Students must start practicing the questions from RBSE 12th Biology Model Papers Set 6 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Biology Model Paper Set 6 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश-
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) मद चक्र प्रदर्शित करने वाला जीव है- [1]
(अ) भेड़
(ब) गाय
(स) कुत्ता
(द) यह सभी।
उत्तर:
(द) यह सभी।
(ii) निम्नलिखित में कौन एक कैलोस भित्ति द्वारा घिरा रहता है- [1]
(अ) लघुबीजाणु मातृ कोशिका
(ब) नर युग्मक
(स) अण्ड
(द) परागकण
उत्तर:
(अ) लघुबीजाणु मातृ कोशिका
(iii) दो लक्षणों के लिए विषमयुग्मजी F1 जीव का दोनो अप्रभावी लक्षणों वाले जीव से संकरण कराने पर सन्तति का फीनोटिपिक अनुपात होगा। [1]
(अ) 9:3:3:1
(ब) 1:2:1
(स) 1:1:1:1
(द) 9:7
उत्तर:
(स) 1:1:1:1
(iv) डी.एन.ए. आनुवंशिक पदार्थ है, इसका अन्तिम प्रमाण निम्नलिखित में से किसके प्रयोगों से मिला- [1]
(अ) ग्रिफिथ
(ब) एवेरी
(स) हर्शे व चेज
(द) मैक्लियाड व मैक कार्टी।
उत्तर:
(स) हर्शे व चेज
(v) यूफोरिया के साथ ऊर्जा में वृद्धि की अनुभूति पैदा करने वाली ड्रग्स है- [1]
(अ) मार्फीन
(ब) एल एस डी
(स) कैनाबिनाइड
(द) कोकेन।
उत्तर:
(द) कोकेन।
(vi) ट्रिटीकेल नामक कृत्रिम फसल में गेहूँ के पौधे को किस के साथ किये संकरण से बनाया गया है- [1]
(अ) जौ (Barley)
(ब) राई (Rye)
(स) ज्वार (Sorghum)
(द) बाजरा (pearl millet)।
उत्तर:
(ब) राई (Rye)
(vii) वजन बढ़ाने व पेशीय वृद्धि व शक्तिवर्धक औषधि के रूप में किस ड्रग का खिलाड़ियों द्वारा दुरुपयोग किया जाता है? [1]
(अ) एनाल्जेसिक
(ब) डाइयूरेटिक्स
(स) एनाबॉलिक स्टीराइड्स
(द) उत्तेजक जैसे एम्फीटामीन।
उत्तर:
(स) एनाबॉलिक स्टीराइड्स
(viii) थर्मस एक्वेटिकस जीवाणु से प्राप्त होता है- [1]
(अ) Ti प्लाज्मिड
(ब) T डी एन ए
(स) Taq पॉलीमरेज
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(स) Taq पॉलीमरेज
(ix) कैंसर उपचार हेतु जैव प्रौद्योगिकी की सहायता से बनाई गई औषधि है- [1]
(अ) इंटरफेरान
(ब) HGH
(स) TSH
(द) इंसुलिन।
उत्तर:
(अ) इंटरफेरान
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) पौधे की एक पृथक्कित व विभेदित कोशिका की पूर्ण पौधे में विकसित हो जाने की क्षमता …………….. कहलाती है। [1]
(ii) भारत में ……………….. जैव विविधता हौटस्पॉट हैं। [1]
(iii) जीन शब्द ……………………….. ने प्रस्तावित किया था। [1]
(iv) प्राथमिक उत्पादक …………………….. कहलाते हैं। [1]
उत्तर:
(i) पूर्णशक्तता।
(ii) 3
(iii) जोहान्सन।
(iv) स्वपोषी।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए-
(i) फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) का तकनीकी नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
ड्रोसोफिला मेलेनोगैस्टर।
(ii) उस वैज्ञानिक का नाम बताइये जिसने वंशागति के क्रोमोसोमीय सिद्धान्त की प्रायोगिक पुष्टि की। [1]
उत्तर:
थामस हंट मॉर्गन
(iii) ऐसे दो अंगों के नाम लिखिए जिनमें अपरिपक्व लिम्फोसाइट्स का भिन्नन होता है? [1]
उत्तर:
अस्थिमज्जा व थाइमस
(iv) पीले मोसेक विषाणु के लिए प्रतिरोधी भिण्डी की किस्म का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
परभानी भिण्डी
(v) शब्द विस्तार कीजिए EFB तथा PCR. [1]
उत्तर:
EFB-यूरोपियन फैडरेशन आफ बायोटेक्नोलॉजी
PCR-पॉलिमरेज चेन रिएक्शन
(vi) तम्बाकू के पोधे की जड़ों को संक्रमित करने वाले गोल कृषि परजीवी का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
मेलोइडेगाइन इनकोगनिटा
(vii) ऊर्जा के पारिस्थितिक पिरामिड में किस पोषक स्तर में ऊर्जा की मात्रा सर्वाधिक होती है? [1]
उत्तर:
पहले अर्थात उत्पादकों के स्तर में।
(viii) किस वैज्ञानिक ने अपने फील्ड अध्ययनों में स्पष्ट किया कि ऐसे क्षेत्र जिनमें अधिक प्रजातियाँ होती हैं वह उत्पादकता में साल दर साल कम भिन्नता दर्शाते हैं? [1]
उत्तर:
डेविड टिलमैन
खण्ड – ब
लघु उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 50 शब्द)
प्रश्न 4.
