Students must start practicing the questions from RBSE 12th Biology Model Papers Board Model Paper 2022 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Biology Board Model Paper 2022 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूणांक : 56
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:-
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न क्रमांक 16 से 20 तक में आन्तरिक विकल्प है।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में उत्सर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए।
(i) निम्न में से कौनसा अनिषेकजनन करने वाला जीव है? [1]
(अ) केंचुआ
(ब) स्पंज
(स) मधुमक्खी
(द) एस्केरिस
उत्तरः
(स) मधुमक्खी
(ii) एक प्रारूपिक परिपक्व आवृतबीजी भ्रूणकोष में कितने केन्द्रक व कोशिकाएं उपस्थित होती हैं? [1]
(अ) 7, 7
(ब) 8, 8
(स) 8, 7
(द) 7,8
उत्तरः
(स) 8, 7
(iii) कौनसा जीव XO प्रकार का लिंग निर्धारण प्रदर्शित करता है? [1]
(अ) मानव
(ब) फलमक्खी
(स) पक्षी
(द) टिड्डा
उत्तरः
(द) टिड्डा
(iv) डीएनए की आण्विक संरचना में नाइट्रोजन क्षार कौनसे बंध द्वारा पैंटोज शर्करा से जुड़ता है? [1]
(अ) हाइड्रोजन
(ब) ग्लाइकोसिडिक
(स) फास्फोएस्टर
(द) फास्फोडाइएस्टर
उत्तरः
(ब) ग्लाइकोसिडिक
(v) निम्न में से कौनसा स्व प्रतिरक्षा रोग का उदाहरण है? [1]
(अ) एड्स
(ब) आमवाती संधिशोध
(स) कैंसर
(द) हाथीपांव
उत्तरः
(ब) आमवाती संधिशोध
(vi) कौनसा रोग असंक्रामक रोग का उदाहरण है? [1]
(अ) सामान्य जुकाम
(ब) दाद
(स) कैंसर
(द) टाइफाइड
उत्तरः
(स) कैंसर
(vii) निम्न में से कौनसी किस्म गेहूँ की पर्ण व धारी किट्ट प्रतिरोधी है? [1]
(अ) शरबती सोनार
(ब) सोनालिका
(स) कल्याण सोना
(द) हिमगिरी
उत्तरः
(द) हिमगिरी
(viii) डीएनए खण्डों को जोड़ने में उपयोग किया जाने वाला एन्जाइम कौनसा है? [1]
(अ) डीएनए लाइगेज
(ब) डीएनए पॉलीमरेज
(स) डीएनए हेलीकेज
(द) प्रतिबंधन एन्जाइम
उत्तरः
(अ) डीएनए लाइगेज
(ix) बीटी कपास में समाविष्ट किये गये क्राई जीन कौनसे हैं? [1]
(अ) क्राई I Ac & क्राई II Ab
(ब) क्राई I Ac & क्राई I Ab
(स) क्राई II Ac & क्राई I Ab
(द) क्राई II Ac & क्राई II Ab
उत्तरः
(अ) क्राई I Ac & क्राई II Ab
2. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए :
(i) ऊतक संवर्धन द्वारा हजारों की संख्या में पादपों को उत्पन्न करने की विधि ……….. कहलाती है। [1]
(ii) संसार में कुल ……….. जैव विविधता हॉट स्पॉट हैं। [1]
(ii) मानव जीनोम के बहुत बड़े भाग का निर्माण ……. द्वारा होता है। [1]
(iv) अवसादी पोषक चक्र के भंडार धरती के ……… में स्थित होते हैं। [1]
उत्तर:
(i) सूक्ष्म प्रवर्धन
(ii) 34
(iii) पुनरावृत्ति अनुक्रम
(iv) पटल
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द व एक पंक्ति में दीजिए।
(i) सहलग्नता को परिभाषित कीजिए। [1]
