Students must start practicing the questions from RBSE 12th Chemistry Model Papers Model Paper Set 1 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Chemistry Model Paper Set 1 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए
(i) Fe3O4 का क्रिस्टल है- (1)
(अ) प्रतिचुम्बकीय
(ब) लौह चुम्बकीय
(स) अनुचुम्बकीय
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
(ब) लौह चुम्बकीय
(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा अयस्क नहीं है? (1)
(अ) आयरन पाइराइट
(ब) हॉर्न सिल्वर
(स) मैलेकाइट
(द) पिग आयरन
उत्तरः
(द) पिग आयरन
(iii) डाइक्लोरोडाइऐमीनप्लैटिनम (II) संकुल का सूत्र है (1)
(अ) Pt[Cl2(NH3)2]
(ब) P[R(NH2)2]Cl2
(स) [PtCl2(NH3)2]
(द) [PtR(NH)2]Cl2.
उत्तरः
(स) [PtCl2(NH3)2]
(iv)
का मुख्य उत्पाद है- (1)
(अ) प्रोपीन-1
(ब) ब्यूटीन-2
(स) ब्यूटेन
(द) ब्यूटाइन-1
उत्तरः
(ब) ब्यूटीन-2
(v) ऐल्कोहॉलीय की उपस्थिति में किस मिश्रण के साथ कार्बिल ऐमीन परीक्षण किया जाता है? (1)
(अ) क्लोरोफॉर्म एवं रजत चूर्ण
(ब) त्रि-हैलोजनीकृत मेथेन और प्राथमिक ऐमीन
(स) एक ऐल्किल हैलाइड और एक प्राथमिक ऐमीन
(द) एक ऐल्किल सायनाइड और एक प्राथमिक ऐमीन
उत्तरः
(ब) त्रि-हैलोजनीकृत मेथेन और प्राथमिक ऐमीन
(vi) फीनॉल का 0.20% विलयन निम्न में से किस रूप में कार्य करता है? (1)
(अ) ऐन्टीसेप्टिक
(ब) प्रतिऑक्सीकारक
(स) ज्वरनाशक
(द) ऐन्टीबायोटिक
उत्तरः
(अ) ऐन्टीसेप्टिक
(vii) वह कार्बोहाइड्रेट, जो मनुष्यों के पाचन तन्त्र में नहीं पचता है (1)
(अ) स्टार्च
(ब) सेलुलोस
(स) ग्लाइकोजन
(द) ग्लूकोस
उत्तरः
(स) ग्लाइकोजन
(viii) निम्न में से कौन-से यौगिक में बाइयूरेट परीक्षण नहीं होता है? (1)
(अ) कार्बोहाइड्रेट
(ब) पॉलीपेप्टाइड
(स) यूरिया
(द) प्रोटीन
उत्तरः
(अ) कार्बोहाइड्रेट
(ix) ऐमीनो अम्ल निम्न में से किसके निर्माण की इकाई होती है? (1)
(अ) कार्बोहाइड्रेट के
(ब) प्रोटीन के
(स) वसा के
(द) विटामिन के
उत्तरः
(स) वसा के
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) एल्युमीनियम का प्रमुख अयस्क ___________ है। (1)
उत्तरः
बॉक्साइट
(ii) फेन प्लवन विधि में प्रयुक्त संग्राहक का भाग ___________ है। (1)
उत्तरः
पोटेशियम
(iii) Ni2+, Ti2+ तथा V3+ का चुम्बकीय आघूर्ण ___________ है। (1)
उत्तरः
2.83 BM
(iv) [Ni(CN)4]2- सें अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या ___________ (1)
उत्तरः
शून्य
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) काय-केन्द्रित धनीर्य संरचना में संकुलन दक्षता का मान लिखिए। (1)
उत्तर:
संकुलन क्षमता = 68%
(ii) किसी विलयन के परासरण दाब एवं उसके अणु भार में क्या सम्बन्ध है ? (1)
उत्तर:
πV = \(\frac{W_{B}}{M_{B}}\) × R × T
जहाँ π = परासरण दाब
V = विलयन का आयतन
WB = विलेय का द्रव्यमान
MB = विलेय का अणु भार
R = गैस नियतांक
T = ताप K में
(iii) वाष्प दाब अवनमन के लिये रॉउल्ट का नियम लिखें। (1)
उत्तर:
अवाष्पशील विलेय के विलयन का वाष्प दाब, विलायक के वाष्प दाब से कम होता है अत: रॉउल्ट के अनुसार, “एक निश्चित ताप पर अवाष्पशील विलेय युक्त विलयन के लिये आपेक्षिक वाष्प दाब अवनमन विलेय के मोल अंश के बराबर होता है।”
\(\frac{p_{\mathrm{A}}^{0}-p_{\mathrm{A}}}{p_{\mathrm{A}}^{0}}\) = xB
(iv) बॉक्साइट अयस्क में उपस्थित दो अशुद्धियों के नाम लिखिए। (1)
उत्तर:
Fe2O3 तथा SiO2.
