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RBSE Class 12 Chemistry Model Paper Set 5 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए
(i) एक ठोस यौगिक XY की NaCl संरचना है। यदि धनायन की त्रिज्या 100 pm है तो ऋणायन (Y) की त्रिज्या होगी
(अ) 275.1 pm
(ब) 322.5 pm
(स) 241.5 pm
(द) 165.7 pm
उत्तरः
(स) 241.5 pm
(ii) भर्जन किया जाता है
(अ) ऑक्साइड अयस्क में
(ब) सिलिकेट अयस्क में
(स) सल्फाइड अयस्क में
(द) कार्बोनेट अयस्क में।
उत्तरः
(स) सल्फाइड अयस्क में
(iii) [Co(NH3)4 Cl2] Br2 एवं [Co(NH3)4 Br2] Cl2 का युगल दर्शाएगा-
(अ) बंधनी समावयवता
(ब) हाइड्रेट समावयवता
(स) आयनन समावयवता
(द) उपसहसंयोजन समावयवता
उत्तरः
(स) आयनन समावयवता
(iv) फॉस्जीन है
(अ) PH3
(ब) POCl3
(स) CS
(द) COCl2
उत्तरः
(द) COCl2
(v) क्लोरोफॉर्म का प्रयोग होता है
(अ) एक कीटनाशक के रूप में
(ब) एक फफूंदीनाशक के रूप में
(स) औद्योगिक विलायक के रूप में
(द) अवशोषक के रूप में
उत्तरः
(स) औद्योगिक विलायक के रूप में
(vi) फीनॉल का 0.20% विलयन निम्न में से किस रूप में कार्य करता है?
(अ) ऐन्टीसेप्टिक
(ब) प्रतिऑक्सीकारक
(स) ज्वरनाशक
(द) ऐन्टीबायोटिक
उत्तरः
(अ) ऐन्टीसेप्टिक
(vii) वसा के साथ आँत में अवशोषित होने वाले विटामिन हैं-
(अ) A, D
(ब) B, C
(स) A, C
(द) B, D
उत्तरः
(अ) A, D
(viii) बायोटीन यीस्ट में पाये जाने वाला कार्बनिक पदार्थ है। इसे अन्य किस नाम से पुकारते हैं?
(अ) विटामिन H
(ब) विटामिन K
(स) विटामिन E
(द) विटामिन B12
उत्तरः
(अ) विटामिन H
(xi) वह विटामिन जो न तो जल में और न ही वसा में विलेय है-
(अ) बायोटीन
(ब) थायमीन
(स) कैल्सीफेरॉल
(द) ये सभी
उत्तरः
(अ) बायोटीन
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) मैट में मुख्यतः ……………………… होता है।
उत्तरः
Cu2s + FeS
(ii) कॉपर का प्रमुख अयस्क ……………………….. है।
उत्तरः
चैलको पायराइट
(iii) Mn2+ में उपस्थित कुल अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या ……………….. है।
उत्तरः
5
(iv) K2SO4.Al2(SO4)3 24H2O के जलीय विलयन में उपस्थित आयनों के नाम ………………….. तथा ………………………… हैं।
उत्तरः
K+, Al3+, SO42-
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) किस प्रकार के यौगिक शॉट्की दोष दर्शाते हैं ? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यह दोष उन क्रिस्टलों में पाया जाता है जो उच्च आयनिक यौगिक होते हैं, जिनमें धनायनों तथा ऋणायनों के आकारों में बहुत अधिक अन्तर नहीं पाया जाता है; जैसे-NaCl, KBr, KCI, CsCl आदि।
(ii) साधारणतया किसी विलायक में विलेय को घोलने पर उसका क्वथनांक बढ़ जाता है। क्यों? उचित कारण दीजिए।
उत्तर:
किसी विलायक में कोई अवाष्पशील पदार्थ घोलने पर विलयन का वाष्पदाब कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप विलयन का क्वथनांक बढ़ जाता है।
(iii) समपरासरी विलयन किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे विलयन, जिनके परासरण दाब समान ताप पर समान हों, समपरासरी विलयन कहलाते हैं। दो समपरासरी विलयनों को अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् करने पर परासरण नहीं होता हैं|