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक जीन एक ही गुणसूत्र पर तथा पास पास स्थित होते हैं तो वे स्वतंत्र अपव्यूहन को प्रदर्शित नहीं करते। वे एक साथ वंशानुगत हो जाते हैं। इस लक्षण को सहलग्नता कहते हैं।
(ii) बिन्दु उत्परिवर्तन से उत्पन्न एक रोग का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
सिकल सेल एनिमिया।
(iii) प्रतिरक्षा की परिभाषा लिखिए। [1]
उत्तर:
प्रतिरक्षा : किसी विशिष्ट रोगाणुओं के प्रति प्रतिरोध प्राप्त करना प्रतिरक्षा कहलाता है।
(iv) विषाणु मुक्त पादप तैयार करने के लिए पादपका कौनसा भाग अधिक उपयुक्त है, तथा क्यों? [1]
उत्तर:
प्ररोह के शीर्षस्थ व कक्षीय विभज्योत्तक को कतॊतक के रूप में लेकर व उसका संवर्धन करके रोगमुक्त पादप तैयार किये जा सकते हैं क्योंकि रोगग्रस्त पादप के भी प्ररोह शीर्ष व कक्षीय विभज्योतक रोगमुक्त होते हैं।
(v) वैद्युतकणसंचलन को परिभाषित कीजिए। [1]
उत्तर:
प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज एंजाइम के द्वारा DNA को काटने के परिणामस्वरूप DNA का खंडन हो जाता है। DNA के इन खण्डों को एक तकनीकी के द्वारा अलग किया जा सकता है जिसे जेल वैद्युत कण संचलन कहते हैं।
(vi) पारजीवी जंतु को परिभाषित कीजिए। [1]
उत्तर:
ऐसे जन्तु जिनमें जीन स्थानान्तरित किये गये हों, उन्हें पारजीवी जन्तु कहते हैं।
(vii) नेट प्राथमिक उत्पादक से आप क्या समझते हैं? [1]
उत्तर:
उत्पादकों की श्वसन क्रिया के बाद बचे हुथे जैव भार या ऊर्जा की दर को शुद्ध या नेट प्राथमिक उत्पादकता कहते हैं।
(viii) बाह्यस्थाने व स्वस्थाने संरक्षण का एक उदाहरण लिखिए। [1]
उत्तर:
बाह्यस्थाने संरक्षण उदाहरण- वन्यजीव अभ्यारण, राष्ट्रीय उद्यान।
स्वस्थाने संरक्षण उदाहरण- जीन बैंक, जन्तु उद्यान, वानस्पतिक उद्यान।
खण्ड – ब
लघु उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 50 शब्द)
प्रश्न 4.
बन्ध्य दंपतियों को संतान पाने हेतु सहायता देने वाली तीन विधियों के नाम लिखिए। [1.5]
उत्तर:
- युग्मक फैलोपीयन नलिका स्थानान्तरण (GIFT)।
- पात्रे निषेचन या टेस्ट ट्यूब बेबी।
- जीवे निषेचन।
प्रश्न 5.
यौन संचारित रोगों के संपर्क में आने से बचने के लिए अपनाए जाने वाले तीन उपाय सुझाइए। [1.5]
उत्तर:
- अनजान व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध ना बनाये।
- संक्रमित माता से शिशु में रोग उत्पन्न होता है। ऐसी स्थिति में स्त्री को माँ बनने से रोकें।
- अपने लैंगिक अंगों को नियमित रूप से, नहाते वक्त साफ करें।
प्रश्न 6.
कायिक संकरण को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए। [1.5]
उत्तर:
कायिक संकरण : दो भिन्न किस्मों या वंशों के जीवद्रव्यकों का संलयन करवाकर संकर प्रोटोप्लास्ट बनाने की प्रक्रिया को – कायिक संकरण कहते हैं। इस क्रिया के द्वारा आलू व टमाटर के प्रोटोप्लास्ट लेकर संलयन कराया गया है जिससे प्राप्त कायिक संकर से नये पौधे का जन्म होता है, जिसे पोमेटो या टापेटो के नाम से जाना गया।
प्रश्न 7.