हमारी सरकार ने हमारे देश में M.T.P. के लिए जानबूझकर सख्त शर्ते लगा दी हैं। कारण बताते हुए इसकी पुष्टि कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
प्रेरित गर्भपात के लिए कड़ी शर्ते इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए लगाई गई हैं। कुछ लोग एम्नियोसेंटेसिस जैसी तकनीकों से भ्रूण का लिंग पता कर, कन्याभ्रूण होने पर M.T.P. या प्रेरित गर्भपात करा लेते हैं जो एक खतरनाक व अमानवीय कृत्य है। दूसरे अधिकांश गर्भपात अवैधानिक रूप से नीम-हकीमों द्वारा किये जा रहे हैं। सरकार ने नियम बनाकर इन घटनाओं को रोकने का प्रयास किया है।
प्रश्न 5.
शारीरिक कारणों के अलावा बन्यता के अन्य किस प्रकार के कारण हो सकते हैं? बन्ध्यता निवारण की GIFT प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
शारीरिक कारणों के अतिरिक्त बन्ध्यता के अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे जन्मजात रोगों जैसे (PID), अन्य संक्रमणों के कारण उपजी बन्ध्यता, औषधियों व ड्रग्स, प्रतिरक्षात्मक व मनोवैज्ञानिक। गैमीट इंट्रा फैलोपियन ट्रांसफर-ऐसी महिलाएँ जो अण्डाणु का उत्पादन नहीं कर पातीं लेकिन निषेचन, अन्तर्रोपण व बाद की पूरी सगर्भता के लिए उचित वातावरण उपलब्ध कराने में सक्षम हैं की मदद के लिए जी आई एफ टी तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक में किसी दाता महिला से मादा युग्मक (अण्डाणु) लेकर इस बन्ध्य महिला की फैलोपियन नलिका में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। इसीलिए यह तकनीक युग्मक अंतः फैलोपी स्थानान्तरण कहलाती है।
प्रश्न 6.
यदि आपके परिवार के पास एक डेरी फार्म है तब आप दुग्ध उत्पादन में उसकी गुणवत्ता तथा मात्रा में सुधार लाने के लिए कौन-कौन से उपाय करेंगे? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
दुग्ध उत्पादन की गुणवत्ता व मात्रा में सुधार हेतु निम्न प्रयास किये जायेंगे-
- यह सुनिश्चित करना कि डेयरी में पशु उन्नत नस्ल के हों, यदि नहीं हैं तो डेयरी में उन्नत नस्ल के पशु जैसे साहीवाल, करन स्विस आदि गाय तथा मर्रा जैसी भैंसों का प्रबन्ध करना।
- डेरी पशुओं के लिए रेशे व सान्द्रित पोषक जैसे अनाज/खल का सही अनुपात सुनिश्चित करना अर्थात् सन्तुलित आहार।
- पशुओं के रहने के स्थान पर सुनिश्चित करना कि वह साफ सुथरा सूखा, हवादार पर्याप्त रूप से बड़ा हो। उसमें पीने के पानी का उचित प्रबन्ध हो तथा पशु के मलमूत्र निकासी का समुचित प्रबन्ध हो।
प्रश्न 7.
