Students must start practicing the questions from RBSE 12th Chemistry Model Papers Model Paper Set 2 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Chemistry Model Paper Set 2 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए
(i) शॉटकी दोष किसके जालक की अपूर्णताएँ परिभाषित करता है? (1)
(अ) गैस की
(ब) प्लाज्मा की
(स) द्रव की
(द) ठोस की
उत्तरः
(द) ठोस की
(ii) कौन से अयस्क का सान्द्रण फेन प्लवन विधि द्वारा किया जाता है? (1)
(अ) कार्बोनेट
(ब) सल्फाइड
(स) ऑक्साइड
(द) फॉस्फेट
उत्तरः
(स) ऑक्साइड
(iii) संकुल [Cr(H2O) 6]Cl3 तथा [Cr(H2O)5Cl]Cl2.H2O निम्नांकित समावयवता का उदाहरणं है (1)
(अ) बन्धन समावयवता
(ब) आयनन समावयवता
(स) सहसंयोजन समावयवता
(द) हाइड्रेट समावयवता
उत्तरः
(द) हाइड्रेट समावयवता
(iv) निम्नलिखित अभिक्रिया C6H6 + Cl2, I उत्पाद, में उत्पाद है। (1)
(अ) C6H5Cl.
(ब) O–6H5Cl
(स) C6H6Cl
(द) p-C6H6CI6
उत्तरः
(स) C6H6Cl
(v) CHCl3 ऑक्सीकरण पर देता है (1)
(अ) फॉस्जीन
(ब) फॉर्मिक अम्ल
(स) कार्बन टेट्रा क्लोराइड
(द) क्लोरोपिक्रिन
उत्तरः
(अ) फॉस्जीन
(vi) क्लोरोबेन्जीन की क्रिया क्यूप्रस ऑक्साइड की उपस्थिति में अमोनिया से कराने पर प्राप्त होता है (1)
(अ) फीनॉल
(ब) एनिलीन
(स) बेन्जीन
(द) बेन्जोइक अम्ल
उत्तरः
(ब) एनिलीन
(vii) दूध में शर्करा होती है (1)
(अ) सुक्रोस
(ब) माल्टोस
(स) ग्लूकोस
(द) लैक्टोस
उत्तरः
(द) लैक्टोस
(viii) शरीर में आरक्षित ग्लूकोस के रूप में कार्य करने वाला कार्बोहाइड्रेट है (1)
(अ) सुक्रोस
(ब) स्टार्च
(स) ग्लाइकोजन
(द) फ्रक्टोस
उत्तरः
(स) ग्लाइकोजन
(ix) यौगिकों का युग्म जिसमें दोनों यौगिक टॉलेन अभिकर्मक के साथ धनात्मक परीक्षण देते हैं- (1)
(अ) ग्लूकोस तथा सुक्रोस
(ब) फ्रक्टोस तथा सुक्रोस
(स) ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस
(द) ये सभी
उत्तरः
(स) ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) भूपर्पटी में सर्वाधिक मात्रा में पाये जाने वाले तत्व का नाम ……………… है। (1)
उत्तरः
एल्युमीनियम
(ii) मुक्त अवस्था में पायी जाने वाली दो धातुएँ ………. तथा ……………… हैं। (1)
उत्तरः
सोना, प्लेटिनम
(iii) टेट्रा ऐमीन कॉपर सल्फेट का चुम्बकीय आघूर्ण ……………… है। (1)
उत्तरः
1.73BM
(iv) उपसहसंयोजक यौगिकों के लिए चुम्बकीय आघूर्ण (µ) का मान ………………….. होगा जहाँ n अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है। (1)
उत्तरः
\(\sqrt{n(n+2)}\) BM
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) CaF2 क्रिस्टल जालक में Ca2+ एवं F-आयनों की उप-सहसंयोजन संख्या कितनी होती है ? (1)
उत्तर:
CaF2 क्रिस्टल जालक में
Ca2+ आयन की उप-सहसंयोजन संख्या = 8
F– आयन की उप-सहसंयोजन संख्या = 4
(ii) कच्चे आम को सांद्र लवणीय विलयन में रखे जाने पर क्या होता है ? (1)
उत्तर:
