाँककर अपने चेहरे पर मत रीझना आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं स्त्री जीवन के माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
अथवा
मधुप गुन-गुना कर कह जाता, कौन कहानी यह अपनी, मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ, देखो कितनी आज घनी। इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास, यह लो, करते ही रहते हैं, अपना व्यंग्य-मलिन उपहास। तब भी कहते हो- कह डालूँ, दुर्बलता अपनी बीती, तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे- यह गागर रीती।
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक क्षितिज में संकलित कवि जयशंकर. प्रसाद की कविता ‘आत्मकथ्य’ से लिया गया है। कवि यहाँ अपनी आत्मकथा लिखने की असहमति व्यक्त कर रहा है।
व्याख्या-कवि कहता है कि गुंजन करते भौरे और डालों से मुरझाकर गिरती पत्तियाँ जीवन की करुण कहानी सुना रहे हैं। उनका अपना जीवन भी एक दुःख भरी कहानी है। इस अनंत नीले आकाश के तले नित्यप्रति असंख्य जीवन-इतिहास (आत्मकथाएँ) लिखे जा रहे हैं। इन्हें लिखने वालों ने अपने आपको ही व्यंग्य तथा उपहास का पात्र बनाया है। कवि मित्रों से पूछता है कि क्या यह सब देखकर भी वे चाहते हैं कि वह अपनी दुर्बलताओं से युक्त आत्मकथा लिखे ? इस खाली गगरी जैसी महत्त्वहीन आत्मकथा को पढ़कर उन्हें क्या सुख मिलेगा ?
प्रश्न 19.
‘एक कहानी यह भी’ पाठ की लेखिका के व्यक्तित्व को किन-किन व्यक्तियों ने किस रूप में प्रभावित किया? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (3)
अथवा
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादन में जादुई असर को किसका परिणाम मानते हैं ? इससे उनकी किस विशेषता का पता चलता है।
उत्तर:
संगीत-समारोहों में जब बिस्मिल्ला खाँ शहनाई बजाते थे तो श्रोता सहज ही उनको पहचान लेते थे। उनकी शहनाई का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगता था। खाँ साहब की शहनाई में यह असर उनके कठिन परिश्रम और समर्पण भाव का परिणाम था। किन्तु उन्होंने कभी-भी इसका श्रेय लेने की चेष्टा नहीं की। वह इसका श्रेय गंगा मैया, बाबा विश्वनाथ तथा अपने उस्ताद को देते थे। अपनी शहनाई के जादुई असर को वह खुदा के आशीर्वाद का परिणाम मानते थे। इससे उनकी विनम्रता, ईश्वर पर विश्वास, सच्चे संगीत साधक होने की विशेषता का पता चलता है।
प्रश्न 20.
यह दंतुरित मुसकान’ कविता के आधार पर शिशु की मुसकान व उसके स्पर्श के प्रभाव का वर्णन कीजिए। (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (3)
अथवा
‘छाया मत छूना’ कविता के द्वारा कवि ने क्या संदेश दिया है ? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (3)
उत्तर:
शिशु की भोली नन्हे-नन्हे दाँतों वाली मुसकान में मुर्दे में भी जीवन का संचार करने की शक्ति है। शिशु की मुसकान से घर के वातावरण में प्रसन्नता छा जाती है। शिशु का तिरछी दृष्टि से देखना और आँखें मिलते ही मुस्करा उठना मन को मुग्ध कर देता है। कवि का मन उस पर मोहित हो उठता है तथा उसका जीवन सरसता से भर उठता है।। शिशु का शरीर कोमल है। उसके स्पर्श मात्र से पत्थर के समान कठोर मन वाला व्यक्ति भी द्रवित हो जाता है। कवि का बबूल तथा बाँस के समान कठोर, नीरस तथा खुरदरा मन भी शिशु के कोमल अंगों का स्पर्श पाकर सरसता से भर जाता है।
खण्ड : (द)
प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर 300-350 शब्दों में सारगर्भित निबन्ध लिखिए।
(अ) मुझे गर्व-मेरे भारत पर
(i) जन्मभूमि से स्वाभाविक प्रेम
(ii) नामकरण और भौगोलिक स्थिति
(iii) इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक वैभव
(iv) वर्तमान स्थिति
(v) उपसंहार
(ब) कम्प्यूटर की बढ़ती उपयोगिता
(i) एक महान आविष्कार
(ii) कम्प्यू टर के बढ़ते चरण
(iii) भारत में कम्प्यूटर का विस्तार
(iv) कम्प्यूटर से लाभ-हानि
(v) उपसंहार
(स) कटते जंगल : घटता मंगल
(i) वनों का महत्व
(ii) वनों से लाभ
(iii) वन विनाश के दुष्परिणाम
(iv) उपसंहार
(द) राजस्थान के दर्शनीय स्थल
(i) राजस्थान के दर्शनीय स्थल
(ii) पर्यटन में बाधक तत्व
(iii) पर्यटन को प्रोत्सहन
(iv) उपसंहार
उत्तर :
मुझे गर्व-मेरे भारत पर
(i) जन्मभूमि से स्वाभाविक प्रेम-“अरुण यह मधुमय देश हमारा जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा। “स्वर्णिम देश है मेरा भारत। मुझे इससे गहरा प्रेम है।” हर प्राणी को अपनी जन्मभूमि से स्वाभाविक प्रेम होता है। स्वदेश के अन्न, जल और वायु से ही मनुष्य को जीवन मिलता है। उसका इतिहास और परम्पराएँ उसके सिर को गर्व से ऊँचा करती हैं। अत: मुझे भी अपने भारत से असीम प्यार है। मुझे अपने भारतीय होने पर गर्व है।