पशु प्रजनन के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली विधियों के नाम बताएँ। आपके अनुसार कौन-सी विधि सर्वोत्तम है? क्यों? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
पशु प्रजनन की विभिन्न विधियाँ हैं-अन्तः प्रजनन, बहिः प्रजनन, बहिः संकरण, संकरण, तथा अन्तः प्रजाति संकरण। इन सब विधियों में संकरण सर्वोत्तम प्रजनन विधि है। इस विधि में दो भिन्न नस्लों के वांछित गुणों का बनने वाले संकर में संयोजन हो जाता है। इस प्रकार बनने वाला संकर हेटेरोसिस प्रदर्शित करता है अर्थात गणों में दोनों जनकों से बेहतर होता है। पशुओं की अनेक उन्नत नस्लें इसी विधि से विकसित की गई हैं, जैसे करन स्विस व सुनन्दिनी गाय।
प्रश्न 8.
जीन क्लोनिंग का क्या अर्थ है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
जीन क्लोनिंग-वह प्रक्रिया है जिसमें एक वांछित जीन किसी वाहक के साथ जोड़ दी जाती है। इस प्रकार बने पुनर्योगज डी एन ए को रूपान्तरण की प्रक्रिया में किसी पोषक (Host) कोशिका में प्रविष्ट करा दिया जाता है। प्रत्येक कोशिका में इस प्रकार का एक बाह्य जीन होता है। जब इन कोशिकाओं को सम्वर्धित किया जाता है तब जीन का भी गुणन होता है। यही जीन क्लोनिंग है।
प्रश्न 9.
एक वाइन बनाने वाला और एक आण्विक जीवविज्ञानी जिसने एक पुनर्योगज वैक्सीन विकसित की है, दोनों ही अपने को जैव प्रौद्योगिकीविद्या बायाटैक्नोजिस्ट समझते हैं। आपकी दृष्टि में कौन सही है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
दोनों ही सही हैं। जैव प्रौद्योगिकी एक व्यापक क्षेत्र है तथा जो किसी प्राकृतिक जीव, इसके किसी भाग तथा साथ ही आनुवंशिक रूप से रूपान्तरित जीवधारियों द्वारा मनुष्य के लिए लाभकारी उत्पादों व सेवाओं के निर्माण से सम्बन्धित है। वाइन बनाने वाला यीस्ट के किसी विभेद को लेकर व्यापारिक स्तर पर फर्मेन्टर में वाइन बनाता है जबकि आण्विक जीवविज्ञानी ने एंटीजन के जीन को क्लोन किया है, जिससे व्यापक स्तर पर एंटीजन का उत्पादन होता है।
प्रश्न 10.
(i) मनुष्यों में ADA न्यूनता का कारण व प्रभावित होने वाले तंत्र का नाम बताइए।
(ii) उस वाहक का नाम बताइए जिसका प्रयोग ADA-DNA को मानव की प्रापक (recipient) कोशिका में पहुँचाने के लिए किया जाता है। प्रापक कोशिकाओं का नाम बताइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
(a) कारण-एडीनोसीन डिएमीनेज एंजाइम को कोड करने वाली जीन के विलोपन से होता है। प्रभावित तंत्र- प्रतिरक्षा तंत्र ADA एंजाइम शरीर के प्रतिरक्षी तंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
(b) वाहक-ADA जीन स्थानान्तरण के लिए रिट्रोवाइरस का प्रयोग किया जाता है। प्रापक कोशिकाएँ-लिम्फोसाइट।
प्रश्न 11.
जैव प्रौद्योगिकी के तीन महत्वपूर्ण शोध क्षेत्र कौन से हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
जैव प्रौद्योगिकी के तीन महत्त्वपूर्ण शोध क्षेत्र है-
- सुधारे गये जीव, सामान्यत: सूक्ष्म जीव अथवा शुद्धीकृत एन्जाइम के रूप में सर्वोत्तम उत्प्रेरक उपलब्ध कराना।
- इंजीनियरिंग के उपयोग द्वारा किसी एन्जाइम के कार्य करने हेतु अनुकूलतम परिस्थितियों का निर्माण।
- प्रोटीन या कार्बनिक यौगिक के शुद्धीकरण हेतु अनुप्रवाह प्रसंस्करण।
प्रश्न 12.
