Students must start practicing the questions from RBSE 12th Biology Model Papers Set 8 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Biology Model Paper Set 8 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश-
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) जेम्यूल (gemmule) के निर्माण द्वारा अलैंगिक जनन होता है- [1]
(अ) अमीबा में
(ब) स्पंज में
(स) फीताकृमि (tapeworm) में
(द) स्तनधारियों में।
उत्तर:
(ब) स्पंज में
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा भाग एक एन्जाइम क्रिया के लिए प्रतिरोधी होता है- [1]
(अ) पराग का बाह्य चोल
(ब) पत्ती का क्यूटिकिल
(स) कार्क
(द) काष्ठ रेशे (wood fibre)
उत्तर:
(अ) पराग का बाह्य चोल
(iii) डाउन सिन्ड्रोम का कारण निम्नलिखित में से किस गुणसूत्र की त्रिसूत्रता है? [1]
(अ) 6वां
(ब) नौवां
(स) इक्कीसवाँ
(द) तेईसवाँ
उत्तर:
(स) इक्कीसवाँ
(iv) क्रोमोसोम के अन्दर डी.एन.ए. का प्रतिकृतिकरण अर्धसंरक्षी होता है, इसका प्रायोगिक प्रमाण दिया- [1]
(अ) मैसेल्सन व स्टॉल ने
(ब) टेलर व अन्य ने
(स) वाटसन व क्रिक ने
(द) कोर्नबर्ग व मथाई ने।
उत्तर:
(अ) मैसेल्सन व स्टॉल ने
(v) विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) मनाया जाता है- [1]
(अ) 11 मार्च को
(ब) 7 अप्रैल को
(स) 28 फरवरी का
(द) 1 दिसम्बर को।
उत्तर:
(द) 1 दिसम्बर को।
(vi) खच्चर (mule) एक उदाहरण है- [1]
(अ) अन्तः प्रजाति संकरण का
(ब) अन्तः प्रजनन का
(स) बहिः प्रजनन का
(द) उपर्युक्त सभी का।
उत्तर:
(अ) अन्तः प्रजाति संकरण का
(vii) अन्तः शिरीय (इन्ट्रावीनस) ड्रग्स लेने वालों को खतरा रहता है- [1]
(अ) एड्स का
(ब) हिपेटाइटिस बी का
(स) लिवर सिरोसिस का
(द) उपर्युक्त a व b दोनों का।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त a व b दोनों का।
(viii) जैल इलैक्ट्रोफोरेसिस में एनोड की ओर सबसे पहले पहुँचने वाले होंगे- [1]
(अ) बिना पचा डी एन ए
(ब) डी एन ए का सबसे बड़ा खण्ड
(स) डी एन ए का सबसे छोटा खण्ड
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) डी एन ए का सबसे बड़ा खण्ड
(ix) Cry IIAb किसके नियंत्रण में काम आती है- [1]
(अ) बालवर्म
(ब) कार्न वोरर
(स) सभी कीट
(द) सभी सूत्रकृमि।
उत्तर:
(अ) बालवर्म
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) पूसा शुभ्रा ………….. की रोग प्रतिरोधी किस्म है। [1]
(ii) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान ……………. में स्थित है। [1]
(iii) एक न्यूक्लिओसोम में डी.एन.ए. के …………. क्षारक युग्म स्थित होते हैं। [1]
(iv) फॉस्फोरस में ……………. प्रकार का चक्र पाया जाता है। [1]
उत्तर:
(i) फूल गोभी।
(ii) मध्य प्रदेश।
(iii) 200
(iv) अवसादी।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक पंक्ति में दीजिए-
(i) मनुष्य में रक्त समूह की वंशागति किन दो प्रकारों की वंशागति का उदाहरण है? केवल नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
सह प्रभाविता तथा बहुएलील।
(ii) xo प्रकार का लिंग निर्धारण प्रदर्शित करने वाली एक काकरोच प्रजाति के नर में 23 क्रोमोसोम पाये जाते हैं, इस प्रजाति की मादा में कुल कितने क्रोमोसोम होंगे? [1]
