Students must start practicing the questions from RBSE 10th Social Science Model Papers Set 1 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 10 Social Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi
पूर्णांक : 80
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प का चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) निम्नलिखित में से किसने ‘वन्देमातरम्’ लिखा? [1]
(अ) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(ब) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(स) अवनीन्द्रनाथ टैगोर
(द) द्वारकानाथ टैगोर
उत्तर:
(ब) बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
(ii) ज्युसेपे मेत्सिनी था- [1]
(अ) फ्रांस का क्रान्तिकारी
(ब) इटली का क्रान्तिकारी
(स) ब्रिटेन का क्रान्तिकारी
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) इटली का क्रान्तिकारी
(iii) महामन्दी का प्रारम्भ किस वर्ष हुआ? [1]
(अ) 1919 में
(ब) 1925 में
(स) 1929 में
(द) 1931 में
उत्तर:
(स) 1929 में
(iv) कोयला किस प्रकार का संसाधन है? [1]
(अ) नवीकरण योग्य
(ब)अनवीकरण योग्य
(स) चक्रीय
(द) संभावी
उत्तर:
(ब)अनवीकरण योग्य
(v) निम्नलिखित में से किस राज्य में काली मृदा मुख्य रूप से पायी जाती है? [1]
(अ) महाराष्ट्र
(ब) राजस्थान
(स) उत्तर प्रदेश
(द) हरियाणा
उत्तर:
(अ) महाराष्ट्र
(vi) वन्य जीव अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया [1]
(अ) सन् 1972
(ब) सन् 1973
(स) सन् 1984
(द) सन् 1998
उत्तर:
(अ) सन् 1972
(vii) किस देश में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया ? [1]
(अ) श्रीलंका में
(ब) बेल्जियम में
(स) ब्रिटेन में
(द) भारत में
उत्तर:
(अ) श्रीलंका में
(viii) शासन की किस व्यवस्था में सरकार दो या अधिक स्तरों वाली होती है ? [1]
(अ) एकात्मक व्यवस्था
(ब) संघीय व्यवस्था
(स) सामुदायिक व्यवस्था
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) संघीय व्यवस्था
(ix) भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन-सा कथन गलत है ? [1]
(अ) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ब) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(स) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आज़ादी देता है।
(द) किसी धार्मिक समुदाय के सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।
उत्तर:
(ब) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(x) औसत आय को कहा जाता है- [1]
(क) प्रतिव्यक्ति आय
(ब) राष्ट्रीय आय
(स) सकल राष्ट्रीय उत्पाद
(द) सकल राष्ट्रीय आय
उत्तर:
(अ) प्रतिव्यक्ति आय
(xi) भारत में ग्रामीण क्षेत्र में किस क्षेत्रक का सर्वाधिक योगदान है- [1]
(अ) प्राथमिक
(ब) द्वितीयक
(स) तृतीयक
(द) ये सभी
उत्तर:
(अ) प्राथमिक
(xii) देशों के तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया क्या कहलाती है ? [1]
(अ) उदारीकरण
(ब) वैश्वीकरण
(स) शहरीकरण
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) वैश्वीकरण
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) चेचक जैसे कीटाणु ……………… सैनिकों के सबसे बड़े हथियार थे। [1]
उत्तर:
स्पेनिश
(ii) मानव और अन्य जीव-जन्तुओं द्वारा जिस जटिल तंत्र का निर्माण किया जाता है, उसे …………………… कहते हैं। [1]
उत्तर:
पारिस्थितिकी
(iii) संविधान में किसी भी प्रकार के ………………………. भेदभाव पर रोक लगाई गई है। [1]
उत्तर:
जातिगत
(iv) इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति ही ………………………. के लक्ष्य हैं। [1]
