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RBSE Class 12 Biology Model Paper Set 7 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश-
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए।
(i) नीलगिरी पहाड़ों पर मिलने वाले नीलकुरन्जी अर्थात स्ट्रोबिलेन्थस कुन्थिआना (Strobilanthus kunthiana) नामक पौधे में पुष्पन कितने वर्षों के अन्तराल में होता है- [1]
(अ) 12 वर्ष
(ब) 24 वर्ष
(स) 50-100 वर्ष
(द) 150-200 वर्ष।
उत्तर:
(अ) 12 वर्ष
(ii) पुष्पीय पौधों में नर युग्मक किसके विभाजन से बनते हैं- [1]
(अ) लघुबीजाणु
(ब) जनन कोशिका
(स) कायिक कोशिका
(द) लघुबीजाणु मातृ कोशिका
उत्तर:
(ब) जनन कोशिका
(iii) क्लाइन फैल्टर के संलक्षण से पीड़ित व्यक्ति में नहीं होता है- [1]
(अ) एक नर का रंग रूप
(ब) 46 गुणसूत्र
(स) लघुवृषण
(द) गाइनेकोमेस्टिया।
उत्तर:
(ब) 46 गुणसूत्र
(iv) एक द्विसूत्री डी.एन.ए. अणु में दो रज्जुकों के क्षारक निम्नलिखित में से किससे जुड़े रहते हैं? [1]
(अ) हाइड्रोजन आबन्ध से
(ब) सहसंयोजी आबन्ध से
(स) S = S आबन्ध से
(द) एस्टर बन्ध से।
उत्तर:
(अ) हाइड्रोजन आबन्ध से
(v) निम्न में से कौन-सा पदार्थ विभ्रमकारी है? [1]
(अ) एल एस डी
(ब) धतूरा
(स) एट्रोपा वेलाडोना
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।
(vi) सुनन्दिनी नाम किस पशु की उन्नत नस्ल को दिया गया है- [1]
(अ) गाय
(ब) भैंस
(स) बकरी
(द) भेड़।
उत्तर:
(अ) गाय
(vii) निम्न में से कौन-सा एक सामान्य एलर्जन (Common allergen) है? [1]
(अ) परागकण
(ब) किलनी (mites)
(स) मनुष्य की त्वचा कोशिकाएँ
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।
(viii) एगारोज जैल में प्रयुक्त मैट्रिक्स का स्रोत है- [1]
(अ) समुद्री घास
(ब) बायोरिएक्टर
(स) नाभिकीय अम्ल मिश्रण
(द) सेल्युलेज।
उत्तर:
(अ) समुद्री घास
(ix) इंसुलिन की A व B श्रृंखलाएँ किस बंध से जुड़ी होती हैं- [1]
(अ) फास्फोडाएस्टर बंध
(ब) डाइसल्फाइड बंध
(स) हाइड्रोजन बंध
(द) ग्लाइकोसिडिक बंध।
उत्तर:
(द) ग्लाइकोसिडिक बंध।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) ……………… मधुमक्खी पालन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त भारतीय नस्ल है। [1]
(ii) वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड का लोगों ………………. है। [1]
(iii) रूपान्तरण की खोज ………………………… ने की थी। [1]
(iv) जल, ताप, मृदा आदि ……………………….. घटकों की श्रेणी में आते हैं। [1]
उत्तर:
(i) एपिस इंडिका।
(ii) जाइंट पांडा।
(iii) ग्रिफिथ
(iv) अजैविक।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए
(i) कौन-सी घटना क्रोमोसोमों के स्वतंत्र अपव्यूहन हेतु उत्तरदायी होती है? [1]
उत्तर:
समजात क्रोमोसोमों का अर्धसूत्री विभाजन की मेटाफेज अवस्था में सभी सम्भावित तरीकों से व्यवस्थित व पृथक होना।
(ii) मेण्डल के नियमों की पुनः खोज करने वाले वैज्ञानिकों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
डी ब्रीज, कोरेन्स व वॉन शेरमॉक।
(iii) किसी एक रिट्रोवाइरस का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वाइरस (HIV)।
(iv) किसी एक ऐसे आकारिकीय लक्षण का नाम लिखिए जो पौधों को कीट प्रतिरोधी बनाता है। [1]