उत्तर:
24
(iii) किस प्रकार की प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया प्रत्यारोपित अंग को अस्वीकार करने हेतु उत्तरदायी होती है? [1]
उत्तर:
प्रमुखतः कोशिका माध्यित प्रतिरक्षी अनुक्रिया।
(iv) एकल कोशिका प्रोटीन के रूप में प्रयोग किये जाने वाले प्रोटीन के अच्छे स्रोत एक सूक्ष्मजीव का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
स्पाइरुलीना (Spirulina)।
(v) उस पोषी कोशिका का प्रकार लिखिए जो विजातीय डी एन ए को जीनगन विधि द्वारा प्रविष्ट कराने हेतु उपयुक्त होती है। [1]
उत्तर:
पादप कोशिका (Plant cell)।
(vi) उस जीवाणु का नाम लिखिए जिससे Bt जीवविष निर्मित होता है। [1]
उत्तर:
बैसीलस थूरिन्जिएन्सिस।
(vii) कोई जीव अपने समुदाय/ प्राकृतिक परिवेश में कौन-सा स्थान ग्रहण करता है उसका आधार लिखिए। [1]
उत्तर:
षोषण का स्रोत।
(viii) जन्तुओं में सबसे बड़ा(प्रजाति समृद्ध ) समूह कौन-सा है? [1]
उत्तर:
कीट (कुल जन्तुओं का 70 प्रतिशत)
खण्ड – ब
लघु उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 50 शब्द)
प्रश्न 4.
गर्भ निरोधकों के प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम बताइये। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
मुखीय गर्भ निरोधक आई.यू.डी. आदि के निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं-
- जी मिचलाना
- पेट में दर्द
- रुक-रुक कर रक्तस्राव
- अनियमित माहवारी रक्तस्राव
- स्तन कैंसर
प्रश्न 5.
सगर्भता का चिकित्सीय समापन किन परिस्थितियों में किया जाता है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
सगर्भता का चिकित्सीय समापन जिसे प्रेरित गर्भपात भी कहते हैं के निम्न कारणों से किया जाता है-
- सम्भोग के समय प्रयोग किये गये गर्भ निरोधकों की असफलता के कारण बनी सगर्भता की स्थिति को समाप्त करने के लिए।
- बलात्कार जैसे मामलों के कारण बनी अनचाही सगर्भता को समाप्त करने हेतु।
- जब सगर्भता का बने रहना माता अथवा भ्रूण अथवा दोनों ही के लिए प्राणघातक हो।
प्रश्न 6.
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा पादप उत्पादन के मुख्य लाभ क्या है? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा पादप उत्पादन के निम्न लाभ है-
- कम समय में बड़ी संख्या में पौधे तैयार किये जा सकते हैं।
- इस प्रकार बने पौधे विषाणुरहित व स्वस्थ होते हैं।
- पौधे वर्षपर्यन्त तैयार हो सकते हैं। अनुकूल मौसम आने का इंतजार नहीं करना होता।
- जो पादप बीज बनाने में असमर्थ हैं उनका उत्पादन इस विधि से करना सम्भव है।
- जनक पौधे के मूल गुणों को बनाये रखा जा सकता है क्योंकि यह क्लोन होते हैं।
प्रश्न 7.
ऊतक संवर्धन के कोई तीन अनुप्रयोग लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
- सूक्ष्म सम्वर्धन द्वारा कम समय में हजारों पौधों का निर्माण किया जा सकता है।
- चूँकि यह प्रयोग शाला में किया जाता है। अत: बाह्य पर्यावरणीय परिस्थितियों/मौसम का इस पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
- ऊतक सम्वर्धन द्वारा सोमाक्लोन का निर्माण किया जाता है जिनकी विभिन्नताएँ अधिक महत्व की हैं।
प्रश्न 8.