उत्तर:
विकास
(v) प्राथमिक क्षेत्रक को ……………….. भी कहा जाता है। [1]
उत्तर:
कृषि एवं सहायक क्षेत्रक
(vi) परिसम्पत्तियों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा ……………………… कहलाती है। [1]
उत्तर:
निवेश
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (प्रश्नों का उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए।)
(i) सत्याग्रह शब्द से आप क्या समझते हैं? [1]
उत्तर:
महात्मा गाँधी के अनुसार, सत्याग्रह शुद्ध आत्मबल है। सत्य ही आत्मा का आधार होता है। इसीलिए इस बल को सत्याग्रह का नाम दिया गया है।
(ii) रेशम मार्ग क्या थे ? [1]
उत्तर:
ये ऐसे मार्ग थे जो एशिया के विशाल भूभागों को परस्पर जोड़ने के साथ ही यूरोप एवं उत्तरी अफ्रीका से जा मिलते थे।
(iii) मेटरनिख ने किसे हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन बताया? [1]
उत्तर:
ज्युसेपे मेत्सिनी।
(iv) राजस्थान के अर्द्धशुष्क एवं शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है? [1]
उत्तर:
राजस्थान के शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में लोग भूमिगत टैंक अथवा टाँका बनाकर वर्षा जल संग्रहण करते हैं।
(v) झूम (झूमिंग) कृषि भारत के किन-किन राज्यों में की जाती है ? [1]
उत्तर:
झूम (झूमिंग) कृषि भरत के असम, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड आदि राज्यों में की जाती है।
(vi) कपास उगाने वाले दो प्रमुख राज्यों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
(i) महाराष्ट्र
(ii) गुजरात।
(vii) उस देश का नाम लिखिए, जहाँ 1956 के बाद जातीय संघर्ष ने हिंसा और विद्रोह का रूप ले लिया। [1]
उत्तर:
श्रीलंका।
(viii) संघवाद से क्या अभिप्राय है ? [1]
उत्तर:
संघवाद शासन की वह प्रणाली है जिसमें सत्ता का विभाजन केन्द्रीय प्राधिकार और सरकार की अंगीभूत इकाइयों के मध्य होता है।
(ix) टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस में समानता बताइये। [1]
उत्तर:
टॉमी स्मिथ एवं जॉन कार्लोस दोनों ही एफ्रो अमेरिकी खिलाड़ी थे।
(x) जैव संसाधन और अजैव संसाधन का एक-एक उदाहरण दीजिए। [1]
उत्तर:
जैव संसाधन-मनुष्य
अजैव संसाधन-लौह अयस्क
(xi) प्राथमिक क्षेत्र में कौन-सी आर्थिक गतिविधियाँ सम्मिलित की जाती हैं ? [1]
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्रक में कृषि, पशुपालन, मत्स्य पालन, खनन, आखेट, संग्रहण, मुर्गीपालन आदि गतिविधियाँ सम्मिलित की जाती हैं।
(xii) अपेक्षाकृत नवीन परिघटना कौन-सी है ? [1]
उत्तर:
हमारे बाजारों में वस्तुओं के बहुव्यापी विकल्प अपेक्षाकृत नवीन परिघटना है।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न-प्रश्न सं. 4 से 16 के उत्तर लिखिए। (शब्द सीमा 50 शब्द)
प्रश्न 4.
“खाद पदार्थों ने दूट देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।” इस कथन को तीन उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
जब भी.व्यापारी एवं यात्री किसी नये देश में जाते थे तो वहाँ जाने-अनजाने नई फसलों के बीज बो आते थे। उदाहरणस्वरूप; नूडल्स चीन से पश्चिमी देशों में पहुँचे और वहाँ उन्हीं से स्पैघेत्ती का जन्म हुआ। यह भी सम्भव है कि पास्ता अरब यात्रियों के साथ पाँचवीं शताब्दी में सिसली (इटली) पहुँचा। आलू, सोयाबीन, टमाटर, मूंगफली, मक्का, मिर्च व शकरकन्द आदि खाद्य पदार्थ कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज़ के पश्चात् अमेरिका से यूरोप व एशिया के देशों में पहुँचे।
प्रश्न 5.
