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RBSE Class 12 Biology Model Paper Set 3 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश-
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए।
(i) कवकों की समसूकायिक (homothallic) स्थिति के समतुल्य पादपों में प्रयोग किया जाने वाला शब्द है- [1]
(अ) एक लिंगाश्रयी (Dioecious)
(ब) एक लिंगी (Unisexual)
(स) उभय लिंगाश्रयी (Monoecious)
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(स) उभय लिंगाश्रयी (Monoecious)
(ii) निम्न चित्र में A व B भाग हैं क्रमशः [1]
(अ) नर युग्मक व वर्धी कोशिका का केन्द्रक
(ब) वर्धी व जनन कोशिकाएँ
(स) लघुबीजाणु मातृ कोशिका व जनन कोशिका
(द) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर:
(स) लघुबीजाणु मातृ कोशिका व जनन कोशिका
(iii) निम्न में से कौन-सा एक लिंग सहलग्न रोग है? [1]
(अ) ल्यूकेमिया
(ब) फीनाइल कीटोन्यूरिया
(स) वर्णान्धता
(द) डाउन सिन्ड्रोम।
उत्तर:
(स) वर्णान्धता
(iv) जेनेटिक कोड नाम किसने प्रस्तावित किया? [1]
(अ) फ्रांसिस क्रिक
(ब) कोर्नबर्ग व मथाई
(स) जार्ज गैमो
(द) हरगोविन्द खुराना।
उत्तर:
(स) जार्ज गैमो
(v) कैनाबिस सेटाइवा से प्राप्त होता है- [1]
(अ) भांग
(ब) गाँजा
(स) चरस
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।
(vi) अच्छी नस्ल की गाय को हार्मोन द्वारा उत्तेजित कर अधिक संख्या में अण्डों की मुक्ति कराना कहलाता है- [1]
(अ) इन विट्रो फर्टिलाइजेशन
(ब) एम्ब्रियो ट्रांसफर
(स) सुपर ओव्यूलेशन।
(द) सरोगेसी।
उत्तर:
(स) सुपर ओव्यूलेशन।
(vii) स्वस्थ कोशिकाओं को विषाणु संक्रमण से बचाते हैं- [1]
(अ) इण्टरफेरॉन
(ब) एन्टीबॉडीज
(स) एन्टीबायोटिक्स
(द) एन्टीजन।
उत्तर:
(अ) इण्टरफेरॉन
(viii) एन्टीबायोटिक प्रतिरोधक जीन का प्लाज्मिड वाहक के साथ जोड़ा जाना किससे सम्भव हुआ [1]
(अ) DNA पॉलीमरेज से
(ब) एक्सोन्यूक्लिएज से
(स) DNA लाइगेज से
(द) एंडोन्यूक्लिएज से।
उत्तर:
(स) DNA लाइगेज से
(ix) एम्फीसीमा के उपचार में प्रयुक्त होता है- [1]
(अ) अल्फा लैक्टैल्ब्यूमिन
(ब) एंटीजन एंटीबाडी जटिल
(स) अल्फा I एंटीट्रिप्सिन
(द) PKU
उत्तर:
(स) अल्फा I एंटीट्रिप्सिन
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) ऊतक संवर्धन में कोतक की संवर्धन में वृद्धि से बना असंगठित व अविभेदित कोशिकाओं को समूह ………… कहलाता है। [1]
(ii) भारत में प्रोजेक्ट टाइगर परियोजना ………….. में प्रारम्भ हुई। [1]
(iii) ओकाजाकी खण्डों को परस्पर जोड़ने वाला एन्जाइम …………. होता है। [1]
(iv) जलीय अनुक्रमण में …………. पायोनियर का कार्य करते हैं। [1]
उत्तर:
(i) कैलस।
(ii) 1973
(iii) DNA लाइगेज।
(iv) पादप प्लवक।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए-
(i) अगर किसी व्यक्ति में फिनाइल एलेनीन, टाइरेसीन अमीनो अम्ल में नहीं बदले तो कौन-सा रोग हो जाता है? [1]
उत्तर:
फिनाइलकीटोन्यूरिया
(ii) मेण्डल द्वारा अध्ययन किये गये मटर के पौधों के बीज से सम्बन्धित दो विपर्यासी विभेदकों को (Contrastin, traits) नखिए। [1]
उत्तर:
बीज का रंग-पीला (प्रभावी) हरा (अप्रभावी) बीज का आकार-गोल (प्रभावी) झुरींदार (अप्रभावी)
(iii) मार्फीन किस पौधे से प्राप्त की जाती है? [1]
उत्तर:
मार्फीन-पेपवर सोम्नीफेरम (Papaver somniferum) नामक पौधे से प्राप्त की जाती है।
(iv) स्पाइरुलीना का क्या आर्थिक महत्व है? [1]
उत्तर:
स्पाइरुलीना (Spirulina) प्रोटीन व खनिजों का अच्छा स्रोत है। अत: इसे एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
(v) जैव प्रौद्योगिकी में आण्विक कैंची शब्द किसके लिए प्रयोग किया जाता है? [1]
उत्तर:
प्रतिबन्ध एन्जाइम के लिए।
(vi) एम्फीसीमा के उपचार हेतु कौन सी मानव प्रोटीन का प्रयोग किया जाता है? [1]
उत्तर:
अल्फा एंटीट्रिप्सिन
(vii) तालाब के पारितंत्र में द्वितीयक पोषण स्तर बनाने वाले किसी जीव का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
जन्तु प्लवक
(viii) संलग्न दिये गये पाई चार्ट में जिसमें अकशेरुकियों की वैश्विक जैव विविधता में उनकी आनुपातिक संख्या दर्शायी गयी है, (i) तथा (ii) क्या है? नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
(a) कीट
(b) मौलस्क।
खण्ड – ब
प्रश्न 4.
सन्तान के बीच अन्तर रखने के लिए हार्मोन मोचक IUD को एक अच्छा गर्भ निरोधक माना जाता है। स्पष्ट कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
हार्मोन मोचक IUD को अच्छा गर्भ निरोधक मानने के निम्न कारण हैं-
- यह IUD प्रोजेस्टीरॉन अथवा प्रोजेस्टीरॉन-एस्ट्रोजन हार्मोन्स को मुक्त करती हैं। अतः शरीर पर कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
- यह एक कारगरगर्भ निरोधक है।
- एक बार कुशल चिकित्सक से IUD लगवा लेने पर रोजाना गर्भ निरोध की चिन्ता नहीं करनी पड़ती क्योंकि यह लम्बे समय तक कार्य करती है।
- जब भी गर्भधारण की इच्छा हो तब इसे आसानी से निकलवाया जा सकता है अर्थात इसका प्रभाव उत्क्रमणीय है।
प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को यौन संचरित रोगों की चपेट में आने से बचने के लिए कौन-से उपाय अपनाने चाहिए? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
निम्न नियमों का पालन कर यौन संचरित रोगों से पूरी तरह मुक्त रहा जा सकता है-
- किसी अनजान व्यक्ति या बहुत से व्यक्तियों के साथ यौन सम्बन्ध न रखें।
- सम्भोग के समय कंडोम का प्रयोग करें।
- किसी भी आशंका की स्थिति में प्रारम्भिक जाँच के लिए किसी योग्य चिकित्सक से मिलें और रोग का पता लगने पर पूरा इलाज करायें।
प्रश्न 6.
आप जीव विज्ञान के छात्र होने के कारण किसानों को कैसे समझायेंगे कि मधुमक्खी पालन इनके लिए आसान व आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
इसके लिए बहुत बड़े निवेश व तकनीकी कौशल की आवश्यकता नहीं होती तथा पष्पों वाले किसी भी खेत के पास प्रारम्भ किया जा सकता है। किसी भी किसान को मधुमक्खी पालन से शहद तथा मोम के रूप में अतिरिक्त आय तो होती ही है साथ ही सूरजमुखी व सरसों जैसे खेतों में मधुमक्खी पालन से परागण भी अधिक से अधिक फूलों में हो जाता है क्योंकि मधुमक्खी एक अच्छी परागणकर्ता होती है। इससे फसल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होती हैं।
प्रश्न 7.