(v) निम्न ऑक्साइडों में कौन-सा ऑक्साइड आयनिक है (1)
TiO2, Mn2O7, CrO3,V2O5
उत्तर:
TiO2, ऑक्साइड आयनिक है।
(vi) CH3OH में C-OH आबन्ध लम्बाई फीनॉल में C-OH आबन्ध लम्बाई से जरा-सी अधिक होती है। कारण दीजिए। (1)
उत्तर:
CH3-OH में – OH समूह sp3 संकरित कार्बन परमाणु से जुड़ा होता है। जबकि C6H5 – OH में -OH समूह sp2 संकरित कार्बन परमाणु (द्विबन्ध युक्त C-परमाणु) से जुड़ा होने के कारण
की बन्ध लम्बाई
की बन्ध लम्बाई से अधिक होती है।
(vii) कौन अधिक क्षारीय है-ऐनिलीन या अमोनिया? (1)
उत्तर:
अमोनिया ऐनिलीन से अधिक क्षारीय होती
(viii) बेन्जीन वलय पर एक इलेक्ट्रॉन विमोचक प्रतिस्थापी की उपस्थिति किस प्रकार ऐरोमैटिक ऐमीन की क्षारीय सामर्थ्य को प्रभावित करती है? (1)
उत्तर:
ऐरोमैटिक ऐमीन की क्षारीय सामर्थ्य बढ़ती
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
आयनिक ठोसों की प्रकृति के आधार पर फ्रेंकेल दोष एवं शॉट्की दोष में विभेद कीजिये। (1½)
उत्तर:
शॉट्की एवं फ्रेंकेल दोषों में विभेद
शॉट्की दोष | फ्रेंकेल दोष |
1. इस प्रकार के दोष प्रदर्शित करने वाले यौगिकों के धनायन और ऋणायन के आकार समान होते हैं। | 1. इस प्रकार के दोष प्रदर्शित करने वाले यौगिकों के धनायन छोटे परन्तु ऋणायन बड़े होते हैं। |
2. यह आयनों की उच्च उपसह संयोजन संख्या वाले ठोसों में पाया जाता है। | 2. यह आयनों की निम्न उपसह संयोजक संख्या जाता वाले ठोसों में पाया । |
प्रश्न 5.
यह मानते हुए कि परमाणु एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं, सरल घनीय धातु के क्रिस्टल में संकुलन क्षमता ज्ञात कीजिए। (1½)
उत्तर:
माना कि एकक कोष्ठिका के सिरे की लम्बाई = a
गोले की त्रिज्या = r
∴ गोले एक-दूसरे को सम्पर्क करते हैं।
a = 2r
एक एकक कोष्ठिका में गोलों की संख्या
= 8 × \(\frac{1}{8}\) = 1
एक गोले का आयतन = \(\frac{4}{3}\)πr3
घन का आयतन = a × a × a = a3
संकुलन क्षमता = \(\frac{\frac{4}{3} \pi r^{3}}{8 r^{3}}=\frac{4 \times 22}{3 \times 7 \times 8}\)
= 0.524 = 52.4%
प्रश्न 6.