जीते हुए इलाकों में स्थानीय लोगों की फ्रांसीसी शासन के प्रति क्या प्रतिक्रियाएँ थीं? [2]
उत्तर:
जीते हुए इलाकों में स्थानीय लोगों ने फ्रांसीसी शासन के प्रति मिली-जुली प्रतिक्रिया दिखलाई-
कई स्थानों एवं शहरों में फ्रांसीसी सेना का स्वतन्त्रता के रक्षक के रूप में स्वागत किया गया। परन्तु यह उत्साह शीघ्र ही दुश्मनी में परिवर्तित हो गया क्योंकि नवीन प्रशासनिक व्यवस्थाएँ लोगों को राजनीतिक स्वतन्त्रता के अनुरूप नहीं लगी थीं। करों में वृद्धि, सेंसरसिप, फ्रांसीसी सेना में जबरदस्ती भर्ती आदि फ्रांसीसी शासन द्वारा उठाये गये कुछ ऐसे कदम थे, जिनका स्थानीय लोगों ने बहुत अधिक विरोध किया।
प्रश्न 6.
1909 में गाँधीजी द्वारा रचित पुस्तक का नाम बताइए। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग की नीति क्यों अपनायी? [2]
उत्तर:
महात्मा गाँधी जी ने 1909 में ‘हिन्दू स्वराज’ नामक पुस्तक का लेखन किया था।
गाँधी जी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह शासन उसी सहयोग की वजह से चल रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो वर्ष भर के भीतर ही ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज्य की स्थापना हो जायेगी।
प्रश्न 7.
संसाधन नियोजन की क्या आवश्यकता है ? [2]
उत्तर:
संसाधनों के नियोजन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है-
- अधिकांश संसाधनों की आपूर्ति सीमित होती है।
- अधिकांश संसाधनों का वितरण सम्पूर्ण देश में समान नहीं होता है, अतः समुचित वितरण हेतु नियोजन आवश्यक है।
- संसाधनों की बर्बादी पर रोक लगती है।
- पर्यावरण प्रदूषण मुक्त हो जाता है।
- वर्तमान में सभी को संसाधन प्राप्त होते हैं।
- संसाधनों को भावी पीढ़ियों के लिए
प्रश्न 8.
संकटग्रस्त एवं लुप्त जातियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
संकटग्रस्त एवं लुप्त जातियों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
संकटग्रस्त जातियाँ | लुप्त जातियाँ |
1. ये वे जातियाँ हैं जिनके लुप्त होने का खतरा है। | | 1. ये वे जातियाँ हैं जो पूर्णतः समाप्त हो गई हैं। |
2. जिन परिस्थितियों के कारण इनकी संख्या कम हुई है यदि वे अनवरत रूप से जारी रहती हैं तो इन जातियों का जीवित रहना कठिन है। | 2. ये जातियाँ पहले से ही सम्पूर्ण पृथ्वी से गायब हो चुकी हैं और इनका जीवित होना संदेहास्पद है। |
3. उदाहरण-
मगरमच्छ, काला हिरण, भारतीय जंगली गधा, गैंडा, शेर की पूँछ वाला बन्दर संगाई (मणिपुरी हिरण) आदि। |
3. उदाहरण –
एशियाई चीता, गुलाबी सिर वाली बत्तख आदि। |
प्रश्न 9.
जीन क्रांति किसे कहते हैं? कार्बनिक कृषि का आज अधिक प्रचलन क्यों है? दो कारण दीजिए। [2]
उत्तर:
जननिक इंजीनियरिंग द्वारा बीजों की नई संकर किस्मों को तैयार कर फसलों का उत्पादन बढ़ाए जाने को जीन क्रांति कहा जाता है। आज कार्बनिक कृषि के अधिक प्रचलन के दो कारण निम्नलिखित हैं-
- इसमें उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- इसका पर्यावरण पर किसी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न 10.
सत्ता की साझेदारी क्यों वांछनीय है ? बताइए। [2]
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी निम्नलिखित कारणों से वांछनीय है
(i) टकराव को रोकने के लिए-सत्ता की साझेदारी वांछनीय है क्योंकि यह सामूहिक समूहों के मध्य संघर्ष की सम्भावना को कम करती है। चूँकि सामाजिक टकराव आगे बढ़कर अक्सर हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के स्थायित्व के लिए अच्छा है।
(ii) लोकतन्त्र की आत्मा-आधुनिक प्रजातन्त्र में शक्ति जनता के हाथों में निहित रहती है। इसका प्रयोग जनता निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा करती है। इस प्रकार समस्त समूह सत्ता में भागीदारी के माध्यम से शासन
व्यवस्था से जुड़े रहते हैं।
प्रश्न 11.