एकल कोशिका प्रोटीन से आप क्या समझते हैं? उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए। [1.5]
उत्तर:
एकल कोशिका प्रोटीन (एससीपी): एकल कोशिका प्रोटीन से अर्थ जैसे- सूक्ष्मजीवों, जीवाणुओं, कवक, यीस्ट शैवाल के बड़े पैमाने में प्राप्त प्रोटीन से है। प्रोटीन के अतिरिक्त यह खनिज, विटामिन व कार्बोहाइड्रेट का भी अच्छा स्त्रोत हो सकता है। व्यापक अर्थों में मशरूम जैसे बड़े कवकों को भी शामिल किया गया है। जब सूक्ष्मजीवों की कोशिका को भोजन व चारे के रूप में उपयोग में लाया जाता है, जिन्हें सूक्ष्मजैविक प्रोटीन कहते हैं, ये एकल कोशिकाएँ होती हैं, इसलिए इन्हें SCP कहते हैं। SCP के स्रोत शैवाल, कवक, जीवाणु, यीस्ट आदि हैं। गणना की दृष्टि से पाया गया कि एक 250 kg की गाय प्रतिदिन में 200 gm प्रोटीन बना पाती है। इतने ही समय में 250 gm जीवाणु मिथाइलोफिलस मिथाइलोट्रोप्स से 25 टन तक प्रोटीन उत्पन्न करते हैं। यही कारण है कि सूक्ष्मजीवों को SCP के रूप में स्वीकार किया गया।
प्रश्न 8.
प्रतिकृतीयन का उद्भव क्या है?। [1.5]
उत्तर:
प्रतिकृतीयन का उद्भव (Origin of Replication):
वाहक में प्रतिकृतियन का उद्गम होना चाहिए। यह वह अनुक्रम होता है जो प्रतिकृतियन प्रारंभ करने के लिए आवश्यक होता है।
जब DNA खण्ड इस अनुक्रम से जुड़ जाता है, तब ही परपोषी कोशिका में प्रतिकृतियन संभव होता है।
यह अनुक्रम DNA प्रतिरूपों की संख्या को नियंत्रित करने के ६ लिए उत्तरदायी होता है।
प्रश्न 9.
बायोरिएक्टर से आप क्या समझते हैं?। [1.5]
उत्तर:
बायोरिएक्टर- बायोरिएक्टर एक बड़े पात्र के समान होता है जिसमें सूक्ष्म जीवों, पादप, जंतु या मानव कोशिका की सहायता – से कच्ची सामग्री को जैविक रूप से विशिष्ट उत्पादों एवं व्यष्टि एंजाइमों में परिवर्तित किया जा सकता हैं।
बायोरिएक्टर वांछित उत्पादों को अम्ल, क्षार, लवण, pH, विटामिन, O2 उपलब्ध कराता है।
वांछित उत्पादों की अधिक मात्रा प्राप्त करने के लिए बायोरिएक्टर काम में लिया जाता है जिसमें संवर्धन का अधिक आयतन (100-1000 लीटर) संशोधित किया जा सकता है।
वांछित उत्पादों की अधिक मात्रा प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक, काम में आने वाला ‘विलोडक हौज बायोरिएक्टर’ है।
प्रश्न 10.
आनुवंशिक रूपान्तरिक फसलों के उत्पादन के कोई तीन लाभ लिखिए। [1.5]
उत्तर:
आनुवंशिक रूपान्तरित फसलों के उत्पादन के लाभ-
- इन फसलों को उत्पन्न करने में कम समय लगता है।
- सूखा, ठंडा, ताप, लवण के प्रति सहिष्णुता फसलों का निर्माण।
- रासायनिक उर्वरक व पीड़कनाशियों के प्रति कम निर्भरता।
- पौधों द्वारा खनिज उपयोग क्षमता में वृद्धि।
प्रश्न 11.
