Students must start practicing the questions from RBSE 10th Hindi Model Papers Set 9 with Answers provided here.
RBSE Class 10 Hindi Model Paper Set 9 with Answers
पूर्णाक : 80
समय : 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- प्रश्नों का अंकभार निम्नानुसार है –
खण्ड | प्रश्नों की संख्या | अंक प्रत्येक प्रश्न | कुल अंक भार |
खण्ड-अ | 1 (1 से 12), 2 (1 से 6),3 (1 से 12) | 1 | 30 |
खण्ड-ब | 4 से 16 = 13 | 2 | 26 |
खण्ड-स | 17 से 2014 | 3 | 12 |
खण्ड-द | 21 से 23 = 3 | 4 | 12 |
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए (5 x 1 = 5)
जब किसी कौम का आत्मविश्वास डगमगा जाता है, तो वह हर तरह से डरी-डरी रहती है। देश आजाद होते-होते हम एक कमजोर अर्थव्यवस्था बन चुके थे। जैसे तैसे पेट भरना, हमारी मानसिकता हो गयी थी। कुछ लोग जरूर यहाँ से बाहर चले गये और वहाँ पर अपनी धाक भी जमा ली। परन्तु अधिकांश आबादी इसी धरती पर अपने जीवन को अभिशाप मानकर बैठी रही। अब हाल यह है कि आप कुछ भी नये प्रयास की बात करिये, 100 में से 99 लोग आपको असफलता मिलने की गारण्टी देंगे। इसी प्रकार आप अगर खेती में सुधार की बात करेंगे, तो आपकी हँसी उड़ायी जायेगी।
आप नहीं मानेंगे, तो पहले के किसी असफल प्रयास को बार-बार दोहराया जायेगा। इसीलिए अधिकतर सरकारी प्रयास यहाँ पिट जाते हैं। ऐसा नहीं है कि कर्मचारी बिल्कुल ही कोशिश नहीं करते हैं। ऐसा नहीं हो सकता, ऐसा कभी हुआ क्या, मान ही नहीं सकता, सब कहने की बातें हैं, यह हमारी शब्दावली है। जयपुर से बाड़मेर तक, गंगानगर से बाँसवाड़ा तक। हमारी नकारात्मकता को ढकने के लिए तर्कों की कहाँ कमी है? बातें कहने में तो हम माहिर थे ही। हाँ, तब समाज को आगे बढ़ाने की बातें करते थे, अब जो बातें करते हैं, वे समाज को आगे बढ़ने से रोकती हैं। इतने से फर्क से तो जापान-सिंगापुर जैसे छोटे देश मजबूत हैं और भारत-अफ्रीका भूख से जूझते हैं।
1. देश के आजाद होते ही हमारी आर्थिक स्थिति कैसी थी?
(अ) बहुत अच्छी
(ब) बहुत कमजोर
(स) ठीक-ठीक
(द) कुछ कमज़ोर।
उत्तर :
(ब) बहुत कमजोर
2. ‘नकारात्मक मानसिकता’ का क्या आशय है
(अ) कार्य आरम्भ करने से पहले ही उसकी सफलता में विश्वास व्यक्त करना
(ब) कार्य करने से पहले ही असफलता की आशंका करना
(स) कार्य शुरू करके बीच में रोक देना
(द) असफलता की आशंका से कार्य शुरू ही न करना।
उत्तर :
(ब) कार्य करने से पहले ही असफलता की आशंका करना
3. कोई कौम कब डरी-डरी सी रहती है
(अ) जब उसका कोई सहायक नहीं होता
(ब) जब उसका कोई सहायक होता है
(स) जब उसमें आत्मविश्वास की कमी होती है
(द) जब उसमें आत्मविश्वास भरा होता है।
उत्तर :
(स) जब उसमें आत्मविश्वास की कमी होती है
4. ‘असफलता’ मिलने की गारंटी कितने प्रतिशत लोग देते हैं?