(iv) कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम तथा सूत्र लिखिए।
उत्तर:
कॉपर के दो प्रमुख अयस्क क्यूप्राइट (Cu2O) व कॉपर पायराइट (CuFeS2) हैं।
(v) Cr2+ एक प्रबल अपचायक है क्यों, कारण दीजिए।
उत्तर:
Cr2+ एक प्रबल अपचायक है क्योंकि Cr2+ से Cr2+ बनने में 4 का 3 में परिवर्तन हो जाता है। इनका t2g3 विन्यास अधिक स्थायी है।
(vi) इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह का फीनॉल की अम्लता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
फीनॉल में बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह उपस्थित होने पर फीनॉल की अम्लीयता बढ़ जाती है।
(vii) यूरिया का संरचनात्मक सूत्र बनाइए एवं IUPAC नाम लिखिए।
उत्तर:
(viii) नाइट्रो बेन्जीन का Zn + HCl की उपस्थिति में अपचयन पर अभिक्रिया समीकरण लिखिए।
खण्ड-(ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
KBr का घनत्व 2.75g cm-3 है। एकक कोष्ठिका के कोर की लम्बाई 654 pm है। दिखाइये कि KBr फलक केन्द्रित घनीय संरचना है। (1½)
उत्तर:
d = \(\frac{n m}{\mathrm{~N}_{\mathrm{A}}(a)^{3}}\)
दिया हुआ है-d = 2.75 g cm-3
a = 654 pm = 6.54 × 10-8cm,
M = 39 + 80 = 119g mol-1
n = \(\frac{\mathrm{d} \times \mathrm{N}_{\mathrm{A}} \times \dot{a}^{3}}{M}\)
= \(\frac{2.75 \times 6.023 \times 10^{23} \times\left(6.54 \times 10^{-8}\right)^{3}}{119}\)
= 3.9 ≈ 4
चूंकि कणों की संख्या = 4 है जोकि फलक केन्द्रित घनीय संरचना में होते हैं। अत: KBr की संरचना फलक केन्द्रित घनीय है।
प्रश्न 5.
(अ) षट्कोणीय क्रिस्टल तन्त्र हेतु अक्षीय कोणों के मान लिखिए।
(ब) सिलिकॉन में बोरोन अपमिश्रित करने पर किस प्रकार का अर्द्धचालक प्राप्त होता है? समझाइए। (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
(अ) षट्कोणीय क्रिस्टल तन्त्र हेतु अक्षीय कोण-
α = β = 90°, γ = 120°
(ब) सिलिकॉन में बोरोन अपमिश्रित करने पर pप्रकार का अर्द्धचालक प्राप्त होता है। Si में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। B जिसके संयोजी कोश में तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं, वह निकट के Si परमाणुओं से तीन बन्ध बना पाता है। इस प्रकार प्रत्येक B परमाणु पर एक इलेक्ट्रॉन न्यून छिद्र बन जाता है। इलेक्ट्रॉन न्यून होने के कारण यह छिद्र धन आवेशित बन जाता है। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में निकट के Si परमाणु से इलेक्ट्रॉन आकर इस छिद्र को भरता है, परिणामस्वरूप उस स्थान पर धनात्मक छिद्र बन जाता है। इलेक्ट्रॉन इन धनात्मक छिद्रों के माध्यम से धनात्मक इलेक्ट्रोड की ओर गमन करते हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि धनात्मक छिद्र ऋणात्मक इलेक्ट्रोड की ओर गमन कर रहे हैं। इस प्रकार के अर्द्धचालक p-प्रकार के अर्द्धचालक कहलाते हैं।
प्रश्न 6.