सत्ता के विकेन्द्रीकरण से आप क्या समझते हैं? [2]
उत्तर:
जब केन्द्र और राज्य सरकार से शक्तियाँ लेकर
स्थानीय सरकारों को दी जाती हैं तो इसे सत्ता का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। भारत में संघीय सत्ता की साझेदारी तीन स्तरों पर की गई है-
- केन्द्रीय स्तर,
- राज्य स्तर,
- स्थानीय स्तर।
सत्ता के विकेन्द्रीकरण में प्रथम दो स्तरों केन्द्रीय स्तर व राज्य स्तर से शक्तियाँ लेकर स्थानीय सरकारों को प्रदान की जाती हैं। भारत में स्थानीय सरकारों को सन् 1992 में संविधान संशोधन के माध्यम से अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। प्रत्येक राज्य में इन संस्थाओं के चुनाव हेतु चुनाव आयोग की व्यवस्था की गयी है।
प्रश्न 12.
“लोकतन्त्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक सामान्य बात है और यह एक स्वस्थ राजनीतिक लक्षण भी हो सकता है।” कथन की व्याख्या कीजिए। [2]
उत्तर:
लोकतंत्र में सामाजिक विभाजन की राजनीतिक अभिव्यक्ति एक स्वस्थ राजनीतिक लक्ष्य भी हो सकता है। इससे विभिन्न छोटे सामाजिक समूह हाशिए पर पड़ी जरूरतों और परेशानियों को जाहिर करते हैं तथा सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं। राजनीति में विभिन्न प्रकार के सामाजिक विभाजनों के बीच की अभिव्यक्ति ऐसे विभाजनों के मध्य संतुलन उत्पन्न करने का कार्य भी करती है। इसके चलते कोई भी सामाजिक विभाजन एक सीमा से अधिक उग्र नहीं हो पाता। इस स्थिति में लोकतंत्र मजबूत ही होता है।
प्रश्न 13.
देशों के बीच तुलना करने के लिए कुल आय अधिक उपयुक्त माप नहीं है । क्यों? [2]
उत्तर:
देशों के बीच तुलना करने के लिए कुल आय अधिक उपयुक्त माप नहीं है क्योंकि देशों की जनसंख्या अलग-अलग होती है। कुल आय की तुलना करने से हमें यह ज्ञात नहीं होता है कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है? क्या एक देश के लोग दूसरे देश के लोगों से बेहतर हैं? इसलिए हम औसत आय की तुलना करते हैं जो कि देश की कुल आय में कुल जनसंख्या का भाग देकर निकाली जाती है।
प्रश्न 14.
खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए। [2]
उत्तर:
खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच निम्नलिखित विभेद (अन्तर) हैं|
खुली बेरोजगारी | प्रच्छन्न बेरोजगारी |
1. इसके अन्तर्गत एक श्रमिक काम करने के लिए तैयार होता है, परन्तु उसे काम नहीं मिलता। | 1. इसके अन्तर्गत श्रमिक काम करता है परन्तु यदि उसे इस काम से हटा दिया जाए तो उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात् कोई कमी नहीं आती है। |
2. यह स्थाई प्रकृति की होती है। | 2. यह अस्थाई प्रकृति की होती है। |
3. इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः देश के औद्योगिक क्षेत्रों में पायी जाती है। | 3. इस प्रकार की बेरोजगारी प्रायः कृषि क्षेत्र में पाई जाती है। |
4. यह बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन खेतिहर मजदूरों में भी पाई जाती है। | 4. यह बेरोजगारी शहरी क्षेत्रों में छोटी-छोटी दुकानों एवं छोटे व्यवसायों में लगे परिवारों में भी पाई जाती है। |
प्रश्न 15.