बीटी आविष के रवे कुछ जीवाणुओं द्वारा उत्पादित किये जाते हैं, यह रवे उन्हें नुकसान क्यों नहीं पहुंचाते हैं?। [1.5]
उत्तर:
यह Bt- विष बैसिलस को नहीं मारता क्योंकि Bt जीव विष प्रोटीन, जीव में निष्क्रिय होती है। लेकिन जब कीट Btकॉटन की पत्तियों को खाता है तो Bt-विष आंत्र में क्षारीय pH के कारण घुलनशील होकर सक्रिय रूप से परिवर्तित हो जाता है।
सक्रिय जीव विष मध्य आंत्र के उपकलीय कोशिकाओं की सतह से बंधकर उसमें छिद्रों का निर्माण करते हैं जिस कारण से कोशिकाएं फूलकर फट जाती हैं और परिणामस्वरूप कीट की मृत्यु हो जाती है।
प्रश्न 12.
प्राथमिक उत्पादकता को परिभाषित कीजिए। [1.5]
उत्तर:
प्राथमिक उत्पादकता-उत्पादकों के द्वारा विकिरण ऊर्जा को कार्बनिक पदार्थो के रूप में संगृहीत करने की दर प्राथमिक उत्पादकता कहलाती है। अकार्बनिक तत्वों से कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण होता है।
प्रश्न 13.
ऊर्ध्ववर्ती व अधोवर्ती पारिस्थितिकी पिरैमिड़ में अंतर लिखिए। [1.5]
उत्तर:
ऊर्ध्ववर्ती (शिखरांश)व अधोवर्ती पिरैमिड में अन्तर-
उर्ध्ववर्ती पिरैमिड-(i) ऊर्जा के पिरैमिड हमेशा सीधा होता है क्योंकि प्रत्येक पोषक स्तर पर ऊर्जा की मात्रा कम हो जाती है। (ii) वन पारितंत्र, घास मैदान पारितंत्र में जीवों की संख्या तथा जैव भार पिरैमिड सीधे बनते हैं।
अधोवर्ती पिरैपिड- (i) वृक्ष के पारितंत्र की संख्या का पिरैमिड उल्टा होता है। (ii) तालाब पारितंत्र में जैवभार का पिरैमिड उल्टा बनता है।
प्रश्न 14.
जैव विविधता के सभी आवश्यक घटकों के नाम लिखिए। [1.5]
उत्तर:
जैव विविधता के तीन आवश्यक घटक-
- आनुवंशिक विविधता
- पारितंत्र विविधता
- जातीय विविधता
प्रश्न 15.
पारितंत्र के कार्यों के लिए जैव विविधता क्यों उपयोगी। [1.5]
उत्तर:
जातीय विविधता का पारितंत्र में महत्व-
(i) पारिस्थितिक संतुलन-किसी क्षेत्र की जितनी अधिक जैव विविधता होगी वह क्षेत्र उतना ही अधिक संतुलित अवस्था में बना रहेगा। पारितंत्र में जातियों की संख्या जितनी अधिक होती है, वहाँ उत्पादकता उतनी ही अधिक होती है तथा खाद्य जाल विविधतापूर्ण होता है।
(ii) अधिक उत्पादकता-प्रकृति विज्ञानी डेविड टिलमैन ने अपने प्रयोगों द्वारा सिद्ध किया कि किसी क्षेत्र में जितनी अधिक जातियाँ पाई जाती हैं। उस क्षेत्र की उतनी ही अधिक उत्पादकता होती है तथा उस क्षेत्र में उतने ही अधिक वन्यजीव निवास करते हैं।
(ii) पारितंत्र की स्वस्थता-जिस क्षेत्र की जैवविविधता जितनी अधिक होती है, वह क्षेत्र उतना ही अधिक स्वस्थ होता है। यदि पारितंत्र में खाद्य श्रृंखला की एक कड़ी लुप्त होती है तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी जातियाँ प्रभावित होंगी तथा पारितंत्र असंतुलित अवस्था में आ जायेगा।
खण्ड – स
प्रश्न 16.