परासरण क्या है ? परासरण दाब के लिए व्यजंक लिखिए। (1½)
उत्तर:
विलायक के अणुओं का अर्द्धपरासरण झिल्ली में होकर शुद्ध विलायक से विलयन की ओर या तनु विलयन से सान्द्र विलयन की ओर स्वतः प्रवाह परासरण कहलाता है। परासरण दाब के लिए व्यंजक PV = nRT
जहाँ P = विलयन का परासरण दाब (वायुमण्डल में)
V = विलयन का आयतन (लीटर में)
n = विलेय के मोलों की संख्या
T = परमताप और R = विलयन स्थिरांक = 0.082 लीटर-वायु/डिग्री/मोल
प्रश्न 7.
27°C ताप पर यूरिया के 0.01 M विलयन का परासरण दाब ज्ञात कीजिए। (1½)
[R = 0.0821 L atmk-1 mol-1]
उत्तर:
परासरण दाब (π) = RT
π = CRT
यहाँ C = 0.01 M
R = 0.0821 L atm K-1 mol-1
T = 27°C + 273 = 300 K
अतः π = 0.01 × 0.0821 × 300
= 0.2463 atm
प्रश्न 8.
एक अभिक्रिया A के प्रति प्रथम तथा B के प्रति द्वितीय कोटि की है।
(अ) अवकलन वेग समीकरण लिखिए।
(ब) B की सान्द्रता तीन गुनी करने से वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(स) A तथा B दोनों की सान्द्रता दोगुनी करने से वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा? (½ + ½ + ½ = 1½)
उत्तर:
(अ) अभिक्रिया की दर या वेग
= \(\frac{d x}{d t}\) = K[A][B]2
यहाँ अवकलन वेग समीकरण,
दर = k[A][B]2
(ब) माना कि [A] = a, [B] = b
चूँकि [B] की सान्द्रता तीन गुनी कर दी गई है, अतः
वेग = k [A] [B]2.
(वेग)1 = ka × b2 …….(i)
[B] = 3b, तब
(वेग)2 = ka × (3b)2 …….(i)
समी. (i) व (ii) से,
अर्थात् अभिक्रिया का वेग नौ गुना बढ़ जायेगा।
(स) [A] तथा [B] दोनों की सान्द्रता दोगुनी करने पर,
[A] = 2a, [B] = 2b, तब
(वेग)1 = ka × b2 ……(iii)
(वेग)2 = k × 2a × (2b)2 …(iv)
समी. (ii) व (iv) से,
अर्थात् अभिक्रिया का वेग आठ गुना हो जायेगा।
प्रश्न 9.
रासायनिक अभिक्रिया में 10°C ताप वृद्धि से वेग स्थिरांक में लगभग दोगुनी वृद्धि हो जाती है। नामांकित वितरण वक्र से समझायें। (1½)
उत्तर:
किसी पदार्थ के तापमान में वृद्धि द्वारा सक्रियण ऊर्जा से अधिक ऊर्जा प्राप्त संघट्ट करने वाले अणुओं की संख्या के मान में वृद्धि होती है।
जैसा किं चित्र से स्पष्ट है कि वक्र में (i + 10) ताप पर सक्रियण ऊर्जा या इससे अधिक ऊर्जा प्राप्त अणुओं को प्रदर्शित करने वाला क्षेत्रफल लगभग दोगुना हो जाता है अतः अभिक्रिया वेग दोगुना हो जाता है।
प्रश्न 10.
कारण बताइए
(अ) निर्जल कॉपर सल्फेट सफेद है, परन्तु हाइड्रेटेड कॉपर सल्फेट नीला है, क्यों?
(ब) Zn2+ आयनों के लवण सफेद, परन्तु Cu2+ के नीले होते हैं, क्यों? (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
(अ) हाइड्रेटेड कॉपर सल्फेट में [Cu (H2O)4]2+ आयन पाया जाता है जो कि नीले रंग का होता है तथा यहाँ Cu2+ आयन मुक्त होता है जबकि निर्जल कॉपर सल्फेट में Cu2+ आयन मुक्त नहीं होता है, इस कारण यह सफेद रंग का होता है।
(ब) Zn2+ आयनों के लवण सफेद किन्तु Cu2+ के नीले होते हैं क्योंकि Zn2+ आयनों में d-कक्षक पूर्ण रूप से भरे होते हैं; अंत: यहाँ d-d संक्रमण सम्भव नहीं होता है। जबकि Cu2+ आयनों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की उपस्थिति के कारण d-d संक्रमण सम्भव है। इस कारण ये संक्रमण के लिए दृश्य प्रकाश से लाल रंग के प्रकाश को शोषित कर लेते हैं तथा नीले रंग के प्रकाश को उत्सर्जित करते हैं जिससे ये नीले रंग के दिखाई देते हैं।
प्रश्न 11.
