Students must start practicing the questions from RBSE 12th Chemistry Model Papers Model Paper Set 3 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Chemistry Model Paper Set 3 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए
(i) फ्रेंकेल तथा शॉटकी दोष होते हैं
(अ) नाभिकीय दोष
(ब) क्रिस्टल दोष
(स) परमाणु दोष
(द) अणु दोष
उत्तरः
(ब) क्रिस्टल दोष
(ii) लौह अयस्कों का सान्द्रण किया जाता है
(अ) गुरुत्व पृथक्करण विधि द्वारा
(ब) फेन प्लवन विधि द्वारा
(स) चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा
(द) अमलगम विधि द्वारा
उत्तरः
(स) चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा
(iii) संकुल [Co(NH3)5Cl] Cl, से विलयन में कितने आयन उत्पन्न होते हैं?
(अ) 4
(ब) 2
(स) 3
(द) 5
उत्तरः
(ब) 2
(iv) क्लोरोपिक्रिन है
(अ) CCl3HNO2
(ब) CCl3.NO2
(स) CCl2(NO2)2
(द) CCl2H2,NO2
उत्तरः
(ब) CCl3.NO2
(v) जब क्लोरोफॉर्म सान्द्र HNO3 से अभिक्रिया करता है तो निम्न में से क्या बनता है? .
(अ) CHCl3NO2
(ब) C(NO2)Cl3
(स) CHCl3HNO3
(द) CHCl2NO2
उत्तरः
(ब) C(NO2)Cl3
(vi) जब ऐल्किल हैलाइड को शुष्क Ag2O के साथ गर्म करते हैं, तब यह बनाता है
(अ) एस्टर
(ब) ईथर
(स) कीटोन
(द) ऐल्कोहॉल
उत्तरः
(अ) एस्टर
(vii) सुक्रोस (sucrose) है एक
(अ) मोनोसैकेराइड
(ब) डाइसैकेराइड
(स) ट्राइसैकेराइड
(द) पॉलिसैकेराइड
उत्तरः
(अ) मोनोसैकेराइड
(viii) इन्सुलिन के जल-अपघटन से प्राप्त होता है-
(अ) ग्लूकोस
(ब) फ्रक्टोस
(स) ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस
(द) लैक्टोस
उत्तरः
(ब) फ्रक्टोस
(ix) सेलुलोस (cellulose) है एक-
(अ) मोनोसैकेराइड
(ब) डाइसैकेराइड
(स) ट्राइसैकेराइड
(द) पॉलिसैकेराइड
उत्तरः
(द) पॉलिसैकेराइड
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) बॉक्साइट का सूत्र ___________________ है
उत्तर:
[AlOx(OH)3.2x]
(ii) भर्जन तथा निस्तापन की क्रिया ______________ में की जाती है|
उत्तर:
परावर्तनी भट्टी
(iii) आयरन त्रिक समूह में _______________ तत्व हैं।
उत्तर:
Fe, CO तथा Ni
(iv) [Ni(CO)4] की आकृति
उत्तर:
चतुष्फलकीय
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) निम्न ताप पर हाइड्रोजन किस प्रकार का आण्विक ठोस है?
उत्तर:
अध्रुवीय या सहसंयोजक आण्विक ठोस है।
(ii) सामान्यतः ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता घटती है, कारण दीजिए।
उत्तर:
स्थिर दाब पर सामान्यतः ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता घटती है। क्योंकि ताप बढ़ाने पर द्रव में गैस के अणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है। जिससे गैस के अणुओं के बाहर निकलने में वृद्धि होती है।
(iii) विलयन में सभी अवयवों के मोल-अंशों का योग क्या होता है ?