ऐथेनॉल तथा ऐसीटोन का मिश्रण ऋणात्मक विचलन क्यों प्रदर्शित करता है ? (1½)
उत्तर:
ऐथेनॉल तथा ऐसीटोन का मिश्रण जब बनाया जाता है तो अन्तरा आण्विक हाइड्रोजन बन्ध के कारण नये आकर्षण बल उत्पन्न होते हैं तथा आकर्षण बल प्रबल हो जाते हैं, जिसके कारण विलेय-विलायक अणुओं के मध्य अन्योन्य क्रियाएँ विलेय-विलेय तथा विलायक-विलायक की अपेक्षा प्रबल हो जाती हैं और इसी कारण ऐथेनॉल तथा ऐसीटोन का मिश्रण ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।
ऐसीटोन एवं ऐथेनॉल के मध्य हाइड्रोजन बन्ध
प्रश्न 7.
एक यौगिक के 4.00 g को जल के 200 g में घोलने पर विलयन का क्वथनांक एक वायुमण्डलीय दाब पर 100.065°C हो जाता है। इस यौगिक का अणु भार ज्ञात कीजिए। (जल का मोलल उन्नयन स्थिरांक = 0.531KKg mol-1). (1½)
उत्तर:
विलेय का द्रव्यमान, WB = 4.00 g
विलायक का अणु भार, WA = 200 g
मोलल उन्नयन स्थिरांक, Kb = 0.531 K kg mol-1
∆Tb = 100.065 – 100 = 0.065°C
MB =?
MB = 163.38 g/mol
विलेय का अणु भार = 163.38 g/mol
प्रश्न 8.
अभिक्रिया वेग एवं विशिष्ट अभिक्रिया वेग में विभेद कीजिए। (1½)
उत्तर:
अभिक्रिया वेग-इकाई समय में किसी अभिकारक अथवा उत्पाद की सान्द्रता में आये परिवर्तन को अभिक्रिया का वेग कहते हैं। इसका मात्रक mol L min-1 होता है
अभिक्रिया वेग = \(\pm \frac{\Delta C}{\Delta t}\)
विशिष्ट अभिक्रिया वेग
किसी अभिक्रिया का वह वेग जब सभी अभिकारकों की सान्द्रता इकाई होती है, उसे विशिष्ट अभिक्रिया का वेग कहते हैं। माना अभिक्रिया
aA + bB + cC → उत्पाद
वेग = K [A]a [B]b [C]c जब
[A] = [B] = [C] = 1M
तो वेग =K
यही विशिष्ट अभिक्रिया का वेग है।
प्रश्न 9.
अभिक्रिया 2A + B → A,B के लिए वेग = k[A] [B]2, यहाँ k का मान 2.0 × 10-6 mol-2 L2 s-1 है। प्रारम्भिक वेग की गणना कीजिए, जब [A] = 0.1 mol L-1 एवं [B] = 0.2 mol L-1 हो तथा अभिक्रिया वेग की गणना कीजिए, जब [A] घटकर 0-06 mol L-1 रह जाये। (1½)
उत्तर:
प्रारम्भिक वेग = k [A] [B]2
= (2.0 × 10-6 mol-2 L2 s-1) × (0.1 mol L-1) (0.2 mol L-1)2
= 8.0 × 10-9 mol L-1 s-1
जब [A] 0.10 mol L-1 से घटकर 0.06 mol L-1 रह जाता है अर्थात् 0.04 mol L-1 A अभिकृत हो जाता है, तब अभिकृत B की सान्द्रता
= \(\frac{1}{2}\) × 0.04 mol L-1
= 0.02 mol L-1
अतः [B] = 0.2-0.02 = 0.18 mol L-1
वेग = (2.0 × 10-6 mol-2 L2 s-1)
(0.06 mol L-1) (0.18 mol L-1)2
= 3.89 × 10-9 mol L-1s-1
प्रश्न 10.