निम्न के कारण लिखिए
(अ) मैंगनीज (Z = 25) की तृतीय आयनन ऊर्जा अनापेक्षित रूप से उच्च होती है। क्यों ?
(ब) जलीय विलयन में Ti(Z = 22) की सर्वाधिक स्थायी ऑक्सीकरण अवस्था +4 होती है। क्यों.? (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
(अ) मैंगनीज जिसका परमाणु क्रमांक 25 है, का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 4s2 3d5 है, जबकि दो इलेक्ट्रॉनों के निकल जाने के बाद Mn का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास Mn2+ = [Ar] 3d5 रह जाता है अर्थात् d-कक्षक अर्द्धपूरित होकर स्थायी विन्यास . प्राप्त कर लेता है। अतः तृतीय इलेक्ट्रॉन को Mn2+ से निकालने के लिए अत्यधिक उच्च ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि Mn की तृतीय आयनन ऊर्जा अनापेक्षित रूप से उच्च होती है।
(ब) Ti (Z = 22) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d24s2 होता है। चार इलेक्ट्रॉनों के निकल जाने के बाद विन्यास स्थायी उत्कृष्ट गैस आर्गन के समान हो जाता है। अतः Ti की +4 ऑक्सीकरण अवस्था सर्वाधिक स्थायी होती है।
प्रश्न 12.
समीकरण सहित परिभाषित कीजिए:
(अ) राइमर-टीमन अभिक्रिया
(ब) फ्रीडेल-क्राफ्टस ऐसीटिलन अभिक्रिया (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
(अ) जब फीनॉल की क्रिया क्लोरोफार्म तथा क्षार के साथ 333 – 343 K ताप पर कराते हैं तो हाइड्रॉक्सी बेन्जेल्डिहाइड प्राप्त होता है।
(ब) बेन्जीन या प्रतिस्थापित बेन्जीन से-निर्जल | ऐलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में बेन्जीन या प्रतिस्थापित बेन्जीन, अम्ल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया कर संगत कीटोन देते हैं। यह अभिक्रिया प्रीडेल-क्राफ्ट्स ऐसीटिलन अभिक्रिया (Friedal Craft’s Acylation reaction) कहलाती है।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पाद/उत्पादों को लिखिए (¾ + ¾ = 1½)
(अ)
उत्तर:
(ब)
उत्तर:
प्रश्न 14.
(अ) किस प्रकार के ऐल्डिहाइड कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं?
(ब) श्मिट अभिक्रिया द्वारा प्राथमिक ऐमीन कैसे बनायी जाती है? रासायनिक समीकरण भी दीजिए। (½ + ½ + ½ = 1½)
उत्तर:
(अ) ऐल्डिहाइड जिनमें 2-हाइड्रोजन नहीं होती, जैसे फॉर्मेल्डिहाइड तथा बेन्जेल्डिहाइड, कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल को हाइड्राजोइक अम्ल (N3H) के साथ सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में गर्म करने पर प्राथमिक ऐमीन बनती है।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रिया के उत्पादों की संरचना लिखिए (¾ + ¾ = 1½)
(अ)
उत्तर:
(ब)
उत्तर:
NaBH4 एक दुर्बल अपचायक है। यह ऐल्डिहाइड/ कीटोन को अपचयित कर सकता है, परन्तु एस्टर को नहीं।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
(अ) आहेनियस समीकरण के आधार पर Ink एवं 1/T के मध्य आरेख बनाइए।
(ब) एक यौगिक के 1 मोल से प्रारम्भ करने पर यह ज्ञात हुआ कि 1 घण्टे में अभिक्रिया तीन-चौथाई पूर्ण हो जाती है। वेग स्थिरांक की गणना कीजिए यदि अभिक्रिया प्रथम कोटि का अनुसरण करती है। (1½ + ½ = 3)
अथवा
(अ) दर्शाइए कि प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए 75% पूर्ण होने में लगा समय अर्द्ध आयु का दुगुना होता है।
(ब) किसी अभिक्रिया R → P के लिये विशा ने R की सान्द्रता एवं समय के मध्य एक ग्राफ खींचा। इस ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए.