औपचारिक ऋण क्षेत्रक और अनौपचारिक ऋण क्षेत्रक में किन्हीं चार अन्तरों का उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
ऋण के औपचारिक व अनौपचारिक स्रोतों में निम्नलिखित अन्तर हैं-
औपचारिक स्रोत | अनौपचारिक स्रोत |
1. इसके अन्तर्गत ऋण के वे स्रोत सम्मिलित होते हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं। | 1. इसके अन्तर्गत वे छोटी और छुटपुट इकाइयाँ सम्मिलित होती हैं जो प्रायः सरकार के नियन्त्रण से बाहर होती हैं। |
2. इन्हें सरकारी नियमों व विनियमों का पालन करना पड़ता है। | 2. यद्यपि इनके लिए भी सरकारी नियम और विनियम होते हैं परन्तु उनका पालन नहीं किया जाता। |
3. ऋण के औपचारिक स्रोतों में बैंक व सहकारी समितियाँ हैं। | 3. ऋण के अनौपचारिक स्रोतों में साहूकार, व्यापारी, नियोक्ता, भूस्वामी, रिश्तेदार एवं मित्र आदि होते हैं। |
4. भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के कामकाज पर नजर रखता है। | 4. अनौपचारिक स्रोत में ऐसी कोई संस्था नहीं है जो ऋणदाताओं की ऋण क्रियाओं का निरीक्षण करती है। |
प्रश्न 16.
प्रौद्योगिकी ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को किस प्रकार उत्प्रेरित किया है? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका निम्नलिखित है-
- प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति वह कारक है जिसने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित किया।
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी अर्थात् दूरसंचार, कम्प्यूटर व इंटरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का तीव्र विकास हुआ है। इन्होंने सम्पूर्ण विश्व में एक-दूसरे से सम्पर्क को आसान बना दिया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग किया जा रहा है।
- प्रौद्योगिकी ने विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में मुख्य भूमिका निभायी है।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-प्रश्न सं. 17 से 20 के उत्तर लिखिए। (शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 17.
रूमानीवाद से आप क्या समझते हैं ? रूमानीवाद ने राष्ट्रीयता की धारणा के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ? वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
यूनानी स्वतंत्रता युद्ध की विशेषताएँ लिखिए। [3]
उत्तर:
यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में सांस्कृतिक जुड़ाव को रूमानीवाद नाम दिया गया। रूमानीवाद ने राष्ट्रीयता की धारणा के विकास में निम्न प्रकार योगदान दिया-
(i) लोक संस्कृति-प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक योहना गॉटफ्रीड ने दावा किया कि रूमानी जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी। उसने लोक संगीत, लोक काव्य एवं लोक नृत्यों के माध्यम से जर्मन राष्ट्र की भावना को प्रचारित व प्रसारित किया।
(ii) भाषा-राष्ट्रवाद के विकास में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसका उदाहरण पोलैण्ड है। पोलैण्ड में राष्ट्रवाद के विकास में भाषा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। पोलैण्ड के रूस के कब्जे वाले हिस्सों में पोलिश भाषा को विद्यालयों से बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को जबरदस्ती लाद दिया गया। जब पादरियों और बिशपों ने रूसी बोलने से इन्कार कर दिया तो उन्हें सजा दी गयी। इस प्रकार पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी।
(iii) संगीत-पोलैण्ड में परतन्त्रता की स्थिति में संगीत के द्वारा ही राष्ट्रीय भावना जाग्रत रखी गयी। कैरोल कुर्पिस्की नामक एक पोलिश नागरिक था जिसने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने ऑपेरा व संगीत से गुणगान किया तथा पोलेनेस व माजुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय
प्रतीक में बदल दिया।
प्रश्न 18.
आपके मतानुसार भारत में जल संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है ? कारण दीजिए। [3]
अथवा
जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है? बताइए। [3]
उत्तर:
आज भारत में लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पेयजल एवं कृषि फसलों की सिंचाई हेतु जल की आवश्यकता निरन्तर बढ़ती जा रही है लेकिन स्वच्छ जल की निरन्तर आपूर्ति कम होती जा रही है। फलस्वरूप जल संरक्षण एवं प्रबन्धन वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता महसूस की जा रही है। भारत में जल संरक्षण एवं प्रबन्धन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से भी है-
- जल की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धि के बावजूद इसके अतिशोषण, अत्यधिक प्रयोग एवं समाज के विभिन्न वर्गों में जल के असमान वितरण के कारण इसके संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता बढ़ गयी है।
- प्राकृतिक पारितन्त्र को निम्नीकृत होने से बचाने के लिए जल का संरक्षण महत्वपूर्ण है। .