स्पष्ट कीजिए कि Cu+ आयन जलीय विलयन में स्थायी नहीं है, क्यों ? समझाइए। (1½)
उत्तर:
Cu+(aq) से Cu2+(aq) अधिक स्थायी होता है। क्योंकि कॉपर की द्वितीय आयनन ऊर्जा का मान अधिक होता है। परन्तु Cu2+(aq) के लिए (∆Hजलयोजन) जलयोजन एन्थैल्पी का मान Cu+(aq) की तुलना में अधिक ऋणात्मक होता है, इसलिए जलयोजन एन्थैल्पी कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी से होने वाली क्षति की पूर्ति कर देती है। अतः अनेक कॉपर (I) यौगिक जलीय विलयन में अस्थायी होते हैं तथा निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुसार असमानुपातन प्रदर्शित करते हैं
2Cu+(aq) → Cu2+(aq) + Cu(s)
एवं Cu2+ उपर्युक्त कारणों से अत्यधिक स्थायी हो जाता है।
प्रश्न 11.
प्रथम संक्रमण श्रेणी के ऑक्सो-धातु ऋणायनों के नाम लिखिए, जिसमें धातु संक्रमण श्रेणी की वर्ग संख्या के बराबर ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है। (1½)
उत्तर:
प्रश्न 12.
में A और B के रासायनिक सूत्र लिखिए। (1½)
उत्तर:
प्रश्न 13.
ल्यूकास परीक्षण क्या है? यह किस प्रकार के यौगिकों की पहचान में उपयोगी है? (1½)
उत्तर:
ल्यूकास परीक्षण-यह प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों में विभेद करने की अत्यन्त सरल विधि है। यह भिन्न-भिन्न ऐल्कोहॉलों की ल्यूकास अभिकर्मक (सान्द्र HCl + निर्जल ZnCl2) के प्रति भिन्न-भिन्न गति से अभिक्रिया करने पर आधारित है। किसी ऐल्कोहॉल में ल्यूकास अभिकर्मक मिलाने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं जिससे धुंधलापन उत्पन्न होता है। इस प्रकार,
- कमरे के ताप पर तृतीयक ऐल्कोहॉल तुरन्त धुंधलापन उत्पन्न करते हैं।
- कमरे के ताप पर द्वितीयक ऐल्कोहॉल 5-10 मिनट बाद धुंधलापन उत्पन्न करते हैं।
- कमरे के ताप पर प्राथमिक ऐल्कोहॉल धुंधलापन उत्पन्न नहीं करते हैं, अतः विलयन पारदर्शक होता है।
प्रश्न 14.
कोल्बे वैद्युत अपघटन की क्रियाविधि समझाइए। (1½)
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्षार धातु लवणों के जलीय विलयन का वैद्युत अपघटन द्वारा भी विकार्बोक्सिलीकरण हो जाता है तथा ऐसे हाइड्रोकार्बन निर्मित होते हैं जिसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या, अम्ल के ऐल्किल समूह में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या से दोगुनी होती है। इस अभिक्रिया को कोल्बे अभिक्रिया या कोल्बे वैद्युत- अपघटन कहते हैं।
प्रश्न 15.
लुईस अम्लों जैसे-BF3, AlCl3 आदि के साथ क्रिया करके ईथर उप-सहसंयोजी यौगिक बनाता है। क्यों ? (1½)
उत्तर:
ईथरों में ऑक्सीजन परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म की उपस्थिति के कारण ईथर की प्रकृति लुईस क्षारों जैसी होती है, इस कारण वे लुईस अम्लों के साथ उपसहसंयोजी बन्ध बनाते हैं।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
(अ) एक अभिक्रिया
दर =k (i) इस अभिक्रिया की कोटि और आण्विकता लिखिए।
(ii) k की इकाई लिखिए।
(ब) एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया का 50% (आधा भाग) 10 मिनट में समाप्त होता है। इस अभिक्रिया का – 99% भाग कितने समय में पूरा होगा? (2 + 1 = 3)
अथवा
(अ) रासायनिक अभिक्रिया के वेग एवं स्टाइक्रियोमितीय गुणांक में सम्बन्ध को समझाइए।
(ब) आरेनियस का समीकरण दीजिए। (2 + 1 = 3)
उत्तर:
(i) अभिक्रिया की कोटि = शून्य
आण्विकता = 2
(ii) k की यूनिट = mol L-1s-1 है।
(ब) प्रथम कोटि की वेग-अभिक्रिया का समीकरण
पुनः अभिक्रिया के 99% भाग पूरा होने मे लगे समय के लिए अभिक्रिया के समीकरण से
= 66.45 मिनट
अतः अभीष्ट समय 66.45 मिनट है।
प्रश्न 17.