क्या सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में प्रतिबन्ध एडोन्यूक्लिएज मिलते हैं? अपने उत्तर को सही सिद्ध कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
नहीं सुकेन्द्रकी कोशिकाओं में प्रतिबंधन एंडोन्यूक्लिएज नहीं मिलते, रेस्ट्रिक्शन एंडोन्यूक्लिएज जीवाणु कोशिका (प्रोकैरियोट) का आक्रमण/ संक्रमणकारी जीवाणुभोजियों से रक्षा करने का एक तरीका है। यह जीवाणु कोशिका में प्रवेश करने वाले जीवाणुभोजियों के डी एन ए के विशिष्ट अनुक्रमों की पहचान कर उन्हें काटकर अपना बचाव करते हैं। सुकेन्द्रकीय कोशिकाओं में डी एन ए मेथिीलकृत होता है। यह रेस्ट्रिक्शन एंजाइम से डी एन ए की रक्षा करता है।
प्रश्न 9.
सतत संवर्धन से आप क्या समझते हैं? समझाइए।सतत संवर्धन के दो लाभ लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
सतत सम्वर्धन-जैसा कि नाम से स्पष्ट है इसमें सम्वर्धन लम्बे समय तक जारी रखा जा सकता है। इस विधि में पोषक माध्यम को एक ओर से उसी गति से सम्वर्धन में डाला जाता है जिस गति से यह प्रयोग हो रहा है। अत: एक ओर से इसको नियमित अन्तराल पर निकाला भी जाता है। ताजा माध्यम नियमित अन्तराल पर डालते रहने से इसमें कोशिकाओं को उनकी क्रियात्मक रूप से (physiologically) सर्वाधिक सक्रिय अवस्था तथा एक्पोनेंशियल (exponential) वृद्धि की अवस्था में बनाये रखा जाता है।
सतत संवर्धन के लाभ-
- उत्पादकता अधिक होती है क्योंकि दो बैचों के बीच खाली समय नहीं होता। दूसरे शब्दों में उत्पादन हमेशा जारी रहता है।
- नियन्त्रण के अधिक व अच्छे अवसर होते हैं। उसी दर व अनुपात में पोषकों को डाला जाता है जिस दर से उनका प्रयोग हो रहा है।
- अनुकूलतम वृद्धि दर बनाई रखी जा सकती
- चूँकि उत्पादन सतत रूप से जारी रहता है अत: बहुत बड़े जैवरिएक्टर की अपेक्षा छोटे बायोरिएक्टर से ही काम चल जाता है।
प्रश्न 10.
(i) मानवों में अग्न्याशय से स्रावित प्रोइंसुलिन परिपक्व इंसुलिन से किस प्रकार भिन्न है? [1\(\frac {1}{2}\)]
(ii) इस प्रकार तैयार की गई कार्यशील इंसुलिन को इससे पूर्व मधुमेह रोगियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इंसुलिन से बेहतर क्यों माना जाता है?
उत्तर:
(i) प्रो इंसुलिन c पेप्टाइड की उपस्थिति के कारण असक्रिय होती है। परिपक्व इंसुलिन में c पेप्टाइड नहीं पाया जाता अत: यह सक्रिय होती है।
(ii) पहले के समय में इंसुलिन को जानवरों जैसे मवेशियों और सुअर के अग्न्याशय से प्राप्त किया जाता था जो बाह्य पदार्थों (विजातीय पदार्थों) के कारण एलर्जी व संक्रमण का स्रोत हो सकती थी। rDNA प्रौद्योगिकी से बनी इंसुलिन पूर्णतः सुरक्षित अधिक कारगर है।
प्रश्न 11.
प्रोब से आप क्या समझते हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
खोजी न्यूक्लियोटाइड के छोटे (15-30 क्षारक युग्म लम्बे) खण्ड हैं जो प्रदर्श में अपने सम्पूरक खण्ड की पहचान कर सकते हैं। इन एक रज्जुकी डी एन ए या आर एन ए को रेडियोएक्टिव अणुओं से चिह्नित कर नैदानिक जाँचों में प्रयोग किया जाता है तथा खोजी (Probe) कहा जाता है। इसको कोशिकाओं के एक क्लोन में अपने पूरक डी एन ए से संकरित (hybridize) कराया जाता है।
प्रश्न 12.