बाह्य निषेचन की परिभाषा लिखिए। युग्मक जनन एवं भ्रूणोद्भवन के बीच दो अन्तर लिखिए। [1 + 2 = 3]
उत्तर:
जब नर व मादा युग्मक का संलयन प्राणी शरीर से बाहर होता है, बाह्य निषेचन कहलाता है।
युग्मक जनन तथा भ्रूणोद्भव में अन्तर-
युग्मक जनन (Gametogenesis) |
भ्रूणोद्भव |
1. इसमें अगुणित नर व मादा युग्मक का निर्माण होता है। | 1. युग्मनज से भ्रूण के विकास की प्रक्रिया भ्रूणोद्भव कहलाती है। |
2. इस क्रिया के दौरान अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। | 2. इनका निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा होता है। |
3. यह निषेचन पूर्व घटना है। | 3. यह निषेचन पश्च घटना है। |
4. इसमें अगुणित युग्मक बनते हैं। | 4. इसमें द्विगुणित भ्रूण उत्पन्न होता हैं। |
अथवा
निषेचन की परिभाषा लिखिए।अलैंगिक व लैंगिक जनन के बीच दो अन्तर लिखिए। [1 + 2 = 3]
उत्तर:
अगुणित नर व मादा युग्मक के संलयन से द्विगुणित युग्मनज बनने की क्रिया को निषेचन कहते हैं।
अलैंगिक जनन तथा लैंगिक जनन में अन्तर-
अलैंगिक जनन | लैंगिक जनन |
1. इस जनन में एकल जनक में संतति उत्पन्न करने की क्षमता होती है। | 1. इसमें दो विपरीत लिंग वाले जनक भाग लेते हैं। |
2. इसमें युग्मक निर्माण नहीं होता है। | 2. इसमें अगुणित नर व मादा युग्मक का निर्माण होता है। |
3. इसमें सभी विभाजन समसूत्री होते हैं। | 3. इसमें अर्द्धसूत्री व समसूत्री दोनों विभाजन होते हैं। |
4. युग्मकों का संलयन नहीं होता है। | 4. युग्मकों का संलयन इस जनन का आवश्यक पद है। |
5. इस प्रकार के जनन में उत्पन्न संतति आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से जनक के समान होती है। | 5. इस जनन में दो जनकों के लक्षणों का समावेश होता है जिससे संतति के लक्षणों में भिन्नता होती है। |
प्रश्न 17.
डाउन सिंड्रोम गुणसूत्रीय विकार का कारण तथा दो लक्षण लिखिए। [1 + 2 = 3]
उत्तर:
डाउन सिंड्रोम : इस गुणसूत्रीय विकार में 21वीं जोड़ी के अलिंग गुणसूत्र पर दो के स्थान पर 3 गुणसूत्र होने के कारण उत्पन्न होता है, इसे ट्राईसोमी अवस्था भी कहते हैं। इस विकार को सर्वप्रथम लैन्गडम डाउन (1856) ने खोजा था। इस विकार में गुणसूत्रों की संख्या 47(2n + 1) हो जाती है।
इस विकार में रोगी व्यक्ति का ललाट चौड़ा, गर्दन छोटी, हाथ चपटे, हथेली व पैर मोटे, मुंह खुला, नेत्र तिरछे, जिह्वा मोटी, व मस्तिष्क असामान्य होता है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को मगोलियाई मूर्ख भी कहते हैं तथा ये आनुवंशिक रूप से बंध्य होते हैं।
अथवा
टर्नर सिंड्रोम गुणसूत्रीय विकार का कारण तथा दो लक्षण लिखिए। [1 + 2 = 3]
उत्तर:
टर्नर सिन्ड्रोम : टर्नर सिन्ड्रोम स्त्रियों में एक X लिंग गुणसूत्र की कमी के कारण होता है। इसमें गुणसूत्रों की संख्या 45 (44X) पाई जाती है। इस विकार की स्त्रियाँ बाँझ होती हैं। यह लिंग गुणसूत्र मोनोसोमिक होता है।
इसकी खोज E.M. टर्नर ने की। इसके निम्न लक्षण होते हैंमादाओं में अण्डाशयों का विकास नहीं होता जिससे अण्डाणु का निर्माण नहीं होता है। मानसिक रूप से अविकसित होते हैं।
स्तनों का विकास नहीं होता है तथा वक्ष भाग चपटा होता है। ये बंध्य होते हैं तथा बौने होते हैं। बाल्यकाल में यह सामान्य लड़की के समान दिखाई देती है, परन्तु किशोर अवस्था आने तक नपुंसक हो जाती है।
प्रश्न 18.