(ii) नामकरण एवं भौगोलिक स्थिति- ऐसा माना जाता है कि राजा दुष्यंत और शकुन्तला के प्रतापी पुत्र सम्राट भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत हुआ। भरतखण्ड, जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, इंडिया भी भारत के अन्य नाम रहे हैं। हमारा देश एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। इसके उत्तर में हिमालय के धवल शिखर हैं और दक्षिण में हिन्द महासागर। पूर्वी सीमा पर असम, नागालैण्ड, त्रिपुरा और पश्चिम में राजस्थान तथा गुजरात प्रदेश हैं।
(iii) इतिहास एवं संस्कृति और प्राकृतिक वैभव- भारत विश्व के प्राचीनतम देशों में गिना जाता है। भारत के प्राचीन वैभव का परिचय हमें वेद, उपनिषद् एवं पुराण आदि ग्रन्थों से मिलता है। भारतीय-संस्कृति संसार की प्राचीनतम एवं महानतम संस्कृति रही है। इस संस्कृति ने ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ अर्थात् सब सुखी रहें, सारी पृथ्वी के निवासी एक परिवार के समान हैं, ऐसे महान संदेश दिये हैं।
इस संस्कृति ने सत्य, अहिंसा, परोपकार, दान, क्षमा आदि श्रेष्ठ जीवन मूल्यों को अपनाया है। दधीचि, शिवि, रंतिदेव, कर्ण जैसे दानी और परोपकारी; राम, कृष्ण, अर्जुन जैसे वीर; हरिश्चन्द्र जैसे सत्यनिष्ठ; बुद्ध और महावीर जैसे अहिंसा के पालक भारतीय-संस्कृति की ही देन हैं। भारतीय-संस्कृति सभी धर्मो को सम्मान देने का संदेश देती है। ‘अनेकता में एकता’ भारतीय-संस्कृति की ही विशेषता है।
मेरी भारत-भूमि पर प्रकृति ने अपार प्रेम बरसाया है। बारी-बारी से छः ऋतुएँ इसका शृंगार करती हैं। मधुकंठ विहगों की अवली, नित मंगलगीत सुनाती हैं। नभस्पर्शी हिमालय हरे-भरे विस्तृत मैदान, बलखाती नदियाँ, दर्पण से झील-ताल, वनस्पतियों से भरे वनांचल और सागर के अनंत विस्तार-क्या नहीं दिया है प्रकृति ने भारत को।
(iv) वर्तमान स्थिति- आज मेरा भारत विश्व का विशालतम और स्थिर लोकतंत्र है। अपने बहुमुखी विकास में जुटा हुआ है। ज्ञान-विज्ञान, व्यवसाय, शिक्षा एवं अध्यात्म हर क्षेत्र में अपनी प्रगति के ‘परचम फहरा’ रहा है। आज हमारा देश विश्व की महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है।
(v) उपसंहार- भारत फिर अपने प्राचीन गौरव को प्राप्त कर विश्व गुरु के आसन पर आसीन होगा। इस महायज्ञ में हम सभी भारतवासी अपनी-अपनी आहुति दें। राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की रक्षा के लिए, अन्याय, शोषण, भ्रष्टाचार और आतातायियों के विनाश के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो जायें और एक बार फिर आकाश में गूंज उठे-वंदे मातरम्, वंदे मातरम्। किसी कवि ने ठीक ही कहा है-
जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रसधार नहीं,
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
प्रश्न 22.
समाचार-पत्रों में विज्ञापनों की भरमार को कम करने और समसामयिक विषयों पर लेखन की आवश्यकता को दर्शाते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
अथवा
अपने विद्यालय में हुए संगीत समारोह पर टिप्पणी करते हुए माँ को पत्र लिखिए।
उत्तर :
उदयपुर
दिनांक : 20 नवम्बर, 20_
पूज्य माता जी,
सादर प्रणाम!
आप कैसी हैं? आशा करता हूँ आप स्वस्थ ही होंगी। मैं भी यहाँ कुशल-मंगल से हूँ। माताजी अभी 14 नवम्बर को हमारे विद्यालय में बाल दिवस के उपलक्ष्य में संगीत समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें विभिन्न कक्षाओं के छात्रों ने नृत्य एवं गायन शैली में अपनी-अपनी प्रस्तुतियाँ प्रदान की। इस संगीत समारोह में मैंने भी प्रतिभाग लिया था और पंडित जवाहरलाल नेहरू जी से संबंधित एक संगीतबद्ध कविता का पाठ किया था।
हमारी कक्षा के ही एक छात्र मुकेश को पंजाबी लोकनृत्य भांगड़ा की सुंदर प्रस्तुति करने के कारण प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। यह पुरस्कार उसे उस दिन की मुख्य अतिथि सोनल मानसिंह के हाथों प्राप्त हुआ। उनके अतिरिक्त लोक गायिका मालिनी अवस्थी, नरेन्द्र सिंह नेगी आदि भी उस दिन वहाँ उपस्थित थे। संगीत समारोह का वह दिन मेरे जीवन का बहुत यादगार दिन बन गया है। संगीत समारोह की अन्य बहुत-सी बातें मैं आपको घर आने पर बताऊँगा। आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना।
आपका पुत्र
प्रकाश
प्रश्न 23.
‘सुनहरा झाडू’ बनाने वाली कम्पनी के लिए एक विज्ञापन 25 से 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
अथवा
सत्कार संगीत सभा, उदयपुर द्वारा संगीत प्रतियोगिता का विज्ञापन 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।
उत्तर :
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