संख्या, जैवमात्रा तथा ऊर्जा के पिरामिड क्या दर्शाते हैं? [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
- संख्या का पिरामिड-इसमें जीवों की संख्या को प्रदर्शित किया जाता है।
- जैव मात्रा का पिरामिड- यह जीवों के कुल शुष्क भार/कैलोरी मूल्य पर आधारित होता है।
- ऊर्जा का पिरामिड- इसमें प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा बहाव की दर या उत्पादकता प्रदर्शित की जाती है।
प्रश्न 13.
चारण खाद्य श्रृंखला तथा अपरद खाद्य श्रृंखला में अन्तर लिखिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
चारण खाद्य श्रृंखलाएँ एवं अपरद खाद्य श्रृंखला
चारण खाद्य श्रृंखला | अपरद खाद्य |
1. उत्पादकों (हरे पौधों) से प्रारम्भ होती है। | 1. श्रृंखला अपरद या डेट्रिटस से प्रारम्भ होती है |
2. उत्पादकों से शाकाहारियों तथा शाकाहारियों से मांसाहारियों की ओर बढ़ती है | 2. अपरद से प्रारम्भ होकर अपरदहारी तथा इनके परभक्षियों की ओर बढ़ती है |
3. पादप प्लवक → जन्तुप्लवक → छोटी मछली → बड़ी मछली | 3. पत्तियाँ → केंचुआ → पक्षी → बाज अपरद छोटा + सूक्ष्मजीव |
प्रश्न 14.
पवित्र उपवन से आप क्या समझते हैं? समझाइए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
पवित्र उपवन या आश्रय अपने देश में स्वस्थाने (in situ) संरक्षण का विचार नया नहीं है। प्राचीन समय में ही भारत में जीवधारियों व उनके पर्यावरणीय महत्व को पहचानकर उनके संरक्षण के प्रयास किये जाते रहे हैं। सेक्रेड ग्रूव या पवित्र उपवन वनों में ऐसे स्थान हैं जहाँ मानवीय गतिविधियाँ प्रतिबंधित रहती हैं तथा पेड़-पौधे, जीव-जन्तु पूर्ण रूप से संरक्षित रहते हैं।
भारत में ऐसी पवित्र गुफाएँ/उपवन मेघालय की खासी व जैंतिया पहाड़ियों पर, राजस्थान की अरावली पर्वतमाला में, पश्चिमी घाट, कर्नाटक व महाराष्ट्र में पड़ने वाले कुछ क्षेत्र तथा सरगूजा (Sarguja) मध्य प्रदेश के चंदा व बस्तर क्षेत्र। मेघालय की अनेक दुर्लभ एन्डेमिक प्रजातियाँ इन पवित्र उपवनों में सुरक्षित हैं। भारत में अनेक सरोवरों, तालों, कुंडों को पवित्र मानकर उनको पर्यावरणीय संरक्षण प्रदान किया जाता है।
प्रश्न 15.
स्वस्थाने व बाह्यस्थाने संरक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [1\(\frac {1}{2}\)]
उत्तर:
स्वस्थाने व बाह्यस्थाने संरक्षण में अन्तर
स्वस्थाने संरक्षण | बाह्यस्थाने संरक्षण |
1. पूरे पारितंत्र का संरक्षण है। | 1. यह प्रजाति विशेष का संरक्षण है। |
2. किसी प्रजाति के साथ उसके साथ पारस्परिक सम्बंध वाली सभी प्रजातियों का संरक्षण हो जाता है। | 2. केवल उसी प्रजाति का संरक्षण होता है। |
3. बायोस्फीयर रिजर्व, नेशनल पार्क आदि इसके उदाहरण हैं। | 3. वानस्पतिक उद्यान, जंतु पार्क बाह्यस्थाने संरक्षण के तरीके हैं। |
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 16.