कृत्रिम वीर्य सेचन से आप क्या समझते हैं? कृत्रिम वीर्य सेचन का क्या महत्व है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
कृत्रिम वीर्य सेचन- जब किसी कारणवश बस शुक्राणुओं का स्थानान्तरण सामान्य प्रक्रिया द्वारा अण्ड तक नहीं हो पाता है जो कृत्रिम विधि द्वारा शुक्राण को अण्ड तक पहुँचाया जाता है। इसे कृत्रिम वीर्य सेचन कहते हैं। (i) कृत्रिम वीर्य सेचन विधि में वीर्य को देश के विभिन्न भागों तक आसानी से भेजा जा सकता है तथा मादा पशु का अनावश्यक कष्टकारी परिवहन बच जाता है। (ii) एक नर पशु से प्राप्त वीर्य को अनेक मादाओं के लिए प्रयोग किया जा सकता है। (iii) वीर्य को बहुत दिनों तक हिमीकृत अवस्था (frozen form) में संग्रहित किया जा सकता है।
प्रश्न 8.
बायोरिएक्टर में ताप नियंत्रण की आवश्यकता क्यों होती है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
बायोरिएक्टर एक बड़ा पात्र होता है जिसमें हजारों लीटर संवर्धन माध्यम में सूक्ष्मजीवों/कोशिकाओं की वृद्धि होती है। इन जीवित कोशिकाओं की उपापचयी क्रियाओं में बड़ी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है। यह बढ़ा ताप/ऊष्मा की मात्रा जीवधारियों के लिए घातक होती है तथा प्रक्रिया को रोक सकती है। अत: बायोरिएक्टर में ताप का अनुकूल स्तर पर रखना अर्थात नियंत्रण करना आवश्यक होता है।
प्रश्न 9.
संक्रमणकारी जीवाणुभोजियों (bacteriophage) से जीवाणु अपनी रक्षा कैसे करते हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
विषाणुओं से रक्षा करने में जीवाणु दो रणनीतियाँ अपनाते हैं। पहला, वह ऐसे रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिऐज एंजाइम पैदा करते हैं जो जीवाणुभोजी के डी एन ए के विशिष्ट स्थलों की पहचानकर उसे टुकड़ों में काट देते हैं। इससे विषाणु निष्क्रिय हो जाता है। जीवाणु अपने डी एन ए को अपने स्वयं के रेस्ट्रिक्शन एंजाइम से बचाने के लिए मेथिलीकरण (methylation) का सहारा लेते हैं। यह अपने डी एन ए में मिलने वाले समान पहचान स्थलों के कुछ क्षारकों (A या G) का मेथिलीकरण कर देते हैं जिससे रेस्ट्रिक्शन एंजाइम उन्हें पहचान नहीं पाते तथा वह बचे रहते हैं।
प्रश्न 10.
पारजीनी (ट्रांसजैनिक) जंतुओं के जैविक उत्पादों के उत्पादन में योगदान को समझाइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
पारजीनी जंतुओं की मदद से औषधीय महत्व के सस्ते व सुरक्षित जैविक उत्पाद प्राप्त किये जा सकतें हैं। उदाहरण के लिए-एम्फीसीमा के उपचार में प्रयोग की जाने वाली मानव प्रोटीन अल्फा एंटीट्रिप्सिन को ट्रांसजैनिक भेड़ के दूध से प्राप्त किया गया है। ट्रांसजैनिक गाय रोजी का दूध मानव प्रोटीन अल्फा लैक्टेल्ब्यूमिन से समृद्ध (2.4 g/L) था जो सामान्य दूध से अधिक पोषक मान वाला है।
प्रश्न 11.
मधुमेह रोगियों को अगर असंसाधित प्राक इंसुलिन दिया जाए तो क्या प्रभाव पड़ेगा? असंसाधित प्राक इंसुलिन को संसाधित करने के तीन चरण बताइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
असंसाधित प्राक इंसुलिन एक असक्रिय अणु होता है। इसमें परिपक्वन होने पर C पेप्टाइड हट जाता है जिससे यह सक्रिय हो जाता है। मधुमेह रोगी को प्राक इंसुलिन देने पर रोगी का रक्त शर्करा स्तर कम नहीं होगा अर्थात प्राक इंसुलिन निष्प्रभावी रहेगा।
प्राक इंसुलिन को संसाधित करने के चरण
- रेस्ट्रिक्शन एन्जाइम द्वारा DNA का विदलन।
- DNA लाइगेज द्वारा प्लाज्मिड तथा मनुष्य के इंसुलिन जीन को जोड़ा जाना
- पोषक कोशिका द्वारा पुनर्योगज प्लाज्मिड को ग्रहण करना।
प्रश्न 12.