उत्तर:
रोमिल अर्थात् छोटे-छोटे रोम वाली पत्तियाँ।
(v) पुनर्योगज डी एन ए तकनीक में जीवाणु कोशिका व कवक कोशिकाओं से डी एन ए प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एंजाइम के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
जीवाणु कोशिका से डी एन ए प्राप्त करने के लिए लाइसोजाइम, कवक कोशिका से डी एन ए प्राप्त करने के लिए काइटिनेज।
(vi) पारजीनी गाय रोजी के दूध की क्या विशेषताएँ थीं? [1]
उत्तर:
रोजी के दूध में मानव प्रोटीन अल्फा लेक्टैल्ब्यूमिन की अधिक मात्रा 2.4 g/L होने से यह अन्य गायों के दूध की अपेक्षा अधिक पोषक मान वाला था।
(vii) नग्न चट्टान पर पौधों की वृद्धि को सीमित करने वाले दो कारक बताइये। [1]
उत्तर:
मृदा की कमी, जल की कमी व शुष्कता।
(viii) भारत के दो अत्यधिक जैव विविधता वाले क्षेत्रों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
(i) पश्चिमी घाट (ii) इण्डो वर्मा क्षेत्र में शामिल पूर्वोत्तर भारत।
खण्ड – ब
लघु उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 50 शब्द)
प्रश्न 4.
एक आदर्श गर्भ निरोधक की कोई चार विशेषताएँ बताइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
एक अच्छे गर्भ निरोधक के निम्न गुण हैं-
- एक अच्छा गर्भ निरोधक आसानी से उपलब्ध होने वाला होना चाहिए।
- एक अच्छा गर्भ निरोधक प्रयोग में सहज (user friendly) होना चाहिए।
- एक अच्छे गर्भ निरोधक के कोई खतरनाक दुष्परिणाम नहीं होने चाहिए।
- एक अच्छा गर्भ निरोधक कारगर होना चाहिए तथा प्रयोगकर्ता की यौनेच्छा अथवा मैथुन में बाधक नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 5.
गर्भ निरोधकों के रूप में प्रयोग किये जाने वाले अन्तर्रोपण क्या हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
अन्तरपि (implants) गर्भ निरोध की वह युक्तियाँ हैं जिन्हें त्वचा के नीचे, प्रायः बाँह में स्थापित कर दिया जाता है। यह रक्त में अकेले प्रोजेस्टीरॉन अथवा प्रोजेस्टीरॉन-एस्ट्रोजन संयोजन मुक्त करते रहते हैं। यह गर्भ निरोध के कारगर उपाय हैं। इनको लगाने का एक लाभ यह है कि रोजाना गर्भ निरोध की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं रहती साथ ही इन्हें निकलवाकर गर्भ धारण किया जा सकता है।
प्रश्न 6.
जैव प्रबलीकरण का क्या अर्थ है? व्याख्या कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
विश्व की लगभग आधी जनसंख्या विशिष्ट भूख का दंश झेल रही है अर्थात् कुपोषित है। उसकी खुराक में एक या अधिक पोषक तत्वों की कमी है। भोजन में आयरन, जिंक, प्रोटीन, आयोडीन आदि की कमी न सिर्फ रोग का कारण बनती है अपितु जीवन अवधि कम कर शारीरिक व मानसिक दुर्बलता पैदा करती है। इस समस्या से निपटने का सर्वोत्तम उपाय है खाद्यान्न या मुख्य आहार का जैव प्रबलीकरण। फसली पौधों को संकरण या जैव प्रौद्योगिकी अपना कर पोषक पदार्थों से समृद्ध बनाना जैव प्रबलीकरण कहलाता है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं-(i) प्रोटीन की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाना (ii) तेल की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाना (iii) विटामिन व खनिजों की मात्रा बढ़ाना।
प्रश्न 7.