जल-वाहित एक रोग का नाम लिखिए तथा इसकी रोकथाम के लिए आप क्या उपाय अपनाएंगे? [1 + 2 = 3]
उत्तर:
जलवाहित रोग- पेचिश
जल जनित रोगों की रोकथाम निम्न प्रकार से की जा सकती है-
- जल को उबालकर या फिल्टर करके पीना चाहिए।
- पीने के पानी को ढककर रखना, समय पर जलाशयों की सफाई करना।
- आवासीय क्षेत्रों में और उसके आस-पास पानी को जमा नहीं होने देना चाहिए।
- मानव मल-मूत्र का उचित निस्तारण करना चाहिए।
- टीकाकरण द्वारा।
अथवा
मलेरिया रोग जनक का नाम लिखिए तथा इसकी रोकथाम के लिए आप क्या उपाय अपनाएंगे? [1 + 2 = 3]
उत्तर:
मलेरिया रोग जनक-प्लाज्मोडियम
रोकथाम के उपाय-
- मच्छरों को मारने के लिए DDT का छिड़काव करना चाहिए।
- मकानों के आस-पास पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए।
- नालियों में केरोसीन का छिड़काव करना चाहिए।
- सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 19.
त्रि-संलग्न क्या है? ये कहाँ और कैसे सम्पन्न होता है? एक निषेचित भ्रूण कोश (पुटी) का नामांकित चित्र बनाइये। [1 + 1 + 2 = 4]
उत्तर:
त्रिसंलयन (Triple fusion)- परागकण अंकुरित होकर
परागनलिका का निर्माण करता है जिसमें जनन कोशिका के विभाजन से दो नर युग्मक का निर्माण होता है। परागनलिका से नर युग्मकों का भ्रूणकोष में मुक्त होने के पश्चात् प्रथम नर युग्मक अंड कोशिका से संयोजित होकर द्विगुणित युग्मनज का निर्माण करता है। इस क्रिया को ‘सत्य निषेचन’ कहते हैं। परागनलिका से मुक्त हुआ दूसरा नर युग्मक भ्रूणकोष में द्विगुणित केन्द्रक से संलयित होकर त्रिगुणित भ्रूणपोष केन्द्रक का निर्माण करता है जो विभाजित होकर भ्रूणपोष बनाता है। इस क्रिया को ‘द्विनिषेचन’ कहते हैं। इस क्रिया में 3 केन्द्रकों का संलयन होता है अतः यह त्रि-संलयन कहलाता है।
1 नर युग्मक + 2 ध्रुवीय केन्द्रक = त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणकोष
चित्र- परिपक्व भ्रूणकोष का एक आरेखीय प्रस्तुतीकरण
अथवा
एक सेब को आभासी फल क्यों कहते हैं? पुष्प का कौनसा भाग फल की रचना करता है? सेब के आभासी फल का नामांकित चित्र बनाइये। [1 + 1 + 2 = 4]
उत्तर:
कुछ पौधों में फल के निर्माण में पुष्प के अन्य भाग, जैसे पुष्पासन, दलपुंज आदि भी भाग ले सकते हैं, ऐसे फलों को आभासी या कूट कहते हैं। सेब भी एक आभासी फल है क्योंकि इसके बनने में अंडाशय के अतिरिक्त पुष्पासन भाग लेता है। सेब का खाने योग्य भाग पुष्पासन होता है।
चित्र- सेब के आभासी फल
प्रश्न 20.