सांद्र लवणीय विलयन में रखने पर कच्चा आम बहिः परासरण के कारण जल को बाहर निकाल देता है एवं संकुचित हो जाता है।
(iii) मोल अंश ज्ञात करने का सूत्र लिखिए। (1)
उत्तर:
अवयव A का मोल अंश = \(\frac{n_{\mathrm{A}}}{n_{\mathrm{A}}+n_{\mathrm{B}}}\)
अवयव B का मोल अंश = \(\frac{n_{\mathrm{B}}}{n_{\mathrm{A}}+n_{\mathrm{B}}}\)
nA = अवयव A के मोलों की संख्या
nB = अवयव B के मोलों की संख्या
(iv) कॉपर के धातुकर्म में सिलिका की क्या भूमिका है? (1)
उत्तर:
Fes व FeO अथवा गैंग को धातुमल में परिवर्तित करने के लिये कॉपर सिलिका में सिलिका SiO2 को मिलाया जाता है।
(v) Mn उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में ऑक्साइड Mn2O7 बनाता है, फ्लुओराइड MnF7 नहीं। (1)
उत्तर:
ऑक्साइड में ऑक्सीजन की धातुओं के साथ बहुआबन्ध बनाने की क्षमता, फ्लुओराइड में उपस्थित फ्लुओरीन की तुलना में अधिक होती है। इस कारण Mn उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में ऑक्साइड Mn2O7, बनाता है, फ्लोराइड MnF7, नहीं।
(vi) ईथर को कभी भी शुष्कता तक गर्म नहीं करते, क्यों ? (1)
उत्तर:
ईथर के ऑक्सीकरण से बने परॉक्साइड विस्फोटक होते हैं जो कि शुष्कता तक गर्म करने पर विस्फोट कर सकते हैं। अतः ईथर को कभी भी शुष्कता तक गर्म नहीं किया जाता है।
(vii) ऐरोमैटिक ऐमीनों में इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन, बेन्जीन की तुलना में शीघ्रता से क्यों होता है। (1)
उत्तर:
अनुनाद के कारण ऐनिलीन के N-परमाणु पर इलेक्ट्रॉन बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत (delocalised) हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है। दूसरे शब्दों में, ऐनिलीन सक्रिय हो जाती है अतः ऐनिलीन में इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन शीघ्रता से होता है।
(viii) क्या होता है जब एथिलेमीन की क्रिया एथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड से कराते हैं?
उत्तर:
एथेन बनती है।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
प्रति लौहचुम्बकीय पदार्थ तथा लघु लौहचुम्बकीय पदार्थ में अन्तर दीजिए। (1½)
उत्तर:
प्रति लौहचुम्बकीय पदार्थ | लघु लौहचुम्बकीय पदार्थ |
1. इन पदार्थों का चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है जबकि इन पदार्थों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं। | 1. इन पदार्थों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण प्रबल चुम्बकत्व की अपेक्षा की जाती है परन्तु वास्तव में चुम्बकत्व कम होता हैं। |
2. इसमें इलेक्ट्रॉनों का समानान्तर तथा प्रति समानान्तर चुम्बकीय आघूर्ण एक-दूसरे को प्रति- संतुलित कर देता है।
उदाहरण-Mno, MnO2 |
इसमें चुम्बकीय आघूर्ण समानान्तर एवं प्रतिसमानान्तर इस प्रकार संयोजित रहते हैं कि पदार्थ में चुम्बकीय आघूर्ण रहे।
उदाहरण-FeSO4 |
3. | 3. |
प्रश्न 5.