खाद्य जाल की संकल्पना खाद्य श्रृंखला से पारिस्थितिक रूप से अधिक वास्तविक क्यों मानी जाती है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला किसी पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य ऊर्जा के स्थानान्तरण को विभिन्न जीवों के एक रेखीय अनुक्रम द्वारा प्रदर्शित करती है। लेकिन प्रकृति में हमेशा ऐसा ही नहीं होता, अनेक बार, अनेक जन्तु वैकल्पिक खाद्य मार्ग का चयन करते हैं। प्रकृति में अनेक जीव एक से अधिक पोषण स्तरों का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। यह दोनों ही स्थितियाँ खाद्य जाल द्वारा ही प्रदर्शित की जा सकती हैं, खाद्य श्रृंखला द्वारा नहीं। अतः पारिस्थितिक रूप से खाद्य जाल, खाद्य श्रृंखला से अधिक वास्तविक है।
प्रश्न 13.
पारितन्त्रों के बीच स्पष्ट सीमा रेखा नहीं खींची जा सकती। उदाहरण से स्पष्ट कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
पारितन्त्र, यद्यपि एक स्वशासी (autonomous) व स्वतन्त्र इकाई है जो साम्यावस्था बनाये रखकर अपने सभी कार्यों का सफल संचालन करने में सक्षम होती है लेकिन फिर भी, पारितन्त्र को एक अलग-थलग इकाई नहीं माना जा सकता। एक पारितन्त्र की आवक (influx) किसी दूसरे पारितन्त्र की जावक (efflux) को प्रदर्शित करती है। साइबेरियन क्रेन जैसे पक्षी तो हजारों किमी दूर के पारितन्त्रों में सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं। स्थलीय पारितन्त्र का कोई परभक्षी कभी जलीय पारितंत्र के जीव को तथा जलीय पारितंत्र का परभक्षी (मगर, घड़ियाल) कभी स्थलीय पारितन्त्र के शिकार को खां जाता है। स्थलीय पारितन्त्र की पेड़ से गिरी पत्तियाँ हवा के साथ उड़कर किसी तालाब में पहुँच सकती हैं अत: इकोसिस्टम के बीच स्पष्ट सीमा रेखा नहीं खींची जा सकती।
प्रश्न 14.
जैव विविधता की क्षति के तीन प्रमुख कारण लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
जैव विविधता की क्षति के कारण-
- जीव जातियों का अति दोहन होना अर्थात् शिकार करना।
- विदेशी जातियों का आक्रमण।
- पर्यावासीय क्षति होना अर्थात् वनों को काटा जाना।
प्रश्न 15.
जीव विविधता के इन सीटू संरक्षण की किन्हीं तीन विधियों के नाम लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
- जन्तु पार्क
- वनस्पति उद्यान
- वन्य जीव अभ्यारण्य।
खण्ड – स
प्रश्न 16.
अलैंगिक जनन से आप क्या समझते हैं? अलैंगिक जनन द्वारा बनी संतति लैंगिक जनन द्वारा बनी संतति से किस प्रकार भिन्न होती है? अलैंगिक जनन के लाभ लिखिए। [3]
अथवा
अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों में लैंगिक जनन पाया जाता है? क्यों? [3]
उत्तर:
अलैंगिक जनन-जनन की वह विधि जिसमें केवल एक जनक भाग लेता है तथा इसमें युग्मकों का निर्माण एवं संलयन नहीं होता है, अलैंगिक जनन कहलाती हैं।
अलैंगिक जनन द्वारा सन्तति निर्माण केवल एक जनक द्वारा होता है। यह सन्तति क्लोन कहलाती है क्योंकि यह आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से जनक के पूर्णतः समान होती है। जबकि लैंगिक जनन में अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकों का संलयन दोनों प्रक्रिया शामिल होती हैं। युग्मक जनन के समय होने वाले अर्धसूत्री विभाजन व युग्मकों के यादृच्छिक संलयन से अनेक नये पनर्संयोजन बनते हैं। अतः लैंगिक जनन से बनी सन्तति आनुवंशिक रूप से न तो जनक के ही पूर्णत: समान होती है न आपस में।
अलैंगिक जनन के लाभ-
- अलैंगिक जनन से प्राप्त संततियाँ जनकों के समान लक्षणों वाली होती हैं।
- पौधों में अलैंगिक जनन होने के कारण बीज निर्माण की आवश्यकता नहीं होती है।
- अलैंगिक जनन द्वारा कम समय में कम ऊर्जा द्वारा अधिक संततियों का उत्पादन हो जाता है।
- कृत्रिम विधि द्वारा रोगमुक्त पौधे तैयार किए जा सकते हैं।
प्रश्न 17.