- बढ़ती जनसंख्या, कृषि का आधुनिकीकरण, शहरीकरण व औद्योगीकरण के कारण नदियों का जल प्रदूषित हुआ है। यह समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इससे सम्पूर्ण जीवन खतरे में है।
- फसलों का उगाना भी जल की उपलब्धता पर निर्भर है।
- जल पीने एवं घरेलू उपयोग के लिए भी प्रयोग होता है। शहरों की बढ़ती जनसंख्या एवं शहरी जीवन शैली के कारण जल की माँग बढ़ती ही जा रही है।
इन सबके लिए जल की भविष्य में आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए संरक्षण एवं प्रबंधन की आवश्यकता है।
प्रश्न 19.
विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिए, जिनके माध्यम से भारत में महिलाओं के साथ भेदभाव और उनका दमन होता है। [3]
अथवा
आपके मतानुसार जातीय विभाजन कैसे एक चुनौती है? कोई तीन तर्क लिखिए। [3]
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के साथ अभी भी जीवन के निम्नलिखित पहलुओं में भेदभाव होते हैं-
(i) शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव-आज भी भारत के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ लड़कियों को शिक्षा के लिए नहीं भेजा जाता है। यदि भेजा भी जाता है तो मात्र औपचारिकता पूरी करने के लिए। देश में स्त्री साक्षरता आज भी कम है। यद्यपि विद्यालयी परीक्षाओं के परिणामों में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से अच्छा रहता है लेकिन आगे की पढ़ाई के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाते हैं क्योंकि उनके माता-पिता अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर खर्च करने के स्थान पर लड़कों पर अधिक खर्च करना पसंद करते हैं।
(ii) उच्च पदों पर स्त्रियों की कम संख्या-आज भी भारत में उच्च वेतन एवं उच्च पदों पर कार्य करने वाली स्त्रियों की संख्या सीमित है।
(iii) समान कार्य के लिए समान मजदूरी नहीं-हमारे देश के समान मजदूरी से सम्बन्धित अधिनियम में कहा गया है कि समान काम के लिए समान मजदूरी प्रदान की जाएगी लेकिन कार्य के प्रत्येक क्षेत्र में स्त्रियों को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती है। भले ही दोनों ने समान कार्य किया हो।
(iv) स्त्रियों का उत्पीड़न व शोषण-हमें समाचार-पत्रों में प्रतिदिन ही स्त्रियों के. उत्पीड़न, शोषण एवं उन पर होने वाली हिंसा की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। शहरी क्षेत्रों में स्त्रियाँ विशेष रूप से असुरक्षित हैं। वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि वहाँ भी उन्हें मारपीट एवं अनेक प्रकार की घरेलू हिंसा को सहन करना पड़ता है।
प्रश्न 20.
शहरी गरीबों व अमीरों के ऋणों में औपचारिक साख के योगदान की तुलना कीजिए। औपचारिक क्षेत्र की ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु कोई दो सुझाव दीजिए। [3]
अथवा
भातीय रिजर्व बैंक द्वारा ऋणों के औपचारिक स्रोतों के निरीक्षण की आवश्यकता के कारण स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
गरीबों की तुलना में अमीर परिवारों को औपचारिक ऋणों का अधिक हिस्सा मिलता है क्योंकि अमीर परिवारों के पास ऋण लेने हेतु समर्थक ऋणाधार होता है तथा उन परिवारों की ऋण चुकाने की क्षमता भी अधिक होती जिस प्रकार से साहूकार, महाजन आदि गरीबों का शोषण करते हैं, जबकि औपचारिक स्रोतों द्वारा कर्ज लिए जाने पर उनका शोषण नहीं किया जाता है। गरीबों को उचित व कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार से अमीरों को ऋण उचित ब्याज दरों पर प्रदान कर औपचारिक संस्थाएँ, बहुत से उद्योगपतियों की उनकी विनियोग संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं। जिससे लोगों को रोजगार की प्राप्ति होती है तथा राष्ट्रीय उत्पादन व आय में भी वृद्धि होती है। औपचारिक क्षेत्र की ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु दो उपाय इस प्रकार से हैं|