(अ) SN1 तथा SN2 अभिक्रियाओं में अन्तर लिखिए।
(ब) निम्नलिखित समुच्चयों के यौगिकों को SN2 विस्थापन के प्रति क्रियाशील के क्रम में व्यवस्थित कीजिए
(i) 2-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-बोमो पेन्टेन
(ii) 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन, 2-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन, 3-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन
(iii) 1-ब्रोमो ब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2,2-डाइमेथिल प्रोपेन, 1-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन, 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन। (1 + 2 = 3)
अथवा
(अ) निम्नलिखित में विभेद के लिए परीक्षण दीजिए
(i) क्लोरोबेन्जीन तथा बेन्जिल क्लोराइड
(ii) क्लोरोफॉर्म तथा कार्बन क्लोराइड
(ब) मेथिल क्लोराइड क्लोरोबेन्जीन की तुलना में आसानी से जल अपघटित क्यों हो जाता है?
(स) एनिलीन से ब्रोमोबेन्जीन कैसे प्राप्त करेंगे? (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) SN1 तथा SN2 अभिक्रियाओं में अन्तर
SN1अभिक्रियाएँ | SN2अभिक्रियाएँ |
1. ये अभिक्रियाएँ प्रथम कोटि वेग समीकरण का अनुसरण करती हैं। | 1. ये अभिक्रियाएँ द्वितीय कोटि वेग समीकरण का अनुसरण करती हैं। |
2. इनका वेग केवल अभिकारक की सान्द्रता पर ही निर्भर करता है, अर्थात् वेग नाभिकस्ने ही की| सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है। | 2. इनका वेग अभिकारक एवं नाभिकस्नेही दोनों की सान्द्रता. पर निर्भर करता है। |
3. इन अभिक्रियाओं में रेसिमीकरण होता है। | 3. इनमें पूर्णतः त्रिविमीय प्रतीपन (Inversion) होता है। |
4. इनकी क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है 3°>2″>1° >CH3X | 4. इनकी क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है CH3X > 1 > 2°>3° |
5. इन अभिक्रियाओं का वेग ध्रुवीय विलायकों में बढ़ जाता है। | 5. इन अभिक्रियाओं का वेग ध्रुवीय विलायकों में घट जाता है। |
6. ये अभिक्रियाएँ आयनिक होती हैं, अतः तीव्र गति से सम्पन्न होती हैं। | 6. ये अभिक्रियाएँ मन्द गति से होती हैं। |
7. यह अभिक्रिया दो पदों में सम्पन्न होती है। | 7. यह अभिक्रिया केवल एक पद में सम्पन्न होती है। |
(ब) (i) 1-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिल पेन्टेन ।
(ii) 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन > 3-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन
(iii) 1-ब्रोमोब्यूटेन > 1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन > 1 – ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन > 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिल प्रोपेन
प्रश्न 18.