उत्तर:
सभी अवयवों के मोल अंशों का योग एक होता है।
(iv) निकिल धातु के शोधन में मॉण्ड प्रक्रम से सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
(v) निम्न में से सहसंयोजक ऑक्साइड है
Mn2O7, Sc2O3, TiO2, Tio
उत्तर:
उपर्युक्त में Mn2O7 , सहसंयोजक ऑक्साइड है।
(vi) कारण दीजिए-ऐल्कोहॉल में आबन्ध कोण
चतुष्फलकीय कोण से जरा-सा कम होता है। (1)
उत्तर:
एल्कोहल में आक्सीजन परमाणु पर दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म उपस्थित होने के कारण
आबन्ध कोण चतुष्फलकीय कोण से कम हो जाता है।
(vii) एथिलेमीन से एथिल आइसोसायनाइड के विरचन के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए। (1)
उत्तर:
(viii) एथिल ऐमीन की पहचान करने वाला एक रासायनिक परीक्षण लिखिए। (1)
उत्तर:
C2H5NH2 + CHCl3 और 3KOH के साथ गर्म करने पर तीव्र दुर्गन्ध युक्त पदार्थ एथिल आइसोसायनाइड बनता है।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
ठोसों की विषमदैशिक तथा समदैशिक प्रकृति को समझाइए। (1½)
उत्तर:
विषमदैशिक ठोस वे होते हैं जिनके भौतिक गुण जैसे विद्युत प्रतिरोधकता तथा अपवर्तनांक, भिन्न-भिन्न दिशाओं में मापने पर भिन्न-भिन्न मान दर्शाते हैं। यह अलग-अलग दिशाओं में कणों की भिन्न-भिन्न व्यवस्था के कारण होता है। क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक होते हैं। अपवाद-घनीय क्रिस्टल। समदैशिक ठोस वे होते हैं जिनके भौतिक गुणों का मान सभी दिशाओं में समान होता है। अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक होते हैं, क्योंकि इनमें कणों की दीर्घ परासी व्यवस्था नहीं होती तथा सभी दिशाओं में अनियमित विन्यास होता है।
प्रश्न 5.
एक यौगिक का सूत्र क्या है जिसमेंY तत्व ccp जालक बनाता है और x के परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों का 2/3 भाग घेरते हैं? (1½)
उत्तर:
ccp जालक में,
अणुओं की संख्या = N
चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या = 2N
तत्व ‘Y’ के परमाणुओं की संख्या = N
तत्व ‘X’ के परमाणु की संख्या = \(\frac{2}{3}\) × 2N
यौगिक X\(\frac{4 \mathrm{~N}}{3}\) : YN
अतः सूत्र = X4 Y3
प्रश्न 6.
ठोसों की द्रवों में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक लिखें। (1½)
उत्तर:
(i) ताप का प्रभाव – ला-शातेलिये के नियमानुसार ताप बढ़ाने पर साम्य ऊष्माशोषी अभिक्रिया की दिशा में विस्थापित हो जाता है।
अतः यदि अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है, तो ताप बढ़ाने पर ठोसों की विलेयता द्रव में कम हो जाती है और यदि अभिक्रिया ऊष्माशोषी है, तो ताप बढ़ाने पर ठोसों की विलेयता अधिक हो जाती है।
(ii) दाब – ठोसों की द्रवों में विलेयता पर दाब का कोई सार्थक प्रभाव नहीं होता है क्योंकि ठोस एवं द्रव अत्यधिक असंपीड्य होते हैं।
(iii) विलेय और विलायक की प्रकृति पर-यदि विलेय ध्रुवीय है, तो यह ध्रुवीय विलायक में घुलेगा एवं यदि विलेय अध्रुवीय है तो यह अध्रुवीय विलायक में घुलेगा।
प्रश्न 7.
22 g जल में घुले हुये 0.1 g दुर्बल एक क्षारकीय अम्ल के विलयन का हिमांक 272.817K है। अम्ल का मोलर द्रव्यमान बताएँ (यदि Kf = 1.86 K kg mol-1) (1½)
उत्तर:
प्रश्न 8.
अभिक्रिया का वेग स्थिरांक क्या है? (1½)
उत्तर:
यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया में किसी क्षण अभिकारक का आण्विक सान्द्रण C हो, तो उस समय अभिक्रिया का वेग \(\left(\frac{d x}{d t}\right)\), सान्द्रण C के समानुपाती होता है,
अर्थात् \(\frac{d x}{d t}\) ∝ C या \(\frac{d x}{d t}\) = KC
जहाँ, K एक स्थिरांक है, जिसे वेग स्थिरांक कहते हैं।
अब यदि C = 1 तो \(\frac{d x}{d t}\) = K
अतः स्थिर ताप पर अभिकारक पदार्थ के इकाई सान्द्रण पर होने वाले अभिक्रिया के वेग को उस अभिक्रिया का वेग स्थिरांक कहते हैं।
प्रश्न 9.