- औपचारिक स्रोतों को गैर-उत्पादक उद्देश्यों के लिए भी ऋण प्रदान करना चाहिए।
- औपचारिक स्रोतों को ऋण के दस्तावेज संबंधी प्रक्रिया सरल कर देनी चाहिए, जिससे कि सभी जरूरतमंद लोग जरूरत के समय जल्द से जल्द ऋण प्राप्त कर सकें।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न-प्रश्न सं. 21 से 22 के उत्तर लिखिए। (शब्द सीमा 250 शब्द)
प्रश्न 21.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन किन परिस्थितियों में चलाया गया ? [4]
अथवा
जलियाँवाला बाग हत्याकांड का वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन एवं नमक आन्दोलन
निम्न परिस्थितियों में चलाया गया-
(i) साइमन कमीशन की असफलता- भारत में राष्ट्रवादियों की बढ़ती हुई गतिविधियों को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन कर दिया। इस आयोग का प्रमुख कार्य भारत में संवैधानिक कार्य शैली का अध्ययन कर उसके बारे में सुझाव देना था। इंस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य न होने के कारण 1928 ई. में इस कमीशन के भारत पहुँचने पर उसका स्वागत साइमन कमीशन वापस जाओ (साइमन कमीशन गो बैक) के नारों से किया गया। इस तरह यह कमीशन भारतीय लोगों एवं नेताओं की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा।
(ii) पूर्ण स्वराज की माँग-दिसम्बर, 1929 ई. में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग को औपचारिक रूप से मान लिया गया। इस अधिवेशन में 26 जनवरी, 1930 ई. को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय किया गया। उस दिन लोग पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे। परन्तु इस उत्सव की ओर बहुत ही कम लोगों का ध्यान गया। अतः महात्मा गाँधी को स्वतन्त्रता के इस अमूर्त विचार को दैनिक जीवन के ठोस मुद्दे से जोड़ने के लिए कोई और रास्ता ढूँढ़ना था।
(iii) गाँधीजी की 11 माँगें-31 जनवरी, 1930 ई. को गाँधीजी ने भारतीय जनता के साथ हो रहे अन्याय को समाप्त करने के लिए अंग्रेज वायसराय लॉर्ड इरविन के समक्ष 11 माँगों को प्रस्तुत करते हुए एक पत्र लिखा। इनमें एक प्रमुख माँग थी-नमक पर लगाए कर को समाप्त करना। महात्मा गाँधी का यह पत्र एक चेतावनी की तरह था। यदि 11 मार्च, 1930 तक उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी। लॉर्ड इरविन ने गाँधीजी की शर्ते मानने से इन्कार कर दिया फलस्वरूप गाँधीजी ने अपने विश्वासपात्र 78 स्वयंसेवकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से दांडी तक यात्रा की। गाँधीजी ने दांडी पहँचकर समद्र का पानी उबालकर नमक बनाना प्रारम्भ कर दिया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुआत
थी।
(iv) आर्थिक कारण-1929 ई. की आर्थिक महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था विशेषकर कृषि पर बहुत अधिक दुष्प्रभाव पड़ा। कृषि उत्पादों की कीमतें बहुत अधिक गिर गयीं वहीं दूसरी ओर औपनिवेशिक सरकार ने लगानों में वृद्धि कर दी जिससे किसानों को अपनी उपज बेचकर लगान चुकाना भी कठिन हो गया। व्यापारी वर्ग औपनिवेशिक सरकार के व्यापार नियमों से परेशान थे। इन सब कारणों ने आन्दोलन करने के मार्ग को प्रशस्त
किया।
प्रश्न 22.