(अ) C3H9N का एक समावयव लिखिए जो क्लोरोफॉर्म और एथेनॉलिक NaOH के साथ अभिकृत करने पर दुर्गन्धयुक्त पदार्थ आइसोसायनाइड देता है।
(ब) (i) निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूरा कीजिए एवं A व B को पहचानिए –
(i) यूरिया की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए। (2 + 1 = 3)
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रिया के अनुक्रम में x तथा Y को पहचानिए एवं प्रयुक्त दोनों अभिक्रियाओं के नाम भी लिखिए
(ब) ऐल्किल ऐमीन अमोनिया से प्रबल क्षारक है। कारण दीजिए। (3)
उत्तर:
(अ) प्राथमिक एमीन की क्लोरोफार्म से एथेनॉलिक NaOH के साथ अभिक्रिया पर ऐल्किल आइसोसायनाइड प्राप्त होते हैं। जिनकी अरुचिकर गन्ध होती है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
(अ) [Ni(H2O)6]2+ का विलयन हरा है परन्तु |Ni(CN)4]2- का विलयन रंगहीन है। समझाइए।
(ब) [Fe(CN)6]4- तथा [Fe(H2O)6]2+ के तनु विलयनों के रंग भिन्न होते हैं, क्यों ? (2 + 2 = 2)
अथवा
(अ) धातु कार्बोनिलों के आबन्ध की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
(ब) निम्नलिखित संकुलों के IUPAC नाम लिखिए तथा ऑक्सीकरण अवस्था, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और उपसहसंयोजन संख्या दर्शाइए। संकुल का त्रिविम रसायन तथा चुम्बकीय आघूर्ण भी बतलाइए
(i) K[Cr(H2O)2(C2O4)2].3H2O
(i) [CrCl3(Py)3] (1 + 3 = 4)
उत्तर:
(अ) [Ni(H2O)6]2+ यहाँ निकिल का परमाणु क्रमांक 28, इलेक्ट्रोनिक विन्यास 3d8 4s2 तथा ऑक्सीकरण संख्या +2 है।
चूँकि H2O एक दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड है अत: यह इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं कर पाता है तथा बाह्य कक्षक संकरण में भाग लेते हैं।
चूँकि यहाँ पर. दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं अतः यह हरा विलयन बनाता है।
[Ni(CN)4]2--यहाँ Ni का परमाणु क्रमांक 28, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d8 4S2 तथा ऑक्सीकरण अवस्था +2 है।
चूँकि CN– एक प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है अतः यह इलेक्ट्रॉनों का युग्मन करेगा।
चूँकि यहाँ पर सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हैं अतः विलयन रंगहीन होगा।
(ब) दोनों संकुलों में Fe की ऑक्सीकरण अवस्था (+ 2) है। अत: Fe2+ का विन्यास 346 होगा। प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड CN– की उपस्थिति में इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है परन्तु एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन शेष रहता है, जिसके कारण [Fe(CN)6]4- रंगीन होता है।
[Fe(H2O)]2+ में भी Fe की ऑक्सीकरण संख्या + 2 तथा विन्यास 3d6 है। परन्तु यहाँ पर H2O एक दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड है जिसके कारण इलेक्ट्रॉन का युग्मन नहीं हो पाता है और इस संकुल में कुल 4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं। चूँकि दोनों संकुलों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या भिन्न-भिन्न है। अतः ये विलयनों में भिन्न-भिन्न रंग देते हैं।
प्रश्न 20.
(अ) डाइ एथिल कीटोन का संरचना सूत्र लिखिए। (ब) ऐल्डिहाइडों को बनाने की किन्हीं दो विधियों के रासायनिक समीकरण लिखिए। ऐसीटेल्डिहाइड तनु NaOH तथा टॉलेन अभिकर्मक के साथ किस प्रकार क्रिया करता है? सम्बंधित रासायनिक समीकरण लिखिए। (1 + 3 = 4)
अथवा
(अ) वसीय अम्ल किसे कहते हैं?
(ब) एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C9H10HO है, 2, 4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है तथा कैनिजारो अभिक्रिया देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर वह 1, 2-बेन्जीन डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। यौगिक को पहचानिए। (1 + 3 = 4)
उत्तर:
(अ) C2H5COC2H5 : 3-पेन्टेनॉन
(ब) (i) ऐसीटेल्डिहाइड बनाने की ऑक्सीकरण एवं उत्प्रेरकीय विधि
(ii) ऐसीटेल्डिहाइड बनाने की विहाइड्रोजनीकरण विधि
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