(i) वक्र का ढाल क्या इंगित करता है?
(ii) वेग स्थिरांक की इकाई क्या है? (1½ + ½ = 3)
उत्तर:
(अ) In k एवं \(\frac{1}{T}\) के मध्य आरेख
(ब) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए,
k = \(\frac{2.303}{t}\) log\(\frac{a}{a-x}\)
a = 1 मोल,, a – x = 1 – \(\frac{3}{4}\) = \(\frac{1}{4}\) मोल,
t = 1 घण्टा
k = \(\frac{2.303}{1}\) log\(\frac{1}{\frac{1}{4}}\) = 2.303 log 4
= 1.386 प्रति घण्टा
प्रश्न 17.
(अ) वु अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।
(ब) एक अणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए। (1½ + ½ = 3)
अथवा
(अ) हंसडीकर अभिक्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए।
(ब) (i) बेंजिल क्लोराइड में हैलोजन परमाणु से बंधित कार्बन की संकरित अवस्था लिखिए।
(ii) द्विअणुक नाभिक स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए। (1 + 2 = 3)
उत्तर:
(अ) शुष्क ईथर में हैलो एल्केन की क्रिया सोडियम से कराने पर ऐल्केन बनते हैं जिसमें सम संख्या में कार्बन परमाणु होते हैं इसे वु अभिक्रिया कहते हैं-
(ब) एक अणुक नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया दो पदों में पूर्ण होती है-
यह एक प्रथम कोटि अभिक्रिया है क्योंकि अभिक्रिया का वेग धीमे पद पर निर्भर करता है अतः वेग = K[RX]
उदाहरण: तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड का जल अपघटन
(CH3)3C – Br + H2O → (CH3)3C – OH + HBr
क्रियाविधि:
प्रश्न 18.
(अ) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्रस अम्ल से क्रिया लिखिए।. (ब) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण से नहीं बनाया जा सकता है, क्यों?(1 + 2 = 3)
अथवा
(अ) ट्राइमेथिलेमीन तथा n-प्रोपिलेमीन का अणुभार समान होता है लेकिन ट्राइमेथिलेमीन निम्न ताप 276 K) तथा n-प्रोपिलेमीन अधिक ताप (322 K) पर उबलता है। क्यों।
(ब) क्या होता है जब R – N = C का जल अपघटन अम्लीय माध्यम में किया जाता है? रासायनिक समीकरण लिखिए।
(स) नाइट्रोबेन्जीन के उदासीन माध्यम में अपचयन की अभिक्रिया लिखिए। (1 + 1 + 1 = 3)
उत्तर:
(अ)
(ब) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण के द्वारा नहीं बनाया जा सकता है। क्योंकि गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण कार्बनिक हैलोजन यौगिक पर थैलिमाइड ऋणायन द्वारा नाभिकरागी अभिक्रिया पर निर्भर करता है।
ऐरिल हैलाइड सरलता से नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ नहीं दर्शाते हैं अतः ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन गैब्रिएल थैलिमाइड अभिक्रिया द्वारा नहीं बनाये जा सकते हैं।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
(अ) FeSO4 विलयन तथा (NH4)2SO4 विलयन का 1 : 1 मोलर अनुपात में मिश्रण Fe2+ आयन का परीक्षण देता है, परन्तु CuSO4, व जलीय अमोनिया का 1:4 मोलर अनुपात में मिश्रण Cu2+ आयनों का परीक्षण नहीं देता। समझाइए, क्यों ?