लोकतंत्र के लिए नेपालियों के जनसंघर्ष एवं बोलिविया के जलयुद्ध से आप क्या सामान्य निष्कर्ष निकाल – सकते हैं ? [4]
अथवा
दबाव समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी हैं? स्पष्ट कीजिए। [4]
उत्तर:
नेपाल में जनसंघर्ष-नेपाल में जनसंघर्ष का प्रमुख उद्देश्य लोकतन्त्र की पुनर्स्थापना करना था। सप्तदलीय गठबन्धन (एस. पी. ए.) ने काठमांडू में चार दिवसीय बंद का आह्वान किया, जिसमें माओवादी बागी व अन्य संगठन भी साथ हो लिए। 24 अप्रैल 2006 को राजा ने आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें मान ली। संसद की बहाली की गई, नई संविधान सभा के गठन की बात भी मान ली गयी। संसद ने विभिन्न कानून पारित कर राजा की अधिकांश शक्तियों को वापस ले लिया। इस प्रकार नेपाल में लोकतन्त्रात्मक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना हुई।
बोलिविया का जलयुद्ध-बोलिविया, लैटिन अमेरिका का एक निर्धन देश है। जल के लिए बोलिविया का संघर्ष लोकतांत्रिक पद्धति से निर्वाचित सरकार के निर्णय के विरुद्ध हुआ। विश्व बैंक के दबाव में वहाँ की सरकार ने नगर पालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति का अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी को बेच दिया। बहुराष्ट्रीय कम्पनी को कोचबंबा शहर में जलापूर्ति करनी थी। इस कम्पनी ने शीघ्र ही पानी की कीमतों में चार गुना तक वृद्धि कर दी। इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कम्पनी द्वारा पानी के बिलों में की गयी वृद्धि के विरोध में बोलिविया में एक स्वतः स्फूर्त जन संघर्ष प्रारम्भ हो गया।
इस संघर्ष को बोलिविया के जलयुद्ध के नाम से जाना जाता है। जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कम्पनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा तथा बोलिविया की सरकार को आन्दोलनकारियों की समस्त माँगें माननी पड़ी।
लोकतंत्र के लिए नेपाल के लोगों द्वारा किए गए जनसंघर्ष एवं बोलिविया के लोगों द्वारा जल के लिए किए गए जनसंघर्ष से हम निम्नलिखित सामान्य निष्कर्ष निकाल सकते है-
(i) लोकतन्त्र का जनसंघर्ष के माध्यम से विकास-लोकतंत्र का जनसंघर्ष के माध्यम से विकास होता है। यह भी संभव है कि कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले आम सहमति से हो जाएँ तथा ऐसे फैसलों के पीछे किसी प्रकार का संघर्ष न हो। फिर भी इसे अपवाद ही कहा जाएगा। लोकतंत्र की निर्णायक घड़ी प्रायः वही होती है जब सत्ताधारी लोगों एवं सत्ता में हिस्सेदारी चाहने वाले लोगों के मध्य संघर्ष होता है। ऐसी घड़ी तब आती है जब कोई देश लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ा . रहा हो, उस देश में लोकतंत्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।
(ii) जनता की व्यापक लामबंदी से लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबंदी के माध्यम से होता है। कभी-कभी इस संघर्ष का समाधान वर्तमान संस्थाओं जैसे संसद अथवा न्यायपालिका के माध्यम से हो जाए लेकिन जब विवाद अधिक गहन हो जाए तो सरकार के संगठन भी उसका हिस्सा बन जाते हैं। ऐसी स्थिति में समाधान इन संस्थाओं के माध्यम से नहीं बल्कि उनके बाहर अर्थात जनता के माध्यम से होता है।
(iii) संगठित राजनीति-इस प्रकार के संघर्ष एवं लामबंदियों का आधार राजनीतिक संगठन होते हैं। यद्यपि इस प्रकार की घटनाओं में स्वतः स्फूर्त होने का भाव भी कहीं तक मौजूद जरूर होता है लेकिन जनता की स्वतः स्फूर्त सार्वजनिक भागीदारी संगठित राजनीति के माध्यम से सफल हो जाती है। संगठित राजनीति के कई माध्यम हो सकते हैं ऐसे माध्यमों में राजनीतिक दल, दबाव समूह एवं आन्दोलनकारी समूह सम्मिलित हैं।
प्रश्न 23.
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए- [4]
(क) कैगा
(ख) हजारीबाग
(ग) विजयबाड़ा
(घ) कोलकाता
अथवा
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए – [4]
(क) विजयबाड़ा
(ख) नाहरकटिया
(ग) चित्रदुर्ग
(घ) सुंदरगढ़
उत्तर:
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