(अ) 1%
(ब) 10%
(स) 50%
(द) 99%
उत्तर :
(द) 99%
5. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है
(अ) कमजोर अर्थव्यवस्था और हमारा दीनभाव
(ब) आत्मविश्वास की कमी भीरुता का कारण
(स) नकारात्मक मानसिकता अवनति का कारण
(द) मजबूत आत्मविश्वास उन्नति का आधार।
उत्तर :
(अ) कमजोर अर्थव्यवस्था और हमारा दीनभाव
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए :
ले चल माँझी मझधार मुझे दे-दे अब पतवार मुझे।
इन लहरों के टकराने पर आता रह-रह कर प्यार मुझे।
क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत्-घन के नर्तन,
मुझे साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।
मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए,
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान-पतन।
मैं अटका कब, कब विचलित मैं, सतत डगर मेरी संबल,
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल।
आँधी हो, ओले-वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन-मंडन।
मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं अग्निशिखाओं के नर्तन।
मैं बढ़ता अविराम निरन्तर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत् नर्तन।
6. कवि पतवार लेकर मझधार में जाना चाहता है, क्योंकि
(अ) वह कठिनाइयों व मुसीबतों से घबराता नहीं है
(ब) उसे नाव चलाना अच्छा लगता है
(स) उसे मझधार में नाव में बैठना प्रिय है
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर :
(अ) वह कठिनाइयों व मुसीबतों से घबराता नहीं है
7. ‘फिर मुझको क्या डरा सकेंगे’ कवि किनसे नहीं डरता है, पंक्ति के आधार बताइए
(अ) विघ्न-बाधाओं से
(ब) अभिमण्डल से
(स) आरोपों से
(द) लोगों की उचित-अनुचित टीका-टिप्पणी से।
उत्तर :
(द) लोगों की उचित-अनुचित टीका-टिप्पणी से।
8. इस पद्यांश में क्या सन्देश छिपा है?
(अ) निर्भीकतापूर्वक विघ्न-बाधाओं से टक्कर लेते हुए आगे बढ़ना
(ब) सोच-समझकर खतरों को भाँपते हुए आगे बढ़ना
(स) विघ्न-बाधाओं से डरकर चुप बैठना
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) निर्भीकतापूर्वक विघ्न-बाधाओं से टक्कर लेते हुए आगे बढ़ना
9. ‘नव आशा के दीप लिए’ से क्या आशय है-
(अ) आशा के दीपदान करना
(ब) नई उम्मीदों के साथ
(स) नए दीपकों के साथ
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) नई उम्मीदों के साथ
10. इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है
(अ)निर्भीकता व निडरता
(ब) माँझी और पतवार
(स) अविराम बढ़ना
(द) जगत की रीति।
उत्तर :
(अ)निर्भीकता व निडरता
11. ‘कटाओ’ पर दुकान होने से इस सुंदर घाटी को क्या नुकसान हो जाता?
(अ) यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य नष्ट हो जाता
(ब) यहाँ के लोग बाहरी वस्तुएँ खरीदने लगते
(स) यहाँ भू-माफियों का कब्जा हो जाता
(द) यहाँ के लोगों का जीवन अशांत हो जाता
उत्तर :
(अ) यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य नष्ट हो जाता
12. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ व्यंग्य में किस विदेशी के भारत आने की चर्चा हो रही है?
(अ) ट्रंप
(ब) बाइडन
(स) रानी एलिजाबेथ
(द) राजकुमारी डायना
उत्तर :
(स) रानी एलिजाबेथ
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
1. यह मेज लकड़ी की बनी है। रेखांकित पद ……………………….. संज्ञा है।
2. बात सुनने वाले के लिए प्रयुक्त सर्वनाम शब्द ……………………….. पुरुष कहलाते हैं।
3. तुलना की दृष्टि से विशेषण की ……………………….. अवस्थाएँ होती हैं।
4. जो क्रिया वाक्य को समाप्त करती है और वाक्य के अंत में होती है, उसे ……………………….. क्रिया कहते हैं।
5. निष्पाप शब्द में ……………………….. उपसर्ग प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।
6. ‘दर्शनीय, गोपनीय’ में ……………………….. प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।
उत्तर :
1. जातिवाचक,
2. मध्यम,
3. तीन,
4. समापिका,
5. निस्,
6. नीय।।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए उत्तर सीमा लगभग 20 शब्द है। (6 x 1 = 6)
1. गुण सन्धि के दो उदाहरण लिखकर उनका सन्धि विच्छेद कीजिए।
उत्तर :
गुण सन्धि –
- देवोपासना = देव + उपासना।
- देवेश = देव + ईश।
2. अव्ययीभाव समास का एक उदाहरण विग्रह सहित दीजिए।
उत्तर :
अव्ययीभाव समास का उदाहरणयथाशक्ति = शक्ति के अनुसार।
3. ‘अपनी प्रशंसा स्वयं करना’-इस अर्थ में संबंधित मुहावरा लिखिए।
उत्तर :
उपर्युक्त वाक्य से संबंधित मुहावरा है-अपने मुँह मियाँ मिठू बनना।
4. ‘दाल-भात में मूसलचन्द’ लोकोक्ति का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
अर्थ-किन्हीं दो के बीच में बाधक तीसरा व्यक्ति।
5. कस्बे की नगरपालिका क्या करती थी?