डीएनए को परिभाषित कीजिए। द्विकुंडली डीएनए की संरचना की विशेषताएँ लिखिए। द्विकुंडली डीएनए की संरचना का नामांकित चित्र बनाइये। [1 + 1 + 2 = 4]
उत्तर:
DNA परिभाषा : डी.एन.ए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या DNA कहते हैं। इसमें आनुवंशिक कूट निबद्ध रहता है।
DNA की आण्विक संरचना (Moleculur structure of DNA)- वाटसन एवं क्रिक ने 1953 में DNA की संरचना का अध्ययन किया तथा DNA की संरचना का द्विरज्जुकीय मॉडल प्रस्तुत किया जिसके निम्न बिन्दु हैं-
- DNA अणु दो पॉलीन्यूक्लिोटाइड शृंखलाओं की बनी सर्पिलाकार, द्विरज्जुकीय संरचना है।
- DNA की दोनों रज्जुकों का निर्माण डी-ऑक्सी राइबोज शर्करा तथा फास्फोट अणु से होता है।
- DNA में दोनों पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाएँ प्रतिसमांतर रूप से व्यवस्थित होकर DNA का निर्माण करती हैं।
- दोनों प्रतिसमांतर शृंखलाओं में क्षारकों का क्रम सम्पूरक होता है जैसे एक श्रृंखला में क्षारकों का क्रम ATCGAG है तो दूसरी शृंखला में क्षारकों का क्रम TAGCTC होगा।
- क्षारक युग्म एक पिरीमीडिन एवं एक प्यूरीन क्षारक के मिलने से बनता है।
- A व T के मध्य दो H-बंध तथा C व G के मध्य तीन हाइड्रोजन बंध होते हैं।
- DNA के क्षारकों का क्रम तल इस प्रकार होता है जो DNA की लम्बाई के अक्ष से समकोण पर स्थित रहता है।
- अधिकतर जीवों में पॉलीन्यूक्लियोटाइड की दो श्रृंखला एक सामान्य अक्ष पर दाहिने हाथ की ओर कुण्डलित होती है। इस प्रकार के DNA को Right handed DNA या B-DNA कहते हैं।
- दोनों श्रृंखलाएँ विपरीत दिशाओं में व्यवस्थित रहती हैं एक श्रृंखला में शर्करा के कार्बन 3′-5′ दिशा में तथा दूसरी श्रृंखला में कार्बन 5′-3′ दिशा में होते हैं। इस प्रकार की शृंखलाओं को प्रतिसमांतर शृंखला कहते हैं।
DNA अणु के प्रमुख भौतिक गुण निम्न हैं-
(a) व्यास = 20 A
(b) एक कुण्डलन की लम्बाई = 34 A
(c) क्षारक युग्मों की मध्य परस्पर दूरी = 3.4 A
(d) एक कुण्डलन में क्षारकों की संख्या = 10
चित्र-द्विकुंडली डीएनए
अथवा
डीएनए कुंडली के पैकेजिंग को परिभाषित कीजिए। रूपांतरित सिद्धान्त के जीव रासायनिक लक्षण लिखिये। न्यूक्लियोसोम का नामांकित चित्र बनाइये। [1 + 1 + 2 = 4]
उत्तर:
(A) DNA कुंडली के पैकेजिंग- डी.एन.ए. गुणसूत्रों के – ऊपर DNA के विन्यास को DNA पैकेजिंग कहते हैं इसे स्पष्ट करने के लिए न्यूक्लियोसोम मॉडल दिया गया है।