नस्ल शब्द से क्या अर्थ है? पशु प्रजनन के क्या उद्देश्य हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
नस्ल- जन्तुओं का वह समूह जिसके सदस्य कद-काठी, रंग-रूप व अन्य आकारिकीय लक्षणों में समान व समान पूर्वज परम्परा के (related by descent) हों।
पशु प्रजनन के उद्देश्य-पशु प्रजनन के मुख्य उद्देश्य हैं-
- पशु उत्पादन को बढ़ाना (जैसे दुग्ध उत्पादन/माँस उत्पादन में वृद्धि)।
- उत्पाद के वांछित गुणों में सुधार (जैसे दूध की गुणवत्ता में सुधार) गुणों का चयन जन्तु प्रकार पर निर्भर करता है।
प्रश्न 8.
प्लाज्मिड डी एन ए व गुणसूत्र डी एन ए में अन्तर लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
गुणसूत्रीय डी एन ए | प्लाज्मिड डी एन ए |
1. आकार में बड़ा, जीन की संख्या अधिक | 1. आकार में छोटा, जीन की संख्या कम (30 से कम) |
2. जीवाणु के जीवन के लिए आवश्यक | 2. प्लाज्मिड की लिए आवश्यक आनुवंशिक सूचना जीवित रहने के लिए आवश्यक नहीं। |
3. प्रतिरोधकता जीन अनुपस्थित कोशिका विभाजन के समय ही प्रतिकृतिकरण होता है। | 3. एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता जीन उपस्थित, कोशिका विभाजन के साथ अन्य समय भी प्रतिलिपिकरण हो सकता है। |
प्रश्न 9.
एक्सोन्यूक्लिएज एवं एण्डोन्यूक्लिएज में भेद कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
एक्सोन्यूक्लिएज व एण्डोन्यूक्लिएज- एक्सोन्यूक्लिएज (exonuclease) व एन्डोन्यूक्लिएज (andonuclease) नाभिकीय अम्लों को पचाने वाले एंजाइम अर्थात न्यूक्लिएजेज (nucleases) है। एक्सोन्यूक्लिऐज डी एन ए को सिरों (ends) से काटता है जबकि एन्डोन्यूक्लिएज डी एन ए में विशिष्ट पहचान स्थलों की पहचानकर उसे उसी स्थल पर अर्थात बीच के अनुक्रमों पर काटता है। यह विशिष्ट होते हैं तथा केवल जीवाणु में पाये जाते हैं। एडोन्यूक्लिऐज की खोज ने ही आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी या जेनेटिक इंजीनियरिंग की आधारशिला रखी है।
प्रश्न 10.
तेल के रसायन शास्त्र तथा rDNA तकनीक के ज्ञान के आधार पर बीजों से तेल (हाइड्रोकार्बन ) हटाने की कोई एक विधि सुझाओ। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
तेल, लिपिड होते हैं अर्थात इनको प्रत्यक्ष रूप से कोड करने वाली कोई जीन नहीं पाई जाती। लेकिन तेल का अणु ग्लिसरॉल व वसीय अम्लों के अणुओं से मिलकर बना होता है। जिस विशिष्ट तेल का उत्पादन रोकना हो उसके घटक वसीय अम्ल के संश्लेषण से सम्बंधित एंजाइम का संश्लेषण रोका जा सकता है। जीन टारगेटिंग (Gene targting) द्वारा किसी जीन की क्रिया को बाधित किया जा सकता है।
प्रश्न 11.
किसी शिशु या भ्रूण में चिह्नित किए गये जीन दोषों का उपचार किस तकनीक द्वारा किया जाता है? उदाहरण द्वारा समझाइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
शिशुओं या भ्रूण में चिह्नित किए गये जीन दोषों के उपचार के लिए जीन थेरेपी (gene therapy) का प्रयोग किया जाता है। एडीनोसीन डिएमीनेज न्यूनता (ADA deficiency) इसी प्रकार का रोग है। रोग के उपचार हेतु ADA को कोड करने वाली सामान्य जीन को अस्थि मज्जा कोशिकाओं से प्राप्त कर प्रारम्भिक भूणीय अवस्था अथवा शिशु की कोशिकाओं में प्रविष्ट करा दिया जाता है। यह रोग का स्थायी उपचार सिद्ध हो सकता है।
प्रश्न 12.