एक संकर क्रॉस का प्रयोग करते हुए प्रभाविता के नियम को समझाइए। [3]
अथवा
पीले बीज वाले लम्बे पौधों (Yy Tt) का संकरण हरे बीज वाले लम्बे (yyTt) पौधे से करने पर निम्न में से किस प्रकार के फीनोटाइप संतति की अपेक्षा की जा सकती है
(i) लम्बे हरे
(ii) बौने हरे। [3]
उत्तर:
एक संकर क्रॉस ऐसा क्रॉस है जिसमें एक समय में एक जीन के दो विपर्यासी विभेदकों (traits) की वंशागति का अध्ययन किया जाता है। इसके तीन पद हैं।
(a) शुद्ध प्रजननी जनकों का चयन, मटर के पौधे की लम्बाई के लक्षण के दो विभेदकों लम्बा व बौने शुद्ध प्रजननी जनकों का चयन।
(b) इनके बीच संकरण तथा F1 का निर्माण।
(c) F1 के पौधों के स्वपरागण से F2 पीढ़ी का निर्माण।
लम्बाई को T तथा बौनेपन के लिए t प्रतीकों का चयन करने पर जनकों के अलील होंगे-
मेण्डल के प्रभाविता के नियम के अनुसार एक जोड़ा विपर्यासी विभेदकों में अन्तर रखने वाले दो शुद्ध प्रजननी पौधों में संकरण कराने पर F1 पीढ़ी में केवल एक जनक के लक्षण प्रकट होते। हैं। यह विभेदक प्रभावी तथा दूसरा जो F1 पीढ़ी में छिपे रूप में रहता है, अप्रभावी होता है। मेण्डल का प्रभाविता का नियम F2 में अप्रभावी लक्षणों के पुन: प्रकट होने की भी व्याख्या करता है तथा कारकों की विच्छिन्न प्रकृति स्पष्ट करता है।
प्रश्न 18.
न्यूमोनिया रोग के रोगजनक का नाम, संचरण की विधि तथा रोग के लक्षण लिखिए।न्यूमोनिया किस प्रकार अपना प्रभाव दर्शाता है? समझाइए। [3]
अथवा
टाइफाइड रोग के रोग जनक का नाम लिखिए। इस रोग की पहचान किस परीक्षण द्वारा की जाती है। टाइफाइड रोग के चार लक्षण लिखिए। [3]
उत्तर:
न्यूमोनिया फेफड़ों के संक्रमण के कारण उनमें हुआ शोध न्यूमोनिया है।
रोगजनक- जीवाणु, स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी हीमोफिलस इन्फ्लुएंजी।
संचरण की विधि- न्यूमोनिया का संचरण मुख्यत: ड्रॉपलेट इन्फेक्शन द्वारा होता है। रोगी व्यक्ति के खाँसने, छींकने से निकली छोटी-छोटी बूंदों जिनमें रोग जनक भी होते हैं, के स्वस्थ व्यक्ति द्वारा श्वास में लेने से संक्रमण फैलता है। संक्रमण फोमाइट (fomite) द्वारा भी होता है, जैसे-रोगी के बर्तन आदि प्रयोग करने से।
लक्षण-न्यूमोनिया के प्रमुख लक्षण हैं-
- बुखार (ज्वर), कंपकंपी (chill)।
- साँस फूलना, साँस लेने में परेशानी।
- खाँसी (cough) जिसमें हरा-पीला बलगम (sputum) आता है, व सिर में दर्द।
- साँस लेते समय (अन्तःश्वसन के समय) सीने में दर्द (जो वक्ष गुहा में) फेफड़ों के बाहर की झिल्ली के शोथ के कारण होता है। यह शोथ प्लूरिसी (Pleurisy) कहलाता है।
- बहुत गम्भीर मामलों में शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित होने के कारण होंठ, अंगुलियों के नाखून नीले पड़ जाते हैं।