उत्तर :
नगरपालिका सड़क पक्का करवाना, पेशाबघर तथा कबूतरों की छतरी बनवाना, कभी-कभी कवि सम्मेलन करवाना आदि कार्य करती थी।
6. लेखिका मन्नू भंडारी ने माँ के किन गुणों को अपना आदर्श नहीं बनाया?
उत्तर :
अनुचित आग्रह या अन्याय को सहन करना और अपनी दुर्दशा को भाग्य समझकर स्वीकार कर लेने के माँ के गुण को अपना आदर्श नहीं बनाया।
7. शहनाई को ‘शाहेनय’ क्यों कहते हैं?
उत्तर :
शहनाई को शाह अर्थात् सुषिर वाद्यों के राजा की उपाधि प्राप्त है। इस कारण इसको शहनाई (शाहेनय) कहते हैं।
8. गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम को किसके समान बताया है?
उत्तर :
गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम को गुड़ के प्रति चींटी के प्रेम के समान बताया है।
9. परशुराम ने ब्राह्मणों को बार-बार क्या दिया था?
उत्तर :
परशुराम ने अपने पराक्रम से क्षत्रिय राजाओं का संहार करके उनकी भूमि बार-बार ब्राह्मणों को दान की थी।
10. घर-घर किससे भर जाता है? ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
फागुन की वसंती पवन जब फूलों की सुगंध लिए चलती है तो प्रत्येक घर सुगंध से भर जाता है।
11. मिठाई की दुकान किसका चंदोआ तानकर बनाई जाती थी?
उत्तर :
मिठाई की दुकान कागज का चंदोआ तानकर बनाई जाती थी।
12. लेखिका ने साना-साना हाथ जोड़ि प्रार्थना किससे सीखी?
उत्तर :
लेखिका ने साना-साना हाथ जोड़ि प्रार्थना नेपाली युवती से सीखी।
खण्ड – (ब)
निर्देश-प्रश्न सं. 04 से 16 तक के लिए प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम उत्तर सीमा 40 शब्द है।
प्रश्न 4.
मूर्ति के पास से गुजरते हुए अंत में हालदार साहब क्यों भावुक हो उठे थे?
उत्तर :
कुछ दिनों के बाद जब हालदार साहब फिर कस्बे के चौराहे से गुजरे तो वह नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा देख चकित और भाव-विभोर हो गए। खासकर बच्चों में देशभक्ति की भावना का उभार देखकर उन्हें अपार संतोष हो रहा था। महान् देशभक्त नेताजी का सम्मान कायम देखकर और नई पीढ़ी की सकारात्मक सोच के कारण वह भावुक हो उठे थे।
प्रश्न 5.
लेखक के अनुसार बालगोबिन गृहस्थ-साधु थे। आप उनको क्या मानते हैं गृहस्थ अथवा साधु? अपना मत सकारण प्रकट कीजिए।
उत्तर :
बालगोबिन “घर-परिवार होते हुए भी वह साधु की सभी परिभाषाओं में खरे उतरने वाले थे।” बालगोबिन साधु के वेश में गृहस्थ थे या गृहस्थ होते हुए भी स्वभाव और वेशभूषा से साधु थे। बालगोबिन भगत को हम उनकी वेशभूषा, आचरण और जीवन शैली के आधार पर गृहस्थ और साधु दोनों ही मान सकते हैं। अतः वह गृहस्थ साधु थे।
प्रश्न 6.
नवाब साहब के असलियत पर उतर आने का आशय क्या था?
उत्तर :
लेखक का मानना था कि नवाब साहब बाहर से भले ही रईसी का दिखावा कर रहे थे लेकिन उनका मन खीरे जैसी आम आदमी के खाने की चीज पर ललचा रहा था। उनके मन में भी साधारण लोगों जैसी कमजोरियाँ थीं। वह अपनी दुर्बलता और असलियत को छिपाने की भरसक कोशिश कर रहे थे लेकिन खीरे की फाँकों को सामने देखकर उनके हाव-भाव, उनकी असलियत को छिपने नहीं दे रहे थे।
प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ की शिष्या ने उन्हें किस बात पर टोका और क्यों?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ महान कलाकार होते हए भी अपनी वेश-भूषा के प्रति लापरवाह रहते थे। वह फटी लुंगी पहने ही आगंतुकों से मिला करते थे। उनकी एक शिष्या को इस बात पर बड़ी ठेस लगती थी। एक दिन उससे नहीं रहा गया तो उसने उन्हें टोक दिया। उन्हें ‘भारतरत्न’ जैसा सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हो चुका है। अतः फटी लुंगी पहने लोगों से मिलना उनके स्तर वाले व्यक्ति को शोभा नहीं देता।
प्रश्न 8.