यदि NaCl को SrCl2, के 10-3 मोल % से डोपित किया जाये तो धनायनों की रिक्तियों का सान्द्रण क्या होगा? (1½)
उत्तर:
NaCl को SrCl2 के 10-3 मोल % से डोपित करते हैं।
अर्थात् 100 भाग NaC1 में = 10-3 मोल SrCl2
1 भाग NaCl में = \(\frac{10^{-3}}{100}\) मोल SrCl2
= 10-5 मोल SrCl2
= 6.022 × 1023 × 10-5 SrCl2,
= 6.022 × 12+ आयन एक रिक्ति उत्पन्न करता है, अतः .
रिक्तियाँ = 6.022 × 1018
प्रश्न 6.
स्थिरक्वाथी विलयन क्या हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं? (1½)
उत्तर:
(i) ऐसे द्विघटकीय मिश्रण, जिनका द्रव व वाष्प प्रावस्था में संघटन समान होता है तथा जो एक स्थिर ताप पर उबलते हैं एवं जिनके घटकों को प्रभाजी आसवन द्वारा अलग नहीं किया जा सकता है। स्थिरक्वाथी विलयन कहलाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-
(ii) न्यूनतम क्वथनांकी स्थिरक्वाथी- जो विलयन एक निश्चित संगठन पर रॉउल्ट नियम से अत्यधिक धनात्मक विचलन प्रदर्शित करते हैं, न्यूनतम स्थिरक्वाथी विलयन कहलाते हैं। उदाहरणएथेनॉल एवं जल।
(iii) अधिकतम क्वथनांकी स्थिरक्वाथी- वे विलयन जो कि रॉउल्ट नियम से बहुत अधिक ऋणात्मक विचलन दर्शाते हैं। एक विशिष्ट संगठन पर अधिकतम क्वथनांकी स्थिरक्वाथी विलयन कहलाते हैं। उदाहरण- नाइट्रिक अम्ल व जल।
प्रश्न 7.
25°C पर गन्ने की शक्कर के विलयन का परासरण दाब 5atm है। विलयन का सान्द्रण mol L-1 में ज्ञात कीजिए, यदि R = 0.821 L atm K-1 mol-1 है। (1½)
उत्तर:
ताप T = 25 + 273
= 298 K
विलेय का अणुभार WB = C12 H22 O11
= 12 × 12 + 1 × 22 + 16 × 11
= 342 g/mol
परासरण दाब π = 5 atm
गैस नियतांक R = 0.0821 L atm K-1 mol-1
C = π RT
C = \(\frac{\pi}{\mathrm{RT}}\) = \(\frac{5}{0.0821 \times 298}\)
= 0.20 mol L-1
प्रश्न 8.
(अ) आरेख में चिन्हित (क) एवं (ख) किसे दर्शाते हैं? नाम लिखिये।
(ब) आरेख में चिन्हित केवल (क) की परिभाषा दीजिये। (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
(अ) आरेख में (क) अभिकारकों की सक्रियण ऊर्जा है तथा (ख) ऊर्जा परिवर्तन (ΔH) है जो अभिकारकों एवं उत्पादों की ऊर्जा में अंतर को बताता है।
(ब) सक्रियण ऊर्जा-अभिकारकों से सक्रियत संकुल (मध्यवर्ती) के निर्माण के लिये आवश्यक ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा (EA) कहलाती है। फिर यह संकुल (मध्यवर्ती) उत्पाद में परिवर्तित होता है।
प्रश्न 9.
SO2,Cl2, को अपनी प्रारम्भिक मात्रा से आधी मात्रा में वियोजित होने में 60 मिनट का समय लगता है। यदि अभिक्रिया प्रथम कोटि की हो तो वेग स्थिरांक की गणना कीजिए। (1½)
उत्तर:
t1/2 = 60 मिनट
मिनट प्रथम कोटि के लिए,
k = \(\frac{0.693}{t_{1 / 2}}=\frac{0.693}{60}\)
या k = 0.01155 min-1
या k = \(\frac{1 \cdot 155}{60}\) × 10-2 s-1
∴ k = 1.925 × 10-4 s-1
अतः वेग स्थिरांक = 1.925 × 10-4 s-1
प्रश्न 10.