केंचुए तथा जीवाणु द्वारा अपरद पर प्रक्रिया का नाम लिखिए तथा उसकी क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
केंचुए की अपरद पर क्रिया खण्डन या फ्रेगमेण्टेशन कहलाती है। ये अपरद को खाकर उसे छोटे-छोटे कणों में विभाजित कर देते हैं। खण्डन से अपरदकणों का सतही क्षेत्रफल कई गुना बढ़ जाता है। केंचुए को आहारनाल में इसका पल्वेराइजेशन (Pulvarisation) हो जाता है।
जीवाणुओं की अपरद पर क्रिया अपचयन कहलाती है। जीवाणुओं द्वारा स्रावित बहिकोशिकीय एंजाइम खण्डित अपरद को सरल अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं।
प्रश्न 13.
जीवों में जीवभार या जीव संहति (biomass) को शुष्क भार के रूप में क्यों मापा जाता है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
शुष्क भार, ऊर्जा सम्बन्धी गणनाओं हेतु सही या यथार्थ परिणाम देता है क्योंकि जीवों में जल की मात्रा अलग-अलग होती है अर्थात फ्रेश वेट (fresh weight) के आधार पर तुलना उचित नहीं। दूसरा जल किसी प्रकार की ऊर्जा नहीं देता। अत: ऊर्जा गणनाओं में जल की अधिक मात्रा का कोई अर्थ नहीं होता।
प्रश्न 14.
पादपों की विभिन्न किस्मों को संरक्षित करना क्यों आवश्यक है? व्याख्या कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
किसी भी पादप प्रजाति की विभिन्न किस्में आनुवंशिक विविधताओं की स्रोत होती हैं तथा पादप प्रजनन में इनका विशिष्ट महत्व होता है। कुछ दशकों पहले धान के एक नये पीड़क ब्राउन प्लांट हॉपर ने समूची धान की खेती के लिए चुनौती उत्पन्न कर दी थी क्योंकि सभी नयी किस्में इस पीड़क के लिए,ग्राह्य थीं। खोजने पर पता चला कि केरल में पायी जाने वाली कुछ धान की किस्में इस पीड़क (pest) के लिए प्रतिरोधी हैं। इन किस्मों के आनुवंशिक पदार्थ से वांछित जीन प्राप्त कर उच्च उत्पादन वाली धान की किस्मों को प्रतिरोधी बनाया गया। अत: प्रत्येक पुरानी व नयी सभी किस्मों को संरक्षित रखना आवश्यक है। यह जैव विविधता का आनुवंशिक स्तर पर संरक्षण है।
प्रश्न 15.
स्वस्थाने संरक्षण क्या है? स्वस्थाने संरक्षण, बाह्यस्थाने संरक्षण से बेहतर माना जाता है। क्या आप सोचते हैं कि परिस्थितिवश बाह्यस्थाने संरक्षण भी बेहतर हो सकता है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
स्वस्थाने संरक्षण- जैसा कि नाम से स्पष्ट है स्वस्थाने (in situ) संरक्षण नीति में पूरे पारितंत्र (ecosystem) का संरक्षण किया जाता है। इस नीति में प्रारूपिक पारितंत्र समूहों को सुरक्षित क्षेत्रों का एक पूरा जाल बनाकर संरक्षित किया जाता है। अनेक देश विकास बनाम संरक्षण (development versus conservation) के विवाद में इस कदर उलझे हैं कि उन्हें अपनी सारी जैविक सम्पदा को संरक्षित करना अवास्तविक व अस्वभाविक लगता है तथा आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं जान पड़ता। तो दूसरी ओर विलुप्तिकरण से बचने हेतु संरक्षण की बाट जोह रही प्रजातियों की संख्या इतनी अधिक है कि उनके सामने संरक्षण के उपलब्ध साधन अपर्याप्त जान पड़ते हैं। प्रतिष्ठित संरक्षणविदों (conservationits) ने इस समस्या को सुलझाने का प्रयास वैश्विक स्तर पर किया है। वन्य जीवों के किसी प्राकृतिक आवास, राष्ट्रीय पार्क या अभयारण्य में प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, वनों की आग या भूकम्प आदि के आने पर वन्य जीवों को जन्तु पार्कों में रखकर उनकी प्राणरक्षा की जा सकती है।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 16.