(ब) संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि वर्ग समतलीय संरचना वाला [Ni(CN)4]2- आयन प्रतिचुम्बकीय है तथा चतुष्फलकीय ज्यामिति वाला [NiCl4]2- आयन अनुचुम्बकीय है। (2 + 2 = 4)
अथवा
(अ) [NiCl4]2- अनुचुम्बकीय है जबकि [Ni(CO)4] प्रति चुम्बकीय है; यद्यपि दोनों की चतुष्कलकीय हैं। क्यों?
(ब) वर्ग समतली [Pt(CN)4]2- आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइए। (3 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) FeSO4 विलयन तथा (NH4)2SO4 विलयन का 1 : 1 मोलर अनुपात में मिश्रण द्विक लवण बनाता है। यह द्विक लवण FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O (मोहर लवण) है जो विलयन में आयनित होकर Fe2+ आयन देता है! इसलिए यह Fe2+ आयनों का परीक्षण देता है।
CuSO4 व जलीय विलयन का 1 : 4 मोलर अनुपात में मिश्रण संकर लवण बनाता है जिसका सूत्र [Cu (NH3)4]2+ है। संकुल आयन, [Cu(NH3)4]2+ आयनित होकर Cu2+ आयन नहीं देता है। इसलिए यह Cu2+ आयनों का परीक्षण नहीं देता।
(ब) [Ni(CN)4]2- का चुम्बकीय व्यवहार
उपर्युक्त संकुल [Ni(CN)4]2- में कोई भी अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं है अतः यह प्रतिचुम्बकीय है।
[NiCl4]2- का चुम्बकीय व्यवहार-इसमें Cl– एक दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड है। इस कारण यह इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं करता है।
उपर्युक्त संकुल अनुचुम्बकीय है क्योंकि इसमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं।
प्रश्न 20.
(अ) प्रयोगशाला में फॉर्मेल्डिहाइड बनाने की अभिक्रिया दीजिए। इसकी (1) सान्द्र NaOH घोल तथा (ii) अमोनिया के साथ होने वाली अभिक्रियाओं को समीकरण सहित समझाइए।
(ब) एक कार्बनिक यौगिक Aजिसका अणुसूत्र C5H10 है, ब्रोमीन जल को रंगहीन करता है। यौगिक A अपचयन करने पर 2 मेथिल ब्यूटेन और ओजोनीकरण करने पर ऐथेनल तथा प्रोपेनोन देता है। यौगिक A की पहचान कीजिए। सम्बन्धित अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए। (2 + 2 = 4)
अथवा
(अ) ग्लेशियल ऐसीटिक अम्ल का निर्माण किस प्रकार किया जाता है, अभिक्रिया समीकरण दीजिए तथा परीक्षण को समझाइए।
(ब) फॉर्मेल्डिहाइड तथा ऐसीटेल्डिहाइड में अन्तर लिखिए। (3 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) प्रयोगशाला में फॉर्मेल्डिहाइड बनाना-मेथिल ऐल्कोहॉल के उत्प्रेरित ऑक्सीकरण द्वारा प्रयोगशाला में फॉमेल्डिहाइडउ (HCHO) बनाया जाता है।
(i) सान्द्र NaOH घोल से अभिक्रिया – फॉर्मेल्डिहाइड की सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) के सान्द्र विलयन से क्रिया कराने पर मेथिल ऐल्कोहॉल और सोडियम फॉर्मेट बनता है।
यह अभिक्रिया कैनिजारो अभिक्रिया कहलाती है।
(ii) अमोनिया से अभिक्रिया: फॉर्मेल्डिहाइड सान्द्र अमोनिया के साथ अभिक्रिया करके हेक्सामेथिलीन टेट्राऐमीन बनाती है। जिसे हेक्सामीन या यूरोट्रापिन कहते हैं।
(ब) यौगिक के अणुसूत्र C5H10 ये इसके
होने की सम्भावना लगती है। चूँकि ओजोनीकरण के उपरान्त एथेनैल तथा प्रोपेनोन बनता है तथा यह ब्रोमीन जल को रंगहीन करता है। इससे यौगिक की असंतृप्त होने की पुष्टि होती है।
यौगिक के अपचयन से 2-मेथिल ब्यूटेन बनता है।
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