निम्नलिखित गैसीय आयनों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की गणना कीजिए
Mn3+, Cr3+, V3+ तथा Ti3+
इनमें से कौन-सा जलीय विलयन में अति स्थायी है? (1½)
उत्तर:
Mn3+ के d-उपकोश में चार इलेक्ट्रॉन (3d4) हैं; अतः इसमें चार अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं।
Cr3+ के d-उपकोश में तीन इलेक्ट्रॉन (3d3) हैं, अतः इसमें तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं।
v3+ के d-उपकोश में दो इलेक्ट्रॉन (3d2) हैं, अतः इसमें दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं।
Ti3+ के d-उपकोश में एक इलेक्ट्रॉन (3d1) है, अतः इसमें एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है।
इनमें से Cr3+ जलीय विलयन में अति स्थायी है; क्योंकि इसमें अर्द्धपूरित t2g स्तर अर्थात् (t2hg2)3 होता है।
प्रश्न 11.
संक्रमण तत्वों की मूल अवस्था में नीचे दिये गये d-इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों में कौन-सी ऑक्सीकरण अवस्था स्थायी होगी?
3d3, 3d5, 3d8 तथा 3d4 (1½)
उत्तर:
दिये गये d-इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ-
3d3 (वैनेडियम) → + 2, + 3, + 4, +5
3d5 (क्रोमियम) → + 3, + 4, + 6
3d5 (मैंगनीज) → + 2, + 4, + 6, +7
3d8 (कोबाल्ट) → + 2, + 3 (संकुलों में)
3d4 मूल या सामान्य अवस्था में 3d4 विन्यास नहीं होता है।
प्रश्न 12.
राइमर-टीमेन अभिक्रिया को समीकरण सहित लिखिए। (1½)
उत्तर:
फीनॉल के क्षारीय विलयन को CCl4 के साथ 60 – 70° पर reflux करने के पश्चात् मिश्रण को HCl द्वारा अम्लीय करने पर 0-हाइड्रॉक्सी बेन्जोइक अम्ल प्राप्त होता है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित को समझाइए
(अ) ऐल्कोहॉल का अणुभार बढ़ने पर जल में इनकी विलेयता घटती है।
(ब) पावर ऐल्कोहॉल क्या है? इसका उपयोग क्या है?
(स) फीनॉल अम्लीय होते हैं। क्यों ? (½ + ½ + ½ = 1½)
उत्तर:
(अ) क्योंकि ऐल्किल समूह जलविरोधी होते हैं तथा जल में अविलेय हैं। निम्न ऐल्कोहॉल में ऐल्किल समूह छोटा होता है तथा ऐल्कोहॉल का – OH समूह अणु को जल में विलेय बनाने में प्रभावी रहता है। जैसे-जैसे ऐल्किल समूह का आकार बढ़ता है उच्च अणुभार के ऐल्कोहॉलों में ऐल्किल समूह की जल विरोधी प्रकृति -OH समूह की जल स्नेही प्रकृति पर प्रभावी होती जाती है इसलिए विलेयता घटती है।
(ब) परिशोधित स्पिरिट बेंजीन की उपस्थिति में पेट्रोल में मिश्रित हो जाती है। पेट्रोल + औद्योगिक ऐल्कोहॉल और बैंजीन का मिश्रण मोटर ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यह मिश्रण पावर ऐल्कोहॉल कहलाता है।
(स) फीनॉल को जल में घोलने पर यह H+ आयन तथा फीनॉक्साइड आयन देता है। जो अनुनाद के कारण स्थायी होता है। इसलिए फीनॉल अम्लीय गुण प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 14.