मधुमक्खियों में सन्तति का निर्माण केवल लैंगिक प्रजनन द्वारा होता हैं, लेकिन फिर भी इनके निवह या कॉलोनी में अगुणित व द्विगुणित दोनों ही प्रकार के सदस्य पाये जाते हैं। कॉलोनी में पाये जाने वाले नर व मादा सदस्यों के नाम बताइये तथा उनके निर्माण के पीछे निहित कारणों का विश्लेषण कीजिए। [3]
अथवा
किस प्रकार के प्रजनन के साथ हम अर्धसूत्री विभाजन को सम्बद्ध करते हैं। इसके कारणों का विश्लेषण कीजिए। [3]
उत्तर:
यह कथन सत्य है कि मधुमक्खियों में सन्तति का निर्माण लैंगिक जनन द्वारा होता है। इनकी कॉलोनी में निम्न प्रकार के सदस्य पाये जाते हैं।
- नर जिन्हें ड्रोन कहा जाता है यह अगुणित होते हैं
- बन्ध्य कामगार यह द्विगुणित होते हैं
- मादा रानी (यह भी द्विगुणित होती हैं)
नर सदस्य सूत्री विभाजन द्वारा नर युग्मक बनाते हैं।
रानी मक्खी (द्विगुणित) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित अण्डों का निर्माण करती है। बन्ध्य मक्खी युग्मक नहीं बनाती। कुछ अण्डे बिना निषेचन के सीधे ही नर मक्खियों में विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार अण्डे से बिना निषेचन के ही जीव का बनना अनिषेकजनन कहलाता है। अतः नर अगुणित (heploid) होते हैं।
कुछ अण्डों का निषेचन नर मक्खी द्वार बनाये नर युग्मकों द्वारा हो जाता है। इस प्रकार द्विगुणित मक्खी बनती है। द्विगुणित युग्मनज से बने लार्वा को अगर रॉयल जेली खाने में प्राप्त होती है तब वह रानीमक्खी बन जाता है। रॉयल जेली के अभाव में शेष सभी (अधिकांशतः) लार्वा श्रमिक मक्खी के रूप में विकसित होते हैं।
प्रश्न 17.
अपूर्ण प्रभाविता से आप क्या समझते हैं? उपयुक्त उदाहरण द्वारा व्याख्या कीजिए। [3]
अथवा
एक संकर संकरण से आप क्या समझते हैं? एक संकर संकरण तथा द्विसंकर संकरण में चार अन्तर लिखिए। [3]
उत्तर:
अपूर्ण प्रभाविता- वंशागति का वह प्रकार जिसमें किसी विषमयग्मजी अवस्था में एक अलील अपना पूर्ण प्रभाव दिखाने में असमर्थ होता है, अतः दोनों जनकों के बीच का एक नया फीनोटाइप बन जाता है, अपूर्ण प्रभाविता कहलाता है। स्नेपड्रैगन या एंटीराइनम (Antirrhinum) व मिराबिलिस जालपा (Mirabilis jalapa) इसका अच्छा उदाहरण हैं। इसमें लाल रंग के पुष्प वाले शुद्ध पौधे RR का सफेद पुष्प वाले पौधे rr से संकरण कराने पर F1 में गुलाबी रंग के पुष्प (Rr) वाले पौधे मिलते हैं-
F2 एक लाल (RR), दो गुलाबी (Rr) तथा एक सफेद
अपूर्ण प्रभाविता समिश्र वंशागति का खण्डन करती है क्योंकि गुलाबी पुष्पों में स्वपरागण कराने पर जनक रूप लाल व सफेद भी F2 पीढ़ी में प्राप्त हो जाते हैं। इसमें लाल रंग के निर्माण से सम्बंधित अलील (जीन) के किसी परिवर्तन के कारण इससे बना एंजाइम पूर्णरूपेण सक्षम नहीं होता।
प्रश्न 18.