संलग्न दिया गया पारिस्थितिक पिरामिड किस प्रकार का है, पहचानिए तथा ऐसी दशाओं मे संख्या का पिरामिड तथा जैव संहति (जैवभार) के पिरामिड का एक-एक उदाहरण दीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
यह उल्टा पारिस्थितिक पिरामिड है। उल्टे पिरामिड में उत्पादक स्तर सबसे छोटा तथा उसके बाद के एक या अधिक स्तर बड़े होते हैं-
उदाहरण-वृक्ष की संख्या का पारिस्थितिक पिरामिड बनाने पर वृक्ष/वृक्षों की संख्या कम तथा उस पर निर्भर कीटों की संख्या अधिक होती है। उन कीटों का भक्षण करने वाले पक्षियों की संख्या कम होगी अतः उक्त प्रकार का पिरामिड प्राप्त होगा। सागरीय परितन्त्र में जैवमात्रा के पिरामिड में पादप प्लवकों की जैव मात्रा कम व मछलियों की अधिक होती है, अतः उल्टा पिरामिड प्राप्त होता है।
प्रश्न 13.
अपरदहारी (detritivore) तथा अपघटक में एक अन्तर उदाहरण सहित दीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
वह जीव जो अपरद का भक्षण कर इसका खण्डन कर देते हैं अर्थात इसे छोटे-छोटे कणों में विभक्त कर इसका सतही क्षेत्र बढ़ा देते हैं अपरदहारी कहलाते हैं, जैसे केंचुए व कुछ क्रस्टेशियम, मौलस्क। अपघटक जीव अपरद या खण्डित अपरद को अपने बाह्य कोशिकीय एंजाइमों की मदद से अपघटित कर सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं अर्थात् ये अपचय के लिए उत्तरदायी हैं, जैसे-जीवाणु व कवक।
प्रश्न 14.
शुक्राणु बैंक कुछ वन्य जीवों के संरक्षण में कैसे सहायक हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
शुक्राणु बैंक में शुक्राणुओं का क्रायो प्रिजरवेशन किया जा सकता है। इन शुक्राणुओं का प्रयोग किसी संकटापन्न जन्तु की छोटी ‘समष्टि में अन्तःप्रजनन (इनब्रीडिंग) को रोकने के लिए किया जा सकता है। बहिः प्रजनन से जीव का संकर ओज बढ़ेगा। साथ ही वन्य जीव को दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित करने की आवश्यकता नहीं होगी। इस हेतु पात्रे निषेचन व भ्रूण स्थानान्तरण तकनीक भी प्रयोग की जा सकती है।
प्रश्न 15.
विदेशी या बाह्य प्रजातियों के प्रवेश के क्या कारण हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
विदेशी प्रजातियाँ किसी पारितंत्र की मूल प्रजातियाँ नहीं होती अर्थात गैर देशज प्रजातियों को बाह्य प्रजाति कहा जाता है। यह अनेक प्राकृतिक अवरोधों जैसे नदी, समुद्र, पहाड़ आदि के कारण नये पर्यावरण में प्रवेश नहीं कर पातीं। लेकिन मनुष्य इनके स्थानान्तरण के लिए प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से उत्तरदायी है। वह निम्न कारणों से बाह्य प्रजातियों को नये पारितंत्र में प्रवेश कराता है।
औपनिवेशन- जब मनुष्य स्वयं किसी नये पर्यावास में जाता है तो अपने साथ कुछ पेड़-पौधे व जीव-जन्तु भी ले जाता है। कृषि व उद्यानिकी के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु।। आकस्मिक परिवहन द्वारा कुछ बाह्य प्रजातियाँ अनजाने में नये स्थानों में आ जाती हैं जैसे गाजर घास, पीली कटेली आदि।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 16.
कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं? कायिक प्रवर्धन के चार लाभ लिखिए। [3]
अथवा
अण्डप्रजक एवं सजीव प्रजक जन्तु क्या होते हैं? अण्डप्रजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तर जीवन (सरवाइवल) सजीव प्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है? व्याख्या करें। [3]
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन वह अलैंगिक प्रजनन है जिसमें । संतति का निर्माण पादपों के कायिक (वर्धा) भागों जैसे जड़, तना या पत्ती आदि द्वारा होता है। यह अलैंगिक जनन की ही विधि है क्योंकि इसमें एक ही जनक के वर्धा भाग अनुकूल परिस्थितियों में जनक पादप से अलग होकर नये पौधे को जन्म देते हैं। पौधे की कायिक प्रवर्धन में भाग लेने वाली संरचनाएँ कायिक प्रवर्ध या प्रोपेग्यूल (propagule) कहलाती हैं।
कायिक प्रवर्धन (वर्धी प्रजनन) के लाभ-
- वर्षी प्रजनन द्वारा किसी पौधे के वांछित गुणों को पीढ़ी दर पीढ़ी बिना बदलाव के संरक्षित किया जा सकता है क्योंकि इस अलैंगिक जनन से बनी संतति आकारिकीय व आनुवंशिक गुणों में जनक के समान होती है। केवल एक जनक की आवश्यकता होती है।
- इस विधि द्वारा ऐसे पौधों को उगाया जा सकता है जिनकी लैंगिक प्रजनन की क्षमता समाप्त हो गई है या जो न उग सकने योग्य बीज (non viable seeds) उत्पन्न करते हैं, जैसे घास, गुलाब आदि।
- यह प्रजनन की तीव्र विधि है इस विधि से उगाये गए पौधों में फूल व फलों का विकास शीघ्रता से होता है।
- ऐसे पौधे जिनमें बीज निर्माण नहीं होता जैसे केला, गन्ना आदि में प्रजनन की यही एक विधि है। उद्यानों/घरों में घास का लॉन इसी विधि से विकसित किया जा सकता है।
प्रश्न 17.
शिशु का रुधिर वर्ग O है। पिता का रुधिर वर्ग A और माता का B है। जनकों के जीनोटाइप मालूम करें और अन्य संततियों में प्रत्याशित जीनोटाइपों की जानकारी प्राप्त करें। [3]
अथवा
सहप्रभाविता से आप क्या समझते हैं? सह प्रभाविता को किसी उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए। [3]
उत्तर:
शिशु का रुधिर वर्ग O है। O रुधिर वर्ग अप्रभावी अलील की समयुग्मजी स्थिति से ही उत्पन्न होता है। अत: शिशु का जीनोटाइप ii होगा। इसका अर्थ है उसे प्रत्येक जनक से i अलील प्राप्त होता है। पिता का रुधिर वर्ग A है अतः यह A रक्त समूह विषमयुग्मजी होना चाहिए तभी पिता i का योगदान कर सकेगा। अतः पिता का जीनोटाइप IAi होगा।
इसी प्रकार चूँकि माँ भी शिशु को i का योगदान कर रही है तब वह भी विषमयुग्मजी अर्थात IBi प्रकार की होगी। इसे निम्न क्रॉस से समझा जा सकता है-
प्रश्न 18.
टाइफाइड रोग के रोगकारक का नाम, संचरण विधि, इसकी जाँच एवं लक्षण लिखिए। [3]
अथवा
आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिए क्या प्रेरित करता है व इसरो को बचा जा सकता है? [3]
उत्तर:
टायफॉइड (Typhoid):
टायफॉइड एक जीवाणु जन्य (bacterial) संक्रमण है।
रोगजनक- सालमोनेला टायफी (Salmonella typhi) एक लगभग समान जीवाणु मनुष्यों में पैराटायफाइड ज्वर (Paratyphoid fever) उत्पन्न करता है।
संचरण का माध्यम-गन्दगी व अपर्याप्त सफाई वाले इलाकों में टायफाइड पीने के पानी के, सीवेज के पानी या रोग जनक के स्रोत से संदूषित (contaminate) होने के कारण फैलता है। संक्रमण का स्रोत टॉयफाइड से ग्रस्त रोगी मनुष्य या वाहक का मल (faeces) है। जब इस मल से रोगजनक खाद्य पदार्थों व जल तक पहुँच बना लेते हैं तो रोग जनक इन संदूषित पदार्थों के उपयोग करने वालों के शरीर में पहुँच जाता है। मक्खियाँ भी रोगी के मल से टॉयफाइड जीवाणु को खाद्य पदार्थों तक पहुँचा देती हैं।
जाँच व लक्षण-टायफॉइड में 7 से 14 दिनों का उद्भासन काल या इनक्यूबेशन पीरियड (incubation period) होता है। रोगजनक के शरीर में प्रवेश करने से लेकर प्रथम लक्षणों के प्रकट होने के बीच की अवधि उद्भासन काल कहलाती है।
टायफॉइड के प्रमुख लक्षण निम्न हैं-
- सिर में तेज दर्द व फिर लगातार तेज बुखार (39° से 40°C) का बना रहना व कमजोरी।
- भूख का न लगना (loss of appetite), पेट में दर्द, पेट का अधिक मुलायम होना (tenderness), कब्ज (constipation) व इसके बाद अतिसार (diarrhoea)।
- द्वितीय सप्ताह में पैर व छाती पर छोटे-छोटे गुलाबी रंग के उभरे हुए धब्बे।
- जीभ पर गोल जमाव (coated tongue)।
- छोटी आँतों से रक्तस्राव व आँतों का छिद्रित हो जाना (perforations of intestine) टायफॉइड की पहचान विडाल परीक्षण (Widal Test) द्वारा की जाती है। (यह एक रक्त परीक्षण है।)
खण्ड – द
निबंधात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 19.