(अ) निम्नलिखित कार्बोक्सिलिक अम्लों को अम्लता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए- बेन्जोइक अम्ल, 4-मेथाक्सी बेन्जोइक अम्ल, 4-नाइट्रो बेन्जोइक अम्ल, 4-मेथाक्सी बेन्जोइक अम्ल, 4-नाइट्रो बेन्जोइड अम्ल।
(ब) रासायनिक परीक्षण द्वारा एल्डिहाइड व कीटोन में विभेद कीजिए। (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
(अ) 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल > बेन्जोइक अम्ल > 4-मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल
(ब)
प्रश्न 15.
(अ) ऐल्कोहॉल की तुलना में फीनॉल अधिक अम्लीय क्यों होता है? समझाइए।
(ब) निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों की एस्टरीकरण अभिक्रिया के प्रति उनकी बढ़ती अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए (¾ + ¾ = 1½)
CH3 -CH2-OH, (CH3)2 CH-OH, (CH3)3C-OH
उत्तर:
(अ) फीनॉल में अनुनाद पाया जाता है। इस कारण फीनॉल अणु में आवेश वितरण से – OH समूह की ऑक्सीजन धनावेशित हो जाती है और इसका अम्लीय व्यवहार बढ़ जाता है। जबकि मेथैनॉल में अनुनादी संरचना नहीं पायी जाती है। इस कारण यह फीनॉल से कम अम्लीय होता है।
(ब) (CH3)3 COH < (CH3)2 < CH-OH, CH3CH2OH
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
अभिक्रिया के वेग पर उत्प्रेरक की उपस्थिति का क्या प्रभाव पड़ता है? ग्राफ देकर स्पष्ट कीजिए। (3)
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के वेग व्यंजकों से इनकी अभिक्रिया की कोटि व वेग स्थिरांकों की इकाइयाँ ज्ञात कीजिए-
(i) 3NO(g) → N2O(g) + NO2(g), वेग = k[NO]2
(ii) H2O2(aq) + 3I– (aq) + 2H– → 2H2O(l) + I3– वेग = k[H2O2] [I–]
(ब) एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया का वेग स्थिरांक 1.15 × 10-3S-1 है। इस अभिक्रिया को अभिकारक की 5 ग्राम मात्रा को घटकर 3 ग्राम होने में कितना समय लगेगा? (2 + 1 = 3)
उत्तर:
उत्प्रेरक का प्रभाव (Effect of Catalyst)-उत्प्रेरक वह पदार्थ है जो स्वयं स्थायी रूप से परिवर्तित हुए बिना अभिक्रिया के वेग को परिवर्तित कर देता है। उदाहरणार्थ- MnO2 निम्नांकित अभिक्रिया को उत्प्रेरित कर वेग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि करता है-
2KClO3 → 2KCl + 3O2,
उत्प्रेरक की क्रिया को मध्यवर्ती संकुल सिद्धान्त से समझा जा सकता है। इस सिद्धान्त के अनुसार उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेकर अभिकारकों के साथ अस्थायी बन्ध बनाती है जो कि मध्यवर्ती संकुल में परिणत होता है। इसका अस्तित्व क्षणिक होता है तथा यह वियोजित होकर उत्पाद एवं उत्प्रेरक देता है। यह विश्वास किया जाता है कि उत्प्रेरक एक वैकल्पिक पथ अथवा क्रियाविधि से अभिकारकों के उत्पादों के मध्य सक्रियण ऊर्जा कम करके एवं इस प्रकार ऊर्जा अवरोध में कमी करके अभिक्रिया सम्पन्न करता है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। आरेनियस समीकरण से यह स्पष्ट है कि सक्रियण ऊर्जा का मान जितना कम होगा अभिक्रिया को वेग उतना अधिक होगा।
उत्प्रेरक की लघु मात्रा अभिकारकों की दीर्घ मात्रा को उत्प्रेरित कर सकती है। उत्प्रेरक अभिक्रिया की गिब्ज ऊर्जा, ΔG में बदलाव नहीं करता। यह स्वत:प्रवर्तित (spontaneous) अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करता है, परन्तु स्वत:अप्रवर्तित अभिक्रिया को उत्प्रेरित नहीं करता। यह भी पाया गया है कि उत्प्रेरक किसी अभिक्रिया के साम्य स्थिरांक में परिवर्तन नहीं करता, किन्तु यह साम्य को शीघ्र स्थापित करने में सहायता करता है। यह अग्र एवं प्रतीत दोनों अभिक्रियाओं को समान रूप से उत्प्रेरित करता है जिससे साम्यावस्था अपरिवर्तित रहती है, परन्तु शीघ्र स्थापित हो जाती हैं।
प्रश्न 17.