गुलाब का पौधा बड़े आकार के, आकर्षक व द्विलिंगी पुष्प उत्पन्न करता है मगर इनमें फलों का निर्माण यदा कदा (दुलर्भता) में ही होता है। दूसरी ओर टमाटर के पौधों में बड़ी संख्या में फल बनते हैं जबकि उनका पुष्य छोटा होता है। गुलाब के पौधे की फल निर्माण में असफलता के कारणों का विश्लेषण कीजिए। [3]
अथवा
मद चक्र एवं ऋतु स्राव चक्र की व्याख्या करते हुए इनमें अन्तर स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
गुलाब व टमाटर दोनों का ही मनुष्य ने इनके अलग-अलग लक्षणों के लिए चयन किया है। गुलाब का चयन इसके पुष्पों के लिए तथा टमाटर का इसके फलों के लिए किया गया है। गुलाब, जिसको वर्धी प्रजनन द्वारा उगाया जाता है, को बीज बनाने की आवश्यकता नही होती।
गुलाब में फल न बनना अनेक कारणों से हो सकता हैं। कुछ सम्भावित कारण निम्नलिखित हैं-
- गुलाब के पौधों के पुष्पों द्वारा जीवनक्षम परागकण (viable pollen grains) का निर्माण नहीं हो सकता हो
- गुलाब के पौधे में कार्यशील अण्ड (functional egg) का अभाव हो सकता है
- गुलाब के पौधे के बीजाण्ड (ovules) हासित हो सकते हैं
- चूंकि गुलाब एक संकर है अत: हो सकता है अर्धसूत्री विभाजन असामान्य हो जिससे जीवन अक्षम युग्मक बनते हों
- इनमें स्व असंगतता हो सकती है
- इनमें पराग नलिका की वृद्धि तथा/या निषेचन के आन्तरिक बाधक उपस्थित हो सकते हैं। टमाटर में प्रचुरमात्रा में फल बनते हैं फूल के आकार का फल निर्माण पर कोई प्रभाव नहीं होता।
प्रश्न 17.
किसी विशिष्ट पौधे की प्रजाति में अधिकांश बैंगनी तथा कछ सफेद पुष्प निकलते हैं। किसी बीच के रंग का पुष्य नहीं निकलता। यदि आपको बैंगनी रंग के पुष्प का पौधा दिया गया है तब यह किस प्रकार सिद्ध करेंगे कि यह एक शुद्ध जाति लक्षण है? [3]
अथवा
मनुष्य में हीमोफीलिया रोग की वंशागति समझाइये। स्त्रियों में इस रोग की सम्भावना अत्यन्त कम क्यों होती है? [3]
उत्तर:
परीक्षार्थ संकरण (test cross) द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि कोई पौधा समयुग्मजी (शुद्ध) प्रभावी है या विषम युग्मज (संकर) प्रभावी। (अप्रभावी) रंग के पुष्प से संकरित कराने पर बनने वाली संतति यह निर्धारित कर देती है कि पौधा शुद्ध है या संकर। अगर बैंगनी पुष्प वाला पौधा समयुग्मजी (PP) है तब इसे सफेद (pp) से क्रास कराने पर सभी बैंगनी पुष्प वाले पौधे (Pp) संकर, बनेंगे।
पौधे अगर संकर (विषमयुग्मजी) हैं तो F1 पीढ़ी में 50% बैंगनी (संकर) व 50% सफेद पुष्प बनेंगे।
प्रश्न 18.
पश्चविषाणु ( रेट्रोवायरस) की प्रतिकृति को रेखाचित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए। [3]
अथवा
प्रतिरक्षी अणु की संरचना का नामांकित चित्र बनाइए। [3]
उत्तर:
खण्ड – द
निबंधात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा 100 शब्द)
प्रश्न 19.
एक लघुबीजाणु से परिपक्व परागकण बनने तक की अवस्थाओं को केवल चित्रों द्वारा प्रदर्शित कीजिए। [4]
अथवा
पश्च परागण अवस्था प्रदर्शित करते एक अण्डप का नामांकित चित्र बनाइये जिसमें परागनलिका परिपक्व भ्रूणकोष में प्रवेश करती हुई दिखाई गई हों। इस चित्र में परागनलिका, प्रतिमुख कोशिकाएँ, नर युग्मक व ध्रुवीय कोशिकाओं को नामांकित कीजिए। [4]
उत्तर:
प्रश्न 20.