प्लैटिनम सतह पर NH का अपघटन शून्य कोटि की अभिक्रिया है। N2 एवं H2, के उत्पादन की दर क्या होगी जब k का मान 2.5 × 10-4 mol L-1s-1 हो ? (1½)
उत्तर:
2NH3 → N2 + 3H2
अभिक्रिया का वेग = \(\frac{1}{2}\) (N3के ह्रास की दर)
= (N2) के उत्पादन की दर)
= \(\frac{1}{3}\) (H2 के उत्पादन की दर)
= \(\frac{1}{2}\left[-\frac{d\left[\mathrm{NH}_{3}\right]}{d t}\right]=\left[\frac{d\left[\mathrm{~N}_{2}\right]}{d t}\right]\)
= \(\frac{1}{3}\left[\frac{d\left[\mathrm{H}_{2}\right]}{d t}\right]\)
चूँकि अभिक्रिया शून्य कोटि की है तो अभिक्रिया वेग = k[NH3]0
अभिक्रिया वेग = 2.5 × 10-4 mol L-1s-1
N2 के उत्पादन की दर अभिक्रिया का वेग = [N, के उत्पादन की दर]
N2 के उत्पादन की दर
= 2.5 × 10-4 mol L-1 s-1
H2 के उत्पादन की दर
अभिक्रिया को वेग = \(\frac{1}{3}\)(H2 के उत्पादन की दर)
H2 के उत्पादन की दर = 3 × अभिक्रिया का वेग)
= 3 × 2.5 × 10-4 = 7.5 × 10-4 mol L-1 s-1
प्रश्न 10.
लैन्थेनॉइड आकुंचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऐक्टिनॉइड आकुंचन अधिक होता है। क्यों ? (1½)
उत्तर:
ऐक्टिनॉइड में 5/-इलेक्ट्रॉन नाभिकीय आवेश से प्रभावी रूप से परिरक्षित रहते हैं जबकि 4f-इलेक्ट्रॉन इतना ज्यादा परिरक्षित नहीं होते हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं, कि 5f-इलेक्ट्रॉन की श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर जाने पर दुर्बल परिरक्षण प्रभाव परिलक्षित होता है। इस कारण लैन्थेनॉइड आकुंचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऍक्टिनॉइड आकुंचन अधिक होता है।
प्रश्न 11.
M2+(aq) आयन (Z=27) के लिए ‘प्रचक्रण-मात्र’चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए। (1½)
उत्तर:
M(27) = 1s2, 2s2 2p6, 3s2 3p6 4s2 3d7
M2+ = 1s2, 2s2, 2p6, 3s2, 3p6 3d7
इसमें तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं।
∴ ‘प्रचक्रण मात्र’ चुम्बकीय आघूर्ण
µ = \(\sqrt{n(n+2)}\) BM = \(\sqrt{3(3+2)}\) BM
= √15 BM = 3.87 BM
प्रश्न 12.
(अ) कार्बोक्सिलेट आयन किस प्रकार अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त करता है ? संरचनाओं द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर:
इनकी अनुनादी संरचनाओं में ऋण आवेश दो ऑक्सीजन पर होने के कारण यह अधिक स्थायी हो जाता है।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनोल की अपेक्षाकृत अधिक अम्लीय है। क्यों?
उत्तर:
ऐलिफेटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन, फिनॉल से प्राप्त फीनॉक्साइड आयन की अपेक्षा अधिक स्थायी है। अतः कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल से अधिक अम्लीय है।
प्रश्न 13.
(अ) मेथेनॉल से ऐथेनॉल में परिवर्तन कैसे करेंगे? केवल रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
मेथेनॉल से एथेनॉल में परिवर्तन
(ब) पैट्रोल के स्थान पर प्रयुक्त, एल्कोहॉल एवं ईथर का मिश्रण क्या कहलाता है?
उत्तर:
पेट्रोल के स्थान पर प्रयुक्त एल्कोहॉल एवं ईथर का मिश्रण पावर ऐल्कोहॉल (नैटालाइड) कहलाता है।
प्रश्न 14.
(अ) निम्नलिखित यौगिकों को नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन क्रियाओं के प्रति क्रियाशीलता के घटते क्रम में व्यवस्थित कीजिए (¾ + ¾ = 1½)
CH3CHO, HCHO, CH3COCH3
उत्तर:
घटता क्रम निम्न प्रकार है-
CH3 CHCH3 < CH3CHO < HCHO
(ब) कोल्बे वैद्युत अपघटन की क्रियाविधि तथा समीकरण लिखिए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्षार धातु लवणों के जलीय विलयन का वैद्युत-अपघटन द्वारा भी विकार्बोक्सिलीकरण हो जाता है तथा ऐसे हाइड्रोकार्बन निर्मित होते हैं जिसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या, अम्ल के ऐल्किल समूह में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या से दोगुनी होती है। इस अभिक्रिया को कोल्बे अभिक्रिया या कोल्बे वैद्युत- अपघटन (Kolbe electrolysis) कहते हैं।
क्रियाविधिः
एनोड पर
2CH3COONa ⇌ 2CH3COO– + 2Na+
2CH3COO → CH3 – CH3 + 2CO2 + 2e–
ऐथेन
कैथोड पर, 2Na+ + 2e– → 2Na
2Na + 2H2O → 2NaOH + H2
प्रश्न 15.