‘सूरदास, अब धीर धरहिं क्यौं, मरजादा न लही’-का आशय प्रकट कीजिए।
उत्तर :
श्रीकृष्ण के लौटने की अवधि के बीतने की आशा में गोपियाँ अपने मन को धैर्य बँधाती आ रही थीं लेकिन उद्धव के हाथों योग का संदेश पाकर उनके हृदय अधीर हो उठे। उनको अब श्रीकृष्ण पर विश्वास नहीं रहा। व्याकुल मनं को धैर्य बँधाने का उनके पास अब कोई साधन नहीं बचा था। योग का संदेश भिजवाकर श्रीकृष्ण ने प्रेम की मर्यादा को तोड़ दिया।
प्रश्न 9.
लक्ष्मण ने राम के बचाव में क्या कहा और परशुराम पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
लक्ष्मण ने कहा कि एक पुराने धनुष के तोड़ देने से न तो किसी की हानि हुई है न किसी को लाभ हआ। राम ने इसे नया जानकर इसे परखना चाहा था परन्तु यह तो उनके छूते ही टूट गया। यह सुनते ही परशुराम ने क्रोधित होकर लक्ष्मण से कहा कि वह उन्हें कोई साधारण मुनि समझने की भूल न करें। साथ ही उन्होंने अपने बल, अपनी विजयों और यश का बखान करना आरम्भ कर दिया।
प्रश्न 10.
हमारे समाज में नई बहू के प्रति सामान्यतया कैसा व्यवहार देखने में आता है? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
नई बहू को लेकर ससुराल में अनेक अपेक्षाएँ और परंपराएँ चली आ रही हैं। नई बहू सुंदर हो, सुशील हो, अच्छा दान-दहेज लाई हो। परिवारीजन उससे अनेक मर्यादाओं के पालन की अपेक्षाएँ रखते हैं। लाड़-प्यार का दिखावा कुछ दिन ही चलता है और फिर ६ धीरे-धीरे उसे घर-गृहस्थी के चक्कर में जुत जाना पड़ता है। धन-लोलुप परिवारों में उसे कम दहेज लाने के लिए ताने और प्रताड़ना सहनी होती हैं।
प्रश्न 11.
प्रकृति के विभिन्न पदार्थों का फसल के उगने में क्या योगदान होता है?
उत्तर :
मिट्टी (भूमि), पानी, सूरज की किरणें तथा हवा- प्रकृति के ये चार तत्वों का फसल उगाने में महत्वपूर्ण योगदान है। जल से पौधे का बीज अंकुरित होता है। भूमि से पौधे को भोजन प्राप्त होता है। सूरज की धूप से पौधे में अनेक रासायनिक परिवर्तन होते हैं। वायु से पौधा नाइट्रोजन और कार्बन डाई-ऑक्साइड गैस ग्रहण करता है जो उसे पुष्ट और विकसित होने में सहायक होती है।
प्रश्न 12.
भोलानाथ के पिता का आटे की गोलियाँ बनाने का क्या उद्देश्य था?
उत्तर :
‘लेखक के पिता पाँच-सौ बार राम-राम लिखकर उनको आटे में लपेट कर गोलियाँ बनाते थे। उन गोलियों को लेकर वह गंगा की ओर चल देते थे। वह गोलियों को एक-एक करके मछलियों को खिलाते थे। इसका उद्देश्य अपने धर्म के प्रति आस्था तथा जीवों के प्रति दया-भाव को व्यक्त करना था।
प्रश्न 13.
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर आंदोलन क्यों और किनके द्वारा हुए थे? इनका परिणाम क्या हुआ? (2)
उत्तर :
जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक बनी रहे या हटा दी जाय, इस प्रश्न को लेकर राजनीतिक दलों ने आंदोलन किए थे। एक पक्ष नाक को तोड़ देना चाहता था तो दूसरा उसे बनाए रखने पर तुला हुआ था। इन आंदोलनों से कोई सर्वसम्मत हल नहीं निकल सका। जॉर्ज पंचम की नाक पूर्ववत् बनी रही।
प्रश्न 14.
‘तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद इस देश की आत्मा एक जैसी है।’ लेखिका ने ऐसा क्यों सोचा? लिखिए।
उत्तर :
लेखिका ने गैंगटॉक से यूमथांग जाते हुए मार्ग में सफेद पताकाएँ फहराती देखी। नार्गे ने बताया कि मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए वे पताकाएँ फहराई जाती थीं। आगे लेखिका ने एक कुटिया में घूमता चक्र देखा। नार्गे ने कहा कि वह धर्मचक्र था। उसको घुमाने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। लेखिका ने सोचा कि भले ही देश में विज्ञान के प्रसार से काफी प्रगति हुई है लेकिन सारे देश में लोगों के विचार एक जैसे बने हुए थे।
प्रश्न 15.