न्यूमोनिया का प्रभाव-न्यूमोनिया के शोथ व संक्रमण के कारण फेफड़ों की कूपिकाएँ (alveoli) द्रव से भर जाते हैं। फेफड़ों में द्रव के एकत्रित होने से फेफड़ों का गैसीय विनिमय (gaseous exchange) का क्षेत्र कम हो जाता है। अतः साँस फूलती है। यह दशा प्ल्यूरल इफ्यूजन (Pleural efusion) कहलाती है। अत्यधिक गम्भीर मामलों में फेफड़ों में पस भी एकत्रित हो सकता है। रोग की जाँच रोगी के शारीरिक परीक्षण, स्टेथोस्कोप से सुनी गई वक्ष की ध्वनि, एक्स-रे व रक्त/बलगम जाँच से होती है।
खण्ड – द
निबंधात्मक प्रश्न ( उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 19.
उन्मील परागणी पुष्पों से क्या तात्पर्य है? क्या अनुन्मील्य परागणी पुष्पों में परपरागण सम्पन्न होता है? अपने उत्तर की तर्क सहित व्याख्या करें।स्वपरागण के लाभ तथा हानियाँ बताइए। [4]
अथवा
पुष्पों द्वारा स्व परागण रोकने के लिए विकसित की गई दो कार्य नीतियों का विवरण दें। [4]
उत्तर:
उन्मील परागणी पुष्प सामान्य पुष्पों की तरह हैं जिनमें परागकोष व वर्तिकाग्र अनावृत अर्थात खुले हुए होते हैं। यह साधारण खिलने वाले पुष्प हैं। अनुन्मील्य परागणी पुष्प, कभी न खुलने (खिलने) वाले पुष्प हैं। चूँकि. ये पुष्प हमेशा ही बन्द रहते हैं। अतः परागकोष व वर्तिकाग्र अनावृत नहीं हो पाते। इसका अर्थ यह है कि न तो इनके परागकोषों से परागकण किसी दूसरे पुष्प तक जा सकते हैं और न ही इनका वर्तिकाग्र दूसरे पुष्प के परागकण ग्रहण कर सकता है। स्पष्ट है, इनमें पर परागण सम्पन्न नहीं हो सकता, क्योंकि पर परागण में किसी एक पुष्प के परागकोषों से निकले परागकणों का उसी प्रजाति के किसी दूसरे पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकान पर स्थानान्तरण आवश्यक होता है। वास्तव में अनुन्मील्यता स्व परागण सुनिश्चित करने की एक युक्ति है।
स्व परागण के लाभ-
- इस प्रकार के परागण में कम परागकणों की आवश्यकता होती है अत: ऊर्जा व संसाधनों का अपव्यय नहीं होता। पौधों को मकरंद व गन्ध निर्माण की आवश्यकता नहीं होती।
- यह किसी प्रजाति की शुद्ध नस्ल (Pure line) बनाये रखने में मदद करता है। नुकसानदायक व बेकार लक्षण समष्टि से निकल जाते हैं।
- परागण व फलस्वरूप बीज निर्माण की अधिक सुनिश्चितता होती है, विषेशतः जब प्रजाति के सदस्य सामान्य रूप से नहीं पाये जाते या दूर-दूर स्थित होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस प्रकार का परागण बाह्य कारकों जैसे वायु व कीटों पर निर्भर नहीं रहता।
- विपरीत पर्यावरणीय परिस्थितियों, जब कीट व अन्य परागणकर्ता कम हों, जैसे पहाड़ों पर भी यह लाभदायक रहता है।
स्व परागण के दोष-
- स्वपरागण से आनुवंशिक विभिन्नताओं का विकास नहीं होता, अतः पौधे के स्वास्थ्य व ओज (vigour) में कमी आती है।
- समयुग्मकता (Homozygosity) के बढ़ने से अन्तःप्रजनन अवनमन (Inbreeding depression) होता है तथा बीज कमजोर होते हैं, क्योंकि यह परम दर्जे की इन ब्रीडिंग ही प्रदर्शित करता है।
- नयी किस्मों का विकास नहीं होता तथा समय के साथ उपज कम हो जाती है।
प्रश्न 20.