(अ) क्लोरोबेन्जीन; नाभिक स्नेही प्रतिस्थापी अभिक्रियाओं के प्रति कम क्रियाशील हैं। क्यों?
(ब) निम्न को ऐनिलीन से कैसे प्राप्त करोगे?
(i) क्लोरोबेन्जीन
(ii) आयोडोबेन्जीन (1 + 2 = 3)
अथवा
(अ) निम्न यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए
(i) CICH2C = CCH2Br,
(ii) CH3C(p-CIC6H4)2CH(Br)CH3
(ब) ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जल अवस्थाओं में करना चाहिए। क्यों? (2 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) क्लोरोबेन्जीन की निम्न अनुनादी संरचनायें होती हैं
अनुनाद के कारण, C-Cl के मध्य अधिक द्विबन्ध गुण आ जाने के कारण, C-Cl की बन्ध ऊर्जा में वृद्धि हो जाती है। अत: C-Cl बन्ध किसी नाभिक स्नेही प्रतिस्थापी समूह के द्वारा आसानी से प्रतिस्थापित नहीं हो पाता अतः कम क्रियाशील है।
(ब) (i)
(ii) आयोडो बेन्जीन
प्रश्न 18.
(अ) मेथिलेमीन का pk, का मान ऐनिलीन की तुलना में कम होता है क्यों?
(ब) यौगिक (A), C5H11NO ठण्डे क्षारीय अम्लीय विलयन में विलेय नहीं है। जब (A) का आसवन NaOH विलयन
के साथ करते हैं तो एक गैस (B) निकलती है तथा एक लवण (C) बनता है जो ऐसीटिल क्लोराइड (B) से क्रिया करके (D) देता है। (D) का अणुसूत्र C4H9NO है। (B) HNO2 से क्रिया करके एक पीला तैलीय पदार्थ (E) बनाता है। अतः (A), (B), (C), (D) तथा (E) क्या हैं ? बतायें ? (1 + 2 = 3 )
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूरा कीजिए तथा A व B की पहचान कीजिए
(ब) एनीलीन की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए। (2 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) मेथिलेमीन एनिलीन की तुलना में प्रबल क्षारीय होती है। CH3 समूह के + I प्रभाव के कारण N पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ता है, जिससे क्षारीय प्रवृत्ति बढ़ती है जबकि ऐनिलीन अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है। अतः इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति घटती है एवं क्षारकता घटती है।
(ब) उपर्युक्त दी गई जानकारी यह बताती है कि यौगिक ‘A’ एक प्रतिस्थापित ऐमाइड होना चाहिए
यौगिक (B) HNO2 से क्रिया करके एक पीला तैलीय द्रव बनाता है, अतः यह एक द्वितीयक ऐमीन है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
(अ) [Ni(CN)4]2- प्रतिचुम्बकीय है जबकि [NiCl4]2- अनुचुम्बकीय है। क्यों?