‘स्वयं प्रकाश’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘यतीन्द्र मिश्र’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
स्वयं प्रकाश एक सुप्रसिद्ध कहानीकार हैं। इनका जन्म सन् 1947 ई. में मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर में हुआ था। इन्होंने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद मध्य प्रदेश भोपाल शहर में रहकर ‘वसुधा’ पत्रिका का सम्पादन कार्य आरम्भ किया है। इन्हें इनके श्रेष्ठ कार्यों के लिए पहल सम्मान, बनमाली पुरस्कार तथा राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
रचनाएँ-अब तक उनके 13 कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनके प्रमुख कहानी संग्रह निम्नलिखित हैं-सूरज कब निकलेगा, संधान, आयेंगे अच्छे दिन भी और आदमी जात का आदमी। इन्होंने कई उपन्यास भी लिखे हैं। इनके प्रमुख उपन्यास हैं-ईंधन, बीच में विनय।
प्रश्न 16.
‘नागार्जुन’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘सूरदास’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
महाकवि सूरदास का जन्म सन् 1478 में माना जाता है। विद्वानों में इनके जन्मस्थल के बारे में भी मतभेद हैं। एक मान्यता के अनुसार इनका जन्म आगरा-मथुरा मार्ग पर रुनकता (रेणुका) क्षेत्र में हुआ था। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान दिल्ली के पास सीही में मानते थे। इनका देहावसान सन् 1583 में पारसौली में हुआ था।
रचनाएँ-माना जाता है कि सूरदास ने सवा लाख पदों की रचना की थी जिनमें सात हजार पद ही प्राप्त हुए हैं। सूरसागर, साहित्य लहरी तथा सूर सारावली आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं, जिनमें सूरसागर सर्वाधिक प्रसिद्ध है।
भाषा-शैली-मूलतः सूर वात्सल्य, शृंगार व भक्ति के श्रेष्ठ कवि माने गए हैं। इनकी कविता में ब्रजभाषा का परिष्कृत रूप दिखाई देता है।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
निम्नांकित पठित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)
हम गौर कर रहे थे, खीरा इस्तेमाल करने के इस तरीके को खीरे की सुगंध और स्वाद की कल्पना से संतुष्ट होने का सूक्ष्म, नफ़ीस या एब्स्ट्रैक्ट तरीका ज़रूर कहा जा सकता है परंतु क्या ऐसे तरीके से उदर की तृप्ति भी हो सकती है?
नवाब साहब की ओर से भरे पेट के ऊँचे डकार का शब्द सुनाई दिया और नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कह दिया, ‘खीरा लजीज होता है लेकिन होता है सकील, नामुराद मेदे पर बोझ डाल देता है।’ ज्ञान-चक्षु खुल गए ! पहचाना – ये हैं नई कहानी के लेखक !
अथवा
किन्तु, खेतीबारी करते, परिवार रखते भी, बालगोबिन भगत साधु थे-साधु की सब परिभाषाओं में खरे उतरने वाले। कबीर को ‘साहब’ मानते थे, उन्हीं के गीतों को गाते, उन्हीं के आदेशों पर चलते। कभी झूठ नहीं बोलते, खरा व्यवहार रखते। किसी से भी दो-टूक बात करने में संकोच नहीं करते, न किसी से खामखाह झगड़ा मोल लेते। किसी की चीज नहीं छूते, न बिना पूछे व्यवहार में लाते। इस नियम को कभी-कभी इतनी बारीकी तक ले जाते कि लोगों को कुतूहल होता! – कभी वह दूसरे के खेत में शौच के लिए भी नहीं बैठते ! वह गृहस्थ थे; लेकिन उनकी सब चीज ‘साहब’ की थी।
उत्तर :
संदर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज भाग-2’ में संकलित व्यंग्य रचना ‘लखनवी अंदाज’ से लिया गया है। इसके लेखक ‘श्री यशपाल’ हैं। इस अंश में लेखक ने खीरे सेवन के नवाबी नाटक पर विचार करते हुए ‘नई कहानी’ की रचना को समर्थन प्रदान किया है।
व्याख्या-नवाब साहब बर्थ पर आराम फरमा रहे थे तो लेखक मन ही मन विचार कर रहा था कि क्या खीरे के सेवन या प्रयोग के उस तरीके को सम्भव माना जा सकता था? इस तरीके को क्या नाम दिया जाय? केवल खीरे की सुगंध और स्वाद की भावना कर लेने और संतुष्ट हो जाने से इस तरीके को खीरे के इस्तेमाल का सूक्ष्म, नफासत भरा, रूपहीन या काल्पनिक तरीका कहा जा सकता था। परन्तु इस तरीके से पेट तो तृप्त नहीं हो सकता था।
लेखक यह सब सोच ही रहा था कि नवाब साहब ने ऊँची डकार ली और जताया कि उनका पेट भी भर गया था। उन्होंने लेखक पर अपने खीरे खाने के रईसी तरीके का पूरा प्रभाव डालने के लिए कहा कि खीरा खाने में स्वादिष्ट तो होता है लेकिन कठिनाई से पचता है और पाचन तंत्र पर बुरा प्रभाव डालता है। नवाब साहब का यह संवाद सुनते ही लेखक को एक नवीन ज्ञान मिल गया। उसने स्वीकार किया कि नवाब साहब जैसे लोग ही नई कहानियाँ रच सकते हैं।
प्रश्न 18.