ग्रिफिथ के रूपान्तरकारी सिद्धान्त को समझाइए। [4]
अथवा
प्रोकैरियोटिक अनुलेखन एवं यूकैरियोटिक अनुलेखन में अन्तर बताइए। [4]
उत्तर:
रूपान्तरकारी सिद्धान्त
फ्रेडरिक ग्रिफिथं नामक जीवाणु विज्ञानी सन् 1928 में मनुष्यों में न्यूमोनिया रोग के कारक जीवाणु स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी के विरुद्ध एक टीका (वैक्सीन) विकसित करने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने जीवाणुओं में रूपान्तरण प्रक्रिया की खोज की।
स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी (न्यूमोकोकस-जीवाणुओं को जब सम्वर्धन माध्यम पर उगाया जाता है तब इनके दो निम्न विभेद आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
(i) S-विभेद इस विभेद के जीवाणु चमकदार, चिकनी कॉलोनी बनाते हैं। इसीलिए इन्हें S-विभेद कहा जाता है। इन जीवाणुओं की जीवाणुभित्ति के ऊपर म्यूकस (पालीसैकेराइड) का बना एक आवरण (capsule या coat) पाया जाता है। यह जीवाणु रोगकारी या वाइरुलैंट होते हैं, अत: इस जीवाणु से संक्रमित चूहों की मृत्यु हो जाती है।
(ii) R-विभेद यह जीवाणु कल्चर प्लेट पर खुरदरी कॉलोनी बनाते हैं अतः R-विभेद कहलाते हैं। R विभेद के जीवाणुओं में म्यूकस आवरण का अभाव होता है। यह रोग उत्पन्न करने में सक्षम नहीं होते अर्थात नान वाइरुलैंट (non virulent) होते हैं। चूहों को इन जीवाणुओं से संक्रमित करने पर उनमें न्यूमोनिया विकसित नहीं होता। इसे निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है-
S विभेद → चूहे में इंजैक्ट कराया गया → चूहा मर जाता है
R विभेद → चूहे में इंजैक्ट कराया गया → चूहा जीवित रहता है।
यह जानने के लिए क्या S विभेद के जीवाणुओं का कैप्स्यूल या म्यूकस कोट रोगकारी है, ग्रिफिथ ने S विभेद के जीवाणुओं को ताप के प्रभाव से मार दिया व फिर मृत S विभेद के जीवाणुओं को चूहों में इंजैक्ट कराया इसका चूहों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तथा वह जीवित रहे।
S विभेद → चूहों में इंजैक्ट कराया गया → चूहा जीवित रहता है
अब उसने ताप से मृत S-विभेद तथा रोग उत्पन्न करने में अक्षम जीवित R-विभेद के मिश्रण को चूहों में इंजैक्ट कराया। इससे उसे आश्चर्यकारी परिणाम प्राप्त हुए।
इन मृत चूहों से उन्हें जीवित S विभेद के जीवाणु प्राप्त हुए।
S विभेद के मृत जीवाणु तथा R विभेद के जीवित जीवाणु दोनों ही अलग-अलग चूहों में इंजैक्ट करने पर चूहों की मृत्यु का कारण नहीं बनते, लेकिन इनका मिश्रण चूहों को मार देता है। ग्रिफिथ ने निष्कर्ष निकाला कि R विभेद के जीवाणु किसी तरह S-विभेद के ताप मृत जीवाणुओं द्वारा रूपान्तरित कर दिए गये। ताप मृत S-विभेद के जीवाणुओं से निकले किसी रूपान्तरकारी सिद्धान्त ने R-विभेद के जीवाणुओं में चिकना पॉलीसैकेराइड कोट (कैप्स्यूल) संश्लेषित करने की क्षमता उत्पन्न कर उन्हें रोगकारी भी बना दिया। ऐसा आनुवंशिक पदार्थ के स्थानान्तरण द्वारा ही सम्भव हुआ होगा। लेकिन उसके प्रयोगों से आनुवंशिक पदार्थ की जैव रासायनिक प्रकृति स्पष्ट नहीं हुई।
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