सक्रिय प्रतिरक्षा किसे कहते हैं? सक्रिय एवं निष्क्रिय प्रतिरक्षा में चार अन्तर लिखिए। [3]
अथवा
सहज एवं उपार्जित प्रतिरक्षा में छः अन्तर लिखिए। [3]
उत्तर:
सक्रिय प्रतिरक्षा- जब प्रतिरक्षियों का उत्पादन स्वयं उसी व्यक्ति की कोशिकाओं द्वारा होता है तब इसे सक्रिय प्रतिरक्षा कहते हैं।
सक्रिय व निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर
सक्रिय प्रतिरक्षा | निष्क्रिय प्रतिरक्षा |
1. एंटीबाडीज का विकास व्यक्ति के शरीर में ही होता है (संक्रमण द्वारा अथवा टीकाकरण से)। | 1. किसी अन्य जीव के शरीर में विकसित हुई एंटीबाडीज के मनुष्य के शरीर में इंजेक्ट कराने से विकसित होती है। |
2. इसके विकसित होने में समय लगता है (प्राथमिक अनुक्रिया में)। | 2. यह तुरन्त प्रभाव दिखाती है। |
3. इसका प्रभाव दीर्घकालीन होता है। | 3. यह लम्बे समय तक प्रभावी नहीं रहती। |
4. यह हानिरहित (निरापद) है। | 4. चूंकि एंटीबाडीज अन्य जंतु के शरीर में विकसित होती हैं अतः कभी प्रतिक्रिया कर सकती हैं। |
खण्ड – द
निबंधात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 19.
पुष्पी पौधों में डाइथिकस परागकोष का क्या अर्थ ? इसकी लघुबीजाणुधानी की संरचना का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
लघु बीजाणु जनन की प्रक्रिया कहाँ सम्पन्न होती है? लघु-बीजाणु जनन एवं गुरुबीजाणु जनन में तीन अन्तर लिखिए। [4]
उत्तर:
पुष्पी पादपों में परागकोष द्विपालित (bilobed) होते हैं। प्रत्येक पालि (lobe) में दो कोष्ठ या लघु बीजाणुधानी होती है। दो पालियों के कारण यह डाइथिकस (dithecous) कहलाते हैं।
लघुबीजाणुधानी की संरचना- प्रत्येक लघुबीजाणुधानी पराग कोष की पूरी लम्बाई में फैली रहती है। अनुप्रस्थ काट में यह लगभग वृत्ताकार दिखाई देती है। इसकी भित्ति चार परतों से बनी होती है। सबसे बाहर की ओर एपीडर्मिस, उसके अन्दर ऐडोथीसियम, फिर मध्य परतें व सबसे अन्दर की ओर टेपीटम (Tapetum) होता है। बाहर के तीन स्तर सुरक्षात्मक आवरण हैं तथा पराग कोष के स्फुटन में भी मदद करते हैं, जिससे परिपक्व परागकण बाहर निकलते हैं। टेपीटम विकसित होते परागकणों को पोषण प्रदान करता है। टेपीटम की कोशिकाओं में सघन कोशिका द्रव्य व सामान्यतः एक से अधिक केन्द्रक होते हैं? अपरिपक्व लघुबीजाणुधानी में बीज का स्थान बीजाणुजन ऊतक से भरा रहता है। इसी से विकसित लघुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित लघुबीजाणु (परागकणों) का निर्माण करती है।
प्रश्न 20.