निम्नांकित पठित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) हरि हैं राजनीति पढ़ि आए। (1 + 2 = 3)
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनौ मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।।
अथवा
किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले।
यह विडंबना ! अरी सरलते तेरी हँसी उड़ाऊँ मैं।
भूलें अपनी या प्रवंचना औरों की दिखलाऊँ मैं।
उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।
अरे खिल-खिला कर हँसते होने वाली उन बातों की।
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश पाठ्यपुस्तक क्षितिज में संकलित कवि जयशंकर प्रसाद की रचना ‘आत्मकथ्य’ से लिया गया है। इस अंश में कवि अपनी मधुर स्मृतियों के बारे में सोचकर अपने मन को कष्ट नहीं देना चाहता है।
व्याख्या-कवि अपने मित्रों से कहता है -कहीं ऐसा न हो कि मेरे रस से शून्य, खाली गागर जैसे जीवन के बारे में पढ़कर तुम स्वयं को ही अपराधी समझने लगो। तुम्हें ऐसा लगे कि तुमने ही मेरे जीवन से रस चुराकर अपनी सुख की गगरी को भरा है। कवि कहता है कि मैं अपनी भूलों और ठगे जाने के विषय में बताकर अपनी सरलता की हँसी उड़ाना नहीं चाहता। मैं अपने प्रिय के साथ बिताए जीवन के मधुर क्षणों की कहानी किस बल पर सुनाऊँ ? वे खिल-खिलाकर हँसते हुए की गई बातें अब एक असफल प्रेमकथा बन चुकी हैं। उन भूली हुई मधुर-स्मृतियों को जगाकर मैं अपने मन को व्यथित करना नहीं चाहता।।
प्रश्न 19.
‘एक कहानी यह भी’ में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
अथवा
‘अपने खाँ साहब रियाजी और स्वादी दोनों रहे हैं’। ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘भटियारखाना’ शब्द का मूल अर्थ वह स्थान है जहाँ भट्ठी या चूल्हा जलता रहता है। खाना बनाने का काम करने वालों को भटियारा कहा जाता है। इस शब्द का सांकेतिक अर्थ है- वह स्थान जहाँ असभ्य लोग शोरगुल मचाते रहते हैं, अव्यवस्था छाई रहती है। पाठ में इस शब्द का पहला अर्थ ग्रहण किया गया है। रसोईघर में सिर्फ खाना बनाने का काम चलता रहता है। रसोईघर में व्यस्त रहने वाली लड़कियों की प्रतिभा व्यर्थ नष्ट हो जाती है।
लेखिका के पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी रसोई तक ही सीमित रह जाए। वह उसकी प्रतिभा और मौलिक गुणों को प्रकाशित होते देखना चाहते थे। उसे जागरूक बनाना चाहते थे। इसलिए रसोई को उन्होंने भटियारखाना कहकर बेटी को उससे दूर रहने को कहा था।
प्रश्न 20.