(ब) संयोजकता बन्ध सिद्धान्त के अनुसार निम्न उप-सहसंयोजन स्पीशीज में बन्ध की प्रकृति बताइए।
(i) [Fe(CN)6]4-
(ii) [FeF6]3+. (1 + 3 = 4)
अथवा
(अ) हाइड्रेट समावयवता किसे कहते हैं? कोई दो उदाहरण देकर समझाओ।
(ब) संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त के मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालिए।
(स) द्विदन्तुर लिगैण्ड पर टिप्पणी कीजिए। (2 + 1 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) [Ni(CN)4]2- में Ni की ऑक्सीकरण संख्या (+ 2) है।
CN– एक प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है। अतः यह इलेक्ट्रॉनों का युग्मन करता है।
[Ni(CN)4]2- में सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित हैं। अतः यहाँ पर इसकी प्रकृति प्रतिचुम्बकीय है।
[NiCl4]2- में Ni की ऑक्सीकरण संख्या +2 है।
Cl– एक दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड है। अतः यह इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं करता है।
[NiCl4]2-:
यहाँ दो अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण यह संकुल अनुचुम्बकीय है।
(ब) (i) d2sp3, अष्टफलकीय, प्रतिचुम्बकीय
(ii) sp3d2, अष्टफलकीय, अनुचुम्बकीय
प्रश्न 20.
(अ) किस प्रकार के कीटोन आयोडोफॉर्म अभिक्रिया देते हैं?
(ब) फॉर्मिक अम्ल बनाने की प्रयोगशाला विधि की अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए। फॉर्मिक अम्ल की फेहलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक के साथ क्या क्रिया होती है? (1 + 3 = 4)
अथवा
(अ) हैलोफॉर्म अभिक्रिया क्या है?
(ब) एक कार्बनिक यौगिक ‘क’ (आण्विक सूत्र, C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जल-अपघटित करने के उपरान्त एक कार्बोक्सिलिक अम्ल ‘ख’ एवं एक ऐल्कोहॉल ‘ग’ प्राप्त हुए। ‘ग’ को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर ‘ख’ उत्पन्न होता है। ‘ग’ निर्जलीकरण पर ब्यूट-1-ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए। (1 + 3 = 4)
उत्तर:
(a) कीटोन, जिनमें CH3CO समूह होता है।
(b) प्रयोगशाला में फॉर्मिक अम्ल, ऑक्सैलिक अम्ल तथा निर्जल ग्लिसरॉल के मिश्रण को 100-110°C ताप पर गर्म करके बनाया जाता है। अभिक्रिया निम्नलिखित पदों में होती है-
1. ऑक्सैलिक अम्ल ग्लिसरॉल के साथ अभिक्रिया करके ग्लिसरॉल मोनोऑक्सैलेट (एस्टर बनाता है।)
2. ग्लिसरॉल मोनो ऑक्सैलेट 100-110°C ताप पर अपघटित होकर ग्लिसरॉल मोनो फॉर्मेट बनाता है।
3. ग्लिसरॉल मोनो फॉर्मेट में ऑक्सेलिक अम्ल के क्रिस्टलों की कुछ मात्रा मिलाते हैं। इन क्रिस्टलों का जल, ग्लिसरॉल मोनो फॉर्मेट का जल अपघटन कर फॉर्मिक अम्ल तथा ग्लिसरॉल बनाता है।
निर्जल फॉर्मिक अम्ल बनाना: निर्जल फॉर्मिक अम्ल बनाने के लिए जल मिश्रित अम्ल को उबालकर लेड कार्बोनेट द्वारा उदासीन कर लेते हैं। गर्म विलयन को छानकर, द्रव को ठण्डा करने पर लेड फॉर्मेट के क्रिस्टल पृथक् हो जाते हैं|
लेड फॉर्मेट लेड फॉर्मेट लेड फॉर्मेट के क्रिस्टलों को छानकर तथा सुखाकर एक काँच की झुकी नली में लेते हैं। इसके ऊपर शुष्क H2S गैस प्रवाहित करते हैं जिसके फलस्वरूप फॉर्मिक अम्ल बनता है।
ठोस लेड सल्फाइड नली में नीचे रह जाता है तथा द्रव फॉर्मिक अम्ल को बहाकर दूसरे पात्र में एकत्र कर लेते हैं। इससे निर्जल अम्ल बन जाता है।
अपचायक गुण-(i) फॉर्मिक अम्ल टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है।
(ii) फॉर्मिक अम्ल फेहलिंग विलयन को उपचयित कर देता है।
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