(i) स्थानान्तरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाएँ बताइए।
(ii) एम.आर.एन.ए तथा आर.एन.ए. में अन्तर लिखिए।
(ii) पुनरावृत्ति DNA तथा अनुषंगी डी.एन.ए. को समझाइए। [4]
अथवा
उस संवर्धन में जहाँ ई कोलाई वृद्धि कर रहा था लैक्टोज डालने पर लैक ओपेरान उत्प्रेरित हो गया। लेकिन लैक्टोज डालने के कुछ देर बाद यह लैक ओपेरान बन्द हो जाता है? व्याख्या कीजिए। [4]
उत्तर:
स्थानान्तरण में राइबोसोम की भूमिका-
(i) राइबोसोम एम-आर.एन.ए. को जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराता है तथा इसके P व A स्थल अमीनो अम्लों को नजदीक आकर पेप्टाइड बन्ध बनाने के लिए स्थान उपलब्ध कराते हैं।
(ii) राइबोसोम पेप्टाइड बन्ध निर्माण हेतु उत्प्रेरक का भी कार्य करता है। (जीवाणुओं में 23SrRNA-राइबोजाइम होता है)
एम-आर.एन.ए. एवं आर.एन.ए.
लक्षण | एम-आर.एन.ए. (mRNA) | टी-आर.एन.ए. (t RNA) |
1. कुल आर.एन.ए. का प्रतिशत | लगभग 5 | लगभग 15 |
2. अणु की लम्बाई | सबसे लम्बा | सबसे छोटा |
3. कार्य | डी.एन.ए. से आनुवंशिक सूचना ग्रहण कर उसका अनुवाद में प्रयोग अर्थात् दूत (messenger) का कार्य | अमीनो अम्लों को कोशिका द्रव्य से प्रोटीन संश्लेषण स्थल राइबोसोम तक लाना, अर्थात् स्थानान्तरण |
4. अणु का आकार | रैखिक | क्लोवर लीफ, त्रिविमीय रचना में L आकार |
5. जीवन काल | बहुत छोटा कुछ मिनटों से कुछ घण्टों का अनुवाद के बाद अपघटित | लम्बा, अनुवाद में बार-बार उपयोग। |
पुनरावृत्ति डी.एन.ए.- डी.एन.ए. के ऐसे अनुक्रम जो प्रोटीन को कोड नहीं करते तथा बार-बार दोहराए जाते हैं पुनरावृत्ति डी.एन.ए. कहलाते हैं। अर्थात इनमें क्षारकों के एक से अनुक्रमों की बार-बार पुनरावृत्ति (repetition) होती है। सेटेलाइट डी.एन.ए. इसी प्रकार का डी.एन.ए. है जिसमें पुनरावृत्त अनुक्रम छोटे होते हैं। पुनरावृत्त डी.एन.ए. का एक अन्य वर्ग एलू अनुक्रम व ट्रांसपोजोन बनाता है।
अनुषंगी डी.एन.ए. (Satellite DNA)- सैटेलाइट डी.एन.ए. पुनरावृत्त डी.एन.ए. का ही एक प्रकार है। इसका घनत्व मुख्य डी.एन.ए. (Bulk DNA) से अलग होता है तथा यह छोटे-छोटे पुनरावृत्त अनुक्रमों से बना होता है। यह क्रियाशील सेण्ट्रोमियर तथा हेटेरोक्रोमेटिन का प्रमुख भाग बनाता है। यह क्षारक A, T, G, C की अलग-अलग आवृत्ति प्रदर्शित करता है तथा डी.एन.ए. बहुरूपता (Polymorphism) के लिए भी उत्तरदायी होता है।
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