‘यह दंतुरित मुसकान’ कविता में कवि ने मानव जीवन के किस सत्य को प्रकट किया है? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (3)
अथवा
‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य का वरण’ – पंक्ति में कवि ने जीवन की असफलताओं को भुलाने को क्यों कहा है? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (3)
उत्तर :
जीवन में मनुष्य को सदा सफलता नहीं मिलती है। वह जो पाना चाहता है, वह उसे बहुत कम ही मिला करता है। केवल अप्राप्त वस्तु के लिए जीवनभर दुःखी होना और निष्क्रिय जीवन बिताना उचित नहीं है। कवि जीवन में आशावादी दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दे रहा है। ‘बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि ले’। जो बीत गया सो बीत गया, उसे भुलाकर भविष्य की चिन्ता करने से ही जीवन सुधरता है।
इस आत्मकथन में कवि अपने मन को समझाना चाहता है कि पिछली और बीती बातों को याद करने से लाभ कछ नहीं होना, उससे तो दुःख और अधिक बढ़ जाता है। जीवन में उन बातों का स्मरण करके दुःखी होने के स्थान पर भविष्य की चिंता करना ही ठीक है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर 300-350 शब्दों में सारगर्भित निबन्ध लिखिए।
(अ) ऑन लाइन शिक्षा : कितनी उपयोगी
(i) प्रस्तावना
(ii) ऑन लाइन शिक्षा
(iii) ज्ञानार्जन का एक नवीन माध्यम
(iv) ऑन लाइन शिक्षा से लाभ
(v) उपसंहार
(ब) आदर्श विद्यार्थी जीवन
(i) विद्यार्थी जीवन का आशय
(ii) विद्यार्थी जीवन का आदर्श
(iii) विद्यार्थी जीवन के उद्देश्य
(iv) विद्यार्थी से समाज व राष्ट्र की अपेक्षाएँ
(v) उपसंहार
(स) ऋतुराज वसंत
(i) प्रस्तावना
(ii) भारत में ऋतुएँ
(iii) ऋतुराज कहलाने के कारण
(iv) उपसंहार
(द) राजस्थान के प्रमुख लोक देवता
(i) लोक देवता से आशय
(ii) प्रमुख लोक देवताओं का संक्षिप्त परिचय
(iii) लोक देवता और लोक आस्था
(iv) उपसंहार
उत्तर :
(स) ऑनलाइन शिक्षा : कितनी उपयोगी
(i) प्रस्तावना- भारत में हजारों वर्षों से शिष्यगण गुरुओं के सम्मुख उपस्थित होकर शिक्षा ग्रहण करते आ रहे हैं। शिक्षा की इस गुरु-शिष्य परंपरा और आश्रम शिक्षा शैली ने न केवल भारत को बल्कि विश्व के अनेक देशों में महान विद्वानों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों, राजनीतिज्ञों और धर्माचार्यों को जन्म दिया है। आज भी माता-पिता और छात्र कक्षा में शिक्षक महोदय के सम्मुख बैठकर शिक्षा ग्रहण करने में अधिक विश्वास रखते हैं।
(ii) ऑन लाइन शिक्षा-अभी भी भारत और विश्व के अनेक देश कोरोना महामारी के भीषण प्रहार को भूल नहीं पाए हैं। यह राष्ट्रीय आपात काल था। सारे देश में लाकडाउन के कारण शिक्षण संस्थाएँ बंद होती चली गई थीं। ऐसे समय में ऑनलाइन शिक्षा-प्रणाली ने छात्रों की सुरक्षा करने में भारी योगदान किया था। आज इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े हुए छात्र काफी खुश और संतुष्ट नजर आ रहे हैं। इस शिक्षण प्रणाली द्वारा छात्र कक्षा में बैठकर पढ़ने के बजाय, इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे पढ़ाई कर सकते हैं, इस शिक्षा पद्धति में एक कम्प्यूटर, लैपटॉप अथवा स्मार्टफोन होना आवश्यक होता है।
(iii) ज्ञानार्जन एक नवीन माध्यम -इस माध्यम से छात्र, दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपने शिक्षक से उत्तम शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इस तकनीक में शिक्षक अपने लैपटॉप में स्थित स्काइप, जूम, गूगल क्लासरूम आदि अनेक एपों के जरिए अपने छात्रों से जुड़ सकते हैं। अनेक कम्पनियों द्वारा ऑनलाइन शिक्षा के लिए विशेष लर्निंग एप भी बनाए गए है। इस प्रकार ऑनलाइन, शिक्षा छात्रों और अध्यापकों के बीच ज्ञानार्जन के एक विश्वसनीय सेतु का काम करती है। ऑनलाइन शिक्षा, शिक्षा का एक सर्वथा नवीन माध्यम है।
(iv) ऑन लाइन शिक्षा से लाभ-शिक्षा या ज्ञान प्राप्त करना हर व्यक्ति का एक मूलभूत अधिकार है। देश का हर नागरिक उत्तम से उत्तम शिक्षा प्राप्त करने का अधिकारी है। शिक्षा सदा से मनुष्य के भावनात्मक, वैचारिक तथा आर्थिक आदि स्तरों के विकास का साधन रही है। व्यक्ति के भविष्य को सुरक्षित बनाने, उसे समाज में उचित स्थान प्राप्त कराने में हमेशा से सहभागिनी रही है। ऑनलाइन शिक्षा ने इन सभी मानवीय आवश्यकताओं की आपूर्ति में प्रशंसनीय भूमिका निभाई है। इस प्रणाली से प्राप्त होने वाले लाभों को आज हम भली-भाँति देख रहे हैं।