(अ) एथेनॉल की थायोनिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिये। इस अभिक्रिया का क्या महत्त्व हैं? ((¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
इस अभिक्रिया द्वारा ऐथिल क्लोराइड की प्राप्ति उच्चतम होती है, क्योंकि SO2 गैस है व प्राप्त HCl पिरीडीन के द्वारा अवशोषित कर लेता है।
(ब) निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए
C3H7OH + PCl3 →
उत्तर:
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
(अ) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिये समाकलित वेग व्यंजक का सूत्र स्थापित कीजिए।
(ब) एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के लिये स्थितिज ऊर्जा एवं अभिक्रिया निर्देशांक के मध्य आरेख बनाइये जिसमें क्रियाकारक व उत्पाद के लिये सक्रियण ऊर्जा, सक्रियत संकर व स्थितिज ऊर्जा को दर्शाया गया हो ? (1 + 2 = 3 )
अथवा (अ) वोल्ट्जमैन स्थिरांक किसे कहते हैं?
(ब) यदि k तथा \(\frac{1}{T}\) के मध्य ग्राफ खींचने पर ढाल = – 5.3 × 103 हो, तो सक्रियण ऊर्जा की गणना कीजिए।
(स) अभिक्रिया में उत्प्रेरक क्या योगदान होता है? (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिये समाकलित वेग व्यंजक
A → उत्पाद
t = 0 समय पर, सान्द्रता = [A]o
t = t समय पर, सान्द्रता = [A]
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए,
वेग = k [A] …….. (1)
वेग = –\(\frac{d[\mathrm{~A}]}{d t}\) ………. (2)
चूँकि दोनों समीकरण अर्थात् समीकरण (1) तथा (2) दोनों ही दर को बताते हैं, अतः
K [A] = – \(\frac{d[A]}{d t}\)
⇒ kdt = – \(\frac{d[\mathrm{~A}]}{[\mathrm{A}]}\) …….. (3)
समीकरण (3) का समाकलन करने पर,
∫ k dt = – ∫ \(\frac{d[\mathrm{~A}]}{[\mathrm{A}]}\)
⇒ ∫\(\frac{d[\mathrm{~A}]}{[\mathrm{A}]}\) = ∫ kdt
⇒ In [A] = kt + C …..(4)
जहाँ C = समाकलन स्थिरांक है।
यदि t = 0 तथा [A] = [A]0 तब इन मानों को समीकरण (4) में रखने पर,
– In [A]0 = k × 0 + C
⇒ – In [A]0 = C
C का मान समीकरण (4) में रखने पर
– In [A] = kt – In [A]o
In [A]o – In [A] = kt
⇒ In \(\frac{[\mathrm{A}]_{0}}{[\mathrm{~A}]}\) = kt
(ब) ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया के लिए ऊर्जा चित्र
(Energy Profile for Exothermic Reaction)
अत: देहली ऊर्जा = सक्रियण ऊर्जा + अभिकारक की ऊर्जा
प्रश्न 17.
(अ) C2H5Cl की अपेक्षा C6H5CI नाभिक स्नेही अभिक्रियाओं के प्रति कम क्रियाशील होता है क्यों?
(ब) आप क्लोरोबेन्जीन से टॉलुईन तथा फीनाल कैसे प्राप्त करेंगे? (2 + 1 = 3)
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए-
(ब) आयोफोर्म के दो उपयोग लिखिए। (2 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ) (i) C2H5Cl (आबन्ध लम्बाई = 177 pm), C2H5Cl (आबन्ध लम्बाई = 169 pm) के कारण C6H5Cl में C-Cl आबन्ध तोड़ना कठिन होता है अत: C6H5Cl की क्रियाशीलता कम होती है।
(ii) फेनिल आयन अनुनाद स्थायी नहीं होता है।
अत: C6H5Cl में SN1 क्रियाविधि की सम्भावना समाप्त हो जाती है।
(iii) सम्भावित प्रतिकर्षण के कारण इलेक्ट्रॉन धनी नाभिक रागी के इलेक्ट्रॉन धनी ऐरीन की ओर जाने की सम्भावना कम होती है।
(ब) (i) क्लोरोबेन्जीन से टॉलुईन
(ii) क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल-
प्रश्न 18.