(i) प्रोकेरियोट (असीमकेन्द्रकी) में DNA पैकेजिंगप्रोकेरियोट में (ई.कोलाई) स्पष्ट केन्द्रक नहीं पाया जाता है फिर भी DNA सम्पूर्ण कोशिका में फैला नहीं रहता।
DNA ऋणावेशित व वलयाकार होता है। DNA कुछ धनावेशित नॉनहिस्टॉन प्रोटीन से जुड़कर एक जगह स्थित होते हैं जिसे केन्द्रकाभ कहते हैं।
(ii) यूकेरियोट (ससीमकेन्द्रकी) में DNA पैकेजिंगयूकेरियोट में DNA पैकेजिंग की क्रिया जटिल होती है क्रोमोसोम में DNA की व्यवस्था या पैकेजिंग को R.D कार्नबर्ग व J.O. थॉमस ने 1974 में बताया कि DNA की पूरी लम्बाई में अनेक ऋणावेशित स्थल होते हैं। इन्हीं स्थलों पर धनावेशित हिस्टोन प्रोटीन के अणु आबंधित रहते हैंDNA व हिस्टोन प्रोटीन के इस सम्मिश्रण को क्रोमेटिन कहते हैं। क्रोमेटिन की इस व्यवस्था को औडेट व अन्य वैज्ञानिकों ने (1975) न्यूक्लियोसोम कहा।
(B) रूपान्तरित सिद्धान्त के जीव रासायनिक लक्षण- 1944 में ऐवेरी, मैक्लिओड तथा मेकार्टी ने मिलकर यह खोजा कि ग्रिफिथ के द्वारा बताया गया रूपान्तरण पदार्थ DNA ही है।
चित्र-ऐवेरी व उनके साथियों का रूपान्तरण प्रयोग
इन्होंने इस क्रिया को प्रयोग द्वारा समझाने के लिए संवर्धन में स्टेप्टोकॉकस न्यूमोनी के अनुग्र (R-II) का संवर्धन तैयार किया तथा उग्र प्रभेद (SHI) के जीवाणु के सार में से कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, DNA तथा RNA को पृथक किया। इन्होंने अनुग्र प्रभेद (R-II) को संवर्धित किया तथा उसके संवर्धन माध्यम में पृथक किये गए उपरोक्त रासायनिक घटकों को एक-एक करके अलग-अलग डाला तो उन्होंने यह पाया कि DNA घटक में यह क्षमता थी कि वह R-प्रकार की कोशिकाओं को S-प्रकार की कोशिका में बदल सके।
रूपान्तरित S कोशिकाएं सभी लक्षणों में S-III उग्र प्रभेद के समान थी क्योंकि उनमें DNA भाग S-III प्रभेद द्वारा प्राप्त किया गया था। इन प्रयोगों से स्पष्ट हो गया कि DNA ही आनुवंशिक सामग्री है न कि प्रोटीन।
इन वैज्ञानिकों ने प्रयोग के परिणाम की पुष्टि करने के लिए इस बात का भी पता लगाया कि प्रोटीन का पाचन करने वाला प्रोटीऐज व RNA का पाचन करने वाला एंजाइम राइबोजन्यूक्लिज इस रूपान्तरण को प्रभावित नहीं करते हैं अतः रूपान्तरित पदार्थ प्रोटीन व RNA नहीं होता है।
प्रयोग में देखा कि रूपान्तरण प्रक्रिया डी-ऑक्सी राइबोन्यूक्लिज से पाचन के पश्चात् बंद हो जाती है। अतः इससे स्पष्ट होता है कि DNA ही रूपान्तरण हेतु जिम्मेदार है।
(C)
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