ये लाभ संक्षेप में इस प्रकार हैं-
- ऑन लाइन शिक्षा घर बैठे-बैठे प्राप्त की जा सकती है।
- देश और विदेशों की शिक्षण संस्थाओं से शिक्षण प्राप्त किया जा सकता है।
- समय और धन की काफी बचत इस प्रणाली से होती है।
- इस प्रणाली द्वारा दिए जाने वाले शिक्षण कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग भी की जा सकती है। जो भविष्य में कभी भी संदर्भ के रूप में प्राप्त हो सकती है।
- ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से छात्र घर बैठे ही अपनी किसी शिक्षा संबंधी समस्या को सुलझा सकते हैं।
- अब तो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी ऑनलाइन, क्लासेज के माध्यम से की जा सकती है।
- गूगल सर्च, वीडियो, चित्र, एनीमेटेड चित्र तथा गूगल मैप्स आदि के प्रयोग से इस प्रणाली को काफी रोचक बनाया जा सकता है।
- कुकिंग, सिलाई, कढ़ाई, पेटिंग आदि क्रियात्मक विषयों की भी ऑनलाइन पढ़ाई अब संभव है।
- छात्र अनेक आयोजनों, उत्सवों, यात्राओं तथा पर्यटन स्थलों एवं प्रसिद्ध मंदिरों तथा तीर्थों के बारे में घर बैठे ही जान सकते हैं अथवा ज्ञानवर्धन कर सकते हैं।
- आज केवल डिग्रीधारी नहीं बल्कि अपनी जॉब में कुशल कर्मियों को वरीयता दी जा रही है। अतः ऑनलाइन शिक्षा द्वारा अपनी कार्यकुशलता और दक्षता बढ़ाकर छात्र अपने भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं।
(v) उपसंहार-किसी को यह पता नहीं कि कोरोना महामारी कब खत्म होगी या इसके साथ ही जीवन बिताना सीखना होगा। अतः हर छात्र-छात्रा को ऑनलाइन प्रशिक्षण में दक्षता प्राप्त करना आवश्यक हो गया है। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ऑनलाइन व्यवहार के महत्व को निरंतर समझाते और उसके लिए प्रेरित करते रहते हैं।
प्रश्न 22.
विद्यालयों में योग-शिक्षा का महत्व बताते हुए किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
अथवा
कुछ ही समय पूर्व संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में आपके मामाजी द्वारा चुनाव जीतने पर क्षेत्र के मतदाताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कामना करते हुए उन्हें बधाई पत्र लिखिए।
उत्तर :
जयपुर।
दिनांक : 17 नवम्बर, 20–
सेवा में,
संपादक महोदय,
राजस्थान पत्रिका
जयपुर
विषय- विद्यालय में योग-शिक्षा का महत्व बताने हेतु।
महोदय मैं सुरेन्द्र खत्री, रोशन बाग, जयपुर का निवासी हूँ। मैं आपके प्रतिष्ठित दैनिक समाचार-पत्र राजस्थान पत्रिका के माध्यम से विद्यालयों में योग शिक्षा के महत्व के प्रति विद्यालय प्रबंधकों, प्रधानाचार्यों, अध्यापकों, अभिभावकों व विद्यार्थियों को अवगत कराना चाहता हूँ।
महोदय, योग व्यक्ति को अनुशासित व स्वस्थ रहने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अनुशासन व स्वास्थ्य एक विद्यार्थी के उज्ज्वल भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समय में अत्यधिक व्यस्त जीवन शैली के कारण लोगों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तनाव, इत्यादि रोगों को न चाहते हुए भी अपना साथी बना लिया है। योग मनुष्य को इन रोगों से मुक्ति दिलाने का महत्वपूर्ण साधन है। वर्तमान समय में युवा वर्ग भी इन समस्याओं से अछूता नहीं है, इसलिए आवश्यकता है कि युवाओं-छात्रों को विद्यालय में योग की शिक्षा देकर उन्हें इन समस्याओं से बचने का उपाय बताया जाए। अतः मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप विद्यार्थियों के हित में इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में अवश्य प्रकाशित करेंगे।
धन्यवाद।
भवदीय
सुरेन्द्र खत्री
प्रश्न 23.
नेत्रदान को प्रोत्साहन देने हेतु एक विज्ञान 25-50 शब्दों में बनाइये।
अथवा
बालों के तेल के लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर:
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