(अ) (CH3)3N की क्षारकता CH3NH2 से कम है। समझाइये। (1 + 2 = 3)
(ब) निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया के क्रम में [A] तथा [B] को पहचानिए एवं रासायनिक सूत्र लिखिए-
अथवा
(अ) एनिलीन एवं N-मेथिल एनिलीन में विभेद के लिये एक रासायनिक परीक्षण दीजिए।
(ब) डाइमेथिल एमीन मेथिल एमीन से प्रबल क्षार है, कारण दीजिए।
(स) ऐनिलीन से कैसे प्राप्त करेंगे? केवल समीकरण दें।
(i) 2, 4, 6 ट्राइब्रोमो एनिलीन
(ii) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड [1 + 1 + 1 = 3]
उत्तर:
(अ)
ट्राईमेथिलेमीन में उपस्थित तीन मेथिल समूह एक N परमाणु पर उपस्थित होने के कारण त्रिविमीय अवरोध के कारण N पर स्थित इलेक्ट्रॉन युग्म को पृथक करने में बाधा उत्पन्न करते हैं। अतः (CH3)3N की क्षारकता CH3NH2 से कम होती है।
(ब)
[A] = C6H5NH2 एनिलीन
[B] = C6H5N2+Cl– बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
(अ) [Cr(NH3)6]3+ अनुचुम्बकीय है जबकि [Ni(CN)4]2- प्रतिचुम्बकीय। समझाइए, क्यों ?
(ब) संकुल यौगिक [Cr(en)3]Cl3 का IUPAC नाम लखिए। (3 + 1 = 4)
अथवा
(अ) [Ni(CN)4]2- आयन का स्वच्छ आकृति चित्र बनाओ तथा केन्द्रिय परमाणु की संकरण अवस्था को समझाओ।
(ब) IUPAC मानदण्डों का उपयोग करते हुए निम्नलिखित के सूत्र लिखिए (2 + 2 = 4 )
(i) हेक्साऐम्मीनकोबाल्ट (III) सल्फेट
(ii) पोटैशियम ट्राइऑक्सैलेटोक्रोमेट (III)
उत्तर:
(अ) [Cr(NH3)6]3+– यहाँ Cr का परमाणु क्रमांक 24, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d54s1 तथा ऑक्सीकरण संख्या + 3 है। अतः
Cr(24): 3d54s1
Cr (III): 3d3 4s0 4p0.
यहाँ NH3, एक प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है परन्तु यहाँ d-उपकोश के दो कक्षक पहले से ही खाली हैं, अतः इलेक्ट्रॉनों के युग्मन की कोई आवश्यकता नहीं है।
[Ni(CN)4]2- -यहाँ निकिल का परमाणु क्रमांक 28, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d84s2 तथा ऑक्सीकरण संख्या +2 है।
Ni (28): 3d84s2
Ni (II): 3d8 4s0 4p0
(ब) ट्रिस (एथेन-1, 2 डाइऐमीन) क्रोनियम (III) क्लोराइड।
प्रश्न 20.
(अ)
(ब) शुद्ध ऐसीटोन बनाने की प्रयोगशाला विधि को समझाइए एवं इसके प्रमुख रासायनिक गुण भी दीजिए। (1 + 3 = 4)
अथवा
(अ) हंसडीकर अभिक्रिया क्या है?
(ब) निम्नलिखित यौगिकों को उनसे सम्बन्धित (कोष्ठकों में दिए गए) गुणधर्मों को बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(i) ऐसीटैल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन, मेथिल तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन (HCN के प्रति
अभिक्रियाशीलता)।
(ii) CH3CH2CH(Br)COOH, CH3CH(Br)CH2 COOH, (CH3)2CHCOOH, CH3CH2CH2COOH (अम्लता के क्रम में)।
(iii) बेन्जोइक अम्ल; 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 3, 4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 4-मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में)। (1 + 3 = 4)
उत्तर:
(अ) P2O5
(ब) प्रयोगशाला में निर्जल कैल्सियम ऐसीटेट के शुष्क आसवन से ऐसीटोन बनाया जाता है।
2(CH3)2C(OH)SO3Na + Na2CO3 → 2(CH3)2 CO + 2Na2SO4 + H2O + CO2
अमोनिया के साथ क्रिया – डाइऐसीटोन ऐमीन बनता है।
क्लोरोफॉर्म से क्रिया-क्लोरीटोन बनता है
H2SO4 से क्रिया-ऐसीटोन का सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ आसवन करने पर मेसिटलीन बनती है।
Leave a Reply