भ्रूणपोष से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के भ्रूणपोषों को चित्र बनाकर समझाइए। [4]
अथवा
निम्न में अन्तर स्पष्ट कीजिए- [4]
(i) अध्यावरण व बीज चोल
(ii) परिभ्रूणपोष व फलभित्ति।
उत्तर:
द्विनिषेचन की क्रिया के त्रिसंलयन पद से बने त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक से भ्रूणपोष का विकास होता है। भ्रूणपोष पुष्पी पौधों के बीजों में बनने वाला एक पोषक भाग है जिसका संचित खाद्य, बढ़ते भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। यह निम्न प्रकार का होता है-
मुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष- यह सर्वाधिक सामान्य प्रकार का भ्रूणपोष है। इसमें त्रिसंलयन से बना प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक अनेक बार विभाजित होकर बहुत से मुक्त केन्द्रक बना देता है जो परिधि की ओर व्यवस्थित रहते हैं। यह अवस्था मुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष कहलाती है। बाद में कोशिका भित्ति निर्माण होता है। कच्चा नारियल, हजारों केन्द्रकों से बना मुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष है। इसके चारों और कोशिकीय भ्रूणपोष बनना प्रारम्भ हो जाता है।
कोशिकीय भ्रूणपोष- इस प्रकार के भ्रूणपोष में प्रत्येक केन्द्रकीय विभाजन के साथ-साथ कोशिका भित्ति का निर्माण भी होता है।
हेलोबियल भ्रूणपोष- इस प्रकार का भ्रूणपोष केन्द्रकीय व कोशिकीय व प्रकार के भ्रूणपोषों का मिश्रण होता है, अर्थात दोनों के गुण प्रदर्शित करता है।
चित्र : भ्रूणपोष के विकास के प्रकार (अ) मुक्त केन्द्रकीय (ब) कोशिकीय (स) हेलोवियल
प्रश्न 20.
निम्न के कार्यों का वर्णन.एक या दो पंक्तियों में करो- [4]
(i) उन्नायक या प्रमोटर
(ii) अन्तरण आर.एन.ए. (ERNA)
(iii) एक्जॉन
(iv) प्रेरक
अथवा
(i) कौन-सी प्रक्रिया अमीनो अम्लों का सही और रैखिक क्रम सुनिश्चित करती लै जबकि यूकैरियोट्स में जीन असतत या विखण्डित होते हैं?
(ii) डी.एन.ए. के कौन-से गुण उसे आर.एन.ए. से अधिक स्थिर (Stable) बनाते हैं? [4]
उत्तर:
(i) उन्नायक या प्रमोटर- प्रमोटर किसी जीन के वह स्थल (डी.एन.ए. अनुक्रम) हैं जो आर.एन.ए. पॉलीमरेज को अनुलेखन हेतु जुड़ने के लिए स्थान उपलब्ध कराते हैं।
(ii) अन्तरण आर.एन.ए. (t-RNA)- जैसा कि नाम से स्पष्ट है टी-आर.एन.ए. अमीनो अम्लों को कोशिका द्रव्य से प्रोटीन संश्लेषण हेतु, अनुवाद स्थल राइबोसोम से जुड़े एम-आर.एन.ए. तक लाने का कार्य करते हैं तथा अनुकूलन (adapter) अणु की भाँति कार्य करते
(iii) एक्जॉन- यूकैरियोटिक विखण्डित (split) जीनों के असतत कूटलेखन या कोडिंग (Coding) भाग एक्सान कहलाते हैं। यह अन्तिम एम-आर.एन.ए. के निर्माण में भाग लेते हैं।
(iv) प्रेरक- ऐसा अणु जो दमनकारी पदार्थ से जुड़कर उसे ऑपरेटर जीन से बंधने से रोक लेता है। तथा ओपेरॉन को स्विच ऑन अर्थात् सक्रिय कर देता है। प्रेरक कहलाता है।
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