“आनुवंशिक पदार्थ DNA है।” सिद्ध करने के लिए हर्शे एवं चेज द्वारा किए गए प्रयोग का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
प्रोकैरियोटिक डी.एन.ए. एवं यूकैरियोटिक डी.एन.ए. में अन्तर लिखिए। [4]
उत्तर:
आनुवंशिक पदार्थ डी.एन.ए. है- डी.एन.ए. को आनुवंशिक पदार्थ के रूप में सिद्ध करने वाला सुस्पष्ट व अकाट्य प्रमाण, सन् 1952 में, अल्फ्रेड हर्शे व मार्था चेज (Alfred Hershey and Martha Chase) के प्रयोगों से प्राप्त हुआ। उन्होंने जीवाणुभोजियों (bacteriophages), अर्थात ऐसे : विषाणु जो जीवाणुओं को संक्रमित करते हैं, पर अपने प्रयोग किये।
- हर्शे व चेज ने जीवाणुभोजियों के डी.एन.ए. को विकिरण सक्रिय या रेडियोएक्टिव 32P से चिन्हित किया। इसके लिए उन्होंने विषाणुओं को इस प्रकार के जैविक माध्यम में सम्वर्धित किया जिसमें रेडियोएक्टिव फास्फोरस था।
- इसी प्रकार कुछ अन्य जीवाणुभोजियों को रेडियोएक्टिव सल्फर 35S वाले जैविक माध्यम पर सम्वर्धित कर उन्होंने उनके प्रोटीन आवरण को रेडियोएक्टिव सल्फर (35S) से चिन्हित किया।
- पहले प्रयोग में जीवाणुभोजी के डी.एन.ए. को रेडियोएक्टिव 32P से चिन्हित कर उन्हें जीवाणुओं से चिपकने के लिए छोड़ दिया गया ताकि उनका डी.एन.ए. जीवाणु ई. कोलाई में प्रवेश कर सके।
- अब इस सम्वर्धन माध्यम को रसोई में प्रयोग होने वाले जैसे सामान्य ब्लेंडर (blender) में हिलाया (विडोलित किया) गया, ताकि जीवाणुओं की बाह्य सतह पर जो भी चिपका हो, अलग किया जा सके।
- अंत में सम्वर्धन माध्यम को तीव्र गति पर सेन्ट्रीफ्यूज (centrifuge) किया गया। इससे जीवाणु भारी होने के कारण सेण्ट्रीफ्यूज नली की तली पर पेलेट के रूप में एकत्रित हो गये।
- इस प्रयोग में हर्शे व चेज को रेडियोएक्टिविटी प्रमुखत: तली पर पेलेट (Pellet) के रूप में बैठी जीवाणु कोशिकाओं में मिली, ऊपरी द्रव माध्यम में नहीं। क्योंकि डी.एन.ए. कोशिकाओं में प्रवेश कर चुका था।
- द्वितीय प्रयोग में जीवाणुभोजियों के कैप्सिड की प्रोटीन को रेडियोएक्टिव सल्फर 35S से चिन्हित किया गया। इन जीवाणुभोजियों द्वारा भी जीवाणुओं को संक्रमित कराया गया, ताकि जीवाणुभोजी जीवाणु में अपना आनुवंशिक पदार्थ प्रविष्ट करा दें। इस प्रयोग में भी ब्लेडिंग व सेण्ट्रीफ्यूज करने वाले चरण सम्पन्न किये गये। सेण्ट्रीफ्यूज के बाद इस चरण में भी जीवाणु सेण्ट्रीफ्यूज नलिका की तली पर पैलेट के रूप में एकत्रित हो गये। इस प्रयोग में हर्शे व चेज को रेडियोएक्टिविटी (35S) अर्थात प्रोटीन सेण्ट्रीफ्यूज नलिका के ऊपरी द्रव (Supernatent liquid) में मिली, पेलेट में नहीं।
इसका अर्थ है कि रेडियोएक्टिव प्रोटीन आवरण (कैप्सिड) जीवाणुकोशिकाओं से बाहर ही रहा क्योंकि सेण्ट्रीफ्यूज करने पर अपेक्षाकृत भारी जीवाणु कोशिकाएँ तो सेण्ट्रीफ्यूज नली में पैलेट के रूप में नीचे बैठ जाती हैं तथा जीवाणुभोजियों के खाली (जिनसे आनुवंशिक पदार्थ DNA निकल गया हो) प्रोटीन आवरण द्रव में रह जाते हैं।
इन प्रयोगों से स्पष्ट हो गया कि जीवाणुभोजियों (विषाणुओं) द्वारा जीवाणुओं के संक्रमण के समय उनका केवल डी.एन.ए. (प्रोटीन नहीं) ही जीवाणुओं में प्रवेश करता है, जहाँ विषाणुओं का गुणन होता है। अत: सिद्ध होता है कि डी.एन.ए. ही आनुवंशिक पदार्थ है। यह नये विषाणुओं के निर्माण के लिए आवश्यक आनुवंशिक सूचना का संचरण करता है।
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